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गन्ना किसान

भारत सरकार ने केंद्रीय बीज समिति के परामर्श के बाद गन्ने की 10 नई किस्में जारी की हैं

भारत सरकार ने केंद्रीय बीज समिति के परामर्श के बाद गन्ने की 10 नई किस्में जारी की हैं

गन्ना किसानों के लिए 10 उन्नत किस्में बाजार में उपलब्ध की गई हैं। बतादें, कि गन्ने की इन उन्नत किस्मों की खेती आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र, यूपी, हरियाणा, मध्य प्रदेश और पंजाब के किसान बड़ी सुगमता से कर सकते हैं। चलिए आज हम आपको इस लेख में गन्ने की इन 10 उन्नत किस्मों के संबंध में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। भारत में गन्ना एक नकदी फसल है। गन्ने की खेती किसान वाणिज्यिक उद्देश्य से भी किया करते हैं। बतादें, कि किसान इससे चीनी, गुड़, शराब एवं इथेनॉल जैसे उत्पाद भी तैयार किए जाते हैं। साथ ही, गन्ने की फसल से तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, हरियाणा, उत्तर-प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों के किसानों को बेहतरीन कमाई भी होती है। किसानों द्वारा गन्ने की बुवाई अक्टूबर से नवंबर माह के आखिर तक और बसंत कालीन गन्ने की बुवाई फरवरी से मार्च माह में की जाती है। इसके अतिरिक्त, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से गन्ना फसल को एक सुरक्षित फसल माना गया है। इसकी वजह यह है, कि गन्ने की फसल पर जलवायु परिवर्तन का कोई विशेष असर नहीं पड़ता है।

भारत सरकार ने जारी की गन्ने की 10 नवीन उन्नत किस्में

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने केंद्रीय बीज समिति के परामर्श के पश्चात गन्ने की 10 नवीन किस्में जारी की हैं। इन किस्मों को जारी करने का प्रमुख लक्ष्य गन्ने की खेती करने के लिए गन्ने की उन्नत किस्मों को प्रोत्साहन देना है। इसके साथ ही गन्ना किसान ज्यादा उत्पादन के साथ बंपर आमदनी अर्जित कर सकें।

जानिए गन्ने की 10 उन्नत किस्मों के बारे में

गन्ने की ये समस्त उन्नत किस्में ओपन पोलिनेटेड मतलब कि देसी किस्में हैं। इन किस्मों के बीजों की उपलब्धता या पैदावार इन्हीं के जरिए से हो जाती है। इसके लिए सबसे बेहतर पौधे का चुनाव करके इन बीजों का उत्पादन किया जाता है। इसके अतिरिक्त इन किस्मों के बीजों का एक फायदा यह भी है, कि इन सभी किस्मों का स्वाद इनके हाइब्रिड किस्मों से काफी अच्छा होता है। आइए अब जानते हैं गन्ने की इन 10 उन्नत किस्मों के बारे में।

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इक्षु -15 (सीओएलके 16466)

इक्षु -15 (सीओएलके 16466) किस्म से बेहतरीन उत्पादन हांसिल होगा। यह किस्म उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और असम राज्य के लिए अनुमोदित की गई है।

राजेंद्र गन्ना-5 (सीओपी 11438)

गन्ने की यह किस्म उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और असम के लिए अनुमोदित की गई है।

गन्ना कंपनी 18009

यह किस्म केवल तमिलनाडु राज्य के लिए अनुमोदित की गई है।

सीओए 17321

गन्ना की यह उन्नत किस्म आंध्र प्रदेश राज्य के लिए अनुमोदित की गई है।

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सीओ 11015 (अतुल्य)

यह किस्म बाकी किस्मों की तुलना में ज्यादा उत्पादन देती है। क्योंकि इसमें कल्लों की संख्या ज्यादा निकलती है। गन्ने की यह उन्नत किस्म आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की जलवायु के अनुकूल है।

सीओ 14005 (अरुणिमा)

गन्ने की उन्नत किस्म Co 14005 (Arunima) की खेती तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में बड़ी सहजता से की जा सकती है।

फुले गन्ना 13007 (एमएस 14082)

गन्ने की उन्नत किस्म Phule Sugarcane 13007 (MS 14082) की खेती तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक में बड़ी सहजता से की जा सकती है।

इक्षु -10 (सीओएलके 14201)

