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नरेंद्र मोदी

IYoM: मिलेट्स (MILLETS) यानी बाजरा को अब गरीब का भोजन नहीं, सुपर फूड कहिये

IYoM: मिलेट्स (MILLETS) यानी बाजरा को अब गरीब का भोजन नहीं, सुपर फूड कहिये

दुनिया को समझ आया बाजरा की वज्र शक्ति का माजरा, 2023 क्यों है IYoM

पोषक अनाज को भोजन में फिर सम्मान मिले - तोमर भारत की अगुवाई में मनेगा IYoM-2023 पाक महोत्सव में मध्य प्रदेश ने मारी बाजी वो कहते हैं न कि, जब तक योग विदेश जाकर योगा की पहचान न हासिल कर ले, भारत इंडिया के तौर पर न पुकारा जाने लगे, तब तक देश में बेशकीमती चीजों की कद्र नहीं होती। कमोबेश कुछ ऐसी ही कहानी है देसी अनाज बाजरा की।

IYoM 2023

गरीब का भोजन बताकर भारतीयों द्वारा लगभग त्याज्य दिये गए इस पोषक अनाज की महत्ता विश्व स्तर पर साबित होने के बाद अब इस अनाज
बाजरा (Pearl Millet) के सम्मान में वर्ष 2023 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स (आईवायओएम/IYoM) के रूप में राष्ट्रों ने समर्पित किया है।
इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स (IYoM) 2023 योजना का सरकारी दस्तावेज पढ़ने या पीडीऍफ़ डाउनलोड के लिए, यहां क्लिक करें
मिलेट्स (MILLETS) मतलब बाजरा के मामले में भारत की स्थिति, लौट के बुद्धू घर को आए वाली कही जा सकती है। संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष घोषित किया है। पीआईबी (PIB) की जानकारी के अनुसार केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जुलाई मासांत में आयोजित किया गया पाक महोत्सव भारत की अगुवाई में अंतरराष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष (IYoM)- 2023 लक्ष्य की दिशा में सकारात्मक कदम है। पोषक-अनाज पाक महोत्सव में कुकरी शो के जरिए मिलेट्स (MILLETS) यानी बाजरा, अथवा मोटे अनाज पर आधारित एवं मिश्रित व्यंजनों की विविधता एवं उनकी खासियत से लोग परिचित हुए। आपको बता दें, मिलेट (MILLET) शब्द का ज्वार, बाजरा आदि मोटे अनाज संबंधी कुछ संदर्भों में भी उपयोग किया जाता है। ऐसे में मिलेट के तहत बाजरा, जुवार, कोदू, कुटकी जैसी फसलें भी शामिल हो जाती हैं। पीआईबी द्वारा जारी की गई सूचना के अनुसार महोत्सव में शामिल केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मिलेट्स (MILLETS) की उपयोगिता पर प्रकाश डाला।

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अपने संबोधन में मंत्री तोमर ने कहा है कि, “पोषक-अनाज को हमारे भोजन की थाली में फिर से सम्मानजनक स्थान मिलना चाहिए।” उन्होंने जानकारी में बताया कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष घोषित किया है। यह आयोजन भारत की अगु़वाई में होगा। इस गौरवशाली जिम्मेदारी के तहत पोषक अनाज को बढ़ावा देने के लिए पीएम ने मंत्रियों के समूह को जिम्मा सौंपा है। केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने दिल्ली हाट में पोषक-अनाज पाक महोत्सव में (IYoM)- 2023 की भूमिका एवं उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि, अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष (IYoM)- 2023 के तहत केंद्र सरकार द्वारा स्थानीय, राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेक कार्यक्रमों के आयोजन की विस्तृत रूपरेखा तैयार की गई है।

बाजरा (मिलेट्स/MILLETS) की वज्र शक्ति का राज

ऐसा क्या खास है मिलेट्स (MILLETS) यानी बाजरा या मोटे अनाज में कि, इसके सम्मान में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पूरा एक साल समर्पित कर दिया गया। तो इसका जवाब है मिलेट्स की वज्र शक्ति। यह वह शक्ति है जो इस अनाज के जमीन पर फलने फूलने से लेकर मानव एवं प्राकृतिक स्वास्थ्य की रक्षा शक्ति तक में निहित है। जी हां, कम से कम पानी की खपत, कम कार्बन फुटप्रिंट वाली बाजरा (मिलेट्स/MILLETS) की उपज सूखे की स्थिति में भी संभव है। मूल तौर पर यह जलवायु अनुकूल फसलें हैं।

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शाकाहार की ओर उन्मुख पीढ़ी के बीच शाकाहारी खाद्य पदार्थों की मांग में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि हो रही है। ऐसे में मिलेट पॉवरफुल सुपर फूड की हैसियत अख्तियार करता जा रहा है। खास बात यह है कि, मिलेट्स (MILLETS) संतुलित आहार के साथ-साथ पर्यावरण की सुरक्षा में भी असीम योगदान देता है। मिलेट (MILLET) या फिर बाजरा या मोटा अनाज बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन और खनिजों जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों का भंडार है।

त्याज्य नहीं महत्वपूर्ण हैं मिलेट्स - तोमर

आईसीएआर-आईआईएमआर, आईएचएम (पूसा) और आईएफसीए के सहयोग से आयोजित मिलेट पाक महोत्सव के मुख्य अतिथि केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर थे। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि, “मिलेट गरीबों का भोजन है, यह कहकर इसे त्याज्य नहीं करना चाहिए, बल्कि इसे भारत द्वारा पूरे विश्व में विस्तृत किए गए योग और आयुर्वेद के महत्व की तरह प्रचारित एवं प्रसारित किया जाना चाहिए।” “भारत मिलेट की फसलों और उनके उत्पादों का अग्रणी उत्पादक और उपभोक्ता राष्ट्र है। मिलेट के सेवन और इससे होने वाले स्वास्थ्य लाभों के बारे में जागरूकता प्रसार के लिए मैं इस प्रकार के अन्य अनेक आयोजनों की अपेक्षा करता हूं।”

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मिलेट और खाद्य सुरक्षा जागरूकता

मिलेट और खाद्य सुरक्षा संबंधी जागरूकता के लिए होटल प्रबंधन केटरिंग तथा पोषाहार संस्थान, पूसा के विद्यार्थियों ने नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया। मुख्य अतिथि तोमर ने मिलेट्स आधारित विभिन्न व्यंजनों का स्टालों पर निरीक्षण कर टीम से चर्चा की। महोत्सव में बतौर प्रतिभागी शामिल टीमों को कार्यक्रम में पुरस्कार प्रदान कर प्रोत्साहित किया गया।

मध्य प्रदेश ने मारी बाजी

मिलेट से बने सर्वश्रेष्ठ पाक व्यंजन की प्रतियोगिता में 26 टीमों में से पांच टीमों को श्रेष्ठ प्रदर्शन के आधार पर चुना गया था। इनमें से आईएचएम इंदौर, चितकारा विश्वविद्यालय और आईसीआई नोएडा ने प्रथम तीन क्रम पर स्थान बनाया जबकि आईएचएम भोपाल और आईएचएम मुंबई की टीम ने भी अंतिम दौर में सहभागिता की।

