Ad

काली मिर्च

किसानों को अच्छा मुनाफा दिलाने वाले पीपली के पौधे को कैसे उगाया जाता है

किसानों को अच्छा मुनाफा दिलाने वाले पीपली के पौधे को कैसे उगाया जाता है

समय के बदलने के साथ-साथ भारतीय किसानों की सोच और खेती करने का तरीका भी बदला है। वर्तमान में किसान भाई पारंपरिक खेती के अतिरिक्त बहुत सारी फसलों में भी हाथ आजमा रहे हैं। 

वह अब धान, ज्वार, सरसों की फसल के साथ साथ और भी कई तरह के पौधों को उगा रहे हैं। इनमें बहुत सारे औषधीय पौधे भी हैं। भारत में अब इनका चलन भी काफी ज्यादा बढ़ गया है। 

पीपली इनमें से एक औषधीय पौधा है, जिसकी खेती से किसान भाइयों को तगड़ी आय हो रही है। आगे इस लेख में जानेंगे पीपली की खेती से होने वाले मुनाफे के बारे में।

पीपली की खेती कैसे करें?

प्रमुख रूप से पीपली का पौधा छोटी पीपली और बड़ी पीपली 2 प्रकार का होता है। पीपली की खेती करने के लिए इसकी बेहतर किस्म का चयन करना अत्यंत आवश्यक होता है। 

यह भी पढ़ें: जानिए अश्वगंधा की खेती कब और कैसे करें

सामान्य तौर पर किसान नानसारी चिमाथी और विश्वम किस्मों के पौधे की खेती करना ज्यादा उचित समझते हैं। पीपली की खेती के लिए लाल मिट्टी, बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त रहती हैं। 

ध्यान रहे कि पीपली की खेती वाली जमीन पर पानी के निकलने के लिए ड्रेनेज व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए। अधिकांश पीपली की खेती दक्षिण के हिस्सों में की जाती है, जिनमें तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य शामिल हैं।

पीपली के पौधे की जीवन अवधि कितनी होती है

पीपली की खेती करने के दौरान उसके लिए उपयुक्त मात्रा में सिंचाई की सुविधा होनी चाहिए। इसके साथ-साथ नमी वाली जलवायु होनी चाहिए। इसे फरवरी या मार्च के महीने में लगाना चाहिए। 

खेत में बेहतर तरीके से जुताई करने के पश्चात खाद और पोटाश फास्फोरस डालने के बाद आप पीपली के पौधे को लगा सकते हैं। धूप से पीपली का पौधा बर्बाद हो सकता है। 

यह भी पढ़ें: कितने गुणकारी हैं इम्यूनिटी बूस्टर काढ़े में मौजूद तत्व

इसके लिए आपको वहां छांव करने की आवश्यकता पड़ सकती है। पीपली का पौधा लगाने के पश्चात 5 से 6 साल तक रहता है, जिससे आप मुनाफा कमा सकते हैं।

पीपली का पौधा कई बीमारियों के लिए रामबाण

पीपली के पौधे की रोपाई के पश्चात ही लगभग 6 महीने के अंदर उसमें फूल आने शुरू हो जाते हैं। जैसे ही फूल काले पड़ जाएं। उन्हें तोड़ लेना चाहिए और सूखने के बाद वह बेचने के लायक हो जाते हैं. 

एक हेक्टेयर की बात करें तो इसमें 4 से 6 क्विंटल की उपज होती है. जिससे आपको अच्छा खासा मुनाफा हो सकता है। मेडिकल के क्षेत्र में पीपली का पौधा काफी काम आता है। सर्दी, खांसी, जुकाम, अस्थमा, पीलिया इन बीमारियों में यह पौधा अत्यंत कारगर साबित होता है।   

इजराइल की मदद से अब यूपी में होगी सब्जियों की खेती, किसानों की आमदनी बढ़ाने की पहल

इजराइल की मदद से अब यूपी में होगी सब्जियों की खेती, किसानों की आमदनी बढ़ाने की पहल

