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ई-नाम के माध्यम से नेफेड और एनसीसीएफ ने हजारों टन प्याज बेची

ई-नाम के माध्यम से नेफेड और एनसीसीएफ ने हजारों टन प्याज बेची

नेफेड ने अब तक पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की कई सारी मंडियों में 3,000 टन से ज्यादा प्याज भेजा है। वहीं, उत्तर प्रदेश की मंडियों में बिक्री शुरू करने के लिए उपभोक्ता मंत्रालय से स्वीकृति मांगी है। सूत्रों का कहना है, कि उत्तर प्रदेश में वाराणसी, प्रयागराज, कानपुर और लखनऊ जैसे प्रमुख शहरों को शुरुआत में कवर किए जाने की संभावना है। राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ एवं राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता फेडरेशन (एनसीसीएफ) ने 30-31 अगस्त को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ई-नाम के जरिए से 900 टन से ज्यादा प्याज बिक्री की। इसमें अंतर-राज्य लेनदेन के जरिए से 152 टन का व्यापार भी शम्मिलित है। ई-नाम प्लेटफॉर्म के जरिए से प्याज की बिक्री महाराष्ट्र की कुछ मंडियों में व्यापारियों के विरोध पर सरकार की त्वरित प्रतिक्रिया थी। जहां उन्होंने प्याज पर लगाए गए 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क के विरोध में नीलामी रोक दी थी। जवाब में, सरकार ने नेफेड और एनसीसीएफ दोनों को प्याज भंडारण जारी करने के लिए वैकल्पिक रास्ते तलाशने का निर्देश दिया था। इस बिक्री का उद्देश्य, प्याज के भाव को न बढ़ने देना था। हालांकि, सरकार के इन प्रयासों से प्याज किसानों को काफी हानि हुई थी। परंतु, सरकार ने किसानों को दरकिनार कर केवल उपभोक्ता के हितों का ध्यान रखा। सरकार नहीं चाहती थी, कि टमाटर के पश्चात अब प्याज की भी महंगाई बढ़े। साथ ही, इसको लेकर कोई हंगामा हो, क्योंकि उसे शीघ्र ही चुनाव का सामना करना है।

ई-नाम के माध्यम से बिक्री बढ़ने की संभावना

नेफेड जिसने ई-नाम के जरिए से प्याज की बिक्री चालू की थी। महाराष्ट्र के लासलगांव से भौतिक स्टॉक लेने के पश्चात एक राज्य के भीतर ही 5,08.11 टन बेचने में सक्षम रहा। राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ (एनसीसीएफ) ने राज्य के भीतर मंडी एवं अंतर-राज्य लेनदेन दोनों का इस्तेमाल किया। लासलगांव मंडी महाराष्ट्र के नासिक में मौजूद है। यह दावा किया जाता है, कि यह एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी है। ये भी पढ़े: आखिर किस वजह से प्याज की कीमतों में आई रिकॉर्ड तोड़ गिरावट सूत्रों का कहना है, कि दोनों एजेंसियों को ई-नाम के जरिए से बिक्री बढ़ने की संभावना है। यदि नीलामी के दौरान ज्यादा व्यापारियों को मंच पर लाया जाए और उन्हें गुणवत्ता एवं लॉजिस्टिक मुद्दों के विषय में समझाया जाए तो ऐसा हो सकता है। सरकार ने पूर्व में ही ई-नाम पोर्टल पर कृषि क्षेत्र में लॉजिस्टिक मूल्य श्रृंखला की सुविधा प्रदान कर दी है।

