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Government of Bihar

गेंदे की खेती के लिए इस राज्य में मिल रहा 70 % प्रतिशत का अनुदान

गेंदे की खेती के लिए इस राज्य में मिल रहा 70 % प्रतिशत का अनुदान

गेंदे के फूल का सर्वाधिक इस्तेमाल पूजा-पाठ में किया जाता है। इसके साथ-साथ शादियों में भी घर और मंडप को सजाने में गेंदे का उपयोग होता है। यही कारण है, कि बाजार में इसकी निरंतर साल भर मांग बनी रहती है। 

ऐसे में किसान भाई यदि गेंदे की खेती करते हैं, तो वह कम खर्चा में बेहतरीन आमदनी कर सकते हैं। बिहार में किसान पारंपरिक फसलों की खेती करने के साथ-साथ बागवानी भी बड़े पैमाने पर कर रहे हैं। 

विशेष कर किसान वर्तमान में गुलाब एवं गेंदे की खेती में अधिक रूची एवं दिलचस्पी दिखा रहे हैं। इससे किसानों की आमदनी पहले की तुलना में अधिक बढ़ गई है। 

यहां के किसानों द्वारा उत्पादित फसलों की मांग केवल बिहार में ही नहीं, बल्कि राज्य के बाहर भी हो रही है। राज्य में बहुत सारे किसान ऐसे भी हैं, जिनकी जिन्दगी फूलों की खेती से पूर्णतय बदल गई है।

बिहार सरकार फूल उत्पादन रकबे को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन दे रही है

परंतु, वर्तमान में बिहार सरकार चाहती है, कि राज्य में फूलों की खेती करने वाले कृषकों की संख्या और तीव्र गति से बढ़े। इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने फूलों के उत्पादन क्षेत्रफल को राज्य में बढ़ाने के लिए मोटा अनुदान देने की योजना बनाई है। 

दरअसल, बिहार सरकार का कहना है, कि फूल एक नगदी फसल है। यदि राज्य के किसान फूलों की खेती करते हैं, तो उनकी आमदनी बढ़ जाएगी। ऐसे में वे खुशहाल जिन्दगी जी पाएंगे। 

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बिहार सरकार 70 % प्रतिशत अनुदान मुहैय्या करा रही है

यही वजह है, कि बिहार सरकार ने एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के अंतर्गत फूलों की खेती करने वाले किसानों को अच्छा-खासा अनुदान देने का फैसला किया है। 

विशेष बात यह है, कि गेंदे की खेती पर नीतीश सरकार वर्तमान में 70 प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है। यदि किसान भाई इस अनुदान का फायदा उठाना चाहते हैं, तो वे उद्यान विभाग के आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। 

किसान भाई अगर योजना के संबंध में ज्यादा जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो horticulture.bihar.gov.in पर विजिट कर सकते हैं।

बिहार सरकार द्वारा प्रति हेक्टेयर इकाई लागत तय की गई है

विशेष बात यह है, कि गेंदे की खेती के लिए बिहार सरकार ने प्रति हेक्टेयर इकाई खर्च 40 हजार निर्धारित किया है। बतादें, कि इसके ऊपर 70 प्रतिशत अनुदान भी मिलेगा। 

किसान भाई यदि एक हेक्टेयर में गेंदे की खेती करते हैं, तो उनको राज्य सरकार निःशुल्क 28 हजार रुपये प्रदान करेगी। इसलिए किसान भाई योजना का फायदा उठाने के लिए अतिशीघ्र आवेदन करें।

ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए इस राज्य में मिल रहा 6500 रुपए प्रति एकड़ का अनुदान

ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए इस राज्य में मिल रहा 6500 रुपए प्रति एकड़ का अनुदान

