गन्ना:पैसा, सेहत से करेगा मालामाल
गन्ना किसानों की नगदी फसल है। इसे ठीकसे समझा जाए तो जिन इलाकों में आज भी गन्ने की खेती होती है वहां के लोग गंभीर रोगों के शिकार कम हैं। गन्ने की खेती जब खुद किसान करते हैं तो उन्हें, उनके परिवर एवं पशुओं को भी गन्ने का रस, गुड़ आदि उत्पाद किसी न किसी रूप में मिलते हैं। गन्ने की खेती से किसानों को कई तरह का लाभ होता है।मुख्य लाभ पशुपालन को इस से संजीवनी मिलती है। पशुओं को अच्छा हरा चारा विशेषकर शर्दियों में सतत रूप से मिलता रहता है। गन्ने से तरकीबन 65 से 70 टन प्रति हैक्टेयर की उपज मिलती है और 1.5 से 2 लाख रुपए की आय होती है। गन्ने की छोटी फसल के साथ दूसरी फसल लेकर उसकी प्रारंभिक लागत को निकाला जा सकता है।
भूमि का चयन
गन्ने के लिए चिकनी एवं जलोढ़ भूमि सर्वाधिक उपयुक्त रहती है। जिन इलाकों में पानी की उपलब्धता ठीक ठाक है वहां इसकी खेती करना आसान है। गन्ना सालभर में एक मीटर पानी पी जाता है। जैसे एक किलोग्राम चावल तीन से 4 हजार लीटर पानी में तैयार होता है वैसे ही गन्ने को भी भरपूर पानी चाहिए।गन्ना चूंकि एक एवं बहुवर्षीय फसल है लिहाजा इसके साथ कुछ लोगों ने हल्दी, केला आदि की मिश्रित खेती भी की है। गन्ना लगाने के समय प्रारंभ में लोगों ने मटर आदि की खेती भी इसके साथ मिश्रित खेती के रूपमें की है। विषम परिस्थितियां भी इसकी फसल को बहुत अधिक प्रभावित नहीं कर पाती।इन्हीं विशेष कारणों से गन्ना की खेती अपने आपमें सुरक्षित और लाभकी खेती मानी जाती है| इसकी अधिक पैदावार वैज्ञानिक तकनीक व कुशल सस्य प्रबंधन के माध्यम से ही संभव है| गन्ना की खेती मध्यम से भारी काली मिट्टी में कीजासकती है| दोमट भूमि जिसमें सिंचाई की उचित व्यवस्था और जलका निकास अच्छा हो, एवं पीएचमान 6.5 से 7.5 के बीच हो, गन्ने के लिए सर्वोत्तम होती है|
बिजाई का मौसम
गन्ने की बुआई वर्ष में दो बार होती है। शरद कालीन बुवाई- अक्टूबर से नवम्बर में होती है और फसल 10 से 14 माह में तैयार हो जाती है| बसंत कालीन बुवाई- फरवरी से मार्च तक होती है और फसल 10 से 12 माह में तैयार हो जाती है| शरद कालीन गन्ने की बसंत में बोये गये गन्ने से 25 से 30 प्रतिशत व ग्रीष्म कालीन गन्ने से 30 से 40 प्रतिशत अधिक पैदावार होती है|
खेत की तैयारी
किसी भी फसल को लगाने से पूर्व गेहूं की कटाई के बाद गर्मियों में खेत की गहरी दो से तीन जुताई करें । पहली से दूसरी एवं तीसरी जुताई के माध्य पांच से सात दिन के अन्तराल पर करें ताकि खेत की सिकाई ठीक से हो जाए। इससे खेत में मौजूद खरपतवार, फफूंद जनित रोग एवं अन्य तरह के संक्रमणकारी चीेजें नष्ट हो जाती हैं। खेत को कम्प्यूटर मांझे से समतल करलें ताकि पानी की खपत कम हो। कम्पोस्ट खाद का प्रयोग अवश्य करें। इसके बाद रिजर की सहायता से 3 से 4.5 फुट की दूरी में 20 से 30 सेंटीमीटर गहरी नाली बनायें|
बीज का चयन व तैयारी
गन्ने की फसल उगाने के लिए पूरा तना न बोकर इसके दो या तीन आंख के टुकड़े काट कर उपयोग में लायें| गन्ने के ऊपरी भाग में अंकुरण 100 प्रतिशत, बीच में 40 प्रतिशत तथा निचले भाग में केवल 19 प्रतिशत ही होता है| दो आंख वाला टुकड़ा सर्वोत्तम रहता है|गन्ना की खेती केरन के लिए किसान भाइयों को उत्पादन क्षमता, गन्ने में चीनी की मात्रा आदि का ध्यान रखना चाहिए। अहम बात यह है कि गन्ना यादि चीनी मिल वाले क्षेत्र में लगाया जा रहा है तो वहां के लोगों से क्षेत्र विशेष के लिए उपयुक्त किस्म की जानकारी कर लें। निकट के किसानों के यहां कौनसी किस्म लगी है और उससे कैसा उत्पादन मिल रहा है, यह जानकारी करने के बाद ही उपयुक्त किस्म का चयन करेंगे तो ज्यादा अच्छा होगा।