Ad

kantola

जानें वन करेला की सम्पूर्ण जानकारी

जानें वन करेला की सम्पूर्ण जानकारी

वन करेला की खेती हमारे देश के बहुत से राज्यों में की जाती है। इसे अलग अलग जगहों पर अलग अलग नामो से जाना जाता है, जैसे : मीठा करेला ,जंगली करेला , कंटीला परवल , करोल ,भाट करेला ,आदि। यह मानसून में मिलने वाली एक तरह की सब्जी है। इस सब्जी के बाहरी सतह पर कांटेदार रेशे उगे हुए होते है। वन करेला आकर में बहुत छोटा रहता है। इसका वैज्ञानिक नाम मोमोरेख डाइगोवा है। 

वन करेले की खेती 

वन करेले ज्यादातर बारिश के मौसम में होते है। बारिश होने पर वन करेला की बेले अपने आप उगने लग जाती है। यह सब्जी अन्य सब्जियों की तुलना में काफी महंगी होती है। इसके बीज आसानी से न मिलने के कारण इसकी खेती नहीं की जा सकती है। बारिश का सीजन ख़त्म होने के बाद वन करेले के बीज जमीन पर गिर जाते है। पहली बारिश के होते ही वन करेले की बेले उगने लगती है। 

ये भी पढ़ें: करेला देगा नफा, आवारा पशु खफा - करेले की खेती की संपूर्ण जानकारी

वन करेले की किस्में

वन करेला की दो किस्में होती है ,जो खेती के रूप में उगाई जाती है। जैसे : छोटे आकर वाले वन करेले और इंदिरा आकर ( आर एम एफ 37 )। वन करेले का प्रबंधन कंद या बीजो के द्वारा किया जाता है। इसीलिए किसानों द्वारा अच्छी वैरायटी वाले बीजो का उपयोग करना चाहिए। बुवाई से पहले बीजो की अच्छे से जांच कर ले ,कही बीज रोगग्रस्त तो नहीं है। 

वन करेला के बीजो की बुवाई 

वन करेले की खेती के लिए मिट्टी का पीअच स्तर 6-7 माना जाता है। इसकी बुवाई का काम दोमट और बलुई मिट्टी में किया जा सकता है। लेकिन अच्छी पैदावार के लिए दोमट मिट्टी को ज्यादा उपयोगी माना जाता है। वन करेले के पौधे को अच्छे से पनपने के लिए  गर्म आद्र जलवायु की आवश्यकता रहती है। 

वन करेले की बुवाई के लिए किसी खास तकनीक की आवश्यकता नहीं रहती है। वन करेले के बीजो को रात में गर्म पानी में भिगोकर रख दे। इससे बीजो का अच्छा अंकुरण होता है। इसकी बुवाई 3-4 इंच की दूरी पर की जाती है। आवश्यकता अनुसार इसमें पानी देते रहना चाहिए। बुवाई के कुछ दिन बाद ही इसमें नन्हे नन्हे पौधे देखने को मिलते है। 

वन करेला का आहार करने से हो सकते है ,ये लाभ 

वन करेला में बहुत से विटामिन ,कैल्शियम ,जिंक ,कॉपर और मैग्नीशियम जैसे तत्व पाए जाते है। इसके उपयोग से बहुत सी बिमारियों में तो आराम मिलता है ,लेकिन ये स्वास्थ के लिए भी बेहद लाभकारी होती है ,जानिए कैसे :

कार्बोहायड्रेट से परिपूर्ण 

वन करेले में अधिक मात्रा में कार्बोहायड्रेट पाया जाता है। कार्बोहायड्रेट का सेवन करने से शरीर में फुर्ती और ताकत आती हैं ,जो की किसी भी काम को करने के लिए बेहद आवश्यक रहती है। दिन प्रतिदिन होने वाले कामो के लिए शरीर में ताकत रहना जरूरी है ,बिना ताकत के कोई भी काम नहीं हो पायेगा। 

ये भी पढ़ें: गर्मियों की हरी सब्जियां आसानी से किचन गार्डन मे उगाएं : करेला, भिंडी, घीया, तोरी, टिंडा, लोबिया, ककड़ी