बिहार सरकार किसानों के हर संभव लाभ हेतु निरंतर कदम उठा रही है। फिलहाल, राज्य सरकार की तरफ से किसानों को 6500 रुपये प्रति एकड़ का अनुदान देने की घोषणा की है। इससे किसानों को काफी सहूलियत प्राप्त हुई है। जैसा कि हम जानते हैं, कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। क्योंकि, भारत की बड़ी जनसँख्या खेती पर अपने जीवन यापन या आजीविका के लिए निर्भर है। खेती में रसायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी वजह से खेती की उर्वरकता काफी तेजी से समाप्त हो रही है। केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार का प्रयास रहता है, कि किसान खेतों में कैमिकल फर्टिलाइजर का प्रयोग कम करें। इससे खेती की पैदावार दीर्घकाल तक बनी रहेगी। इसके लिए केंद्र सरकार की तरफ से आर्गेनिक खेती को प्रोत्साहन देने की विभिन्न कोशिशें कर रही हैं। इस प्रकार की खेती करने के लिए किसानों को रिझाया भी जा रहा है। बिहार सरकार आर्गेनिक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए बड़ा कदम उठा रही है।

बिहार में आर्गेनिक खेती से आय में होगा इजाफा

बिहार में आर्गेनिक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए राज्य सरकार निरंतर कदम उठा रही है। अब कृषि विभाग ने ऐलान किया है, कि राज्य में जैविक खेती करने वाले कृषकों की आर्थिक मदद करने के लिए सरकार हर संभव कदम उठा रही है। आर्गेनिक खेती से भी किसान को सहायता मिलेगी। इससे जहां पैदावार में वृद्धि आएगी। वहीं, पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुँचेगा।

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6500 रुपये प्रति एकड़ तक अनुदान मुहैय्या किया जाएगा

बिहार के कृषि विभाग का कहना है, कि जैविक प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत किसानों की सहायता की जा रही है। इसके अंतर्गत आर्गेनिक खेती करने वाले किसानों को 6500 रुपये प्रति एकड़ की दर से सहायता प्रदान की जाएगी। यह धनराशि 2.5 एकड़ तक के कृषकों के लिए है। यूँ समझ लिजिए कि अगर किसान 5 या 10 एकड़ भी खेती करते हैं, तो उनको केवल 2.5 एकड़ के लिए ही सहायता प्रदान की जाएगी। किसान को 16 हजार 250 रुपये प्रोत्साहन धनराशि के तौर पर मुहैय्या कराए जाएंगे। किसी भी प्रकार की मन में शंका है, तो टॉल फ्री नंबर 1800-180- 1551 पर भी कॉल कर सहायता ली जा सकती है।

आर्गेनिक खेती करने से क्या क्या फायदे होते हैं

भारत के अंदर प्राचीन समय से ही जैविक खेती ही की जाती थी। परंतु, ज्यादा उत्पादन एवं अतिशीघ्र फसल की चाहना में अंधाधुंध रसायनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। पहले खेतों में उर्वरकों के रूप में गाय एवं मवेशियों के गोबर का इस्तेमाल होता था। इससे पैदावार काफी अच्छे स्तर से बढ़ती थी। भूमि की उर्वरकता भी काफी बेहतर रहती है। केंद्र और राज्य सरकार का यही प्रयास रहा है, कि किसान खेती की उसी प्राचीन परंपरा को पुनः सुचारू करें।
इस राज्य में किसानों को निःशुल्क पौधे, 50 हजार रुपये की अनुदानित राशि भी प्रदान की जाएगी

इस राज्य में किसानों को निःशुल्क पौधे, 50 हजार रुपये की अनुदानित राशि भी प्रदान की जाएगी

बिहार सरकार बागवानी को प्रोत्साहन दे रही है। कृषकों को बागवानी क्षेत्र से जोड़ने के लिए सब्सिडी दी जा रही है। उनको शर्ताें के मुताबिक फ्री पौधे, आर्थिक तौर पर सहायता भी की जा रही है। भारत के कृषक अधिकांश बागवानी पर आश्रित रहते हैं। बतादें कि देश के राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार सहित समस्त राज्यों में बागवानी की जाती है। किसान लाखों रुपए की आमदनी कर लेते हैं। साथ ही, राज्य सरकारों के स्तर पर कृषकों को काफी सहायता दी जाती है। इसी कड़ी में बिहार सरकार की तरफ से एक अहम कवायद की गई है। राज्य सरकार से कृषकों को बागवानी हेतु नि:शुल्क पौधे मुहैय्या किए जाऐंगे। साथ ही, उनको मोटा अनुदान भी प्रदान किया जाएगा। राज्य सरकार की इस योजना से किसान काफी खुश नजर आ रहे हैं।

