भारतीय पशुपालन निगम लिमिटेड मतलब कि बीपीएनएल द्वारा सर्वे इंचार्ज और सर्वेयर पद पर बंपर भर्तियां निकाली हैं। इस भर्ती में सर्वे इंचार्ज पद के लिए 574 एवं सर्वेयर पद के लिए 2870 भर्तियां निर्धारित की गई हैं। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि जो लोग भी सर्वे इंचार्ज पद पर आवेदन करना चाहते हैं, उन उम्मीदवारों की आयु सीमा 21 से 40 वर्ष के मध्य होनी अति आवश्यक है। इसके साथ ही उनके पास भारत के किसी मान्यता प्राप्त कॉलेज से 12वीं पास का रिजल्ट भी होना अनिवार्य है। वहीं, सर्वेयर पद के लिए जो उम्मीदवार इच्छुक हैं, उनकी आयु सीमा 18 से 40 वर्ष के मध्य होनी चाहिए। साथ ही, उनके पास 10वीं पास का रिजल्ट अवश्य होना चाहिए। हालांकि, ऐसा नहीं है, कि इस भर्ती के लिए केवल 10वीं अथवा 12वीं पास लोग ही आवेदन कर सकते हैं। यदि आप इससे अधिक पढ़े लिखे हैं, तब भी आप इस भर्ती के लिए आवेदन कर सकते हैं।
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भर्ती परीक्षा हेतु कितनी फीस तय की गई है
भारतीय पशुपालन निगम लिमिटेड की भर्ती परीक्षा की फीस की बात की जाए तो सर्वे इंचार्ज पद पर आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों को 944 रुपये की फीस जमा करनी पड़ेगी। इसके अतिरिक्त सर्वेयर पद के लिए जो उम्मीदवार आवेदन करना चाहते हैं, उनकी फीस 826 रुपये निर्धारित की गई है। समस्त उम्मीदवारों का चयन ऑनलाइन टेस्ट एवं इंटरव्यू के अनुसार होगा। सबसे खास बात यह है, कि आवेदन की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है और अंतिम तिथि 5 जुलाई 2023 है।
उत्कृष्ट पांडेय ने बताया है, कि मैं चाहता हूं कि युवा देश को आत्मनिर्भर करने में सहायता करें। उन्होंने 2016 में नौकरी त्याग दी एवं विभिन्न विकल्पों पर विचार विमर्श करने के उपरांत सफेद चंदन एवं काली हल्दी का उत्पादन करने का निर्णय लिया गया है।
उत्कृष्ट पांडेय ने कहाँ से की है अपनी पढ़ाई
उत्कृष्ट पांडेय ने बताया है, कि सब सोचते थे, कि चंदन का उत्पादन केवल दक्षिण भारत में ही किया जा सकता है। लेकिन मैंने अत्यधिक गहनता से अध्ययन कर पाया कि हम उत्तर भारत में भी इसका उत्पादन कर सकते हैं। इसके बाद उन्होंने बेंगलुरु स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ वुड साइंस एंड टेक्नोलॉजी (Institute of Wood Science and Technology ) में पढ़ाई की।
उत्कृष्ट का दावा है, कि एक किसान तकरीबन 250 पेड़ों को 14-15 वर्ष में पूर्ण रूप से तैयार होने पर दो करोड़ रुपये से ज्यादा आय कर सकता है। इसी प्रकार काली हल्दी का भाव 1,000 रुपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ गया है।
किसकी सहायता से की उत्कृष्ट ने नर्सरी
उत्कृष्ट पांडेय स्वयं के पिता के साथ साझा तौर पर 60 हजार चंदन की नर्सरी तैयार करदीं हैं। साथ ही, 300 चंदन के पौधे अब पेड़ में तब्दील हो चुके हैं। फिलहाल चंदन का वृक्ष तकरीबन 7, 8 फीट तक के हो गए हैं। सेवानिवृत्त असिस्टेंट कमांडेंट द्वारा काली हल्दी की भी कई बीघे में की जा रही है। काली हल्दी का उपयोग औषधियाँ बनाने के लिए किया जाता है, इसी वजह से इसका अच्छा खासा मूल्य मिल जाता है। पूर्व अफसर ने नौकरी छोड़के बेहद कीमती चंदन एवं हल्दी का बड़े स्तर पर उत्पादन करने की वजह से प्रत्येक व्यक्ति उनकी सराहना करता हुआ नजर आ रहा है।
केंद्रीय कृषि एंव किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि, पूरी दुनिया को हमारे देश से खाद्यान को लेकर काफी सारी अपेक्षाएं हैं. जिसे पूरा किया जा रहा है, और आगे भी किया जाता रहेगा. किसानों की कड़ी मेहनत और सरकार की कोशिशों में अब तक कोई कमी नहीं आई है. आजीविका सही ढंग से चलती रहे, इसके लिए नौकरी करनी बेहद जरूरी है. लेकिन कृषि के सकते को पहले से बेहतर बनाना भी जरूरी है, क्योंकि देश की करीब 56 फीसद आबादी इसी पर निर्भर है.
