खेती और दुधारू पशुओं के लिए उत्तम है अजोला, जाने अजोला की खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी

Published on: 23-Apr-2024

अजोला को जैव उर्वरक के रूप में जाना जाता है, यह अजोला धान की उच्च और अधिक पैदावार के लिए काफी सहायक है। इसके अलावा इसका उपयोग पशुओं के चारे के लिए भी किया जाता है। 

अजोला धान के उर्वरक क्षमता को बढ़ाने में काफी सहायक है, इसके अलावा इसका उपयोग मुर्गी पालन, मछली पालन और पशु के चारे के उपयोग में किया जाता है। यह एक जलीय फर्न है जो पानी के सतह पर तेजी से बढ़ता या फैलता है। 

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क्या है अजोला ?

जैसा की आप सभी को बता दिया गया है यह एक जलीय फर्न है। अजोला समशीतोषड जलवायु में पाया जाता है। यह अजोला पानी पर एक हरी परत के जैसे दिखाई देता है। 

फर्न के निचले हिस्से में सिम्बोइंट के रूप में ब्लू ग्रीन एल्गी सयानोबैक्टीरिया पाया जाता है। यह सयानोबैक्टीरिया वायुमंडल में नाइट्रोजन को परिवर्तित करता है। नाइट्रोजन मिट्टी के लिए काफी गुणकारी होता है। 

भारत में पायी जाने वाली अजोला की किस्म ?

भारत में अजोला की पायी जाने वाली केवल एक ही किस्म है। भारत में पायी जाने वाली अजोला किस्म का नाम पिन्नाटा है। अजोला की यह किस्म काफी हद तक गर्मी सहन कर लेती है। 

अजोला की खेती कैसे करें ?

अजोला की खेती के लिए किसी छायादार स्थान पर  60 X 10 X 2 मीटर की क्यारियां बनाये। इन क्यारियों में 120 गेज की सिलपुटिन शीट को बिछाकर किनारो पर मिट्टी का लेप कर देना चाहिए। 

इन क्यारियों में 80 से 100 उपजाऊ मिट्टी की परत को बिछा दे। इसी के सात 3 से 4 दिन पुराना गोबर लेकर उसे पानी में मिलाकरमिट्टी पर छिड़क दे। 

क्यारियों में 400 से 500 लीटर पानी भरे ताकि क्यारियों में पानी की गहराई 10 से 15 तक हो जाये। उपजाऊ मिट्टी और गोबर खाद को मिट्टी में अच्छे से मिश्रित कर ले और उसके ऊपर कम से कम 2 किलो ताजा अजोला को फैला दे।

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अजोला को फ़ैलाने के बाद उस पर  10 लीटर पानी को छिड़क दे ताकि अजोला अपनी जगह पकड़ ले। अब क्यारियों को नायलॉन जाली से ढक दे। 

15 से 20 दिन बाद अजोला की उपज को बढ़ाने के लिए उसमे 20 ग्राम सुपरफॉस्फेट और 50 किलोग्राम गोबर का घोल बनाकर हर महीने दे। 

अजोला की खेती से होने वाले फायदे क्या है ?

अजोला की खेती से मिलने वाले बहुत से ऐसे लाभ है जो खेती के अलावा पशु दुग्ध उत्पादन irऔर अन्य चीजों में यह बेहद लाभकारी है, आइये बात करते है अजोला की खेती से होने वाले फायदों के बारे में। 

  1. मुर्गियों को रोजाना अजोला खिलाने से उनके शारीरिक भार और अंडा उत्पादन क्षमता में 10 से 15 प्रतिशत वृद्धि होती है। 
  2. इसके अलावा भेड़ और बकरियों को ताजा अजोला खिलाने से शारीरिक और दुग्ध उत्पादन दोनों में ही वृद्धि होती है। 
  3. अजोला को हरी खाद के रूप में खरीफ और रबी दोनों जलवायु में बड़े पैमाने पर उगाया जा सकता है।  
  4. अजोला वायुमंडल में उपस्थित नाइट्रोजन और कार्बनडाइऑक्साइड को अमोनिया और कार्बोहायड्रेट में बदल देता है। 
  5. यह मिट्टी में उपस्थित सूक्ष्म जीवों और फसलों की जड़ों में स्वसन किर्या में सहायक होता है। 
  6. यह खेती में विटामिन और ग्रोथ रेगुलेटर  उत्पन्न करता है , जिससे धान के पौधों का अच्छे से विकास हो जाता है। 
  7. अजोला रासायनिक उर्वरक की क्षमता को बढ़ाने में सहायक है , साथ ही यह वाष्पीकरण की दर को भी नियंत्रित करके रखता है। 

अजोला में पाए जाने वाले पौष्टिक आहार 

अजोला में बेहद प्रकार के पौष्टिक आहार पाए जाते है जैसे ; प्रोटीन,  एमिनो एसिड,  विटामिन B-12, बीटा कैरोटीन ,  विटामिन ए, फास्फोरस, कैल्शियम, आयरन, पोटेशियम, मैगनेशियम, कॉपर जैसे खनिज भी अजोला में पर्याप्त मात्रा में पाए जाते है। 

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अजोला के अंदर कार्बोहायड्रेट और वसा की बहुत कम मात्रा पायी जाती है। इसके अलावा शुक्ष्म अजोला में 10 से 15 प्रतिशत खनिज पदार्थ , 40 से 60 प्रतिशत प्रोटीन और 7 से 10 प्रतिशत एमिनो अम्ल, जैविक पदार्थ के अलावा पॉलिमर्स भी पाया जाता है। 

अजोला की कीमत 

अजोला का बाजारी भाव 1 रुपए किलोग्राम होता है जबकि वियतनाम में इसकी कीमत 100 ऑस्ट्रेलियन डॉलर प्रति टन है। प्रति सप्ताह 10 टन अजोला 1 kg वर्गमीटर से प्राप्त किया जा सकता है। 

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