इस प्रकार किसानों को निःशुल्क पौधे दिए जाऐंगे

बिहार सरकार के अधिकारियों के मुताबिक, नालंदा जनपद में निजी जमीन पर 15 हेक्टेयर में आम का बगीचा लगाता है, तो उसको निःशुल्क पौधे दिए जाएंगे। सघन बागवानी मिशन के अंतर्गत 10 हेक्टेयर जमीन में आम का बगीचा लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। एक किसान 8 कट्ठा साथ ही ज्यादा से ज्यादा एक हेक्टेयर में पौधे लगा सकते हैं। 5 हेक्टेयर में अमरूद और 5 हेक्टेयर में केला और बाग लगाने वाले किसानोें को भी सब्सिड़ी प्रदान की जाएगी। ये भी पढ़े: बागवानी के साथ-साथ फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर हर किसान कर सकता है अपनी कमाई दोगुनी

योजना का लाभ पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर मिलेगा

किसान भाई इसका फायदा उठाने के लिए ऑनलाइन माध्यम से आवेदन किया जा सकता है। इसमें पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर चुनाव होगा। मतलब योजना के अंतर्गत जो पहले आवेदन करेगा। उसे ही योजना का फायदा मिल सकेगा। द्यान विभाग के पोर्टल (horticulture.bihar.gov.in) पर ऑनलाइन आवेदन कर आप योजना का फायदा उठा सकते हैं।

धनराशि इस प्रकार से खर्च की जाएगी

बिहार सरकार के मुताबिक, 50 फीसद अनुदान के उपरांत प्रति हेक्टेयर 50,000 रुपये के प्रोजेक्ट पर तीन किस्तों में धनराशि व्यय की जानी है। प्रथम वर्ष में 60 प्रतिशत तक धनराशि प्रदान की जाएगी। जो कि 30,000 रुपये तक होगी। एक हेक्टेयर में लगाए जाने वाले 400 पौधों का मूल्य 29,000 रुपये होगा। शेष धनराशि कृषकों के खाते में हस्तांतरित की जाएगी। द्वितीय वर्ष में 10 हजार, तीसरे वर्ष में भी 10 हजार रुपये का ही अनुदान मिलेगा। हालांकि, इस दौरान पौधों का ठीक रहना काफी जरूरी है। मुख्यमंत्री बागवानी मिशन के अंतर्गत 5 हेक्टेयर में आम का बाग लगाया जाना है। प्रति हेक्टेयर 100 पौधों पर 18 हजार रुपये खर्च किए जाऐंगे। आम की किस्मों में मल्लिका, बंबइया, मालदाह, गुलाब खास, आम्रपाली शम्मिलित हैं।
मधुमक्खी पालन के लिए दी जा रही है 75% तक सब्सिडी, जाने किसान कैसे उठा सकते हैं इसका लाभ

मधुमक्खी पालन के लिए दी जा रही है 75% तक सब्सिडी, जाने किसान कैसे उठा सकते हैं इसका लाभ

आजकल देश भर में किसान खेती के साथ-साथ कोई ना कोई वैकल्पिक इनकम सोर्स भी रखते हैं ताकि उन्हें खेती के साथ-साथ कुछ अलग से मुनाफा भी होता रहे।  ऐसा ही एक बिजनेस जिसकी तरफ लोगों का रुझान बढ़ा है वह है मधुमक्खी पालन। बहुत ही राज्य सरकारें किसानों को मधुमक्खी पालन करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं और इनमें ही एक और सरकार जो इसके लिए बहुत ही बेहतरीन कदम उठा रही है वह है बिहार सरकार.

मधुमक्खी पालन के लिए बिहार सरकार दे रही है सब्सिडी

अगर सब्सिडी की बात की जाए तो बिहार सरकार
मधुमक्खी पालन के लिए अच्छी खासी सब्सिडी किसानों को दे रही है.  अगर किसी किसान का रुझान मधुमक्खी पालन की तरह है और वह इसे एक व्यवसाय के तौर पर लेना चाहता है तो बिहार सरकार की तरफ से उसे 75% तक सब्सिडी दी जाएगी. बिहार सरकार ने मधुमक्खी पालन के लिए एक परियोजना शुरू की है, जिसे 'बिहार मधुमक्खी विकास नीति' के नाम से जाना जाता है। इस नीति के अंतर्गत, सरकार किसानों को मधुमक्खी पालन के लिए विभिन्न उपकरणों, जैसे कि मधुमक्खी बक्से, जहाज, रासायनिक उपकरण आदि की आपूर्ति करती है।उदाहरण के लिए अगर आपको यह व्यवसाय शुरू करने में ₹100000 का खर्चा पढ़ रहा था तो इसमें से ₹75000 आपको बिहार सरकार द्वारा दिए जाएंगे.

