Ad

चंदन की खेती

चंदन की खेती : Sandalwood Farming

चंदन की खेती : Sandalwood Farming

चंदन एक सदाबहार पेड़ है| इसकी खुशबू और औषधीय गुणों की वजह से इसकी काफी मांग होती है| चंदन की खेती कर आप मालामाल हो सकते हैं|

केवल सरकार ही कर सकती है चंदन का एक्सपोर्ट

चंदन की खरीद और बिक्री पर सरकार ने रोक लगा रखी है| 2017 में बने नियम के अनुसार, चंदन की खेती कोई भी कर सकता है, लेकिन चंदन का एक्सपोर्ट सिर्फ सरकार ही कर सकती है|

चन्दन के पौधे या बीज कहाँ से प्राप्त करें

चन्दन की खेती करने के लिए बीज या पौधे किसी का भी रोपण किया जा सकता है| इसके लिए आप दोनों में किसी भी चीज को खरीद सकते हैं| इसके बीज या पौधे खरीदने के लिए आपको केंद्र सरकार के लकड़ी विज्ञान एवं तकनिकी संसथान ( Institute of Wood Science and Technology (IWST) ) जोकि बंगलौर में स्थित से वहाँ से सम्पर्क करना होगा| इसके अलावा भारत के उत्तरप्रदेश में भी इसकी एक नर्सरी है जहाँ आपको इसकी जानकारी एवं पौधे दोनों मिल जायेंगे| इसके लिए आपको मशहूर एल्ब्सन एग्रोफ्रेस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड (Albsan Agroforestry Private Limited, Kanpur, Uttar Pradesh )  से सम्पर्क करने की आवश्यकता होगी|

चन्दन की प्रजातियाँ

चन्दन की पूरे विश्व में कुल मिलाकर 16 प्रजातियाँ हैं, जिनमें सेंत्लम एल्बम बहुत ही अच्छी सुगंध वाली होती हैं| इसी में सबसे अधिक औषधीय गुण भी पाए जाते हैं| चंदन की 16 प्रजातियों में सफेद चन्दन, सेंडल, अबेयाद, श्रीखंड, सुखद सेंडल आदि  प्रजाति की चंदन पाई जाती है। सफेद चंदन को बढ़ने के लिए किसी सहायक पौधे की जरूरत होती है| सफेद चंदन के लिए सहायक पौधा अरहर है, जो कि पौधा के विकास में सहायक होता है| अरहर की फसल से चंदन को नाइट्रोजन तो मिलता ही है साथ ही इसके तने और जड़ों की लकड़ी में सुगंधित तेल का अंश बढ़ता जाता है|

सफेद चंदन इन कामों में होता है इस्तेमाल

सफेद चंदन इस्तेमाल औषधीय बनाने, साबुन, अगरबती, कंठी माला, फर्नीचर, लकड़ी के खिलौने, परफ्यूम, हवन सामग्री में होता है|

ये भी पढ़ें:
घर पर उगाने के लिए ग्रीष्मकालीन जड़ी बूटियां (Summer herbs to grow at home in hindi)

चन्दन की खेती करने का तरीका

  • एक एकड़ जमीन में ज्यादा से ज्यादा 375 सफ़ेद चन्दन के पौधे लगा सकते हैं|
  • चन्दन के पौधों में ज्यादा पानी सिंचित नहीं करना होता हैं इसलिए इसके चन्दन के खेत में मेड़ बनाकर पौधे का रोपण किया जाता है| ये मेड़ कम से कम 10 फुट की दूरी पर बनाये जाते हैं|
  • मेड़ के ऊपर चन्दन के जो पौधे लगाये जाते हैं उसी एक दूसरे से दूरी 12 फुट से कम नहीं होनी चाहिये|
  • एक बात जो सबसे ज्यादा ध्यान रखने वाली है वह यह कि चन्दन के पौधे अकेले कभी नहीं लगाये जाते हैं वरना ये सूख जाते हैं| क्योकि चन्दन अर्धपरजीवी पौधा होता है|
  • चन्दन की खेती जिस क्षेत्र में की जाती हैं वहां पर कुछ साथी पौधों को भी लगाना आवश्यक होता है| क्योकि ये चन्दन के विकास में सहायक होते हैं| इसलिए 375 सफेद चन्दन के आसपास 125 अन्य साथी पौधे भी लगाना आवश्यक है|
  • ये साथी पौधे लाल चन्दन, कैजुराइना, देसी नीम, मीठी नीम एवंसहजन के पौधे आदि हो सकते हैं|
  • चन्दन की खेती करने के लिए बीज या पौधे किसी का भी रोपण किया जा सकता है| इसके लिए आप दोनों में किसी भी चीज को खरीद सकते हैं|
  • व्यवसायिक रूप से देखा जाये तो चन्दन की खेती किसान कुछ विशेष सावधानी के साथ आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, कर्नाटक, तमिलनाडु आदि जैसे किसी भी राज्य में कर सकते हैं| इसलिए यह किसानों के लिए पैसे कमाने का सुनहरा अवसर है|

चंदन का पेड़ कितने साल में तैयार होता है?

