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सरकार ने इस रबी सीजन के लिए 11.4 करोड़ टन का लक्ष्य निर्धारित किया है

Published on: 01-Oct-2023

तूफान, ओलावृष्टि एवं अल नीनो जैसी खतरनाक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने जलवायु-प्रतिरोधी (गर्मी झेल सकने वाली) DBW 327 करण शिवानी, एचडी-3385 जैसी किस्मों की खेती करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस रबी सीजन में 11.4 करोड़ टन की रिकॉर्ड गेहूं पैदावार का लक्ष्य तय किया गया है। फसलों की पैदावार मिट्टी, मौसम, सिंचाई एवं बेहतरीन किस्म के बीजों पर आश्रित होती है। 

साथ ही, कभी-कभी मौसम की विषम परिस्थितियों की वजह से किसान की फसल की लागत तक भी नहीं निकल पाती है। किसान आर्थिक हालातों से खुद भी गुजरता है। साथ ही, उसका परिवार भी इन चुनौतियों का सामना करता है। ऐसी स्थिति में सरकार ने विषम परिस्थितियों को ध्यान में रख के एक लक्ष्य तय किया है। इस लक्ष्य के अंतर्गत गेहूं की बुवाई (Wheat Sowing) के समकुल क्षेत्रफल के 60 फीसद हिस्से में जलवायु-प्रतिरोधी DBW 327 करण शिवानी, एचडी-3385 एम.पी-3288, राज 4079, DBW-110, एच.डी.-2864, एच.डी.-2932 किस्मों की खेती का लक्ष्य तय किया गया है।

गेहूं की पैदावार का लक्ष्य निर्धारित किया गया है

केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने जलवायु परिवर्तन की समस्याओं को देखते हुए रबी सीजन में 11.4 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य तय किया है। वहीं, विगत वर्ष भी सरकार ने समान अवधि में गेहूं का उत्पादन 11.27 करोड़ टन का लक्ष्य रखा था।

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केंद्रीय कृषि सचिव मनोज आहूजा ने रणनीति तैयार की है

केंद्रीय कृषि सचिव मनोज आहूजा ने रबी फसलों की बुवाई की रणनीति पर चर्चा की है, जिसमें उन्होंने कहा है, कि जलवायु पारिस्थितिकी में आए दिन कुछ न कुछ परिवर्तन हो रहे हैं। इस वजह से फसलों में भी प्रभाव देखने को मिल रहा है, तो ऐसी स्थिति में रणनीति के मुताबिक जलवायु-प्रतिरोधी बीजों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। 

गर्मी-प्रतिरोधी वाली किस्मों के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है

भारत में 800 से ज्यादा जलवायु-प्रतिरोधी किस्में मौजूद हैं। इन बीजों को ‘सीड रोलिंग’ योजना के अंतर्गत सीड चेन में डालने की आवश्यकता है। किसानों को गर्मी-प्रतिरोधी किस्में उगाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। इसके अतिरिक्त समस्त राज्यों में विशिष्ट इलाकों को चिह्नित करके उत्पादित की जाने वाली अच्छी किस्मों को लेकर नक्शा तैयार करना चाहिए। किस्मों को बेहतर सोच समझ से चयन करना उत्पादन के लिए बेहद महत्वपूर्ण कारक है। किसानों को हमेशा अच्छी और जलवायु प्रतिरोधी किस्मों का चयन करना चाहिए।

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