किसानों को विवश होकर 2 रुपए किलो भी बेचने पड़े थे टमाटर
अप्रैल एवं मई माह के दौरान टमाटर कौड़ियों के भाव में बिक रहा था। थोक बाजार में इसका भाव 3 से 5 रुपये किलो पहुंच गया था। इसके चलते महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में किसान खर्चा तक भी नहीं निकाल पा रहे थे। इन राज्यों में किसान 2 रुपये किलो के हिसाब से टमाटर बेचने को विवश हो गए थे। अब ऐसी स्थिति में दुखी किसानों ने टमाटर को सब्जी मंडी के बाहर ही सड़कों पर फेंक दिया था। परंतु, मानसून की दस्तक के आते ही टमाटर के भाव अचानक सातवें आसमान पर पहुंच गए।
टमाटर की कीमत कितने दिन ज्यों की त्यों रहेंगी
मंडी के व्यापारियों ने बताया है, कि विगत कुछ दिनों से दिल्ली-एनसीआर में टमाटर की आवक में काफी ज्यादा गिरावट हुई है। इससे थोक बाजार में ही टमाटर महंगा हो गया। अब दुकानदार ही हॉलसेल में 70 से 80 रुपये किलो टमाटर खरीद रहे हैं। साथ ही, जानकारों का कहना है, कि अगले महीने तक टमाटर की कीमतें ऐसी ही रहेंगी।
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बारिश ने किया टमाटर की फसल को चौपट
गाजीपुर सब्जी मंडी के व्यापारी एवं मंडी अध्यक्ष सत्यदेव प्रसाद का कहना है, कि दिल्ली-एनसीआर में टमाटर समेत समस्त सब्जियों की कीमतें महंगी रहेंगी। टमाटर की बढ़ती कीमतों की मुख्य वजह बारिश है। क्योंकि दिल्ली-एनसीआर समेत विभिन्न राज्यों में टमाटर की फसल बर्बाद हो चुकी है। उन्होंने कहा है, कि दिल्ली के बाजार में राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और हरियाणा से टमाटर की आपूर्ति होती है। परंतु, अत्यधिक वर्षा होने से खेतों में जलभराव की स्थिति हो गई। जिसकी वजह से टमाटर की पत्तियां सड़ गईं। साथ ही, खेत में कीचड़ होने के कारण किसान बचे हुए टमाटर भी नहीं तोड़ पा रहे हैं। इससे टमाटर का उत्पादन प्रभावित हुआ है। इससे दिल्ली- एनसीआर में आपूर्ति प्रभावित होने से टमाटर काफी महंगे हो गए हैं।
फिलहाल टमाटर की आवक इन राज्यों से हो रही है
सत्यदेव प्रसाद के कहने के मुताबिक, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में बहुत सारे किसानों ने वर्षा होने पर धान की रोपाई करने के लिए टमाटर की फसल को खेत से हटा रहे हैं। इससे भी बाजार में टमाटर की कीमत बढ़ गई है। साथ ही, गाजीपुर सब्जी मंडी के सचिव मनोज कुमार ने बताया है कि अभी दिल्ली और आसपास के बाजारों में टमाटर महाराष्ट्र, बेंगलूरु, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर से पहुँच रहे हैं। वहां से लाने में सर्वाधिक खर्चा परिवहन पर हो रहा है। उन्होंने कहा है, कि दो सप्ताह पूर्व तक 50 किलो के टमाटर का क्रेट 50 से 100 रुपये में मिला करता था। अब थोक बाजार में इसकी भाव 40 से 50 रुपये प्रति किलो तक पहुँच चुका है।
टमाटर की कीमत में इस वजह से हुआ इजाफा
मनोज कुमार का कहना है, कि गाजीपुर मंडी में पहले प्रतिदिन 20 से 30 ट्रक टमाटर की आवक होती थी। परंतु, अब 10 से 11 ट्रक ही टमाटर की मंडियों में आवक हो रही है। यही कारण है, कि आपूर्ति एवं मांग में काफी ज्यादा अंतराल आने से कीमतें बढ़ गई हैं। साथ ही, बहुत सारे लोगों का कहना है, कि समुचित भाव नहीं मिलने के कारण इस बार किसानों ने टमाटर के उत्पादन रकबे को कम कर दिया है। इसके स्थान पर किसानों ने बींस की खेती की। इस वजह से भी टमाटर के भाव में इजाफा हुआ है।
