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पशुपालन विभाग की तरफ से निकाली गई बंपर भर्ती, उम्मीदवार 5 जुलाई से आवेदन कर सकते हैं

पशुपालन विभाग की तरफ से निकाली गई बंपर भर्ती, उम्मीदवार 5 जुलाई से आवेदन कर सकते हैं

बीपीएनएल के ओर से सर्वे इंचार्ज एवं सर्वेयर पद पर अच्छी खासी संख्या में भर्तियां निकाली हैं। इस भर्ती में सर्वे इंचार्ज पद के लिए 574 वहीं सर्वेयर पद के लिए 2870 भर्तियां निर्धारित की गई हैं। भारतीय पशुपालन निगम लिमिटेड में बंपर भर्ती निकली है। यदि आप सरकारी नौकरी करना चाहते हैं एवं पशुपालन में आपकी रुचि है तो ये भर्ती आपके लिए ही है। सबसे खास बात यह है, कि इस भर्ती में 10वीं पास लोग भी हिस्सा ले सकते हैं। जो भी इच्छुक उम्मीदवार इस भर्ती परीक्षा में बैठना चाहते हैं, उनको 5 जुलाई से पूर्व इस परीक्षा के लिए आवेदन फॉर्म भरना पड़ेगा। इस भर्ती से जुड़ी समस्त जानकारी आपको बीपीएनएल की आधिकारिक वेबसाइट पर प्राप्त हो जाएगी।

भर्ती हेतु आवेदनकर्ता पर क्या-क्या होना चाहिए

भारतीय पशुपालन निगम लिमिटेड मतलब कि बीपीएनएल द्वारा सर्वे इंचार्ज और सर्वेयर पद पर बंपर भर्तियां निकाली हैं। इस भर्ती में सर्वे इंचार्ज पद के लिए 574 एवं सर्वेयर पद के लिए 2870 भर्तियां निर्धारित की गई हैं। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि जो लोग भी सर्वे इंचार्ज पद पर आवेदन करना चाहते हैं, उन उम्मीदवारों की आयु सीमा 21 से 40 वर्ष के मध्य होनी अति आवश्यक है। इसके साथ ही उनके पास भारत के किसी मान्यता प्राप्त कॉलेज से 12वीं पास का रिजल्ट भी होना अनिवार्य है। वहीं, सर्वेयर पद के लिए जो उम्मीदवार इच्छुक हैं, उनकी आयु सीमा 18 से 40 वर्ष के मध्य होनी चाहिए। साथ ही, उनके पास 10वीं पास का रिजल्ट अवश्य होना चाहिए। हालांकि, ऐसा नहीं है, कि इस भर्ती के लिए केवल 10वीं अथवा 12वीं पास लोग ही आवेदन कर सकते हैं। यदि आप इससे अधिक पढ़े लिखे हैं, तब भी आप इस भर्ती के लिए आवेदन कर सकते हैं। यह भी पढ़ें: इन पशुपालन में होता है जमकर मुनाफा

भर्ती परीक्षा हेतु कितनी फीस तय की गई है

भारतीय पशुपालन निगम लिमिटेड की भर्ती परीक्षा की फीस की बात की जाए तो सर्वे इंचार्ज पद पर आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों को 944 रुपये की फीस जमा करनी पड़ेगी। इसके अतिरिक्त सर्वेयर पद के लिए जो उम्मीदवार आवेदन करना चाहते हैं, उनकी फीस 826 रुपये निर्धारित की गई है। समस्त उम्मीदवारों का चयन ऑनलाइन टेस्ट एवं इंटरव्यू के अनुसार होगा। सबसे खास बात यह है, कि आवेदन की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है और अंतिम तिथि 5 जुलाई 2023 है।
उत्तर प्रदेश के उत्कृष्ट ने CRPF की सरकारी नौकरी छोड़ बने सफल किसान

