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प्याज

प्याज उत्पादक किसान और ग्राहकों के लिए केंद्र सरकार ने कदम उठाया

प्याज उत्पादक किसान और ग्राहकों के लिए केंद्र सरकार ने कदम उठाया

प्याज की बढ़ती कीमतों के चलते केंद्र सरकार ने एक और बड़ा निर्णय लिया है। सरकार भारतभर की समस्त मंडियों में प्याज की खरीद जारी रखेगी। भाव में गिरावट आने तक सरकार का दखल जारी रहेगा। प्याज की बढ़ती कीमतों में गिरावट लाने के लिए केंद्र सरकार अब तक विभिन्न महत्वपूर्ण कदम उठा चुकी है, जिसका प्रभाव भी अब दिखने लग गया है। सरकार के दखल के पश्चात अब प्याज के भाव गिरकर 60 रुपये प्रति किलोग्राम तक गिर गए हैं। इसी मध्य केंद्र सरकार ने एक बड़ा निर्णय लिया है, जिससे प्याज कृषकों को तो लाभ होने के साथ-साथ ग्राहकों को भी राहत मिलेगी।

केंद्र सरकार प्याज की खरीद निरंतर जारी रखेगी

दरअसल, सरकार ने प्याज की खरीद जारी रखने का निर्णय लिया है। उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने बताया है, कि सरकार ने प्याज की खरीद जारी रखने का फैसला लिया है। यह खरीद भारतभर की समस्त मंडियों में होगी। उन्होंने बताया है, कि जब तक प्याज के भाव कम नहीं हो जाते सरकार तब तक प्याज की खरीद करेगी। 

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विगत सप्ताह ही प्याज के निर्यात पर प्रतिबंधित लगाया

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि सरकार ने विगत सप्ताह ही प्याज के निर्यात पर आगामी वर्ष 31 मार्च तक के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार ने यह कदम प्याज की घरेलू कीमतों को नियंत्रण में रखने एवं उपलब्धता बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया है। परंतु, प्याज उत्पादक किसान इस निर्णय से खुश नहीं हैं और भारत के विभिन्न हिस्सों में इसका विरोध कर रहे हैं। महाराष्ट्र के नासिक जनपद में भी प्याज उत्पादक किसान इस निर्णय को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। किसानों के इसी विरोध के मध्य सरकार ने प्याज की खरीद जारी रखने का निर्णय लिया है। 

निर्यात प्रतिबंध का किसानों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा 

उपभोक्ता मामलों के सचिव का कहना है, कि सरकार उम्मीद कर रही है, कि जनवरी तक प्याज की कीमतें मौजूदा औसत कीमत 57.02 रुपये प्रति किलोग्राम से कम करके 40 रुपये प्रति किलोग्राम से नीचे पहुँच जाऐंगी। उन्होंने कहा कि किसानों पर निर्यात प्रतिबंध का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। साथ ही, यह व्यापारियों का एक छोटा समूह है, जो भारतीय और बांग्लादेश के बाजारों में कीमतों के मध्य अंतराल का लाभ उठा रहा है।
Fasal ki katai kaise karen: हाथ का इस्तेमाल सबसे बेहतर है फसल की कटाई में

Fasal ki katai kaise karen: हाथ का इस्तेमाल सबसे बेहतर है फसल की कटाई में

किसान भाईयों, आपने आलू, खीरा और प्याज की फसल पर अपने जानते खूब मेहनत की। फसल भी अपने हिसाब से बेहद ही उम्दा हुई। गुणवत्ता एक नंबर और क्वांटिटी भी जोरदार। लेकिन, आप अभी भी पुराने जमाने के तौर-तरीके से ही अगर फसल निकाल रहे हैं, उसकी कटाई कर रहे हैं तो ठहरें। हो सकता है, आप जिन प्राचीन विधियों का इस्तेमाल करके फसल निकाल रहे हैं, उसकी कटाई कर रहे हैं, वह आपकी फसल को खराब कर दे। संभव है, आप पूरी फसल न ले पाएं। इसलिए, कृषि वैज्ञानिकों ने जो तौर-तरीके बताएं हैं फसल निकालने के, हम आपसे शेयर कर रहे हैं। इस उम्मीद के साथ कि आप पूरी फसल ले सकें, शानदार फसल ले सकें। तो, थोड़ा गौर से पढ़िए इस लेख को और उसी हिसाब से अपनी फसल निकालिए।

प्याज की फसल

Pyaj ki kheti

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प्याज देश भर में बारहों माह इस्तेमाल होने वाली फसल है। इसकी खेती देश भर में होती है। पूरब से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक। अब आपका फसल तैयार है। आप उसे निकालना चाहते हैं। आपको क्या करना चाहिए, ये हम बताते हैं। जब आप प्याज की फसल निकालने जाएं तो सदैव इस बात का ध्यान रखें कि प्याज और उसके बल्बों को किसी किस्म का नुकसान न हो। आपको बेहद सावधानी बरतनी पड़ेगी। हड़बड़ाएं नहीं। धैर्य से काम लें। सबसे पहले आप प्याज को छूने के पहले जमीन के ऊपर से खींचे या फिर उसकी खुदाऊ करें। बल्बों के चारों तरफ से मिट्टी को धीरे-धीरे हिलाते चलें। फिर जब मिट्टी हिल जाए तब आप प्याज को नीचे, उसकी जड़ से आराम से निकाल लें। आप जब मिट्टी को हिलाते हैं तब जो जड़ें मिट्टी के संपर्क में रहती हैं, वो धीरे-धीरे मिट्टी से अलग हो जाती हैं। तो, आपको इससे साबुत प्याज मिलता है। प्याज निकालने के बाद उसे यूं ही न छोड़ दें। आपके पास जो भी कमरा या कोठरी खाली हो, उसमें प्याज को सुखा दें। कम से कम एक हफ्ते तक। उसके बाद आप प्याज को प्लास्टिक या जूट की बोरियों में रख कर बाजार में बेच सकते हैं या खुद के इस्तेमाल के लिए रख सकते हैं। प्याज को कभी झटके से नहीं उखाड़ना चाहिए।

आलू

aalu ki kheti आलू देश भर में होता है। इसके कई प्रकार हैं। अधिकांश स्थानों पर आलू दो रंगों में मिलते हैं। सफेद और लाल। एक तीसरा रंग भी हैं। धूसर। मटमैला धूसर रंग। इस किस्म के आलू आपको हर कहीं दिख जाएंगे।

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आपका आलू तैयार हो गया। आप उसे निकालेंगे कैसे। कई लोग खुरपी का इस्तेमाल करते हैं। यह नहीं करना चाहिए क्योंकि अनेक बार आधे से ज्यादा आलू खुरपी से कट जाते हैं। कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि इसके लिए बांस सबसे बेहतर है, बशर्ते वह नया हो, हरा हो। इससे आप सबसे पहले तो आलू के चारों तरफ की मिट्टी को ढीली कर दें, फिर अपने हाथ से ही आलू निकालें। आप बांस से आलू निकालने की गलती हरगिज न करें। बांस, सिर्फ मिट्टी को साफ करने, हटाने के लिए है।