टमाटर उत्पादक किसान मुरली चित्तूर जनपद के निवासी हैं
जानकारी के अनुसार, किसान मुरली आंध्र प्रदेश के चित्तूर जनपद के निवासी हैं। वे काफी समय से अपने गांव में टमाटर की खेती कर रहे हैं। परंतु, इससे पूर्व उन्हें इतना मुनाफा कभी नहीं मिला। पिछले साल तो भाव में कमी आने से उन्हें 1.5 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। उन्होंने साहूकार से कर्ज लेकर खेती की थी। ऐसी स्थिति में वे 1.5 करोड़ रुपये के कर्जदार भी हो गए थे। परंतु, इस वर्ष वे टमाटर बेचकर धनवान हो गए हैं। कीमत ज्यादा होने की वजह से महज कुछ दिनों में वे टमाटर बेचकर 4 करोड़ रुपये की आय कर चुके हैं।
किसान मुरली ने महज 45 दिन में ही 2 करोड़ रुपये की आय कर डाली
दरअसल, इतनी मोटी आमदनी करने के लिए मुरली को भी काफी ज्यादा परिश्रम करना पड़ा। उन्हें टमाटर बेचने के लिए प्रतिदिन 130 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय करनी पड़ी। वे टमाटर बेचने के लिए कोलार जाते थे, जिससे कि अच्छी कीमत मिल सके। विशेष बात यह है, कि 1.5 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाने के पश्चात मुरली केवल 45 दिन में ही 2 करोड़ रुपये की आमदनी करने में कामयाब रहे।
किसान मुरली टमाटर का रकबा बढ़ाने के लिए जमीन खरीदने की भी योजना बना रहे हैं
बतादें कि इस मुनाफे से मुरली काफी ज्यादा प्रसन्न नजर आ रहे हैं। फिलहाल वे और ज्यादा क्षेत्रफल में टमाटर की खेती करने की योजना बना रहे हैं। अब वे वैज्ञानिक तकनीक को अपनाते हुए बागवानी विधि से टमाटर का उत्पादन करना चाहते हैं, जिससे कि वह और अच्छी पैदावार ले सके। विशेष बात यह है, कि मुरली ज्यादा रकबे में खेती करने के लिए गांव में ही और जमीन खरीदने की योजना बना रहे हैं।
हालांकि, एक सप्ताह पूर्व दिल्ली में टमाटर की कीमतों में कुछ हद तक कमी देखने को मिली थी। राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न बाजारों में टमाटर 120 से 150 रुपये किलो पहुँच गया था। परंतु, मंगलवार से एक बार पुनः कीमतें बढ़ने लगीं है। अब ऐसी स्थिति में लोगों को लग रहा है, कि अन्य राज्यों की तुलना में दिल्ली में ही टमाटर इतना महंगा क्यों है। आखिर कीमतों में गिरावट आने के पश्चात पुनः बढ़ोत्तरी क्यों हुई है। इन सवालों के साथ दिल्ली वासी महंगाई को लेकर काफी चिंता में हैं। परंतु, उनको टेंशन लेने की आवश्यकता नहीं है। कीमतों में तेजी से उछाल की असली वजह सामने आ गई है।
आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि टमाटर उत्पादक राज्यों में बारिश के चलते टमाटर का उत्पादन काफी प्रभावित हुआ है। इससे दिल्ली में मांग के अनुसार, टमाटर की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। दिल्ली की आजादपुर मंडी में बुधवार को केवल 6 ट्रक ही टमाटर की आवक हुई, जो कि इसकी मांग का 15 प्रतिशत ही है। इसका अर्थ यह है, कि दिल्ली में आज भी 85 फीसद टमाटर की सप्लाई प्रभावित है। ऐसी स्थिति में मार्केट में टमाटर की उपलब्धता कम होने से कीमतों में वृद्धि हो रही है। वर्तमान में दिल्ली के अंदर कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से टमाटर की आपूर्ति हो रही है। ऐसी स्थिति में माल ढ़लाई का खर्चा भी बढ़ रहा है।