किसान किस वजह से हुए काफी नाराज

केंद्र सरकार ने 17 अगस्त को प्याज के एक्सपोर्ट पर 40 प्रतिशत ड्यूटी लगा दी थी। इसके विरोध में किसानों एवं व्यापारियों ने लासलगांव और पिंपलगांव जैसी मंडियों में हड़ताल करवाकर उसे बंद करवा डाला था। किसानों की नाराजगी को कम करने के लिए सरकार ने 2 लाख टन अतिरिक्त प्याज खरीदने का निर्णय लिया था। परंतु, आम किसानों को इससे कोई विशेष लाभ नहीं मिला। उधर, सरकार द्वारा पहले से निर्मित किए गए 3 लाख टन के बफर स्टॉक से बाजार में प्याज उतारने का निर्णय किया। उसके बाद 2 लाख टन और खरीद का निर्णय लिया गया। उससे पहले एनसीसीएफ ने तकरीबन 21,000 टन और नेफेड ने तकरीबन 15,000 टन प्याज बेच दिया था। केंद्र ने 11 अगस्त को घोषणा की कि वह उन राज्यों अथवा क्षेत्रों के प्रमुख बाजारों को टारगेट करके बफर स्टॉक से खुले बाजार में प्याज जारी करेगा। जहां खुदरा कीमतें काफी ज्यादा हैं।

नेफेड इन बाजारों में उतारेगा प्याज

आधिकारिक सूत्रों का कहना है, कि नेफेड ने अब तक हरियाणा, पंजाब एवं हिमाचल प्रदेश की विभिन्न मंडियों में 3,000 टन से ज्यादा प्याज भेजा है। साथ ही, उत्तर प्रदेश की मंडियों में बिक्री शुरू करने के लिए उपभोक्ता मंत्रालय से स्वीकृति मांगी है। सूत्रों का कहना है, कि उत्तर प्रदेश में लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज एवं कानपुर जैसे प्रमुख शहरों को शुरुआत में कवर किए जाने की संभावना है। उसके पश्चात प्रतिक्रिया के आधार पर अन्य स्थानों को भी शम्मिलित किया जा सकता है।
हरियाणा में धान खरीद की तारीख बढ़ सकती है आगे, पहले 1 अक्टूबर से होनी थी खरीदी