नए आलू की कटाई

नए आलू छोटे और बेहद नरम होते हैं। इसमें भी आप बांस वाले फार्मूले का इस्तेमाल कर सकते हैं। आलू, मिट्टी के भीतर, कोई 6 ईंच नीचे होते हैं। इसिलए, इस गहराई तक आपका हाथ और बांस ज्यादा मुफीद तरीके से जा सकता है। बेहतर यही हो कि आप हाथ का इस्तेमाल कर मिट्टी को हटाएं और आलू को निकाल लें।

गाजर

gajar ki kheti गाजर बारहों मास नहीं मिलता है। जनवरी से मार्च तक इनकी आवक होती है। बिजाई के 90 से 100 दिनों के भीतर गाजर तैयार हो जाता है। इसकी कटाई हाथों से सबसे बेहतर होती है। इसे आप ऊपर से पकड़ कर खींच सकते हैं। इसकी जड़ें मिट्टी से जुड़ी होती हैं। बेहतर तो यह होता कि आप पहले हाथ अथवा बांस की सहायता से मिट्टी को ढीली कर देते या हटा देते और उसके बाद गाजर को आसानी से खींच लेते। गाजर को आप जब उखाड़ लेते हैं तो उसके पत्तों को तोड़ कर अलग कर लेते हैं और फिर समस्त गाजर को पानी में बढ़िया से धोकर सुखा लिया जाता है।

खीरा

khira ki kheti खीरा एक ऐसी पौधा है जो बिजाई के 45 से 50 दिनों में ही तैयार हो जाता है। यह लत्तर में होता है। इसकी कटाई के लिए चाकू का इस्तेमाल सबसे बेहतर होता है। खीरा का लत्तर कई बार आपकी हथेलियों को भी नुकसान पहुंचा सकता है। बेहतर यह हो कि आप इसे लत्तर से अलग करने के लिए चाकू का ही इस्तेमाल करें।

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कुल मिलाकर, फरवरी माह या उसके पहले अथवा उसके बाद, अनेक ऐसी फसलें होती हैं जिनकी पैदावार कई बार रिकार्डतोड़ होती है। इनमें से गेहूं और धान को अलग कर दें तो जो सब्जियां हैं, उनकी कटाई में दिमाग का इस्तेमाल बहुत ज्यादा करना पड़ता है। आपको धैर्य बना कर रखना पड़ता है और अत्यंत ही सावधानीपूर्वक तरीके से फसल को जमीन से अलग करना होता है। इसमें आप अगर हड़बड़ा गए तो अच्छी-खासी फसल खराब हो जाएगी। जहां बड़े जोत में ये वेजिटेबल्स उगाई जाती हैं, वहां मजदूर रख कर फसल निकलवानी चाहिए। बेशक मजदूरों को दो पैसे ज्यादा देने होंगे पर फसल भी पूरी की पूरी आएगी, इसे जरूर समझें। कोई जरूरी नहीं कि एक दिन में ही सारी फसल निकल आए। आप उसमें कई दिन ले सकते हैं पर जो भी फसल निकले, वह साबुत निकले। साबुत फसल ही आप खुद भी खाएंगे और अगर आप उसे बाजार अथवा मंडी में बेचेंगे, तो उसकी कीमत आपको शानदार मिलेगी। इसलिए बहुत जरूरी है कि खुद से लग कर और अगर फसल ज्यादा है तो लोगों को लगाकर ही फसलों को बाहर निकालना चाहिए। (देश के जाने-माने कृषि वैज्ञानिकों की राय पर आधारित)
मार्च-अप्रैल में इन टॉप सब्जियों की खेती से मिलेगा मोटा मुनाफा

मार्च-अप्रैल में इन टॉप सब्जियों की खेती से मिलेगा मोटा मुनाफा

आजकल रबी की फसल की कटाई का समय चल रहा है। मार्च-अप्रैल में किसान सब्जियों की बुवाई करना शुरू कर देते हैं। लेकिन किसान कौन सी सब्जी का उत्पादन करें इसका चयन करना काफी कठिन होता है। किसानों को अच्छा मुनाफा देने वाली सब्जियों के बारे में हम आपको जानकारी देने वाले हैं। 

दरअसल, आज हम भारत के कृषकों के लिए मार्च-अप्रैल के माह में उगने वाली टॉप 5 सब्जियों की जानकारी लेकर आए हैं, जो कम वक्त में बेहतरीन उपज देती हैं। 

भिंडी की फसल (Okra Crop)

भिंडी मार्च-अप्रैल माह में उगाई जाने वाली सब्जी है। दरअसल, भिंडी की फसल (Bhindi Ki Fasal) को आप घर पर गमले अथवा ग्रो बैग में भी सुगमता से लगा सकते हैं। 

भिंडी की खेती के लिए तापमान 25-35 डिग्री सेल्सियस उपयुक्त माना जाता है। आमतौर पर भिंडी का इस्तेमाल सब्जी बनाने में और कभी-कभी सूप तैयार करने में किया जाता है।

खीरा की फसल (Cucumber Crop)

किसान भाई खीरे की खेती (Cucumber cultivation) से काफी अच्छा लाभ कमा सकते हैं। दरअसल, खीरा में 95% प्रतिशत पानी की मात्रा होती है, जो गर्मियों में स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी होती है। गर्मियों के मौसम में खीरा की मांग भी बाजार में काफी ज्यादा देखने को मिलती है। 

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अब ऐसी स्थिति में अगर किसान अपने खेत में इस समय खीरे की खेती करते हैं, तो वह काफी शानदार कमाई कर सकते हैं। खीरा गर्मी के सीजन में काफी अच्छी तरह विकास करता है। इसलिए बगीचे में बिना किसी दिक्कत-परेशानी के मार्च-अप्रैल में लगाया जा सकता है। 

बैंगन की फसल (Brinjal Crop)

बैंगन के पौधे (Brinjal Plants) को रोपने के लिए दीर्घ कालीन गर्म मौसम की आवश्यकता होती है। साथ ही, बैंगन की फसल के लिए तकरीबन 13-21 डिग्री सेल्सियस रात का तापमान अच्छा होता है। क्योंकि, इस तापमान में बैंगन के पौधे काफी अच्छे से विकास करते हैं।

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ऐसी स्थिति में यदि आप मार्च-अप्रैल के माह में बैंगन की खेती (baingan ki kheti) करते हैं, तो आगामी समय में इससे आप अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं। 

धनिया की फसल (Coriander Crop)

एक अध्यन के अनुसार, हरा धनिया एक प्रकार से जड़ी-बूटी के समान है। हरा धनिया सामान्य तौर पर सब्जियों को और अधिक स्वादिष्ट बनाने के कार्य करता है। 

इसे उगाने के लिए आदर्श तापमान 20 से 30 डिग्री सेल्सियस काफी अच्छा माना जाता है। ऐसे में भारत के किसान धनिया की खेती (Coriander Cultivation) मार्च-अप्रैल के माह में सुगमता से कर सकते हैं।

प्याज की फसल (Onion Crop)

प्याज मार्च-अप्रैल में लगाई जाने वाली सब्जियों में से एक है। प्याज की बुवाई के लिए 10-32 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए। प्याज के बीज हल्के गर्म मौसम में काफी अच्छे से विकास करते हैं। इस वजह से प्याज रोपण का उपयुक्त समय वसंत ऋतु (Spring season) मतलब कि मार्च- अप्रैल का महीना होता है। 

बतादें, कि प्याज की बेहतरीन प्रजाति के बीजों की फसल लगभग 150-160 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। हालांकि, हरी प्याज की कटाई (Onion Harvesting) में 40-50 दिन का वक्त लगता है।