चंदन के पौधों को पेड़ बनने में करीब 12 से 15 साल का समय लगता है| 12 साल में इसका वजन 15 किलो आता है, जबकि 15 साल होते तक इसका वजन 20 किलो हो जाता है|

चंदन की लकड़ी की कीमत क्या है?

बीज भी 300 रुपए किलो बिकते हैं। जानकारी के अनुसार चंदन की लकड़ी का औसत बाजार मूल्य 5 से 6 हजार रुपए प्रतिकिलो है।

चंदन पाउडर स्वास्थ्य के लिए लाभ

चंदन पाउडर का इस्तेमाल न केवल चेहरे को सॉफ्ट और ग्लोइंग बनाता है बल्कि इसके इस्तेमाल से त्वचा से जुड़ी कई समस्याओं का समाधान भी हो जाता है। पित्त के कारण होने वाली पेट की गड़बड़ी में भी चंदन का फायदा मिल सकता है। आप चंदन का इस्तेमाल बुखार को ठीक करने के लिए भी कर सकते हैं।

चंदन की खेती में खाद प्रबंधन

चंदन की खेती (sandalwood Farming) में जैविक खादकी अधिक आवश्यकता नहीं होती है। शुरू में फसल की वृद्धि के समय खाद की जरुरत पड़ती है। लाल मिट्टी के 2 भाग, खाद के 1 भाग और बालू के 1 भाग को खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। गाद भी पौधों को बहुत अच्छा पोषण प्रदान करता है।

ये भी पढ़ें:
रोज़मेरी – सुगंधित पौधे की खेती (Rosemary Aromatic Plant Cultivation Info in Hindi)


Q:क्या भारत में चन्दन के पौधे लगाना कानूनी रूप से सही है?

Ans: हाँ, लेकिन इसका गैर कानूनी तरीके से उपयोग नहीं किया जाना चाहिए|

Q: चन्दन की लकड़ी की प्रति किलोग्राम कीमत कितनी है?

Ans: 6 से 12 हजार रूपये

Q: भारत में चदन के पौधे कहाँ सबसे ज्यादा विकसित हैं?

Ans: पश्चिम बंगाल

Q: चन्दन की खेती कैसे करें?

Ans: बेहतर मिट्टी, जगह और वातावरण के साथ ही बीज या पौधों की व्यवस्था करके|

Q: चन्दन की लकड़ी इतनी महंगी क्यों होती है?

Ans: क्योकि विश्व भर में इसका उत्पादन बहुत कम होता है और मांग बहुत अधिक होती है|

आज लगाएं यह पौधा, बारह साल में बन जाएंगे करोड़पति

आज लगाएं यह पौधा, बारह साल में बन जाएंगे करोड़पति

भारत किसानों का देश है, लेकिन किसानों की हालत को ले कर दशकों से चर्चा चल रही है कि इसे कैसे सुधारा जाए। दूसरी तरफ, किसान भी पारंपरिक खेती से अन्य प्रयोग करने से कतराते हैं। इसकी भी अपनी वजह हैं। लेकिन, किसानों की आर्थिक हालात बदले, इसके लिए आवश्यक है कि किसान पारंपरिक खेती के साथ ही अन्य किस्म की खेती भी करें। आज हम आपको ऐसे ही एक पेड़ के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसको अगर आज किसी किसान ने लगा लिया, तो 12 साल बाद वह निश्चित ही करोड़पति हो जाएगा। तो हम बता दें कि उस पेड़ का नाम है, सफेद चंदन (chandan; sandalwood; Santalum album) और सबसे अच्छी बात यह है कि उत्तर भारत के किसान भी सफेद चंदन के पेड़ (safed chandan; white sandalwood) अपने खेतों में लगा सकते हैं। लाल चन्दन के बारे में तो आपने सुना ही होगा कि वह बहुत महँगा होता है। हाल ही में आई एक दक्षिण भारतीय फिल्म में भी लाल चंदन की चर्चा है। लेकिन हम बता दें कि सफेद चंदन की लकड़ी की कीमत भी कोइ कम नहीं होती और इसके इस्तेमाल भी बहुतायत में होते हैं। हजारों रूपये किलो बिकने वाला सफेद चन्दन का एक पेड़ लाखों रूपये दे कर जाता है।

