Ad

krishi

कृषि वैज्ञानिकों की जायद सब्जियों की बुवाई को लेकर सलाह

कृषि वैज्ञानिकों की जायद सब्जियों की बुवाई को लेकर सलाह

कुछ ही दिनों में जायद (रबी और खरीफ के मध्य में बोई जाने वाली फसल) की सब्जियों की बुवाई का समय आने वाला है। इन फसलों की बुवाई फरवरी से मार्च तक की जाती हैं। 

इन फसलों में प्रमुख रूप से¨टिंडा, तरबूज, खरबूजा, खीरा, ककड़ी, लौकी, तुरई, भिंडी, अरबी शामिल हैं।

जिन किसानों ने खेतों में गाजर, फूल गोभी, पत्ता गोभी व आलू, ईख बोई हुई थी और अब इन फसलों के खेत खाली हो जाऐंगे। किसान इन खाली खेतों में जायद सब्जियों को बो सकते हैं। 

इन फसलों का लाभ किसान मार्च, अप्रैल, मई में मंडियों मे बेच कर उठा सकते हैं। इससे किसानों को काफी अच्छा आर्थिक लाभ मिलेगा।

कृषि वैज्ञानिकों की सब्जियों की बुवाई से संबंधित सलाह 

सब्जियों की बुवाई सदैव पंक्तियों में ही करें। बेल वाली किसी भी फसल लौकी, तुरई, टिंडा एक फसल के पौधे अलग-अलग जगह न लगाकर एक ही क्यारी में बिजाई करें। 

अगर लौकी की बेल लगा रहे हैं, तो इनके मध्य में और कोई बेल जैसे: करेला, तुरई इत्यादि न लगाएं। क्योंकि मधु मक्खियां नर व मादा फूलों के बीच परागकण का कार्य करती हैं तो किसी दूसरी फसल की बेल का परागकण लौकी के मादा फूल पर न छिड़क सकें और केवल लौकी की बेलों का ही परागकण परस्पर ज्यादा से ज्यादा छिड़क सकें। ताकि ज्यादा से ज्यादा फल लग सकें।

ये भी पढ़ें: युवक की किस्मत बदली सब्जियों की खेती ने, कमाया बेहद मुनाफा

कृषि वैज्ञानिकों की बेल वाली सब्जियों के लिए सलाह 

बेल वाली सब्जियां लौकी, तुरई, टिंडा आदि में बहुत बारी फल छोटी अवस्था में ही गल कर झड़ने लग जाते हैं। ऐसा इन फलों में संपूर्ण परागण और निषेचन नहीं हो पाने की वजह से होता है। 

मधु मक्खियों के भ्रमण को प्रोत्साहन देकर इस दिक्कत से बचा जा सकता है। बेल वाली सब्जियों की बिजाई के लिए 40-45 सेंटीमीटर चौड़ी और 30 सेंटीमीटर गहरी लंबी नाली निर्मित करें। 

पौधे से पौधे का फासला  60 सेंटीमीटर रखते हुए नाली के दोनों किनारों पर सब्जियों के बीच या पौध रोपण करें। बेल के फैलने के लिए नाली के किनारों से करीब 2 मीटर चौड़ी क्यारियां बनाएं। 

यदि स्थान की कमी हो तो नाली के सामानांतर लंबाई में ही लोहे के तारों की फैंसिग लगाकर बेल का फैलाव कर सकते हैं। रस्सी के सहारे बेल को छत या किसी बहुवर्षीय पेड़ पर भी फैलाव कर सकते है।

आलू प्याज भंडारण गृह खोलने के लिए इस राज्य में दी जा रही बंपर छूट

आलू प्याज भंडारण गृह खोलने के लिए इस राज्य में दी जा रही बंपर छूट

राजस्थान राज्य के 10,000 किसानों को प्याज की भंडारण इकाई हेतु 50% प्रतिशत अनुदान मतलब 87,500 रुपये के अनुदान का प्रावधान किया गया है। बतादें, कि राज्य में 2,500 प्याज भंडारण इकाई शुरू करने की योजना है। फसलों का समुचित ढंग से भंडारण उतना ही जरूरी है। जितना सही तरीके से उत्पादन करना। क्योंकि बहुत बार फसल कटाई के उपरांत खेतों में पड़ी-पड़ी ही सड़ जाती है। इससे कृषकों को काफी हानि वहन करनी होती है। इस वजह से किसान भाइयों को फसलों की कटाई के उपरांत समुचित प्रबंधन हेतु शीघ्र भंडार गृहों में रवाना कर दिया जाए। हालांकि, यह भंडार घर गांव के आसपास ही निर्मित किए जाते हैं। जहां किसान भाइयों को अपनी फसल का संरक्षण और देखभाल हेतु कुछ भुगतान करना पड़ता है। परंतु, किसान चाहें तो स्वयं के गांव में खुद की भंडारण इकाई भी चालू कर सकते हैं। भंडारण इकाई हेतु सरकार 50% प्रतिशत अनुदान भी प्रदान कर रही है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि राजस्थान सरकार द्वारा प्याज भंडारण हेतु नई योजना को स्वीकृति दे दी गई है। जिसके अंतर्गत प्रदेश के 10,000 किसानों को 2,550 भंडारण इकाई चालू करने हेतु 87.50 करोड़ रुपए की सब्सिड़ी दी जाएगी।

भंडारण संरचनाओं को बनाने के लिए इतना अनुदान मिलेगा

मीडिया खबरों के मुताबिक, किसानों को विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत प्याज के भंडारण हेतु सहायतानुदान मुहैय्या कराया जाएगा। इसमें प्याज की भंडारण संरचनाओं को बनाने के लिए प्रति यूनिट 1.75 लाख का खर्चा निर्धारित किया गया है। इसी खर्चे पर लाभार्थी किसानों को 50% फीसद अनुदान प्रदान किया जाएगा। देश का कोई भी किसान अधिकतम 87,500 रुपये का फायदा हांसिल कर सकता है। ज्यादा जानकारी हेतु निजी जनपद में कृषि विभाग के कार्यालय अथवा राज किसान पोर्टल पर भी विजिट कर सकते हैं। ये भी पढ़े: Onion Price: प्याज के सरकारी आंकड़ों से किसान और व्यापारी के छलके आंसू, फायदे में क्रेता

किस योजना के अंतर्गत मिलेगा लाभ

राजस्थान सरकार द्वारा प्रदेश के कृषि बजट 2023-24 के अंतर्गत प्याज की भंडारण इकाइयों पर किसानों को सब्सिड़ी देने की घोषणा की है। इस कार्य हेतु राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत 1450 भंडारण इकाइयों हेतु 12.25 करोड रुपये मिलाके 34.12 करोड रुपये व्यय करने जा रही है। इसके अतिरिक्त 6100 भंडारण इकाईयों हेतु कृषक कल्याण कोष द्वारा 53.37 करोड़ रुपये के खर्च का प्रावधान है। ये भी पढ़े: भंडारण की परेशानी से मिलेगा छुटकारा, प्री कूलिंग यूनिट के लिए 18 लाख रुपये देगी सरकार