इनकी रही उपस्थिति

कार्यक्रम में केंद्रीय राज्यमंत्री कैलाश चौधरी, कृषि सचिव मनोज आहूजा, अतिरिक्त सचिव लिखी, ICAR के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र और IIMR, हैदराबाद की निदेशक रत्नावती सहित अन्य अधिकारी एवं सदस्य उपस्थित रहे। इस दौरान उपस्थित गणमान्य नागरिकों की सुपर फूड से जुड़ी जिज्ञासाओं का भी समाधान किया गया। महोत्सव के माध्यम से मिलेट से बनने वाले भोजन के स्वास्थ्य एवं औषधीय महत्व संबंधी गुणों के बारे में लोगों को जागरूक कर इनके उपयोग के लिए प्रेरित किया गया। दिल्ली हाट में इस महोत्सव के दौरान पोषण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान की गईं। इस विशिष्ट कार्यक्रम में अनेक स्टार्टअप ने भी अपनी प्रस्तुतियां दीं। 'छोटे पैमाने के उद्योगों व उद्यमियों के लिए व्यावसायिक संभावनाएं' विषय पर आधारित चर्चा से भी मिलेट संबंधी जानकारी का प्रसार हुआ। अंतर राष्ट्रीय बाजरा वर्ष (IYoM)- 2023 के तहत नुक्कड़ नाटक तथा प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं जैसे कार्यक्रमों के तहत कृषि मंत्रालय ने मिलेट के गुणों का प्रसार करने की व्यापक रूपरेखा बनाई है। वसुधैव कुटुंबकम जैसे ध्येय वाक्य के धनी भारत में विदेशी अंधानुकरण के कारण शिक्षा, संस्कृति, कृषि कार्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। अंतरराष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष (IYoM)- 2023 जैसी पहल भारत की पारंपरिक किसानी के मूल से जुड़ने की अच्छी कोशिश कही जा सकती है।
पाकिस्तान को टमाटर और प्याज निर्यात करेगा भारत

पाकिस्तान को टमाटर और प्याज निर्यात करेगा भारत

भीषण बाढ़ की वजह से पाकिस्तान में दिनोंदिन हालात खराब होते जा रहे हैं। इस दौरान पूरे देश में जानमाल का भारी नुकसान हुआ है। भीषण बाढ़ आने के बाद पूरे देश में लगभग 1000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं, जबकि कई लाख लोग बाढ़ की वजह से प्रभावित हुए हैं। फिलहाल लगभग आधा देश बाढ़ की चपेट में है, जिससे सरकार ने पूरे देश में आपातकाल की घोषणा की है। अनुमानों के मुताबिक़ पाकिस्तान को इस बाढ़ की वजह से लगभग 10 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान झेलना होगा। बाढ़ की स्थिति को देखते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अंतरराष्ट्रीय मदद की गुहार लगाई है। इस मामले में कई देश पाकिस्तान की मदद कर भी रहे हैं। हाल ही में अमेरिका ने पाकिस्तान को बाढ़ रिलीफ फंड के नाम पर 30 मिलियन डॉलर की मदद दी है। इसके अलावा आपदा की इस घड़ी में कई यूरोपीय देशों के अतिरिक्त दुनियाभर के अन्य देश पाकिस्तान की मदद करने के लिए आगे आ रहे हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पाकिस्तान में बाढ़ पीड़ितों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की हैं। पाकिस्तान में बाढ़ की वजह से बहुत सारे लोग बेघर हो गये हैं। बाढ़ में उनका सामान या तो पानी के साथ बह गया है या खराब हो गया है, ऐसे में पूरे पाकिस्तान में चीजों के दामों में तेजी से इन्फ्लेशन (Inflation) देखने को मिल रहा है। वस्तुओं की कीमतें रातों रात आसमान छूने लगी हैं।


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ऐसे में खाने पीने की चीजों से लेकर सब्जियों के भी दाम आसमान छूने लगे हैं। पाकिस्तान के सिंध और बलूचिस्तान प्रांत में लगातार तीन महीने से हो रही बरसात ने सब्जियों की खेती को तबाह कर दिया है। इससे लाहौर के बाजार में टमाटर 500 रुपये प्रति किलो, जबकि प्याज 400 पाकिस्तानी रुपये प्रति किलो बिक रही है। पाकिस्तान में सब्जियों के दाम लगातार आसमान की ओर जा रहे हैं, ऐसे में पाकिस्तान की मौजूदा सरकार ने भारत से टमाटर और प्याज आयात करने का मन बनाया है, ताकि देश में बढ़ती हुई सब्जियों की कीमतों में लगाम लगाई जा सके। दक्षिण भारत में और इसके साथ ही पहाड़ी राज्यों में अगस्त-सितम्बर में टमाटर की फसल की जमकर पैदावार होती है। ऐसे में अगर भारत सरकार टमाटर और प्याज के निर्यात का फैसला करती है, तो देश में किसानों को टमाटर और प्याज के अच्छे दाम मिल सकते हैं। साथ ही देश में टमाटर और प्याज की गिरती हुई कीमतों को रोका जा सकेगा।


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पाकिस्तान पहले से ही अपनी ज्यादातर खाद्य चीजों का आयात करता रहा है। गेहूं से लेकर चीनी तक के लिए पाकिस्तान दूसरे देशों पर निर्भर है। ब्राजील पाकिस्तान में चीनी का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। इसी प्रकार प्याज और टमाटर, पाकिस्तान कुछ दिनों पहले तक अफगानिस्तान से खरीद रहा था। लेकिन बलूचिस्तान और सिंध में आई बाढ़ ने पाकिस्तान में प्याज और टमाटर की मांग को बढ़ा दिया है। इसकी आपूर्ति अकेले अफगानिस्तान नहीं कर पायेगा। इसलिए अब पाकिस्तान की सरकार इस मामले में भारत से आस अलगाये हुए है, ताकि भारत पाकिस्तान की जरुरत का प्याज और टमाटर पाकिस्तान को निर्यात करे, जिससे देश में प्याज और टमाटर की कमी न होने पाए और इन चीजों के भाव नियंत्रण में रहें।
जाने आलू उगाने की नई ‘56 इंच’ तकनीक, एक एकड़ में उगाएं 200 क्विंटल फसल

जाने आलू उगाने की नई ‘56 इंच’ तकनीक, एक एकड़ में उगाएं 200 क्विंटल फसल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की आय को दोगुना करने का एक मिशन बनाया है, जिसके तहत किसानों को नई तरीके से फसल उगाने और अलग अलग तरह की फसल उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। केला और टमाटर के बाद अब आलू के उत्पादन में भी बाराबंकी के पद्मश्री किसान राम सरन वर्मा क्रांति ला रहे हैं। वह 56 इंच की बेड बनाकर एक एकड़ में 200 क्विंटल से अधिक आलू का उत्पादन कर रहे हैं। राम सरन वर्मा की यह नई तकनीक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसानों की आय दोगुना करने के मिशन में मील का पत्थर भी साबित हो रहा है। साथ ही इस तकनीक में पानी की मात्रा भी काफी कम लगती है, तो बहुत ज्यादा सिंचाई की जरूरत भी नहीं पड़ती है।

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क्या है आलू उगाने की 56 इंच तकनीक

