Published on: 07-Apr-2023
आज हम आपको एक ऐसी फसल के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे निर्मित आटा गेंहू से भी अधिक दाम में बेचा जाता है। साथ ही, इसके अंदर अन्य अनाजों के तुलनात्मक प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व विघमान रहते हैं। जैसा कि हम सब जानते हैं कि भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है। इसकी वजह यह है कि यहां 60 से 70 प्रतिशत आबादी कृषि क्षेत्र पर निर्भर रहती है। भारत के विभिन्न राज्यों में विभिन्न प्रकार की फसलों का उत्पादन किया जाता है। उत्तर भारत में गेंहू का उत्पादन काफी बड़े पैमाने पर किया जाता है। दूसरी तरफ दक्षिण भारत के अंदर धान एवं नारियल का उत्पादन अधिक होता है। उसी प्रकार पहाड़ी प्रदेशों की भी अपनी भिन्न फसल है।
इन पहाड़ी राज्यों में किसान भाई धान गेंहू सहित मोटे अनाज एवं जंगली फ्रूट्स का भी उत्पादन किया जाता है। परंतु, पहाड़ी प्रदेशों के किसानों को फसल उत्पादन करने हेतु काफी परिश्रम करना होता है। ऐसी स्थिति में वह खेती किसानी से अपना रुख बदल कर अन्य कार्य करने दूसरे बड़े शहरों की तरफ पलायन कर रहे हैं। हालाँकि, अब इन किसान भाइयों को किसी भी तरह की कोई दिक्कत परेशानी लेने की जरूरत नहीं है।
केंद्र सरकार कुट्टू की खेती को प्रोत्साहन दे रही है
आजतक की रिपोर्ट के अनुसार, पहाड़ी राज्य के किसानों को पलायन करने से रोकने और उनकी आर्थिक आय बढ़ाने के लिए कुट्टू की खेती को प्रोत्साहित कर रही है। बतादें, कि कुट्टू के अंदर गेंहू धान सहित अन्य अनाजों के तुलनात्मक काफी ज्यादा मात्रा में पोषक तत्व विघमान होते हैं। दरअसल, भारत में कुट्टू का उत्पादन करने वाले काफी कम किसान पाए जाते हैं। इसीलिए कुट्टू का आटा गेंहू के मुकाबले ज्यादा दाम में बिकता है। यदि पहाड़ी क्षेत्र के किसान इसकी खेती करते हैं तो उनको काफी आमदनी अर्जित हो पाएगी।
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कुट्टू के बीज से काफी चीजें बनाई जा सकती हैं
आपकी जानकारी के लिए बतादें कि कुट्टू सिर्फ एक फसल ही नहीं है। यह एक जड़ी- बूटी भी है। बतादें कि इसके बीज द्वारा जहां आटा निर्मित किया जाता है, तो उधर इसके तने से स्वादिष्ट सब्जियां भी बनाई जाती हैं। इसका सेवन करने से शरीर को भरपूर मात्रा में विटामिन्स प्राप्त होते हैं। विशेष बात यह है, कि कुट्टू के फूल एवं पत्तियों द्वारा दवाइयां निर्मित की जाती हैं। ऐसी स्थिति में हम यह बोल सकते हैं, कि कुट्टू एक ऐसी फसल है, जिसके बीज से लेकर पत्ते,
फूल एवं तने तक का इस्तेमाल धन अर्जित करने में किया जा सकता है। साथ ही, इसके बीज के माध्यम से चाय, नूडल और सूप भी निर्मित किया जाता है।
कुट्टू को 80 प्रतिशत पकते ही काट सकते हैं
जानकारी के अनुसार, कुट्टू का उत्पादन करने के लिए मृदा का पीएच 6.5 से 7.5 के मध्य बेहतर माना गया है। इसक उत्पादन करने हेतु एक हेक्टेयर भूमि में 80 किलोग्राम तक बीज की आवश्यकता होती है। विशेष बात यह है, कि इसका बीजारोपण एक निश्चित दूरी पर किया जाता है। इससे बेहतरीन उत्पादन मिलता है। कुट्टू की फसल पर कीट- पतंगों का किसी तरह का प्रभाव नहीं पड़ता है। साथ ही, कुट्टू को 80 प्रतिशत पकने के बाद काटा जा सकता है। एक हेक्टेयर भूमि में आपको 11 से 13 क्विंटल उत्पादन प्राप्त हो सकता है। अब ऐसी स्थिति में इसका उत्पादन करने से किसानों की आय काफी बढ़ जाएगी।