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देश के सुनहरे भविष्य के लिए लागू हो रहीं योजनाएं
तोमर ने कहा कि, देश के प्रधानमंत्री हमेशा से ही इस बात पर जोर देते हैं कि, हम अपना आज खूबसूरत तो बनाएंगे ही, लेकिन देश की आजादी के अमृत काल तक भारत को एक विकसित राष्ट्र भी बनाना है. क्योंकि यह अवसर देश के लिए ना सिर्फ ऐतिहासिक है बल्कि सुनहरा भी है. जिसका फायदा उठाने की जिम्मेदारी नई पीढ़ी के कंधों पर है. साल 2047 तक देश के भविष्य ऐसा ही होगा, कि वो पूरी दुनिया का मार्गदर्शन कर सकेगा. जिसके लिए पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगातार कार्यक्रमों के साथ साथ योजनाएं लागू की जा रही हैं.
विश्व गुरु बनेगा भारत
मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अपने संबोधन में कहा कि, कल का इंतजार करना मतलब खुद के साथ बईमानी करने जैसा है. जो भी करना है, उसे आज ही करना उचित है. हालांकि देश में एग्रीकल्चर स्टार्टअप ने काफी अच्छे और सफल प्रयोग किये हैं. साल 2014 में जब सरकार बनी थी, तब सभी सेक्टर से कुल 32 स्टार्टअप थे. जिन्हें पीएम ने लगातार प्रोत्साहित किया. लेकिन आज अन्य सेक्टर को मिलाकर बात की जाए तो करीब 10 हजार से ज्यादा स्टार्टअप काम कर रहे हैं. इन सभ की ताकत को मिलाकर देखा जाए तो आने वाले समय में भारत विश्व गुरु बनकर खड़ा होगा.
स्टार्टअप के प्रोडक्ट्स किये लांच
कार्यक्रम में मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा और एग्रीकल्चर बिजनेस मैनेजमेंट के छात्रों को डिप्लोमा बांटा. इसके आलवा मेधावी छात्रों को पदक भी दिए. साथ ही उन्होंने नियाम से प्रशिक्षित और अनुदानित स्टार्टअप के प्रोडक्ट भी लांच किये. और इससे जुड़े अनुदान चेक भी बांटे.
