गेहूं चना और आलू की खेती करने वाले किसान कैसे बचा सकते हैं अपनी फसल
मौसम की अनिश्चितताओं के बीच भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने मौसम के बदलते मिज़ाज को देखते हुए खेती से जुड़ी एक एडवायजरी जारी की है। ताकि इस बार सही समय पर सही कदम उठाते हुए फसलों को होने वाले नुकसान को कम किया जा सके। विभाग द्वारा किसानों को सलाह दी गई है, कि अगर उनके इलाके में ज्यादा बारिश हुई है तो अपनी खड़ी फसल में अब वे सिंचाई ना करें।कैसे कर सकते हैं किसान गेहूं की फसल की निगरानी
इस मौसम में गेहूं की फसलों में रतुआ रोग काफी ज्यादा देखने को मिलता है। माना जा रहा है, कि अगर इस रोग पर पहले से ध्यान दिया जाए तो फसल को इससे होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। अगर गेहूं की फसल में पत्तियों पर आपको काले, पीले या भूरे रंग के धब्बे दिखाई दे रहे हैं। तो तुरंत डाइथेन एम-45 की 2.5 ग्राम मात्रा एक लीटर पानी में मिलाकर पूरी फसल पर छिडकाव करें। ऐसा करने से फसल को इस रोग से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है।ये भी देखें: कहीं आप की गेहूं की फसल भी इस रोग से प्रभावित तो नहीं हो रही, लक्षणों पर जरूर दें ध्यानपीला रतुआ रोग गेहूं में 10-20°C तापमान के बीच होता है। अगर तापमान 25 डिग्री से ऊपर चला जाए तो रोग गेहूं को प्रभावित नहीं करता है। इसी तरह से भूरा रतुआ रोग 15-25 डिग्री सेल्सियस तापमान पर होता है। साथ ही, भूमि में नमी हो तो ये और फैल जाता है।
चने की फसल में कैसे करें कीट से बचाव
चने की फसल को छेदक कीट लगने का खतरा बन रहता है। अगर फसल में फुल आ गए हैं तो 3 से 4 फैरोमेन ट्रैप प्रति एकड़ के हिसाब से लगाने पर इससे बचा जा सकता है।आलू की फसल का बचाव कैसे करें
अगर आपने आलू की खेती की है तो इसमें झुलसा रोग होने की संभावना रहती है। एक बार इस रोग के लक्षण देखते ही 2 ग्राम कैप्टान एक लीटर पानी में मिलाकर पूरी फसल पर छिडकाव करें।
07-Feb-2023