विटामिन से भरपूर 

वन करेले के अंदर बहुत से विटामिन पाए जाते है, इसमें विटामिन ए और विटामिन बी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। वन करेले का सेवन करने से शरीर के अंदर विटामिन्स की जो कमी रहती है उसे कम करता है। महंगी महंगी दवाइयों के सेवन से भी कोई फायदा न मिलने पर भी आहार में वन करेले का उपयोग करके देख सकते है। इसके उपयोग से आपको शरीर में विटामिन की कमी महसूस नहीं होगी। 

प्रोटीन और फाइबर की उचित मात्रा 

वन करेले में प्रोटीन और फाइबर की उचित मात्रा पायी जाती है।  प्रोटीन जो शरीर के अंदर कोशिकाओं की मरम्मत करने में सहायक रहता है। और फाइबर जो शरीर की पाचन किर्यो को स्वस्थ रखने में मददगार रहता है। यह पाचन किर्याओ को सुचारु रूप से कार्य करने के लिए मदद करता है। 

वन करेले की खेती ज्यादातर पहाड़ी इलाकों में की जाती है। वन करेले की तासीर गर्म रहती है, साथ ही ये खाने में भी बहुत स्वादिष्ट लगती है। 

वन करेला बरसात के मौसम में होने वाली खुजली , पीलिया और बेहोशी में भी लाभदायक साबित हुआ है।  इसके अलावा वन करेला का आहार करने से आँखों की समस्या ,बुखार और इन्फेक्शन जैसे समस्याओं से भी राहत मिलती है। इसके खाने से ब्लड शुगर लेवल भी संतुलित रहता है।

डाकुओं को आश्रय देने वाली जमीन पर आज हो रही है ककोड़ा की खेती

डाकुओं को आश्रय देने वाली जमीन पर आज हो रही है ककोड़ा की खेती

इटावा के बीहड़ में होने वाली ककोड़ा यानी खेखसा की खेती के बारे विस्तार से जानिए

इटावा। आज हम आपको
ककोड़ा या कर्कोट की खेती (इन नामों से भी जाना जाता है : कंटोला, खेकसी, खेखसा) (kakoda, kantola, Khekhasa, kheksi) (वानस्पतिक नाम : Momordica dioica) के बारे में विस्तार से बताएंगे। उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में बीहड़ जंगल हैं। बारिश के दिनों में इस बीहड़ क्षेत्र में एक खास किस्म की सब्जी पाई जाती है, जिसे यहां के स्थानीय किसान तोड़कर शहर में बेचकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। कभी डांकुओं को आश्रय देने वाली इस जमीन पर आज ककोड़ा की खेती अपने पैर जमा रही है।

काफी स्वादिष्ट होती है ककोड़ा की सब्जी

- आमतौर पर बारिश के दौरान ही ककोड़ा की सब्जी उगती है। जो काफी स्वादिष्ट होती है। इसमें विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व मिलते हैं। बताया जाता है कि इनका नियमित सेवन करने से कई रोगों से छुटकारा मिलता है। इसीलिए इसे एक औषधीय सब्जी के नाम से भी जाना जाता है।
ये भी पढ़े: औषधीय जिमीकंद की खेती कैसे करें

डायबिटीज के रोगियों के लिए रामबाण है ककोड़ा

- तमाम औषधियों से भरपूर ककोड़ा की सब्जी डायबिटीज के रोगियों के लिए रामबाण दवा है। कई नामी चिकित्सकों के दावा है कि ककोड़ा के नियमित सेवन से डायबिटीज पर कंट्रोल किया जा सकता है। आंखों की रोशनी बढ़ाने में भी ककोड़ा काफी लाभदायक है। शरीर के कई महत्वपूर्ण रोगों में ककोड़ा औषधि के रूप में काम करती है

ककोड़ा में मिलते हैं ये पोषक तत्व

- आयुर्वेद के जानकारों की मानें तो ककोड़ा की सब्जी में कई तरह के पोषक तत्व मिलते हैं, जिनका नियमित सेवन मनुष्य के लिए बेहद लाभकारी है। ककोड़ा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फाइबर के साथ-साथ कई अन्य प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं।
ये भी पढ़े: पढ़िए जंगली सब्जी की कहानी, जिसे पाने के लिए जान जोखिम में डाल देते हैं शौकीन

अधिक बारिश में बढ़ती है पैदावार

- ककोड़ा की सब्जी बारिश के दिनों में अच्छी पैदावार देती है। जितना ज्यादा बारिश होगी, यह सब्जी उतनी ही बेहतर उपज देती है। बारिश के दिनों में यहां के स्थानीय किसानों में ककोड़ा की सब्जी को लेकर खासा उत्साह दिखाई दे रहा है।
ये भी पढ़े: देश में खेती-किसानी और कृषि से जुड़ी योजनाओं के बारे में जानिए

