विधायक कुणाल चौधरी ने बताया है, कि बारिश और ओलावृष्टि से फसलों को बड़े स्तर पर हानि पहुंची है। इसी संदर्भ में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से कुणाल चौधरी का कहना है, कि अतिशीघ्र उनके स्तर से प्रभावित किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाए। साथ ही, उन्होंने बताया है, कि राज्य में सोयाबीन, प्याज एवं लहसुन उत्पादक किसानों को लाभ अर्जित नहीं हुआ है। भाव कम होने के कारण सोयाबीन, प्याज एवं लहसुन की कृषि करने वाले किसान भाई फसल पर किया गया खर्च भी नहीं निकाल पाए हैं। फिलहाल, वर्षा से गेहूं की फसल के ऊपर भी संकट के बादल छा गए हैं। अब सरकार द्वारा किसानों से समुचित मूल्य पर गेहूं खरीदना चालू करने की जरूरत है।
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किसानों ने क्षतिग्रस्त फसल के लिए की आर्थिक सहायता की माँग
इसी कड़ी में कुणाल चौधरी ने बताया है, कि कांग्रेस द्वारा किसान भाइयों का कर्ज माफ कर कृषि को सुगम कर दिया था। परंतु, आज की सरकार ने केवल किसानों का जीवन बर्बाद करने का कार्य किया है। आज की सरकार ने 4 गुना महंगा खाद करके किसानों की फसल पर लगने वाली लागत को बढ़ाने का कार्य किया है। इतना ही नहीं किसानों के आगे बेबुनियाद और झूठे वादे करके उनको मुख्यमंत्री जी गुमराह करने का कार्य कर रहे हैं। दूसरी तरफ बढ़ती महंगाई की वजह से किसानों का फसल पर किए जाने वाला खर्च 3 गुना बढ़ गया है। ऐसी स्थिति में हमारी चाह है, कि किसान भाइयों को समुचित आर्थिक सहायता प्रदान की जाए एवं गेहूं का मूल्य 3000 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया जाए। साथ ही, कालापीपल के विधायक कुणाल चौधरी ने यह बताया है, कि सरकार को 40000 प्रति हैक्टर की कीमत से किसानों को आर्थिक सहायता देनी चाहिए।
बारिश की वजह से रबी फसल क्षतिग्रस्त
साथ ही, शाजापुर जनपद के प्रभारी मंत्री ने सूचित किया है, कि मध्यप्रदेश में ओलावृष्टि की वजह से किसानों की फसल को बेहद हानि हुई है। ऐसी स्थिति में किसान भाइयों को जो हानि वहन करनी पड़ी है, उसका सर्वेक्षण करने के आदेश दिए जा चुके हैं। परंतु, विचार करने योग्य बात यह है, कि मध्य प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान और शिवराज सरकार के मंत्री द्वारा जब आदेश जारी किया जा चुका है। तो फिर क्यों अब तक किसानों के खेत में कोई राजस्व अधिकारी निरीक्षण करने अब तक क्यों नहीं पहुंचा है।
मंत्रालय सूत्रों के अनुसार, विगत शनिवार को ही उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एमएसपी पर गेहूं की खरीद चालू करने की मांग केंद्र से की थी। इसके चलते उसने केंद्र द्वारा गेहूं खरीद में एमएसपी को लेकर मानक भी निर्धारित करने को कहा था। यही कारण है, कि केंद्र सरकार को अतिशीघ्र फसल हानि का आकलन करने हेतु उत्तर प्रदेश में अपनी टीमें भेजनी पड़ी हैं।
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दरअसल, मार्च के माह में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान समेत विभिन्न राज्यों में ओलावृष्टि के साथ-साथ बारिश हुई थी। इससे लाखों हेक्टेयर भूमि के रकबे में खड़ी रबी फसल को काफी हानि हुई है। विशेष रूप से गेहूं की फसल को सर्वाधिक हानि पहुँची है। राजस्थान राज्य में 3 लाख हेक्टेयर में खड़ी गेहूं की फसल को बेमौसम बारिश से काफी हानि पहुंची है। इसकी वजह से गेहूं की गुणवत्ता भी काफी प्रभावित हुई है। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार द्वारा पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में गेहू खरीद के नियमों में ढील प्रदान की गई है।
एमएसपी में कितने रुपए की कटौती की जाएगी
मतलब कि इन राज्यों में बारिश से गुणवत्ता प्रभावित गेहूं को भी एमएसपी पर खरीदा जाएगा। यदि इन तीनों प्रदेशों में गेहूं के दाने 6 फीसद से कम टूटे हुए मिलते हैं, उस स्थिति में एमएसपी में किसी प्रकार की कोई कटौती नहीं की जाएगी। यदि गेहूं के दाने 16 से 18 प्रतिशत के मध्य बेकार मिलते हैं, तब एमएसपी में 31.87 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से कटौती की जाएगी।
गुणवत्ता प्रभावित गेंहू के लिए मानक भी निर्धारित किए गए
इन सब बातों का सीधा सा मतलब है, कि रिपोर्ट पेश होने के उपरांत उत्तर प्रदेश के लिए भी केंद्र सरकार गेहूं खरीद के नियमों में ढ़िलाई प्रदान कर सकती है। इसके उपरांत यहां के किसान भाई भी पंजाब व हरियाणा की तर्ज पर गुणवत्ता प्रभावित गेहूं को तय मानक के अनुरूप बेच सकते हैं। जानकारी के लिए आपको बतादें, कि केंद्र सरकार की तरफ से किसानों की दिक्कतों को कम करने हेतु खराब गुणवत्ता वाले गेहूं की भी खरीद करने हेतु सरकारी एजेंसियों को निर्देश जारी किए गए हैं। साथ ही, इसके लिए मानक भी निर्धारित कर दिए गए हैं।