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फसल की कटाई के आधुनिक यंत्र

फसल की कटाई के आधुनिक यंत्र

जैसे जैसे किसान की खेती की जोत छोटी होती जा रही है उसी तरह से आजकल नए नए कृषि यन्त्र भी बाजार में आ रहे हैं. अभी रबी की फसल खेतों में शान से लहलहा रही है, किसान अपनी फसल के रंग और आकार को देख कर ही फसल के उत्पादन का अंदाज लगा लेता है. 

अभी किसान की रबी की फसल की कटाई मार्च से शुरू हो जाएगी और जैसा की सभी की फसल की कटाई इसी समय होती है तो जाहिर सी बात है मजदूरों की कमी किसान को होती है. 

कहते हैं न कि "आवश्यकता अविष्कार कि जननी है" तो किसानों कि इसी आवश्यकता को पूरा करने के लिए हमारे कृषि वैज्ञानिक रात दिन मेहनत कर रहे हैं. 

जब किसान अपने पूरे खेत कि जुताई बुबाई बैलों से नहीं कर पाता था तो ट्रेक्टर आया और जब खेत में फसल की कटाई समय से नहीं हो रही थी तो उसके लिए फसल कटाई के लिए मशीन भी बाजार में आ गई. आज हम इन्हीं मशीनों के बारे में चर्चा करेंगें:

रीपर बाइंडर (Reaper Binder):

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रीपर बाइंडर मशीन इंजन द्वारा चलती है और इसको चलाना भी आसान होता है. इससे किसान कम डीजल खर्चा में ज्यादा काम कर सकता है तथा इससे उसको भूसा भी पूरा मिल जाता है तथा किसान को फसल को इकठ्ठा करने में भी दिक्कत नहीं होती है क्यों की इसको रीपर काटने के साथ साथ उसकी पूरै भी बना देती है. 

ये भी पढ़े: धान की फसल काटने के उपकरण, छोटे औजार से लेकर बड़ी मशीन तक की जानकारी 

इससे किसानों को मजदूरों की समस्या से कुछ हद तक छुटकारा मिल जाता है. आजकल खेती में कुशल मजदूरों की बहुत ही समस्या है. 

कई बार किसान की पाकी हुई फसल मजदूर न मिलने की वजह से काफी नुकसान होता है. इस नुकसान से बचने के लिए ये छोटी कटाई मशीन बहुत ही काम की मशीन है.

हाथ का रीपर:

हाथ से काटने वाला रीपर भी आता है लेकिन वो फसल के पूरै नहीं बनता है वो एक साइड में कटी हुई फसल को डालता जाता है. बाद में उसे मजदूरों की सहायता से पूरै बना दिया जाता है. 

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन: यह मशीन बहुत महँगी होती है तथा ये बड़े किसानों के लिए उपयोगी है. छोटे किसान इसको किराये पर लेकर भी अपनी फसल की कटाई करा सकते हैं. 

इससे कम समय में ज्यादा काम किया जा सकता है. ये फसल को ज्यादा ऊपर से काटती है जिससे बाद में इसके तूरे से भूसा बनाया जा सकता है. 

इसमें किसान अपनी फसल को समय से लाकर बाजार में ले जा सकता है. इसमें कम समय में किसान की फसल भूसे से अलग हो जाती है. कंबाइन हार्वेस्टर मशीन की ज्यादा जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें.

स्ट्रा-रीपर (Straw Reaper) या भूसा बनाने वाली मशीन:

स्ट्रा-रीपर या आप कह सकते हैं की भूसा बनाने वाली मशीन छोटे और बड़े दोनों किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. जो किसान कंबाइन हार्वेस्टर मशीन से खेत को भूसा न बनने की वजह से कटवाने से डरते थे अब वो भी कंबाइन हार्वेस्टर से अपनी फसल कटवाने लगे हैं. 