 क्या है आवेदन करने का तरीका?

आप इस परियोजना के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही तरह से रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं.  एक तो आप आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर इसके लिए आवेदन दे सकते हैं जहां पर आवेदन कर्ता को कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट अपलोड करने की जरूरत है.  अगर आप यह आवेदन ऑनलाइन नहीं देना चाहते हैं तो आप उद्यान विभाग में जाकर भी अपना पंजीकरण करवा सकते हैं.  यहां पर भी आपको मांगे गए सभी दस्तावेज दिखाने की जरूरत है.  

केंद्र सरकार कैसे कर रही है मदद?

राज्य सरकारों के साथ-साथ केंद्र सरकार की तरफ से भी मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के कदम उठाए जा रहे हैं जिससे किसानों को काफी लाभ मिलने वाला है. राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन द्वारा शहद की क्वालिटी को चेक करने के लिए प्रशिक्षण प्रयोगशाला और क्षेत्रीय प्रयोगशाला बनाने की परमिशन दी गई है.  इस योजना के तहत 31 मिनी प्रशिक्षण प्रयोग चलाएं और चार क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं को बनाने की परमिशन के लिए सरकार द्वारा दे दी गई है.  इसके अलावा जो भी शहर पालन का व्यवसाय की तरह आगे बढ़ाना चाहते हैं तो उन कृषि उद्यमियों या सभी तरह की स्टार्टअप की भी सरकार के द्वारा मदद की  जाएगी. ये भी पढ़े: मधुमक्खी पालकों के लिए आ रही है बहुत बड़ी खुशखबरी

भारत में क्या है शहद प्रोडक्शन के आंकड़े

अगर आंकड़ों की बात की जाए तो भारत देश को शहद के उत्पादन का एक हग माना गया है और यहां पर सालाना कई लाख टर्न शहद का प्रोडक्शन हो रहा है. वर्ष 2021-22 के आंकड़ों को ही देखें तो देश में इस समय 1,33,000 मीट्रिक टन (एमटी) शहद का उत्पादन हो रहा है. इसके अलावा भारत में उत्पादित किया हुआ शहद विश्व के कई देशों में भी निर्यात किया जाता है.

क्या है मधुमक्खी पालन के मुख्य लाभ?

मधुमक्खी पालन के कुछ मुख्य लाभ हैं:

अतिरिक्त आय: मधुमक्खी पालन से किसान अतिरिक्त आय कमा सकते हैं। मधुमक्खी से निर्मित शहद, मधुमक्खी की चारा और मधुमक्खी की बीज से कमाई होती है। स्थान संरक्षण: मधुमक्खी पालन एक स्थान संरक्षण व्यवसाय है। मधुमक्खी के बीज से पौधे उगाए जाते हैं जो वनों के बीच रखे जा सकते हैं तथा वनों को संभाला जा सकता है। पर्यावरण के लिए फायदेमंद: मधुमक्खी पालन पर्यावरण के लिए फायदेमंद है। मधुमक्खी नेक्टार उत्पादन करती है जो न केवल शहद के रूप में उपयोग किया जाता है बल्कि भी नेक्टार जैसी जड़ी बूटियों और औषधि के उत्पादन में भी उपयोग किया जाता है। जीवन की गुणवत्ता में सुधार: मधुमक्खी नेक्टार से उत्पन्न शहद एक स्वस्थ और गुणवत्ता वाला प्राकृतिक खाद है। इससे कृषि उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ती है और यह खाद पौधों के विकास के लिए भी यह उपयोगी है.
कोसी विकास प्राधिकरण के गठन से इस राज्य की फसलों को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जा सकता है

कोसी विकास प्राधिकरण के गठन से इस राज्य की फसलों को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जा सकता है

