मीडिया एजेंसियों के अनुसार, महाराष्ट्र में टमाटर का खुदरा भाव 30 रुपये से बढ़ कर 50 से 60 रुपये प्रति किलो हो चुका है। अंधेरी, नवी मुंबई, मंबुई एवं ठाणे समेत विभिन्न शहरों में रिटेल बाजार में टमाटर 50 से 60 रुपये प्रति किलो के हिसाब से विक्रय किए जा रहे हैं। साथ ही, एपीएमसी वाशी के निदेशक संजय पिंगले ने बताया है, कि टमाटर की आवक में गिरावट आने के चलते भाव में इजाफा हुआ है। कुछ महीने पहले मांग के मुकाबले टमाटर का उत्पादन काफी अधिक था। इस वजह से टमाटर का भाव धड़ाम से गिर गया था। तब खुदरा बाजार में टमाटर 20 से 30 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचे जा रहे थे। संजय पिंगले के अनुसार, जब टमाटर की आवक बढ़ेगी तब ही कीमतों में सुधार हो सकता है। हालांकि, अभी कुछ दिनों तक टमाटर की कीमत यथावत ही रहेगी।
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थोक व्यापारी इतने रुपए किलो टमाटर खरीद रहे हैं
वाशी के थोक व्यापारी मंगल गुप्ता ने बताया है, कि वर्षा और ओलावृष्टि की वजह से टमाटर की लगभग 50 प्रतिशत फसल चौपट हो चुकी है। इसकी वजह से अचानक बाजार में टमाटर की आवक में गिरावट आई है। नतीजतन भाव बढ़ने लगा। फिलहाल, थोक व्यापारी 16 से 22 रुपए किलो टमाटर खरीद रहे हैं। यही वजह है, जो इसका खुदरा भाव 60 रुपए किलो पर पहुँच गया है। मंगल गुप्ता के मुताबिक, मौसम अगर ठीक रहा तो कुछ ही हफ्तों के अंदर कीमत में गिरावट आ सकती है।
इन जगहों पर टमाटर की कीमतें हुई महंगी
साथ ही, पुणे के एक व्यवसायी ने बताया है, कि पहले रिटेल बाजार में टमाटर का भाव 10 से 20 रुपये प्रति किलो था। परंतु, दो माह के अंदर ही टमाटर कई गुना महंगा हो गया। बतादें, कि टमाटर की कीमतें राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली व महाराष्ट्र के साथ-साथ गाजियाबाद एवं नोएडा में भी बढ़ी हैं। जो टमाटर यहां पर एक सप्ताह पूर्व 15 से 20 रुपये प्रति किलो बिक रहा था। वर्तमान में उसकी कीमत 30 रुपये प्रति किलो पर पहुँच गई है।
लोगों ने सब्जी व दाल में जीरे का तड़का लगाना तक बंद कर दिया है
हालांकि, जीरे के अतिरिक्त अजवाइन एवं सौंफ की कीमतें भी बढ़ गई हैं। ऐसी स्थिति में लोग इनकी खरीदारी करने से पूर्व एक बार भाव जरूर पूछ रहे हैं। वहीं, महंगाई की वजह से कई लोगों ने सब्जी और दाल में जीरे का तड़का लगाना भी बंद कर दिया है। जानकारों ने बताया है, कि विगत मार्च माह में हुई बेमौसम बारिश के चलते राजस्थान और गुजरात में जीरे की फसल को हानि पहुंची था। अब ऐसी स्थिति में पैदावार प्रभावित होने से इसकी कीमतों में निरंतर वृद्धि हो रही है। इसके अतिरिक्त काजू और बादाम भी काफी महंगे हो गए हैं।
मसाले कितने महंगे हो गए हैं
बतादें, कि पहले जीरे की कीमत 500 से 600 रुपये किलो थी। जो अब बढ़कर 700 से 750 रुपये हो गया है। इसी प्रकार अजवाइन 250 से 300 रुपये किलो बिकता था। लेकिन, फिलहाल इसकी कीमत 400 रुपये तक पहुँच गई है। साथ ही, सौंफ भी 100 रुपये तक महंगा हो गया है। अब एक किलो सौंफ का भाव 360 रुपये किलो तक पहुँच गया है, जो कि पहले 250 रुपये था।
इस लेख में हम झारखंड के एक ऐसे किसान के विषय में चर्चा करेंगे, जिनकी तकदीर मशरूम की खेती से बदल चुकी है। वह अब मशरूम उत्पादन से महीने में हजारों रुपये की आमदनी कर रहे हैं। मशरूम की खेती करने वाले इस किसान का नाम देवाशीष कुमार है। वह पूर्वी सिंहभूम जनपद मौजूद जमशेदपुर के मूल निवासी हैं। उन्होंने डेढ़ कट्ठे भूमि पर मशरूम की खेती कर रखी है, जिससे उनको प्रति महीने 50 से 60 हजार रुपये की आमदनी हो रही है। मुख्य बात यह है, कि देवाशीष कुमार ने अपने इस व्यवसाय की शुरुआत केवल 1 हजार रुपये की धनराशि से की थी।
जैसा कि उपरोक्त में बताया गया है, कि देवाशीष कुमार एबीए पास हैं। बतादें, कि साल 2015 से पूर्व वह एचडीएफसी बैंक में नौकरी किया करते थे। इसी दौरान उनका बिहार राज्य के समस्तीपुर मौजूद राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय में जाना हुआ। जहां पर उनको मशरूम की खेती के विषय में जानकारी मिली है। इसके पश्चात उन्होंने मशरूम की खेती करने का प्रशिक्षण लिया। उसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी एवं घर आकर एक हजार रुपए की पूंजी लगाकर मशरुम की खेती चालू कर दी है। हालांकि, आरंभ में घर वालों ने उनके इस निर्णय का कड़ा विरोध किया, परंतु वह अपने काम में बिना रुके लगे रहे।
किसान देवाशीष मशरुम उत्पादन का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं
देवाशीष कुमार का गांव में काफी बड़ा घर है। वह घर के ही चार कमरों में मशरुम की खेती कर रहे हैं। उनको पहली बार में ही सफलता हाथ लग गई। मशरूम की पैदावार भी अच्छी हुई बाजार में भाव भी अच्छा मिल गया, जिससे उन्हें काफी मोटी आमदनी भी हुई। इसके उपरांत देवाशीष कुमार ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज उन्होंने अपनी खेती में 2 महिलाओं को स्थाई तौर पर रोजगार भी दे रखा है। खास बात यह है, कि देवाशीष मशरूम उत्पादन के साथ-साथ नए लोगों को मशरुम उत्पादन का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं।
देवाशीष इन किस्मों के मशरूम की खेती कर रहे हैं
देवाशीष ने बताया है, कि चारों कमरों का क्षेत्रफल तकरीबन डेढ़ कट्ठे जमीन के समतुल्य होता है। साथ ही, गर्मी के मौसम में कमरे का तापमान कम करने के लिए भूमि पर तीन इंच बालू को बिछा देते हैं। बाद में उसके ऊपर समय-समय पर पानी का छिड़काव करते रहते हैं। इससे कमरे का तापमान एक संतुलित मात्रा में रहता है। देवाशीष प्रमुख रुप से मिल्की मशरूम, ऑएस्टर, पैडी स्ट्रॉ एवं क्लाऊड मशरुम की खेती करते हैं। साथ ही, मशरुम पाउडर भी निर्मित करते हैं। वेंडर्स आकर उनसे सारा मशरुम खरीद लेते हैं। सर्दियों के दौरान चार के स्थान पर छह कमरों में मशरुम की खेती करते हैं।