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पुदीना

किसानों को मुनाफा दिलाने वाली पुदीने की खेती की सम्पूर्ण जानकारी

किसानों को मुनाफा दिलाने वाली पुदीने की खेती की सम्पूर्ण जानकारी

पुदीना का वानस्पतिक नाम मेंथा है , इसे जड़ी बूटी वाला पौधा भी कहा जाता है। पुदीना के पौधे को स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है। पुदीना के अंदर विटामिन ए और सी के अलावा खनिज जैसे पोषक तत्व भी पाए जाते है। गर्मियों के समय में पुदीने की अच्छी माँग रहती है , इसीलिए इसकी खेती कर किसान अच्छा मुनाफा भी कमा सकते है। 

पुदीने के पौधे की पत्तियां लगभग 2-2.5 अंगुल लम्बी और 1.5 से 2 अंगुल चौड़ी रहती है। इस पौधे में से सुगन्धित खुशबू आती रहती है , गर्मियों में इसका प्रयोग बहुत सी चीजों में किया जाता है। पुदीना एक बारहमासी पौधा है। 

कैसे करें पुदीने के खेत की तैयारी 

पुदीने की खेती के लिए अच्छे जल निकासी वाली भूमि की आवश्यकता रहती है। पुदीने की बुवाई से पहले खेत की अच्छे से जुताई कर ले, उसके बाद भूमि को समतल कर ले। दुबारा जुताई करते वक्त खेत में गोबर की खाद का भी प्रयोग कर सकते है। इसके साथ पुदीने की अधिक उपज के लिए खेत में नाइट्रोजन , पोटाश और फोस्फोरस का भी उपयोग किया जा सकता है। पुदीने की खेती के लिए भूमि का पी एच मान 6 -7 के बीच होना चाहिए। 

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पुदीने के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी

वैसे तो पुदीने को बसंत ऋतू में लगाया जाना बेहतर माना जाता है। लेकिन यह एक बारहमासी पौधा है ज्यादा सर्दी के मौसम को छोड़कर इसकी खेती सभी मौसम में की जा सकती है। इसकी पैदावार के लिए उष्ण जलवायु को बेहतर माना जाता है। पुदीने की खेती के लिए ज्यादा उपजाऊ मिट्टी की आवश्यकता रहती है। पुदीना की खेती जल जमाव वाले क्षेत्र में भी की जा सकती है, इसकी खेती के लिए नमी की आवश्यकता रहती है।  

पुदीने की उन्नत किस्में

पुदीने की कुछ किस्में इस प्रकार है , कोसी , कुशाल , सक्ष्म, गौमती (एच वाई 77 ) ,शिवालिक , हिमालय , संकर 77 , एमएएस-1 यह सब पुदीने की उन्नत किस्में है। इन किस्मों का उत्पादन कर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकता है। 

पुदीने की खेती की विधि क्या है 

पुदीने की खेती धान की खेती के जैसे की जाती है। इसमें पहले पुदीने को खेत की एक क्यारी में अच्छे से बो लिया जाता है। जब इसकी जड़े निकल आती है ,तो पुदीने को पहले से तैयार खेत में लगा दिया जाता है। पुदीने की खेती के लिए किसानो को उचित किस्मों का चयन करना चाहिए ,ताकि किसान ज्यादा मुनाफा कमा सके। 

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सिंचाई प्रबंधन

पुदीने के खेत में लगभग 8 -9 बार सिंचाई का कार्य किया जाता है। पुदीने की सिंचाई ज्यादातर मिट्टी की किस्म और जलवायु पर आधारित रहती है। अगर मॉनसून के बाद अच्छी बारिश हो जाती है , तो उसमे सिंचाई का काम कम हो जाता है। मानसून के जाने के बाद पुदीने की फसल में लगभग तीन बार पानी और दिया जाता है।  इसके साथ ही सर्दियों में पुदीने की फसल को ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं रहती है, किसानों द्वारा जरुरत के हिसाब से पानी दिया जाता है।

खरपतवार नियंत्रण 

पुदीने की फसल को खरपतवार से बचाने के लिए किसानों द्वारा समय समय पर गुड़ाई और नराई का काम किया जाना चाहिए। इसके साथ ही किसानों द्वारा कीटनाशक दवाइयों का भी उपयोग किया जा सकता है। खरपतवार नियंत्रण के लिए किसान को एक ही फसल का उत्पादन नहीं करना चाहिए , उसे फसल चक्र अपनाना चाहिए। फसल चक्र अपनाने से खेत में खरपतवार जैसी समस्याएं कम होती है और फसल का उत्पादन भी अधिक होता है। 

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फसल की कटाई 

पुदीने की फसल लगभग 100 -120 में पककर तैयार हो जाती है। पुदीने की फसल की कटाई किसानो द्वारा हाथ से की जाती है। पुदीने के जब निचले भाग के पत्ते पीले पड़ने लग जाये तो  इसकी कटाई प्रारंभ कर दी जाती है। कटाई के बाद पुदीने के पत्तों का उपयोग बहुत से कामो में किया जाता है। पुदीने को लम्बे समय के लिए भी स्टोर किया जा सकता है। साथ ही इसके हरे पत्तों का उपयोग खाना बनाने के लिए भी किया जाता है। 