बिहार राज्य के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने बताया है, कि इस योजना पर कार्य होने से उत्तर बिहार की काफी बड़ी परेशानी आहिस्ते-आहिस्ते समाप्त हो जाएगी। लोगों को अपना घर छोड़कर बाहर रोजगार के लिए नहीं जाना पड़ेगा। कोसी नदी को बिहार का शोक कहा जाता है। यह नदी नेपाल से होते हुए बिहार में अंदर आ जाती है। बतादें, कि एक रिपोर्ट के अनुसार, कोसी नदी में आई बाढ़ से प्रति वर्ष तकरीबन 21,000 वर्ग किमी का क्षेत्रफल प्रभावित होता है। इससे ग्रामीण अर्थ व्यवस्था पूर्णतया बर्बाद हो जाती है। साथ ही, भारी तादात में जान-माल का भी खतरा रहता है। अब ऐसी स्थिति में प्राकृतिक आपदा को काबू करने के लिए कोसी विकास प्राधिकरण बनाने की मांग उठ रही है। बिहार सरकार केंद्र सरकार से यह मांग कर रही है। परंतु, केंद्र की ओर से कोई आधिकारिक तौर पर उत्तर नहीं मिल पा रहा है। हालांकि, पटना हाईकोर्ट की ओर से भी कोसी विकास प्राधिकरण बनाने की मांग पर मुहर लग गई है।

हाय डैम की जरूरत 1950 में महसूस की गई थी

दरअसल, बिहार सरकार कोसी नदी से होने वाली तबाही को काबू करने के लिए केंद्र सरकार से कोसी विकास प्राधिकरण बनाने की गुहार कर रही है। परंतु, केंद्र की एनडीए सरकार की ओर से कोई सटीक और संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा है। ऐसी स्थिति में राज्य सरकार के समक्ष समस्याएं खड़ी हो गई हैं, अब इनका समाधान किस तरह से किया जाए। विशेष बात यह है, कि कोशी की विनाशकारी बाढ़ से संरक्षण हेतु भारत- नेपाल सीमा पर ‘हाय डैम’ की आवश्यकता 1950 में ही महसूस की जा चुकी थी। परंतु, राजनीतिक और कूटनीतिक दोनों स्तर पर विफलता की वजह से आज तक समाधान नहीं खोज पाए हैं।

केंद्र से 70 प्रतिशत खर्च करने का आग्रह किया गया है

सबसे विशेष बात यह है, कि पटना हाईकोर्ट ने वर्ष 2022 में एक जनहित याचिका पर इस संबंध में सुनवाई की थी। उस वक्त हाईकोर्ट द्वारा केंद्र और राज्य सरकार को वर्ष 2023 में कोसी विकास प्राधिकरण बनाने के लिए निर्देशित किया था। साथ ही, पटना हाईकोर्ट ने इस प्राधिकरण में बिहार सरकार, भारत सरकार और नेपाल सरकार की प्रतिनिधि को शम्मिलित करने हेतु बोला था। इस निर्णय के बाद बिहार सरकार द्वारा केंद्रीय जल शक्ति मंत्री को हाईकोर्ट के फैसले के मुताबिक कोसी विकास प्राधिकरण तैयार करने के लिए पत्र भी भेजा। ये भी देखें: इस राज्य सरकार ने देश के सरोवरों को सुंदर और संरक्षित करने की कवायद शुरू करदी है इसमें कोसी हाइडेन के निर्माण और अन्य वैकल्पिक व्यवस्था उपलब्ध होने तक राज्य को अंतर्राष्ट्रीय नदियों की वजह बाढ़ से होने वाले नुकसान के लिए राशि का 70% खर्चा भारत सरकार द्वारा प्रदान करने का आग्रह किया गया। परंतु, बिहार में एनडीए सरकार के जाने के बाद मामला ठंडे बस्ते में न पड़ जाए। इस वजह से हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में कोसी मेची नदी जोड़ने की योजना हेतु फंडिंग के मुद्दे को भी शीघ्रता से निराकरण करने हेतु भारत सरकार को रिपोर्ट देने को बोला था।

