चंदन एक सदाबहार पेड़ है| इसकी खुशबू और औषधीय गुणों की वजह से इसकी काफी मांग होती है| चंदन की खेती कर आप मालामाल हो सकते हैं|
चंदन की खरीद और बिक्री पर सरकार ने रोक लगा रखी है| 2017 में बने नियम के अनुसार, चंदन की खेती कोई भी कर सकता है, लेकिन चंदन का एक्सपोर्ट सिर्फ सरकार ही कर सकती है|
चन्दन की खेती करने के लिए बीज या पौधे किसी का भी रोपण किया जा सकता है| इसके लिए आप दोनों में किसी भी चीज को खरीद सकते हैं| इसके बीज या पौधे खरीदने के लिए आपको केंद्र सरकार के लकड़ी विज्ञान एवं तकनिकी संसथान ( Institute of Wood Science and Technology (IWST) ) जोकि बंगलौर में स्थित से वहाँ से सम्पर्क करना होगा| इसके अलावा भारत के उत्तरप्रदेश में भी इसकी एक नर्सरी है जहाँ आपको इसकी जानकारी एवं पौधे दोनों मिल जायेंगे| इसके लिए आपको मशहूर एल्ब्सन एग्रोफ्रेस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड (Albsan Agroforestry Private Limited, Kanpur, Uttar Pradesh ) से सम्पर्क करने की आवश्यकता होगी|
चन्दन की पूरे विश्व में कुल मिलाकर 16 प्रजातियाँ हैं, जिनमें सेंत्लम एल्बम बहुत ही अच्छी सुगंध वाली होती हैं| इसी में सबसे अधिक औषधीय गुण भी पाए जाते हैं| चंदन की 16 प्रजातियों में सफेद चन्दन, सेंडल, अबेयाद, श्रीखंड, सुखद सेंडल आदि प्रजाति की चंदन पाई जाती है। सफेद चंदन को बढ़ने के लिए किसी सहायक पौधे की जरूरत होती है| सफेद चंदन के लिए सहायक पौधा अरहर है, जो कि पौधा के विकास में सहायक होता है| अरहर की फसल से चंदन को नाइट्रोजन तो मिलता ही है साथ ही इसके तने और जड़ों की लकड़ी में सुगंधित तेल का अंश बढ़ता जाता है|
सफेद चंदन इस्तेमाल औषधीय बनाने, साबुन, अगरबती, कंठी माला, फर्नीचर, लकड़ी के खिलौने, परफ्यूम, हवन सामग्री में होता है|
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चंदन के पौधों को पेड़ बनने में करीब 12 से 15 साल का समय लगता है| 12 साल में इसका वजन 15 किलो आता है, जबकि 15 साल होते तक इसका वजन 20 किलो हो जाता है|
बीज भी 300 रुपए किलो बिकते हैं। जानकारी के अनुसार चंदन की लकड़ी का औसत बाजार मूल्य 5 से 6 हजार रुपए प्रतिकिलो है।
चंदन पाउडर का इस्तेमाल न केवल चेहरे को सॉफ्ट और ग्लोइंग बनाता है बल्कि इसके इस्तेमाल से त्वचा से जुड़ी कई समस्याओं का समाधान भी हो जाता है। पित्त के कारण होने वाली पेट की गड़बड़ी में भी चंदन का फायदा मिल सकता है। आप चंदन का इस्तेमाल बुखार को ठीक करने के लिए भी कर सकते हैं।
चंदन की खेती (sandalwood Farming) में जैविक खादकी अधिक आवश्यकता नहीं होती है। शुरू में फसल की वृद्धि के समय खाद की जरुरत पड़ती है। लाल मिट्टी के 2 भाग, खाद के 1 भाग और बालू के 1 भाग को खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। गाद भी पौधों को बहुत अच्छा पोषण प्रदान करता है।
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Ans: हाँ, लेकिन इसका गैर कानूनी तरीके से उपयोग नहीं किया जाना चाहिए|
Ans: 6 से 12 हजार रूपये
Ans: पश्चिम बंगाल
Ans: बेहतर मिट्टी, जगह और वातावरण के साथ ही बीज या पौधों की व्यवस्था करके|
Ans: क्योकि विश्व भर में इसका उत्पादन बहुत कम होता है और मांग बहुत अधिक होती है|