जानें लहसुन की कीमत में कितना इजाफा हुआ है

जानें लहसुन की कीमत में कितना इजाफा हुआ है

मंडी समिति के सचिव मदन लाल गुर्जर ने बताया है, कि विगत एक सप्ताह से लहसुन के भाव में यह बढ़ोत्तरी हुई है। मंगलवार को लहसुन की कीमत में 300 रुपये प्रति क्विंटल की दर से वृद्धि दर्ज की गई। राजस्थान में लहसुन के भाव में काफी उछाल आया है। अब ऐसी स्थिति में मंडियों में लहसुन की आवक बढ़ गई है। अत्यधिक कीमत होने की वजह से बड़ी तादात में किसान लहसुन की उपज को विक्रय करने के लिए मंडी पहुंच रहे हैं। साथ ही, ऐसा भी सुनने को मिल रहा है, कि आगामी समय में कीमतों में और वृद्धि दर्ज होने की संभावना होती है। विशेष बात यह है, कि लहसुन के भाव में यह वृद्धि प्रतापगढ़ की मंडी में अधिक देखने को मिल रही है। इससे लहसुन उत्पादक किसान बेहद खुश दिखाई दे रहे हैं। लहसुन की खेती करना काफी मुनाफे का सौदा साबित होता है। लहसुन शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है। कई बार चिकित्सक भी मरीजों को लहसुन खाने की सलाह देते हैं। अधिकांश लोग सब्जी में लहसुन का तड़का दिए बिना सब्जी पसंद नहीं करते हैं।

लहसुन के भाव में 300 रुपए प्रति क्विंटल की दर से वृद्धि

मीडिया एजेंसियों के अनुसार, मंडी समिति के सचिव मदन लाल गुर्जर ने बताया है, कि विगत एक सप्ताह से लहसुन के भाव में यह वृद्धि सामने आ रही है। मंगलवार को लहसुन की कीमत में 300 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से वृद्धि दर्ज की गई है। वर्तमान में मंडी के अंदर एक क्विंटल लहसुन का भाव 13000 हो चुका है। यही कारण है, कि किसान अपनी फसल विक्रय करने हेतु बड़ी तादात में मंडी पहुँच रहे हैं। मंडी में प्रतिदिन लगभग 1500 बोरी लहसुन की आवक हो रही है। लहसुन व्यापारी नितिन चंडालिया का कहना है, कि आगामी दिनों में लहसुन की कीमत में और उछाल आएगा। साथ ही, यहां से लहसुन का निर्यात फिलहाल अन्य राज्यों में भी चालू हो चुका है। यह भी पढ़ें: मध्य प्रदेश के किसान लहसुन के गिरते दामों से परेशान, सरकार से लगाई गुहार

टमाटर के भाव में अच्छा-खासा इजाफा हुआ है

बतादें, कि राजस्थान में लहसुन के भाव में काफी इजाफा दर्ज हुआ है। महाराष्ट्र राज्य में टमाटर भी काफी महंगा हो चुका है। 30 रुपये किलो में मिलने वाले टमाटर की कीमत फिलहाल 60 रुपये तक पहुँच चुका है। बतादें, कि टमाटर उत्पादक काफी प्रसन्न हैं। वर्तमान, व्यापारी कृषकों से ज्यादा कीमत पर टमाटर खरीद रहे हैं। कृषकों को पहले एक किलो टमाटर के लिए 2 से 3 रुपये मिला करते थे। लेकिन, फिलहाल उनको काफी अच्छा भाव अर्जित हो रहा है।

राजस्थान के इस जनपद में हजारों हेक्टेयर में लहसुन की खेती

जानकारी के लिए बतादें, कि विगत वर्ष राजस्थान में लहसुन की उपज का समुचित भाव नहीं मिला था। सरकार द्वारा बाजार हस्तक्षेप योजना को मंजूरी मिलने के पश्चात भी उत्पादकों को लहसुन की समुचित कीमत नहीं मिल पाई थी। बतादें, कि किसान 14 रुपये किलो की दर से लहसुन का विक्रय करने हेतु विवश थे। बतादें, कि राजस्थान में किसान 1.31 लाख हेक्टेयर भूमि में लहसुन का उत्पादन करते है। बारा, हाड़ौती, बूंदी, झालावाड़ और कोटा इलाकों में किसान सर्वाधिक लहसुन की खेती करते हैं। इन इलाकों से 90 प्रतिशत लहसुन का उत्पादन होता है। इसी कड़ी में बारा जनपद में उत्पादकों ने 30 हजार 420 हेक्टेयर भूमि पर लहसुन का उत्पादन किया है।
प्याज आयात करने की शर्तों में छूट

प्याज आयात करने की शर्तों में छूट

बाजार में प्याज की ऊंची कीमतों को लेकर लोगों की चिंताओं को मद्देनजर रखते हुए ,कषि और किसान कल्याण विभाग ने आयात की जाने वाली प्याज के लिए पादप संगरोध आदेश-2003 के तहत फ्यूफिमिगेशन और पादपस्वच्छता (फाइटोसैनिटरी) सर्टिफिकेट की अनिवार्यता पर छूट की समय सीमा 31 जनवरी 2021 तक बढ़ाने का फैसला किया है। यह छूट कुछ शर्तों के अधीन होगी। नई व्यवस्था के तहत बिना फ्यूमिगेशन के भारतीय बंदरगाह पर पहुंचने वाली आयातित प्याज की खेप को आयातकों द्वारा मान्यता प्राप्त उपचार प्रदाताओं के माध्यम से फ्यूमिगेट कराया जाना होगा। ऐसी खेप का क्वारंटीन की व्यवस्था करने वाले अधिकारियों द्वारा पूरी तरह से निरीक्षण किया जाएगा और केवल तभी जारी किया जाएगा जब उन्हें भारत के लिए निषिद्ध माने गए कीटों और पादप रोगों से मुक्त पाया जाएगा। इसके अलावा अगर निरीक्षण के दौरान इनमें स्मट या ड्राई रोट  के लक्षण पाए गए तो ऐसी आयातित खेप के कंटेनरों को खारिज कर वापस भेज दिया जाएगा। यदि आयातित प्याज के स्टेम या बल्ब में नेमाटोड या मैगोट का पता लगता है तो इसे तुरंत फ्यूमिगेशन के जरिए खत्म करने की व्यवस्था करनी होगी और इसके बाद पूरी खेप को बिना किसी अतिरिक्त निरीक्षण शुल्क के जारी कर दिया जाएगा।

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प्याज छूट की नई शर्तों के तहत आयातकों से यह लिखित रूप में लिया जाएगा कि वह छूट का लाभ लेते हुए जिस प्याज का आयात कर रहे हैं उसका इस्तेमाल केवल उपभोग के लिए किया जाएगा न कि किसी तरह के वाणिज्यिक लाभ के लिए। इसके अलावा प्याज की ऐसी खेप के लिए पादप संगरोध आदेश- 2003 के तहत आयात की शर्तों के गैर अनुपालन की स्थिति में चार गुना अतिरिक्त निरीक्षण शुल्क नहीं वसूला जाएगा।
जनवरी माह में प्याज(Onion) बोने की तैयारी, उन्नत किस्मों की जानकारी