कितने हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हो सकेगी

कोसी मेची लिंक परियोजना से बिहार के तपोवन क्षेत्र में 214000 हेक्टेयर से ज्यादा भूमि की सिंचाई हो सकेगी। मजेदार बात यह है, कि भारत सरकार के पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय एवं जल शक्ति मंत्रालय से इसके लिए मंजूरी ली जा सकती है। भारत सरकार की उच्च स्तरीय समिति द्वारा इस योजना को राष्ट्रीय परियोजना में शम्मिलित करने की अनुशंसा भी कर चुकी है। परंतु, फंडिंग पैटर्न पर भारत सरकार द्वारा आज तक कोई निर्णय नहीं किया है। इसकी वजह से राष्ट्रीय परियोजना में शम्मिलित नहीं किया जा सकता है।

फसल क्षतिग्रस्त होने से बच पाएगी

बिहार सरकार के मुताबिक, केंद्र सरकार से उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश की केन बेतवा लिंक योजना की तरह ही कोसी मेची लिंक योजना के लिए भी 80% प्रतिशत अनुदान लिया जा सकता है। बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा का कहना है, कि इस योजना पर कार्य होने से उत्तर बिहार की काफी बड़ी परेशानी से धीरे-धीरे छुटकारा मिल जाएगा। लोगों को अपना घर छोड़कर कहीं बाहर रोजगार खोजने नहीं जाना नहीं पड़ेगा। साथ ही, किसानों की फसल चौपट भी नहीं हो सकेगी।
यह राज्य सरकार सेब की खेती पर किसानों को 50% प्रतिशत अनुदान दे रही है, जल्द आवेदन करें

यह राज्य सरकार सेब की खेती पर किसानों को 50% प्रतिशत अनुदान दे रही है, जल्द आवेदन करें

आजकल बिहार में किसान बड़े पैमाने पर सेब की पैदावार कर रहे हैं। इससे सेब उत्पादक किसानों को लाखों रुपये की आमदनी हो रही है। बतादें, कि दरभंगा, समस्तीपुर, पटना, औरंगाबाद और कटिहार समेत पूरे बिहार में बड़े स्तर पर सेब की खेती की जा रही है। बिहार में किसान फिलहाल पारंपरिक फसलों की खेती के स्थान पर बागवानी फसलों की खेती में अधिक रूचि ले रहे हैं। यही कारण है, कि राज्य सरकार बागवानी फसलों के लिए बंपर अनुदान मुहैय्या कर रही है। बिहार सरकार का कहना है, कि बागवानी फसलों की खेती से किसान भाइयों की आमदनी में काफी वृद्धि होगी। जिससे उनकी स्थिति काफी हद तक सुधरेगी। अतः वे अपने परिवार को बेहतर और समुचित सुविधाएं दे सकेंगे। ऐसे भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने विशेष उद्यानिक फसल योजना के अंतर्गत सेब की खेती करने वाले किसान भाइयों को अनुदान देने का निर्णय किया है।

बिहार में हो रही सेब की खेती

आम तौर पर लोगों की यह धारणा है, कि सेब की खेती केवल हिमाचल प्रदेश और जम्मू- कश्मीर में ही की जाती है। हालाँकि, अब इस तरह की कोई बात नहीं है। फिलहाल, बिहार में किसान बड़े पैमाने पर सेब की खेती कर रहे हैं। इससे किसान भाइयों को लाखों रुपये की आमदनी हो रही है। बतादें, कि कटिहार, दरभंगा, समस्तीपुर, पटना और औरंगाबाद समेत पूरे बिहार में सैंकड़ों की तादात में किसान सेब की खेती कर रहे हैं। यहां के किसान हिमाचल प्रदेश से सेब के पौधे लाकर अपने खेतों में रोप रहे हैं।

बिहार सरकार ने 50 प्रतिशत अनुदान देने की घोषणा की है

सेब की खेती के प्रति किसानों की रूचि को देखते हुए बिहार सरकार ने राज्य में सेब के रकबे का विस्तार करने की योजना बनाई है। बिहार सरकार यह चाहती है, कि किसान भाई ज्यादा से ज्यादा संख्या में सेब की खेती करें। जिससे कि उनकी आमदनी में इजाफा हो सके। साथ ही, राज्य की अर्थव्यवस्था को भी काफी मजबूती मिलेगी। यही वजह है, कि प्रदेश सरकार ने सेब की खेती करने वाले कृषकों को 50 प्रतिशत अनुदान देने का फैसला लिया है। यह भी पढ़ें: यूट्यूब से सीखकर चालू की सेब की खेती, अब बिहार का किसान कमाएगा लाखों