क्यों की अब स्ट्रा-रीपर से भूसा बनाना आसान हो गया है. चूँकि किसान पशु भी पालते हैं और इसके लिए उन्हें भूसा भी चाहिए. तो भूसा की जरूरत रखने वाले किसानों के लिये तो हाथ से फसल कटवाना मजबूरी भी थी लेकिन जो किसान पशु नहीं पालते हैं,  वो कंबाइन मशीन से फसल कटवाने के इच्छुक भी थे लेकिन वो परेशान भी भी कम नहीं थे. 

क्योंकि कम्बाइन मशीन 30 से 35 सेंटीमीटर ऊपर से ही गेहूं की बालियों को काटती है इसलिए मशीन से कटवाने पर अनाज के नुकसान होने का खतरा रहता है. कम्बाइन मशीन नीचे गिरी हुई बालियों को उठा नहीं पाती है. 

ऐसे में भूसा बनाने वाली मशीन लोगों के लिये वरदान साबित हो रही है. इससे फसल कटवाने पर किसानों कई प्रकार का फायदा होता है. 

पहली बात तो ये कि उन्हें गेहूं के दानों के साथ साथ भूसा भी मिल जाता है. इससे पशुओं के लिये चारे की समस्या खड़ी नहीं होती. 

दूसरा जो दाना मशीन से खेत में रह जाता है उसको ये मशीन उठा लेती है. जिसको की किसान अपने पशु के दाने के रूप में प्रयोग कर लेता है क्योंकि इसमें मिटटी आने की सम्भावना रहती है.

कटर थ्रेसर (Cutter Thresher):

अगर हम कटर थ्रेसर की बात करें तो इसने भी किसानों की जिंदगी बहुत आसान कर दी है. जब किसान हाथ से फसल कटवाते थे तो अनाज को अलग करने के लिए फसल की मिडाई करने के लिए बैल या ट्रेक्टर चला के अनाज को अलग किया जाता था. 

उसके बाद थ्रेसर से करने लगे. 40 क्विंटल अनाज निकालने में 15 घंटे का समय लग जाता था जो की एक बड़े किसान के लिए बहुत ही मेहनत का काम था. 

उसके बाद कटर थ्रेसर आया जो की बहुत ही जल्दी अनाज और भूसा अलग कर देता है. आज के समय में कटर थ्रेसर बहुत ही उपयोगी मशीनरी बनी हुई है। 

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चारा काटने की मशीन:

पशुपालन और खेती दोनों एक दूसरे के पूरक हैं. किसान खेती के साथ साथ पशु पालन भी करता है. खेती से उसके पशुओं का चारा भी आ जाता है और उसके लिए पैसे कमाने का दूसरा जरिया भी बन जाता है. 

पुराने समय में चारा काटने के लिए किसान को बहुत मेहनत करनी पड़ती थी. कम से कम 3  आदमी चारा काटने की मशीन को चलाने के लिए चाहिए होते थे. 

लेकिन अब किसान ने भी इसका समाधान ढूंढ लिया और आज एक ही आदमी 10 - 15 पशुओं का चारा काट देता है वो भी 10 से 15 मिनट में.

चारा काटने की मशीन कैसे काम करती है:

चारा काटने की मशीन को दो आदमी उसके चक्र को हत्था के द्वारा घुमाते हैं तथा एक उसमें चारा डालने का काम करता है. यह बहुत ही मेहनत वाला काम है. इसमें किसान को बहुत समय लगता था और मेहनत भी बहुत होती थी.

इंजन से चलाने वाली मशीन:

इस मशीन को इंजन या बिजली से भी चलाया जा सकता है. इससे सिर्फ एक आदमी की आवश्यकता होती है वही आदमी अकेला ४ आदमी के बराबर काम कर लेता है. 

नीचे दिए वीडियो में देखें अंत में  हम कह सकते हैं की "Technology is a great servant, but a bad master." मशीनीकरण को हम अपने भले के लिए प्रयोग करें तो अच्छा है अन्यथा इसके दुष्परिणाम भी हम को ही झेलने पड़ते हैं.

