यदि फसल में अधिक जलभराव की स्थिति है, तो जल निकासी करके अतिरिक्त जल को खेत से बाहर निकाल दें। उसके बाद में हल्की सिंचाई का काम करते रहें, जिससे मृदा फटने की दिक्कत न हो सके। यह कार्य इस वजह से जरूरी है, कि फसल की जड़ों तक सौर ऊर्जा पहुंच सके। साथ ही, फसल में ऑक्सीजन की सप्लाई भी होती रहे। यह कार्य रोपाई के 25 दिन उपरांत ही कर लेना चाहिए, जिससे कि समय रहते पोषण प्रबंधन किया जा सके।
धान की फसल की बढ़वार के लिए समय पर पोषण की आवश्यकता होती है
धान की रोपाई के 25-50 दिन के दरमियान धान की फसल में कल्ले निकलने शुरू हो जाते हैं। ये वही वक्त है जब धान के पौधों को सबसे ज्यादा पोषण की आवश्यकता होती है। इस दौरान धान के खेत में एक एकड़ के हिसाब से 20 किलो नाइट्रोजन एवं 10 किलो जिंक का मिश्रण तैयार कर फसल पर छिड़क देना चाहिये। कृषक भाई यदि चाहें तो अजोला की खाद भी फसल में डाल सकते हैं।
फसलीय विकास एवं उत्तम पैदावार हेतु निराई-गुड़ाई
फसल का विकास और बेहतरीन उत्पादन के लिये धान के खेत में निराई-गुड़ाई का कार्य भी करते रहें। इससे फसल में लगने वाली बीमारियां एवं कीड़ों के प्रकोप का पता लग जाता है। निराई-गुड़ाई करने से जड़ों में आक्सीजन का प्रभाव होता है और पौधों के विकास में सहयोग मिलता है। कृषक भाई चाहें तो फसल पर उल्टी एवं सीधी दिशा में बांस से पाटा लगा सकते हैं, जिससे जड़ों में खिंचाव होने लगता है। साथ ही, बढ़वार भी काफी तेजी से होने लगती है।
धान की फसल में खरपतवार नियंत्रण
अक्सर धान के खेत में गैर जरूरी पौधे उग जाते हैं, जो धान से पोषण सोखकर फसल की उन्नति से रोकते हैं, इन्हें खरपतवार कहते हैं। खरपतवार को नष्ट करने हेतु 2-4D नामक खरपतवार नाशी दवा का स्प्रे करें। पेंडीमेथलीन 30 ई.सी भी एक प्रमुख खरपतवार नाशी दवा है, जिसकी 3.5 लीटर मात्रा को 850-900 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर के मुताबिक खेतों में डाल देना चाहिये।
प्राचीन काल से ही धान की फसल से बेहतरीन उत्पादन लेने के लिये जैविक विधि अपनाने का सलाह मशवरा दिया जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, धान एंजाइम गोल्ड का उपयोग करके बेहद लाभ उठा सकते हैं। बतादें, कि धान एंजाइम गोल्ड को समुद्री घास से निकाला जाता है। जो धान की बढ़वार और विकास में सहयोग करता है। यह ठीक अजोला की भांति कार्य करता है, जिससे कीड़ों एवं रोगों की संभावना भी कम हो जाती है। इसके छिड़काव के लिये एक मिली. धान एंजाइम गोल्ड को एक लीटर पानी में मिलाकर घोल बनायें। साथ ही, एक हेक्टेयर खेत में इसकी 500 लीटर मात्रा का इस्तेमाल करें।
सरकार कितने करोड़ की धनराशि अनुदान स्वरुप किसानों को प्रदान कर रही है
आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा राज्य में सूक्ष्म सिंचाई व्यवस्था को ज्यादा सुदृढ़ करने के लिए डिग्गी, फार्म पौण्ड और सिंचाई पाइपलाइन आदि कार्यों हेतु 463 करोड़ रुपए के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। साथ ही, सरकार की तरफ से अधिकारीयों को यह निर्देश भी दिए गए हैं, कि इस परियोजना पर शीघ्रता से कार्य चालू किया जाना चाहिए।
यह भी पढ़ें:सिंचाई की नहीं होगी समस्या, सरकार की इस पहल से किसानों की मुश्किल होगी आसान
लाभन्वित किसानों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी
इसके अतिरिक्त आगामी 2 वर्षों में फार्म पौण्ड निर्माण करने हेतु लगभग 30 हजार किसानों को लाभान्वित करने की संख्या में वृद्धि कर दी जाएगी। इस बार सरकार का यह उद्देश्य रहेगा कि फार्म पौण्ड निर्माण के लिए कृषकों की संख्या तकरीबन 50 हजार तक कर दिया गया है।
सरकार किसको अनुदान मुहैय्या कराएगी
यदि आप भी राजस्थान के रहने वाले हैं, तो आप आसानी से इस सूक्ष्म सिंचाई व्यवस्था का फायदा प्राप्त कर सकते हैं। जैसा कि उपरोक्त में आपको कहा गया है, कि राज्य में किसानों की सहायता करने के लिए सरकार डिग्गी, फार्म पौण्ड एवं सिंचाई पाइपलाइन से संबंधित कार्य हेतु लगभग 463 करोड़ रुपए का खर्चा करने का प्रस्ताव जारी कर दिया गया है। सिर्फ इतना ही नहीं सरकार द्वारा यह भी कहा गया है, कि इस सूक्ष्म सिंचाई व्यवस्था के तहत एससी, एसटी के गैर लघु-सीमांत किसान भाइयों को तकरीबन 10 प्रतिशत से अतिरिक्त अनुदान की सहायता प्रदान की जाएगी।
बतादें, कि इस संदर्भ में राजस्थान सरकार के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर भी जानकारी प्रदान की गई है। जिससे कि प्रदेश की इस सुविधा के विषय में प्रत्येक किसान भाई को पता चल सके।
ये भी पढ़ें: जानिए पारिस्थितिकी और उसके प्रमुख घटक क्या-क्या हैं?जमीन का ढ़ांचा : भूमिकीऊंचाईएवंढलानकेसमानकारकोंसहितपरिदृश्य, जलनिकासीऔरसूर्यकीरोशनीकेजोखिमकोकाफीप्रभावितकरताहै।पहाड़ीइलाकेअंगूरकेबागानोंकेलिएकाफीअनुकूलहोसकतेहैं।वहीं, एकसारमैदानबड़ेस्तरपरगेहूंकेखेतोंकेलिएउपयुक्तहोतेहैं।प्राकृतिक आपदाऐं : फसलोंकीवृद्धिकेलिएप्राकृतिकसमस्याऐंजैसेकिसूखा, तूफान, बाढ़औरसुनामीसंवेदनशीलपरिस्थितियांहैं।येसमस्तप्राकृतिकआपदाऐंफसलीयउपजकोसंकुचितयाएकसीमामेंबाध्यकरसकतीहैं।टिकाऊकृषिकेलिएइनआपदाओंकेलिएलचीलापनकाफीमहत्वपूर्णहै।