लखनऊ।

इजराइल की मदद से सब्जियों की खेती

केन्द्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी लगातार किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं। अब
उत्तर प्रदेश में इजराइल की मदद से सब्जियों की खेती होने जा रही है। उत्तर प्रदेश में चंदौली जिला ''धान का कटोरा'' नाम से जाना जाता है। चंदौली में अब इजराइल की मदद से आधुनिक तकनीकी से सब्जियों की खेती करने की योजना बनाई जा रही है। चंदौली में इंडो-इजरायल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल की स्थापना की जा रही है। इसका फायदा चंदौली के साथ-साथ गाजीपुर, मिर्जापुर, बनारस व आसपास के कई जिलों को मिलेगा। उक्त सेंटर के द्वारा किसानों को सब्जियों की पैदावार बढ़ाने में काफी फायदा मिलेगा।


ये भी पढ़ें:
भारत- इजरायल का कृषि क्षेत्र में समझौता
खेतों में आधुनिक तकनीकी का प्रयोग कर किसान को बेहतर उपज देने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। यूपी में कृषि क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए कृषि उत्पादों की नर्सरी तैयार की जा रही है। जिससे कई जिलों के किसानों को लाभ मिलेगा। इसके अलावा यूपी के इस जिले का कृषि और सब्जियों के क्षेत्र में पूरी दुनियां में नाम रोशन होगा। यूपी सरकार की योजना है कि धान व गेहूं के उत्पादन में बेहतर रहने वाला जिला सब्जियों के उत्पादन में भी बेहतर परिणाम दे सके, जिसके लिए पूरी तैयारी की जा चुकी है।


ये भी पढ़ें:
गेहूं के साथ सरसों की खेती, फायदे व नुकसान

इस तकनीकी से किसानों को मिलेंगे उन्नत बीज

- इजराइल तकनीकी से होने वाली खेती के लिए किसानों को उन्नत बीज मिलेंगे। उत्कृष्टता केन्द्र बागवानी क्षेत्र में नवीनतम तकनीकी के लिए प्रशिक्षण केन्द्र के रूप में काम किया करते हैं। कृषि सेंटर से चंदौली के साथ-साथ पूर्वांचल के किसानों को उन्नत बीज उपलब्ध कराए जाएंगे।


ये भी पढ़ें:
बागवानी फसलों का क्षेत्रफल बढ़ने का अनुमान

चंदौली में बागवानी फसलों के लिए मिलती है अच्छी जलवायु

उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में बागवानी खेती के लिए अच्छी जलवायु एवं वातावरण मिलता है। यही कारण है कि चंदौली को चावल का कटोरा कहा जाता है। यूपी में 9 ऐसे राज्य हैं जिनमें विभिन्न बागवानी फसलों के लिए अनुकूल वातावरण मिलता है। सब्जियों के लिए उत्कृष्टता केन्द्र टमाटर, काली मिर्च, बैंगन, खीरा, हरी मिर्च व विदेशी सब्जियों का हाईटेक क्लाइमेंट कंट्रोल्ड ग्रीन हाउस में सीडलिंग उत्पादन किया जाना प्रस्तावित है।
काली मिर्च की खेती, बेहद कम लागत में हो जाएंगे लखपति, जानिए कैसे करेंगे खेती

