भारत में धान खाद्य फसलों में से एक प्रमुख फसल है। भारत चावल उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। भारत में लगभग 450 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की खेती की जाती है।
लेकिन अच्छी धान की पैदावार के लिए फसल को रोग से बचाना भी बहुत महत्वपूर्ण है। आज हम किसानों को धान की फसल में लगने वाले रोगों, उनके प्रबंधन और लक्षणों की जानकारी देंगे।
ताकि किसान इन रोगों को समय रहते पहचान कर पैदावार और आय दोनों में वृद्धि कर सकें।
ये धान का बहुत घातक रोग हैं, इस रोग के लक्षण पत्तियों पर ज्यादा दिखाई देते हैं।
मुख्यत पत्तियों पर दिखाई देते हैं, लेकिन यह पर्णच्छद, पुष्पगुच्छ, गाठों और दानों के छिलकों पर भी आक्रमण कर सकता है। कवक का संक्रमण पत्तियों, गाठों और ग्रीवा पर अधिक होता है।
पत्तियों पर भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं, जो आँख या नाव के आकार के होते हैं और बाद में स्लेटी रंग में बदल जाते हैं। इन धब्बों के बीच में एक पतली पट्टी दिखाई देती है। जब वातावरण अनुकूल होता है, तो ये धब्बे बड़े होकर आपस में मिल जाते हैं, जिससे पत्तियां झुलस कर सूख जाती हैं।
गाँठ प्रध्वंस में, संक्रमित गाँठ काली होकर टूट जाती हैं। दौजी की गाँठों पर कवक के आक्रमण से भूरे रंग के धब्बे बनते हैं, जो गाँठ को चारों ओर से घेर लेते हैं।
ग्रीवा ब्लास्ट में, पुष्पगुच्छ के आधार पर भूरे से काले रंग के धब्बे बनते हैं, जो चारों ओर फैल जाते हैं और पुष्पगुच्छ वहां से टूट कर गिर जाता है, जिससे दानों की पूरी तरह से हानि होती है। अगर पुष्पगुच्छ के निचले डंठल में रोग का संक्रमण होता है, तो बालियों में दाने नहीं बनते और पुष्प और ग्रीवा काले रंग की हो जाती हैं।
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बकाने रोग के विभिन्न प्रकार के लक्षण होते हैं, जो बुवाई से लेकर कटाई तक देखे जा सकते हैं।
प्रारंभिक लक्षणों में, प्राथमिक पत्तियाँ दुर्बल, हरिमाहीन, और असामान्य रूप से लंबी हो जाती हैं। हालांकि, सभी संक्रमित पौधे इस प्रकार के लक्षण नहीं दिखाते; कुछ संक्रमित पौधों में क्राउन विगलन देखा गया है, जिसके कारण धान के पौधे छोटे या बौने रह जाते हैं।
फसल के परिपक्वता के करीब पहुँचने पर, संक्रमित पौधे सामान्य स्तर से काफी ऊपर निकल जाते हैं और हल्के हरे रंग के ध्वज-पत्र वाली लंबी दौजियाँ दिखाते हैं। संक्रमित पौधों में दौजियों की संख्या कम होती है और कुछ हफ्तों में, नीचे से ऊपर की ओर सभी पत्तियाँ सूख जाती हैं।
कभी-कभी संक्रमित पौधे परिपक्वता तक जीवित रहते हैं, लेकिन उनकी बालियाँ खाली रह जाती हैं। संक्रमित पौधों के निचले हिस्सों पर सफेद या गुलाबी कवक जाल भी देखा जा सकता है।
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