मेरीखेती द्वारा मार्च माह की किसान पंचायत का आयोजन उत्तर प्रदेश के दादरी जनपद के अंतर्गत दुजाना गांव में किया गया।
इस पंचायत की मेजबानी किसान जीतेन्द्र नगर दुजाना ने की, जिसमें किसानों की आय बढ़ाने के लिए आधुनिक कृषि तकनीकों पर विस्तार से चर्चा की गई।
इस किसान पंचायत में वरिष्ठ पूसा कृषि वैज्ञानिक डॉ. सीवी सिंह मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। उनके साथ किसान संजय कुमार रूपवास, मुकेश नागर बम्बावर, जीतेन्द्र नागर, युद्धवीर सिंह, तरुण चौधरी, तेजवीर सिंह, बीरपाल सिंह, श्यामवीर प्रधान, आलोक डबास, ब्रहमपाल सिंह, बिज्जन सिंह, धर्मेंद्र सिंह सहित कई किसान भी इस चर्चा में शामिल हुए।
डॉ. सीवी सिंह ने किसानों को बताया कि यदि वे पारंपरिक खेती की अपेक्षा नवीनतम तकनीकों को अपनाते हैं, तो उनकी फसल की उपज में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।
इसके साथ ही, उत्पादन लागत में कमी लाने और जल संरक्षण में भी ये विधियाँ मददगार साबित होंगी। इससे किसानों की आमदनी में इजाफा होगा और वे खेती को अधिक लाभकारी व्यवसाय बना सकते हैं।
किसानों को वर्टिकल फार्मिंग के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. सीवी सिंह ने बताया कि यह एक नवीनतम कृषि पद्धति है, जिसमें फसलों को खड़ी परतों में उगाया जाता है।
यह तकनीक शहरी क्षेत्रों और छोटे खेतों में उपयोगी होती है, क्योंकि इसमें कम जगह में अधिक उत्पादन संभव होता है।
वर्टिकल फार्मिंग पारंपरिक खेती के मुकाबले काफी कुशल है और इसमें पानी की खपत भी कम होती है, क्योंकि पानी को सिस्टम में बार-बार पुन: उपयोग किया जाता है।
इसके अलावा, वर्टिकल फार्मिंग किसानों को एक नियंत्रित वातावरण प्रदान करता है, जिससे फसलें तेज़ी से बढ़ती हैं और अधिक पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं।
चूंकि यह तकनीक नियंत्रित वातावरण में संचालित होती है, इसलिए कीटनाशकों और शाकनाशियों की आवश्यकता काफी हद तक समाप्त हो जाती है। साथ ही, यह ऊर्जा-कुशल भी है क्योंकि इसमें सूर्य के प्रकाश के स्थान पर एलईडी लाइट्स का उपयोग किया जा सकता है।
डॉ. सीवी सिंह ने किसानों को हाइड्रोपोनिक्स विधि की भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस तकनीक में पौधों को मिट्टी के बजाय पोषक तत्वों से युक्त जल में उगाया जाता है।
यह विधि भी वर्टिकल फार्मिंग की तरह जल-संरक्षण में मददगार होती है, क्योंकि इसमें जल को लगातार पुनःचक्रित किया जाता है।
हाइड्रोपोनिक्स प्रणाली किसानों को नियंत्रित पोषण देने की सुविधा प्रदान करती है, जिससे पौधों की वृद्धि तेज़ होती है और उनकी गुणवत्ता भी बेहतर होती है।
यह प्रणाली विशेष रूप से उन क्षेत्रों में प्रभावी होती है, जहाँ भूमि की कमी है या मिट्टी की गुणवत्ता खेती के लिए उपयुक्त नहीं है।
इसके अलावा, चूंकि पौधे पूरी तरह नियंत्रित वातावरण में उगाए जाते हैं, इसलिए हानिकारक कीटनाशकों का उपयोग किए बिना भी बेहतर उपज प्राप्त की जा सकती है।
ये भी पढ़े: इस देश में सबसे ज्यादा वर्टिकल फार्मिंग (Vertical farming) की जा रही है
किसान पंचायत में इन उन्नत तकनीकों के लाभों पर विशेष जोर दिया गया। चर्चा के दौरान विशेषज्ञों ने बताया कि वर्टिकल फार्मिंग और हाइड्रोपोनिक्स जैसी तकनीकों के जरिए किसान सालभर फसल उत्पादन कर सकते हैं, जिससे उन्हें नियमित आय प्राप्त हो सकेगी।
इन तकनीकों का सफलतापूर्वक उपयोग करके न केवल जल और स्थान की बचत की जा सकती है, बल्कि अधिक पोषक तत्वों से भरपूर और बेहतर स्वाद वाली फसलें भी प्राप्त की जा सकती हैं।
किसान पंचायत में उपस्थित किसानों ने इन आधुनिक तकनीकों में रुचि दिखाई और इन्हें अपनाने की संभावनाओं पर चर्चा की।
इस प्रकार, मेरीखेती द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम किसानों के लिए अत्यंत लाभदायक रहा और उन्हें अपनी खेती को अधिक वैज्ञानिक और लाभकारी बनाने के लिए प्रेरित किया।