प्याज की भंडारण इकाई बनाने की क्या जरूरत है

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इन दिनों जलवायु परिवर्तन से फसलों में बेहद हानि देखने को मिली है। तीव्र बारिश और आंधी के चलते से खेत में खड़ी और कटी हुई फसलें तकरीबन नष्ट हो गई। अब ऐसी स्थिति में सर्वाधिक भंडारण इकाईयों की कमी महसूस होती है। यह भंडारण इकाईयां किसानों की उत्पादन को हानि होने से सुरक्षा करती है। बहुत बार भंडारण इकाइयों की सहायता से किसानों को उत्पादन के अच्छे भाव भी प्राप्त हो जाते हैं। यहां किसान उत्पादन के सस्ता होने पर भंडारण कर सकते हैं। साथ ही, जब बाजार में प्याज के भावों में वृद्धि हो जाए, तब भंडार गृहों से निकाल बेचकर अच्छी आय कर सकते हैं।
आलू के बाद अब गेहूं का समुचित मूल्य ना मिलने पर किसानों में आक्रोश

आलू के बाद अब गेहूं का समुचित मूल्य ना मिलने पर किसानों में आक्रोश

उत्तर प्रदेश में आलू का बेहद कम दाम मिलने की वजह से किसानों में काफी आक्रोश है। ऐसी हालत में फिलहाल गेहूं के दाम समर्थन मूल्य से काफी कम प्राप्त होने पर शाजापुर मंडी के किसान काफी भड़के हुए हैं, उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए परेशानियों पर ध्यान देने की बात कही गई है। आलू के उपरांत फिलहाल यूपी के किसान गेहूं के दाम कम मिलने से परेशान हैं। प्रदेश के किसान गेहूं का कम भाव प्राप्त होने पर राज्य की भारतीय जनता पार्टी की सरकार से गुस्सा हैं। प्रदेश की शाजापुर कृषि उत्पादन मंडी में उपस्थित किसानों ने सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन व नारेबाजी की है। किसानों ने बताया है, कि कम भाव मिलने के कारण उनको हानि हो रही है एवं यदि गेहूं के भाव बढ़ाए नहीं गए तो आगे भी इसी तरह धरना-प्रदर्शन चलता रहेगा। कृषि उपज मंडी में जब एक किसान भाई अपना गेहूं बेचने गया, जो 1981 रुपये क्विंटल में बिका। किसान भाई का कहना था, कि केंद्र सरकार द्वारा गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2125 रुपये क्विंटल निर्धारित किया गया है। इसके बावजूद भी यहां की मंडी में समर्थन मूल्य की अपेक्षा में काफी कम भाव पर खरीद की जा रही है। उन्होंने चेतावनी देते हुए बताया है, कि सरकार को अपनी आंखें खोलनी होंगी एवं मंडियों पर कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने बताया है, कि सरकार किसानों की दिक्कत परेशानियों को समझें। ये भी देखें: केंद्र सरकार का गेहूं खरीद पर बड़ा फैसला, सस्ता हो सकता है आटा आक्रोशित एवं क्रोधित किसानों का नेतृत्व किसानों के संगठन भारतीय किसान संघ के जरिए किया जा रहा है। संगठन का मानना है कि, सरकार को किसानों की मांगों की ओर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। खून-पसीना एवं कड़े परिश्रम के उपरांत भी किसानों को उनकी फसल का समुचित भाव नहीं मिल पा रहा है।

आलू किसानों की परिस्थितियाँ काफी खराब हो गई हैं

उत्तर प्रदेश में आलू उत्पादक किसान भाइयो की स्थिति काफी दयनीय है। आलू के दाम में गिरावट आने की वजह से किसान ना कुछ दामों में अपनी फसल बेचने पर मजबूर है। बहुत से आक्रोशित किसान भाइयों ने तो अपनी आलू की फसल को सड़कों पर फेंक कर अपना गुस्सा व्यक्त किया है। ऐसी परिस्थितियों में विरोध का सामना कर रही उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 650 रुपये प्रति क्विंटल के मुताबिक आलू खरीदने का एलान किया है। परंतु, किसान इसके उपरांत भी काफी गुस्सा हैं। कुछ किसानों द्वारा आलू को कोल्ड स्टोर में रखना चालू कर दिया है। दामों में सुधार होने पर वो बेचेंगे, परंतु अब कोल्ड स्टोर में भी स्थान की कमी देखी जा रही है। ऐसी स्थितियों के मध्य किसान हताश और निराश हैं।
बिहार के वैज्ञानिकों ने विकसित की आलू की नई किस्म

बिहार के वैज्ञानिकों ने विकसित की आलू की नई किस्म

बिहार के लखीसराय में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने आलू की एक नई किस्म विकसित की है। आलू की इस किस्म को "पिंक पोटैटो" नाम दिया गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि आलू की इस किस्म में अन्य किस्मों की अपेक्षा रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा है। साथ ही आलू की इस किस्म में बरसात के साथ शीतलहर का भी कोई खास असर नहीं पड़ेगा। फिलहाल इसकी खेती शुरू कर दी गई है। वैज्ञानिकों को इस किस्म में अन्य किस्मों से ज्यादा उपज मिलने की उम्मीद है।

आलू की खेती के लिए ऐसे करें खेत का चयन

ऐसी जमीन जहां पानी का जमाव न होता हो, वहां
आलू की खेती आसानी से की जा सकती है। इसके लिए दोमट मिट्टी सबसे ज्यादा उपयुक्त मानी जाती है। साथ ही ऐसी मिट्टी जिसका पीएच मान 5.5 से 5.7 के बीच हो, उसमें भी आलू की खेती बेहद आसानी से की जा सकती है।

खेती की तैयारी

आलू लगाने के लिए सबसे पहले खेत की तीन से चार बार अच्छे से जुताई कर दें, उसके बाद खेत में पाटा अवश्य चलाएं ताकि खेत की मिट्टी भुरभुरी बनी रहे। इससे आलू के कंदों का विकास तेजी से होता है।

आलू कि बुवाई का समय

आलू मुख्यतः साल में दो बार उगाया जाता है। पहली बार इसकी बुवाई जुलाई माह में की जाती है, इसके बाद आलू को अक्टूबर माह में भी बोया जा सकता है। बुवाई करते समय किसान भाइयों को ध्यान रखना चाहिए कि बीज की गोलाई 2.5 से 4 सेंटीमीटर तक होना चाहिए। साथ ही वजन 25 से 40 ग्राम होना चाहिए। बुवाई करने के पहले किसान भाई बीजों को अंकुरित करने के लिए अंधरे में फैला दें। इससे बीजों में अंकुरण जल्द होने लगता है। इसके बाद स्वस्थ्य और अच्छे कंद ही बुवाई के लिए चुनना चाहिए। ये भी पढ़े: हवा में आलू उगाने की ऐरोपोनिक्स विधि की सफलता के लिए सरकार ने कमर कसी, जल्द ही शुरू होगी कई योजनाएं आलू की बुवाई कतार में करनी चाहिए। इस दौरान कतार से कतार की दूरी 60 सेंटीमीटर होनी चाहिए जबकि पौधे से पौधे की दूरी 20 सेंटीमीटर होनी चाहिए।

आलू की फसल में सिंचाई

आलू की खेती में सिंचाई की जरूरत ज्यादा नहीं होती। ऐसे में पहली सिंचाई फसल लगने के 15 से 20 दिनों के बाद करनी चाहिए। इसके बाद 20 दिनों के अंतराल में थोड़ी-थोड़ी सिंचाई करते रहें। सिंचाई करते वक्त ध्यान रखें कि फसल पानी में डूबे नहीं।