जैसे की खड़ी फसल को कटवाने के अपने फायदे है तो कुछ नुकसान भी हैं. अगर हम फसल के अवशेष का भूसा बनवा लेते हैं तो ये हमारे लिए लाभदायक है और अगर हम इसके अवशेषों को जलाते हैं तो ये प्रक्रिया हमारी बहुत ही उपजाऊ जमीन को भी बंजर बनाने में बहुत ज्यादा समय नहीं लेती है. 

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भूमि की तैयारी के लिए आधुनिक कृषि यंत्र पावर हैरो (Power Harrow)

भूमि की तैयारी के लिए आधुनिक कृषि यंत्र पावर हैरो (Power Harrow)

किसान भाइयों को एक फसल पकने के बाद दूसरी फसल के लिए खेत को तैयार करना होता है। उस समय खेत की मिट्टी सख्त हो जाती है और पूर्व फसल के अंश रह जाते हैं और खरपतवार भी होता है। इन सबको कम्पोस्ट खाद बनाने और मिट्टी पलटने के लिए कृषि यंत्र हैरो(Harrow) का  इस्तेमाल किया जाता है। ट्रैक्टर चालित यंत्र हैरो खेत की मिट्टी को इस तरह से पलटता है कि खेत में मौजूद कूड़ा-कचड़ा व हरियाली जमीन में दब जाती है। जो जैविक खाद में परिवर्तित हो जाती हैं। इससे खेत को उपजाऊ बनाने में मदद मिलती है। आइये जानते हैं कि हैरो किस तरह से खेत को तैयार करने का काम करना है और खेती के लिए कितना उपयोगी है।

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नई फसल के लिए खेत को तैयार करने के लिए पहले बैलों के बीचे गहरी जुताई करने वाले हल का प्रयोग किया जाता था। इससे खेत की कई बार जुताई करनी होती थी। उसकी खरपतवार हटाने के लिए मजदूरों को लगाना होता था और उसके बाद खेत की मिट्टी को महीन करने के लिए यानी ढेले फोड़ने के लिए पाटा चलाना पड़ता था। इसमे किसान भाइयों का समय अधिक लगता था और मेहनत भी अधिक करनी होती थी। खास बात यह है कि फसल कटाई के बाद अप्रैल,मई व जून की भीषण गर्मी की प्रचण्ड धूप में किसान भाइयों को पसीना बहाना पड़ता था। लेकिन अब हैरो नामक कृषि यंत्र ने किसानों की इन सारी समस्याओं का हल निकाल लिया है। कृषि यंत्र हैरो

कहां-कहां काम कर सकता है हैरो(Harrow)

जुताई के अन्य यंत्र जहां सामान्य एवं मुलायम मिट्टी वाले खेतों को तैयार करने के काम में आते हैं, वहीं हैरो सख्त जमीन व पथरीली जमीन, अधिक खरपतवार वाली जमीन में आसानी से काम करता है। इसकी डिस्क यानी वर्टिकल टाइन आसानी से सख्त से सख्त मिट्टी को काट कर पलट देती है। साथ ही जमीन में चाहे ही कितनी भी अधिक खरपतवार हो उसे जमीन में दबा देती है। किसान भाइयों मिट्टी पलटने से जहां जैविक खाद का लाभ मिलता है वहीं इसको खुला छोड़ने से जमीन लगने वाली व्याधियां व कीट भी नष्ट हो जाते हैं। इससे अगली फसल में अच्छा उत्पादन भी मिलता है।

क्यारियां व बाग-बगीचा बनाने के काम आता है हैरो(Harrow)

खेत की जुताई के साथ नर्सरी के लिए क्यारियों या बैड बनाने के काम में हैरो का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा सख्त जमीन की जुताई में सक्षम होने के कारण हैरो का इस्तेमाल बाग-बगीचा लगाने के लिए भी जमीन को तैयार करने में किया जाता है।

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हैरों(Harrow) के खेती से जुड़े मुख्य काम

