Ad

फसलों पर कीटनाशकों का प्रयोग करते समय बरतें सावधानी, हो सकता है भारी नुकसान

Published on: 25-May-2023

फसलों पर कीटों का हमला होना आम बात है। इसलिए लोग पिछली कई शताब्दियों से कीटों से छुटकारा पाने के लिए फसलों पर कीटनाशकों का प्रयोग करते आ रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों से देखा गया है कि किसानों ने रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग बढ़ा दिया है। साथ ही जैविक कीटनाशकों का प्रयोग तेजी से कम हुआ है। बाजार में उपलब्ध सभी कीटनाशकों को प्रमाणिकताओं के आधार पर बाजार में बेंचा जा रहा है, इसके बावजूद रासायनिक कीटनाशकों के प्रयोग से फसलों को नुकसान होता है और किसान इससे बुरी तरह से प्रभावित होते हैं।

फसलों पर कीटनाशकों का प्रयोग

इन दिनों बाजार में विभिन्न तरह के कीटनाशक उपलब्ध हैं। लेकिन इनको खरीदने के पहले किसान को पूरी जानकारी होना आवश्यक कि वो किस कीटनाशक को खरीद रहे हैं और वह रोग को खत्म करने में सहायक होगा या नहीं। वैसे आजकल बाजार में ऐसे कीटनाशी भी आ रहे हैं जिनका प्रयोग अलग-अलग फसल के लिए भी कर सकते हैं। इससे फसल को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होगा। सरकार ने कुछ कीटनाशकों को कुछ फसलों के लिए निर्धारित किया है। इन चुनी गई फसलों में विशेष कीटनाशक ही डाले जा सकते हैं।

ये भी पढ़ें:
इस राज्य में किसान कीटनाशक और उर्वरक की जगह देशी दारू का छिड़काव कर रहे हैं
 

कई बार देखा गया कि कीटनाशकों के कारण फसलें नकारात्मक रूप से प्रभावित होती हैं। इसलिए सरकार ने कुछ कीटनाशकों को बाजार में बेंचने से प्रतिबंधित कर दिया है। इनमें मालाथयॉन कीटनाशक प्रमुख है। इसका उपयोग ज्वार, मटर, सोयाबीन, अरंडी, सूरजमुखी, भिंडी, बैगन, फूलगोभी, मूली की खेती में किया जाता था। इसके अलावा क्युनलफोस और मैनकोजेब को प्रबंधित किया जा चुका है। इन दोनों कीटनाशकों का उपयोग जूट, इलायची, ज्वार, अमरुद और ज्वार की फसल में किया जाता था। 

सरकार ने फसलों के ऊपर खतरे को देखते हुए अक्सिफलोरफेन और क्लोरप्यरिफोस को भी प्रतिबंधित कर दिया है। इनका प्रयोग आलू, मूंगफली, बेर, साइट्रस और तंबाकू की फसलों में किया जाता था। कई बार ये कीटनाशक फसलों के साथ-साथ आम लोगों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। ये कीटनाशक खाद्य चीजों के साथ आपकी खाने की थाली में पहुंच जाते हैं और आपके भोजन का हिस्सा बन जाते हैं। जो मानव शरीर के लिए बेहद नुकसानदेह होते हैं।

Ad