सामान्य तौर पर आलू उगाने के लिए अलग-अलग क्यारियां बनाई जाती हैं और उसमें आलू को लगा देने के बाद नालियां बनाई जाती हैं। इस तकनीक में एक क्यारी में एक बीज ही पड़ता है और जिसकी मोटाई करीब 12 से 14 इंच रहती है। इस तकनीक के तहत बहुत ज्यादा आलू नहीं उगाए जा सकते हैं और अगर 1 एकड़ की बात की जाए तो उसमें सिर्फ 100 से 120 क्विंटल आलू की ही पैदावार हो पाती है। लेकिन इन सबसे अलग बाराबंकी के पद्मश्री किसान राम सरन वर्मा ने 56 इंच चौड़ी बेड बनाकर उसमें आलू की दो लाइन की बोआई की है। बेड की चौड़ाई उन्होंने 56 इंच रखी है और इसलिये इसका नाम भी उन्होंने 56 इंच तकनीक दिया है। इसके अलावा इस तकनीक का एक बहुत बड़ा फायदा यह है, कि इसमें भले ही बारिश हो या किसी भी तरह की प्राकृतिक स्थिति उत्पन्न हो जाए इससे फसल को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचता है।


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40% तक बढ़ा है उत्पादन

रामसरन का कहना है, कि पिछले साल के मुकाबले आलू का उत्पादन लगभग 40% तक बढ़ गया है। इसमें फसल को ज्यादा नुकसान भी नहीं होता है इसलिए उत्पादन अच्छा खासा रहता है और मुनाफा भी बढ़िया बन जाता है। सूत्रों से पता चला है, कि राम सरन वर्मा ने इस नई तकनीक से 180 एकड़ में आलू की बुआई की है, जिसमें उन्होंने एक एकड़ में 40 ग्राम के 40 हजार आलू के बीज डाले हैं। सामान्यतः किसान एक बीघा जमीन में दो बोरी भी डाल देते हैं, लेकिन इस तकनीक के माध्यम से एक बोरी में ही काम चल जाता है। रामसरन की सलाह के अनुसार अच्छी पैदावार के लिए किसानों को 25 अक्टूबर से 5 नवंबर के बीच बुआई कर लेनी चाहिए।
प्राकृतिक खेती के साथ देसी गाय पालने वाले किसानों को 26000 दे रही है सरकार

प्राकृतिक खेती के साथ देसी गाय पालने वाले किसानों को 26000 दे रही है सरकार

भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राकृतिक खेती (Natural Farming) को बढ़ावा देने के लिए पूरे देश में मुहिम छेड़ दी है। कई राज्यों में पीएम की इस मुहिम को आगे बढाने के लिए तेजी से काम किया जा रहा है। इसी क्रम में मध्यप्रदेश सरकार ने एक अहम फैसला लिया है। इस फैसले से प्रदेश के 26000 किसानों को फायदा मिलेगा। प्राकृतिक खेती के साथ-साथ देसी गाय पालने वाले मध्यप्रदेश के 26000 किसानों को प्रतिमाह 900 रु की आर्थिक मदद मिलेगी। नेचुरल फार्मिंग योजना को बढ़ावा देने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने सबसे अच्छी पहल की है।

पहले चरण के लिए जारी हुई एडवाइजरी

- प्राकृतिक खेती के साथ-साथ देसी गाय पालने पर मध्यप्रदेश से 26000 किसानों की आर्थिक मदद करेगी। इस योजना को सफल बनाने के लिए पहले चरण की 28 करोड़ 08 लाख रु खर्च करने की मंजूरी मिल चुकी है।

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5200 गांव के किसानों को मिलेगा लाभ

- सरकार की इस योजना में प्रदेश के 26000 किसानों तक लाभ पहुंचेगा। इसके लिए प्रदेश के 5200 गांवों को इस योजना में शामिल किया जाएगा। सरकार की मंत्री-परिषद की बैठक में निर्णय लिया गया है कि प्राकृतिक खेती के साथ एक देसी गाय पालने वाले पशुपालक को अनुदान के रूप में 26000 रूपए दिए जाएंगे। योजना में 52 जिले के 5200 गांवों के किसानों को जोड़ा जाएगा। प्रत्येक जिले से 100 गांव होंगे।

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योजना में शामिल किसानों को दी जाएगी ट्रेनिंग

- मध्यप्रदेश सरकार ने इस योजना के अंतर्गत प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को ट्रेनिंग देने की योजना बनाई गई है। प्राधिक्षण में शामिल होने वाले प्रत्येक किसान को 400 प्रति दिन का खर्चा मिलेगा। जिसके लिए सरकार ने 39 करोड़ 50 लाख रु अलग से वहन करने की बात कही है। साथ ही प्राकृतिक कृषि किट लेने वाले किसानों को 75 फीसदी छूट का प्रावधान है और मास्टर ट्रेनर को 1000 रु प्रतिदिन मिलेंगे।
बिहार में खाद की भयंकर कमी, मांग के मुकाबले यूरिया की आपूर्ति में 22 फीसदी की कमी

बिहार में खाद की भयंकर कमी, मांग के मुकाबले यूरिया की आपूर्ति में 22 फीसदी की कमी

1 अप्रैल से 12 सितंबर के बीच, बिहार सरकार को बिहार कृषि विभाग से जानकारी मिली कि बिहार को खरीफ सीजन के लिए 10,100 मीट्रिक टन खाद की जरूरत है। लेकिन आंकड़ों के मुताबिक अब तक केंद्र सरकार ने सिर्फ 7.89576 मीट्रिक टन खाद की आपूर्ति की है। खरीफ फसल का मौसम चल रहा है। खरीफ मौसम की मुख्य फसल धान देशभर में उगाई जाती है। वहीं, इस सीजन में खाद की मांग सबसे ज्यादा होती है। बिहार में इस खरीफ सीजन में खाद की आपूर्ति नही होना किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या है। इससे किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने बिहार को खरीफ सीजन के दौरान पिछले सालों की तुलना में यूरिया का आबंटन बहुत ही कम किया है। बिहार सरकार के अनुसार, केंद्र सरकार ने पीक सीजन (जून से अगस्त) के दौरान उपयोग के लिए आबंटित यूरिया की मात्रा को 22 फ़ीसदी कम कर दिया है।

