भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं। आज हम आपको ककड़ी की फसल के बारे में जानकारी देंगे, तो आपको सबसे पहले बतादें, कि ककड़ी कुकरबिटेसी परिवार से संबंधित है और इसका वानस्पतिक नाम कुकुमिस मेलो है और भारत इसका मूल स्थान है। यह हल्के हरे रंग की होती है, जिसका छिल्का नर्म और गुद्दा सफेद होता है। इसका मुख्य रूप से सलाद के रूप में नमक और काली मिर्च के साथ सेवन किया जाता है। इसके फल में ठंडा प्रभाव होता है। इसलिए इसे मुख्य तौर पर गर्मियों के मौसम में खाया जाता है।
ककड़ी का उत्पादन मिट्टी की विभिन्न किस्मों में बड़ी ही आसानी से किया जा सकता है, जैसे रेतीली दोमट से भारी मिट्टी जो कि अच्छी जल निकासी वाली हो। इसकी खेती के लिए मिट्टी का pH 5.8-7.5 होना चाहिए। इसके साथ-साथ जमीन की तैयारी भी करना बहुत जरूरी है। ककड़ी की खेती के लिए अच्छी तरह से तैयार जमीन की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मिट्टी को भुरभुरा करने के लिए हैरो से 2-3 बार जोताई करना काफी जरूरी है।
बीजों की बिजाई के लिए फरवरी-मार्च का महीना सबसे उपयुक्त माना जाता है। बीजों के मध्य फासला खालियों के बीच 200-250 सैं.मी. और मेंड़ों के बीच 60-90 सैं.मी. रखना फायदेमंद साबित होगा। फसल के शानदार विकास के लिए दो बीजों को एक जगह पर बोयें। बीज की गहराई की बात करें तो बीजों को 2.5-4 सैं.मी गहराई में बोयें। बिजाई का तरीका बीजों को बैड या मेंड़ पर सीधे बोया जाता है। बीज की मात्रा की बात करें तो आप प्रति एकड़ में 1 किलो बीजों का इस्तेमाल करें।
मिट्टी से होने वाली बीमारियों से बचाने के लिए बैनलेट या बविस्टिन 2.5 ग्राम से प्रति किलो बीजों का उपचार करें। वहीं, खाद की बात करें तो नर्सरी बैड से 15 सैं.मी. दूरी पर फासफोरस और पोटाश की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन का 1/3 भाग बिजाई के समय डालें। बाकी की बची हुई नाइट्रोजन बिजाई से एक महीना बाद में डालें।
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खरपतवार नियंत्रण के लिए बेलों के फैलने से पहले इनकी ऊपरी परत की कसी से हल्की गुड़ाई करें। सिंचाई की बात करें तो बिजाई के तुरंत पश्चात सिंचाई करना बेहद जरूरी है। गर्मियों में, 4-5 सिंचाइयों की काफी जरूरत होती है और बारिश के मौसम में सिंचाई जरूरत के मुताबिक करें।
उपचार: इसका हमला फसल में दिखाई दे तो, थायामैथोकस्म 5 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी की स्प्रे फसल पर करें।
उपचार: यदि इसका हमला दिखाई दें तो, मैलाथियोन 2 मि.ली. या कार्बरिल 4 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें यह भुंडी की रोकथाम में सहायक है।
उपचार: फसल को फल की मक्खी से बचाने के लिए नीम के तेल में 3.0% फोलियर स्प्रे करें।
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उपचार: सफेद फफूँदी का हमला खेत में दिखे तो पानी में घुलनशील सल्फर 20 ग्राम को 10 लीटर पानी में डालकर 10 दिनों के अंतराल पर 2-3 बार स्प्रे करें।
उपचार: एंथ्राकनोस की रोकथाम के लिए कार्बेनडाज़िम 2 ग्राम से प्रति किलो बीजों का उपचार करें। यदि इसका हमला खेत में दिखाई दे तो, मैनकोजेब 2 ग्राम या कार्बेनडाज़िम 2 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
उपचार: यदि इसका प्रभाव दिखाई दे तो डाइथेन एम-45 या डाइथेन Z-78 का प्रयोग इस बीमारी से बचने के लिए करें।
उपचार: फुजारियम सूखे से बचाव के लिए कप्तान या हैक्सोकैप 0.2-0.3%का छिड़काव करें।
उपचार: इस बीमारी से बचाव के लिए बिजाई के समय फुराडन 5 किलोग्राम बिजाई के समय प्रति एकड़ में डालें। यदि इसका हमला दिखे तो डाईमेक्रोन 0.05 % 10 दिनों के अंतराल पर करें।
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ककड़ी के फल 60-70 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं। कटाई मुख्य तौर पर फल के पूरी तरह विकसित होने और नर्म होने पर की जाती है। कटाई मुख्य रूप से फूल निकलने के मौसम में 3-4 दिनों के अंतराल पर की जाती है।
ककड़ी को अन्य किस्मों जैसे कि स्नैप मैलन, वाइल्ड मैलन, खरबूजा और ककड़ी आदि से 1000 मीटर की दूरी पर रखें। खेत में से प्रभावित पौधों को हटा दें। जब फल पक जायें जैसे उनका रंग बदलकर हल्का हो जाये तब उन्हें ताजे पानी में रखकर हाथों से तोड़ें और गुद्दे से बीजों को अलग कर लें। बीज जो नीचे स्तर पर बैठ जाते हैं, उन्हें बीज उद्देश्य के लिए एकत्रित किया जाता है।
खीरे के बाद अगर गर्मियों में सबसे ज्यादा पसंद की जाती है, तो वो है ककड़ी. जी हां, ककड़ी बेहद कम लागत में अच्छा मुनाफा दे सकती है. देखा जाए तो, देश में लगभग सभी क्षेत्रों में ककड़ी की खेती की जाती है. गर्मियों का सीजन आते ही बाजार में इसकी डिमांड दोगुनी हो जाती है. जिसे देखते हुए अगर इसकी खेती की जाए तो, डबल मुआफा आराम से कमाया जा सकता है. देश में किसान ककड़ी की खेती नगदी फसल के तौर पर करते हैं.
ककड़ी की खेती करने के लिए बेहद कम लागत में की जा सकती है. जिसमें अच्छा खासा मुनाफा मिलता है. इसे भारतीय मूल की फसल कहा जाता है, जिसे जायद के सीजन में उगाया जाता है. ककड़ी के पौधे में लगभग एक फीट तक फल लगते हैं. इसे सब्जी या सलाद के रूप में खाया जा सकता है.
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ककड़ी की खेती अगर वैज्ञानिक तरीके से की जाए तो इस्ससे डबल मुनाफा कमाया जा सकता है. अगर आप भी ककड़ी की खेती करना चाहते हैं, तो इससे जुड़ी हर तरह की जानकारी के बारे में आपको जान लेना जरूरी है.
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