बिहार सरकार किसानों को कितना अनुदान देगी

विशेष बात यह है, कि सरकार ने सेब की खेती करने हेतु प्रति हेक्टेयर इकाई खर्चा 246250 रुपये तय किया है। इसके ऊपर से किसान भाइयों को 50 प्रतिशत अनुदान मिलेगा। मतलब कि सरकार किसान भाइयों को 123125 रुपये मुफ्त में प्रदान करेगी। हालांकि, फिलहाल इस योजना का फायदा केवल कटिहार, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, बेगूसराय, औरंगाबाद और वैशाली जनपद के किसान ही ले पाऐंगे।

बिहार सरकार इन फसलों पर भी अनुदान दे रही है

बतादें, कि बिहार सरकार राज्य में बागवानी को प्रोत्साहन देने के लिए विभिन्न फसलों पर अनुदान प्रदान कर रही है। फिलहाल, सरकार आम, केला, कटहल, पान, चाय एवं प्याज की खेती करने पर भी बेहतरीन अनुदान दे रही है। जानकारी के लिए बतादें, कि इसके लिए किसान भाई उद्यान निदेशालय की ऑफिसियल बेवसाइट पर जाकर आवेदन करें।
इस राज्य में कटहल, आंवला और जामुन की खेती करने पर मिलेगा 50 प्रतिशत अनुदान

इस राज्य में कटहल, आंवला और जामुन की खेती करने पर मिलेगा 50 प्रतिशत अनुदान

बिहार सरकार आए दिन किसानों के हित में नई नई योजनाऐं जारी कर रही है। बिहार सरकार द्वारा बागवानी क्षेत्र का विस्तार किया जा रहा है। राज्य में इसके लिए बागवानी विकास मिशन योजना एवं सूक्ष्म सिंचाई योजना समेत विभिन्न योजना चलाई जा रही है। बिहार राज्य में किसान वर्तमान में पारंपरिक खेती करने की जगह बागवानी फसलों में अधिक रूचि ले रहे हैं। नालंदा, नवादा, पटना, मधुबनी, दरभंगा, सीतामढ़ी सहित तकरीबन समस्त जनपद में किसान आंवला, कटहल, आम, अमरूद और जामुन की खेती कर रहे हैं। इससे इन जिलों में हरियाली तो बढ़ गई है, साथ में किसानों की आमदनी में भी इजाफा हुआ है।

सूक्ष्म सिंचाई आधारित शुष्क बागवानी योजना के अंतर्गत अनुदान दिया जा रहा है

ऐसी स्थिति में भी बिहार सरकार राज्यों में बागवानी क्षेत्र का विस्तार कर रही है। इसके लिए मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना, एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना एवं सुक्ष्म सिंचाई आधारित शुष्क बागवानी योजना समेत कई योजना चला रही है। इन योजनाओं के माध्यम से किसानों को बंपर अनुदान दिया जा रहा है। फिलहाल, उद्यान निदेशालय ने सूक्ष्म सिंचाई आधारित शुष्क बागवानी योजना के अंतर्गत किसानों को फल की खेती करने पर मोटा अनुदान देने का निर्णय किया है। योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को उद्यान निदेशालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन करना होगा। 

ये भी देखें: बिहार इन बागवानी फसलों के उत्पादन में प्रथम स्थान पर बना हुआ है

इन बागवानी फसलों पर 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा

सुक्ष्म सिंचाई आधारित शुष्क बागवानी योजना के अंतर्गत बिहार सरकार नींबू, जामुन, बेर, आंवला और कटहल की खेती करने वाले किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान दे रही है। विशेष बात यह है, कि अनुदान की धनराशि प्रत्यक्ष तौर पर किसानों के खातों में हस्तांतरित की जाएगी। इस योजना का प्रमुख उदेश्य किसानों की आमदनी में इजाफा और उनकी आर्थिक हालत में सुधार लाना है। साथ ही प्रदेश में हरियाली भी बढ़ानी है।