इतने खाद की है आवश्यकता

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बिहार को खरीफ सीजन 1 अप्रैल से 12 सितंबर तक 10.100 मीट्रिक टन खाद की जरूरत थी। केंद्र सरकार ने इस वर्ष अब तक 7.89576 मीट्रिक टन खाद की आपूर्ति की है, जो आवश्यकता अनुपात का 78% है। ये भी पढ़े: डीएपी जमाखोरी में जुटे कई लोग, बुवाई के समय खाद की किल्लत होना तय बिहार सरकार द्वारा सार्वजनिक किए गए आंकड़ों के अनुसार जून में 1.20 लाख मीट्रिक टन की आवश्यकता के मुकाबले 1.03 लाख मीट्रिक टन खाद दी गई. इसी प्रकार जुलाई में  2.50 लाख मीट्रिक टन की आवश्यकता थी, लेकिन जुलाई में 1.72 लाख मीट्रिक टन खाद की आपूर्ति की गई, और अगस्त में 2.80 लाख मीट्रिक टन की आवश्यकता के मुकाबले 2.51 लाख मीट्रिक टन की आपूर्ति की गई। पिछले खरीफ सीजन के दौरान भी कम आपूर्ति देखी गई थी। पिछले खरीफ सीजन में बिहार सहित कई क्षेत्रों में उर्वरक की भारी किल्लत थी। इसके चलते किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। उस वक्त भी बिहार के लिए जरूरी यूरिया का महज 77 फीसदी ही मुहैया कराया गया था। ये भी पढ़े: इफको ने देश भर के किसानों के लिए एनपी उर्वरक की कीमत में कमी की बिहार के दौरे के दौरान, केंद्रीय उर्वरक राज्य मंत्री भगवंत खुबा ने नीतीश कुमार पर केंद्र से लगातार और पर्याप्त शिपमेंट के बावजूद उर्वरक की कमी का नाटक करने का आरोप लगाया है। उर्वरक राज्य मंत्री ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा की नीतीश कुमार को किसानों को गुमराह करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, किसानों के लिए नरेंद्र मोदी की सरकार ने हमेशा कार्य किया है। किसानों से अनुरोध करते हुए उन्होंने कहा की वे यूरिया खरीदारी पर दर से अधिक पैसा न दें, क्योंकि नरेंद्र मोदी की सरकार किसानों की खातिर यूरिया, डीएपी, एनपीके और अन्य कृषि आदानों पर भारी सब्सिडी दे रही है। मंत्री जी ने ये भी कहा कि सरकार को राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किसानों को निशाना नहीं बनाना चाहिए। प्रशासकों को किसानों को सब्सिडी वाले उर्वरकों के उपयोग के उनके अधिकार के बारे में सूचित करने के लिए निर्देश भी दिए जाते हैं। ये भी पढ़े: डीएपी के लिए मारामारी,जानिए क्या है समाधान वही वर्तमान समय में उर्वरक की भारी कमी और इसकी बढ़ती कालाबाजारी और अवैध रूप से बिक्री के कारण पूरे बिहार के किसान चिंतित और आक्रोशित हैं।
इस बार 17 अक्टूबर को आएगी पीएम किसान की 12वीं क़िस्त, हुए ये बड़े बदलाव

इस बार 17 अक्टूबर को आएगी पीएम किसान की 12वीं क़िस्त, हुए ये बड़े बदलाव

किसानों को केंद्र सरकार की तरफ से दी जाने वाली सहायता राशि का किसानों को बेसब्री से इंतजार है। किसानों का यह इंतजार जल्द ही समाप्त होने वाला है क्योंकि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM Kisan) की 12वीं क़िस्त सरकार जल्द ही जारी करने जा रही है। यह क़िस्त केंद्र सरकार के द्वारा तिमाही की शुरुआत में किसानों के खातों में जमा कर दी जाती थी, लेकिन इस बार कुछ कारणों की वजह से इसमें देरी हुई है। देरी होने के लिए सरकार ने गलत डेटा और किसानों के अपूर्ण केवाईसी को जिम्मेदार बताया है। सरकार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि अब डेटा को दुरुस्त कर लिया गया है और जल्द ही सरकार किसानों के पैसे उनके खाते में ट्रांसफर करने जा रही है। सरकारी सूत्रों ने यह भी बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी दिल्ली में आयोजित होने वाले 17 अक्टूबर 2022 को कृषि स्टार्टअप कार्यक्रम में किसानों के खाते में 12वीं क़िस्त ट्रांसफर करेंगे। इस कृषि स्टार्टअप कार्यक्रम के आयोजन की तैयारियां जोरों पर हैं, जहां पीएम मोदी किसानों को संबोधित करेंगे।


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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है, जिससे सीधे तौर पर 12 करोड़ किसान लाभान्वित होते हैं। इस योजना के अंतर्गत सरकार किसानों को तीन किस्तों में 6 हजार रूपये देती है। लेकिन इस बार किसानों के लिए 12वीं किस्त जारी करने के पहले सरकार ने कुछ बड़े बदलाव किये हैं। अब किसान अपने पंजीकृत मोबाइल नंबर से ही प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की क़िस्त की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। इसका असर किसानों पर होगा, क्योंकि भारत में कई किसान ऐसे हैं, जो बिल्कुल भी पढ़े लिखे नहीं हैं और उन्हें मोबाइल चलाना नहीं आता।

इसके पहले कौन सी व्यवस्था लागू थी

इस योजना के अंतर्गत स्टेटस जानने के लिए पहले किसानों को आधार नंबर या मोबाइल नंबर की आवश्यकता होती है, जिसके माध्यम से पीएम किसान में जाकर किसान भाई अपना आधार नंबर या मोबाइल नंबर डालकर आसानी से अपना स्टेटस चेक कर लेते थे। लेकिन नए बदलाव से अब किसान आधार नंबर के माध्यम से अपना स्टेटस चेक नहीं कर पाएंगे, इसके लिए पंजीकृत मोबाइल नंबर होना जरूरी है।

किसानों को स्टेटस जानना क्यों है जरूरी

इस योजना में कुछ अपात्र किसानों द्वारा भी लाभ लिया जा रहा है, इसलिए सरकार ने ऐसे लोगों को इस योजना से हटाने का निर्णय लिया है। इसके तहत सरकार ने अपात्र किसानों की पहचान के लिए कई फैसले लिए हैं। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि किसान भाई अपना स्टेटस देख लें, कि उनका नाम पीएम किसान सम्मान निधि योजना में है या नहीं। अगर उनका नाम इस योजना में नहीं है तो उन्हें जल्द से जल्द संबंधित अधिकारी से संपर्क करना चाहिए।

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नंबर पर फोन करके जान सकते हैं किसान सम्मान निधि योजना का स्टेटस

किसानों के लिए ई केवाईसी करवाना हुआ अनिवार्य

इस योजना का लाभ पाने के लिए किसानों को ई-केवाईसी (e-KYC) करवाना अनिवार्य हो गया है। बिना ई केवाईसी के किसान अब इस योजना का लाभ नहीं उठा पाएंगे। सरकार ने यह इसलिए अनिवार्य किया है, क्योंकि पिछली बार जांच में पाया गया था कि कई ऐसे किसान इस योजना का लाभ ले रहे हैं, जो पहले से ही इनकम टैक्स के दायरे में आते थे और इनकम टैक्स भर रहे थे।
देश में 5G हुआ लॉन्च, किसानों की बदल जाएगी इस तकनीक से किस्मत

देश में 5G हुआ लॉन्च, किसानों की बदल जाएगी इस तकनीक से किस्मत

इंतजार खत्म हुआ, आखिरकार भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित हुए इंडिया मोबाइल कांग्रेस में दूरसचांर के क्षेत्र में ५जी या 5G तकनीक को देश को समर्पित कर दिया। इस दौरान उन्होंने 5G को उपयोग करके भी देखा। पीएम मोदी ने दिल्ली में बैठे-बैठे स्वीडन में कार चलाकर देखी। मोबाइल कांग्रेस में भाग ले रही रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मुकेश अम्बानी ने कहा, "हम भले इस इस टेक्नोलॉजी में थोड़ी देर से आये हैं, लेकिन दुनिया में सबसे पहले हम ही अपने देश में इसके पूर्ण विस्तार के लक्ष्य को प्राप्त करेंगे।" इसके साथ ही अम्बानी ने बताया कि रिलायंस जिओ दिसंबर 2023 तक भारत के कोने-कोने में 5G तकनीक को पहुंचा देगा। जिओ के साथ ही भारती एयरटेल ने 2024 तक इस लक्ष्य को प्राप्त करने का संकल्प दोहराया है।

