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कुट्टू की खेती से किसान रातोंरात हो सकते हैं मालामाल, ऐसे करें खेती

कुट्टू की खेती से किसान रातोंरात हो सकते हैं मालामाल, ऐसे करें खेती

कुट्टू एक ऐसा अनाज है जिसकी पैदावार देश में सीमित स्थानों पर होती है। पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले किसान इसकी खेती ज्यादा करते हैं। कुट्टू में अन्य अनाजों की तुलना में पोशक तत्वों की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। चूंकि इसकी खेती सीमित मात्रा में और सीमित इलाकों में होती है इसलिए इसके रेट भी धान, गेहूं और अन्य मोटे अनाजों की तुलना में ज्यादा होते हैं। ऐसे में किसान कुट्टू की खेती करके अच्छी खासी आमदनी हासिल कर सकते हैं।

इन उत्पादों को बनाने में इस्तेमाल होते हैं कुट्टू के बीज

कुट्टू के बीजों से आटा बनाया जाता है जो बाजार में ऊंचे दामों पर बिकता है। इसके साथ ही इसके बीजों से नूडल, सूप, चाय और ग्लूटिन फ्री-बीयर भी बनाई जाती है। कुट्टू के पेड़ के तने का उपयोग सब्जी बनाने में किया जाता है, इसके साथ ही इसके फूल और पत्तियों से कई तरह की हर्बल दवाइयों का निर्माण किया जाता है। ये भी पढ़े: इस हर्बल फसल की खेती करके कमाएं भारी मुनाफा, महज तीन महीने में रकम होगी 3 गुना

ऐसे करें कुट्टू की खेती

कुट्टू के खेती के लिए ऐसी जमीन उपयुक्त मानी जाती है जिसमें मार्च, अप्रैल में भी पर्याप्त नमी बनी रहती हो। ऐसी परिस्थितियां पहाड़ी इलाकों में आसानी से मिल जाती हैं इसलिए इस अनाज की खेती वहीं पर सर्वाधिक की जाती है। इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। इसके साथ ही बुवाई के पहले खेत को तीन से चार बार जुताई करके अच्छे से तैयार कर लें। कुट्टू के बीजों की बुवाई छिड़काव विधि से की जाती है। छिड़काव के बाद किसान भाई पाटा चलाकर बीजों को पूरी तरह से ढंक दें। एक हेक्टेयर कृषि भूमि में 40 से लेकर 80 किलोग्राम तक कुट्टू के बीज बोए जा सकते हैं। बीजों की बुवाई की मात्रा उनकी किस्मों पर निर्भर करती है। बुवाई के वक्त ध्यान रखें की पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर होना जरूरी है। ये भी पढ़े: अप्रैल माह में किसान भाई इन फसलों की बुवाई करके कमाएं मोटा मुनाफा

इस प्रकार से करें उर्वरक और कीटनाशकों का प्रयोग

कुट्टू की फसल में उर्वरक डालने से अच्छा उत्पादन प्राप्त होता है। एक हेक्टेयर फसल में 40 किलोग्राम नाइट्रोजन, 20 किलोग्राम पोटाश और 20 किलोग्राम फॉस्फोरस को मिश्रित करके डालना चाहिए। इसके साथ ही फसल की कम से कम 5 से 6 बार सिंचाई करना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि खेत में हमेशा नमी बनी रहे। कुट्टू की फसल में कीटों का हमला नहीं होता है। इसलिए इस खेती में किसी भी प्रकार के कीटनाशक का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

कटाई और पैदावार

इस फसल में बीजों के झड़ने की समस्या सबसे ज्यादा होती है ऐसे में जब फसल 80 फीसदी पक जाए तब कटाई शुरू कर दें। कटाई के बाद फसल का गट्ठर बनाकर, इसे सुखाने के बाद गहाई करनी चाहिए। एक हेक्टेयर में लगभग 13 क्विंटल तक कुट्टू का उत्पादन हो जाता है। इस हिसाब से कुट्टू की खेती करके किसान भाई कम समय में  मालामाल हो सकते हैं।
गेंहू से भी ज्यादा महंगी बिकने वाली इस फसल का उत्पादन करके किसान अच्छी आय कर सकते हैं

गेंहू से भी ज्यादा महंगी बिकने वाली इस फसल का उत्पादन करके किसान अच्छी आय कर सकते हैं