गन्ने की Ikshu-10 (CoLK 14201) किस्म को आईसीएआर के द्वारा विकसित किया गया है। बतादें, कि किस्म के अंदर भी लाल सड़न रोग प्रतिरोध की क्षमता है। यह किस्म राजस्थान, उत्तर प्रदेश (पश्चिमी और मध्य), उत्तराखंड (उत्तर पश्चिम क्षेत्र), पंजाब, हरियाणा की जलवायु के अनुरूप है।

इक्षु -14 (सीओएलके 15206) (एलजी 07584)

गन्ने की Ikshu-14 (CoLK 15206) (LG 07584) किस्म की खेती पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश (पश्चिमी और मध्य) और उत्तराखंड (उत्तर पश्चिम क्षेत्र) के किसान खेती कर सकते हैं।

सीओ 16030 (करन 16)

गन्ने की किस्म Co-16030, जिसको Karan-16 के नाम से भी जाना जाता है। इस किस्म को गन्ना प्रजनन संस्थान, करनाल के वैज्ञानिकों की ओर से विकसित किया गया है। यह किस्म उच्च उत्पादन और लाल सड़न रोग प्रतिरोध का एक बेहतरीन संयोजन है। इस किस्म का उत्पादन उत्तराखंड, मध्य और पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में बड़ी आसानी से किया जा सकता है।
गन्ना किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी, 15 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ सकती हैं गन्ने की एफआरपी

गन्ना किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी, 15 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ सकती हैं गन्ने की एफआरपी

नई दिल्ली। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक की गई। बैठक में गन्ने की एफआरपी यानि उचित व लाभकारी मूल्य (Fair and Remunerative Price - FRP) बढाने के लिए निर्णय लिया गया। बताया जा रहा है कि गन्ना की एफआरपी में 15 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी करने की सिफारिशें हुईं हैं। सम्भवतः जल्दी ही इसे पारित किया जाएगा। जानकारों की मानें तो बीते साल 2021 में गन्ने की एफआरपी 290 रुपए प्रति क्विंटल थीं, जो अब बढ़कर 305 रुपये प्रति क्विंटल हो जाएगी। बीते वित्तीय वर्ष में इसमें केवल 5 रुपये की वृद्धि हुई थी। गन्ने पर बढ़ाई जा रही एफआरपी आगामी 1 अक्तूबर से 30 सितंबर 2023 तक के लिए तय की जाएगी। इससे लाखों किसानों को फायदा मिलना तय है।

गन्ना नियंत्रण आदेश 1966 के तहत तय होती है एफआरपी

- प्रदेश सरकार गन्ना नियंत्रण आदेश 1966 के तहत गन्ने की एफआरपी तय करती है। इसके लिए कृषि लागत और मूल्य आयोग सिफारिश करता है। एफआरपी के अंतर्गत चीनी मिल किसानों से न्यूनतम भाव पर गन्ना खरीदता है।



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देश के कई राज्यों को नहीं मिलेगा एफआरपी का फायदा

- सरकार के इस फैसले से देश के कई राज्यों में गन्ना किसानों को फायदा नहीं मिलेगा। देश में सबसे ज्यादा गन्ना उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश है। लेकिन यूपी के गन्ना किसानों को एफआरपी पर बढ़ी हुई कीमत का लाभ नहीं मिलेगा। क्योंकि यूपी में एफआरपी पहले से ही ज्यादा है।

मंहगाई को देखते हुए बढ़नी चाहिए एफआरपी

- भले ही सरकार ने गन्ना की एफआरपी 15 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है। लेकिन किसान इसे मंहगाई की तुलना में काफी कम मान रहे हैं। किसानों के कहना है कि मंहगाई के हिसाब से ही एफआरपी बढ़नी चाहिए। क्योंकि खाद, पानी, बीज और कीटनाशक दवाओं के साथ-साथ मेहनत-मजदूरी भी लगातार बढ़ रही है।



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घट रहा है गन्ना की खेती का रकबा

- उत्तर प्रदेश में पिछले कई सालों से गन्ना की खेती का रकबा लगातार घटता जा रहा है। चीनी मिलों से, गन्ना का बकाया भुगतान समय से न मिलना और दूसरी फसलों में अच्छा मुनाफा होने के चलते किसानों का गन्ना से मोहभंग होता जा रहा है।
गन्ना किसानों को दिवाली के तोहफे के रूप में मिलेंगे सरकार से ९०० रूपए प्रति हेक्टेयर

