किसान भाइयों आज हम बात करेंगे जनवरी महीने में किए जाने वाले प्रमुख कृषि कार्यों के बारे में। दरअसल, इस दौरान रबी सीजन का समय होता है। इसमें ज्यादातर फसलों की नर्सरी को तैयार किया जाता है।
इसके अतिरिक्त इस माह में किसानों द्वारा विभिन्न महत्वपूर्ण कृषि कार्य भी संपन्न किए जाते हैं। जानकारी ना होने की वजह से किसान इस महीने होने वाले कृषि फायदों से वंचित रह जाते हैं।
जनवरी के महीने में सरसों की फसल में फलियां बननी प्रारंभ हो जाती हैं। ऐसी स्थिति में सरसों की फसल की सिंचाई करना अत्यंत आवश्यक होता है।
सिंचाई करने से फसल के दाने मोटे होते हैं और फलियों में दानों की तादात में भी काफी ज्यादा बढ़ोतरी होती है।
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अगर हम तरबूज की खेती की बात करें, तो इसका फल गर्मियों के महीने के दौरान लगना प्रारंभ होता है। परंतु, तरबूज की नर्सरी तैयार करने के लिए जनवरी का महीना सबसे अच्छा माना जाता है।
इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मृदा का अवश्य चयन करें। स्वस्थ पौधे हांसिल करने के लिए नर्सरी में समुचित जल की निकासी की बेहतर व्यवस्था अवश्य करें।
अगर हम गेहूं की फसल की बात करें तो इसकी फसल में 40 से 45 दिनों के समयांतराल पर फसल में कल्ले निकलने चालू हो जाते हैं।
इस दौरान गेहूं की फसल में दूसरी सिंचाई के लिए सबसे अनुकूल समय होता है। खेत में अगर खरपतवारों की दिक्कत सामने आ रही है, तो इस पर नियंत्रण पाने के लिए निराई-गुड़ाई जरूर करें।
अगर हम खरबूज की खेती की बात करें तो मैदानी इलाकों में खरबूजा की बुवाई जनवरी-फरवरी माह में की जाती है। इसकी खेती के लिए समुचित जल निकासी वाली दोमट मृदा का चयन करें।
इसके अतिरिक्त आप ज्यादा जल धारण करने की क्षमता वाली बलुई दोमट मृदा एवं जीवांश युक्त चिकनी मृदा में भी इसकी खेती कर सकते हैं।
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आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि जब लाही कीड़ों की तादात 20 प्रति 100 आलू की पत्तियों पर पहुंच जाये, तो पौधों को जड़ से काटकर खेत से बाहर निकाल दें अथवा पौधे को मृदा में गाड़ दें या फिर आग लगा दें।
आलू की खेती में इसकी वजह से संक्रमण फैलने का संकट काफी कम होता है। वहीं, प्राक्केट घास नाशक दवा का छिड़काव पौधे काटने के पश्चात एक बार 2 लीटर प्रति हेक्टर की दर से छिडकाव अवश्य करें। इस छिड़काव के पश्चात पुनः पौधों में पत्तियां निकलनी प्रारंभ हो जाएंगी।