आज हम आपको एक ऐसी फसल के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे निर्मित आटा गेंहू से भी अधिक दाम में बेचा जाता है। साथ ही, इसके अंदर अन्य अनाजों के तुलनात्मक प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व विघमान रहते हैं। जैसा कि हम सब जानते हैं कि भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है। इसकी वजह यह है कि यहां 60 से 70 प्रतिशत आबादी कृषि क्षेत्र पर निर्भर रहती है। भारत के विभिन्न राज्यों में विभिन्न प्रकार की फसलों का उत्पादन किया जाता है। उत्तर भारत में गेंहू का उत्पादन काफी बड़े पैमाने पर किया जाता है। दूसरी तरफ दक्षिण भारत के अंदर धान एवं नारियल का उत्पादन अधिक होता है। उसी प्रकार पहाड़ी प्रदेशों की भी अपनी भिन्न फसल है। इन पहाड़ी राज्यों में किसान भाई धान गेंहू सहित मोटे अनाज एवं जंगली फ्रूट्स का भी उत्पादन किया जाता है। परंतु, पहाड़ी प्रदेशों के किसानों को फसल उत्पादन करने हेतु काफी परिश्रम करना होता है। ऐसी स्थिति में वह खेती किसानी से अपना रुख बदल कर अन्य कार्य करने दूसरे बड़े शहरों की तरफ पलायन कर रहे हैं। हालाँकि, अब इन किसान भाइयों को किसी भी तरह की कोई दिक्कत परेशानी लेने की जरूरत नहीं है।

केंद्र सरकार कुट्टू की खेती को प्रोत्साहन दे रही है

आजतक की रिपोर्ट के अनुसार, पहाड़ी राज्य के किसानों को पलायन करने से रोकने और उनकी आर्थिक आय बढ़ाने के लिए कुट्टू की खेती को प्रोत्साहित कर रही है। बतादें, कि कुट्टू के अंदर गेंहू धान सहित अन्य अनाजों के तुलनात्मक काफी ज्यादा मात्रा में पोषक तत्व विघमान होते हैं। दरअसल, भारत में कुट्टू का उत्पादन करने वाले काफी कम किसान पाए जाते हैं। इसीलिए कुट्टू का आटा गेंहू के मुकाबले ज्यादा दाम में बिकता है। यदि पहाड़ी क्षेत्र के किसान इसकी खेती करते हैं तो उनको काफी आमदनी अर्जित हो पाएगी। ये भी पढ़े: कुट्टू की खेती से किसान रातोंरात हो सकते हैं मालामाल, ऐसे करें खेती

कुट्टू के बीज से काफी चीजें बनाई जा सकती हैं

आपकी जानकारी के लिए बतादें कि कुट्टू सिर्फ एक फसल ही नहीं है। यह एक जड़ी- बूटी भी है। बतादें कि इसके बीज द्वारा जहां आटा निर्मित किया जाता है, तो उधर इसके तने से स्वादिष्ट सब्जियां भी बनाई जाती हैं। इसका सेवन करने से शरीर को भरपूर मात्रा में विटामिन्स प्राप्त होते हैं। विशेष बात यह है, कि कुट्टू के फूल एवं पत्तियों द्वारा दवाइयां निर्मित की जाती हैं। ऐसी स्थिति में हम यह बोल सकते हैं, कि कुट्टू एक ऐसी फसल है, जिसके बीज से लेकर पत्ते, फूल एवं तने तक का इस्तेमाल धन अर्जित करने में किया जा सकता है। साथ ही, इसके बीज के माध्यम से चाय, नूडल और सूप भी निर्मित किया जाता है।

कुट्टू को 80 प्रतिशत पकते ही काट सकते हैं

जानकारी के अनुसार, कुट्टू का उत्पादन करने के लिए मृदा का पीएच 6.5 से 7.5 के मध्य बेहतर माना गया है। इसक उत्पादन करने हेतु एक हेक्टेयर भूमि में 80 किलोग्राम तक बीज की आवश्यकता होती है। विशेष बात यह है, कि इसका बीजारोपण एक निश्चित दूरी पर किया जाता है। इससे बेहतरीन उत्पादन मिलता है। कुट्टू की फसल पर कीट- पतंगों का किसी तरह का प्रभाव नहीं पड़ता है। साथ ही, कुट्टू को 80 प्रतिशत पकने के बाद काटा जा सकता है। एक हेक्टेयर भूमि में आपको 11 से 13 क्विंटल उत्पादन प्राप्त हो सकता है। अब ऐसी स्थिति में इसका उत्पादन करने से किसानों की आय काफी बढ़ जाएगी।