जनवरी माह में प्याज(Onion) बोने की तैयारी, उन्नत किस्मों की जानकारी

प्याज की फसल को व्यावसायिक फसल कहते हैं क्योंकि प्याज का इस्तेमाल सब्जी में तड़का लगाने, सलाद बनाने, व औषघि बनाने में किया जाता है। इसके बहुप्रयोगी होने के कारण इसकी मांग विश्व भर में है। इसी वजह से अन्य मौसमी सब्जियों की अपेक्षा प्याज थोड़ा महंगी बिकती है। यदि किसी कारण से फसल खराब हो जाये या भंडारण की स्थिति गड़बड़ा जाये अथवा मौसम खराब हो जाये तो प्याज महंगाई के आंसू भी रुला देती है। प्याज की खेती साल में दो बार की जाती है। एक रबी फसल में बुआई की जाती है और दूसरी खरीफ फसल में उगाई जाती है। आइये जानते हैं प्याज की खेती के बारे में विस्तृत जानकारी। Pyaj ki kheti

Content

  1. कब से शुरू करें तैयारी करना
  2. कैसे तैयार करें नर्सरी
  3. खेत इस प्रकार से तैयार करें
  4. बुआई कैसे करें
  5. प्याज की उन्नत किस्में
  6. सिंचाई की व्यवस्था
  7. खरपतवार नियंत्रण
  8. कीट व रोग नियंत्रण
  9. फसल की खुदाई

प्याज की खेती  (Onion farming)

कब से शुरू करें तैयारी करना

जनवरी में प्याज की बुआई करने के लिए किसान भाइयों को कितने पहले से क्या क्या तैयारियां की जानी चाहिये? उसके बारे में जानने पर पता चला कि जनवरी में प्याज की बुआई के लिए किसान भाइयों को मध्य अक्टूबर से प्याज की नर्सरी तैयार करनी चाहिये, जो सात सप्ताह में तैयार होती है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि प्याज की नर्सरी में अधिक से अधिक पौधों को तैयार करना प्रमुख कार्य होता है और इससे पैदावार अच्छी होती है। ये भी पढ़े: प्याज करेगी मालामाल

कैसे तैयार करें नर्सरी

Pyaj ki buwai रबी की प्याज की फसल के लिए नर्सरी करने लिए दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है। भूमि ऐसी होनी चाहिये जहां पर पानी न ठहरता हो। उस खेत को अच्छी तरह से जोत लें और उसमें 40-50 किलो सड़ी गोबर की खाद प्रति वर्गमीटर में डालें और उसमें लगभग तीन ग्राम तक कार्बोफ्यूरान नामक दवा मिला लें तो अच्छा रहेगा। बीज की बुआई के लिए कतारें बना लें। बीज की बुआई करने से पहले उसे कैप्टान या थाइरम से उपचारित कर लें और चार पांच घंटे पहले पानीमें उसे भीगने देंगे तो और भी अच्छा रहेगा। इसके बाद खेत में बनी कतारों में बीज की बुआई करें। बुआई के बाद वर्मी कम्पोस्ट खाद में मिट्टी मिलाकर उसे हल्के से ढक दें तथा नर्सरी को घास-फूस या धान की पुआल से ढक दें। उसके बाद फव्वारे से पानी दें। नर्सरी में जब बीज अंकुरित हो जायें तो ढकने वाली पुआल को हटा दें।

खेत इस प्रकार से तैयार करें

उपजाऊ  दोमट मिट्टी प्याज के लिए सबसे अच्छी बतायी जाती है। यदि किसी भूमि में गंधक की मात्रा कम हो तो उसमें 400 किलो जिप्सम प्रति हेक्टेयर की दर से खेत की तैयार करते समय बुआई से कम से कम 15 दिन पहले मिलायें। खेत की अच्छी तरह से जुताई करें। जुताई के समय 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर गोबर की सड़ी खाद के अलावा 50 किलो नाइट्रोजन, 50 किलो फास्फोरस और 100 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मिट्टी में अच्छी तरह से मिलाना चाहिये।  इसके बाद 50 किलो नाइट्रोजन रोपाई के एक माह बाद खड़ी फसल में डालें। ये भी पढ़े: प्याज़ भंडारण को लेकर सरकार लाई सौगात, मिल रहा है 50 फीसदी अनुदान

बुआई कैसे करें

प्याज की बुआई दो तरीके से की जाती है। एक पौधों की रोपाई होती है और दूसरी कंदों की बुआई की जाती है।

रोपाई विधि

नर्सरी में तैयार किये गये पौधे जब 7 से 9 सप्ताह के हो जायें तो उन्हें खेत में रोप देना चाहिये। रोपाई करते समय पंक्तियों यानी कतारों की दूरी लगभग छह इंच होनी चाहिये और पौधों से पौधों की दूरी चार इंच होनी चाहिये।

कन्दों की बुआई विधि

प्याज के कन्दों की बुआई डेढ़ फुट की दूरी पर 10 सेंटी मीटर की दूरी पर दोनों तरफ की जाती है। इसमें दो सेंटीमीटर से पांच सेंटीमीटर के गोलाई वाले कन्द को चुनना चाहिये। एक हेक्टेयर में 10क्विंटल कंद लगते हैं।

प्याज की उन्नत किस्में

Pyaj ki Unnat kisme किसान भाइयों को प्याज की फसल से अधिकतम उपज प्राप्त करने के लिउ उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिये। किसान भाइयों को चाहिये कि कृषि वैज्ञानिकों द्वारा क्षेत्रवार उन्नत किस्मों की सिफारिश को मानें। कृषि वैज्ञानिकों ने तराई, पर्वतीय और मैदानी क्षेत्र के लिए अलग-अलग उन्नत किस्मों की सिफारिश की है। उसी के हिसाब से किस्मों का चयन करें। लाल रंग की प्याज वाली किस्में: भीमा लाल, हिसार-5, भीमा गहरा लाल, हिसार-2, भीमा सुपर, नासिक लाल,पंजाब लाल,  लाल ग्लोब, पटना लाल, बेलारी लाल, पूसा लाल,  अर्का निकेतन, पूसा रतनार, अर्का प्रगति, अर्का लाइम, और एल- 1,2,4, इत्यादि प्रमुख है भंडार करने वाले सफेद रंग की प्याज की किस्में: इस तरह की प्याज को सुखा कर रखा जाता है। इस तरह के प्याज की उन्नत किस्मों में भीमा शुभ्रा, भीमा श्वेता, प्याज चयन- 131, उदयपुर 102, प्याज चयन- 106, नासिक सफेद, पूसा व्हाइट राउंड,  सफेद ग्लोब,  पूसा व्हाईट फ़्लैट, एन- 247-9 -1  इत्यादि प्रमुख है।

सिंचाई की व्यवस्था

किसान भाइयों को प्याज की फसल लेने के लिए बुआई या रोपाई के 3 या 4 दिन बाद हल्की सिंचाई अवश्य करनी चाहिये ताकि मिट्टी में अच्छी तरह से नमी हो सके। जिससे रोपे गये पौधों की जड़ मजबूत हो सके तथा कंद से अंकुर जल्दी से निकल आयें। इसके बाद प्रत्येक पखवाड़े एक बार सिंचाई अवश्य करनी चाहिये। जब पौधें के सिरे यानी ऊपर की चोटी पीली पड़ने लगे तो सिंचाई बंद कर देनी चाहिये। ये भी पढ़े: प्याज आयात करने की शर्तों में छूट

