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भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा लागु की गई कृषि एडवाइजरी, कैसे करें फसलों और पशुओं की विशेष देखभाल

Published on: 21-Jan-2025
Updated on: 22-Jan-2025
A split image showcasing golden wheat fields with a close-up of a wheat stalk on one side and a herd of white cattle in a farm setting on the other
सम्पादकीय सम्पादकीय

मौसम में निरंतर बदलाव होने के कारण ठण्ड में भी वृद्धि हो रही हैं। इस मौसम में फसलों और पशुओं की विशेष देखभाल की जरूरत होती है, पर किसानों को इसकी पूरी जानकारी नहीं होती।

इसी को देखते हुए भारत मौसम विज्ञान विभाग चंडीगढ़ ने हरियाणा और पंजाब के किसानों को सलाह दी है, जिसके आधार पर किसान अपने फसलों और जानवरों को मानसून में होने वाली क्षति से बचा सकेंगे।

किसानों को बताया गया है कि वह इस मौसम में कैसे अपनी फसल और पशुधन का ध्यान रखें।

गेहूं

इस समय नवंबर में बोए गए गेहूं की दूसरी सिंचाई करें और दिसंबर में बोए गए गेहूं की पहली सिंचाई करें।  

देर से बोए गए गेहूं में पहली सिंचाई के साथ दूसरी नाइट्रोजन की खुराक दें।

जिंक की कमी के लिए 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट (21% जिंक) प्रति एकड़ सूखी मिट्टी में मिलाकर छिड़कें या 0.5% जिंक सल्फेट का 2-3 बार स्प्रे करें (1 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट और 1/2 कि.ग्रा. बुझा हुआ चूना 200 लीटर पानी में मिलाएं)।

  • मैंगनीज की कमी होने पर सिंचाई से 2-3 दिन पहले 0.5% मैंगनीज सल्फेट का स्प्रे करें।
  • सल्फर की कमी के लिए प्रति एकड़ एक क्विंटल जिप्सम छिड़कें और हल्की सिंचाई करें।

शरद गन्ना (परिपक्वता)

जल्दी परिपक्व होने वाली गन्ना किस्मों (जैसे CoPb 95, CoPb 96, Co 15023) की कटाई और पेराई शुरू करें।  

गन्ने के टॉप बोरर के नियंत्रण के लिए 10 कि.ग्रा. फर्टेरा 0.4 GR या 12 कि.ग्रा. कार्बोफुरान 3G का छिड़काव करें यदि नुकसान 5% से अधिक हो। फसल की सिंचाई हर महीने करें।

सरसों (फूल आने की अवस्था)

सरसों की फसल को (पाले) ठंड से बचाने के लिए सिंचाई करें।  

सफेद जंग (व्हाइट रस्ट) के नियंत्रण के लिए 250 ग्राम रिडोमिल गोल्ड को 100 लीटर पानी में मिलाकर 60 और 80 दिन पर छिड़कें।  

5 दिसंबर से 25 जनवरी के बीच सरसों की सिंचाई न करें ताकि स्क्लेरोटिनिया स्टेम रॉट को रोका जा सके।

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आलू की फसल

आलू की फसल का नियमित निरीक्षण करें और वायरस संक्रमित पौधों को हटा दें।  

लेट ब्लाइट से बचाने के लिए इंडोफिल एम-45/मार्कज़ेब/कवच (500-700 ग्राम/एकड़) या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 WP (750-1000 ग्राम/एकड़) का छिड़काव 250-350 लीटर पानी में मिलाकर 7 दिन के अंतराल पर करें।

फलों की फसलें (परिपक्वता)

  • पत्ती गिराने वाले फलों के बागों (नाशपाती, आड़ू, बेर, अंगूर) में सिंचाई रोकें ताकि पेड़ सर्दी झेलने के लिए तैयार हो जाएं।  
  • युवा फलों के पौधों को सर्दियों से बचाने के लिए सर्कंडा या खेत के कचरे से छाजन तैयार करें।  
  • बागों में दक्षिण-पश्चिम दिशा खुली रखें ताकि पर्याप्त धूप मिले।  
  • नए बाग लगाने की योजना और तैयारी शुरू करें।

पशुपालन

  • पशुओं को ठंड से बचाने के लिए उन्हें सूखे और गर्म शेड में रखें।  
  • नवजात बछड़ों को निमोनिया से बचाएं और जन्म के 1-2 घंटे के भीतर मां का पहला दूध पिलाएं।  
  • चारे में बर्सीम और गेहूं का भूसा मिलाकर दें।  
  • पराली अकेले न खिलाएं क्योंकि यह दस्त का कारण बन सकती है।  
  • यदि पशुओं को अफारा हो तो तेल (जैसे सरसों, तिल, मूंगफली) दें ।  
  • शेड में चावल के भूसे या रेत का बिस्तर लगाएं।  
  • दिन में पशुओं को धूप में बैठने दें।
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पोल्ट्री (मुर्गी पालन)

  • 15 दिन से अधिक समय तक फीड स्टोर न करें ताकि अफ्लाटॉक्सिन से बचा जा सके।  
  • मुर्गियों को चोट से बचाने के लिए मेबेंडाजोल 130 मि.ली./100 पक्षी पानी में मिलाकर दें।  
  • मुर्गियों को रानीखेत और फॉल पॉक्स रोगों से बचाने के लिए समय पर टीकाकरण करें।