ये दोनों भाई राजस्थान के करौली जनपद के रहने वाले हैं। एक का नाम सुरजन सिंह है तो दूसरे का नाम मोहर सिंह। हालाँकि, पहले दोनों प्राइवेट स्कूल में ही नौकरी करते थे। इससे उनके घर का खर्चा नहीं चलता था। ऐसे में दोनों ने कुछ अलग हटकर व्यवसाय शुरू करने की योजना बनाई। तभी दोनों भाइयों के दिमाग में नर्सरी का व्यवसाय शुरू करने का आइडिया आया। मुख्य बात यह है, कि दोनों भाइयों ने किराए पर जमीन लेकर दो महीने पहले ही नर्सरी का व्यवसाय शुरू किया है। दोनों भाइयों का कहना है, कि यह एक ऐसा व्यवसाय है, जिससे आमदनी तो हो ही रही है, साथ में पर्यावरण भी स्वच्छ हो रहा है।
प्राइवेट स्कूल में शिक्षक की नौकरी किया करते थे
सुरजन सिंह का कहना है, कि पहले वे प्राइवेट स्कूल में टीचर की नौकरी करते थे। दरअसल, इससे उनको अच्छी आमदनी नहीं हो रही थी। इस वजह से उन्होंने नर्सरी का बिजनेस चालू करने की योजना बनाई। इसके पश्चात उन्होंने ट्रायल के रूप में एक छोटी सी नर्सरी लगाकर अपना व्यवसाय शुरू किया। इससे उनको काफी ज्यादा फायदा हुआ। इसके उपरांत दोनों भाइयों ने किराए पर भूमि लेकर बेहद बड़े इलाके में नर्सरी लगानी चालू कर दी। अब उनकी नर्सरी में काफी बड़ी तादात में लोग पौधे खरीदने आ रहे हैं।
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हजारों रुपए के पौधे इनकी नर्सरी में हैं
साथ ही, मोहर सिंह का कहना है कि इस नर्सरी में विभिन्न किस्मों के पौधे हैं। इनमें से कई पौधों को हमने कोलकाता से मंगवाया है, जिसकी अच्छी बिक्री हो रही है। इसके अतिरिक्त वह देसी पौधों को स्वयं ही नर्सरी में तैयार कर रहे हैं। फिलहाल, उनकी नर्सरी में 20 रुपए से लेकर 1200 रुपए तक के पौधे हैं। इससे आप यह आंकलन कर सकते हैं, कि किस किस तरह के पौधे इनकी नर्सरी में मौजूद हैं।
मुख्य बात यह है, कि वेंकटसामी विग्नेश को पूर्व से ही खेती का कोई अनुभव नहीं था। इस वजह से घर वालों ने भी नौकरी छोड़ने पर उनका खूब विरोध किया था। हालाँकि, वह किसी की कोई बात नहीं माने और नौकरी त्याग कर खेती करने के लिए जापान चले गए। वह जापान में आधुनिक तकनीक से बैगन की खेती कर रहे हैं। साथ ही, उनको बैगन की खेती से मोटी आमदनी भी हो रही है, इससे उनके परिवार वाले भी अब प्रशन्न हैं। विग्नेश के मुताबिक, जापान में खेती लायक जमीन काफी कम है। इस वजह से यहां पर किसान वैज्ञानिक विधि से खेती किया करते हैं। यही कारण है, जो वहां कम जमीन में भी अत्यधिक उत्पादन प्राप्त होता है।
जापान में भारत की तुलना में खेती करना बेहद आसान है
आपकी जानकारी के लिए बतादें कि वेंकटसामी विग्नेश जापान में जिस स्थान पर कृषि कर रहे हैं, वहां उनको निःशुल्क रहने की व्यवस्था मुहैय्या कराई गई है। उन्होंने बताया है, कि जितनी धनराशि वह नौकरी के माध्यम से कमाते थे, फिलहाल उससे दोगुना आमदनी वह करते हैं। बतादें, कि विग्नेश जापान में फसल की देखरेख करने का कार्य करते हैं। साथ ही, फसल कटाई के उपरांत प्रोसेसिंग एवं पैकेजिंग का कार्य भी वे देखते हैं। विग्नेश के बताने के अनुसार, जापान में खेती-किसानी करना भारत की तुलना में काफी ज्यादा आसान होता है। यदि भारत में भी किसान जापान की भांति ही तकनीकी आधारित खेती करते हैं, तो उनकी आमदनी बढ़ जाएगी। इसके लिए सरकार को पहल करने की अत्यंत आवश्यकता है।