हरियाणा में धान खरीद की तारीख बढ़ सकती है आगे, पहले 1 अक्टूबर से होनी थी खरीदी

खरीफ का सीजन चल रहा है, धान की फसल लगभग तैयार होने को है कुछ ही दिनों में धान की कटाई शुरू हो जाएगी, जिसके बाद मंडियों में धान की आवक शुरू हो जाएगी, इसको लेकर हरियाणा सरकार अलर्ट पर है। सरकार ने जल्द ही धान खरीद प्रक्रिया की शुरुआत करने के लिए कहा था, इसके लिए हरियाणा सरकार ने 1 अक्टूबर की तारीख तय की थी जब से राज्य में धान की खरीदी प्रारम्भ की जाएगी। लेकिन राज्य के कृषि व किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल ने हाल ही में संकेत दिए हैं कि राज्य सरकार धान की खरीदी को आगे बढ़ा सकती है। हरियाणा के कृषि व किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पिछले साल हमने धान की खरीदी बहुत जल्दी प्रारम्भ कर दी थी। उस दौरान हमने धान की खरीदारी 25 सितम्बर से प्रारम्भ कर दी थी, क्योंकि पिछले साल फसल जल्दी तैयार हो गई थी। लेकिन इस साल ऐसा नहीं है। धान की खरीद में नमी की उपस्थित एक बहुत बड़ा मुद्दा होता है। फसल ख़रीदते समय हमें नमी के स्तर को भी ध्यान में रखना होगा। ज्यादा नमी वाली धान की फसल खरीदने योग्य नहीं होती है। उसके खराब होने की संभावना बरकरार रहती है। जब फसल पूरी तरह से सूख जाएगी, तभी से राज्य में धान की खरीदी प्रारम्भ की जा सकती है। ये भी पढ़े: हरियाणा में बाजरा-धान खरीद की तैयारी पूरी पूर्व मुख्यममंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने धान में खरीदी की देरी को लेकर राज्य सरकार को घेरना शुरू कर दिया है, उन्होंने कहा है कि राज्य की मंडियों में धान की आवक शुरू हो चुकी है, इसलिए राज्य सरकार का यह कर्त्तव्य है कि सरकार समय से धान की खरीददारी प्रारम्भ करे। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार को 20 सितंबर से धान की खरीदी प्रारम्भ कर देनी चाहिए। पूर्व मुख्यममंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के सुर में सुर मिलाते हुए मंडी आढ़तियों ने सरकार से 15 सितंबर से धान खरीदी प्रारंभ करने की गुजारिश की है, जो अभी शुरू नहीं हो पाई है। इन सबको दरकिनार करते हुए सरकार ने धान खरीदी के लिए 1 अक्टूबर की तारीख नियत की है, जिसे आगे बढ़ाया जा सकता है। धान की खरीदी में लेट लतीफी को देखते हुए हरियाणा के मंडी आढ़तियों ने 19 सितंंबर को हड़ताल घोषित करने की मांग की है। इसकी जानकारी पहले ही सार्वजनिक कर दी गई है। हरियाणा राज्य अनाज मंडी आढ़तियों एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक गुप्ता ने बताया है कि मंडी आढ़तियों के प्रति राज्य सरकार की गलत नीतियों और ई-नाम पोर्टल पर बासमती व्यापार तथा धान की ऑनलाइन खरीद के विरोध में पूरे राज्य के सभी आढ़तिये 19 सितंंबर को हड़ताल पर जाएंगे। अशोक गुप्ता ने कहा कि राज्य में किसानों के भुगतान के लिए दो माध्यम होना चाहिए। यदि किसान चाहता है कि उसके अनाज के बदले एजेंसियां सीधे उसको भुगतान करें, तो एजेंसियां कर सकती हैं। लेकिन यदि किसान चाहता है कि उसके अनाज खरीद के बदले आढ़तिये किसान को भुगतान करें, तो इसकी परमिशन सरकार को आढ़तियों को देना चाहिए।
देश में 5G हुआ लॉन्च, किसानों की बदल जाएगी इस तकनीक से किस्मत

देश में 5G हुआ लॉन्च, किसानों की बदल जाएगी इस तकनीक से किस्मत

इंतजार खत्म हुआ, आखिरकार भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित हुए इंडिया मोबाइल कांग्रेस में दूरसचांर के क्षेत्र में ५जी या 5G तकनीक को देश को समर्पित कर दिया। इस दौरान उन्होंने 5G को उपयोग करके भी देखा। पीएम मोदी ने दिल्ली में बैठे-बैठे स्वीडन में कार चलाकर देखी। मोबाइल कांग्रेस में भाग ले रही रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मुकेश अम्बानी ने कहा, "हम भले इस इस टेक्नोलॉजी में थोड़ी देर से आये हैं, लेकिन दुनिया में सबसे पहले हम ही अपने देश में इसके पूर्ण विस्तार के लक्ष्य को प्राप्त करेंगे।" इसके साथ ही अम्बानी ने बताया कि रिलायंस जिओ दिसंबर 2023 तक भारत के कोने-कोने में 5G तकनीक को पहुंचा देगा। जिओ के साथ ही भारती एयरटेल ने 2024 तक इस लक्ष्य को प्राप्त करने का संकल्प दोहराया है।

इंडिया मोबाइल कांग्रेस में 5जी उद्घाटन पीएम श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 

इंडिया मोबाइल कांग्रेस में 5जी उद्घाटन पीएम श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा मोबाइल कांग्रेस में भाग ले रही कंपनियों ने बताया कि 5G तकनीक में इंटरनेट की स्पीड 10GBPS तक बढ़ने वाली है, जो लोगों की ज़िंदगी को पूरी तरह से बदल देगी। चूंकि इस तकनीक से आम लोगों की जिंदगी बहुत ज्यादा बदलने वाली है, इसलिए इसका असर किसानों पर भी पड़ेगा। इस टेक्नोलॉजी की सहायता से किसान भी हाई टेक हो सकते हैं, जिससे वो उत्पादन में बढ़ोत्तरी कर सकते हैं तथा अपनी फसल का विक्रय भी बहुत आसानी से कर सकते हैं।