हैरो विभिन्न धारदार कटिंग पहियों, डिस्क या टाइन के सेट को कहा जाता है। अब पहियों व कांटे जैसे स्पाइक वाले हैरो(Harrow) भी आ गये हैं। इस हैरों से खेत में क्या-क्या काम होते हैं, जानिये
  1. हैरो(Harrow) मिट्टी को पलटने का काम सबसे पहले करता है।
  2. हैरो(Harrow) खेत की पूर्व फसल के अवशेष व खरपतवार को जमीन में दबा देता है, जो खाद बन जाती है
  3. यदि नई फसल को नुकसान देने वाली सामग्री खेत में होती है उसको खेत से बाहर निकालने का भी काम हैरो करता है
  4. हैरो(Harrow) मिट्टी की गहरी जुताई करने के साथ उसके ढेलों को फोड़ने का भी काम करता है।
  5. हैरो(Harrow) जमीन की ऊपरी सतह को चिकनी व उपजाऊ बनाने का काम करता है
कृषि यंत्र हैरो

चार प्रकार के हैरो(Harrow) होते हैं

खेती को कई बार जुताई करने, पाटा चलाने, खरपतवार नियंत्रण करने के अलग-अलग कामों के लिए अलग-अलग प्रकार के हैरों(Harrow) का इस्तेमाल किया जाता है। खेती की आवश्यकता को देखते हुए परम्परागत कार्यों के लिए हैरो को चार भागों में विभाजित किया गया है, जो इस प्रकार हैं:-
  1. डिस्क हैरो: हल्की जुताई, मिट्टी के ढेलों को तोड़ने तथा खेत की मिट्टी को भुरभुरी बनाने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।
  2. स्प्रिंग टूथ हैरो: यह हैरो जुताई के बाद ढेले तोड़ने तथा उनको ऊपर लाने ताकि पाटा से आसानी से टूट सकें जैसे काम के लिए उपयोगी होता है।
  3. चेन डिस्क हैरो: यह हैरो खेतों में खाद फैलाने और खरपतवार को एकत्रित करने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।
  4. लीवर हैरो या स्पाइक टूथ हैरो: बोये हुए खेत में उचित जमाव या हल्की वर्षा पड़ी हुई पपड़ी को तोड़ने के काम में आता है। इसका प्रयोग लाइन में या छिड़काव कर बोई फसल के छह-सात इंच तक बढ़ने के समय आसानी से किया जा सकता है।
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पहले ये हैरो बैलों से खिंचवा कर खेतों की तैयारी का काम कराया जाता था लेकिन अब ट्रैक्टर के पीछे हैरो को लगाकर काम किया जाता है। जो कम समय में अच्छा खेत तैयार करता है।

रोटरी पावर हैरो(Rotary Power Harrow) है सबसे अधिक लोकप्रिय

वर्तमान समय में हैरों के काफी संशोधन किये गये हैं और पारम्परिक हैरो की जगह पर रोटरी पॉवर हैरो यानी पॉवर हैरो(Power Harrow) आ गया है। यह पॉवर हैरो कम समय में बहुत अच्छा काम करता है। 50 हॉर्स पॉवर के ट्रैक्टर से चलने वाले इस हैरो से जहां मिट्टी पलटाने से लेकर खेत को बुवाई के लिए बहुत जल्दी तैयार करने में मदद मिलती है।

हैरों(Harrow) की कुछ खास जानकारियां

  1. हैरो की अनेक किस्में होतीं हैं । इन किस्मों में सिंगल टाइन सेट, डबल टाइन सेट या मल्टी टाइन सेट वाले हैरो शामिल हैं। इनके प्रयोग को देखते हुए इनकी टाइन में कटिंग वाले टाइन, सेमी कटिंग वाले टाइन, स्पाइक आदि को लगाया जाता है।
  2. हैरो का वजन 400 किलो से लेकर 2000 किलो तक होता है। ये छह ब्लेड से लेकर 28 ब्लेड वाले होते हैं। इनकी चौड़ाई एक मीटर से लेकर पांच मीटर तक की होती है। इसके अलावा ये 35 हॉर्स पावर से लेकर 100 हार्स पावर तक के होते हैं।