उत्तर प्रदेश के उत्कृष्ट ने CRPF की सरकारी नौकरी छोड़ बने सफल किसान

उत्तर प्रदेश राज्य के उत्कृष्ट पांडेय व उनके पिता जी ने एकसाथ मिलकर के 60 हजार चंदन की नर्सरी तैयार कर डाली है। सरकारी नौकरी को त्याग उन्होंने सफेद चंदन एवं काली हल्दी की फसल उत्पादन करने का निर्णय लिया है। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल मतलब CAPF's के एक अधिकारी ने स्वयं की अच्छी खाशी नौकरी छोड़ सफेद चंदन एवं काली हल्दी का उत्पादन आरंभ किया है। इस कदम का एक उद्देश्य उत्तर भारत में इन उत्पादों की कृषि आरंभ कर ग्रामीण युवाओं हेतु रोजगार के नवीन अवसर प्रदान करना भी है। उत्तर प्रदेश राज्य के उत्कृष्ट पांडेय ने 2016 में सशस्त्र सीमा बल यानी SSB में Assistant Commandant की स्वयं की नौकरी छोड़ दी। लखनऊ से लगभग 200 किलोमीटर दूरस्थ प्रतापगढ़ के भदौना गांव में स्वयं की कंपनी मार्सेलोन एग्रोफार्म प्रारंभ की।


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उत्कृष्ट पांडेय ने बताया है, कि मैं चाहता हूं कि युवा देश को आत्मनिर्भर करने में सहायता करें। उन्होंने 2016 में नौकरी त्याग दी एवं विभिन्न विकल्पों पर विचार विमर्श करने के उपरांत सफेद चंदन एवं काली हल्दी का उत्पादन करने का निर्णय लिया गया है।

उत्कृष्ट पांडेय ने कहाँ से की है अपनी पढ़ाई

उत्कृष्ट पांडेय ने बताया है, कि सब सोचते थे, कि चंदन का उत्पादन केवल दक्षिण भारत में ही किया जा सकता है। लेकिन मैंने अत्यधिक गहनता से अध्ययन कर पाया कि हम उत्तर भारत में भी इसका उत्पादन कर सकते हैं। इसके बाद उन्होंने बेंगलुरु स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ वुड साइंस एंड टेक्नोलॉजी (Institute of Wood Science and Technology ) में पढ़ाई की। उत्कृष्ट का दावा है, कि एक किसान तकरीबन 250 पेड़ों को 14-15 वर्ष में पूर्ण रूप से तैयार होने पर दो करोड़ रुपये से ज्यादा आय कर सकता है। इसी प्रकार काली हल्दी का भाव 1,000 रुपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ गया है।

किसकी सहायता से की उत्कृष्ट ने नर्सरी

उत्कृष्ट पांडेय स्वयं के पिता के साथ साझा तौर पर 60 हजार चंदन की नर्सरी तैयार करदीं हैं। साथ ही, 300 चंदन के पौधे अब पेड़ में तब्दील हो चुके हैं। फिलहाल चंदन का वृक्ष तकरीबन 7, 8 फीट तक के हो गए हैं। सेवानिवृत्त असिस्टेंट कमांडेंट द्वारा काली हल्दी की भी कई बीघे में की जा रही है। काली हल्दी का उपयोग औषधियाँ बनाने के लिए किया जाता है, इसी वजह से इसका अच्छा खासा मूल्य मिल जाता है। पूर्व अफसर ने नौकरी छोड़के बेहद कीमती चंदन एवं हल्दी का बड़े स्तर पर उत्पादन करने की वजह से प्रत्येक व्यक्ति उनकी सराहना करता हुआ नजर आ रहा है।
कृषि सेक्टर में होगी बंपर कमाई, छात्रों को मिलेगी नौकरी

कृषि सेक्टर में होगी बंपर कमाई, छात्रों को मिलेगी नौकरी

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कृषि को बेहतर और बेहतर बनाने को लेकर कई योजनाओं पर सरकारें काम करने में लगी हुई हैं. इसी तर्ज पर कृषि सेक्टर पर सरकार ने एक और कदम आगे बढ़ाया है. केंद्रीय कृषि एंव किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर जयपुर पहुंचे. जहां उन्होंने चौधरी चरण सिंह राष्ट्रिय कृषि विप विपणन संस्थान के स्नातकोत्तर डिप्लोमा इन एग्री बिजनेस मैनेजमेंट का चतुर्थ दीक्षांत समारोह एवं एग्री इनोवेशन एंड इंक्यूबेशन सेंटर के उदघाटन कार्यक्रम में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने संबोधित करते हुए कहा कि, देश में कृषि के सेक्टर को गांवों में ज्यादा समृद्ध बनाने के लिए वो छात्र अपना योगदान दें, जो कृषि से जुड़े हुए हैं. तोमर ने ये भी कहा कि, संस्थान में 60 सीटें और बढ़ाने और छात्रावास में रहने की बाध्यता को खत्म कर दिया जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि, कृषि का सेक्टर सबसे जरूरी है और अहम है. जिसमें सबका इंटरेस्ट बढ़े. ताकि युवा भी इसके प्रति आर्षित हों. इतना ही नहीं तोमर ने कहा कि, ये हम सब की जिम्मेदारी भी है. कृषि सेक्टर में लोगों के लिए बंपर रोजगार है, लेकिन इसमें किसानों की देशभक्ति भी झलकती है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि कृषि में उत्पादन के बिना बिलकुल काम नहीं चल सकता.