विशेषज्ञों ने बताया है कि किसान अब 5G नेटवर्क की मदद से घर बैठे बहुत सारी चीजें कर सकते हैं, जैसे की वो घर बैठे ही अब अपने ट्रैक्टर को संचालित कर सकते हैं, तथा 5G तकनीक से द्वारा वह ट्रैक्टर को आदेश भी दे सकते हैं कि कहां पर कैसे काम करना है। किसान अपने ट्रैक्टर को जुताई बुवाई का आदेश भी दे सकते हैं। इसके साथ ही किसान खेतों में ड्रोन की मदद से कीटनाशकों का छिड़काव भी बेहद आसानी से कर सकते हैं। हाई स्पीड इंटरनेट इसको आसान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। 5G तकनीक के द्वारा किसानों के लिए खेतों की मैपिंग से लेकर निगरानी तक के कामों को करना बेहद आसान हो जाएगा। इससे खेती में होने वाले जोखिमों से छुटकारा मिलेगा, साथ ही किसानों का बेहद बेशकीमती समय और धन की बचत होगी। 

5G तकनीक की सहायता से मंडियों में होगा किसानों को फायदा

सरकार लगातार डिजिटल रूप से किसानों को साक्षर करने का प्रयास कर रही है, और सरकार का उद्देश्य है कि किसान ज्यादा से ज्यादा डिजिटल रूप से सरकार के साथ जुड़ें। इसको देखते हुए सरकार ने ई-नाम(e-NAM) पोर्टल शुरू किया है, जहां खेती बाड़ी, फसल विक्रय और फसल भंडारण से सम्बंधित किसानों को सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त होती है। इसके साथ ही सरकार ने समय-समय पर बहुत सारे एप्प (mobile app) लॉन्च किये हैं ताकि किसान भाई अपनी नजदीकी मंडी से ऑनलाइन माध्यम से जुड़ पाएं। अब मंडियों में फसल बेचने से लेकर बीजों की होम डिलीवरी तक हर कुछ सरकार ऑनलाइन माध्यम से कर रही है। इसलिए ऐसे कामों को बेहद आसान बनाने में हाई स्पीड इंटरनेट अब बहुत ज्यादा मददगार साबित होने वाला है। 

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अभी कई क्षेत्रों और गावों में नेटवर्क और इंटरनेट स्पीड की समस्या बनी रहती है। गावों में 5G टेक्नोलॉजी के आने के बाद यह समस्या पूरी तरह से ख़त्म हो जाएगी, जिससे किसान आसानी से ऑनलाइन माध्यम से मंडी डीलरों और बिचौलियों से संपर्क साध पाएंगे। मंडी में फसलों की बिक्री में पारदर्शिता आएगी। साथ ही बिना किसी रुकावट के किसान अपनी फसलों को मनचाही जगह पर बेहतर दामों में बेंच पाएंगे। 

5G की मदद से खेती करने वाले किसानों की हो सकेगी ऑनलाइन ट्रेनिंग

इन दिनों भारत में सरकार के साथ ही कई निजी संस्थाएं और NGO किसानों को खेती की ऑनलाइन ट्रेंनिंग उपलब्ध करवा रहे हैं, लेकिन इंटरनेट की धीमी स्पीड होने के कारण इसमें व्यवधान आता है। अब 5G तकनीक के आ जाने से ये बेहद आसान होने वाला है। अब किसान घर बैठे खेती से जुड़े प्रशिक्षण प्राप्त कर सकेंगे। सरकारी संस्थाओं और NGO का उद्देश्य भी यही है कि किसान जल्द से जल्द आत्मनिर्भर बनें और अपनी आय को बढ़ाएं। 5G तकनीक किसानों के आत्मनिर्भर बनने में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। 