गन्ना किसानों को दिवाली के तोहफे के रूप में मिलेंगे सरकार से ९०० रूपए प्रति हेक्टेयर

सरकार द्वारा दिवाली के त्यौहार को खुशनुमा बनाने के लिए गन्ना (ganna; sugarcane) किसानों के लिए उपहार के रूप में ९०० रूपये प्रति हेक्टेयर का अनुदान दिया जायेगा। यह अनुदान किसानों के लिए अत्यंत उपयोगी होगा, साथ ही किसान अपनी फसल के लिए उर्वरक आदि आसानी से खरीद सकते हैं। भारत चीनी उत्पादन में सर्वश्रेष्ठ देश बन कर उभरा है, इसके साथ ही चीनी के उत्पादन में बेहद वृद्धि आयी है। सरकार द्वारा गन्ना किसानों का भुगतान समय से कर दिया गया है, जिससे गन्ना उत्पादन करने वाले किसानों को किसी संकट से न जूझना पड़े। गन्ना किसानों को ९०० रूपए प्रति हेक्टेयर की मदद से जरूरी दवाएं एवं अन्य उर्वरक खरीदने के लिए आर्थिक बल मिलेगा, त्यौहार के समय सरकार द्वारा गन्ना किसानों के लिए यह बेहद बड़ी खुशखबरी दी गयी है।


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गन्ना किसानों को अनुदान किस कार्यक्रम के अंतर्गत दिया जायेगा ?

गन्ना किसानों को सरकार अनुदान की रकम "पेड़ी प्रबंधन कार्यक्रम" एवं "बीज भूमि उपचार कार्यक्रम" के माध्यम से प्रदान की जाएगी, अनुदान की राशि प्रति हेक्टेयर ९०० रूपए है। पूर्व में गन्ना रसायनों के कुल खर्च का लगभग ५० प्रतिशत अनुदान ही मिलता था, जिसकी धन राशि ५०० रूपये होती थी। जबकि पेड़ी गन्ना की फसल सुरक्षा के लिए १५० रुपए, मतलब ५० फ़ीसदी अनुदान दिया जाता था। सरकार की तरफ से अब किसानों को अधिक अनुदान मिलेगा, जिससे गन्ना किसानों को अच्छी पैदावार करने के लिए काफी मदद मिलेगी।

रसायन के उपयोग से गन्ने की खेती

गन्ने की खेती एक उम्दा किस्म की फसल है, जिसको उत्पादित करने के लिए किसान को असामान्य मेहनत और देखरेख करने की आवश्यकता होती है। साथ ही कीट व रोगों से बचाने के लिए गन्ना किसानों को बेहतर किस्म के कीटनाशकों की आवश्यकता होती है, जिनके प्रयोग से किसान गन्ने की फसल को अच्छी तरह पैदा कर सकें और अच्छा खासा मुनाफा अर्जित कर सकें। किसान मिट्टी की उत्तम जाँच कराते है जिससे गन्ने की फसल पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़ सके।
इधर गन्ना पहुंचा, उधर भुगतान तैयार

इधर गन्ना पहुंचा, उधर भुगतान तैयार

यूपी में गन्ना किसानों की सबसे बड़ी समस्या थी गन्ना मिलों का भुगतान। कई-कई साल बीत जाते थे फिर भी गन्ना फसलों का मूल्य किसानों को नहीं मिलता था। अब ये सब बीते जमाने की बात हो गई। इधर आपका गन्ना मिल में पहुंचा नहीं कि क्वालिटी चेक करके आपका भुगतान तैयार हो गया।


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एक दौर था जब किसान परेशान रहा करते थे, उनकी परेशानी इस बात को लेकर ज्यादा थी कि वो जो गन्ना उपजाते हैं। उसकी कीमत उन्हें नहीं मिलती, मिलती भी है जो छह माह के बाद वह भी आधी-अधूरी। इसको लेकर किसान परेशान रहा करते थे, कई किसानों ने कर्ज लेकर गन्ने की फसल लगाई थी। जब उन्हें भुगतान नहीं मिला तो साहूकार छाती पर चढ़ बैठा। कई किसानों ने अपनी जमीनें बेच दी कई ने अपनी जान दे दी।