चुनौतियों का कर रहें सामना

मंत्री नरेंद्र सिंह तोमरने कहा कि, कृषि के सेक्टर में अनगिनत चुनौतियां हैं. जिसको हल करने के लिए केंद्र सरकार राज्य सरकार की मदद से प्रोद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए आगे बढ़ रही है.
फसलों का विविधीकरण, उपज की बिक्री में बिचौलियों का खात्मा, और महंगी फसलों की तरफ बढ़ने जैसी चुनौतियों से योजना के अनुसार निपटा जा रहा है. आगे उन्होंने कहा कि, साइंटिस्ट ने कृषि सेक्टर में काफी मेहनत की है. बात किसानों की करें तो उनकी कठिन मेहनत और सरकार की किसानों के हित में बनाई गयी नीतियों की वजह से कृषि में प्रगति हुई है. ज्यादातर उत्पादकों मके मामले में देश पूरी दुनिया में पहले या दूसरे पायदान में खड़ा है. जिसे मिलकर और भी आगे बढ़ाना है.

देश से खाद्यान को लेकर अपेक्षाएं

केंद्रीय कृषि एंव किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि, पूरी दुनिया को हमारे देश से खाद्यान को लेकर काफी सारी अपेक्षाएं हैं. जिसे पूरा किया जा रहा है, और आगे भी किया जाता रहेगा. किसानों की कड़ी मेहनत और सरकार की कोशिशों में अब तक कोई कमी नहीं आई है. आजीविका सही ढंग से चलती रहे, इसके लिए नौकरी करनी बेहद जरूरी है. लेकिन कृषि के सकते को पहले से बेहतर बनाना भी जरूरी है, क्योंकि देश की करीब 56 फीसद आबादी इसी पर निर्भर है. ये भी देखें: केंद्र द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम से लाखों किसानों को होगा लाभ

देश के सुनहरे भविष्य के लिए लागू हो रहीं योजनाएं

तोमर ने कहा कि, देश के प्रधानमंत्री हमेशा से ही इस बात पर जोर देते हैं कि, हम अपना आज खूबसूरत तो बनाएंगे ही, लेकिन देश की आजादी के अमृत काल तक भारत को एक विकसित राष्ट्र भी बनाना है. क्योंकि यह अवसर देश के लिए ना सिर्फ ऐतिहासिक है बल्कि सुनहरा भी है. जिसका फायदा उठाने की जिम्मेदारी नई पीढ़ी के कंधों पर है. साल 2047 तक देश के भविष्य ऐसा ही होगा, कि वो पूरी दुनिया का मार्गदर्शन कर सकेगा. जिसके लिए पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगातार कार्यक्रमों के साथ साथ योजनाएं लागू की जा रही हैं.

विश्व गुरु बनेगा भारत

मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अपने संबोधन में कहा कि, कल का इंतजार करना मतलब खुद के साथ बईमानी करने जैसा है. जो भी करना है, उसे आज ही करना उचित है. हालांकि देश में एग्रीकल्चर स्टार्टअप ने काफी अच्छे और सफल प्रयोग किये हैं. साल 2014 में जब सरकार बनी थी, तब सभी सेक्टर से कुल 32 स्टार्टअप थे. जिन्हें पीएम ने लगातार प्रोत्साहित किया. लेकिन आज अन्य सेक्टर को मिलाकर बात की जाए तो करीब 10 हजार से ज्यादा स्टार्टअप काम कर रहे हैं. इन सभ की ताकत को मिलाकर देखा जाए तो आने वाले समय में भारत विश्व गुरु बनकर खड़ा होगा.