मौसम आधारित खेती में भी मिलेगा 5G का साथ

खेती किसानी एक अलग तरह का व्यवसाय है, यहां कभी भी मौसम की मार किसान की साल भर की मेहनत बर्बाद कर सकती है। जिससे किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ता है। लेकिन 5G की मदद अब इन चीजों में भी मिलने वाली है। अब किसान 5G की मदद से विशेषज्ञों से मौसम आधारित कृषि परामर्श ले सकते हैं, कि कैसे मौसम में या कितनी बरसात या सूखे में कौन सी खेती लाभदायक होगी।

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इसके साथ ही सेंसर आधारित तकनीकों से फसल का सही अपडेट लेकर किसानों का काम बेहद आसान हो जाएगा। प्लांट सेंसर तकनीकों के इस्तेमाल से किसान भाई पौधों का विकास, मिट्टी की संरचना और खेत की जरूरतों का पता बेहद आसानी से लगा पाएंगे। सेंसर तकनीक की मदद से किसान भाई जलवायु या कीट-रोगों की मुसीबतों से पहले से ही सचेत हो जाएंगे। यह सभी चीजें 5 नेटवर्क के माधयम से बेहद आसान होने वाली हैं। 

पशुपालन में भी होगा 5G का इस्तेमाल

खेती किसानी के साथ-साथ पशुपालन भी किसानों का एक अहम व्यवसाय है, गावों में ज्यादातर किसान इससे जुड़े हुए हैं। आजकल पशुपालन में किसान भाई पारंपरिक तरीकों के अलावा स्मार्ट डेयरी फार्मिंग की तरफ देख रहे हैं, ताकि किसान भी ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमा सकें। अगर हम स्मार्ट डेयरी फार्मिंग की बात करें तो इसकी मदद से किसानों का काम बेहद आसान हो गया है। पशुपालन में भी किसान सेंसर आधारित तकनीक का इस्तेमाल करके पशुओं की हर एक हरकतों पर नजर रख सकते हैं।

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सेंसर आधारित तकनीक का इस्तेमाल करके किसान गाय, भैंस, बकरी से लेकर मुर्गी और मछलियों के खाने पीने के साथ दूध देने और अंडे देने के क्रियाकलापों को बेहद आसानी से ट्रेस कर सकते हैं। मछली पालन में 5G टेक्नोलॉजी वरदान साबित हो सकती है। अब इस टेक्नोलॉजी की मदद से पानी का तापमान, मछलियों की हलचल की निगरानी करना और उनका प्रबंधन करना पहले की तुलना में बेहद आसान होने वाला है।

केंद्र सरकार की तरफ से जारी किया गया ई-नाम पोर्टल, फल-सब्जियों के कारोबार को मिली नई दिशा

केंद्र सरकार की तरफ से जारी किया गया ई-नाम पोर्टल, फल-सब्जियों के कारोबार को मिली नई दिशा

भारत में आजकल बहुत सारे व्यवसाय एक अच्छी दिशा की तरफ बढ़ रहे हैं। बदलते दौर और आधुनिक युग में कारोबार और व्यवसाय एक मजबूत स्तंभ के रूप में कार्य कर रहा है। इसी कड़ी में भारत में ई-नाम का कारोबार भी काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। दो साल में ई-नाम का ऑनलाइन टर्नओवर लगभग 80 हजार रूपये तक पहुँच चुका है। केंद्र सरकार निरंतर किसानों के फायदे में कदम उठाती रही है। केंद्र सरकार का सदैव प्रयास रहता है, कि किसान भाइयों को उनकी फसलों का समुचित भाव किसानों को प्राप्त हो पाए। केंद्र सरकार की तरफ से इसी को लेकर e- NAM पोर्टल जारी किया है। बतादें, कि करीब 7 साल में ही इस पोर्टल से लाखों की तादाद में किसान जुड़ चुके हैं। हजारों करोड़ रुपये की खरीदारी इसी पोर्टल की सहायता से की गई है। इस पोर्टल की सफलता का आलम यह है, कि साल 2022-23 में e-NAM पोर्टल का आंकड़ा 32 फीसद तक बढ़ चुका है। बतादें, कि इसका कारोबार लगभग 80 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। केंद्र सरकार के अधिकारियों का कहना है, कि e-NAM पोर्टल पूर्व से ज्यादा चर्चा में हैं और ज्यादा लोग इस पोर्टल से जुड़ रहे हैं।