पुदीने का इस्तेमाल आमतौर पर बहुत सी चीजों में किया जाता है, जैसे : चटनी बनाने , छाछ में डालने के लिए और भी बहुत सी चीजों में इसका उपयोग किया जाता है। पुदीने की दो बार कटाई की जाती है पहली 100 -120 दिन बाद और दूसरी कटाई 80 दिन बाद। साथ ही पुदीना बहुत से औषिधीय गुणों से भरपूर है। पुदीने का ज्यादातर उत्पादन पंजाब , हरियाणा और उत्तर प्रदेश राज्य में किया जाता है। साथ ही पुदीना शरीर के अंदर इम्मुनिटी को बढ़ाता है। 

पुदीने की खेती - Mint Planting & Harvesting in Hindi

पुदीने की खेती - Mint Planting & Harvesting in Hindi

दोस्तों आज हम बात करेंगे, पुदीना के विषय में, पुदीना जिसके बिना खाने का स्वाद अधूरा है और पुदीना जिस की मौजूदगी से खाने का स्वाद और खुशबू, दोनों में तरो ताजगी और खुशबू  पड़ जाती है, वो पुदीना कहलाता है। पुदीने को इंग्लिश में मिट भी कहते हैं। पुदीने को किस प्रकार से रोपण किया जाता है और पुदीने की कटाई किसान किस प्रकार करते हैं, इस पुदीने की खेती के विषय की पूर्ण  जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे इस पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहे।

पुदीना

पुदीना एक जड़ी बूटी के रूप में जाना जाता है,  पुदीना को वैज्ञानिक दृष्टि में मेंथा के नाम से भी जाना जाता है। पुदीना विभिन्न विभिन्न प्रकार के व्यंजनों के स्वाद को बढ़ाता है उन्हें खुशबूदार और स्वादिष्ट बनाता है। पुदीने का उपयोग विभिन्न विभिन्न प्रकार से किया जाता है जैसे: माउथ फ्रेशनर के रूप में, टूथपेस्ट के स्वाद को बढ़ाने के लिए, फ्लेवरिंग, खाने, सलाद इत्यादि में पुदीने का इस्तेमाल किया जाता है। पुदीना न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाता है, बल्कि पुदीना औषधि रूप में सेहत को भी संवारता है 

पुदीने के प्रकार

भारत देश में सबसे ज्यादा पुदीना उगाए जाने वाली चार प्रकार की फसलें है जो इस प्रकार है : जापानी टकसाल/मेन्थॉल टकसाल और पुदीना । पुदीना, बर्गमोट टकसाल हैं, सबसे ज्यादा आय का साधन बनाए रखती है वह जापानी टकसाल/मेन्थॉल टकसाल पुदीने की फसल है। 

पुदीने की खेती

पुदीने की खेती के लिए उत्तम जलवायु का होना बहुत ही ज्यादा आवश्यक होता है और पुदीने की खेती के लिए सबसे ज्यादा उपयोगी जलवायु समशीतोष्ण और उष्ण एवं उपोषण जलवायु होती है। पुदीने की खेती किसान साल भर आराम से कर सकते हैं। पुदीने की खेती उगाने के लिए अच्छी गहरी उपजाऊ मिट्टी की बहुत आवश्यकता होती है। भूमि की जल धारण की क्षमता अच्छी होनी चाहिए। ताकि उस में फसल अच्छे से उगाए जा सके हैं तथा पुदीने की फसल को आप जमाव वाली मिट्टी में भी बुवाई कर सकते हैं। 

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पुदीने की खेती के लिए मिट्टी का चयन:

पुदीने की खेती के लिए आप अलग - अलग तरह की मिट्टी का इस्तेमाल कर सकते हैं ,परंतु सबसे अच्छी मिट्टी दोमट मिट्टी, रेतीली दोमट मिट्टी, तथा कार्बनिक पदार्थों से परिपूर्ण गहरी मिट्टी इसकी खेती करने के लिए बहुत ही उचित होती है। पुदीने की अच्छी फसल के लिए मिट्टियों का सूखा और ढीला होना आवश्यक होता है। तथा पुदीने की फसल को अच्छा रखने के लिए पानी ठहराव से बचे। फ़सल की अच्छी तरह से जांच करते रहना चाहिए, ताकि पानी बिल्कुल भी न ठहरे, लाल और काली दोनों ही मिट्टियों में पुदीने की फसल की खेती कर सकते हैं। 