ये भी पढ़ें: चन्दन की खेती : लाखों कमाएं
एक सवाल यह मन में आता है कि क्या सफेद चंदन की खेती नार्थ इंडिया के किसान भी कर सकते हैं ? तो हम बता दें कि इसकी खेती वैसे तो पूरे भारत में की जा सकती है, लेकिन इसके लिए मिट्टी का पीएच लेवल 6 से 8.5 के बीच सबसे अच्छा माना गया है। जहां सफेद चंदन के पेड़ लगाए गए हो वहाँ जल जमाव नहीं होना चाहिए। हां, इसे बर्फ से भी बचाया जाना जरूरी है। गौरतलब है कि सफेद चंदन के एक पेड़ को विकसित होने में 12 से 15 साल का समय लग सकता है। अगर किसी किसान के पास एक एकड़ जमीन है तो उसमें वह सफेद चंदन के 400 पौधे लगा सकता है। हर दो पेड़ के बीच 12 फीट की जगह खाली होनी चाहिए। यानी, बीच की खाली जमीन में किसान सब्जी की भी खेती कर सकते हैं। अगर किसान चाहें तो चंदन के खेत में हरी सब्जी की भी खेती कर सकते हैं। 12 साल बाद इन चार सौ पेड़ों की कीमत इतनी होगी कि किसान निश्चित ही करोड़पति बन जाएंगे। तो देर किस बात की है, आज ही सफेद चंदन के पेड़ अपनी जमीन में लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दें।
बंजर और शुष्क भूमि में खेती को मिलेगा बढ़ावा, टीएनएयू ने तैयार किये लाल चंदन

बंजर और शुष्क भूमि में खेती को मिलेगा बढ़ावा, टीएनएयू ने तैयार किये लाल चंदन

तमिलनाडु में खास कृषि बजट में बंजर और शुष्क भूमि में खेती को बढ़ावा देने के लिए जरूरी कदम उठाया है. दरअसल तमिलनाडु कृषि विश्विद्यालय यानि की टीएनएयू ने फारेस्ट कॉलेज एंड रिसर्च में सबसे ज्यादा फायदे देने वाले लाल चंदन के पौधे तैयार किये हैं. टीएनएयू (TNAU) के कुलपति के मुताबिक तमिलनाडु ने अपने वन क्षेत्र को बढ़ाने का लक्ष्य रखा है. जोकि 17 फीसद से बढ़ाकर करीब 30 फीसद तक किया जाएगा. जिसमें लाल चंदन को उगाया जाएगा. बता दें लाल चंदन उगाने से किसानों को काफी ज्यादा फायदा मिलेगा. क्योंकि बाजार में लाल चंदन की लकड़ी की बिक्री पर काफी अच्छा रिटर्न मिलता है. वहीं सरकार की तरफ से प्राइवेट जमीनों पर लाल चंदन के पेड़ उगाने के लिए लोगों को प्रेरित किया जा रहा है.

किसानों को मिलेगा अच्छा मुनाफा

जानकारी के मुताबिक एक बड़े
लाल चंदन के पेड़ की लकड़ी की कटाई करने के लिए 18 साल का इंतजार करना होता है. लेकिन इंतजार के बाद हर पेड़ से 1 क्विंटल तक की लकड़ी मिलती है. जिसकी वजह से किसानों को अच्छा खासा मुनाफा हो सकता है. एक एकड़ की जमीन में आप करीब तीन-तीन मीटर की दूरी पर करीब एक साथ 450 पेड़ उगा सकते हैं. आपको बता दें कि, लाल चंदन के पौधे में तने से लेकर जड़ों तक में एक खास तरह की इंजीनियरिंग प्रणाली शामिल की गयी है. इसकी मदद से ज्यादा उपज मिल सकेगी. इस लाल चंदन की खास किस्म को तेजी से बढ़ने वाले पौधों की प्रजातियों के लिए विकसित किया गया है. ये भी पढ़ें: आज लगाएं यह पौधा, बारह साल में बन जाएंगे करोड़पति लाला चंदन के इस पौधे को विकसित करने के पीछे कृषि भूमि से बेहद दुर्लभ, और संकट से घिरी पेड़ों की प्रजातियों की खेती को बढ़ावा देना है. साइंटिस्ट बताते है कि, अच्छे तरीके से किये गये पौधों का रोपण, ड्रिप से सिंचाई और अच्छे जड़ प्रबंधन के तरीकों से लाल चंदन के विकास को बढ़ावा मिल सकता है.
चंदन के समान मूल्यवान इन पेड़ों की लकड़ियां बेचकर होश उड़ाने वाला मुनाफा हो सकता है

चंदन के समान मूल्यवान इन पेड़ों की लकड़ियां बेचकर होश उड़ाने वाला मुनाफा हो सकता है

