मसालों के लिए सबसे बेहतरीन पतली मिर्च की सर्वश्रेष्ठ किस्में [Chili pepper varieties best for spices]
मिर्ची का नाम सुनते ही कुछ मीठा खाने का मन करता है, लेकिन उस से ज्यादा मन मिर्च खाने का होता है। बिना मिर्ची के किसी भी सब्जी , पकवान, मसाला, अचार और अन्य भोजनों मे स्वाद ही नहीं आता। मिर्ची को हम मसाले बनाने के लिए भी बहुत ज्यादा काम में लेते है। भारत के पश्चिमी और उतरी इलाको में सबसे ज्यादा मिर्ची खाई जाती है। आइये आज हम जानते हैं मसालों के लिए सबसे बेहतरीन पतली मिर्च की सर्वश्रेष्ठ किस्में [Chili pepper] । मिर्ची का सबसे पहले उत्पादन या फिर जन्म स्थान की बात करे तो वह है दक्षिणी अमेरिका। उसके बाद यह धीरे धीरे संपूर्ण विश्व भर में फैली है। भारत में मिर्ची की सबसे ज्यादा खेती आंध्र प्रदेश में होती है। यही से भारत की सबसे ज्यादा मिर्ची संपूर्ण देश भर में बेची जाती है। मिर्ची में भी बहुत सारी किस्में होती है। जैसे शिमला मिर्च जिसे हम सब्जी बनाने में काम में लेते है क्योंकि ये इतनी ज्यादा तीखी नही होती है। वही दूसरी ओर लाल मिर्च को मसाले और आचार बनाने के काम में लेते है, क्योंकि लाल मिर्च स्वाद में काफी तेज होती है।ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कुछ ऐसी ही पतली और स्वाद में तीखी मिर्ची के बारे में :-
मिर्ची की इन 7 किस्मों को सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है।
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पंजाब की लाल मिर्च ( पंजाब लाल) :-
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पूषा ज्वाला पतली तेज मिर्च :-
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कल्याण पूर चमन मिर्ची :-
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भाग्य लक्ष्मी मिर्च :-
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आंध्र की आंध्र ज्योति मिर्च :-
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जवाहर मिर्च :-
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अर्का मेघना मिर्च :-
मिर्ची की तुड़ाई के लिए सबसे अच्छा समय :-
अलग अलग प्रकार की मिर्च की किस्म के लिए तुड़ाई का समय अलग अलग होता है। सामान्य प्रकार की मिर्च के लिए आप मिर्च की रोपाई करने के 80 से 90 दिनों के बीच में पक कर तैयार हो जाती है। इसके बाद आप आराम से मिर्ची की फलियों की तुड़ाई कर सकते हैं , हालांकि यदि आपको हरी मिर्च चाहिए तो आपको पहले तुड़ाई करनी होगी और लाल मिर्च के लिए थोड़ा और समय देना होगा। सुखी यानी की सूखी लाल मिर्च के लिए आपको 140 से 150 दिनों तक का समय लगेगा। हरी मिर्च की पैदावार की बात करें तो यह 150 से 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है और वहीं दूसरी तरफ लाल मिर्च की पैदावार मात्र 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टर होती है।मिर्च में लगने वाले रोग और बीमारियों से इस प्रकार छुटकारा पाएं :
मिर्ची की फसल में सबसे ज्यादा लगने वाला रोग होता है फल गलन यानी की टहनी मार रोग। यह रोग इतना खतरनाक होता है कि यदि किसान भाई सही समय पर इसकी रोकथाम ना करें तो यह मिर्ची की पैदावार को बहुत ज्यादा कम कर देती हैं। ऐसे में किसानों को काफी ज्यादा नुकसान होता है।इस रोग में मिर्ची के पौधों की पत्तियों और फलियों पर काले और भूरे रंग के छोटे-छोटे धब्बे बनना शुरू हो जाते हैं। ये भी पढ़े: जानें मिर्च की खेती में कितनी लागत में किसान कितना मुनाफा कमा सकते हैं एक बार जब यह धब्बे बनना शुरू हो जाते हैं तो उसके कुछ ही समय बाद इन पर फफूंदी लग जाती हैं जो पत्तियों को संपूर्ण रूप से नष्ट कर देती हैं। ऐसे में मिर्ची का पूरा पौधा रोग के कारण मुरझा जाता है। हालांकि कई बार यह रोग हो जाने के बाद भी मिर्ची की पैदावार अच्छी होती हैं लेकिन मिर्ची की क्वालिटी और स्वाद बिल्कुल भी अच्छा नहीं होता है।इस रोग से बचने के लिए आप 400 ग्राम कॉपर ऑक्सिक्लोराइड और मैनजॉब या फिर जिन्आय को 200 लीटर पानी में मिलाकर 1 एकड़ के हिसाब से प्रति सप्ताह दो-तीन दिन के अंतराल से छिड़काव करें। यह जरूर याद रखें कि इसका छिड़काव प्रतिदिन ना करें क्योंकि यह काफी हानिकारक होता है मिर्ची के पौधों के लिए। 10 से 15 दिन तक इस प्रकार छिड़काव करने से काले और भूरे धब्बे सभी हट जाते हैं और पौधा पूर्ण रूप से विकसित होने लगता है जिसके कारण अच्छी पैदावार होती हैं। इसी के साथ आप यह भी याद रखें कि समय-समय पर पौधों पर कीटनाशकों का छिड़काव और खाद और उर्वरक देते रहें ताकि पौधों में पोषक तत्व और विटामिंस की बिल्कुल भी कमी ना आने पाए। आशा करते हैं की उपरोक्त जानकारी आपको पसंद आएगा, मसालों के लिए सबसे बेहतरीन पतली मिर्च की सर्वश्रेष्ठ किस्में [Chili pepper varieties best for spices] जो ऊपर दी गयी हैं, उनका प्रयोग आपके ज़ायके को बढ़ा दे। कृपया अपने सुझाव कमेंट में जरूर साझा करें।
29-Mar-2022