बीहड़ में हर रोज बढ़ रहा है खेती का क्रेज

- इटावा के बीहड़ों में खेती करने के लिए किसानों में हर रोज क्रेज बढ़ रहा है। यहां अब खेती का चलन शुरू हो गया है। बीहड़ और चम्बल क्षेत्र में अच्छी बारिश के दौरान ककोड़ा की अच्छी पैदावार हो रही है, जिससे किसानों में खुशी का माहौल है। ----- लोकेन्द्र नरवार
कंटोला एक औषधीय गुणों से भरपूर सब्जी है, इसके सेवन से कई सारे रोग दूर भाग जाते हैं

कंटोला एक औषधीय गुणों से भरपूर सब्जी है, इसके सेवन से कई सारे रोग दूर भाग जाते हैं

आज हम इस लेख में कंटोला नामक बागवानी फसल के विषय में बात करेंगे। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि कंटोला के अंदर भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। इसमें मौजूद फाइटोकेमिकल्स और एंटीऑक्सीडेंट हमारे शरीर को स्वस्थ व सेहतमंद रखते हैं। हमारे शरीर के बेहतरीन स्वास्थ्य के लिए अच्छे पोषक तत्वों की काफी जरूरत होती है। इसके लिए हमें कई तरह की सब्जियों का सेवन करना चाहिए, जो हमारे शरीर में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करें। साथ ही, हमें बाकी बीमारियों से भी दूर रखें। ऐसी स्थिति में आज हम आपको एक बेहद ही फायदेमंद सब्जी कंटोला के संबंध में बताने जा रहे हैं, जो आयुर्वेद में एक ताकतवर औषधि के तौर पर मशहूर है। इस सब्जी के अंदर मांस से 40 गुना अधिक प्रोटीन विघमान होता है। इस सब्जी में उपस्थित फाइटोकेमिकल्स हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को काफी बढ़ाता है। इसकी खेती विशेष रूप से भारत के पहाड़ी हिस्सों में की जाती है। भारत में इसे अन्य लोकल नाम कंकोड़ा, कटोला, परोपा एवं खेख्सा के नाम से जाना जाता है।

कंटोला की फसल हेतु खेत की तैयारी

कंटोला की खेती के लिए बलुई दोमट मृदा काफी अच्छी होती है। आप खेत की जुताई के बाद इसपर कम से कम 2 से 3 बार पाटा जरुर चला दें. इसकी बेहतर पैदावार के लिए खेत में समय-समय पर गोबर की खाद मिला कर जैविक तरीके से खाद देते रहें। किसी भी फसल की बेहतरीन उपज के लिए खेत की तैयारी काफी अहम भूमिका अदा करती है।

कंटोला की बुआई कब की जाती है

कंटोला एक खरीफ के समय में उत्पादित की जाने वाली फसल है। गर्मी के समय में मैदानी इलाकों में जनवरी और फरवरी महीने के अंतर्गत उगाई जाती है। साथ ही, खरीफ की फसल की जुलाई-अगस्त में बुवाई की जाती है। इसके बीजों को, कंद अथवा कटिंग के जरिए से लगाया जाता है।

ये भी पढ़ें:
किसान जुलाई-अगस्त में इन फूलों की पैदावार कर अच्छा मुनाफा उठा सकते हैं

कंटोला की कटाई कब की जाती है

कंटोला के फल का बड़े आकार में होने पर ही इसकी कटाई की जाती है। इन फलों की मुलायम अवस्था में दो से तीन दिनों की समयावधि पर नियमित तुड़ाई करना फायदेमंद होता है। कंटोला की खेती करना किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।

कंटोला में कौन कौन से औषधीय गुण विघमान हैं

कंटोला अपने औषधीय गुणों की वजह से जाना जाता है। यह हमारे शरीर की पाचन शक्ति को बढ़ाता है। इसमें उपस्थित रासायनिक यौगिक मानव शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। यह शरीर के ब्लड शुगर लेवल, त्वचा में दरार एवं आंखों के बेहतरीन स्वास्थ्य के लिए सहायक साबित होता है। यह किडनी में होने वाली पथरी को भी दूर करता है। साथ ही, बवासीर के मरीजों के लिए भी लाभदायक होता है।