भारत एक कृषि प्रधान देश है। इसी कड़ी में यहां वृक्षों की विभिन्न प्रकार की प्रजातियां पाई जाती हैं। कुछ वृक्ष तो व्यावसायिक उपयोग में लिए जाते हैं। वहीं, कुछ वृक्षों में औषधीय गुण विघमान होते हैं। बाजार में औषधीय पेड़ के बीज, पत्ती, छाल, जड़ एवं लकड़ी की अच्छी-खासी कीमत मिल जाती है। विश्वभर में पेड़ों के उत्पादन का चलन बढ़ता जा रहा है। यह पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अहम भूमिका अदा करता हैं। मृदा को बांधे रखने एवं भूजल स्तर को अच्छा करने में भी वृक्षों की अहम भूमिका है। फर्नीचर और औषधियों के लिए पेड़ों की खेती का प्रचलन बढ़ रहा है। देश में कुछ पेड़ों की लकड़ी के सहित छाल, जड़ों, फल और पत्ती में भी औषधीय गुण विघमान होते हैं। यही वजह है, जो बाजार में इन वृक्षों की अच्छी खासी कीमत प्राप्त हो रही है।

चंदन की खेती

चंदन के पेड़ के औषधीय गुणों से आज कौन रूबरू नहीं होगा। देश दुनिया में सफेद एवं लाल चंदन की बेहद मांग है। परंतु, मांग के अनुरूप उत्पादन नहीं है, क्योंकि
चंदन के पेड़ को तैयार होने में भी काफी वर्ष लग जाते हैं। इसके उपयोग द्वारा परफ्यूम से लेकर शराब, साबुन, सौंदर्य उत्पाद आदि विभिन्न उत्पाद निर्मित किए जाते हैं। इन्हीं सब कारणों के चलते सफेद एवं लाल दोनो तरह के चंदन करोड़ों की कीमत पर विक्रय किए जाते हैं।

महोगनी की खेती

अगर किसान धैर्यपूर्वक महोगनी की खेती करे तो वह महोगनी के उत्पादन से करोडों की आमदनी कर सकता है। बतादें, कि महोगनी के इस पेड़ के लकड़ी, पत्तियां व बीज से लेकर छाल तक काफी अच्छे भाव पर बेचे जाते हैं। परंतु, इस पेड़ को तैयार करने में लगभग 12 वर्ष का समय लग जाता है। अगर हम इसके बीज और लकड़ी की कीमत पर नजर ड़ालें तो इसका बीज 1,000 रुपये किलो वहीं लकड़ी 2000-2200 रुपये क्यूबिक फीट के भाव से बिकती है। साथ ही, इस महोगनी पेड़ के औषधीय गुणों वाली फूल, पत्ती और छाल भी काफी महँगे भावों पर बेची जाती है। इसकी खेती से तकरीबन 1 करोड़ तक की आमदनी की जा सकती है। यह भी पढ़ें: यह पेड़ आपको जल्द ही बना सकता है करोड़पति, इसकी लकड़ी से बनते हैं जहाज और गहने

नीम की खेती

नीम के औषधीय गुणों की बात करें तो यह कलयुग की संजीवनी के समान हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है, कि नीम प्रत्येक गली, मौहल्ले में देखने को मिल जाती है। परंतु, नीम की गुणवत्ता एवं इसके लाभ को जानने के बाद भी लोग इसका उपयोग नहीं करते हैं। जानकारी के लिए बतादें, कि एंटी-बैक्टीरियल एवं एंटीसेप्टिक, गुणों से युक्त निबौरी, छाल, लकड़ी और नीम की पत्तियों से बनते हैं। जिनको बाजार में काफी ज्यादा कीमत पर बेचा जाता है। इसकी विशेषताओं को ध्यान में रखके लोग मालाबार नीम की खेती करने में रुचि दिखा रहे हैं।

दालचीनी की खेती

अगर हम दालचीनी की बात करें तो रसोई के सर्वाधिक पंसदीदा मसालों में आने वाली दालचीनी अपने आप में एक औषधी है। दालचीनी पेड़ की छाल को मसाले के रूप में उपयोग किया जाता है। दक्षिण भारत में दालचीनी का उत्पादन बड़े स्तर पर किया जा रहा है। यहां इससे सौंदर्य और स्वास्थ्य उत्पाद के साथ तेल निकाला जाता है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में दालचीनी का व्यवसाय करोड़ों रुपए का है।

आम की खेती

आम के मीठे स्वाद को तो सब जानते हैं, सबने इसका स्वाद भी खूब चखा होगा। परंतु, क्या आपको यह पता है, कि इसकी पत्ती एवं लकड़ी की भी बाजार में काफी मांग रहती है। आम की लकड़ी से समस्त बैक्टीरिया दूर भाग जाते हैं। भारत में हवन पूजा यानी शुभ कार्यों में आम के पत्ते एवं लकड़ी का उपयोग किया जाता है। इसकी लकड़ी बैक्टीरिया नाशक है। यही कारण है, कि पूरे वर्ष इसकी मांग रहती है।
हर तरह की मिट्टी में उत्पादित होने वाले सफेद चंदन की खेती से बनें अमीर

