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खुशखबरी : किसानों की भंडारित उपज पर अब मिलेगा ऋण, किसान कम कीमत पर नहीं बेचेंगे फसल

Published on: 05-Mar-2024

भारतीय किसानों को मोदी सरकार ने एक और बड़ा तोहफा दिया है। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले-पहले केंद्र सरकार की तरफ से कृषकों के लिए एक नवीन योजना जारी करने की घोषणा की है। 

योजना के अंतर्गत किसान भाइयों को अब गोदाम में भंडारित अनाज पर भी कर्ज मिलेगा। ये ऋण वेयर हाउसिंग डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी (डब्ल्यूडीआरए) द्वारा प्रदान किया जाएगा। 

किसानों को केवल रजिस्टिर्ड गोदामों में अपने उत्पाद रखने होंगे, जिसके आधार पर उन्हें ऋण दिया जाएगा। यह लोन 7% प्रतिशत की ब्याज दर पर बिना किसी चीज को गिरवी रखे मिलेगा। 

सोमवार (4 मार्च, 2024) को उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री, पीयूष गोयल ने दिल्ली में डब्ल्यूडीआरए के ई-किसान उपज निधि (डिजिटल गेटवे) की शुरुआत करने के अवसर पर ये जानकारी प्रदान की।

पीयूष गोयल ने कहा कि इस डिजिटल प्लेटफार्म के जरिए कृषकों को बैंक के साथ संबंध बनाने का विकल्प भी दिया जाएगा। फिलहाल, डब्ल्यूडीआरए के पास देश भर में तकरीबन 5,500 रजिस्टर्ड गोदाम हैं। गोयल ने बताया कि भंडारण के लिए अब सुरक्षा जमा शुल्क कम हो जाएगा। 

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इन गोदामों में किसानों को पहले अपनी पैदावार का 3% प्रतिशत सुरक्षा जमा राशि देनी पड़ती थी। वर्तमान में सिर्फ 1 प्रतिशत सुरक्षा जमा धनराशि देनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए गोदामों का इस्तेमाल करने और उनकी आमदनी में इजाफा करने के लिए यह फैसला लिया गया है।

किसान अपनी उपज कम भाव पर बेचने के लिए नहीं होंगे मजबूर  

गोयल ने कहा कि ई-किसान उपज निधि किसानों को संकट के वक्त में उनके उत्पाद को कम मूल्य पर बेचने से बचाएगी। ई-किसान उपज निधि और टेक्नोलॉजी से किसान भाइयों को उनकी उपज की भंडारण की सुविधा मिलेगी। 

किसानों को उनके उत्पादों के लिए समुचित मूल्य प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र 2047 तक भारत को 'विकसित भारत' बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। 

गोयल ने कहा कि हमारे प्रयास में डिजिटल गेटवे पहल खेती को आकर्षक बनाने का एक महत्वपूर्ण कदम है। कृषक भाई बगैर किसी संपत्ति को गिरवी रखे ई-किसान उपज निधि किसानों द्वारा संकट के समय में उनकी उपज बिक्री को रोक सकती है। 

अधिकांश तौर पर किसानों को अपनी पूरी फसल को सस्ती दरों पर बेचना पड़ता है। क्योंकि, उन्हें फसल के पश्चात भंडारण की शानदार रखरखाव सुविधाएं नहीं मिलती हैं। गोयल ने कहा कि डब्लूडीआरए के अंतर्गत गोदामों की अच्छी तरह से निगरानी की जाती है।

इनकी स्थिति काफी शानदार है और ये बुनियादी ढांचे से सुसज्जित हैं, जो कृषि उपज को अच्छी स्थिति में रखते हैं तथा खराब नहीं होने देते और इस तरह ये किसानों के कल्याण को बढ़ावा देते हैं। 

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गोयल ने इस बात पर काफी जोर दिया है, कि 'ई-किसान उपज निधि' और ई-नाम के साथ किसान एक इंटरकनेक्टिड मार्केट की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने में सक्षम होंगे। 

जो कि उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर या उससे ज्यादा की कीमत पर अपनी उपज को सरकार को बेचने का लाभ प्रदान करती है। 

एमएसपी पर सरकारी खरीद दोगुना से ज्यादा बढ़ी है 

गोयल ने कहा कि पिछले एक दशक में एमएसपी के माध्यम से सरकारी खरीद 2.5 गुना तक ज्यादा बढ़ी है। दुनिया की सबसे बड़ी सहकारी खाद्यान्न भंडारण योजना के विषय में बोलते हुए मंत्री ने डब्ल्यूडीआरए से सहकारी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले समस्त गोदामों का फ्री रजिस्ट्रेशन करने के एक प्रस्ताव की योजना बनाने का आग्रह किया। 

उन्होंने कहा कि सहकारी क्षेत्र के गोदामों को मदद देने की पहल से किसानों को डब्ल्यूडीआरए गोदामों में अपनी उपज का भंडारण करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे उन्हें अपनी फसल बेचने पर काफी अच्छा भाव मिल सकेगा।

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