इंडिया मोबाइल कांग्रेस में 5जी उद्घाटन पीएम श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 

इंडिया मोबाइल कांग्रेस में 5जी उद्घाटन पीएम श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा मोबाइल कांग्रेस में भाग ले रही कंपनियों ने बताया कि 5G तकनीक में इंटरनेट की स्पीड 10GBPS तक बढ़ने वाली है, जो लोगों की ज़िंदगी को पूरी तरह से बदल देगी। चूंकि इस तकनीक से आम लोगों की जिंदगी बहुत ज्यादा बदलने वाली है, इसलिए इसका असर किसानों पर भी पड़ेगा। इस टेक्नोलॉजी की सहायता से किसान भी हाई टेक हो सकते हैं, जिससे वो उत्पादन में बढ़ोत्तरी कर सकते हैं तथा अपनी फसल का विक्रय भी बहुत आसानी से कर सकते हैं।

विशेषज्ञों ने बताया है कि किसान अब 5G नेटवर्क की मदद से घर बैठे बहुत सारी चीजें कर सकते हैं, जैसे की वो घर बैठे ही अब अपने ट्रैक्टर को संचालित कर सकते हैं, तथा 5G तकनीक से द्वारा वह ट्रैक्टर को आदेश भी दे सकते हैं कि कहां पर कैसे काम करना है। किसान अपने ट्रैक्टर को जुताई बुवाई का आदेश भी दे सकते हैं। इसके साथ ही किसान खेतों में ड्रोन की मदद से कीटनाशकों का छिड़काव भी बेहद आसानी से कर सकते हैं। हाई स्पीड इंटरनेट इसको आसान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। 5G तकनीक के द्वारा किसानों के लिए खेतों की मैपिंग से लेकर निगरानी तक के कामों को करना बेहद आसान हो जाएगा। इससे खेती में होने वाले जोखिमों से छुटकारा मिलेगा, साथ ही किसानों का बेहद बेशकीमती समय और धन की बचत होगी। 

5G तकनीक की सहायता से मंडियों में होगा किसानों को फायदा

सरकार लगातार डिजिटल रूप से किसानों को साक्षर करने का प्रयास कर रही है, और सरकार का उद्देश्य है कि किसान ज्यादा से ज्यादा डिजिटल रूप से सरकार के साथ जुड़ें। इसको देखते हुए सरकार ने ई-नाम(e-NAM) पोर्टल शुरू किया है, जहां खेती बाड़ी, फसल विक्रय और फसल भंडारण से सम्बंधित किसानों को सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त होती है। इसके साथ ही सरकार ने समय-समय पर बहुत सारे एप्प (mobile app) लॉन्च किये हैं ताकि किसान भाई अपनी नजदीकी मंडी से ऑनलाइन माध्यम से जुड़ पाएं। अब मंडियों में फसल बेचने से लेकर बीजों की होम डिलीवरी तक हर कुछ सरकार ऑनलाइन माध्यम से कर रही है। इसलिए ऐसे कामों को बेहद आसान बनाने में हाई स्पीड इंटरनेट अब बहुत ज्यादा मददगार साबित होने वाला है। 

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अभी कई क्षेत्रों और गावों में नेटवर्क और इंटरनेट स्पीड की समस्या बनी रहती है। गावों में 5G टेक्नोलॉजी के आने के बाद यह समस्या पूरी तरह से ख़त्म हो जाएगी, जिससे किसान आसानी से ऑनलाइन माध्यम से मंडी डीलरों और बिचौलियों से संपर्क साध पाएंगे। मंडी में फसलों की बिक्री में पारदर्शिता आएगी। साथ ही बिना किसी रुकावट के किसान अपनी फसलों को मनचाही जगह पर बेहतर दामों में बेंच पाएंगे। 

5G की मदद से खेती करने वाले किसानों की हो सकेगी ऑनलाइन ट्रेनिंग

इन दिनों भारत में सरकार के साथ ही कई निजी संस्थाएं और NGO किसानों को खेती की ऑनलाइन ट्रेंनिंग उपलब्ध करवा रहे हैं, लेकिन इंटरनेट की धीमी स्पीड होने के कारण इसमें व्यवधान आता है। अब 5G तकनीक के आ जाने से ये बेहद आसान होने वाला है। अब किसान घर बैठे खेती से जुड़े प्रशिक्षण प्राप्त कर सकेंगे। सरकारी संस्थाओं और NGO का उद्देश्य भी यही है कि किसान जल्द से जल्द आत्मनिर्भर बनें और अपनी आय को बढ़ाएं। 5G तकनीक किसानों के आत्मनिर्भर बनने में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। 

मौसम आधारित खेती में भी मिलेगा 5G का साथ

खेती किसानी एक अलग तरह का व्यवसाय है, यहां कभी भी मौसम की मार किसान की साल भर की मेहनत बर्बाद कर सकती है। जिससे किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ता है। लेकिन 5G की मदद अब इन चीजों में भी मिलने वाली है। अब किसान 5G की मदद से विशेषज्ञों से मौसम आधारित कृषि परामर्श ले सकते हैं, कि कैसे मौसम में या कितनी बरसात या सूखे में कौन सी खेती लाभदायक होगी।

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इसके साथ ही सेंसर आधारित तकनीकों से फसल का सही अपडेट लेकर किसानों का काम बेहद आसान हो जाएगा। प्लांट सेंसर तकनीकों के इस्तेमाल से किसान भाई पौधों का विकास, मिट्टी की संरचना और खेत की जरूरतों का पता बेहद आसानी से लगा पाएंगे। सेंसर तकनीक की मदद से किसान भाई जलवायु या कीट-रोगों की मुसीबतों से पहले से ही सचेत हो जाएंगे। यह सभी चीजें 5 नेटवर्क के माधयम से बेहद आसान होने वाली हैं। 

पशुपालन में भी होगा 5G का इस्तेमाल

खेती किसानी के साथ-साथ पशुपालन भी किसानों का एक अहम व्यवसाय है, गावों में ज्यादातर किसान इससे जुड़े हुए हैं। आजकल पशुपालन में किसान भाई पारंपरिक तरीकों के अलावा स्मार्ट डेयरी फार्मिंग की तरफ देख रहे हैं, ताकि किसान भी ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमा सकें। अगर हम स्मार्ट डेयरी फार्मिंग की बात करें तो इसकी मदद से किसानों का काम बेहद आसान हो गया है। पशुपालन में भी किसान सेंसर आधारित तकनीक का इस्तेमाल करके पशुओं की हर एक हरकतों पर नजर रख सकते हैं।

