पंजाब के गगनदीप ने बायोगैस प्लांट लगाकर मिसाल पेश की है, बायोगैस (Biogas) से पूरा गॉंव जला रहा मुफ्त में चूल्हा
पंजाब के गगनदीप सिंह ने भारत में नवाचार डेयरी किसान के टूर पर मिसाल कायम कर रहे हैं। गगनदीप का 150 गाय के डेयरी फार्म (Dairy farm) सहित बायोगैस प्लांट (Biogas Plant) भी है, जिसके जरिये वह अपने गांव की प्रत्येक आवश्यकता को पूर्ण कर रहे हैं, प्रतिदिन भारत से एक नवीन हुनर सामने आता दिख रहा है। सर्वाधिक नवाचार कृषि जगत में देखने को मिल रही है। एक इनोवेटिव आइडिया किसानों के साथ-साथ पूरे गांव के हालात परिवर्तित कर देते है।
वर्तमान दौर में हमारे मध्य ऐसे बहुत से किसान उपलब्ध हैं, जो खुद के इनोवेटिव आइडिया की वजह से स्वयं तो आत्मनिर्भर हुए ही हैं साथ ही अपने पूरे गांव एवं किसानों के प्रति सामाजिक दायित्व को निभाते हुए बेहतरीन कार्य कर रहे हैं। इसमें सबसे विशेष जो बात है वह ये कि गगनदीप का Innovation पर्यावरण सुरक्षित रखने में बेहद सहायक साबित हो रहा है।
इस लेख में हम आगे गगनदीप के सराहनीय Innovative Idea के बारे में और गगनदीप के बारे में जानेंगे जिसने गाँव की तकदीर ही बदल दी। बतादें कि गगनदीप सिंह के डेयरी फार्म में लगभग 150 गौवंश मौजूद है। इन गौवंशों से ना केवल दूध उत्पादन लिया जा रहा है, जबकि गाय के गोबर द्वारा उत्तम मुनाफा कमा रहा है। गगनदीप सिंह ने डेयरी फार्म के सहित एक बायोगैस संयंत्र स्थापित किया गया है, जिसमें गाय के गोबर के एकत्रित करके बायोगैस एवं जैविक खाद निर्मित की जा रही है।
बायोगैस प्लांट (Biogas Plant) द्वारा उत्पन्न गैस के माध्यम से आज पूरा गांव अपना चूल्हा चला रहा है। दूसरी तरफ अतिरिक्त बचे गोबर के अवशेष द्वारा जैविक खाद तैयार कर किसानों को उपलब्ध किया जा रहा है। गगनदीप द्वारा Innovative Idea का यह प्रभाव है, कि वर्तमान में गांव के किसी भी घर में रसोई गैस का सिंलेंडर नहीं है। गाँव के लोग बायोगैस प्लांट द्वारा उत्पन्न गैस से मुफ्त में भोजन बनाते हैं।
पूरा गाँव जला रहा मुफ्त में चूल्हा
गोबर को धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक सोना कहा जाता है। इसके द्वारा ना केवल मृदा की उर्वरक शक्ति बढ़ रही है, साथ ही पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी यह काफी सुरक्षित है। पंजाब राज्य के रूपनगर निवासी गगनदीप सिंह द्वारा इसी गोबर का उचित प्रयोग करके पूरे गांव को समृद्ध एवं सुखी बना दिया है। आपको जानकारी हेतु बतादें कि गगनदीप सिंह द्वारा स्वयं 150 गाय के डेयरी फार्म सहित 140 क्यूबिक मीटर का भूमिगत बायोगैस प्लांट (Biogas Plant) निर्मित किए हैं, जहां से एक पाइपलाइन को भी निकाल दिया गया है। इस पाइपलाइन द्वारा गांव के प्रत्येक व्यक्ति को बायोगैस का कनेक्शन दे दिया गया है। वर्तमान में इस पाइपलाइन कनेक्शन के माध्यम से प्रत्येक रसोई को 6 से 7 घंटे प्रतिदिन खाना निर्मित करने हेतु बायोगैस उपलब्ध करायी जाती है।
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इस गैस को पूर्णतयः निःशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है, इससे गांव के प्रत्येक घर में सिलेंडर का 800 से 1000 रुपये का व्यय खत्म हो गया है। कोरोना महामारी के मध्य, जब भारत में रसोई गैस की आपूर्ति हेतु काफी दिक्कत हो रही थी, उस समय गगनदीप के गांव का प्रत्येक चूल्हा बिना किसी दिक्कत के प्रज्वलित हो रहा था।
किसानों को भी हो रहा है फायदा
जानकारी हेतु बतादें, कि गगनदीप सिंह द्वारा स्वयं के डेयरी फार्म के नीचे भूमिगत नालियां स्थापित की हैं, जिनके माध्यम से गाय के गोबर तथा गौमूत्र को पानी सहित बायोगैस प्लांट में पहुँचाया जाता है। बायोगैस प्लांट में स्वचालित तरीके से कार्य होता रहता है। प्लांट के ऊपरी स्तर से निकलने वाली गैस को रसोईयों में भेजा जाता है। शेष बचा हुआ गोबर एवं अवशेष (स्लरी) गड्ढों में जमा हो जाता है।
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यह स्लरी किसानों के लिए बेची जाती है, इससे किसान जैविक खाद निर्मित कर खेती में उपयोग करते हैं। पहले किसानों द्वारा रासायनिक उर्वरकों हेतु जो व्यय किया जाता था, इस खाद की वजह से उस समस्त खर्च की बचाया जा रहा है। इसकी वजह से किसान पर्यावरण के संरक्षण के लिए जैविक खेती की तरफ अग्रसर होने की प्रेरणा मिली है।
बायोगैस प्लांट स्थापित करने के लिए सरकार दे रही अनुदान
वर्तमान भारत में 53 करोड़ से अधिक पशुधन हैं, जिनसे प्रतिदिन 1 करोड़ टन गोबर मिलती है। अगर किसान एवं पशुपालक इसी गोबर का समुचित उपयोग किया जाए तो अपनी आमदनी को कई गुना बढ़ाया जा सकता है। आपको बतादें कि गोबर की शक्ति का सबसे ज्यादा फायदा यह है, कि वर्तमान में सरकार भी बड़े बायोगैस प्लांट स्थापित करने हेतु सब्सिडी प्रदान करती है। ऐसे गोबर गैस प्लांट में 55 से 75 प्रतिशत मीथेन का उत्सर्जन विघमान होता है, जिसका उपयोग भोजन निर्मित करने से लेके गाड़ी चलाने हेतु भी किया जाता है।