हर तरह की मिट्टी में उत्पादित होने वाले सफेद चंदन की खेती से बनें अमीर

सफेद चंदन की खेती किसी भी तरह की मृदा में की जा सकती है। सफेद चंदन बंजर, धूस, पथरीली और ऊसर मृदा में भी तीव्रता के साथ उन्नति करता है। समय के चलते पढ़े-लिखे लोगों की रुचि भी खेती के प्रति बढ़ती जा रही है। वर्तमान में अच्छे- खासे वेतन वाली नौकरी को छोड़कर इंजीनियर और एमबीए पास युवक कृषि के अंदर अपने हाथ आजमा रहे हैं। विशेष बात यह है, कि इस प्रकार के प्रोफेशनल युवा वैज्ञानिक ढ़ंग से कृषि कर रहे हैं, जिससे उनको ज्यादा मुनाफा हो रहा है। कोई उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे प्रदेशों में सेब की खेती कर रहा है, तो कोई अखरोट और आंवले की बागवानी कर रहा है। परंतु, इन युवाओं को यह पता होना जरूरी है, कि सफेद चंदन की खेती में इन फसलों की तुलना में अधिक मुनाफा होता है। यदि युवा सफेद चंदन की पैदावार करते हैं, तो लाखों नहीं करोड़ों में मुनाफा कमाऐंगे।

सफेद चंदन की खेती इन राज्यों में की जा सकती है

मीडिया एजेंसियों के अनुसार, सफेद चंदन का उत्पादन उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में भी किया जा सकता है। बहुत सारे किसानों ने तो इन राज्यों में सफेद चंदन की खेती चालू भी कर दी है। सफेद चंदन की लकड़ी काफी ज्यादा महँगी होती है। बाजार में इसकी कीमत 8 से 10 हजार रुपये प्रतिकिलो है। विदेशों में एक किलो सफेद चंदन का भाव 25 हजार रुपये है। मतलब कि चंदन के एक पेड़ से लाखों रुपये की आमदनी की जा सकती है। एक एकड़ में सफेद चंदन की खेती चालू करने पर एक लाख रुपये का खर्चा आता है। परंतु, 14 से 15 वर्ष के उपरांत इससे आप करोड़ों रुपये की आमदनी कर सकते हैं।

ये भी पढ़ें:
चंदन के समान मूल्यवान इन पेड़ों की लकड़ियां बेचकर होश उड़ाने वाला मुनाफा हो सकता है

सफेद चंदन से निर्मित किए जाने वाले उत्पाद

सफेद चंदन औषधीय गुणों से संपन्न होता है। इसका इस्तेमाल खिलौने, परफ्यूम, हवन सामग्री, अगरबती, कंठी माला और साबुन बनाने में किया जाता है। चंदन से निर्मित किए गए साबुन और परफ्यूम काफी ज्यादा महंगे बिकते हैं। यदि किसान भाई सफेद चंदन की खेती करते हैं। तब उनकी कुछ वर्षों के बाद जिंदगी ही बदल जाएगी।

सफेद चंदन की खेती के लिए हर प्रकार की मृदा उपयुक्त है

सफेद चंदन की खेती हर तरह की मृदा में की जा सकती है। यह पथरीली, बंजर, धूस और ऊसर मृदा में भी तेजी के साथ विकास करता है। हालाँकि, इस सब के बावजूद भी दोमट मृदा सफेद चंदन के लिए उपयुक्त मानी जाती है। इसका उत्पादन शुरू करने से पूर्व भूमि को सही ढंग से तैयार कर लें। दो पौधों के मध्य कम से कम 10 फीट की दूरी अवश्य रखें। एक एकड़ में चंदन के 400 से ज्यादा पौधे लगाए जा सकते हैं। साथ ही, समय- समय पर इसकी सिंचाई भी करते रहें। मुख्य बात यह है, कि जिस खेत में आपने सफेद चंदन के पौधे लगाए हैं, उसके अंदर जल निकासी की भी बेहतरीन सुविधा होनी चाहिए। खेत में जलभराव होने की स्थिति में पौधों को काफी हानि भी हो सकती है।
लाल चंदन की खेती से किसान कुछ ही वर्षों में मालामाल हो सकते हैं

लाल चंदन की खेती से किसान कुछ ही वर्षों में मालामाल हो सकते हैं

यदि आप भी अपने खेतों में चंदन की खेती करना चाहते हैं, तो इसके लिए यह लेख एक बार अवश्य पढ़ लें। जिससे कि आप कम वक्त में इससे ज्यादा से ज्यादा मुनाफा उठा सकें। जैसा कि हम जानते हैं, कि भारत के अधिकांश ग्रामीण लोग खेती करके ही अपना जीवन यापन करते हैं। परंतु, आज के दौर में देखा जाए तो किसान खेती से ज्यादा धन नहीं कमा पा रहे हैं। कुछ किसानों ने तो पारंपरिक खेती को छोड़कर बाकी तरीकों को अपनाना चालू कर दिया है।