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सेंसर आधारित तकनीक का इस्तेमाल करके किसान गाय, भैंस, बकरी से लेकर मुर्गी और मछलियों के खाने पीने के साथ दूध देने और अंडे देने के क्रियाकलापों को बेहद आसानी से ट्रेस कर सकते हैं। मछली पालन में 5G टेक्नोलॉजी वरदान साबित हो सकती है। अब इस टेक्नोलॉजी की मदद से पानी का तापमान, मछलियों की हलचल की निगरानी करना और उनका प्रबंधन करना पहले की तुलना में बेहद आसान होने वाला है।

एग्री स्टार्टअप कॉनक्लेव में किसानों को मिलेंगी कई सौगातें, पीएम मोदी रहेंगे मौजूद

एग्री स्टार्टअप कॉनक्लेव में किसानों को मिलेंगी कई सौगातें, पीएम मोदी रहेंगे मौजूद

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय (Agriculture & Farmers Welfare Ministry) 17 और 18 अक्टूबर को नई दिल्ली में एग्री स्टार्ट अप कॉनक्लेव और किसान सम्मेलन (Agri Startup Conclave & Kisan Sammelan) का आयोजन करने जा रहा है। यह सम्मेलन दिल्ली में आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा के मैदान में आयोजित किया जाएगा, इस एग्री स्टार्ट अप कॉनक्लेव का उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी करने वाले हैं। किसान सम्मेलन में पीएम मोदी किसानों से बातचीत करेंगे। इस सम्मलेन में वहां पर मौजूद अधिकारियों द्वारा किसानों को वैज्ञानिक खेती के लाभ के बारे में बताया जाएगा। साथ ही किसान नई कृषि तकनीकों के साथ आसानी से तालमेल कैसे बैठा पाएं, इसके बारे में भी जानकारी दी जाएगी। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया है कि इस सम्मेलन में किसानों को खेती बाड़ी के साथ-साथ कृषि स्टार्ट अप से जुड़ने के लिए भी प्रेरित किया जाएगा, इस बार कृषि मंत्रालय की तरफ से इस कार्यक्रम की थीम 'कृषि का बदलता स्वरूप और तकनीक' रखी गई है।


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बड़ी संख्या में लोग होंगे शामिल

इस कार्यक्रम में 15,000 से ज्यादा किसान तथा किसान उत्पादक संगठनों के शामिल होने की संभावना है, इसके साथ ही लगभग 500 कृषि स्टार्टअप इस आयोजन में शामिल होंगे। इस कार्यक्रम में किसानों के अलावा कृषि अधिकारी, कृषि नीति निर्माता, कृषि उद्योग के दिग्गज, कृषि वैज्ञानिक और कृषि शिक्षाविद भी शामिल होंगे, जो खेती बाड़ी को लेकर किसानों के बीच अपना ज्ञान और अपने विचार साझा करेंगे। यह कार्यक्रम किसानों के लिए एक बड़ा मंच है, जहां पर किसान कृषि स्टार्टअप खोलने के लिए महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल कर सकते हैं। कार्यक्रम में उपस्थित सभी विशेषज्ञ इस मामले में किसानों की सहायता करेंगे, इस दौरान पीएम मोदी भी किसानों को नए कृषि स्टार्टअप खोलने के लिए प्रोत्साहित करने वाले हैं। एग्री स्टार्ट अप कॉनक्लेव में सरकार 600 मॉडल उर्वरक दुकानों को खोलने की भी शुरुआत करने वाली है, 17 अक्टूबर को इन दुकानों का सिंगल क्लिक के माध्यम से उद्घाटन किया जाएगा। इन दुकानों में किसानों के लिए एक ही जगह पर खाद, बीज, उर्वरक, कीटनाशक और छोटे कृषि उपकरण उपलब्ध करवाए जायेंगे, इन दुकानों को 'मॉडल फर्टिलाइजर रिटेल वन शॉप' के नाम से जाना जाएगा, भविष्य में इन दुकानों की संख्या में बढ़ोत्तरी की संभावना है। 'मॉडल फर्टिलाइजर रिटेल वन शॉप' में खेत की मिट्टी की जांच की सुविधा भी किसानों को मिलेगी, साथ ही कृषि योजनाओं से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी भी इन दुकानों के माध्यम से किसानों तक पहुंचाई जाएगी।


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किसान सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जारी करेंगे पीएम किसान की 12वीं किस्त

दिवाली के ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के किसानों को तोहफा देने जा रहे हैं, 17 अक्टूबर को पीएम मोदी सिंगल क्लिक के माध्यम से पीएम किसान की 12वीं किस्त देश के किसानों के बैंक खातों में सीधे ट्रांसफर करेंगे। वर्तमान में पीएम किसान योजना के अंतर्गत लगभग 11 करोड़ किसान लाभार्थी हैं, 12वीं क़िस्त अपने तय समय से देर से जारी की जा रही है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण किसानों का केवाईसी समय से न हो पाना है, पीएम नरेंद्र मोदी 12वीं क़िस्त के अंतर्गत 20 हजार करोड़ रुपये की राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर करेंगे।
दिवाली पर केंद्र सरकार ने रबी की फसलों की एम एस पी दर बढ़ाकर किसानों को दिया तोहफा

दिवाली पर केंद्र सरकार ने रबी की फसलों की एम एस पी दर बढ़ाकर किसानों को दिया तोहफा

दिवाली पर केंद्र सरकार ने दाल एवं गेंहू सहित और भी छह फसलों की एम एस पी (MSP) में वृध्दि कर दी है। गेंहू सहित समस्त रबी फसलों की एम एस पी में ३ से ९% बढ़ोतरी की पहल कृषि लागत एवं मूल्य आयोग ने की थी। हाल ही में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की १२ वीं किस्त भी किसानों के खातों में ट्रांसफर करदी गयी है, इसके साथ ही किसानों की बेहतरी के लिए केंद्र सरकार ने एम एस पी की दर भी बढ़ा दी है। यह किसानों के लिए दोहरा तोहफा दिया गया है, साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की उर्वरकों से सम्बंधित समस्या के निराकरण के लिए ६०० समृद्ध उर्वरक केंद्र स्थापित भी किये हैं, जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री जी ने एग्री स्टार्ट अप कॉनक्लेव और किसान सम्मेलन (Agri Startup Conclave & Kisan Sammelan) के दौरान की थी। बीते दिनों प्रचंड बारिश के चलते किसानों की फसल चौपट हो चुकी है, जिसके लिए सरकार किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करने का आश्वासन भी दे चुकी है। केंद्र सरकार ने किसानों के हित में कई सारी योजनायें चला रखी हैं, जिनसे किसान काफी हद तक लाभ उठा सकते हैं।


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एम एस पी किस प्रकार निर्धारित होती है ?

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) केंद्र सरकार के निर्देशानुसार किसानों द्वारा फसल पर व्यय एवं फसल के अंतिम छोर तक पहुँचने तक समस्त खर्च संज्ञान में रखने के उपरांत ही न्यूनतम समर्थन मूल्य निश्चित किया जाता है। इसे कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (Commission for Agricultural Costs and Prices (CACP)) द्वारा निर्धारित किया जाता है, लेकिन गन्ने का समर्थन मूल्य सिर्फ गन्ना आयोग द्वारा निर्धारित किया जाता है। गन्ने को छोड़कर अन्य रबी एवं खरीफ की फसलों की एम एस पी कृषि लागत एवं मूल्य आयोग द्वारा निर्धारित की जाती हैं। गेंहू सहित अन्य छह रबी की फसलों में ३ से ९ प्रतिशत तक न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की गयी है।

किस फसल पर कितनी एम एस पी बढ़ी है ?