काली मिर्च की खेती, बेहद कम लागत में हो जाएंगे लखपति, जानिए कैसे करेंगे खेती

कम लागत में ज्यादा मुनाफा पाना भला किसे अच्छा नहीं लगता. अगर आप भी उन्हीं लोगों में से एक हैं, जो बेहद कम लागत में कोई ऐसा बिजनेस ढूंढ रहे हैं, जो ज्यादा मुनाफा दे तो हम आपको एक ऐसी खेती के बारे में बता रहे हैं, जिसके जरिये आप लाखों की कमाई करके मालामाल हो सकते हैं. बाजार में इन दिनों काली मिर्च की काफी ज्यादा डिमांड है. जिसकी वजह से किसानों का काफी ज्यादा फायदा मिल रहा है. गर्म मसाले में आमतौर पर काली मिर्च का इस्तेमाल किया जाता है. एक अच्छी खुशबू और बेमिसाल स्वाद के लिए इसकी मांग पूरी दुनिया में रहती है. अगर काली मिर्च की खेती व्यापारिक तरीके से की जाए तो इससे अच्छा खासा मुनाफा कमाया जा सकता है. देश में काली मिर्च का उत्पाद अकेले केरल से किया जा रहा है. जो की 90 से 95 फीसद है. इसका पौधा बेल या फिर लताओं के रूप में बढ़ता है. गर्मी का समय यानि कि, मार्च से अप्रैल और बारिश का समय यानि जून से जुलाई के महीनों में काली मिर्च के बीजों की रोपाई का सबसे अच्छा समय होता है. इसकी खेती करके आप भी लाखों कमा सकते हैं. वो कैसे, चलिए जान लेते हैं.

जानिए भारत के कौन से राज्यों में होती है काली मिर्च की खेती

काली मिर्च की खेती भारत में बड़े पैमाने में की जाती है. लेकिन काली मिर्च की खेती सबसे ज्यादा कर्नाटक, तमिलनाडु, कोंकण क्षेत्र के साथ साथ पांडिचेरी और अंडमान निकोबर द्वीप समूह में की जाती है.

ये भी पढ़ें:
जानें मसालों से संबंधित योजनाओं के बारे में जिनसे मिलता है पैसा और प्रशिक्षण

कैसे करें काली मिर्च की खेती?

रसोई में कल मिर्च का इस्तेमल मसालों के तौर पर किया जाता है. जिस वजह से बाजार में इसकी डिमांड काफी ज्यादा रहती है. इसकी कहती के लिए मौसम से लेकर मिट्टी और रोपाई ये सभी चीजें मायने रखती हैं. इसलिए इसकी खेती से पहले कुछ खास बातों का ध्यान जरुर रखना चाहिए.
  • खेती के लिए उचित जलवायु

काली मिर्च की खेती करना चाहते हैं, तो मौसम का खास ख्याल रखें. क्योंकि ज्यादा ठंडे मौसम में इसकी खेती नहीं की जाती. इसकी खेती के लिए अच्छी बारिश की जरूरत होती है. साथ ही 10 से 40 डिग्री सेल्सियस का तापमान इसकी खेती के लिए बेहतर होता है. हालांकि आप चाहें तो उचित व्यवस्था करके इसकी खेती पूरे साल कर सकते हैं.
  • खेती के लिए उचित मिट्टी

काली मिर्च की खेती के लिए उचित मिट्टी का होना बेहद जरूरी है. इसके लिए लाल लेटेराईट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है. मिट्टी का पीएच मान 4.6 से 6 के बीच में होना अच्छा माना जाता है, इसकी मिट्टी की सबसे बड़ी खासियत यही होती है, कि, इसे ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती.
  • इस तरह करें काली मिर्च के पौधे की रोपाई

काली मिर्च की खेती के लिए आप बीजों और पौधों दोनों में से किसी का भी इस्तेमाल कर सकते है. उनकी रोपाई के वक्त उनके बीच की दूरी का ध्यान रखें. 1 हजार 666 पौधे एक हेक्टर की जमीन पर लगाना सही हो सकता है.
  • जानिए पौधे लगाने का सही तरीका

काली मिर्च के पौधौं को सहारे की जरूरत होती है. व्यवसायिक खेती के लिए उचित दूरी पर खेतों में खंबे गाड़ें. जिसके बाद तीन से चार मीटर की दूरी ओर गड्ढों को खोद लें. जिनमें काली मिर्च के पौधों की रोपाई की जाएगी.काली मिर्च के पौधों की ग्रोथ बेल की तरह होती है.
  • जानिए कैसे करें सिंचाई

गर्मियों के मौसम में काली मिर्च की फसल में सिंचाई की जरूरत दो दो दिनों के अंतर में करनी चाहिए. वहीं मौसम अगर सर्दियों का है तो ऐसे में एक हफ्ते के अंतराल में सिंचाई करें. आप इस बात का ध्यान रखें की काली मिर्च की फसल में पर्याप्त नमी बनी रहे.