अब भुगतान मिलने लगा है

दौर बदल गया सरकार बदल गई, योगी आदित्यनाथ जी जब से यूपी के मुख्यमंत्री बने, उन्होंने इस समस्या का समाधान खोजने में ज्यादा वक्त नहीं लगाया। चूंकि वह खुद गन्ना मूल्य भुगतान को लेकर सड़क से संसद तक आवाज उठाते रहे थे, लिहाजा उन्हें पता था कि समस्या कहां है। देखते ही देखते चीजें बदल गईं, सरकारी आंकड़ों की बात करें तो अब तक 1.80 लाख करोड़ रुपये का गन्ना मूल्य भुगतान हो चुका है। यह जानकारी खुद मुख्यमंत्री ने उपलब्ध कराया है, योगी आदित्यनाथ जी के अनुसार कोरोना संकट के दौरान भी सरकार ने सभी चीनी मिलों का संचालन किया।


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किसानों को 1.80 लाख करोड़ रुपये का गन्ना मूल्य भुगतान किया गया। एक बार फिर चीनी मिलों में पेराई सत्र प्रारंभ होने जा रहा है। हम लोगों ने गोरखपुर जिले के पिपराइच व मुंडेरवा में चीनी मिलों को चलाकर गन्ना किसानों के हित में बड़ी पहल की है। अब तो आप अपना गन्ना लेकर जाएं, उसकी क्वालिटी चेक करवाएं, गन्ने की उधर पेराई खत्म हुई, उधर आपका भुगतान तैयार। अब कोई झंझट नहीं होगी। योगी जी का यह भी कहना था, कि गन्ना पेराई के लिए किसी भी दलाल की मदद न लें। खुद गन्ना मिल तक जाएं, गन्ने का उचित वजन करवाएं, उसकी पक्की रसीद लें और तब गन्ने को पेराई के लिए भेजें। सारा सिस्टम कंप्यूटराइज्ड कर दिया गया है, थोड़ा सावधान रहेंगे तो कोई दिक्कत नहीं होगी। जो गन्ना मिलें हैं, उनसे भी कहा गया कि वे गन्ना उत्पादक किसानों का ध्यान रखें, उन्हें सहयोग करें। जहां तक सवाल भुगतान का है, वह 100 फीसद होगा, जो सरकार को करना था, वह सरकार कर चुकी है।

तीन लाख मीट्रिक टन धान की खरीद

उत्तर प्रदेश में धान की खरीद भी शुरू हो चुकी है। इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने सभी जिलाधिकारियों को दो टूक निर्देश दे दिया है कि धान खरीद में पूरी तरह से सावधानी बरतें। जितना ज्यादा से ज्यादा धान क्रय केंद्र खोले जा सकते हैं, खोले जाएं। अन्नदाता को कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। अब तक तीन लाख मैट्रिक टन धान की खरीद हो चुकी है। धान, बाजरा, मक्का सभी फसलों का क्रय न्यूनतम समर्थन मूल्य पर करते हुए किसानों के खातों में डीबीटी के माध्यम से धनराशि यथाशीघ्र उनके बैंक खातों में अंतरित करने का निर्देश अधिकारियों को दिया गया है।
इस राज्य सरकार ने होली के अवसर पर गन्ना किसानों के खाते में भेजे 2 लाख करोड़