आलू की खुदाई

आलू की फसल 90 से लेकर 110 दिनों के भीतर तैयार हो जाती है। फसल की खुदाई के 15 दिन पहले सिंचाई पूरी तरह से बंद कर देनी चाहिए। खुदाई से 10 दिन पहले ही आलू की पतियों को काट दें। ऐसा करने से आलू की त्वचा मजबूत हो जाती है। खुदाई करने के बाद आलू को कम से कम 3 दिन तक किसी छायादार जगह पर खुले में रखें। इससे आलू में लगी मिट्टी स्वतः हट जाएगी।
Rajasthan ka krishi budget: किसानों के लिए बहुत कुछ है राजस्थान के कृषि बजट में

Rajasthan ka krishi budget: किसानों के लिए बहुत कुछ है राजस्थान के कृषि बजट में

13 महीनों तक चले किसान आंदोलन ने यह साबित किया कि अब सरकारों को उनकी तरफ ध्यान देना होगा अन्यथा सरकारें चल नहीं पाएंगी। उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में चल रहे चुनावों के मद्देनजर ही, डैमेज कंट्रोल करने के वास्ते प्रधानमंत्री को तीनों कृषि कानून वापस लेने पड़े। यह वापसी इसलिए हुई क्योंकि देश भर के किसान एकजुट हो गए थे। किसानों की एकता का ही यह परिणाम था कि कानून वापस हुए और अब किसान अपने घरों पर हैं। लेकिन, इसके दूरगामी परिणाम को आपने देखा क्या। इसका दूरगामी परिणाम है, 23 फरवरी को राजस्थान में पेश किया गया कृषि बजट। जी हां, जब से राजस्थान बना है, तब से लेकर अब तक ऐसा कभी नहीं हुआ था कि बजट के बाद कोई कृषि बजट पेश किया गया हो। वह भी अलग से। पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था। राजस्थान में जो कृषि बजट पेश किया गया, वह किसानों के आंदोलन की ही परिणिति है, ऐसा मानना गलत नहीं होगा।

क्या है कृषि बजट में

अब बड़ा सवाल यह है कि इस किसान बजट में है क्या।

दरअसल, इस किसान बजट में कई व्यवस्थाएं दी गई हैं। इन व्यवस्थाओं को गौर से देखें तो समझ जाएंगे कि राजस्थान सरकार किसानों को लेकर कितनी चिंतित है। हां, सरकारी खजाने की अपनी एक सीमा होती है। कृषि ही सब कुछ नहीं होती पर कृषि को तवज्जो देकर सरकार ने एक सकारात्मक रुख का प्रदर्शन तो जरूर किया है। आइए समझें कि इस कृषि बजट में है क्या।

1. मुख्यमंत्री कृषक साथी का बजट बढ़ गया

दरअसल, 2021 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उद्योग क्षेत्र में चलाई जाने वाली योजना को कृषि क्षेत्र में, थोड़े परिवर्तन के साथ लागू कर दिया। अर्थात, अगर आप किसान हैं और कृषि कार्य करते हुए आपके साथ कोई हादसा हो गया तो इस योजना के तहत आपको दो से 5 लाख रुपये तक की तात्कालिक सहायता मिलेगी। यह योजना कई क्लाउजेज की व्याख्या करती है। जैसे, यदि आपकी एक अंगुली कट जाए तो सरकार आपको 5000 रुपये देगी। दो कट जाए तो 10000 रुपये, तीन कट जाए तो 15000 रुपये और चार कट जाए तो 20000 रुपये का भुगतान करेगी सरकार। ऐसे ही अगर आपकी पांचों अंगुलियां कट जाती हैं तो सरकार आपको 25000 रुपये देगी। इस योजना के लिए बीते साल के बजट में 2000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई थी। अब इसका दायरा बढ़ाने की गरज से सरकार ने इस योजना के लिए 5000 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की है। धनराशि बढ़ाने को किसानों ने बेहद बढ़िया माना है।

ये भी पढ़े : कृषि प्रधान देश में किसानों की उपेक्षा असंभव

2. मुख्यमंत्री जैविक कृषि मिशन

कृषि बजट में सरकार ने घोषणा की है कि इसी सत्र से मुख्यमंत्री जैविक खेती मिशन शुरू कर दिया जाएगा। इसके तहत सरकार उन किसानों को ज्यादा लाभ देगी, जो शुद्ध रूप से जैविक केती के लिए तैयार होंगे। इस योजना के तहत, सरकार उन्हें आर्थिक पैकेज तो देगी ही, जरूरत पड़ी तो उनकी फसलों को भी खरीद लेगी। इसके लिए पहले 600 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। अगले बजट में इस धनराशि को बढ़ाया भी जा सकता है।

3. बीज उत्पादन एवं विपणन तंत्र की घोषणा

इस कृषि बजट में सरकार ने एक ऐसा तंत्र विकसित करने की घोषणा की, जिसके तहत सभी किसानों तक सरकारी योजनाएं पहुंच सकें। खास कर बीज और कृषि के अन्य अवयवों को सरकार एक साथ किसानों तक पहुंचाना चाहती है। सरकार का जोर इस बात पर ज्यादा है कि राज्य के कम से कम दो लाख छोटे किसानों तक मूंग, मोठ और उड़द के प्रमाणित बीजों के मिनी किट्स मुफ्त में उपलब्ध कराए जाएं। इन चीजों के लिए ही बीज उत्पादन एवं विपणन तंत्र की घोषणा की गई है। सरकार एक सिस्टम बनाना चाह रही है जिससे समय पर और सिस्टमेटिक रुप में किसानों तक कृषि संबंधित चीजों की डिलीवरी हो सके। इस किस्म का सिस्टम छत्तीसगढ़ में पहले से चल रहा है।

ये भी पढ़े : सरकार के नए कृषि कानूनों से किसानों को कितना फायदा और कितना नुकसान

4. राजस्थान भूमि उर्वरकता मिशन की घोषणा

इस कृषि बजट में सरकार ने राजस्थान भूमि उर्वरकता मिशन की घोषणा की। इस मिशन के तहत राजस्थान के किसान यह जान सकेंगे कि उनकी जो जमीन है, उसकी उर्वरक क्षमता क्या है। किस किस्म की खेती उन्हें कब और कैसे करनी चाहिए। अभी राजस्थान में सभी किसान परंपरागत खेती कर रहे हैं। इस मिशन के शुरू हो जाने के बाद माना जा रहा है कि खेती कार्य में विविधता आएगी। समय-समय पर जब मिट्टी की जांच होगी तो किसानों को यह एडवाइस भी दिया जाएगा कि इसकी उर्वरकता बढ़ाने के लिए उन्हें क्या करना चाहिए।

5. दूध पर 5 रुपये प्रति लीटर अनुदान

राजस्थान सरकार ने अपने कृषि बजट में यह व्यवस्था की है कि जो भी किसान अपना दूध सहकारी दुग्ध उत्पादक संघों को देंगे, उन्हें 5 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से अनुदान भी मिलेगा। यह व्यवस्था इसलिए की गई है ताकि दूध सहकारी दुग्ध उत्पादक संघों के माध्यम से राजस्थान भर में बिके। 