लाल चंदन की खेती करेगी मालामाल

परंतु, आज हम आपके लिए ऐसी कृषि की जानकारी लेकर आए हैं, जिसको अपनाकर आप करोड़पति तक बन सकते हैं। इसके लिए आपको ज्यादा कुछ करने की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी। केवल थोड़ा सा धैर्य धारण करना पड़ेगा। अर्थात एक बार इस पौधे को अपने खेत में रोपने के पश्चात आपको कुछ वर्षों तक प्रतीक्षा करनी होगी। दरअसल, जिस खेती की हम बात कर रहे हैं, उसका नाम लाल सोना की खेती है। बतादें कि आज के समय में यह विश्व भर में सबसे ज्यादा मुनाफे का व्यवसाय साबित हो रही है। ये भी पढ़े:
15 बीघे में लाल चंदन की खेती कर कैसे हुआ किसान करोड़पति

लाल चंदन को लाल सोना क्यों बोलते हैं

दरअसल, आज हम जिस लाल सोने की चर्चा कर रहे हैं, उसको बाजार में चंदन भी कहा जाता है। इसकी कीमत देश-विदेश के बाजार में काफी ज्यादा होती है। यदि आप अपने खेत में लाल सोने के पौधों को रोपते हैं, तो आप कुछ ही वर्षों के अंदर इसको बाजार में बेचकर करोड़ों रुपए आसानी से कमा सकते हैं। फिलहाल, आपके दिमाग में यह बात आ रही होगी कि यदि इसकी खेती की मांग और कीमत इतनी ज्यादा है, तो भारत का प्रत्येक किसान लाल सोने की खेती क्यों नहीं करता है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इसकी खेती करना कोई आसान काम नहीं है। इसके लिए किसानों को काफी दीर्घ काल तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है। वहीं, समय-समय पर इसकी देखभाल से लेकर बहुत सारे जरूरी काम भी करने होते हैं।

लाल चंदन के एक पेड़ की कीमत

भारतीय बाजार में लाल सोना मतलब की चंदन के पेड़ की कीमत लाखों में होती है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, बाजार में इसके एक ही पेड़ की कीमत लगभग 6 लाख रुपए तक होती है।

चंदन के पेड़ की खेती हेतु सरकारी सहायता

भारत सरकार की ओर से भी चंदन के पेड़ की खेती करने के लिए आर्थिक रूप से सहायता की जाती है। मीडिया खबरों के अनुसार, लाल सोना मतलब कि चंदन की खेती के लिए सरकार से किसानों को 28-30 हजार रुपए तक आर्थिक रूप से सहायता की जाती है। ये भी पढ़े: चंदन के समान मूल्यवान इन पेड़ों की लकड़ियां बेचकर होश उड़ाने वाला मुनाफा हो सकता है

एक हेक्टेयर भूमि में लाल चंदन के कितने पौधे लगेंगे

यदि आप बाजार के अंदर इसके एक पौधे को खरीदने के लिए जाते हैं, तो आपको इसका एक ही पौधा 100 से लेकर 150 रुपए तक पड़ेगा। वहीं, यदि आप अपने खेत के एक हेक्टेयर में इसकी खेती करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको तकरीबन 600 पौधों की जरूरत पड़ेगी। जो कि 12 साल में अच्छे से तैयार हो जायेंगे। समय के अनुरूप आपको इन 600 पेड़ों का भाव बाजार के अंदर मिलेगा। यदि हम वर्तमान भाव के अनुरूप बात करें तो आप लाल सोने के 600 पेड़ों से कम से कम 30 करोड़ रुपए अर्जित कर सकते हैं।
वैज्ञानिकों द्वारा चलाई गई इस परियोजना से किसान कम समय में चंदन की खेती से बनेंगे मालामाल

वैज्ञानिकों द्वारा चलाई गई इस परियोजना से किसान कम समय में चंदन की खेती से बनेंगे मालामाल

चंदन की खेती से कृषक कम लागत लगाकर करोड़ों रूपए तक कमा सकते हैं। परंतु, इसकी पैदावार के लिए 10-15 वर्षों तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है, जिसकी वजह से देश के कुछ ही किसान चंदन की खेती करते हैं। साथ ही, केंद्रीय मृदा एवं लवणता अनुसंधान संस्थान ने कम समयांतराल में तैयार होने वाले चंदन के पौधों को विकसित कर रहा है। चंदन का उत्पादन करने से किसान भाइयों को बेहद ही ज्यादा मुनाफा मिलता है। भारत के अधिकांश किसान इसकी खेती की ओर अपनी दिलचस्पी तो दिखाते हैं, परंतु तकनीकी अभाव के कारण वह चंदन की खेती नहीं कर पाते हैं। दरअसल, चंदन के पेड़ों से मुनाफा हांसिल करने के लिए तकरीबन 10-15 सालों तक की लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ती है। इसी कड़ी में केंद्रीय मृदा एवं लवणता अनुसंधान संस्थान ने एक पहल की है, जिसमें अच्छे और गुणवत्तापरक चंदन के पौधे विकसित किए जा रहे हैं। फिलहाल इस काम पर वैज्ञानिकों की तरफ से शोध किया जा रहा है, जिससे कि किसानों को कम समयावधि में चंदन की खेती से ज्यादा से ज्यादा फायदा अर्जित हो सके। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि चंदन का उपयोग पूजा-पाठ से लगाकर बाकी विभिन्न प्रकार के शुभ कार्यों में किया जाता है। इसकी वजह से बाजार में चंदन की मांग और कीमत दोनों ही काफी बढ़ जाती हैं।