ई-नाम ने कारोबार को नई दिशा दी है

7 साल पूर्व ई- नाम फल-सब्जियों के व्यवसाय को ऑनलाइन करने के लिए निर्मित किया गया था। खास बात यह है, कि व्यापारी, किसान और किसान संघठन को पसंद कर रहे हैं। मीडिया खबरों के मुताबिक, साल 2022 में ई-नाम पोर्टल के अंतर्गत टर्नओवर 56497 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जबकि साल 2022 में यह 31366 करोड़ रुपये था। मतलब कि इस पोर्टल पर किसान, उससे संबंधित संगठन फल-सब्जी एवं उससे जुड़े उत्पाद खरीद सकते हैं। कहा गया है, कि ई-नाम पर सीफूड एवं दूध को छोड़कर समस्त प्रकार का व्यवसाय किया जाता है।

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कृषि उत्पादों का कारोबार मिलियन्स तक पहुंच चुका है

ई-नाम के जो आंकड़ें सामने आए उनके मुताबिक, साल 2023 में 18.6 मिलियन टन जींस का व्यापार हो चुका है। साथ ही, विगत वर्ष 13.2 मीट्रिक टन कृषि उत्पाद का कारोबार ई-नाम से किया था। यह लगभग 41 प्रतिशत का इजाफा है। भारत के विभिन्न राज्यों में ई-नाम का चलन और इस्तेमाल काफी तीव्रता से बढ़ा है।

ई-नाम से किन किन राज्यों में खरीदारी हो रही है

झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, केरला और ओड़िशा के खरीदारों को विभिन्न उत्पादों की बिक्री हो रही है। इनमें चना, सोयाबीन, जीरा, आलू, सेब, सरसों और रागी की बिक्री इसी पोर्टल के जरिए से की गई। इनके अतिरिक्त पश्चिम बंगाल, तमिलानाडु, ओडिशा, महाराष्ट्र और राजस्थान आदि प्रदेशों में भी विभिन्न उत्पादों का विक्रय किया जा रहा है।
खुशखबरी : किसानों की भंडारित उपज पर अब मिलेगा ऋण, किसान कम कीमत पर नहीं बेचेंगे फसल

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भारतीय किसानों को मोदी सरकार ने एक और बड़ा तोहफा दिया है। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले-पहले केंद्र सरकार की तरफ से कृषकों के लिए एक नवीन योजना जारी करने की घोषणा की है। 

योजना के अंतर्गत किसान भाइयों को अब गोदाम में भंडारित अनाज पर भी कर्ज मिलेगा। ये ऋण वेयर हाउसिंग डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी (डब्ल्यूडीआरए) द्वारा प्रदान किया जाएगा। 

किसानों को केवल रजिस्टिर्ड गोदामों में अपने उत्पाद रखने होंगे, जिसके आधार पर उन्हें ऋण दिया जाएगा। यह लोन 7% प्रतिशत की ब्याज दर पर बिना किसी चीज को गिरवी रखे मिलेगा। 

सोमवार (4 मार्च, 2024) को उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री, पीयूष गोयल ने दिल्ली में डब्ल्यूडीआरए के ई-किसान उपज निधि (डिजिटल गेटवे) की शुरुआत करने के अवसर पर ये जानकारी प्रदान की।