6. कर्ज की व्यवस्था

इस कृषि बजट में घोषणा की गई है कि सरकार वर्ष 2022 में किसानों को फसली ऋण भी देगी। यह फसली ऋण 20000 करोड़ की लिमिट के भीतर होगी। ऐसे लाभार्थी किसानों की संख्या इस साल के लिए पांच लाख तय की गई है। इतना ही नहीं, जो लोग कृषि कार्य से प्रत्यक्ष रुप से नहीं जुड़े हैं, उन्हें भी कर्ज दिया जाएगा। इस साल ऐसे परिवारों की संख्या एक लाख तय की गई है। कर्ज कितना मिलेगा, यह तय नहीं है पर मिलेगा जरूर। कुल मिलाकर, यह किसानों के भीतर हौसला बुलंद करने वाला बजट है। इसे अगर अमली जामा पहना दिया जाए तो राजस्थान के किसानों की स्थिति बेहद सुदृढ़ हो सकती है। जिस भाव से बजट पेश किया गया है, वह बेहतर है। उसी भाव से इस पर अमल हो तो किसानों का सच में भला हो जाएगा।

कृषि-जलवायु परिस्थितियों में जुताई की आवश्यकताएं (Tillage requirement in agro-climatic conditions in Hindi)

कृषि-जलवायु परिस्थितियों में जुताई की आवश्यकताएं (Tillage requirement in agro-climatic conditions in Hindi)

किसान कैसे विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में अपने खेत की जुताई करते हैं और अपने खेतों को उत्पादन के लिए विकसित करते हैं। 

विभिन्न प्रकार के प्रश्नों के उत्तर और उनसे जोड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां को जानने के लिए हमारी इस पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहें:

विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में खेत की जुताई

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार जलवायु परिवर्तन होती हैं तो इन परिवर्तन के कारण पैदावार या उपज में लगभग 15 से 18% की कमी आ जाती है। 

वहीं दूसरी ओर गैर-सिंचित क्षेत्रों में तकरीबन 20 से 25% की कमी हो जाती है। इस जलवायु परिवर्तन के कारण वार्षिक कृषि कमाई 15 से 18% ही हो पाती है।

ये भी पढ़ें: भूमि विकास, जुताई और बीज बोने की तैयारी के लिए उपकरण

कृषि जलवायु क्षेत्र

कृषि जलवायु क्षेत्र (Agro Climatic Zones) के लिए एक भूमि की इकाई आवश्यक होती है जिसके चलते फसलों की किस्मों को जोतने में आसानी हो। 

इनका मुख्य उद्देश प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरण की हो रही विभिन्न प्रकार की स्थितियों के चलते बिना किसी दुष्प्रभाव के भोजन चारा लकड़ी, फाइबर आदि के जरिए मिलने वाले ईंधन को सुरक्षित रखना है। 

इन कृषि जलवायवी योजना का मुख्य उद्देश मानव तथा प्राकृतिक द्वारा निर्मित साधनों का अधिक से अधिक वैज्ञानिक रूप से अपने कार्यों के लिए उपयोग करना होता है।

कृषि जलवायु क्षेत्रों की योजना

कृषि जलवायु क्षेत्र की योजना के अंतर्गत कृषि जलवायवी योजना का मुख्य लक्ष्य होता है कि वह ज्यादा से ज्यादा मानव निर्मित तथा प्रकृति द्वारा निर्मित दोनों ही साधनों का प्रयोग अधिक से अधिक कर सके। 

कृषि-पारिस्थितिकी क्षेत्र जलवायु मुख्य रूप से फसल की उपज, वर्षा, मिट्टी के विभिन्न प्रकार तथा पानी की आवश्यकता, वनस्पतियों के विभिन्न प्रकार आदि के नेतृत्व को प्रभावित करने वाले कारणों को पूर्ण रूप से जाना होता है।

जलवायु परिवर्तन तथा इसके प्रभाव

जलवायु परिवर्तन के कारण विभिन्न विभिन्न प्रकार के प्रभाव पड़ते हैं जैसे कुछ देशों में हिमालय से लेकर दक्षिण एशिया के तटीय देशों में इस तरह की भयानक ग्लोबल वॉर्मिंग से लड़ने के लिए हर समय खुद को सक्षम रखते हैं। 

तथा इस ग्लोबल वॉर्मिंग का हमेशा निडरता के साथ सामना करते हैं। प्राप्त की गई जानकारियों के अनुसार इन देशों में से दक्षिण एशिया अपनी 21वीं शताब्दी में 2 से लेकर 6 डिग्री सेल्सियस की अधिक गर्मी से भरपूर तापमान को झेल सकता है।

रविंद्रनाथ द्वारा दी गई सन 2007 में जानकारी के अनुसार कार्बन डाई का स्तर काफी उच्च स्तर पर था, या लगभग 410 के आसपास  पीपीएम तक पहुंच चुका था। इसे ग्लोबल वॉर्मिंग का मुख्य कारण माना जाता है। 

कुछ अन्य ऐसे भी क्षेत्र है जो इस ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते सूखा झेल रहे हैं : यह क्षेत्र कुछ इस प्रकार है जैसे: हरियाणा कर्नाटक पश्चिम राजस्थान मध्य प्रदेश आंध्र प्रदेश दक्षिणी गुजरात दक्षिणी बिहार आदि सुखा प्रवण राज्य अनपेक्षित सूखे का सामना कर रहे हैं।

कृषि-जलवायु

कृषि जलवायु के अंतर्गत इसका वार्षिक तापमान लगभग 8 °c सेल्सियस होता है। जलवायु मृदु ग्रीष्म तथा बहुत कड़ी शीत वाला होती है। इन क्षेत्रों में औसत वार्षिक वर्षा सिर्फ 150 मी. मी. की दर पर बहुत कम होती है। 

क्षेत्रों में क्राईक मुद्राएं वह शुष्क मृदा नियंत्रण रूप से पाई जाती है। इस स्थिति में फसल का वृद्धि काल सिर्फ 90 दिनों से ज्यादा दिनों तक विकसित नहीं होता।

कृषि भूमि प्रयोग पारिस्थितिकी

इन कृषि क्षेत्रों में काफी कम वन पाए जाते हैं। इन भूमि प्रति इकाई उत्पादन बहुत कम होता है। सब्जियों में अग्रवर्ती फसलें तथा वनस्पतियां ज्वार, बाजरा, गेहूं, चारा दालें आदि की फसलें उगाई जाती हैं। 

फसलों के बीच में हल्की हल्की घास भी उगाई जाती हैं इन क्षेत्रों में फलों के रूप में सेब तथा खुबानी की खेती होती है। खेतों की जुताई के लिए भेड़, बकरी, याक खच्चर आदि पशुओं का इस्तेमाल किया जाता है।

ये भी पढ़ें: घर पर मिट्टी के परीक्षण के चार आसान तरीके

कृषि-जलवायु परिस्थितियों में जुताई की आवश्यकताएं

कृषि जलवायु परिस्थितियों में जुताई करते समय विभिन्न प्रकार की आवश्यकता की जरूरत होती है। भूमि को गहराई से कुछ इंचों की दूरी पर अच्छे से खोदना चाहिए। मिट्टी को हल के जरिए पलट पलट कर खुरदरा करना चाहिए। 

ऐसा करने से नीचे की मिट्टी ऊपर आ जाती है। यह मिट्टियां उष्मा आदि के प्राकृतिक क्रिया द्वारा प्रभावित होकर अपना भुरभुरा रूप ले लेती हैं। 

कृषि कार्य भूमि को वर्षा, सूर्य, वायु पाला, प्रकाश के संपर्क में उगाते हैं। कृषि इन स्थितियों में अपने खेतों की जुताई करते हैं।

