देश में बिकने वाला अधिक मात्रा में खजूर खाड़ी देशों से आयात किया जाता है। यदि राजस्थान में जारी खजूर का यह प्रोजेक्ट सफल रहा तो भविष्य में खजूर को आयात करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। कुछ साल पहले तक खजूर की पैदावार राजस्थान में संभव नहीं थी। परंतु, केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान काजरी के वैज्ञानिकों के प्रयास और स्थानीय किसानों के परिश्रम ने रेगिस्तान में बहार ला दी है। बतादें, कि पश्चिमी राजस्थान के चूरू और बीकानेर जैसे क्षेत्रों में लाल खजूर से लदे बहुत सारे बगीचे देखे जा सकते हैं।
राजस्थान के शुष्क और अर्धशुष्क क्षेत्र की जलवायु खजूर की खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है। पश्चिमी राजस्थान में खजूर की खेती फिलहाल मशहूर हो रही है। खजूर की मौजूदा किस्म अतिशीघ्र पक जाती है। साथ ही, बारिश के मौसम में बाजार में होती है। खजूर की बागवानी करने वाले किसान बेहद प्रशन्न हैं। इस बार भी बेहतरीन उत्पादन है। लाल रंग के मीठे खजूर मुंह मांगी कीमतों पर बिक रहे हैं। भारत में बिकने वाला अधिकांश खजूर खाड़ी देशों से आयात किया जाता है। यदि राजस्थान में चल रहा खजूर का यह प्रोजेक्ट सफल रहा तो आगामी दिनों में खजूर को आयात करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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राजस्थान के बाग के पके खजूर अपने पौष्टिक गुणों के लिए जाने जाते हैं। विशेष बात यह है, कि इसको किसी शीतगृह अथवा कारखाने में किसी रसायन या तकनीक से नहीं पकाया जाता। यह प्राकृतिक तौर पर पेड़ों पर पककर ही सीधे मंडी तक पहुंचता है। इस वजह से इस खजूर में पौष्टिक तत्वों की भरमार रहती है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि खजूर से दिल, पेट और नर्वस सिस्टम तो अच्छा रहता ही है, शरीर को भी बेहद ऊर्जा मिलती है।
खजूर पर नेटवर्क प्रोजेक्ट बीकानेर, जोधपुर और आनन्द में चल रहा है, जिसका परिणाम भी उत्साहजनक है। कृषक भाइयों के लिए इसकी बागवानी अच्छी है। आमदनी भी काफी हो जाती है। भारत के अंदर खजूर फल की अधिक खपत होने से आयात होता है। भारत में इसका क्षेत्रफल और उत्पादन बढ़ता है, तो आयात की जरूरत नहीं पड़ेगी।