कृषि यंत्र हैरो

हैरो(Harrow)की कीमत

हैरो(Harrow) की कीमत उनकी लम्बाई, चौड़ाई व वजन, ब्लेडों की संख्या, व हॉर्स पॉवर आदि पर निर्भर करती है। वैसे यह अनुमान लगाया जाता है कि हैरो की कीमत उनके काम करने की क्षमता उपयोगिता के अनुसार 50,000 से लेकर 1.5 लाख रुपये तक होती है।
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हैरों(Harrow) की विशेषताएं

जो किसान भाई अपनी खेत की सेहत का ध्यान रखते हैं, अपने मन मुताबिक फसल लेना चाहते हैं, कम समय, कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली खेती करना चाहते हैं, वे कृषि यंत्रों का सहारा लेते हैं। इन कृषि यंत्रों में सबसे पहले हैरो का इस्तेमाल किया जाता है। पॉवर हैरो एक बार में ही मिट्टी जुताई, ढेले फोड़ने पाटा चलाने का काम करता है। पॉवर हैरो या अन्य हैरो में वर्टिकल टाइन के कई सेट लगे होते हैं।  पॉवर हैरो(Power Harrow) के टाइन का पहला सेट खेत की मिट्टी को पलटने का काम करता है तो दूसरा सेट उस मिट्टी के ढेले को फोड़ने और उसे महीन बनाने का करता है। हैरो(Harrow) का प्रयोग करने से खेत की जमीन समतल ही हो जाती है। गहरी जुताई के कारण खेत में नमी अधिक समय तक रहती है । इससे बीजों का अंकुरन अच्छी तरह से हो सकता है। इस तरह से हैरो(Harrow) से एक या दो बार की जुताई से खेत बुवाई के लिए तैयार हो जाता है। खेत में नर्सरी लगाने के लिए हैरो की एक ही जुताई काफी होती है। उसके बाद खाद प्रबंधन करके बुवाई शुरू कर दी जाती है।

हैरो(Harrow) की खरीद पर कितनी सब्सिडी(Subsidy) मिलती है

सरकार द्वारा कृषि यंत्रों के उपयोग करके फसल को बढ़ाने तथा किसान भाइयों की आमदनी बढ़ाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रहीं है। इन योजनाओं में कृषि यंत्रों की खरीद पर सब्सिडी(Subsidy) भी दिया जाना शामिल है।
  1. यह सब्सिडी(Subsidy) गरीब व दलित किसानों व छोटे काश्त वो किसानों को अलग-अलग तरह से दी जाती है।
  2. प्रत्येक राज्य ने अपने राज्य के किसानों की सुविधा के लिए सब्सिडी(Subsidy) के अलग-अलग नियम व कानून बना रखे हैं। इन नियमों व कानूनों के बारे में जानकार या सम्बन्धित विभाग के अधिकारियों से पूरी प्रक्रिया को जानकर आवेदन करके उसका लाभ प्राप्त करें।
  3. हैरो(Harrow) की खरीद के बारे में जानकार लोगों का अनुमान है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के किसानों और महिला किसान को हैरो की खरीद पर 63 हजार रुपये की सब्सिडी(Subsidy) मिलती है। इसके अलावा सामान्य किसानों को हैरो(Harrow) की खरीद पर 50,000 रुपये की सब्सिडी(Subsidy) मिलती है। विस्तृत जानकारी विभागीय अधिकारियों से प्राप्त करें।

किराये पर भी चलाकर उठा सकते हैं लाभ

कृषि यंत्र काफी महंगे होते हैं और हमारे देश में छोटी काश्त वाले किसानों की संख्या अधिक है, जो इन महंगे कृषि यंत्रों को आसानी से नहीं खरीद सकते हैं। इनकी खरीद के लिए सरकार द्वारा लाभ दिये जाने के लिए शर्तें  भी ऐसी होती हैं जो अधिकांश किसान पूरी नहीं कर पाते हैं। इसके बावजूद उन्हें इन कृषि यंत्रों की सेवाओं की जरूरत होती है। इसके लिए सरकार ने भी सेवा केन्द्र खोल रखे हैं जहां किराये पर कृषि यंत्रों की सेवाएं ली जा सकतीं हैं। इसके साथ ही कुछ हमारे किसान भाई भी अपनी क्षमता के अनुसार कृषि यंत्रों को खरीद कर उन्हें किराये पर चला कर लाभ कमाते हैं। जहां हैरो के मालिक को किराया मिलता है वहीं सेवाएं लेने वाले किसानों को जल्दी व बिना मेहनत के खेत तैयार करने का लाभ मिलता है।
एक घंटे में होगी एक एकड़ गेहूं की कटाई, मशीन पर सरकार की भारी सब्सिडी

