Chiku Farming: चीकू की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग व उनसे बचाव कैसे करें
भारत के अंदर चीकू की खेती काफी बड़े पैमाने पर की जाती है। चीकू के चाहने वाले लोग दुनिया के हर हिस्से में पाए जाते हैं। इस लेख में आज हम आपको इसमें लगने वाले रोगों से संरक्षण के विषय में बताने जा रहे हैं। चीकू की खेती भारत के बहुत सारे हिस्सों में की जाती है। चीकू काफी लोकप्रिय फल है। यदि आप इसकी खेती करते हैं, तो बाजार में आपको काफी अच्छा मुनाफा प्राप्त हो सकता है। चीकू का फल खाने में स्वादिष्ट होने के अतिरिक्त यह विटामिन-बी, सी, कैल्शियम, मैग्नीशियम, मैंगनीज एवं मिनरल से भरपूर होता है। चीकू की खेती के दौरान इसमें बहुत सारे हानिकारक कीट और रोग लग जाते हैं।चीकू की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग
धब्बा रोग
आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि धब्बा रोग चीकू की पत्तियों पर लगता है। साथ ही, यह गहरे जामुनी भूरे रंग का होता है और बीच से सफेद रंग का होता हैं। यह पौधे की पत्तियों के अतिरिक्त तने एवं पंखुड़ियों पर भी लगता है। इससे बचाव के लिए पत्तों पर कॉपर ऑक्सीक्लोराइड की 500 ग्राम मात्रा का छिड़काव करना चाहिए। यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र के किसान महेश ने इस फल की खेती कर कमाया लाखों का मुनाफातने का गलना रोग
यह एक फंगस की वजह से होने वाली बीमारी है। इसकी वजह से पौधे के तने और शाखाओं में सड़न आने लग जाती है। इससे संरक्षण के लिए कार्बेन्डाजिम और Z-78 की मात्रा को 200 लीटर पानी में मिश्रित कर इसकी जड़ों पर छिड़काव करना चाहिए।एंथ्राक्नोस रोग
एंथ्राक्नोस रोग पौधे के तने एवं शाखाओं पर गहरे रंग के धंसे हुए धब्बे के रुप में नजर आता है। इसके लगने से पौधे की पत्तियां झरने लगती हैं। साथ ही, धीरे-धीरे पूरी शाखा नीचे गिर जाती है। इससे संरक्षण के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड और एम-45 को पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। यह भी पढ़ें: किसान श्रवण सिंह बागवानी फसलों का उत्पादन कर बने मालामालपत्ते का जाला रोग
इस रोग से चीकू के पेड़ के पत्तों पर जाला लग जाता है। फिर यह गहरे भूरे रंग का हो जाता है। इससे पत्ते काफी सूख जाते हैं और टहनियां भी गिरने लगती हैं। इससे संरक्षण के लिए कार्बरील और क्लोरपाइरीफॉस को मिलाकर 10 से 15 दिनों के समयांतराल पर पौधों पर छिड़काव करना चाहिए।
02-Sep-2023