इस राज्य सरकार ने होली के अवसर पर गन्ना किसानों के खाते में भेजे 2 लाख करोड़

मुख्यमंत्री ने बताया है, कि भारत में नया रिकॉर्ड स्थापित होने जा रहा है। पहली बार दो लाख करोड़ से ज्यादा का गन्ना भुगतान किसानों भाइयों के बैंक खातों में हस्तांतरित हो रहा है। भारत के विभिन्न राज्य ऐसे भी हैं, जिनका सालाना बजट भी दो लाख करोड़ नहीं है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सोमवार को यह दावा किया गया है, कि योगी सरकार द्वारा गन्ना किसानों को दलालों की चपेट से निजात प्रदान की है। विगत छह सालों के उनके शासन में प्रदेश में एक भी किसान ने आत्महत्या नहीं की है। मुख्यमंत्री ने होली से पूर्व गन्ना किसानों के बैंक खाते में शेष भाव के दो लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित किए जाने के मोके पर कहा, कि पिछली सरकारों में किसान आत्महत्या को मजबूर रहता था। आज मैं गर्व से कह सकता हूं कि बीते छह सालों में उत्तर प्रदेश में कोई भी किसान भाई आत्महत्या करने पर मजबूर नहीं हुआ है। यह इसलिए संभव हो पाया है, कि हमारी सरकार में किसानों भाइयों के गन्ना मूल्य का भुगतान कर दिया गया है। समयानुसार धान एवं गेहूं की खरीद की है। योगी जी ने कहा है, कि याद कीजिए एक वक्त वो था जब राज्य के गन्ना किसान खेतों में ही अपनी फसल को जलाने के लिए मजबूर थे। उन्हें सिंचाई हेतु न तो वक्त से जल प्राप्त होता था और ना ही बिजली मुहैय्या कराई जाती थी। इतना ही नहीं समुचित समयानुसार किसानों की बकाया धनराशि का भुगतान भी नहीं हो पाता था। इसी कड़ी में योगी ने आगे बताया कि आज का दिन गन्ना किसानों के लिए ऐतिहासिक होने वाला है, जब होली की पूर्व संध्या पर सोमवार को दो लाख करोड़ की धनराशि उनके बैंक खातों में सीधे तौर पर हस्तांतरित करदी है। सरकार के इस ऐतिहासिक कदम से प्रदेश के गन्ना किसानों की होली की खुशी को दोगुना कर दिया जाएगा।

दलालों की दलाली की बंद

योगी जी ने कहा है, कि विगत समय पर जल, खाद एवं उत्पादन का सही भाव न मिलने की वजह से खेती-किसानी नुकसान का सौदा मानी जाती थी। हमने गन्ना किसानों को दलालों के दलदल से मुक्ति दिलाई है। आजकल किसान भाइयों को खरीद पर्ची हेतु इधर-उधर चक्कर नहीं काटने पड़ते हैं। उनकी पर्ची उनके स्मार्टफोन में पहुँच जाती है। मुख्यमंत्री ने बताया, कि आज किसानों के नाम पर शोषण एवं दलाली करने वालों की दुकान बंद हो गई हैं। ऐसी स्थिति में मानी सी बात है, कि उन्हें समस्या रहेगी।

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कोरोना महामारी के समय में भी 119 चीनी मिलें चालू हो रही थीं

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का कहना है, कि विगत सरकारों के कार्यकाल में जहां चीनी मिलें बंद कर दी जाती थी। अन्यथा उचित गैर उचित भावों में बेच दी जाती थीं। जबकि, योगी सरकार द्वारा किसी चीनी मिल को बंद नहीं किया गया। साथ ही, बंद पड़े चीनी मिलों को पुनः आरंभ कराने का काम किया गया है। उन्होंने बताया कि, मुंडेरवा एवं पिपराइच चीनी मिलों को पुनः सुचारु किया गया है। कोरोना महामारी के चलते जब विश्व की चीनी मिलें बंद हो गई थीं। उस दौर में भी उत्तर प्रदेश में 119 चीनी मिलें चालू हो रही थीं।
इस राज्य सरकार ने गन्ना उत्पादक किसानों का बकाया भुगतान करने के लिए जारी किए 450 करोड़

इस राज्य सरकार ने गन्ना उत्पादक किसानों का बकाया भुगतान करने के लिए जारी किए 450 करोड़

गन्ना किसानों के बकाया भुगतान के लिए यह धनराशि सहकारी चीनी मिलों पर कर्ज के तौर पर पहले से लंबित थी। इसलिए गन्ना उत्पादक किसान लंबे समय से बकाया धनराशि का भुगतान किए जाने की लगातार मांग कर रहे थे। उत्तर प्रदेश में गन्ना उत्पादक किसानों लिए एक अच्छा समाचार है। शीघ्र ही राज्य के हजारों गन्ना उत्पादक कृषकों के खाते में बकाया राशि पहुंचने वाली है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार द्वारा गन्ना बकाया का भुगतान करने का आदेश दे दिया है। विशेष बात यह है, कि इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 450 करोड़ रुपये की राशि जारी भी कर दी गई है। साथ ही, इस खबर से किसानों के मध्य प्रशन्नता की लहर है। किसानों का यह कहना है, कि फिलहाल वह बकाया धनराशि के पैसे से वक्त पर खरीफ फसलों की खेती बेहतर ढ़ंग से कर पाऐंगे।

