Ad

बटेर

एकीकृत कृषि प्रणाली से खेत को बना दिया टूरिज्म पॉइंट

एकीकृत कृषि प्रणाली से खेत को बना दिया टूरिज्म पॉइंट

इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम मॉडल (Integrated Farming System Model) यानी एकीकृत या समेकित कृषि प्रणाली मॉडल (ekeekrt ya samekit krshi pranaalee Model) को बिहार के एक नर्सरी एवं फार्म में नई दशा-दिशा मिली है। पटना के नौबतपुर के पास कराई गांव में पेशे से सिविल इंजीनियर किसान ने इंटीग्रेटेड फार्मिंग (INTEGRATED FARMING) को विलेज टूरिज्म (Village Tourism) में तब्दील कर लोगों का ध्यान खींचा है। कराई ग्रामीण पर्यटन प्राकृतिक पार्क नौबतपुर पटना बिहार (Karai Gramin Paryatan Prakritik Park, Naubatpur, Patna, Bihar) महज दो साल में क्षेत्र की खास पहचान बन चुका है।

लीज पर ली गई कुल 7 एकड़ भूमि पर खान-पान, मनोरंजन से लेकर इंटीग्रेटेड फार्मिंग के बारे में जानकारी जुटाकर प्रेरणा लेने के लिए काफी कुछ मौजूद है। एकीकृत कृषि प्रणाली से खेती किसानी को ग्रामीण पर्यटन (Village Tourism) का केंद्र बनाने के लिए सिविल इंजीनियर दीपक कुमार ने क्या कुछ जतन किए, इसके बारे में जानने से पहले यह समझना जरूरी है कि आखिर इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम (Integrated Farming System) यानी एकीकृत या समेकित कृषि प्रणाली (ekeekrt ya samekit krshi pranaalee) क्या है।

एकीकृत या समेकित कृषि प्रणाली (Integrated Farming System)

एकीकृत कृषि प्रणाली किसानी की वह पद्धति है जिसमे, कृषि के विभिन्न घटकों जैसे फसल पैदावार, पशु पालन, फल एवं साग-सब्जी पैदावार, मधुमक्खी पालन, कृषि वानिकी, मत्स्य पालन आदि तरीकों को एक दूसरे के पूरक बतौर समन्वित तरीके से उपयोग में लाया जाता है। इस पद्धति की खेती, प्रकृति के उसी चक्र की तरह कार्य करती है, जिस तरह प्रकृति के ये घटक एक दूसरे के पूरक होते हैं। 

इसमें घटकों को समेकित कर संसाधनों की क्षमता, उत्पादकता एवं लाभ प्रदान करने की क्षमता में वृद्धि स्वतः हो जाती है। इस प्रणाली की सबसे खास बात यह है कि इसमें भूमि, स्वास्थ्य के साथ ही पर्यावरण का संतुलन भी सुरक्षित रहता है। हम बात कर रहे थे, बिहार में पटना जिले के नौबतपुर के नजदीकी गांव कराई की। यहां बिहार स्टेट हाउसिंग बोर्ड में कार्यरत सिविल इंजीनियर दीपक कुमार ने समेकित कृषि प्रणाली को विलेज टूरिज्म का रूप देकर कृषि आय के अतिरिक्त विकल्प का जरिया तलाशा है।

ये भी पढ़ें: केमिस्ट्री करने वाला किसान इंटीग्रेटेड फार्मिंग से खेत में पैदा कर रहा मोती, कमाई में कई गुना वृद्धि!

सफलता की कहानी अब तक

जैसा कि हमने बताया कि, इंटीग्रेटेड फार्मिंग में खेती के घटकों को एक दूसरे के पूरक के रूप मेें उपयोग किया जाता है, इसी तर्ज पर इंजीनियर दीपक कुमार ने सफलता की इबारत दर्ज की है। उन्होंने अपनी पुश्तैनी जमीन बेचकर, पिछले साल 2 जून 2021 को 7 एकड़ लीज पर ली गई जमीन पर अपने सपनों की बुनियाद खड़ी की थी। बचपन से कृषि कार्य में रुचि रखने वाले दीपक कुमार इस भूमि पर समेकित कृषि के लिए अब तक 30 लाख रुपए खर्च कर चुके हैं। इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम के उदाहरण के लिए उनका फार्म अब इलाके के साथ ही, देश के अन्य किसान मित्रों के लिए आदर्श मॉडल बनकर उभर रहा है। उनके फार्म में कृषि संबंधी सभी तरह की फार्मिंग का लक्ष्य रखा गया है। 