मदर डेयरी की सफल रिटेल दुकानों में 259 रुपये किलो टमाटर बेचा गया
साथ ही, आजादपुर टमाटर एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक कौशिक का कहना है, कि दिल्ली में पिछले तीन दिनों में टमाटर की आवक कम हो गई है। भारी बारिश की वजह से टमाटर उत्पादक राज्यों में फसल बर्बाद हो गई है। उन्होंने बताया कि आजादपुर मंडी में बुधवार को टमाटर की केवल 15 प्रतिशत ही आपूर्ति हो पाई है। यही कारण है, कि दिल्ली में टमाटर की कीमतों में एक बार फिर तेजी से बढ़ने लगी हैं। साथ ही, मदर डेयरी ने बुधवार अपनी सफल रिटेल दुकानों में 259 रुपये किलो टमाटर बेचा है।
रेड बेल पेपर टमाटर का सबसे अच्छा अल्टरनेटिव (Alternative) होता है
रेड बेल पेपर टमाटर के सबसे बेहतरीन अल्टरनेटिव्स में से एक होता है। सब्जी में डालने पर यह पूर्णतय वैसा ही टेक्सचर एवं स्वाद देते हैं, जैसे कि टमाटर से मिलता है। आप इन्हें सैंडविच, सलाद जैसी चीजों में भी उपयोग कर सकते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं मैगी, पास्ता और अन्य खाने की चीजों में भी आप इसका उपयोग टमाटर के स्थान पर कर सकते हैं। कम कीमत में यह चीज आपको टमाटर की कमी खलने नहीं देगी।
जैसा कि हम जानते कि इस समय पूरा बाजार आम से भरा हुआ है। ऐसी स्थिति में यदि आप टमाटर नहीं खरीद सकते तो कच्चे आम से अपना काम चला सकते हैं। यह आपकी सब्जी अथवा खाने वाली किसी भी चीज में वही खट्टा स्वाद देगी जो टमाटर से आता है। बाजार में इस समय कच्चा आम 50 से 60 रुपये किलो उपलब्ध हो जाएगा। सबसे मुख्य बात यह है, कि एक किलो कच्चा आम आपके 10 किलो टमाटर के समान होता है। यह टमाटर से भी अधिक खट्टा होता है, इस वजह से इसका उपयोग टमाटर से काफी कम किया जाता है।
दही को भी टमाटर का एक अल्टरनेटिव माना जाता है
दही भी टमाटर का एक बेहतरीन अल्टरनेटिव (Alternative) होता है। दही ना केवल आपकी डिश को खट्टा करेगी, बल्कि यह टमाटर की भांति आपकी डिश की ग्रेवी भी गाढ़ी करेगी। भारत में विभिन्न ऐसे पकवान और सब्जियां बनती हैं, जिसमें दही का उपयोग होता है। इस वजह से यदि आप टमाटर के स्थान पर दही का उपयोग करते हैं तो ये आपके लिए उत्तम है।
यदि आपको किसी डिश में केवल खट्टा पन लाना है और आप टमाटर खरीदने में असमर्थ हैं तो आपके लिए इमली सर्वोत्तम है। इमली से ना केवल आपकी सब्जी या कोई भी डिश खट्टी होगी बल्कि उसके स्वाद में भी चार चांद लग जाएंगे। खास बात यह है, कि आप जिस प्रकार से टमाटर की चटनी तैयार करते हैं, उसी प्रकार से आप इमली की भी चटनी तैयार कर सकते हैं।
उबली लौकी का उपयोग सब्जी को गाढ़ी करने हेतु कर सकते हैं