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पुदीने के लिए खेत की तैयारी

पुदीने की खेती के लिए भूमि की अच्छी तैयारी करने की बहुत ही आवश्यकता होती है। सर्वप्रथम पुदीने की खेती के लिए पहली गहरी जुताई की आवश्यकता होती है, तथा जुताइयां हैरो से करना खेत के लिए उपयोगी होता है। आखिरी जुताई  के लिए करीबन 20 से 25 टन प्रति हेक्टेयर के रूप से उच्च कोटि की सड़ी हुई गोबर की खाद को खेत में  मिलाना अनिवार्य होता है तथा पाटा लगाकर खेत को पूरी तरह से समतल करना उपयोगी होता है। 

पुदीने की खेती में रोपण

किसान पुदीने की खेती रोपण करने का समय मानसून का चुनते हैं, इस मौसम के शुरू में ही उत्तरी भारत में जापानी पुदीने की बुवाई करना शुरू कर देते हैं फरवरी के शुरुआती सप्ताह के बीच में तथा मार्च के दूसरे सप्ताह तक बुवाई करना उपयोगी होता है। 

पुदीने की खेती रोपण विधि जानिए

पुदीने की खेती करने से पहले कसक को लगभग 10 से 14 सेंटीमीटर लंबाई के बीच पुदीना रोपण के लिए काट लें । प्रति हेक्टेयर भूमि को कम से कम 450 से 500 किलोमीटर की दूरी पर कसक की जरूरत पड़ती है। पुदीने की खेती के लिए गहराई लगभग 2 से 3 सेंटी मीटर गहरी होनी चाहिए, पुदीना रोपण करने के लिए जड़ वाला भाग खेत में रोपण करना चाहिए इस प्रकार पुदीने की बुवाई करनी चाहिए। 

पुदीने की खेती में सिंचाई की आवश्यकता

पुदीने की खेती के लिए अच्छी सिंचाई की आवश्यकता होती हैं, और फसल में नमी की अच्छी मात्रा होना आवश्यक होता है। पुदीने की सिंचाई लगभग 10 से 12 दिन के अंतराल पर करनी चाहिए वो भी ग्रीष्म ऋतु काल के दौरान, यदि मौसम पतझड़ का हो तो इसकी पांच से छह सिंचाई  करना आवश्यक होता है। सिंचाई के साथ ही साथ बरसात के मौसम में पानी के ठहराव से बचे तथा जल निकास का मार्ग भी बनाएं, ताकि खेतों को आवश्यकतानुसार सिंचाई की प्राप्ति हो। 

पुदीने के पौधों की कटाई

पुदीने की फसल किसानों के लिए बहुत ही लाभदायक फसलों में से एक है ,क्योंकि पुदीने की खेती में साल में दो से तीन बार इनकी कटाई कर सकते हैं और इस आधार पर किसान अच्छे आय निर्यात का साधन भी बनाए रखते हैं। किसान पुदीने की खेती की कटाई बरसात के शुरुआती मौसमों में मई और जून के महीने में करते हैं। वही पुदीने की दूसरी फसल की कटाई सितंबर और अक्टूबर तथा मानसून के बाद करते हैं। सबसे आखिरी और तीसरी कटाई किसान पुदीने की फसल की नवंबर और दिसंबर के महीने में करते। 

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पुदीना के पौधे की देखभाल

पुदीने के पौधों के लिए धूप बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण होती है, लेकिन अत्यधिक धूप मिलने से पौधे खराब भी हो सकते है। इसीलिए निश्चित रूप से पौधों को दिन में तेज धूप से बजाएं। तेज धूप से पौधे खराब ना हो इसके लिए विभिन्न प्रकार से छाया की व्यवस्था करनी चाहिए। नियमित रूप से धूप प्राप्ति के बाद पौधों को धूप के हानिकारक प्रभाव से बचाने के लिए छाया का इस्तेमाल करें। 

पुदीने के पौधे में लगने वाले रोग

कृषि विशेषज्ञों द्वारा प्राप्त जानकारियों के अनुसार ज्यादा नमी के कारण पुदीने की फसल खराब भी हो सकती है तथा पुदीने में विभिन्न प्रकार के कीट रोग भी लग सकते हैं जैसे: सुंडी जालीदार कीट तथा रोएंदार सुंडी इत्यादि। सबसे ज्यादा नुकसान फसल को रोएंदार सुंडी द्वारा होता है। क्योंकि यह हरे पुदीने की पत्तियों को खाकर उन्हें पूरी तरह से जालीदार कागज की तरह बनाकर, उन्हें हानि पहुंचाते हैं इस प्रकार इन रोएंदार सुंडी द्वारा फसल को भारी नुकसान होता है। दोस्तों हम उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह आर्टिकल मिंट या पुदीना का रोपण, कटाई पसंद आया होगा और आप इस आर्टिकल के द्वारा सभी प्रकार की जानकारियां जो पुदीने के पौधों से जुड़ी हुई है हमारे इस आर्टिकल के जरिए प्राप्त कर सकते हैं। हमारी दी हुई जानकारियों को ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों और सोशल मीडिया पर शेयर करें। धन्यवाद।