इस मॉडल कृषि फार्म में बकरी, मुर्गा-मुर्गी, कड़कनाथ, मछली, बत्तख, श्वान, विलायती चूहों, विदेशी नस्ल के पिग, जापानी एवं सफेद बटेर संग सारस का लालन-पालन हो रहा है। मुख्य फसलों के लिए भी यहां स्थान सुरक्षित है। आपको बता दें प्रगतिशील कृषक दीपक कुमार ने इंटीग्रेटेड फार्मिंग के इन घटकों के जरिए ही विलेज टूरिज्म का विस्तार कर कृषि आमदनी का अतिरिक्त जरिया तलाशा है। मछली एवं सारस के पालन के लिए बनाए गए तालाब के पानी में टूरिस्ट या विजिटर्स नौकायन का लुत्फ ले सकते हैं।

ये भी पढ़ें:  बकरी बैंक योजना ग्रामीण महिलाओं के लिये वरदान

इसके अलावा यहां तैयार रेस्टॉरेंट में वे अपनी पसंद की प्रजाति के मुर्गा-मुर्गी और मछली के स्वाद का भी लुत्फ ले सकते हैं। इस फार्म के रेस्टॉरेंट में कड़कनाथ मुर्गे की चाहत विजिटर्स पूरी कर सकते हैं। इलाके के लोगों के लिए यह फार्म जन्मदिन जैसे छोटे- मोटे पारिवारिक कार्यक्रमों के साथ ही छुट्टी के दिन सैरगाह का बेहतरीन विकल्प बन गया है।

अगले साल से होगा मुनाफा

दीपक कुमार ने मेरीखेती से चर्चा के दौरान बताया, कि फिलहाल फार्म से होने वाली आय उसके रखरखाव में ही खर्च हो जाती है। इससे सतत लाभ हासिल करने के लिए उन्हें अभी और एक साल तक कड़ी मेहनत करनी होगी। नौकरी के कारण कम समय दे पाने की विवशता जताते हुए उन्होंने बताया कि पर्याप्त ध्यान न दिए जाने के कारण लाभ हासिल करने में देरी हुई, क्योंकि वे उतना ध्यान फार्म प्रबंधन पर नहीं दे पाते जितने की उसके लिए अनिवार्य दरकार है।

हालांकि वे गर्व से बताते हैं कि उनकी पत्नी उनके इस सपने को साकार करने में हर कदम पर साथ दे रही हैं। उन्होंने अन्य कृषकों को सलाह देते हुए कहा कि जितना उन्होंने निवेश किया है, उतने मेंं दूसरे किसान लगन से मेहनत कर एकीकृत किसानी के प्रत्येक घटक से लाखों रुपए की कमाई प्राप्त कर सकते हैं।

इनका सहयोग

उन्होंने बताया कि वेटनरी कॉलेज पटना के वीसी एवं डॉक्टर पंकज से उनको समेकित कृषि के बारे में समय-समय पर बेशकीमती सलाह प्राप्त हुई, जिससे उनके लिए मंजिल आसान होती गई। वे बताते हैं कि इस प्रोजेक्ट पर उन्होंने किसी और से किसी तरह की आर्थिक मदद नहीं जुटाई है एवं अपने स्तर पर ही आवश्यक धन राशि का प्रबंध किया।

युवाओं को जोड़ने की इच्छा

समेकित कृषि को अपनाने का कारण वे बेरोजगारी का समाधान मानते हैं। उनका मानना है कि ऐसे प्रोजेक्ट्स के कारण इलाके के बेरोजगारों को आमदनी का जरिया भी प्राप्त हो सकेगा।

ये भी पढ़ें: आप खेती में स्टार्टअप शुरू करना चाहते है, तो सरकार आपकी करेगी मदद

नए प्रयोग

आधार स्थापना के साथ ही अब दीपक कुमार के कृषि फार्म पर गोबर गैस प्लांट ने काम करना शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया कि उनके फार्म पर गाय, बकरी, भैंस, सभी पशुओं के प्रिय आहार, सौ फीसदी से भी अधिक प्रोटीन से भरपूर अजोला की भी खेती की जा रही है। इस चारा आहार से पशु की क्षमता में वृद्धि होती है।