एक घंटे में होगी एक एकड़ गेहूं की कटाई, मशीन पर सरकार की भारी सब्सिडी

इस सीजन में किसानों को कटाई के लिए मशीने भी कम कीमतों पर दी जाती हैं. जिनकी मदद से गेहूं कटाई में काफी समय लगता है. गेहूं के अच्छे उत्पादन के लिए किसान भी काफी मेहनत करते हैं. 

हालांकि गेहूं की फसल पककर तैयार हो चुकी है. जिसके बाद जल्द कटाई का काम भी शुरू हो जाएगा. इसमें समय, मेहनत और लागत कम करने के लिए कृषि मशीनों का उपयोग किये जाने की सलाह दी जाती है. 

लेकिन मशीनों से कटाई और गहाई के के बाद अक्सर पराली की समस्या हो जाती है. कटाई के बाद निकली फूंस को जानवरों के चारे के लिए इस्तेमाल किया जाता है. देश के अलग अलग राज्य की सरकारें मशीनों को खरीदने के लिए सब्सिडी देती है. 

 राजस्थान के कोटा में कुछ दिन पहले कृषि मोहत्सव का आयोजन हुआ था. जिसमें ऐसी ही एक मशीनरी आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी. इस मशीन का नाम रीपर ग्राइंडर था. 

इस मशीन की सबसे बड़ी खासियत यही है कि, ये मात्र एक घंटे में एक एकड़ गेहूं की फसल की कटाई कर सकती है. अगर किसान इस मशीन को खरीदता है, तो राज्य सरकार की तरफ से इसमें 50 फीसद तक सब्सिडी मिलती है.

रीपर ग्राइंडर के बारे में

इस मशीन से गेहूं की फसल काटने के लिए 5 से 10 मजदूरों की जरूरत पड़ सकती है. 10 एचपी के इंजन वाली मशीन की मदद से सिर्फ एक घंटे में एक एकड़ फसल की कटाई हो सकती है. 

रीपर ग्राइंडर की मदद से गेहूं के अलावा जौ, बाजरा, सरसों, धान की फसलों की कटाई कर सकते हैं. रीपर ग्राइंडर ना सिर्फ फसलों की कटाई करती है बल्कि, उपज को साइड में फैला देती है. 5 फीट तक की लंबी फसल की कटाई इस मशीन से की जा सकती है. एक घंटे चलाने के लिए इस मशीन में एक लीटर तेल लग जाता है. 

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सरकार की तरफ से मिलता है अनुदान

अगर किसान इस मशीन को खरीदना चाहते हैं, तो वो इसका कोई भी साइज़ चुन सकते हैं. जिसकी कीमत 50 हजार से लेकर 5 लाख रुपये तक हो सकती है. जिसके लिए सरकार की ओर से 50 फीसद तक सब्सिडी दे रही है. 

रीपर ग्राइंडर को खरीदने के लिए किसान को मशीन के डीलर से कोटेशन लेना पड़ेगा. जो अपने जिले के कृषि विभाग के ऑफिस में जमा करना होगा. इस मशीन को खरीदने के लिये कुछ जरूरी कागजों की जरूरत पड़ती है.

जिसमें आधार कार्ड की कॉपी, जमीन के कागज, बैंक की पासबुक की कॉपी शामिल है. इसके अलावा ई-मित्र सेंटर की मदद से ऑनलाइन आवेदन भी कर सकते हैं.