केंद्र सरकार द्वारा रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने के फैसले के बाद गेंहू के मूल्य में ११० रुपये, जौ में १००, चना में १०५, मसूर में ५०० एवं सरसों में ४०० रूपये की बढ़ोत्तरी हुयी है। पूर्व में केंद्र सरकार द्वारा खरीफ की फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की गयी है, धान की बिक्री का समय आ गया है। किसानों को अपनी लागत के हिसाब से न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल पायेगा एवं अन्य भी खरीफ की फसल जैसे दाल, तिल इत्यादि का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया जा चुका है। किसान दिवाली से पूर्व न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि होने से बेहद खुश हैं।

किसानों के लिए किस तरह सहायक साबित होती है एम एस पी में वृद्धि ?

आये दिन मंहगाई में वृद्धि होने से किसानों की लागत भी बढ़ जाती है क्योंकि उनको फसल तैयार करने के लिए बीज, सिंचाई, कीटनाशक एवं उर्वरकों के साथ साथ जुताई बुवाई में भी काफी व्यय करना पड़ता है, जिसके चलते किसान को उसके द्वारा फसल में लगायी गयी लागत एवं मुनाफा लेने के लिए फसल के मूल्य में वृद्धि होना अत्यंत आवश्यक है। इसलिए केंद्र सरकार की सहमती से कृषि लागत एवं मूल्य आयोग फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करती है, जिससे किसानों को उनकी लागत के साथ साथ बेहतर मुनाफा भी प्राप्त हो सके।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने आसियान भारत बैठक में एलान किया है कि पोषक अनाज उत्पादों को प्रोत्साहित करेगा भारत

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने आसियान भारत बैठक में एलान किया है कि पोषक अनाज उत्पादों को प्रोत्साहित करेगा भारत

खेती और वानिकी के संबंध में 7वीं आसियान भारत मंत्रीस्तरीय बैठक (एआईएमएमएएफ;AIMMAF - ASEAN-India Ministerial Meeting held on Agro-Forestry) बुधवार 26-अक्टूबर 2022 को वर्चुअल माध्यम से सम्पन्न हुई। बैठक दौरान लाओ पीडीआर, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, वियतनाम, थाईलैंड, ब्रुनेई दारुस्सलाम, कंबोडिया, इंडोनेशिया और सिंगापुर के कृषि मंत्रियों की भी मौजूदगी रही। साथ ही, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शिता की पुनःवृत्ती की, जिसमें भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी में आसियान को केंद्र बिंदु में माना है। इसके साथ ही उन्होंने क्षेत्र में मजबूत और उन्नत विकास सुनिश्चित करने के लिए कृषि विकास के लिए आसियान के साथ गहनता से क्षेत्रीय सहयोग पर ध्यान दिया। [embed]https://twitter.com/nstomar/status/1585234444600102914?[/embed] आसिआना बैठक में, आसियान-भारत सहयोग की मध्यावधि कार्ययोजना (साल 2021-2025) के चलते विभिन्न कार्यक्रम एवं गतिविधियों के कार्यप्रणाली की प्रगति का निरीक्षण किया। बैठक में केंद्रीय मंत्री ने पोषक खाद्य के रूप में मिलेट (पोषक-अनाज; Millets) एवं अंतरराष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष 2023 (इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स (आईवायओएम/IYoM)) के महत्व का वर्णन करते हुए आसियान सदस्य देशों से निवेदन किया है कि वे मिलेट के पैदावार, प्रसंस्करण, उपभोग एवं मूल्य संवर्धन की वृद्धि में भारत के प्रयासों में सहयोगिक भूमिका अदा करें।
इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स (IYoM) 2023 योजना का सरकारी दस्तावेज पढ़ने या पीडीऍफ़ डाउनलोड के लिए, यहां क्लिक करें
साथ ही, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि लोगों के स्वास्थ्य और पोषण के लिए पोषक-अनाज के उत्पादों को भारत प्रोत्साहित करेगा। पोषक-अनाज पौष्टिक, कम संसाधन आवश्यकता वाले एवं ज्यादा वातानुकूलित कृषि-खाद्य प्रणालियों के निर्माण में बेहद सहायक साबित होते हैं। वहीं, बैठक में, आसियान भारत संबंधों की 30वीं वर्षगांठ का भी धूम धाम से स्वागत हुआ। बैठक में, कृषि एवं वानिकी में आसियान-भारत सहयोग की सराहना की गयी।


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आसियान भारत के सहयोग की कटिबद्धता की चर्चा की गयी

बैठक के दौरान में कहा गया है कि आसियान और भारत में सुरक्षित तथा पौष्टिक कृषि उत्पादों का सुगम प्रवाह निर्धारित करके कोविड-19 महामारी के अभूतपूर्व प्रभाव को समाप्त करने के लिए, महामारी के बाद किए जाने वाले रिकवरी उपायों के कार्यान्वयन हेतु आसियान-भारत सहयोग के तहत निरंतर उपाय सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने डिजिटल कृषि, प्रकृति-हितैषी कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, वैल्यू चेन, कृषि विपणन खाद्य सुरक्षा, पोषण, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन एवं क्षमता निर्माण में आसियान के साथ भारत के सहयोग को बढ़ाने में पूर्ण सहमती जताई है। Source : PIB (Press Information Bureau - Government of India) https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1870992
प्राकृतिक खेती के जरिये इस प्रकार होगा गौ संरक्षण

प्राकृतिक खेती के जरिये इस प्रकार होगा गौ संरक्षण

मध्य प्रदेश राज्य के मुरैना जनपद में आयोजित हुए कृषि मेला के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया है, कि खेती में डीएपी, यूरिया का बेहद कम इस्तेमाल करें। साथ ही, जैव उर्वरक व नैनो यूरिया का प्रयोग बढ़ना चाहिए। किसानों को जैविक व प्राकृतिक खेती की तरफ रुख करना चाहिए। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से प्राकृतिक खेती पर अधिक ध्यान देने की बात कही है। मध्य प्रदेश के मुरैना जनपद में आयोजित कृषि मेले में उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती के माध्यम से गौवंश की उपयोगिता में वृद्धि होगी। गाय के गोबर व गौमूत्र के प्रयोग से उर्वरक निर्मित करेंगे तो निश्चित रूप से कम लागत लगेगी। साथ ही, इस प्रकार से उत्पादन करना स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद रहेगा। आज आवश्यकता इस बात की है, कि खेती की लागत कम हो और किसानों की आमदनी बढ़ती रहे। उत्पाद उम्दा किस्म के होने चाहिए एवं खेतों में सूक्ष्म सिंचाई का प्रयोग करना चाहिए, इससे जल की बचत भी होगी और फसल की पैदावार भी होगी। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का यह भी कहना है, कि भारत में ८० प्रतिशत लघु किसान हैं, जिनकी सहायता के लिए १० हजार नवीन एफपीओ गठित करने की योजना तैयार की है। जिसके लिए ६,८६५ करोड़ खर्च करेगी केंद्र सरकार।