स्टार्टअप के प्रोडक्ट्स किये लांच

कार्यक्रम में मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा और एग्रीकल्चर बिजनेस मैनेजमेंट के छात्रों को डिप्लोमा बांटा. इसके आलवा मेधावी छात्रों को पदक भी दिए. साथ ही उन्होंने नियाम से प्रशिक्षित और अनुदानित स्टार्टअप के प्रोडक्ट भी लांच किये. और इससे जुड़े अनुदान चेक भी बांटे.
शिक्षक की नौकरी छोड़ शुरू किया नर्सरी का व्यवसाय, आय में हुआ इजाफा

शिक्षक की नौकरी छोड़ शुरू किया नर्सरी का व्यवसाय, आय में हुआ इजाफा

आज हम आपको ऐसे दो भाईयों के बारे में बताऐंगे जो कि राजस्थान के करौली जनपद के रहने वाले हैं। एक का नाम सुरजन सिंह है, तो दूसरे का नाम मोहर सिंह है। दोनों पहले प्राइवेट स्कूल में नौकरी करते थे। खेती में मेहनत ज्यादा और फायदा कम होने के चलते लोग नौकरी करना अधिक पसंद कर रहे हैं। यहां तक कि प्राइवेट नौकरी करने के लिए लोग लाइन में कतारबद्ध खड़े रहते हैं। परंतु, आज हम ऐसे दो भाइयों के संबंध में बात करेंगे, जिनमें खेती से संबंधित व्यवसाय करने की इच्छा के चलते अच्छी- खासी प्राइवेट नौकरी छोड़ दी। अब यह दोनों भाई फूल, फल और सब्जियों की नर्सरी लगाकर प्रति माह मोटी आमदनी कर रहे हैं। इन दोनों भाइयों का कहना है, कि नर्सरी का बिजनेस शुरू करते ही उनकी आमदनी पहले की तुलना में दोगुनी हो गई है। अब ये दोनों भाई बाकी युवाओं के लिए भी मिसाल बन चुके हैं।

आमदनी के साथ-साथ पर्यावरण भी स्वच्छ हो रहा है

ये दोनों भाई राजस्थान के करौली जनपद के रहने वाले हैं। एक का नाम सुरजन सिंह है तो दूसरे का नाम मोहर सिंह। हालाँकि, पहले दोनों प्राइवेट स्कूल में ही नौकरी करते थे। इससे उनके घर का खर्चा नहीं चलता था। ऐसे में दोनों ने कुछ अलग हटकर व्यवसाय शुरू करने की योजना बनाई। तभी दोनों भाइयों के दिमाग में नर्सरी का व्यवसाय शुरू करने का आइडिया आया। मुख्य बात यह है, कि दोनों भाइयों ने किराए पर जमीन लेकर दो महीने पहले ही नर्सरी का व्यवसाय शुरू किया है। दोनों भाइयों का कहना है, कि यह एक ऐसा व्यवसाय है, जिससे आमदनी तो हो ही रही है, साथ में पर्यावरण भी स्वच्छ हो रहा है।

प्राइवेट स्कूल में शिक्षक की नौकरी किया करते थे

सुरजन सिंह का कहना है, कि पहले वे प्राइवेट स्कूल में टीचर की नौकरी करते थे। दरअसल, इससे उनको अच्छी आमदनी नहीं हो रही थी। इस वजह से उन्होंने नर्सरी का बिजनेस चालू करने की योजना बनाई। इसके पश्चात उन्होंने ट्रायल के रूप में एक छोटी सी नर्सरी लगाकर अपना व्यवसाय शुरू किया। इससे उनको काफी ज्यादा फायदा हुआ। इसके उपरांत दोनों भाइयों ने किराए पर भूमि लेकर बेहद बड़े इलाके में नर्सरी लगानी चालू कर दी। अब उनकी नर्सरी में काफी बड़ी तादात में लोग पौधे खरीदने आ रहे हैं। ये भी पढ़े: मैनेजर की नौकरी छोड़ की बंजर जमीन पर खेती, कमा रहे हैं लाखों

हजारों रुपए के पौधे इनकी नर्सरी में हैं

साथ ही, मोहर सिंह का कहना है कि इस नर्सरी में विभिन्न किस्मों के पौधे हैं। इनमें से कई पौधों को हमने कोलकाता से मंगवाया है, जिसकी अच्छी बिक्री हो रही है। इसके अतिरिक्त वह देसी पौधों को स्वयं ही नर्सरी में तैयार कर रहे हैं। फिलहाल, उनकी नर्सरी में 20 रुपए से लेकर 1200 रुपए तक के पौधे हैं। इससे आप यह आंकलन कर सकते हैं, कि किस किस तरह के पौधे इनकी नर्सरी में मौजूद हैं।
जानें इंफोसिस की नौकरी छोड़ खेती करने वाले किसान के बारे में