  • कृषि नई भूमि की जुताई करने से पूर्व विभिन्न प्रकार की सावधानियां बरतें हैं जैसे, की नई भूमि को जोतते समय पहले पेड़, पौधों को अच्छी तरह भूमि से काट लेते हैं। पूरी तरह भूमि को स्वच्छ कर लेते हैं उसके बाद किसी भारी यंत्र द्वारा अपने खेत की जुताई करते हैं। जुताई यंत्र द्वारा मिट्टी कटती है और फिर उन मिट्टी को ऊपर नीचे पलटा भी जाता है। इस तरह से कई बार खेतों की जुताई करते हैं और जब भूमि अपना गहराई का रूप ले लेती है तब मिट्टी फसल उगाने के लायक बन जाती है।
  • इन खेतों की गहराई कम से कम 1 फुट होती है। इस नीचे वाली भूमि को गर्भतल के नाम से भी बुलाया जाता है। गर्भतल कभी-कभी अनुपजाऊ भी रह जाते हैं इस स्थिति में गहरी जुताई करने के बाद मिट्टी को उपजाऊ बनाना जरूरी होता है। गर्भतल की गहराई निश्चित आकार के रूप में ना की जाए, तो या अपना कठोर रुप ले लेती हैं। इसकी ऊपरी सतह बहुत ही ज्यादा कठोर बन जाती है। इस कठोर सतह को अंग्रेजी भाषा में प्लाऊ पैन के नाम से भी जाना जाता है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार यह कठोर तह बहुत ही हानिकारक होती है। सिंचाई व वर्षा जब होती है तो खेत में जल ज्यादा होते हैं और यह कठोर तह तक नहीं पहुंच पाते है।

मिट्टियों में काफी टाइम तक पानी भरा रहता है और इस वजह से विभिन्न प्रकार के कुछ हानिकारक कारण भी उत्पन्न हो जाते हैं खेतों में।

  • सर्वप्रथम बीज बोने से पहले मिट्टी को किसी भी मिट्टी पलटने वाले यंत्र से उलट पलट देना चाहिए। मिट्टी पलटने के लिए भारी उपकरण का इस्तेमाल करें। हल के जरिए मिट्टी को अच्छी तरह से भुरभुरा कर देना चाहिए। खेत की आखिरी जुताई बहुत ही ध्यान से करनी चाहिए। मिट्टियों में मौजूद आर्द्रता का संरक्षण इस आखिरी बुवाई पर पूर्ण रूप से निर्भर होता हैं। यदि आर्द्रता अच्छे प्रकार से होती है तो बीज सफलतापूर्ण जम जाते हैं। केशिका नलियों के जरिए यह ऊपर की तह तक भली प्रकार से पहुंच जाते हैं।
  • हल की मुठिया को खूब अच्छी तरह से पकड़ना चाहिए। ताकि जुताई करते टाइम हल का संपर्क सीधा गहराई से हो। खेतों की जुताई जलवायु के अनुसार खरीफ, रबी, जायद मौसम में विभाजित करनी चाहिए। इन्हीं के अनुसार फसलों की जुताई करनी चाहिए।

हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारी इस आर्टिकल के जरिए, विभिन्न कृषि-जलवायु परिस्थितियों में जुताई की आवश्यकताएं तथा अन्य जानकारी पूर्ण रूप से प्राप्त हुई होंगी। 

यदि आप हमारी दी हुई जानकारियों से आग्रह करते हैं तो हमारी इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा आगे सोशल मीडिया और दोस्तों के साथ शेयर करे। धन्यवाद।

जानें सबसॉइलर (Subsoiler) कृषि मशीन की बेहतरीन विशेषताओं के बारे में

जानें सबसॉइलर (Subsoiler) कृषि मशीन की बेहतरीन विशेषताओं के बारे में

सबसॉइलर कृषि मशीन खेत के अंदर गहरी जुताई करने के लिए बेहद ही ज्यादा उपयोगी मशीन होती है। इस मशीन को ट्रैक्टर के पीछे लगाकर संचालित किया जाता है। 

सबसॉइलर से खेत की जुताई करने के उपरांत फसल में रोग लगने की आशंका बेहद ही कम हो जाती है। यहां पर जानें इस कृषि मशीन की बाकी महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में। 

खेती-किसानी के कार्यों को सुगमता से पूर्ण करने के लिए बाजार में विभिन्न प्रकार के शानदार कृषि उपकरण उपलब्ध हैं। इन्हीं कृषि मशीनों में एक सबसॉइलर कृषि यंत्र भी शम्मिलित है, जो कि कम परिश्रम में खेतों की गहरी जुताई करने में सक्षम है। 

इस उपकरण को संचालित करने के लिए आपको ट्रैक्टर की जरूरत पड़ेगी। दरअसल, सबसॉइलर कृषि मशीन को ट्रैक्टर के पीछे लगाकर खेत में संचालित किया जाता है। 

बतादें, कि इस सबसॉइलर कृषि मशीन को खेत में फसल बिजाई से पूर्व ही तैयार करने के लिए चलाया जाता है। यह मशीन खेत के अंदर गहरी जुताई करने के लिए बेहद उपयोगी साबित होती है।

इस मशीन के माध्यम से की गई जुताई के उपरांत किसानों की फसल में रोग लगने की आशंका कम होती है। खेत की जुताई का कार्य शीघ्रता से किया जा सके, इसको मंदेनजर रखते हुए सबसॉइलर कृषि मशीन को तैयार किया गया है।

ये भी पढ़ें: भूमि की तैयारी के लिए आधुनिक कृषि यंत्र पावर हैरो (Power Harrow)

सबसॉइलर कृषि मशीन

यह कृषि उपकरण ट्रैक्टर के साथ जोड़कर चलने वाली मशीन है, जो खेत में कम समय में ही गहरी जुताई करने में सक्षम है। 

इसे मिट्टी को तोड़ना, मिट्टी को ढीला करना और गहरी अच्छी जुताई करने के लिए सबसॉइलर कृषि मशीन बेहद लोकप्रिय है। 

यह मशीन मोल्डबोर्ड हल, डिस्क हैरो या रोटरी टिलर मशीन के मुकाबले काफी अच्छे से खेत की जुताई करती है. इसके अलावा, सबसॉइलर कृषि मशीन खेत की मिट्टी को अच्छी उर्वरता शक्ति प्रदान करने में भी मदद करती है. इस मशीन से खेत की जुताई करने के बाद किसानों को फसल की अच्छी उपज प्राप्त होती है।

ये भी पढ़ें: इस राज्य में कृषि उपकरणों पर दिया जा रहा है 50 प्रतिशत तक अनुदान

सबसॉइलर कृषि मशीन का उपयोग

  • किसान भाई इस मशीन का अधिकतर उपयोग खेत की जुताई करने के लिए करते हैं।
  • इस मशीन का इस्तेमाल खेत में पानी को रोकने के लिए भी किया जाता है।
  • सबसॉइलर मशीन खेत की खराब स्थिति को सुधारने के लिए भी खेत में चलाई जाती है।
  • सबसॉइलर कृषि मशीन से क्या क्या फायदे होते हैं
  • सबसॉइलर कृषि मशीन को खेत में चलाने के पश्चात फसल में कीट और रोग लगने की आशंका काफी कम हो जाती है।
  • सबसॉइलर मशीन के उपयोग से खेत की मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बनी रहती है।
  • देश के जिन हिस्सों में जल के अभाव की वजह खेत की सिंचाई नहीं की जाती उन इलाकों के लिए यह बेहद उपयोगी कृषि यंत्र है।
  • इस मशीन के इस्तेमाल से किसान कम से कम ढाई फीट तक गहरी नाली बना सकते हैं।
  • सबसॉइलर कृषि मशीन किसानों पर पड़ने वाले मजदूरों के भार को कम करती है।