पीयूष गोयल ने कहा कि इस डिजिटल प्लेटफार्म के जरिए कृषकों को बैंक के साथ संबंध बनाने का विकल्प भी दिया जाएगा। फिलहाल, डब्ल्यूडीआरए के पास देश भर में तकरीबन 5,500 रजिस्टर्ड गोदाम हैं। गोयल ने बताया कि भंडारण के लिए अब सुरक्षा जमा शुल्क कम हो जाएगा। 

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इन गोदामों में किसानों को पहले अपनी पैदावार का 3% प्रतिशत सुरक्षा जमा राशि देनी पड़ती थी। वर्तमान में सिर्फ 1 प्रतिशत सुरक्षा जमा धनराशि देनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए गोदामों का इस्तेमाल करने और उनकी आमदनी में इजाफा करने के लिए यह फैसला लिया गया है।

किसान अपनी उपज कम भाव पर बेचने के लिए नहीं होंगे मजबूर  

गोयल ने कहा कि ई-किसान उपज निधि किसानों को संकट के वक्त में उनके उत्पाद को कम मूल्य पर बेचने से बचाएगी। ई-किसान उपज निधि और टेक्नोलॉजी से किसान भाइयों को उनकी उपज की भंडारण की सुविधा मिलेगी। 

किसानों को उनके उत्पादों के लिए समुचित मूल्य प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र 2047 तक भारत को 'विकसित भारत' बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। 

गोयल ने कहा कि हमारे प्रयास में डिजिटल गेटवे पहल खेती को आकर्षक बनाने का एक महत्वपूर्ण कदम है। कृषक भाई बगैर किसी संपत्ति को गिरवी रखे ई-किसान उपज निधि किसानों द्वारा संकट के समय में उनकी उपज बिक्री को रोक सकती है। 

अधिकांश तौर पर किसानों को अपनी पूरी फसल को सस्ती दरों पर बेचना पड़ता है। क्योंकि, उन्हें फसल के पश्चात भंडारण की शानदार रखरखाव सुविधाएं नहीं मिलती हैं। गोयल ने कहा कि डब्लूडीआरए के अंतर्गत गोदामों की अच्छी तरह से निगरानी की जाती है।

इनकी स्थिति काफी शानदार है और ये बुनियादी ढांचे से सुसज्जित हैं, जो कृषि उपज को अच्छी स्थिति में रखते हैं तथा खराब नहीं होने देते और इस तरह ये किसानों के कल्याण को बढ़ावा देते हैं। 

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गोयल ने इस बात पर काफी जोर दिया है, कि 'ई-किसान उपज निधि' और ई-नाम के साथ किसान एक इंटरकनेक्टिड मार्केट की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने में सक्षम होंगे। 

जो कि उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर या उससे ज्यादा की कीमत पर अपनी उपज को सरकार को बेचने का लाभ प्रदान करती है। 

एमएसपी पर सरकारी खरीद दोगुना से ज्यादा बढ़ी है 

गोयल ने कहा कि पिछले एक दशक में एमएसपी के माध्यम से सरकारी खरीद 2.5 गुना तक ज्यादा बढ़ी है। दुनिया की सबसे बड़ी सहकारी खाद्यान्न भंडारण योजना के विषय में बोलते हुए मंत्री ने डब्ल्यूडीआरए से सहकारी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले समस्त गोदामों का फ्री रजिस्ट्रेशन करने के एक प्रस्ताव की योजना बनाने का आग्रह किया। 

उन्होंने कहा कि सहकारी क्षेत्र के गोदामों को मदद देने की पहल से किसानों को डब्ल्यूडीआरए गोदामों में अपनी उपज का भंडारण करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे उन्हें अपनी फसल बेचने पर काफी अच्छा भाव मिल सकेगा।