काली मिर्च की क्या हैं उन्नत किस्में?

  • पन्नियूर एक की वैरायटी की पैदावार 1240 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से होती है.
  • पन्नियूर दो की वैरायटी की पैदावार 2600 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से होती है.
  • पन्नियूर तीन की वैरायटी की पैदावास 1950 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से होती है.
  • पन्नियूर चार की वैरायटी की पैदावार 1270 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से होती है.
  • पन्नियूर पांच की वैरायटी की पैदावार 1100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से होती है.
  • सुभाकारा की वैरायटी की पैदावार 2350 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से होती है.
  • श्रीकारा की वैरायटी की पैदावार 2680 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से होती है.
  • पंचमी की वैरायटी की पैदावार 2800 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से होती है.
  • पूर्णमनी की वैरायटी की पैदावार 2300 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से होती है.

काली मिर्च की खेती के लिए कैसी हो उर्वरक और खाद?

  • काली मिर्च की अच्छी उपज के लिए अप्रैल से मई के महीने में करीब 10 किलो सड़ा हुआ गोबर हर पौधे में डालना चाहिए.
  • अप्रैल से मई के महीने में बुझा हुआ चुनाव 500 ग्राम हर पोधे जे हिसाब से लगाया जाना चाहिए.
  • अगस्त से सितंबर के महीने 500 ग्राम अमोनिया सल्फेट, एक किलो सुपर फास्फेट, 100 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश हर पौधे में देना चाहिए.
  • उर्वरकों और खादों को 25 से 30 सेंटीमीटर की दूरी और 12 से 15 सेंटीमीटर की गहराई पर डालना अच्छा होता है. साथ ही इसे मिट्टी में भी अच्छे से मिला देना चाहिए.


ये भी पढ़ें:
जानें शिमला मिर्च की फसल से महाराष्ट्र के इन जनपदों के किसान कमा रहे बम्पर मुनाफा

कैसे करें काली मिर्च की तोड़ाई?

काली मिर्च के पौधों की तुड़ाई का समय रोपाई के लगभग 6 से 7 महीने में हो जाता है. काली मिर्च की फलियां 90 फीसद तक पक जाने पर उसके स्पाइक काट सकते हैं. हालांकि आमतौर पर काली मिर्च की कटाई नवंबर के महीने से शुरू होती है, जोकि मार्च के महीने तक चलती है.

जान लीजिये काली मिर्च की उपज के बारे में भी

काली मिर्च का एक पौधा एक साल में लगभग 4 से 6 किलो तक काली मिर्च की उपज दे सकता है. जिसके हिसाब से 40 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हसाब से इसकी पैदावार मिल सकती है.

जानिए काली मिर्च की खेती के फायदे

  • काली मिर्च का इस्तेमाल मसालों में किया जाता है.
  • सब्जियों का टेस्ट बढ़ाने के लिए भी काली मिर्च का इस्तेमाल किया जाता है.
  • काली मिर्च का इस्तेमाल औषधि के रूप में भी किया जाता है.
  • काली मिर्च के साम अन्य मसालों से कहीं ज्यादा हैं.
  • चाइनीज डिशेज में काली मिर्च का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया जाता है.
  • काली मिर्च की फसल सदाबहार है. जो जमकर फलती और फूलती है.
  • काली मिर्च की एक बार की खेती से सालों साल तक बंपर कमाई की जा सकती है.
अगर आप भी कलि मिर्च की खेती करके बंपर कमाई करना चाहते हैं, तो आपको इसके लिए ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं होगी. मार्केट में इसकी डिमांड काफी ज्यादा है. इसकी कमीत करीब 4 सौ रुपये प्रति किलो है. ऐसे में आप महीने में आराम से 40 से 50 हजार रुपये तक कमा सकते हैं.