खेत की गहरी जुताई के लिए करें सबसॉइलर (Subsoiler) का उपयोग, मिलेगी 80% सब्सीडी

खेत की गहरी जुताई के लिए करें सबसॉइलर (Subsoiler) का उपयोग, मिलेगी 80% सब्सीडी

किसानों द्वारा गर्मियों में की जाने वाली खेती के लिए सबसे पहले खेत की अच्छे से जुताई कर लेनी चहिये।  खेत की गहरी जुताई करने से फसल में कीट और रोग लगने की ज्यादातर सम्भावनाये ख़तम हो जाती है। 

इसके अलावा केट की गहरी जुताई और अधिक उत्पादन के लिए राज्य सरकार की ओर से किसानों को सबसॉइलर (Subsoiler Machine) मशीन पर सब्सीडी उपलब्ध कराई जा रही है। 

यह सबसॉइलर मशीन खरपतवारों को नष्ट करके उन्हें जमीन में मिला देती है इससे फसल उत्पादन में काफी वृद्धि होती है। 

जो भी किसान सबसॉइलर मशीन (Subsoiler Machine) पर सब्सीडी प्राप्त करना चाहता है वो कृषि विभाग योजना के तहत आवेदन कर सकता है।

राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई कृषि यंत्र अनुदान योजना और कृषि यंत्रीकरण योजना के तहत किसानों को सबसॉइलर मशीन पर सब्सीडी प्रदान की जा रही है। 

क्या है सबसॉइलर (Subsoiler) मशीन ?

सबसॉइलर मशीन (Subsoiler Machine) किसानों के लिए एक बेहद ख़ास मशीन है , यह मशीन खेत की जुताई के लिए काफी सहायक होती है।  

ये मशीन खेत में उपस्थित खरपतवार को नष्ट करके उसे मिट्टी में ही मिला देती है जिससे भूमि की उत्पादन क्षमता पर काफी प्रभाव पड़ता है। 

यह मशीन ट्रैक्टर में जोड़कर चलाई जाती है। सबसॉइलर मशीन अन्य मशीनों की तुलना में जैसे : मोल्डबोर्ड हल, डिस्क हैरो और रोटरी टिलर के मुकाबले अधिक गहराई तक जुताई करती है। 

सबसॉइलर मशीन (Subsoiler Machine) किसानों के लिए काफी सहायक और लाभदायक मशीन है। यह मशीन खेत में पानी रोकने के लिए भी काम आती है। 

सबसॉइलर मशीन (Subsoiler Machine) पर कितनी सब्सीडी प्रदान की जाएगी ?

सबसॉइलर मशीन (Subsoiler Machine) पर किसानों को राज्य सरकार की ओर से 80% सब्सीडी प्रदान की जाएगी। इसके अलावा कृषि यंत्रीकरण योजना के तहत सामान्य किसानों को सबसॉइलर मशीन पर 70% सब्सीडी प्रदान की जा रही है यही पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में आने वाले किसानों को 80% सब्सीडी प्रदान की जाएगी। 

सबसॉइलर मशीन (Subsoiler Machine) की क्या है कीमत ?

बाजार में सबसॉइलर मशीन (Subsoiler Machine) कई ब्रांड में उपलब्ध है। लेकिन जो ब्रांड प्रचलित है वो है जॉन डियर (John Deere), महिंद्रा (Mahindra), मास्कीओ गास्पार्दो (maskio gaspardo), यूनिवर्सल (Universal), फील्डकिंग (Fieldking), लेमकेन (Lemken) और केएस एग्रोटेक (KS Agrotech) इन सभी कंपनियों की सबसॉइलर मशीन बाजार में काफी प्रचलित है।

ये भी पढ़े: फसल की कटाई के आधुनिक यंत्र

भारत में सबसॉइलर मशीन (Subsoiler Machine) की कीमत 12600 से शुरू होकर 1.80 रुपए तक है। लेकिन किसान सब्सीडी के अंदर केवल उन्ही मशीन को खरीद सकता है जो राज्य सरकार द्वारा सब्सीडी के अंदर अधिकृत की गई है। 

सबसॉइलर मशीन (Subsoiler Machine) की खरीद से क्या लाभ होगा ?

सबसॉइलर मशीन (Subsoiler Machine) की खरीद से किसान बहुत से लाभ उठा सकते है। यह मशीन कम सिंचाई वाले क्षेत्रों के लिए भी काफी उपयोगी है। सबसॉइलर मशीन (Subsoiler Machine) के उपयोग से खेती को और अधिक उपजाऊ और बेहतर बनाया जा सकता है। 

यह सबसॉइलर मशीन किसान के समय की भी बचत करता है। सबसॉइलर मशीन (Subsoiler Machine) किसान की कृषि सम्बन्धी किर्याओं की दशा में सुधार करता है। 

अच्छे जल निकास के लिए खेत में यह मशीन नालियां बनाने के लिए भी काफी उपयोगी है। गहरी जुताई करके यह मशीन कीटों की समस्या को भी काफी हद तक कम करने में सहायक होती है। 

सबसॉइलर मशीन (Subsoiler Machine) के लिए कैसे आवेदन करें ?

कृषि यंत्रीकरण योजना मे आवेदन करके सबसॉइलर मशीन (Subsoiler Machine) पर सब्सीडी प्राप्त कर सकते है। इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए आप योजना की आधारिक  वेबसाइट  (www.farmech.bih.nic.in) पर जाकर ऑनलाइन इस योजना का लाभ प्राप्त कर सकते है। 

सबसे पहले डीबीटी पोर्टल पर जाकर आवेदन करें उसके बाद ही आप इस योजना की आधारिक वेबसाइट पर जाकर इस योजना के लिए आवेदन कर सकते है। 

ये भी पढ़े: भूमि की तैयारी के लिए आधुनिक कृषि यंत्र पावर हैरो (Power Harrow)

डीबीटी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है क्योंकि बिना रजिस्ट्रेशन नंबर OFMAS  पर आवेदन स्वीकार नहीं किया जायेगा। इस योजना की अधिक जानकारी के लिए अपने जिले के निदेशक या जिला कृषि पदाधिकारी से संपर्क कर सकते है। 

सबसॉइलर मशीन (Subsoiler Machine) के लिए आवेदन करने हेतु जरूरी दस्तावेज 

  1. आधार कार्ड 
  2. पैन कार्ड 
  3. जमीन के जरूरी कागजात 
  4. बैंक की पासबुक 
  5. मोबाइल नंबर 
  6. आय प्रमाण पत्र 
  7. निवास प्रमाण पत्र 