वैज्ञानिकों की तरफ से चंदन के वृक्षों पर परियोजना जारी

कृषकों की आमदनी में बढ़ोतरी करने के लिए केंद्रीय मृदा और लवणता अनुसंधान संस्थान (सीएसएसआरआई) करनाल के वैज्ञानिकों की तरफ से चंदन के बेहतर और गुणवत्तापरक पौधों को विकसित किया जा रहा है। इस संबंध में कृषि वैज्ञानिक डॉ. राज कुमार ने बताया है, कि चंदन के पौधों पर यह परियोजना कार्य संस्थान के निदेशक डॉ. आरके यादव के दिशा निर्देशन में किया जा रहा है। वर्तमान में भी चंदन के पौधे पर शोध बरकरार चल रहा है। उन्होंने कहा है, कि चंदन के वृक्ष से फायदा उठाने के लिए किसानों को 10-15 वर्षों की प्रतीक्षा करनी पड़ती है। वैज्ञानिकों के द्वारा इसी दीर्घकालीन प्रतीक्षा को कम करने के लिए यह परियोजना जारी की गई है। इसके साथ ही चंदन के वृक्ष के पास किस मेजबान पौधे को रखें एवं कितनी खाद, कितना पानी दिया जाए आदि अहम पहलुओं पर भी कार्य चल रहा है, जिससे कि चंदन के पेड़ों से फायदा पाने का समयांतराल कम हो सके। प्राप्त की गई जानकारी के अनुसार, संस्थान में एक एकड़ जमीन में चंदन के पौधे स्थापित किए गए हैं, जो कि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किए गए हैं।

ये भी पढ़ें:
15 बीघे में लाल चंदन की खेती कर कैसे हुआ किसान करोड़पति

किसानों के लिए चंदन का वृक्ष काफी फायदेमंद है

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, चंदन का वृक्ष जितना पुराना होगा, बाजार में उतना ही ज्यादा उसका भाव होता है। यदि देखा जाए तो चंदन का एक पेड़ लगभग 15 वर्ष में तैयार होता है, तो बाजार में उस एक पेड़ की कीमत करीब 70 हजार रुपये से लेकर दो लाख रुपये तक हो सकती है। ऐसी स्थिति में फिलहाल आप अनुमान लगा सकते हैं, तो चंदन की खेती कर किसान कुछ ही वर्षों में लाखों की आमदनी सहजता से कर सकते हैं।

चंदन का पौधा बाकी दूसरे पौधों से खुराक लेता है

चंदन के पौधे के साथ में बाकी दूसरा पौधा भी लगाया जाता है। क्योंकि, यह वृक्ष स्वयं अपनी खुराक दूसरे पौधों की जड़ों से प्राप्त करता है। दरअसल, चंदन के पौधे की जड़ें अन्य दूसरे पौधों की जड़ों को अपने में जोड़ लेती हैं। फिर उसे मिलने वाली खुराक को वह अपनी खुराक में परिवर्तित कर लेता है, जिससे कि पौधा बेहतर ढ़ंग से तैयार हो सके।
15 बीघे में लाल चंदन की खेती कर कैसे हुआ किसान करोड़पति

15 बीघे में लाल चंदन की खेती कर कैसे हुआ किसान करोड़पति

सभी तरह के केमिकल फ़र्टिलाइज़र दिनोंदिन महंगे होते जा रहे हैं, जिसका सीधा असर खेती पर पड़ रहा है। आजकल किसानों के लिए खेती घाटे का सौदा बन कर रह गई है। ऐसे में किसानों का जागरूक होना बहुत ज्यादा जरूरी है। जागरूक किसान परंपरागत फसल जैसे गन्ना, आलू, गेहूं और धान की खेती छोड़ मुनाफे की खेती की ओर रुख कर करे हैं। बिजनौर के किसान भी ऐसे ही अलग तरह की खेती की ओर रुख कर रहे हैं और वह है लाल चंदन की खेती। इसके अलावा बहुत से किसान ड्रैगनफ्रूट, कीवी और आवाकाडो जैसे फलों की बागवानी कर रहे हैं। इसके साथ ही अनेक किसान मेडिसिनल प्लांट्स जैसे अश्वगंधा, एलोवेरा, शतावर और तुलसी की भी खेती कर रहे हैं। 

ये भी पढ़े: बागवानी की तरफ बढ़ रहा है किसानों का रुझान, जानिये क्यों? 