बतादें कि उबली लौकी का उपयोग आप तब कीजिए जब आपको ग्रेवी गाढ़ी करनी हो। दरअसल, बहुत लोग टमाटर का उपयोग ग्रेवी को गाढ़ी करने के लिए भी किया करते हैं। इस वजह से यदि आपको अपनी सब्जी की ग्रेवी गाढ़ी करनी है, तो आप टमाटर के स्थान पर उबली हुई लौकी का उपयोग कर सकते हैं। हालांकि, इसमें आपको खट्टापन लाने हेतु इमली का पानी मिश्रित करना पड़ेगा। ऐसा करने पर आपकी ग्रेवी गाढ़ी भी होने के साथ-साथ उसका स्वाद भी खट्टा हो जाएगा।
अगर आपको बागवानी का अनुभव नहीं है तो कम जगह से शुरुआत करें। उत्पादन के लिए चार-पांच प्रकार की सब्जियां चुनें और हर एक तरह के कुछ पौधे लगाऐं। कंटेनरों में सब्जियां उगाना भी काफी अच्छा तरीका है। धूपदार बालकनी भी बेहतर रहेगी। याद रखें जिन सब्जियों को खाएं उन्हीं सब्जी को उगाएं।
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उत्तम किस्मों का चयन बेहद जरूरी
बीज पैकेट, टैग अथवा लेबल पर दिए गए विवरण पर भरपूर ध्यान दें। हर एक सब्जी की कुछ विशेषताएं होती हैं। बहुत सारी किस्में बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता, बेहतर पैदावार अथवा बेहतर गर्मी या ठंड सहनशीलता प्रदान करती हैं।
किसान भाई उत्पादकता पर ध्यान दें
आरंभ में लोग बहुत ज्यादा पौधे लगाने की गलती करते हैं। टमाटर, मिर्च जैसी सब्जियाँ संपूर्ण मौसम में मौजूद रहती हैं। इस वजह से आपको अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बहुत सारे पौधों की जरूरत नहीं हो सकती है। बाकी सब्जियां, जैसे गाजर, मूली आदि सिर्फ एक बार काटी जा सकती हैं। उसके बाद उन्हें दोबारा लगाने की जरूरत होगी।
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मौसम के मुताबिक फसल चयन करना चाहिए
ठंडे और गर्म मौसम दोनों में सब्जियां लगाने से आपको बसंत, गर्मी एवं पतझड़ के दौरान निरंतर सब्जियों की फसल मिलेगी। शुरुआती बसंत में, सलाद, जैसे मटर, मूली, गाजर और ब्रोकली की फसल उगाएं। बतादें, कि ठंडे मौसम के उपरांत गर्म मौसम की पसंदीदा फसलें जैसे टमाटर, मिर्च, बैंगन लगाएँ। पतझड़ में आप आलू, पत्तागोभी एवं केले की फसल ले सकते हैं। बेल वाली फसलें लगाकर आप बगीचे में ऊधर्वाधर भूमि का उपयोग कर प्रति वर्ग फुट पैदावार बढ़ा सकते हैं।
सब्जियों की खेती के लिए धूप और पानी अत्यंत आवश्यक है
बतादें, कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप अपना बगीचा कहां लगाते हैं। आपके बगीचे को पानी एवं भरपूर धूप की दो बुनियादी जरूरतें पूरी करनी होंगी। अगर आपकी साइट को दिन में कम से कम 4 घंटे सीधी धूप मिलती है तो गाजर, मूली और चुकंदर जैसी जड़ वाली सब्जियां पैदा की जा सकती हैं। इससे अधिक धूप मिलने पर आप तुलसी, मेंहदी, टमाटर, खीरा और बीन्स जैसी धूप पसंद सब्जियां उगा सकते हैं।
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बीजों के अंकुरित होने अथवा रोपाई के पश्चात पहले कुछ सप्ताहों के दौरान आपको बार-बार पानी देने की जरूरत पड़ेगी। इसके माध्यम से नाजुक पौधों को मजबूत जड़ें एवं तने पैदा करने में सहायता मिल सके। एक बार जब आपके पौधे स्थापित हो जाएं, तो अच्छा होगा कि आप अपने बगीचे को प्रति दिन थोड़ा छिड़काव करने की जगह हर कुछ दिनों में एक लंबा पानी दें। उसके बाद पानी मिट्टी में गहराई तक चला जाएगा, जो जड़ों को गहराई तक बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता है।