समूह बनाकर पाएं कृषि यंत्रों पर लाखों की छूट

समूह बनाकर पाएं कृषि यंत्रों पर लाखों की छूट

सरकार चाहती है कि किसान पराली को न जलाएं। उसका खेती में उपयोग करें। छोटे किसान भी 11 लोगों का समूह बनाकर आधुनिक मशीनों से लैस हो जाएं। इसके लिए सरकार ने कस्टम हायरिंग स्कीम लांच की है। भारत सरकार, के कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, कृषि एवम किसान कल्याण मंत्रालय की विभिन्न योजनाओ जैसे कि कृषि यांत्रिकीकरण पर उप मिशन (SMAM), राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) और फसल अवशेष प्रबंधन योजनाओ के अंतर्गत लगभग 38000 से अधिक कस्टम हायरिंग केंद्र, जिसमे की हाई-टेक हब के साथ फ़ार्म मशीनरी बैंक भी सम्मिलित हैं, स्थापित किये जा चुके हैं। इस ऐप को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। tractor

ये भी पढ़ें:
इस राज्य में कृषकों के लिए 110 तरह के कृषि यंत्रों पर मिल रही बंपर सब्सिड़ी देश भर के किसानो, विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसान, जो उच्च तकनीक व मूल्य की कृषि मशीनरी और उपकरण खरीदने में असमर्थ है, को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, ने सभी कृषि मशीनरी कस्टम सेवा प्रदाताओं और किसानों / उपयोगकर्ताओं को एक साझा मंच पर लाने के लिए एक एंड्रॉइड प्लेटफॉर्म के अनुकूल, बहुभाषी मोबाइल ऐप "सीएचसी- फार्म मशीनरी" विकसित किया है। इसके माध्यम से विभिन्न राज्यों के स्थानीय किसान फार्म मशीनरी बैंक/कस्टम हायरिंग सेंटर जैसे सभी कस्टम सेवा प्रदाताओं द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं का उपयोग बिना किसी कंप्यूटर सपोर्ट सिस्टम के कर सकते हैं| यह मोबाइल एप्लिकेशन पहले से ही कस्टम हायरिंग सेवा केंद्रो की तस्वीर/भौगोलिक स्थिति को  उसके भू-निर्देशांक की सटीकता के तथा उसमे उपलब्ध कृषि मशीनरी तस्वीरों को  अपलोड करता है। अभी तक इस  इस मोबाइल एप पर 40,000  से अधिक कस्टम हायरिंग सर्विस सेंटर उनमे उपलब्ध , 1,20,000 से अधिक कृषि मशीनरी को किराये पर दिये जाने हेतू पंजीकृत हो चुके हैं।

ये भी पढ़ें:
इस राज्य सरकार ने आल इन वन तरह का कृषि ऐप जारी कर किसानों का किया फायदा
आज इस ऐप को पूर्ण रूप से आम जनता/किसानों के लिये  किया जा रहा है। इस ऐप के माध्यम से किसान, विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसान की आसानी से उच्च मूल्य व तकनीक वाले कृषि यंत्रों तक पहुंच सम्भव होगी, और इन कृषि यंत्रों के प्रयोग से सभी प्रकार के  आदानो (इनपुट्स) के इष्टतम उपयोग के साथ-साथ न केवल किसानों की आय में भी वृद्धि होगी वरन कम समय सीमा मे अधिक से अधिक जोतों तक मशीनीकरण की  पहुंच बनाना भी संभव होगा।

कैसे मिलेगा लाभ

11 किसानों का समूह बनाया जाता है। इसमें 60 हार्स पावर के ट्रक्टर पर 40 प्रतिशत तक की छूट मिलती है।  इसके आलावा धान की पराली प्रबंधन में प्रयोग आने वाली कुल 10 मशीनों में से किन्हीं चुनिंद मशीनों पर 55 प्रतिशत तक का अनुदान सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है।

कौनसी हैं मशीन

  machine सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम, हैप्पी सीडर, पैडी स्ट्रा चापर, श्रेडर, मल्चर, श्रव मास्टर, कस्टर कम स्रपेडर, हाईड्रोलिक एमबी प्लाउू, रोटरी स्लेशर, जीरोटिल सीडकम फर्टिलाइजर ड्रिल शामिल हैं। इनमें से सभी या कोई भी चुनिंदा मशीनें किसान समूह बनाकर ले सकते हैं।
उत्तर प्रदेश में किसानों को कृषि यंत्रों पर अनुदान की योजना

उत्तर प्रदेश में किसानों को कृषि यंत्रों पर अनुदान की योजना

किसान आंदोलन को चलते चलते लगभग एक साल होने को है लेकिन अभी तक सरकार और किसानों के बीच कोई कहानी बनती नजर नहीं आ रही है. सरकार का अपना रवैया है और किसानों का अपना. धीरे धीरे सरकार अपनी योजनाएं लाकर किसानों को आकर्षित करने की कोशिश कराती नजर आ रही है. वैसे तो कृषि यंत्रों पर अनुदान की योजना साल दर साल आती ही है लेकिन इसका फायदा भोलेभाले किसानों को कितना मिलता है ये तो सबको पता है.सरकार से मेरीखेती टीम की तरफ से एक अनुरोध करना चाहूंगा की कम से कम सरकार ये पता करे की कितने किसान ऑनलाइन आवेदन करने की स्थिति में होते हैं? आज भी किसान अपना रजिस्ट्रेशन नहीं कर सकता. वो दूसरों पर इसके लिए आश्रित होता है. कई बार इसकी वजह से किसान का रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाता है और वो योजना से वंचित रह जाता है. और उस योजना का लाभ किसान नेता ज्यादा ले जाते हैं.



ये भी पढ़ें: प्रदूषण नियंत्रण में बेलर की उपयोगिता

उत्तर प्रदेश में किसानों को कृषि यन्त्र अनुदान योजना का शुभारम्भ आज यानि शुक्रवार से शुरू हो रही है. कृषि विभाग के पोर्टल पर किसान ऑनलाइन बुकिंग करा सकते हैं. पोर्टल पर बुकिंग मंडल के हिसाब से होगी जिसे दिनांक के हिसाब से नीचे दिया गया है. 12 नवंबर : गोरखपुर मंडल 13 नवंबर : अयोध्या मंडल 15 नवंबर : कानपुर एवं विंध्याचल मंडल 16 नवंबर : अलीगढ़ एवं लखनऊ मंडल 17 नवंबर : चित्रकूटधाम एवं मुरादाबाद मंडल 18 नवंबर : मेरठ मंडल



ये भी पढ़ें: उत्तर प्रदेश के 35 जनपदों के किसानों को राहत, मिलेगा फसल नुकसान का मुआवजा