आज हम आपको बिजनौर के बलीपुर गांव के किसान चंद्रपाल सिंह के बारे में बताने वाले हैं, जो पिछले लगभग 10 वर्षों से सफेद और लाल चंदन की खेती कर रहे हैं। चंद्रपाल सिंह से हुई बातचीत में पता चला कि चंदन का पौधा 150 रुपए में मिल जाता है और उसके बाद जब 12 साल बाद ही यह तैयार होता है तो इसकी कीमत लगभग डेढ़ लाख रुपए हो जाती है। दुनिया भर में चंदन की डिमांड के बारे में हम सब जानते हैं, चंदन की लकड़ी उस का तेल और बुरादा सभी चीजें लोगों द्वारा इस्तेमाल की जाती हैं और बाजार में बहुत ज्यादा मांग में रहती हैं। चंद्रपाल सिंह ने बताया कि चंदन की खेती की ढंग से देखभाल करते हुए आप करोड़पति बन सकते हैं। बस आपको जरा सब्र रखने की जरूरत है, उन्होंने कहा कि बिजनोर के अनेकों किसानों ने शुरुआत में कर्नाटक और तमिलनाडु से चंदन की पौध लाकर अपने खेतों में लगाई थी।

 

कुछ सालों में करोड़ों हो जाएगी कीमत

इसके अलावा चांदपुर में रहने वाले किसान शिवचरण सिंह ने 15 बीघा जमीन में लाल चंदन के पौधे लगाए थे, जो अब लगभग 20 फीट ऊंचे पेड़ बन गए हैं। उन्होंने कहा कि उनके खेत में लगभग 1500 पेड़ लाल चंदन के हैं, जिनकी कीमत लगभग दो करोड़ रुपए लग चुकी है। व्यापारी बार-बार आकर इन के पेड़ों को करोड़ों में खरीदना चाहते हैं, लेकिन वह अभी इसकी कीमत को और बढ़ाना चाहते हैं। लिहाजा उनका इरादा 3 साल के बाद पेड़ों को बेचने का है। शिवचरण सिंह को उम्मीद है, कि उनके पेड़ों की कीमत 3 साल बाद 3 करोड़ रुपए होगी। चंदन के पेड़ों की बागवानी करने के साथ-साथ चंद्रपाल सिंह दूसरे किसानों को तमिलनाडु और कर्नाटक से चंदन की पौध भी लाकर बेचते हैं और गाइड भी करते हैं।

 

बड़े लेवल पर कर रहे हैं किसान चंदन की खेती

बिजनौर के डीएम उमेश मिश्रा ने बताया कि बिजनौर में अब तक 200 से ज्यादा किसानों ने चंदन की खेती बड़े लेवल पर करनी शुरू कर दी है। इसके साथ ही कुछ किसान ड्रैगन फ्रूट की बागवानी कर रहे हैं। बिजनौर के बलिया नगली गांव के जयपाल सिंह ने 1 एकड़ जमीन में पर्पल ड्रैगन लगा रखा है, जिससे उन्हें हर साल 5 लाख रुपए की आमदनी हो रही है। थाईलैंड और चाइना का यह फल सौ से डेढ़ सौ रुपए में मिलता है।

 

क्यों बिजनौर का वातावरण है अलग अलग तरह की खेती के लिए एकदम सही

बिजनौर में किसान बाकी खेती के साथ साथ ड्रैगन फ्रूट की खेती भी कर रहे हैं। इस फल को उगाने के लिए खर्चा थोड़ा ज्यादा आता है, लेकिन बाजार में बेचते समय इसकी कीमत भी काफी ज्यादा लगाई जाती है। ऐसा ही कीवी और आवाकार्डो के साथ भी है, आमतौर पर यह सब फल ठंडे इलाकों में पैदा होते हैं। लेकिन उत्तराखंड की पहाड़ी से लगे होने की वजह से बिजनौर का वातावरण इन्हें अच्छा खासा सूट कर रहा है।

 

यह खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है

बिजनौर में किसान बहुत लंबे समय से गन्ने की खेती करते आ रहे हैं और इसके अलावा यहां पर गेहूं या आलू आदि भी उगाया जाता था। लेकिन समय और प्राकृतिक मार के कारण इस तरह की खेती में किसानों को ज्यादा लाभ नहीं मिल रहा था। इसलिए उन्होंने अपना रुख बागवानी और औषधीय पौधे की तरफ किया है। बिजनौर के कई किसान एलोवेरा, अश्वगंधा, सतावर और तुलसी आदि औषधीय पौधे की भी खेती कर रहे हैं, जिनका प्रयोग आयुर्वेदिक दवाइयों में होने की वजह से बाजार में अच्छी कीमतों पर उपज बिक जाती है।