किसानों ने ली चैन की साँस

मीडिया खबरों के अनुसार, गन्ना किसानों के बकाया भुगतान हेतु यह राशि सहकारी चीनी मिलों पर कर्ज के तौर पर पहले से लंबित थी। ऐसी स्थिति में गन्ना उत्पादक किसान लंबे वक्त से बकाया धनराशि का भुगतान किए जाने की मांग कर रहे थे। अब ऐसी स्थिति में धान की बुवाई आरंभ होने से पूर्व सरकार के इस निर्णय से किसान भाइयों ने राहत भरी सांस ली है।

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गन्ने की खेती काफी बड़े पैमाने पर की जाती है

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि संपूर्ण भारत में सर्वाधिक गन्ने का उत्पादन उत्तर प्रदेश में किया जाता है। फसल सीजन 2022-23 में 28.53 लाख हेक्टेयर में गन्ने की खेती की गई। साथ ही, यूपी के उपरांत गन्ना उत्पादन के संबंध में महाराष्ट्र द्वितीय स्थान पर है। यहां पर गन्ने का क्षेत्रफल 14.9 लाख हेक्टेयर है। ऐसी स्थिति में हम कहा जा सकता है, कि उत्तर प्रदेश अकेले 46 प्रतिशत क्षेत्रफल में गन्ने की खेती करता है। उधर महाराष्ट्र की देश के कुल गन्ने के क्षेत्रफल में 24 फीसद भागीदारी है। हालांकि, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, बिहार और हरियाणा में भी किसान बड़े पैमाने पर गन्ने की खेती करते हैं।

गन्ना उत्पादक किसानों को कितने करोड़ का भुगतान किया जा चुका है

उत्तर प्रदेश सरकार का यह कहना है, कि प्रदेश में सरकार बनने के बाद से अभी तक वह गन्ना उत्पादक किसानों को 2 लाख 11 हजार 350 करोड़ का भुगतान कर चुकी है। इससे 46 लाख गन्ना किसानों के खाते में भुगतान राशि भेजी जा चुकी है। सरकार का यह भी दावा है, कि वह देश में गन्ना किसानों का भुगतान करने में सबसे अग्रणीय है। बतादें, कि यूपी में पेराई सत्र 2022-23 के समय कृषकों से 350 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से गन्ना खरीदा गया है। उधर सामान्य किस्म के गन्ने का भाव 340 रुपये और क्वालिटी प्रभावित गन्ने का भाव 335 रुपये प्रति क्विंटल रहा है।
खुशखबरी: पंजाब सरकार ने गन्ना का भाव 391 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बढ़ाया

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वर्तमान में गन्ने की खेती करने वाले कृषकों को पहले से ज्यादा भाव मिलेंगे। पंजाब भारत भर में गन्ने का सर्वाधिक मूल्य देने वाला राज्य है। पंजाब सरकार ने किसानों के फायदे में एक बड़ा निर्णय लिया है। राज्य सरकार की तरफ से गन्ना कृषकों के लिए बड़ी खुशखबरी है। सरकार ने गन्ने की कीमत में इजाफा करने का ऐलान कर दिया है। वर्तमान में राज्य के गन्ना कृषकों को 391 रुपये प्रति क्विंटल के अनुरूप रुपये दिए जाएंगे। इसके अतिरिक्त अब पंजाब भारत में सर्वाधिक गन्ने की कीमत देने वाला राज्य भी बन गया है। पंजाब के पश्चात हरियाणा बाकी राज्यों का नाम आता है।  गन्ने का भाव देने में प्रथम स्थान पर पंजाब है तो दूसरे स्थान पर हरियाणा है। हरियाणा में कृषकों को गन्ने का भाव 386 रुपये प्रति क्विंटल दिया जाता है। यूपी और उत्तराखंड के कृषकों को 350 रुपये का भाव दिया जाता है। 

किसानों को इतने रुपये प्रति क्विंटल मिलेगा फायदा  

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि राज्य के किसान विगत कई दिनों से सरकार से गन्ने की कीमतों को बढ़ाने की मांग कर रहे थे। राज्य में गन्ने की प्रति क्विंटल कीमत 380 रुपये थी, जो वर्तमानं में बढ़ाकर के 391 रुपये प्रति क्विंटल कर ड़ाली है। किसान भाइयो को इस निर्णय के पश्चात फिलहाल 11 रुपये प्रति क्विंटल का फायदा मिलेगा। पंजाब सरकार ने ये निर्णय राज्य के किसानों की मांग पर किया है। 