कृषि यंत्रों पर छूट पहले आओ पहले पाओ के हिसाब से मिलेगी. मंडलवार तारीख के हिसाब से आप जिस मंडल में आते हो उसी हिसाब से समय से अपना रजिस्ट्रेशन कराएं तथा इस योजना का लाभ उठायें. योजना का लाभ उठाने के लिए आप इस लिंक पर क्लिक करें : http://upagriculture.com/ आजकल किसान जोरशोर से रबी की फसल की बुवाई में व्यस्त है. सरकार की मंशा भी किसानों को कृषि यन्त्र पर अनुदान देने की थी लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री श्री कल्याण सिंह जी के आकस्मिक निधन तथा वेबसाइट हैक हो जाने के कारण यह योजना अक्टूबर में नहीं क्रियान्वय हो सकी. गोरखपुर मंडल के किसानों को पोर्टल पर रजिस्टर करने में समस्या होने पर उच्च अधिकारीयों से इसकी शिकायत की गई. शिकायत की जाँच करने पर पाया गया की तय समय से पहले ही इसमें अनुदान के लिए आवेदन हो चुके थे. उच्च अधिकारीयों की संतुति पर इसकी जाँच साइबर सेल को सौंप दी गई है जो की अभी प्रक्रिया चल रही है. संयुक्त निदेशक अभियंत्रण नीरज श्रीवास्तव जी के अनुसार अभी 9 मंडलों के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू इस शुक्रवार से शुरू कर दी गई है, जिससे की किसानों को इसका फायदा मिल सके. कृषि यंत्रों की बुकिंग 12 नवंबर शुक्रवार 11 बजे से 18 नवंबर तक चलेगी. अनुदान में आने वाले यंत्रों की संख्या लगभग 30000 है.10 हजार रुपये तक के अनुदान पर कोई जमानत राशि नहीं लगेगी. कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं छोटे गोदाम, थ्रेसिंग फ्लोर, कस्टम हायरिंग सेंटर आदि के लिए यंत्र बुक होंगे. इसमें जिन यंत्रों पर दस हजार रुपये तक का अनुदान मिलना है, उसके लिए किसान को जमानत राशि नहीं देनी होगी. दस हजार से एक लाख रुपये तक अनुदान वाले कृषियंत्र के लिए 2500 और एक लाख रुपये से अधिक अनुदान वाले कृषि यंत्र के लिए 5000 रुपये जमानत राशि देनी होगी. अनुदान 40 से 50 प्रतिशत तक का मिलेगा.
२०२२-२३ के लिए कृषि यंत्रों पर अनुदान प्राप्त करने के लिए आवेदन की प्रकिया जारी : डा. कर्मचंद, हरियाणा

२०२२-२३ के लिए कृषि यंत्रों पर अनुदान प्राप्त करने के लिए आवेदन की प्रकिया जारी : डा. कर्मचंद, हरियाणा

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक डा. कर्मचंद ने बताया कि किसानों के लिए 2022-23 स्कीम के तहत अनुदान देने के लिए विभिन्न कृषि यंत्रों पर विभाग के द्वारा आवेदन स्वीकार किए जा रहे हैं। कृषि यंत्रों में इच्छुक किसान इस योजना का लाभ लेने के विभागीय पोर्टल पर 27 मई तक आनलाइन आवेदन कर सकते हैं। 

ये भी देखें: भूमि विकास, जुताई और बीज बोने की तैयारी के लिए उपकरण 

२०२२-२३ के लिए कृषि यंत्रों पर अनुदान के तहत, श्री डॉ कर्म चंद बताया कि विभाग द्वारा कृषि यंत्रों जैसे- काटन सीड ड्रिल, ट्रैक्टर माउंटेड स्प्रे पंप, डायरेक्ट सीडेड राइस मशीन, ट्रैक्टर माउंटेड रोटरी वीडर (दो से तीन रो), पावर टीलर (12 एचपी से अधिक), ब्रिक्वेट मेकिग मशीन, रीपर बाइंडर स्वचालित, मेज प्लांटर, मेज थ्रेसर, न्यूमेटिक प्लांटर पर आवेदन स्वीकार किए जा रहे हैं। इसमें व्यक्तिगत व सामान्य श्रेणी में अधिकतम 40 प्रतिशत व अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, छोटे व सीमांत किसान और महिला किसान के लिए 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। 

ये भी देखें: धान की फसल काटने के उपकरण, छोटे औजार से लेकर बड़ी मशीन तक की जानकारी 

डा. कर्मचंद ने बताया कि २०२२-२३ के लिए कृषि यंत्रों पर अनुदान के लाभ लेने के इच्छुक किसान को मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर अपना पंजीकरण कराना होगा, जिसके लिए किसान को एक शपथ पत्र व एक स्वयं घोषणा पत्र जमा करवाना होगा। वहीं आनलाइन आवेदन के लिए किसान के नाम जिला में पंजीकृत ट्रैक्टर की वैध आरसी (केवल ट्रैक्टर चालित यंत्रों के लिए) परिवार पहचान पत्र, बैंक खाता तथा आधार कार्ड की आवश्यकता होगी। 

इसके अलावा, एक किसान किसी भी तरह के अधिकतम तीन कृषि यंत्र ही ले सकता है और जिन किसानों ने पिछले पांच वर्षों में इन कृषि यंत्रों पर अनुदान लिया है वे इस स्कीम में उस कृषि यंत्र पर आवेदन करने के पात्र नहीं होंगे। आनलाइन आवेदन करने के लिए किसान को ढाई लाख से कम कीमत के यंत्रों के लिए 2500 रूपए एवं ढाई लाख या उससे अधिक कीमत के यंत्रों के लिए 5000 रुपये टोकन राशि अलग-अलग आनलाइन ही जमा करवानी होगी, जो कि चयन प्रक्रिया के पश्चात किसान के खाते में वापिस जमा करवा दी जाएगी। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए उप निदेशक, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग में संपर्क किया जा सकता है।  

1277 किसानों ने खंडवा में प्राकृतिक खेती के लिए पोर्टल पर करवाया पंजीकरण

1277 किसानों ने खंडवा में प्राकृतिक खेती के लिए पोर्टल पर करवाया पंजीकरण

खंडवा जिले में नर्मदा नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए प्राकृतिक खेती करना आवश्यक है. मध्यप्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती में इच्छुक किसानों के लिए एक वेबसाइट बनाई है. जो भी किसान प्राकृतिक खेती के लिए रजिस्ट्रेशन करना चाहता है वो प्राकृतिक कृषि पद्धति - किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग मध्यप्रदेश  के आधिकारिक वेबसाइट: http://mpnf.mpkrishi.org/ पर जाकर रजिस्ट्रेशन करवा सकते है.

ये भी पढ़ें: जानिए क्या है नए ज़माने की खेती: प्रिसिजन फार्मिंग
 

प्राकृतिक खेती के लिए खंडवा जिले से 1277 किसान, खरगोन से 2052, बड़वानी जिले से 2130 किसान प्राकृतिक खेती के लिए आगे आए. 1223 कृषि अधिकारी, कर्मचारी व किसानों को प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए शामिल किया गया है.

ये भी पढ़ें: भारत सरकार द्वारा लागू की गई किसानों के लिए महत्वपूर्ण योजनाएं

करोड़ों रुपए बचेंगे कीटनाशक, खाद के कम इस्तमाल से

जैसा कि हम सब जानते है की आज - कल खेती में खाद और कीटनाशकों का इस्तमाल होता है. खाद और कीटनाशक खरीदने के लिए रुपए भी लगते है. कृषि अधिकारियों के मुताबिक ये लगभग 9000-9500 रुपए प्रति हेक्टेयर खाद के लिए और 4000-5000 कीटनाशक के लिए लगते है. यदि दोनों को मिलाया जाए तो ये लगभग 1400-1500 रुपए होते है. यही पूरे जिले का मिलाए तो करोड़ों होते है. वहीं यदि इसका इस्तमाल कम कर दिया जाए तो करोड़ों का फायदा होगा.

ये भी पढ़ें: उत्तर प्रदेश में जैविक खेती से बढ़ी किसानों की आमदनी

कितने किसानों ने कौन - कौन जिले से पंजीकरण करवाया है

इस योजना में बहुत से किसानों ने अपना सहयोग दिखाया है. जैसे- इंदौर से 1567, बुरहानपुर से 684, खरगोन से 2052, बड़वानी से 2130, खंडवा से 1277, धार से 836, आलीराजपुर से 1389, झाबुआ से 958. कुल मिलाकर - 10893 किसानों ने प्राकृतिक खेती के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया.