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पीली सरसों

जानिए, पीली सरसों (Mustard farming) की खेती कैसे करें?

जानिए, पीली सरसों (Mustard farming) की खेती कैसे करें?

आज हम पीली सरसों की बात करेंगे पीली सरसों लाभदायक होने के साथ-साथ अपने पूजा पाठ में भी काम आती है जैसे सरसों दो तरह की होती हैं काली सरसों और पीली सरसो काली सरसों के लिए हम पहले ही अपने वेबसाइट पर लेख दे चुके हैं कई जगह पर लोग राइ को भी सरसों बोल देते हैं जबकि राई और सरसों में बहुत फर्क होता है. पीली सरसों से जो तेल निकलता है उच्च गुणवत्ता का होता है इसमें आप पकवान बनाने से लेकर अचार तक के प्रयोग में ला सकते हैं. सामान्यतः यह सरसों 110 से 125 दिन के बीच में पकती है इसकी मुख्यतः 3 प्रजातियां होती हैं पीतांबरी, नरेंद्र सरसों 2 , एक होती है के-88. इसको खेत की मेड़ों के सहारे भी लगा सकते हैं जैसे आप गेहूं की फसल की जो क्यारियां होती हैं उनकी मेंड़ पर इसको लगाया जा सकता है और अलग से इसकी कोई देखभाल भी नहीं की जाती इसकी लंबाई 6 फुट होती है इसका प्रयोग बीज निकालने के बाद माताएं और बहने झाड़ू के रूप में करती हैं आज भी गांव में जहाँ पशुओं की जगह होती है वहां झाड़ू के रूप में इसका प्रयोग होता है. ये भी पढ़े: गेहूं के साथ सरसों की खेती, फायदे व नुकसान

खेत की तयारी:

सरसों की खेती

जैसे हम दूसरी फसलों के लिए खेत की तयारी करते हैं वैसे ही इसके लिए भी हम खेत को गहराई में जुताई करके खेत की मिटटी को भुरभुरी कर लेते हैं. इसको ज्यादा पानी की जरूरत नहीं पड़ती है इसके लिए 2 पानी काफी होते हैं और अगर बारिश हो जाये तो एक पानी से ही काम चल जाता है. इसके खेत में अगर हम गोबर की बनी हुई खाद प्रयोग करते हैं तो आपको ज्यादा रासायनिक खाद पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. इसके खेत को पहली जुताई गहरी लगा के बाकि की जुताई के समय पाटा या सुहागा जरूर लगाएं और ध्यान रहे इसके खेत में दूब खास न होने पाए नहीं तो वो फसल को ठीक से ज़माने नहीं देती है.

उन्नतिशील प्रजातियाँ

क्र.सं.प्रजातियाँविमोचनकीतिथिनोटीफिकेशनकीतिथिपकनेकीअवधि (दिनोमें)उत्पादनक्षमता (कु०/हे0)तेलकाप्रतिशतविशेषविवरण1 पीताम्बरी 2009 31.08.10 110-115 18-20 42-45 सम्पूर्ण उ.प्र. हेतु 2 नरेन्द्र सरसों-2 1996 09.09.97 125-130 16-20 44-45 सम्पूर्ण उ.प्र. हेतु 3 के-88 1978 19.12.78 125-130 16-18 40-45 सम्पूर्ण उ.प्र. हेतु  

पीली सरसों की बुवाई कब की जाती है?

पीली सरसों की बुबाई का समय 15 सितम्बर से 30 सितम्बर तक कर देनी चाहिए लेकिन यह समय मौसम और राज्य के हिसाब से आगे पीछे भी हो सकता है.

सिंचाई :

सिंचाई की बहुत ज्यादा आवश्यकता इसमें होती नहीं, अगर कोई माहोट लग जाये / या सर्दी में कोई बारिश हो जाये तो दूसरे पानी की जरूरत नहीं होती है.वैसे इसको एक पानी फूल बनने के समय और दूसरा फली में दाना पड़ने के समय चाहिए होता है.

रोग और फसल की सुरक्षा:

सरसों के रोग

1. आरा मक्खीइस

आरा मक्खीइस कीट की सूड़ियाँ काले स्लेटी रंग की होती है जो पत्तियो को किनारो से अथवा पत्तियों में छेद कर तेजी से खाती है। तीव्र प्रकोप की दशा में पूरा पौधा पत्ती विहीन हो जाता है।

सरसों के रोग और कीट

2. चित्रित बगइस

चित्रित बगइस कीट के शिशु एवं प्रौढ़ चमकीले काले, नारंगी एवं लाल रंग के चकत्ते युक्त होते है। शिशु एवं प्रौढ पत्तिया, शाखाओं, तनो, फूलो एवं फलियों का रस चूसते हैं जिससे प्रभावित पत्तियाँ किनारो से सूख कर गिर जाती है। प्रभावित फलियों में दाने कम बनते है। ये भी पढ़े: सरसों के फूल को लाही कीड़े और पाले से बचाने के उपाय

3. बालदार सूड़ी

बालदार सूड़ी काले एवं नारंगी रंग की होती है तथा पूरा शरीर बालो से ढका रहता है। सूडियाँ प्रारम्भ से झुण्ड मे रहकर पत्तियों को खाती है तथा बाद मे पूरे खेत में फैल कर पत्तियो को खाती है तीव्र प्रकोप की दशा में पूरा पौधा पत्ती विहीन हो जाता है।

सरसों के रोग और कीट

4. माहूँइस

माहूँइस कीट की शिशु एवं प्रौढ़ पीलापन लिए हुए रंग के होते है जो पौधो के कोमल तनों, पत्तियों, फूलो एवं नई फलियों के रस को चूसकर कमजोर कर देते हैं। माहूँ मधुस्राव करते है जिस पर काली फफूँदी उग आती है जिससे प्रकाश संश्लेषण में बाधा उत्पन्न होती है।