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कृषकों के लिए फायदेमंद फैसला साबित होगा 

गन्ना किसान बहुत दिनों से सरकार से गन्ने के भाव को बढ़ाने की मांग जाहिर कर रहे थे। सरकार ने कृषकों की मांग को पूर्ण करते हुए यह निर्णय लिया हैजिसको लेकर कृषकों ने बीते दिनों धरना भी दिया था। इसके पश्चात कृषकों के प्रतिनिधियों से पंजाब के मुख्यमंत्री ने वार्तालाप की और उन्हें मूल्य वृद्धि हेतु आश्वस्त भी किया था। इसके साथ-साथ कृषकों की मांग कीमतें 450 रुपये प्रति क्विंटल करने की थी। रिपोर्ट्स की मानें तो पंजाब सरकार के इस निर्णय के उपरांत गन्ना किसानों को लाभ मिलेगा। बतादें, कि इस निर्णय से कृषकों की आमदनी में इजाफा होने के साथ-साथ उनकी आर्थिक स्थिति भी काफी सुधरेगी। 
इस राज्य में बढ़ेगी गन्ने की कीमत, गन्ना किसानों को मिलेगा लाभ

इस राज्य में बढ़ेगी गन्ने की कीमत, गन्ना किसानों को मिलेगा लाभ

योगी सरकार की तरफ से उत्तर प्रदेश के कृषकों को शीघ्र ही सरकार की तरफ से तोहफा दिया जा सकता है। राज्य सरकार की तरफ से आने वाले दिनों में गन्ने के भाव को बढ़ाया जा सकता है। कृषकों के हित को मन्देनजर रखते हुए शीघ्र ही यूपी सरकार गन्ने की कीमतों को लेकर ऐलान कर सकती है। इस फैसले के लागू होने के पश्चात किसान भाइयों को गन्ने का मूल्य काफी अधिक मिलेगा।

सूत्रों के मुताबिक, सरकार की तरफ से गन्ने की कीमतों में आगामी कुछ ही दिनों में 15 रुपये से लेकर 25 रुपये तक का इजाफा किया जा सकता है। साथ ही, राज्य के गन्ना मंत्री ने भी बातों-बातों में इस तरह के संकेत दिए हैं। हालांकि, कितने रुपये की बढ़ोतरी की जाऐगी। इस बात की फिलहाल कोई पुष्टि नहीं हुई है।

गन्ना किसान लगातार मूल्य वृद्धि की मांग कर रहे हैं

जैसा कि हम सब जानते हैं, कि कृषकों की तरफ से गन्ने की SAP को बढ़ाए जाने की निरंतर मांग की जा रही है। हालांकि, राज्य में बीते वर्षों में इसकी कीमत में इजाफा हुआ था। उत्तर प्रदेश में अंतिम बार वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले गन्ना मूल्य बढ़ाकर 350 और 360 रुपये प्रति कुंतल घोषित किया गया था। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई राज्य परामर्शित गन्ना मूल्य निर्धारण संस्तुति समिति की बैठक में गन्ना कृषकों ने उत्पादन लागत बढ़ने की वजह से मूल्य वृद्धि की मांग की है।

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गन्ना का मूल्य जल्द से जल्द घोषित किया जाऐगा

वहीं, चीनी मिल एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने बहुत सारी समस्याओं को उठाते हुए कीमतों को यथावत रखने की मांग की है। मुख्य सचिव ने सब कुछ सुनने के पश्चात कहा कि गन्ना मूल्य यथाशीघ्र घोषित किया जाऐगा। संबंधित प्रस्ताव को शीघ्र ही कैबिनेट के सामने मंजूरी के लिए रखा जाऐगा। सरकार से रालोद और सपा निरंतर गन्ना मूल्य बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। बहुत सारी खबरों के मुताबिक, सरकार चीनी मिलों को भी राहत प्रदान कर सकती है। सरकार गन्ना मूल्य में बढ़ोतरी की वजह से पड़ने वाले खर्च को कम करने के लिए मिलों को परिवहन भाड़े में एक से दो रुपये की सहूलियत प्रदान कर सकती है।