जानें इंफोसिस की नौकरी छोड़ खेती करने वाले किसान के बारे में

आज हम आपको इस लेख में बताने जा रहे हैं, कि किसान वेंकटसामी विग्नेश को पूर्व से ही खेती का कोई अनुभव नहीं था। इस वजह से घर वालों ने उनके नौकरी छोड़ने के फैसले का विरोध किया था। प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करने वाले प्रत्येक व्यक्ति की तमन्ना रहती है, कि एक दिन उसको भी नामचीन आईटी कंपनी इंफोसिस में कार्य करने का अवसर मिले। हालाँकि, आज हम आपको ऐसे व्यक्ति से मिलवाने जा रहे हैं, जिसने खेती करने के लिए इंफोसिस की नौकरी को त्याग दिया। दरअसल, उनके इस कदम से नाखुश परिजनों ने उनका खुलकर विरोध किया। इसके बावजूद भी वह अपने निर्णय पर अड़े रहे और जापान पहुँच कर बैगन की खेती चालू कर दी। न्यूज 18 हिन्दी की खबरों के अनुसार, इस व्यक्ति का नाम वेंकटसामी विग्नेश है जो कि तमिलनाडु के थूथुकुडी जनपद स्थित कोविलपट्टी के निवासी हैं। उनका जन्म एक किसान परिवार में हुआ है, इस वजह से उनका लगाव बचपन से ही खेती के प्रति अधिक रहा था। परंतु, इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूर्ण करने के उपरांत उनकी इंफोसिस जैसी दिग्गज कंपनी में नौकरी लग गई। जहां उनका वेतन भी काफी अच्छा-खासा था। इसके चलते साल 2020 में लॉकडाउन लगने के उपरांत वह घर वापिस आ गए। घर आने के उपरांत उन्होंने इंफोसिस की नौकरी छोड़ दी एवं खेती करने का निर्णय लिया।

कम जमीन से भी ज्यादा पैदावार कैसे मिलती है

मुख्य बात यह है, कि वेंकटसामी विग्नेश को पूर्व से ही खेती का कोई अनुभव नहीं था। इस वजह से घर वालों ने भी नौकरी छोड़ने पर उनका खूब विरोध किया था। हालाँकि, वह किसी की कोई बात नहीं माने और नौकरी त्याग कर खेती करने के लिए जापान चले गए। वह जापान में आधुनिक तकनीक से बैगन की खेती कर रहे हैं। साथ ही, उनको बैगन की खेती से मोटी आमदनी भी हो रही है, इससे उनके परिवार वाले भी अब प्रशन्न हैं। विग्नेश के मुताबिक, जापान में खेती लायक जमीन काफी कम है। इस वजह से यहां पर किसान वैज्ञानिक विधि से खेती किया करते हैं। यही कारण है, जो वहां कम जमीन में भी अत्यधिक उत्पादन प्राप्त होता है।

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जापान में भारत की तुलना में खेती करना बेहद आसान है

आपकी जानकारी के लिए बतादें कि वेंकटसामी विग्नेश जापान में जिस स्थान पर कृषि कर रहे हैं, वहां उनको निःशुल्क रहने की व्यवस्था मुहैय्या कराई गई है। उन्होंने बताया है, कि जितनी धनराशि वह नौकरी के माध्यम से कमाते थे, फिलहाल उससे दोगुना आमदनी वह करते हैं। बतादें, कि विग्नेश जापान में फसल की देखरेख करने का कार्य करते हैं। साथ ही, फसल कटाई के उपरांत प्रोसेसिंग एवं पैकेजिंग का कार्य भी वे देखते हैं। विग्नेश के बताने के अनुसार, जापान में खेती-किसानी करना भारत की तुलना में काफी ज्यादा आसान होता है। यदि भारत में भी किसान जापान की भांति ही तकनीकी आधारित खेती करते हैं, तो उनकी आमदनी बढ़ जाएगी। इसके लिए सरकार को पहल करने की अत्यंत आवश्यकता है।