ये भी पढ़ें: भैंस पालन से भी किसान कमा सकते हैं बड़ा मुनाफा

आपको बता दें अजोला घास जिसे मच्छर फर्न (Mosquito ferns) भी कहा जाता है, जल की सतह पर तैरने वाला फर्न है। अजोला अथवा एजोला (Azolla) छोटे-छोटे समूह में गठित हरे रंग के गुच्छों में जल में पनपता है। जैव उर्वरक के अलावा यह कुक्कुट, मछली और पशुओं का पसंदीदा चारा भी है। इसके अलावा समेकित कृषि प्रणाली आधारित कृषि फार्म में हाइड्रोपोनिक्स (Hydroponics) तकनीक द्वारा निर्मित हरा चारा तैयार किया जा रहा है। 

इसमेें गेहूं, मक्का का चारा तैयार होता है। आठ से दस दिन की इस प्रक्रिया के उपरांत चारा तैयार हो जाता है। अनुकूल परिस्थितियों में हाइड्रोपोनिक्स चारे में 9 दिन में 25 से 30 सेंटीमीटर तक वृद्धि दर्ज हो जाती है। इस स्पेशल कैटल डाइट में प्रोटीन और पाचन योग्य ऊर्जा का प्रचुर भंडार मौजूद है। उनके अनुभव से वे बताते हैं कि इस प्रक्रिया में लगने वाला एक किलो गेहूं या मक्का तैयार होने के बाद दस किलो के बराबर हो जाता है। अल्प लागत में प्रोटीन से भरपूर तैयार यह चारा फार्म में पल रहे प्रत्येक जीव के जीवन चक्र में प्राकृतिक रूप से कारगर भूमिका निभाता है।

ये भी पढ़ें:हरा चारा गौ के लिए ( Green Fodder for Cow)

हाइड्रोपोनिक्स (Hydroponics) अर्थात जल संवर्धन विधि से हरा चारा तैयार करने में मिट्टी की जरूरत नहीं होती। इसे केवल पानी की मदद से अनाज उगाकर निर्मित किया जा सकता है। इस विधि से निर्मित चारे को ही हाइड्रोपोनिक्स चारा कहते हैं। यदि आप भी इस फार्म के आसपास से यदि गुजर रहे हों तो यहां समेकित कृषि प्रणाली में पलने बढ़ने वाले जीवों और उनके जीवन चक्र को समझ सकते हैं। 

अन्य कृषि मित्र इस तरह की खेती से अपने दीर्घकालिक लाभ का प्रबंध कर सकते हैं। (फार्म संचालक दीपक कुमार द्वारा दूरभाष संपर्क पर दी गई जानकारी पर आधारित, आप इस फार्म के बारे में फेसबुक लिंक पर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।) 

संपर्क नंबर - 8797538129, दीपक कुमार 

फेसबुक लिंक- https://m.facebook.com/Karai-Gramin-Paryatan-Prakritik-Park-Naubatpur-Patna-Bihar-100700769021186/videos/1087392402043515/

यूट्यूब लिंक-https://youtube.com/channel/UCfpLYOf4A0VHhH406C4gJ0A

केरल के मुर्गी पालकों की बढ़ी समस्याएं, कहर बरपा रहा है बर्ड फ्लू (Bird Flu)

केरल के मुर्गी पालकों की बढ़ी समस्याएं, कहर बरपा रहा है बर्ड फ्लू (Bird Flu)