धान की फसल काटने के उपकरण, छोटे औजार से लेकर बड़ी मशीन तक की जानकारी

धान की फसल काटने के उपकरण, छोटे औजार से लेकर बड़ी मशीन तक की जानकारी

हमारे देश के बड़े भूभाग में धान की फसल की जाती है। पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत में तो धान की ही मुख्य फसल होती है। धान की फसल की बुआई, रोपाई और कटाई में बहुत से श्रमिकों की आवश्यकता होती है। किसान भाइयों आज का समय पैसे कमाने का समय है। प्रत्येक व्यक्ति अपने परिश्रम का अधिक से अधिक मेहनताना लेना चाहता है। इसके लिए आज के श्रमिकों ने खेती किसानी का काम छोड़ करन परदेश जाकर कारखानों में काम करना शुरू कर दिया है। इस वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में श्रमिकों का अभाव हो गया है। इस वजह से खेती किसानी करना बहुत मुश्किल होता जा रह है। जो श्रमिक गांवों में बचे रह गये हैं वे भी अपने अन्य भाइयों के समान औद्योगिक श्रमिकों की तरह मेहनताना मांगते हैं। इससे खेती की लागत उतनी अधिक बढ़ जाती है जितना उत्पादन नहीं हो पाता है। इसलिये किसान भाई वो काम नहीं कर पाते हैं।

धान की फसल की बुआई, रोपाई और कटाई

Content

  1. समय पर कटाई से बच जाता है नुकसान
  2. हंसिया (Sickle)
  3. ब्रश कटर (Brush Cutter)
  4. क्या होता है ब्रश कटर
  5. कम्बाइंट हार्वेस्टर (Combined Harvester Machine)
  6. क्या होती है कम्बाइंड हार्वेस्टर मशीन (Combined Harvester Machine)
  7. क्या होता है कम्बाइंड हार्वेस्टर कटर
  8. रीपर मशीन (Reaper Machine)
  9. क्या होता है रीपर मशीन
  10. हाथ से चलने वाली मशीन (हैंड रीपर)
  11. छोटे वाहन वाली मशीन (सेल्फ प्रॉपलर मशीन)
  12. ट्रैक्टर से चलने वाली मशीन (ट्रैक्टर माउंटेड)

समय पर कटाई से बच जाता है नुकसान

खेती किसानी का काम समय से होना चाहिये तभी आपको अधिक उत्पादन मिल सकता है। श्रमिकों के अभाव में किसान भाइयों की खेती प्रभावित होती है। कभी लेट बुआई होती है तो कभी निराई गुड़ाई नहीं हो पाती है। कभी सिंचाई देर से हो पाती है अथवा फसल की आवश्यकतानुसार सिंचाई नहीं हो पाती है। कीट व रोग के प्रकोप से नियंत्रण में भी असर पड़ता है। कुल मिलाकर श्रमिकों के बिना खेती पूरी तरह से प्रभावित होती है। ऐसी स्थिति में किसान भाइयों को खेती के आधुनिक तरीके और आधुनिक उपकरणों और मशीनों का इस्तेमाल करना चाहिये। इन मशीनों व उपकरणों से मानव श्रम से अधिक और बहुत ही साफ सुथरा काम हो जाता है। लागत  व समय भी कम लगता है। आइये हम आज धान की फसल को काटने वाली छोटे उपकरण से लेकर बड़ी मशीनों तक की चर्चा करेंगे। जो इस प्रकार है:-
  1. हंसिया या हंसुआ: (Sickle)

यह किसानों का पारंपरिक कटाई का औजार, उपकरण या हथियार है। इससे किसी प्रकार की फसल की कटाई की जा सकती है। धान की फसल की कटाई इसी हथियार से की जाती है। छोटे किसान आज भी अपने परिवार के साथ इसी हथियार से कटाई करते हैं। इससे फसल की कटाई में काफी समय लगता है। जब धान की फसल पक गयी हो और खेत में पानी भरा हो तब यही हथियार फसल की कटाई के काम आता है।
  1. ब्रश कटर (Brush Cutter)