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खाद्य तेलों की कमी की भरपाई होगी

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि तिलहन की घटोत्तरी व आयात निर्भरता को कम करने हेतु सरकार द्वारा ऑयल पाम मिशन बनाया गया है। जिसके लिए ११ हजार करोड़ रूपये खर्च करेगी सरकार। किसान तकनीक का इस्तेमाल करेंगे तो इसका लाभ आने वाली पीढ़ियों को भी होगा एवं गांव देहातों में नवीन आय के स्त्रोत उत्पन्न होंगे। भारत एक कृषि प्रधान देश है इसलिए आर्थिक संकट व मुसीबत की घड़ी में कृषि क्षेत्र अपनी अहम भूमिका निभाता है

इन किसानों को काफी लाभ मिलेगा

नरेंद्र तोमर ने कहा कि यह कृषि मेला अंचल, चंबल व ग्वालियर के लिए बेहतर कृषि के हिसाब से बहुत सहायक साबित होगा। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर ने इस कृषि मेले के दौरान लगभग हजारों किसानों का मार्गदर्शन किया एवं प्रशिक्षण भी दिया साथ ही किसानों की सहायता हेतु भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) समेत पुरे देश से आये हुए कृषि संस्थानों से जुड़े वैज्ञानिकों को साधूवाद दिया। साथ ही, मेले को आयोजित करने हेतु समस्त सहायक निधियों का आभार व्यक्त किया। [embed]https://www.youtube.com/watch?v=BwU3hGXNodM&t=86s[/embed]

नरेंद्र तोमर ने कहा किसानों की आय दोगुनी हो गयी है

नरेंद्र तोमर का कहना है कि आज कृषि संबंधित योजनाएं आय बढ़ाने से संबंधित बनाई गयी हैं जबकि पूर्व में सिर्फ पैदावार से संबंधित योजनाएं बनाई जाती थी। आय में वृद्धि हेतु कई सारी योजनाएं लागू की जा रही हैं, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों की आय दोगुना से ज्यादा करने के लिए कहा उसके उपरांत केंद्र एवं राज्य सरकारों व किसानों ने एक जुट होकर इस ओर भरपूर प्रयास किए हैं। श्रीनगर (कश्मीर) में केसर का उत्पादन होता है, इसलिए केंद्र सरकार द्वारा केसर पार्क स्थापित हुआ साथ ही अन्य सहायक सुविधाऐं प्रदान की जिसके परिणामस्वरूप १ लाख रूपये किलो भाव से बढ़कर २ लाख रूपये किलो हो गयी है।
देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए है इस फसल की खेती जरूरी विदेश मंत्री ने कहा

देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए है इस फसल की खेती जरूरी विदेश मंत्री ने कहा

वर्ष 2023 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष घोषित किया गया है। केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की मानें तो संयुक्त राष्ट्र ने यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर लिया है। हाल ही में केंद्रीय कृषि और कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और विदेश मंत्री डॉक्टर सुब्रह्मण्यम जयशंकर की अध्यक्षता में अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के प्रीलॉन्च के उत्सव को मनाया गया। इसमें मिलेट के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के बारे में बात की गई है।


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विदेश मंत्री के अनुसार मिलेट (MILLET) की खेती करने से ना सिर्फ देश आत्मनिर्भर बनेगा बल्कि इससे वैश्विक खाद्य समस्या का जोखिम भी कम होगा। इसके अलावा अगर किसानों के दृष्टिकोण से देखा जाए तो ये किसानों को आत्मनिर्भर बनाएगा और विकेंद्रीकरण उत्पादन में भी इससे फायदा होगा।

क्या है मिलेट और क्यों बढ़ रही है वैश्विक बाजार में मांग

मिलेट (MILLETS) को जिस नाम से हम जानते हैं, वह है बाजरा। जी हां छोटे छोटे दाने वाला यह अनाज आजकल बहुत लोकप्रिय हो रहा है। ऐसे में सोचने वाली बात है, कि मिलेट के अचानक से लोकप्रिय होने का कारण क्या है। कोविड-19 के दौरान वैश्विक खाद संकट एक बार फिर से सामने आ गया था, और ऐसे में बाजरा एक ऐसा अनाज है, जो कम पानी और विषम परिस्थितियों में भी उगाया जा सकता है। इसके अलावा कोविड-19 से लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर भी काफी सजग हो गए हैं, और बाजरे को हमेशा से ही स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना गया है। इसीलिए जिस तरह से जलवायु परिवर्तन हो रहा है उस को ध्यान में रखते हुए कुछ इस तरह की ही खेती की ओर हमें ध्यान देना चाहिए ताकि हम देश और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खाद्य सुरक्षा के बारे में पहल कर सकें।


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क्या है मिलेट के पोषक तत्व

मिलेट में पाए जाने वाले पोषक तत्व के बारे में बात की जाए तो लिस्ट काफी लंबी है, इसमें आपको भरपूर मात्रा में फाइबर, कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, मैग्नीशियम, पोटेशियम, विटामिन बी-6 और केराटिन भी पाया जाता है।

क्या गुण बनाते हैं मिलेट को खास

पहले से ही मिलेट को कई अलग-अलग तरह के नामों से जाना जाता है, इसे ‘भविष्य की फसल’ या फिर ‘चमत्कारी अनाज’ भी कहा गया है। उसका कारण है कि मिलेट में पोषक तत्व तो होते ही हैं साथ ही विषम परिस्थितियों और कम लागत में भी उससे उत्पादन होने के कारण इसे खास माना गया है। अगर किसी किसान के पास सिंचाई आदि की सुविधाएं नहीं है, तब भी वह मिलेट की खेती कर सकता है।

पर्यावरण के लिए भी है चमत्कारी

जैसा कि बताया जा चुका है, कि मिलेट की खेती में पानी तो कम लगता ही है साथ ही इसकी खेती में कार्बन उत्सर्जन भी कम होता है। जो सुरक्षित वातावरण बनाए रखने के लिए लाभकारी है। यही कारण है कि भारत में बहुत से राज्य एक से अधिक मिलेट की नस्लों का उत्पादन करते हैं।

इससे जुड़े स्टार्टअप को दी जा रही है आर्थिक सहायता

इसके उत्पादन को बढ़ाने के लिए जो भी स्टार्टअप काम कर रहे हैं, उनको सरकार की तरफ से सहायता भी दी जा रही है। आंकड़ों की मानें तो लगभग 500 से ज्यादा स्टार्टअप इसके उत्पादन के लिए काम कर रहे हैं, जिनमें से 250 स्टार्टअप को भारतीय मिलेट अनुसंधान की तरफ से चयनित किया गया है। उसमें से 70 के करीब स्टार्टअप्स को 6 करोड़ से ज्यादा का इन्वेस्टमेंट दिया जा चुका है।


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पिछले काफी सालों से यह अनाज लोगों की थाली से गायब रहा था और इसका असर आजकल लोगों के स्वास्थ्य पर सीधे तौर पर देखा जा सकता है। अब धीरे ही सही लेकिन लोगों का ध्यान इसकी ओर फिर से आकर्षित हो रहा है।