खरपतवार नियंत्रण

बुआई से पहले रासायनिक इंतजाम करने चाहिये जैसे अंकुर निकलने से पहले प्रति हेक्टेयर डेढ़ से दो किलो तक एलाक्लोर का छिड़काव करे अथवा बुआई से पहले फ्लूक्लोरेलिन का छिड़काव करना चाहिये। वैसे खेत में खरपतवार देखते हुए निराई गुड़ाई करनी चाहिये। आम तौर पर 45 दिन बाद एक बार निराई गुड़ाई अवश्य की जानी चाहिये।

कीट एवं रोग नियंत्रण

Pyaj ke rog प्याज की फसल में कीट व रोगों का प्रकोप होता है। उनकी रोकथाम अवश्य करनी चाहिये। प्याज में थ्रिप्स पर्णजीवी,तुलासिता, अंगमारी, गुलाबी जड़ सड़न जैसे कीट व रोग का प्रकोप होता है। इसके नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड (Imidacloprid) 17.8 एसएल (S.L.) 0.3-05 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। कीट नियंत्रण न हो तो 15दिन में दुबारा छिड़काव करें। रोगों के नियंत्रण के  लिए मेनकोजेब या जाइनेव का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

फसल की खुदाई

जब पत्तियां पीली होकर जमीन में गिरने लगें तब प्याज की फसल की खुदाई करनी चाहिये।
Onion Price: प्याज के सरकारी आंकड़ों से किसान और व्यापारी के छलके आंसू, फायदे में क्रेता

Onion Price: प्याज के सरकारी आंकड़ों से किसान और व्यापारी के छलके आंसू, फायदे में क्रेता

Onion Price: किस सरकारी गणित को सुलझाने में उलझे हैं प्याज किसान ?

ओनियन प्राइज (Onion Price), यानी भारतीय स्वादिस्ट व्यंजनों में तड़के की अहम कारक,
प्याज के दामों में फिर असमंजस की छौंक लगी है। इस बार प्याज की कीमतों के उन आंकड़ों को लेकर विरोधाभास पैदा हुआ है, जिसे सरकार ने जारी किया है। प्याज के उत्पादन और विक्रय मूल्य पर निर्मित असमंजस से जुड़े आंकड़ों मेें इस बार सवाल उपजा है, कि क्या किसानों को फिर से प्याज़ का भाव कम मिलेगा ?

मतांतर की वजह

एक टीवी चैनल पर जाहिर किसान संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी के विचारों के बाद यह विषय प्रकाश में आया है। मामला प्याज उत्पादन संबंधी पिछले साल के मुकाबले 50 लाख मीट्रिक टन अधिक होने के अनुमान से जुड़ा है। ये भी पढ़ें : प्याज़ भंडारण को लेकर सरकार लाई सौगात, मिल रहा है 50 फीसदी अनुदान

इस डेटा पर असमंजस

केंद्र सरकार के प्याज उत्पादन से संबंधित आंकड़ों को किसानों ने खारिज कर दिया है। किसानों की राय में इस अनुमान के अनुसार तो इससे प्याज के दामों में गिरावट होगी। किसानों का दावा कि अभी वे 50 पैसे से लेकर 5 रुपये प्रति किग्रा तक के दाम पर प्याज बेचने को विवश हैं।

आंकड़ों ने बढ़ाई धड़कन :

बागवानी फसलों के क्षेत्र और उत्पादन के दूसरे अग्रिम अनुमान संबंधी केंद्र सरकार ने वर्ष 2021-22 के लिए जो आंकड़े जारी किये हैं उस पर ही किसानों को असमंजस है। उत्पादन के दूसरे अग्रिम अनुमान संबंधी सरकारी आंकड़ों के मान से प्याज का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले करीब 50,62,000 मीट्रिक टन अधिक होने का अनुमान है।

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आशंका बाजार में गफलत की :

किसानों का मानना है कि, इन आंकड़ों के मान से जब पैदावार इतनी ज्यादा बढ़ जाएगी तो बाजार में प्याज के दामों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। एक आशंका यह भी है कि, मंडियों में किसानों को फिलहाल मिल रहे प्याज के दामों में इन अनुमानित आंकड़ों से और गिरावट हो सकती है। प्याज उत्पादक किसानों ने केंद्र सरकार से इन आंकडों के बारे में सरकारी स्तर पर गणित को समझाने की मांग की है। किसान नेताओं ने फसलों के अग्रिम अनुमान की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं।

महाराष्ट्र का हवाला :

इस बारे में महाराष्ट्र का हवाला महाराष्ट्र किसान संगठनों ने दिया है। बताया जा रहा है कि, बीते तीन माह से महाराष्ट्र में प्याज के दाम 50 पैसे से लेकर 5 रुपये किलोग्राम के स्तर पर जा पहुंचे हैं। किसान प्याज कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर हैं।

आंकड़े यह भी :

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार भारत में साल 2021-22 के दौरान सवा तीन करोड़ से अधिक (3,17,03,000) मीट्रिक टन प्याज पैदा होने का अनुमान है। पिछले आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2020-21 में महज 2,66,41,000 मीट्रिक टन प्याज उत्पादित हुई। इस मान से बीते साल से 50 लाख 62000 मीट्रिक टन अधिक प्याज का उत्पादन का अनुमान है।

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आंकड़ों का आधार :

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों का आधार रिकॉर्ड बुवाई बताया गया है। इस वर्ष 2021-22 में 19,40,000 हेक्टेयर में प्याज की खेती हुई थी। साल 2020-21 में 16,24,000 हेक्टेयर क्षेत्र में प्याज की बोवनी हुई। अर्थात 3,16,000 हेक्टेयर ज्यादा क्षेत्र में बुवाई हुई थी। महाराष्ट्र राज्य कांदा उत्पादक संगठन के संस्थापक अध्यक्ष ने केंद्रीय कृषि मंत्रालय की ओर से जारी किए गए प्याज उत्पादन के आंकड़ों पर संशय जताया है। एक डिजिटल टीवी नेटवर्क से चर्चा में उन्होंने डेटा को हकीकत से परे बताया है। उन्होंने प्याज उत्पादन लागत पर लाभ जोड़कर, प्याज का एक न्यूनतम रेट तय करने की मांग की है, ताकि अनुमानित आंकड़ों से किसानों को संभाव्य अनुमानित भारी नुकसान न हो।  
पाकिस्तान को टमाटर और प्याज निर्यात करेगा भारत

पाकिस्तान को टमाटर और प्याज निर्यात करेगा भारत

भीषण बाढ़ की वजह से पाकिस्तान में दिनोंदिन हालात खराब होते जा रहे हैं। इस दौरान पूरे देश में जानमाल का भारी नुकसान हुआ है। भीषण बाढ़ आने के बाद पूरे देश में लगभग 1000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं, जबकि कई लाख लोग बाढ़ की वजह से प्रभावित हुए हैं। फिलहाल लगभग आधा देश बाढ़ की चपेट में है, जिससे सरकार ने पूरे देश में आपातकाल की घोषणा की है। अनुमानों के मुताबिक़ पाकिस्तान को इस बाढ़ की वजह से लगभग 10 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान झेलना होगा। बाढ़ की स्थिति को देखते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अंतरराष्ट्रीय मदद की गुहार लगाई है। इस मामले में कई देश पाकिस्तान की मदद कर भी रहे हैं। हाल ही में अमेरिका ने पाकिस्तान को बाढ़ रिलीफ फंड के नाम पर 30 मिलियन डॉलर की मदद दी है। इसके अलावा आपदा की इस घड़ी में कई यूरोपीय देशों के अतिरिक्त दुनियाभर के अन्य देश पाकिस्तान की मदद करने के लिए आगे आ रहे हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पाकिस्तान में बाढ़ पीड़ितों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की हैं। पाकिस्तान में बाढ़ की वजह से बहुत सारे लोग बेघर हो गये हैं। बाढ़ में उनका सामान या तो पानी के साथ बह गया है या खराब हो गया है, ऐसे में पूरे पाकिस्तान में चीजों के दामों में तेजी से इन्फ्लेशन (Inflation) देखने को मिल रहा है। वस्तुओं की कीमतें रातों रात आसमान छूने लगी हैं।


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ऐसे में खाने पीने की चीजों से लेकर सब्जियों के भी दाम आसमान छूने लगे हैं। पाकिस्तान के सिंध और बलूचिस्तान प्रांत में लगातार तीन महीने से हो रही बरसात ने सब्जियों की खेती को तबाह कर दिया है। इससे लाहौर के बाजार में टमाटर 500 रुपये प्रति किलो, जबकि प्याज 400 पाकिस्तानी रुपये प्रति किलो बिक रही है। पाकिस्तान में सब्जियों के दाम लगातार आसमान की ओर जा रहे हैं, ऐसे में पाकिस्तान की मौजूदा सरकार ने भारत से टमाटर और प्याज आयात करने का मन बनाया है, ताकि देश में बढ़ती हुई सब्जियों की कीमतों में लगाम लगाई जा सके। दक्षिण भारत में और इसके साथ ही पहाड़ी राज्यों में अगस्त-सितम्बर में टमाटर की फसल की जमकर पैदावार होती है। ऐसे में अगर भारत सरकार टमाटर और प्याज के निर्यात का फैसला करती है, तो देश में किसानों को टमाटर और प्याज के अच्छे दाम मिल सकते हैं। साथ ही देश में टमाटर और प्याज की गिरती हुई कीमतों को रोका जा सकेगा।


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पाकिस्तान पहले से ही अपनी ज्यादातर खाद्य चीजों का आयात करता रहा है। गेहूं से लेकर चीनी तक के लिए पाकिस्तान दूसरे देशों पर निर्भर है। ब्राजील पाकिस्तान में चीनी का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। इसी प्रकार प्याज और टमाटर, पाकिस्तान कुछ दिनों पहले तक अफगानिस्तान से खरीद रहा था। लेकिन बलूचिस्तान और सिंध में आई बाढ़ ने पाकिस्तान में प्याज और टमाटर की मांग को बढ़ा दिया है। इसकी आपूर्ति अकेले अफगानिस्तान नहीं कर पायेगा। इसलिए अब पाकिस्तान की सरकार इस मामले में भारत से आस अलगाये हुए है, ताकि भारत पाकिस्तान की जरुरत का प्याज और टमाटर पाकिस्तान को निर्यात करे, जिससे देश में प्याज और टमाटर की कमी न होने पाए और इन चीजों के भाव नियंत्रण में रहें।
भोपाल में किसान है परेशान, नहीं मिल रहे हैं प्याज और लहसुन के उचित दाम

भोपाल में किसान है परेशान, नहीं मिल रहे हैं प्याज और लहसुन के उचित दाम

वैसे तो मध्य प्रदेश की चर्चा आमतौर पर कृषि के क्षेत्र में कार्य करने हेतु होती रहती है। बार-बार न्यूज़ मीडिया के माध्यम से यह बताया जाता है कि मध्य प्रदेश की सरकार किसानों के हित के लिए कार्य कर रही है। किसान किस तरह से आत्मनिर्भर हो और किसान की आय में किस तरह से बढ़ोतरी हो, इसको लेकर लगातार मध्य प्रदेश सरकार काम करने की कोशिश कर रही है।

भोपाल के किसानों की फसल का अब क्या होगा ?

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में किसानों की हालत बहुत ही खराब हो चुकी है। किसानों को उनकी फसल का उचित रेट भी नहीं मिल पा रहा है, जिससे किसान काफी मायूस है। भोपाल के मंडियों में किसानों को उनके उगाई गई फसल लहसुन और
प्याज का उचित मूल्य भी प्राप्त नहीं हो रहा है, जिससे किसानों में काफी नाराजगी बनी हुई है। किसानों की तो यह स्थिति हो चुकी है कि फसल को बाजार तक लाने का किराया भी जुटा पाना मुश्किल हो गया है। इस बार मौसम ने भी किसानों के साथ शायद अन्याय कर दिया है, क्योंकि जहां देश के कई राज्यों में बारिश नहीं होने के कारण फसलों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है, वहीं देश के अन्य राज्यों में अधिक बारिश होने के कारण सारे फसल पानी लग जाने के कारण बर्बाद हो चुके हैं। फसलों का इस तरह से बर्बाद हो जाना किसानों के लिए बहुत ही महंगा साबित हो रहा है। इस बार मौसम की बेरुखी के कारण ऐसे ही फसलों की उपज में कमी पाई गई है, वहीं दूसरी तरफ किसानों ने जो फसल उगाई थे उसका भी उचित मूल्य प्राप्त नहीं हो रहा है।


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कृषि मंत्री का अजीबोगरीब बयान

एक तरफ मध्य प्रदेश सरकार विश्व के बाजारों में अपने उत्पादन को प्रमोट करती हुई दिख रही है, तो दूसरी तरफ मध्य प्रदेश की राजधानी में ही किसानों का यह हाल है कि उनके द्वारा उपजाए गए फसलों का ही उचित मूल्य प्राप्त नहीं हो रहा है। ऐसी स्थिति में किसानों के साथ सरकार का रुख नरम होना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। समस्याओं का समाधान करने के बजाय मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री ने कुछ इस तरह का बयान दे दिया जिससे किसानों में भारी नाराजगी देखने को मिल रही है। मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री श्री कमल पटेल समस्याओं का निराकरण करने के बजाय है यह कहते हुए पाए गए कि किसानों को इस तरह की फसल नहीं उगाना चाहिए जिसका मंडियों में उचित मूल्य नहीं मिलता है। अब सवाल यह है कि क्या किसान सिर्फ उन्हीं फसलों की खेती करें जिसका मंडियों में उचित मूल्य मिलता हो?


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यह मामला तब सामने आया जब मध्य प्रदेश के एक किसान ने कृषि मंत्री श्री पटेल को फोन कर किसानों की हालत से अवगत कराया। बातचीत के दौरान कृषि मंत्री श्री पटेल ने यह कहा कि मैं किसानों को उनकी उपज का यानी लहसुन प्याज का उचित मूल्य कहां से दूं, कुछ दिन और रुक जाओ लहसुन के दाम 4 गुना अधिक हो जाएंगे। लेकिन किसानों का कहना है कि कुछ दिन बाद बाजार में नए फसल आ जाएंगे तो फिर लहसुन और प्याज का उचित मूल्य कहां से प्राप्त होगा। साथ में उन्होंने यह भी कहा कि मेरे पास कृषि विभाग है, मेरे अंदर लहसुन और प्याज का विभाग नहीं आता है। कृषि मंत्री का किसानों के प्रति इस तरह का विवादास्पद बयान देना बहुत ही आपत्तिजनक है। इस तरह के बयानों से किसानों को सिर्फ निराशा हाथ लगती है किसान मायूस हो जाते हैं और इसका असर आने वाले समय में व्यापक स्तर पर होने लगता है क्योंकि अगर किसान फसल ही नहीं उगाएंगे तो फिर क्या हालात होगी। ये भी पढ़ें : प्याज़ भंडारण को लेकर सरकार लाई सौगात, मिल रहा है 50 फीसदी अनुदान बात यहीं तक नहीं रुकती है। मंत्री जी ने किसानों को यह सलाह देते हुए कहा कि उन्हें मूंग की खेती करनी चाहिए। कई बार किसानों को उनकी फसल पर दोगुना तिन गुना अधिक रेट मिलता है। इसीलिए किसान को परेशान नहीं होना चाहिए। अगर किसान मूंग की खेती करते हैं तो उन्हें ज्यादा फायदा होगा। लेकिन किसानों का कहना है कि इससे पहले हमने सोयाबीन की खेती की थी उसका भी फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गया। किसी तरह का कोई सर्वे सरकार के द्वारा नहीं कराया गया, अगर हम मूंग (Mung bean) की फसल का उपज करते हैं तो इसकी गारंटी कौन लेगा कि आने वाले समय में इस फसल पर हमें अच्छा रेट मिल पाएगा।


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मूंग का मिल जाएगा अच्छा रेट?

अब यह समझने की भी जरूरत है कि फसलों को उगाने में किसान अपना सब कुछ लगा देते हैं और इन्हीं फसलों को बेचकर अपना उपार्जन करते हैं। फसलों का मौसम की बेरुखी के कारण बर्बाद हो जाना और उसके बाद इनकी समस्याओं को दरकिनार कर विवादास्पद बयान सरकार के मंत्रियों के द्वारा देना क्या किसानों के लिए हितकारी साबित होगा। जमीनी स्तर पर यह किस तरह से संभव हो पाएगा की किसान सिर्फ उन्हीं फसलों की खेती करें जिनका मार्केट वैल्यू यानी बाजार में अच्छे रेट मिल रहे हैं। क्योंकि फसल को उपजाने में मौसम का अहम योगदान होता है, यदि मौसम फसलों के अनुकूल होती है तो अच्छी उपज होती है इसके विपरीत अगर मौसम प्रतिकूल हो तो उपज पर गहरा असर पड़ता है और पैदावार अच्छी नहीं होती है। फसल वृद्धि का मौसम के साथ गहरा संबंध है। कुछ फसलों को अपना अंकुरण शुरू करने से लेकर और आगे विकास जारी रखने तक के लिए एक तापमान की आवश्यकता होती है। ऐसी स्थिति में यह सुनिश्चित करना कैसे संभव है कि मौसम के विपरीत जाकर सिर्फ मूंग की खेती करने से किसानों की समस्याओं का हल हो जाएगा। इस समय सरकार को किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए उनकी समस्याओं पर विचार करते हुए उनके समस्याओं का निराकरण करना चाहिए और किस तरह से किसान बेहतर खेती कर पाए और उसके द्वारा उपजाए गए फसलों को उचित मूल्य बाजार और मंडियों में प्राप्त हो, इसके लिए सरकार को पहल करना चाहिए।


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साथ ही साथ सरकार को किसानों के फसल उगाने के लिए नए तकनीकों के साथ जोड़ने और प्रशिक्षण देना चाहिए, जिससे किसान आने वाले समय में अच्छा उपज करके अपनी फसल को बाजार और मंडियों में बेचकर उचित मूल्य को प्राप्त कर सके और कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की ओर बढ़ सके।
रबी सीजन में प्याज उत्पादन करने वाले किसानों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी

रबी सीजन में प्याज उत्पादन करने वाले किसानों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी

महाराष्ट्र भारत में प्याज उत्पादन के मामले में विशिष्ट राज्य है,क्योंकि महाराष्ट्र में प्याज का उत्पादन काफी किया जाता है। बतादें कि वर्ष में तीन बार प्याज की फसल उगाई जाती है। प्रदेश के सोलापुर, नासिक, पुणे, धुले व अहमदनगर जनपद में सर्वाधिक प्याज का उत्पादन होता है। प्रदेश में फिलहाल रबी सीजन के प्याज की पैदावार की तैयारी चालू है। महाराष्ट्र में किसान अधिकतर प्याज की खेती करते हैं। साथ ही, महाराष्ट्र राज्य में देश ही नहीं बल्कि एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी नासिक जनपद के लासलगांव में स्थित है। सामान्य रूप से अधिकतर प्रदेशों द्वारा वर्ष में एक ही बार प्याज का उत्पादन किया जाता है। परंतु महाराष्ट्र में ऐसा नहीं है, प्रदेश में एक वर्ष के दौरान रबी सीजन, खरीफ, खरीफ के बाद इस तरह प्याज का तीन बार उत्पादन है।


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महाराष्ट्र राज्य के किसान अधिकतर प्याज का उत्पादन करते हैं और इस पर ही आश्रित रहते हैं हालाँकि सर्वाधिक प्याज उत्पादन रबी सीजन में ही प्राप्त होता है। प्याज के द्वितीय सीजन की बुआई अक्टूबर-नवंबर माह के मध्य में होती है। इसकी फसल जनवरी से मार्च के मध्य तैयार हो जाती है। प्याज का फसल का तीसरा समय रबी सीजन में होता है। रबी सीजन की बुवाई दिसंबर से जनवरी के मध्य होती है, और इसकी फसल की पैदावार मार्च से मई के मध्य ली जाती है। महाराष्ट्र में प्याज की कुल पैदावार का ६० प्रतिशत उत्पादन रबी सीजन के दौरान होता है।

ज्यादातर प्याज की खेती कौन से जिलों में होती है

महाराष्ट्र राज्य के नासिक, पुणे, सोलापुर, जलगाँव, धुले, अहमदनगर, सतारा जनपद में ज्यादा खेती होती है। बतादें कि मराठवाड़ा के कुछ जनपदों में भी प्याज उत्पादन किया जाता है। इसमें भी प्याज उत्पादन के मामले में नासिक जनपद अपनी अलग पहचान रखता है, इसकी मुख्य वजह देश के कुल प्याज उत्पादन का ३७ % महाराष्ट्र राज्य करता है जबकि १० % उत्पादन केवल नासिक जनपद में किया जाता है।


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प्याज उत्पादन के लिए कैसी मिट्टी व भूमि सही होती है

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार प्याज के उत्पादन हेतु कई प्रकार की मिट्टी का उपयोग हो सकता है। प्याज की अच्छी पैदावार लेने के लिए चिकनी, गार, रेतीली, भूरी एवं दोमट मिट्टी का प्रयोग होना चाहिए। प्याज की खेती से बेहतरीन उत्पादन लेने के लिए भूमि के जल निकासी हेतु अच्छा प्रबंधन होना चाहिए। प्याज उत्पादन से पूर्व जमीन तैयार करने हेतु सर्वप्रथम तीन से चार बार जुताई हो एवं रुड़ी खाद के इस्तेमाल से जैविक तत्वों की मात्रा में बढ़ोत्तरी करें। इसके बाद खेत को छोटे-छोटे भाग में बाँट दें। भूमि की सतह से १५ सेमी उंचाई पर 1.2 मीटर चौड़ी पट्टी पर बुवाई होनी चाहिये। [embed]https://www.youtube.com/watch?v=JeQ8zGkrOCI&t=34s[/embed]
इस देश में प्याज की कीमतों ने आम जनता के होश उड़ा दिए हैं

इस देश में प्याज की कीमतों ने आम जनता के होश उड़ा दिए हैं

प्याज बागवानी के अंतर्गत अत्यधिक खपत होने वाली सब्जी है। जिसके मूल्य में बढ़ोत्तरी होने पर लोगों पर काफी प्रभाव पड़ता है। भारत में जब भी प्याज के दाम बढ़ते हैं, तो लोगों को काफी परेशानी होने लगती है। फिलहाल फिलीपींस (Philippines) की भी यही स्थिति देखने को मिल रही है। क्योंकि फिलीपींस में प्याज के भावों ने तबाही मचा रखी है। वहां प्याज भारतीय करेंसी की तुलना में 900 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेची जा रही है। बागवानी फसलें जैसे कि भावों को संतुलन में रखना बेहद आवश्यक होता है। इनके भाव बढ़ने से आम जनता की रसोई का बजट खराब हो जाता है। साथ ही, सरकार के ऊपर भी भाव को संतुलन में लाने के लिए दबाव बनने लगता है। इस मुद्दे पर विपक्ष भी सक्रियता से सरकार को घेरता है। अगर निरंतर भावों में बढ़ोत्तरी देखने को मिले तो आम जनता भी खिलाफ में सड़कों पर उतर आती है। आजकल फिलीपींस की भी यही दसा देखने को मिल रही है। इसकी वजह यह है कि यहाँ प्याज की कीमत में बेहद ऊंचाई पकड़ली है। वहाँ के देशवासियों की हालत दूभर हो गई है। आम जनता सरकार से भावों को नियंत्रण में लाने के लिए गुहार कर रही है।

फिलीपींस में प्याज के भाव ने लोगों को चिंतित कर दिया है

फिलीपींस में प्याज के भाव सातवें आसमान पर हैं। खबरों के मुताबिक, वहां प्याज का मूल्य 11 डॉलर पर टिकी हुई है। भारतीय करेंसी की तुलना में इसका मूल्य 900 रुपये के आसपास है। वर्तमान में भारत के बाजारों में सेब 80 से 90 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा जा रहा है। इस परिस्थिति में फिलीपींस के एक किलो प्याज के भाव में 10 किलोग्राम सेब खरीदे जा सकते हैं।


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फिलीपींस मार्च तक हजारों टन प्याज आयात करेगा

वर्तमान में प्याज के बढ़ते दामों की वजह से फिलीपींस सरकार भी काफी दबाव में है। प्याज की घरेलू उपभोग की आपूर्ति के लिए जनता द्वारा सरकार से निरंतर मांग की जा रही है। फिलीपींस सरकार ने इसको गहनता से लिया है। सरकार ने घरेलू खपत सुनिश्चित करने हेतु मार्च तक तकरीबन 22,000 टन प्याज का आयात हेतु घोषणा करदी है। सरकार की घोषणा के बाद आम जनता को उम्मीद और शांति मिली है। परंतु, जनता प्याज आयात हेतु प्रक्रिया को अतिशीघ्र पूर्ण करने की गुहार कर रही है।

चीन से तस्करी से आई 153 मिलियन डॉलर की प्याज जब्त

कुछ खबरों के अनुसार फिलीपींस में चीन से प्याज की तस्करी हो रही है। तस्करी-विरोधी प्रयासों की निगरानी करने वाली समिति के प्रमुख कांग्रेस जॉय सालखेडा का कहना है, कि कृषि तस्करी को संतुलन में लाने हेतु भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। चीनी नागरिक एवं उनके सहयोगियों द्वारा की जा रही प्याज की तस्करी की अच्छी तरह जाँच पड़ताल की जाएगी। वर्तमान में फिलीपींस के सीमा शुल्क ब्यूरो द्वारा चीन से तस्करी करके लाई गई 153 मिलियन डालर की लाल व सफेद प्याज को जब्त कर लिया गया है।
प्याज के भाव में आयी गिरावट से गुजरात के किसानों की दिक्क्त बढ़ गई हैं

प्याज के भाव में आयी गिरावट से गुजरात के किसानों की दिक्क्त बढ़ गई हैं

गुजरात राज्य में प्याज की बंपर पैदावार की वजह से इसके भावों में 5 से 7 रुपये प्रति किलोग्राम तक गिरावट देखी गई है। प्रदेश के राजकोट, भावनगर एवं सुरेंद्रनगर जनपदों में विशेष तौर पर प्याज का उत्पादन किया जाता है। बाजार में प्याज के भाव में कमी आने से गुजरात राज्य के किसानों की समस्याएँ काफी बढ़ गईं हैं। किसान भाई अपनी पैदावार को खेतों में फेंकने तक मजबूर दिखाई दे रहे हैं। प्रदेश कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, 2020-21 में गुजरात में प्याज की कुल पैदावार 67,736 हेक्टेयर थी। जो कि 2021-22 में वृद्धि होकर 99,413 हेक्टेयर तक पहुँच चुकी है। भावनगर जनपद में 34,000 हेक्टेयर में प्याज की कृषि की गई थी। जो अगले वर्ष 34,366 हेक्टेयर में की गई है। इस बंपर पैदावार की वजह से बाजार में प्याज का भाव तकरीबन ₹5-7 प्रति किलोग्राम तक कम हो गया है। महुवा कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) के प्रमुख घनश्यामभाई पटेल का कहना है, कि 20 किलोग्राम प्याज की पैदावार करने हेतु 220 रुपये का व्यय किया जाता है एवं इसके तुलनात्मक एक किसान को औसतन 150 रुपये प्राप्त होते हैं। इसके अनुसार प्रत्येक किसान को प्रति 20 किलोग्राम पैदावार में 70 रुपये की हानि उठानी पड़ रही है। किसानों की प्रति एकड़ हानि करीब 50,000 रुपए से 1 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर तक हो रही है। सीएमओ के बयान के अनुरूप मुख्यमंत्री ने किसानों की सहायता हेतु सरकार की प्रतिबद्धता के विषय में विधायकों एवं अन्य लोगों को आश्वस्त किया है। हालांकि, अब तक राज्य द्वारा समर्थन मूल्य का ऐलान नहीं किया गया है। विगत वर्ष राज्य सरकार द्वारा विधानसभा चुनाव से पूर्व प्याज किसानों हेतु 100 करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया था। ये भी पढ़ें: Onion Price: प्याज के सरकारी आंकड़ों से किसान और व्यापारी के छलके आंसू, फायदे में क्रेता इस दौरान भावनगर एवं राजकोट के स्थानीय नेता एवं विधायकों ने राज्य के अधिकारियों से प्याज किसानों हेतु एक पैकेज एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का ऐलान करने का आग्रह किया है। जिससे कि उनकी हुई हानि की भरपाई की जा सके। इसी मध्य कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता का कहना है, कि भावनगर एवं गुजरात के बाकी भागों में प्याज उत्पादित करने वाले किसान भाई बेहद समस्या में हैं। उनको एक किलो प्याज हेतु बड़ी कठिनाई से 2 रुपये प्राप्त हो रहे हैं। वह केंद्र एवं गुजरात सरकार दोनों से प्याज हेतु तुरंत एमएसपी का ऐलान करने का आग्रह करते हैं।