5. पत्ती सुरंगक कीट

पत्ती सुरंगक कीट इस कीट की सूडी पत्तियों में सुरंग बनाकर हरे भाग को खाती है जिसके फलस्वरूप पत्तियों में अनियमित आकार की सफेद रंग की रेखाये बन जाती है।गर्मी में गहरी जुताई करनी चाहिए।संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए।आरा मक्खी की सूडियों को प्रातः काल इक्ट्ठा कर नष्ट कर देना चाहिए।प्रारम्भिक अवस्था में झुण्ड में पायी जाने वाली बालदार सूडियों को पकड़कर नष्ट कर देना चाहिए।प्रारम्भिक अवस्था में माहूँ से प्रभावित फूलों, फलियों एवं शाखाओं को तोड़कर माहूँ सहित नष्ट कर देना चाहिए।पकने का समय:पिली सरसों पकने में 110 से 125 दिन का समय लेती है.तेल की मात्रा:इसमें तेल की मात्रा सामान्य सरसों से ज्यादा होती है, लगभग 40 से 45 % तक होती है जब की सामान्य सरसों में यही तेल की मात्रा 30 से 35 % तक ही होती है.

खुशखबरी: इस राज्य में बढ़ा इतने हेक्टेयर सरसों की फसल का रकबा

खुशखबरी: इस राज्य में बढ़ा इतने हेक्टेयर सरसों की फसल का रकबा

हरियाणा राज्य के जनपद अंबाला में सरसों की खेती के क्षेत्रफल में २७७० हेक्टेयर तक बढ़ोत्तरी हुई है। सरसों का विकास देख राज्य सरकार के अधिकारी प्रसन्न हैं, किसानों को भी अच्छी खासी आय की संभावना है। फिलहाल, खरीफ सीजन की तैयार फसलें कटाई होने के उपरांत बिक्रय की जाने लगी हैं। साथ ही, किसानों द्वारा उनके खेतों में रबी फसलों की बुवाई होना आरंभ हो गयी है। प्राकृतिक आपदा जैसे सूखा, बाढ़ व बारिश से किसानों की बीते खरीफ सीजन की फसलों को बेहद हानि हुई ही। किसान अब तक उस नुकसान की भरपाई भी नहीं कर पा रहे हैं, इसलिए उचित समय से ही रबी फसलों की बुवाई आरंभ कर दी है। किसान बेहतर उत्पादन देने वाली फसलों के चयन पर काफी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, और अधिक आय अर्जन में सहायक फसलों की बुवाई अधिकाँश कर रहे हैं। हरियाणा में तिलहनी फसलों के क्षेत्रफल में वृद्धि का भी यही कारण है।

हरियाणा में सरसों की बुवाई का कितना रकबा बढ़ा है

हरियाणा राज्य के अंबाला जनपद से ही तिलहनी फसलों के उत्पादन से संबंधित अच्छी खबर सामने आयी है। मीडिया के मुताबिक, इस जिले में तिलहनी फसलों की तीव्रता से बढ़ोत्तरी हुई है। इस वर्ष केवल सरसों की खेती का क्षेत्रफल ५१६० हेक्टेयर पर पहुँच गया है, जबकि वर्ष २०२०-२१ के रबी सीजन में यह २३९० हेक्टेयर था। इसी प्रकार बीते साल की अपेक्षा में २७७० हेक्टेयर रकबा बढ़ गया है, विषेशज्ञों के अनुसार तो किसानों को पहले सरसों की फसलों में हानि हुई थी। लेकिन अब अनुमानुसार, सरसों की बुवाई में बढ़ोत्तरी की वजह से किसानों को बेहद लाभ अर्जित हो सकता है।

ये भी पढ़ें: भारी विरोध के बावजूद अगले 2 सालों में किसानों को मिल जाएगी जीएम सरसों

नवंबर में कितना रकबा बढ़ा

अंबाला जनपद में नवंबर के बीच तक लगभग ४४०० हेक्टेयर में सरसों व तकरीबन ३५०० हेक्टेयर में तोरिया की बुवाई संपन्न हो चुकी है। बुवाई की बात करें तो विगत दिनों में तीव्रता से वृद्धि हुई है। किसानों के अनुसार विगत वर्ष इसी सीजन में सरसों के उत्पादन में घटोत्तरी हुई थी। किसान स्वयं के द्वारा किये गए खर्च को प्राप्त करने में असमर्थ रहे थे, इसी वजह से किसानों को इस बार ज्यादा आशा है।

आखिर क्यों बढ़ रहा है सरसों के उत्पादन का रकबा

किसान सरसों का उत्पादन कर मोटी कमाई कर रहे हैं, हरियाणा के किसानों के अनुसार काली व पीली सरसों का बेहतर भाव प्राप्त हो रहा है। विगत ऋतु में भी न्यूनतम समर्थन मूल्य से ज्यादा पर तिलहनी फसलें विक्रय की गई थीं। इस वर्ष रकबे में वृध्दि हुई है, संभावना है, कि किसानों को इस वर्ष बोई जा रही फसल से अच्छा उत्पादन मिल सकता है। किसानों की आमंदनी बढने की वजह से आगामी वर्षो में धीरे-धीरे इसके क्षेत्रफल में वृद्धि होगी, एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के अधिकारियों के अनुसार गेहूं के तुलनात्मक सरसों में व्यय काफी कम होता है। इसी वजह से किसान सरसों की अत्यधिक बुवाई करते हैं, वहीं कटाई के उपरांत और भी फसलें सुगमता से बो सकते हैं। सरसों के रकबे का बढ़ना हरियाणा राज्य के लिए अच्छी खबर है।