हर बार थोड़े-थोड़े समय में हमें बर्ड फ्लू की खबर सुनने को मिल जाती है। बर्ड फ्लू एक संक्रामक बीमारी है, जो पक्षियों को प्रभावित करती है। जबकि मनुष्य आमतौर पर इस वायरस के संपर्क में नहीं आते हैं। बर्ड फ्लू (Bird Flu) या एवियन इन्फ्लुएंजा टाइप ए वायरस के संक्रमण के कारण होने वाली स्थिति है। जो आमतौर पर जंगली जलीय पक्षियों में देखी जाती है। यह घरेलू पोल्ट्री, अन्य पक्षियों और जानवरों को भी संक्रमित कर सकता है। हाल ही में केरल राज्य में बर्ड फ्लू (Bird Flu) की खबर आ रही है और रिपोर्ट की मानें तो यहां पर लगभग 3000 से ज्यादा पक्षियों की मौत हो चुकी है। बर्ड फ्लू ज्यादातर बतख और मुर्गियों को प्रभावित करता है। जिससे पोल्ट्री फार्म (Poultry Farm) में एक साथ सैकड़ों की संख्या में मुर्गियों और बत्तखों सहित अन्य पक्षियों की मौत हो जाती है। जब भी बर्ड फ्लू फैलता है, यह मुर्गी पालन का व्यवसाय करने वाले लोगों के लिए बेहद परेशानी का कारण बन जाता है। साथ ही, उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसा ही कुछ आलम आजकल केरल के मुर्गी पालकों का है। यहां भारी मात्रा में मुर्गियों की बर्ड फ्लू से मौत हो रही है। जानकारी के मुताबिक, केरल के तिरुवनंतपुरम जिला स्थित पेरुंगुझी में एक फार्म में एवियन फ्लू से 200 बत्तखों की मौत हो गई है। इसके बाद राज्य सरकार ने एहतियाती कदम उठाते हुए एडवाइजरी जारी की है। वहीं, बर्ड फ्लू के फैलाव को रोकने के लिए पशुपालन विभाग ने तिरुवनंतपुरम में कई स्थानों पर पक्षियों को मारना शुरू किया। वार्ड सदस्यों की मदद से पेरुंगुझी जंक्शन वार्ड के एक किलोमीटर के दायरे में 3000 तक पक्षियों को मार गया है।

डॉक्टर को तुरंत सूचना दें

अगर रिपोर्ट की मानें तो जिन पक्षियों को बर्ड फ्लू हुआ है उनके अंडे, मांस, चारा और गोबर का भी निस्तारण किया जा रहा है। खास बात यह है, कि सरकार ने विभाग के निगरानी क्षेत्र की घोषणा में किझुविलम, कडक्कवूर, कीझाटिंगल, चिरायिंकीझू, मंगलापुरम, अंदूरकोणम और पोथेनकोड पंचायत को शामिल किया है। इसके अलावा इस माहौल में स्वास्थ्य विभाग भी सतर्क हो गया है। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से आदेश जारी किया गया है, कि अगर किसी भी व्यक्ति को बुखार आ रहा है और सांस लेने में दिक्कत हो रही है, तो वह इसकी सूचना तुरंत डॉक्टर को दें।

बर्ड फ्लू से संक्रमित पक्षियों को संभालते हुए कैसे रखें अपना ख्याल

मुर्गियां, बत्तख, गीज़, बटेर, टर्की और अन्य पालतू पक्षियों को राज्य में बर्ड फ़्लू होने की सूचना मिली है। हालांकि, राज्य को अभी तक लोगों में एवियन फ्लू के संक्रमण की कोई रिपोर्ट नहीं मिली है। केरल के स्वास्थ्य विभाग ने उन सभी व्यक्तियों को सतर्क रहने की सलाह दी है, जो मुर्गी पालन में लगे हैं या फिर किसी भी तरह से बर्ड फ्लू होने वाले पक्षियों के संपर्क में आए हैं। डॉक्टर कुछ शुरुआती इलाज करने के बाद इसके निवारण के लिए दवाइयां दे देते हैं। साथ ही, स्वास्थ्य विभाग द्वारा एडवाइजरी जारी की गई है। सभी लोगों को आदेश दिए गए हैं, कि जब भी वह बर्ड फ्लू से संक्रमित होने वाले किसी भी पक्षी को संभाल रहे हैं तो दस्ताने और मास्क पहनना ना भूलें।


ये भी पढ़ें:
भेड़, बकरी, सुअर और मुर्गी पालन के लिए मिलेगी 50% सब्सिडी, जानिए पूरी जानकारी
साथ ही, बार बार साबुन से हाथ धोने की सलाह भी दी गई है। शरीर में गंभीर दर्द, बुखार, खांसी, सांस लेने में कठिनाई, सर्दी और कफ में खून आने जैसी शिकायत आने पर तुरंत चिकित्सकीय सलाह लेने की बात कही गई है। हालांकि बर्ड फ्लू मनुष्य को ज्यादा प्रभावित नहीं करता है। लेकिन फिर भी कुछ मामले देखे गए हैं, जिसमें यह बीमारी लोगों को हो सकती है। अगर इसका सही समय पर इलाज न किया जाए तो यह खतरनाक साबित हो सकती है।