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आलू के बाद अब गेहूं का समुचित मूल्य ना मिलने पर किसानों में आक्रोश

आलू के बाद अब गेहूं का समुचित मूल्य ना मिलने पर किसानों में आक्रोश

उत्तर प्रदेश में आलू का बेहद कम दाम मिलने की वजह से किसानों में काफी आक्रोश है। ऐसी हालत में फिलहाल गेहूं के दाम समर्थन मूल्य से काफी कम प्राप्त होने पर शाजापुर मंडी के किसान काफी भड़के हुए हैं, उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए परेशानियों पर ध्यान देने की बात कही गई है। आलू के उपरांत फिलहाल यूपी के किसान गेहूं के दाम कम मिलने से परेशान हैं। प्रदेश के किसान गेहूं का कम भाव प्राप्त होने पर राज्य की भारतीय जनता पार्टी की सरकार से गुस्सा हैं। प्रदेश की शाजापुर कृषि उत्पादन मंडी में उपस्थित किसानों ने सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन व नारेबाजी की है। किसानों ने बताया है, कि कम भाव मिलने के कारण उनको हानि हो रही है एवं यदि गेहूं के भाव बढ़ाए नहीं गए तो आगे भी इसी तरह धरना-प्रदर्शन चलता रहेगा। कृषि उपज मंडी में जब एक किसान भाई अपना गेहूं बेचने गया, जो 1981 रुपये क्विंटल में बिका। किसान भाई का कहना था, कि केंद्र सरकार द्वारा गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2125 रुपये क्विंटल निर्धारित किया गया है। इसके बावजूद भी यहां की मंडी में समर्थन मूल्य की अपेक्षा में काफी कम भाव पर खरीद की जा रही है। उन्होंने चेतावनी देते हुए बताया है, कि सरकार को अपनी आंखें खोलनी होंगी एवं मंडियों पर कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने बताया है, कि सरकार किसानों की दिक्कत परेशानियों को समझें। ये भी देखें: केंद्र सरकार का गेहूं खरीद पर बड़ा फैसला, सस्ता हो सकता है आटा आक्रोशित एवं क्रोधित किसानों का नेतृत्व किसानों के संगठन भारतीय किसान संघ के जरिए किया जा रहा है। संगठन का मानना है कि, सरकार को किसानों की मांगों की ओर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। खून-पसीना एवं कड़े परिश्रम के उपरांत भी किसानों को उनकी फसल का समुचित भाव नहीं मिल पा रहा है।

आलू किसानों की परिस्थितियाँ काफी खराब हो गई हैं

उत्तर प्रदेश में आलू उत्पादक किसान भाइयो की स्थिति काफी दयनीय है। आलू के दाम में गिरावट आने की वजह से किसान ना कुछ दामों में अपनी फसल बेचने पर मजबूर है। बहुत से आक्रोशित किसान भाइयों ने तो अपनी आलू की फसल को सड़कों पर फेंक कर अपना गुस्सा व्यक्त किया है। ऐसी परिस्थितियों में विरोध का सामना कर रही उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 650 रुपये प्रति क्विंटल के मुताबिक आलू खरीदने का एलान किया है। परंतु, किसान इसके उपरांत भी काफी गुस्सा हैं। कुछ किसानों द्वारा आलू को कोल्ड स्टोर में रखना चालू कर दिया है। दामों में सुधार होने पर वो बेचेंगे, परंतु अब कोल्ड स्टोर में भी स्थान की कमी देखी जा रही है। ऐसी स्थितियों के मध्य किसान हताश और निराश हैं।
महंगाई में लगातार इजाफे से लोगों की परेशानी बढ़ी, जीरे का भाव 700 पार

महंगाई में लगातार इजाफे से लोगों की परेशानी बढ़ी, जीरे का भाव 700 पार

महँगाई आज की तारीख में अपनी चरम सीमा पर है। आज केवल जीरा ही महंगा नहीं हुआ है, बल्कि अन्य दूसरे मसालों की भी कीमत बढ़ गई है। लाल मिर्च भी लोगों की आंखों से आंसू निकाल रही है। खुदरा बाजार में वर्तमान में भी लाल मिर्च 350 से 400 रुपये किलो बिक रही है। इसी प्रकार लौंग 1500 से 1800 रुपये किलो है। जैसा कि हम जानते हैं, कि महंगाई कम होने का नाम तक नहीं ले रही है। बतादें, कि एक चीज के भाव कम होते हैं, तो दूसरे खाद्य उत्पाद महंगे हो जाते हैं। विशेष कर मसालों के बढ़ते भावों ने आम जनता को परेशान कर दिया है, इससे खाने का स्वाद काफी परिवर्तित हो गया है। जीरा महंगा होने की वजह से बहुत से लोगों ने दाल और सब्जियों में तड़का लगाना बिल्कुल बंद कर दिया है। आम जनता को आशा है, कि वर्षा कम होने पर जीरे की कीमतों में गिरावट आएगी। परंतु, ऐसा कुछ होता हुआ तो नहीं नजर आ रहा है। मानसून के कमजोर पड़ने के पश्चात भी जीरा सस्ता होने की जगह महंगा ही होता जा रहा है। खुदरा बाजार में एक किलो जीरे की कीमत 700 रुपये से भी ज्यादा हो गई है। इससे रसोई का बजट काफी डगमगा गया है। यह भी पढ़ें: Spices or Masala price hike: पहले सब्जी अब दाल में तड़का भी हो गया महंगा, मसालों की कीमतों में हुई रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी

आजकल जीरा का भाव 750 रुपये से 800 रुपये है

महंगाई का कहर इतना है, कि बुधवार को राजस्थान के नागौर जनपद स्थित मंडी में जीरा 53 हजार 111 रुपए प्रति क्विंटल बिका है। हालांकि, जीरे की कीमत में बढ़ोत्तरी होने से किसान गदगद हैं। इस वर्ष वे जीरा विक्रय करके अच्छी आमदनी कर रहे हैं। परंतु, आम जनता के ऊपर महंगाई का भार काफी बढ़ता ही जा रहा है। अब इसकी वजह से खुदरा बाजार में जीरा 750 रुपये से 800 रुपये किलो बिक रहा है। ऐसी स्थिति में 100 ग्राम जीरा खरीदने के लिए लोगों को 75 से 80 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं।

राजस्थान के किसान जीरे की खेती काफी बड़े पैमाने पर करते हैं

व्यापारियों ने बताया है, कि जीरे की नवीन फसल आने के उपरांत कीमतों में गिरावट आएगी। वर्तमान में मंडियों में मांग और आपूर्ति में काफी अंतर है। इसी वजह से कीमतें कम होने के बजाए बढ़ती ही जा रही हैं। वहीं, जानकारों ने बताया है, कि बहुत से स्टॉकिस्टों ने गैरकानूनी ढ़ंग से जीरे का भंडारण कर रखा है। बाजार में इससे भी जीरे की काफी कमी हो गई है। ऐसी स्थिति में आपूर्ति कम होने से कीमतें निरंतर बढ़ती ही जा रही हैं। बतादें, कि भारत में सबसे ज्यादा जीरे की पैदावार गुजरात में होती है। इसके पश्चात राजस्थान में किसान सबसे ज्यादा जीरे का खेती करते हैं।