हाथ से कटाई करने में बहुत श्रमिक और बहुत समय लगता है। इससे किसान भाइयों का समय व पैसा बहुत बर्बाद होता है। धान की फसल की समय पर कटाई होनी बहुत जरूरी होती है। यदि समय पर धान की फसल की कटाई नहीं की गई तो बहुुत नुकसान होता है। आज के समय में खेतों में काम करने वाले मजदूर न मिलने के कारण किसानों के समक्ष बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न हो गयी है। ऐसे में समय पर कटाई करना किसान भाइयों के लिए टेढ़ी खीर बन गयी है। इस समस्या को आधुनिक यंत्रों व मशीनों के द्वारा हल किया जा सकता है। पहले तो व्यापारियों ने धान की फसल कटाई के लिए बड़ी बड़ी मशीनें मार्केट में उतारीं, जिन्हें किराये पर लेकर काम कराया जा सकता था। लेकिन इन मशीनों का किराया भी इतना अधिक था कि प्रत्येक किसान उसको वहन नहीं कर सकता था। इसलिये अब बाजार में छोटी मशीनें आ गयी है। इसमें एक ब्रश कटर नाम से एक ऐसी मशीन आ गयी है, जिसको किसान अकेले ही दस मजदूरों के बराबर फसल की कटाई कर सकता है।  पेट्रोल से चलने वाली यह मशीन महीनों का काम घंटों में कर देती है। ये भी पढ़े: आधुनिक तकनीक अपनाकर घाटे से बचेंगे किसान

कितना है मैनुअल व मशीन के काम व दाम में अंतर

जानकार लोगों का दावा है कि एक एकड़ की मजदूरों द्वारा खेती की धान की फसल की कटाई पर लगभग 5 हजार रुपये का खर्च आता है। लेकिन इस मशीन से मात्र 500  रुपये में एक ही व्यक्ति कटाई कर सकता है। यदि किसान भाई यह काम करने में सक्षम हो तो ठीक वरना इस मशीन को चलाने वाले बहुत से लोग आ गये हैं। इस मशीन की खास बात यह है कि इसमें फसल के अनुसार ब्लेड लगाकर अलग-अलग तरह की फसलों की कटाई की जा सकती है। यह मंशीन कंधे पर टांग कर फसल की कटाई की जा सकती है। खेत में पानी भी भरा हो तब भी किसान भाई इस मशीन से कटाई कर सकते हैं। यदि किसान भाई इस मशीन की मेंटीनेंस अच्छी तरह से करे तो यह मशीन अपनी कीमत एक साल में ही निकाल देती है। यह मशीन अधिक महंगी भी नहीं है।

क्या होता है ब्रश कटर (Brush Cutter):-

ये भी पढ़े: भूमि की तैयारी के लिए आधुनिक कृषि यन्त्र पावर हैरो छोटे किसानों के लिए यह एक ऐसी आधुनिक मशीन है, जिसके माध्यम से किसान भाई केवल धान फसल की कटाइई ही नहीं कर सकते हैं बल्कि इससे अनेक प्रकार की फसलों च चारे की कटाई आसानी से कर सकते हैं। इस मशीन से खेतों में रुका हुआ थोड़ा बहुत पानी भी निकाल सकते हैं। अब यह मशीन पेट्रोल और मोबिल आयल से चलने वाली 4 स्ट्रोक वाली मोटर से लैस मशीन है। इसमें एक हैंडल दिया गया है। हैंडल के आगे कटर लगाने के लिए स्थान दिया गया है। इसमें आप अपनी जरूरत के ब्लेड लगाकर अपनी मनचाही फसल काट सकते हैं। इसका वजन 7 से 10 किलो तक का होता है।

किसी ट्रेनिंग की आवश्यकता नहीं

इस मशीन को चलाने के लिए कोई खास ट्रेनिंग नहीं लेनी होती है। शुरू के 10 से 15 मिनट में नये व्यक्ति को परेशानी होती है। एक बार इसको चलाने का तरीका जानने के बाद इसे आसानी से चलाया जा सकता है। इतनी ट्रेनिंग मशीन बेचने वाली कंपनी के टेक्नीशियन दे देते हैं। इसके अलावा इस मशीन को किसान भाई तो चला सकते हैं और उनकी अनुपस्थिति में घर की महिलाएं भी आसानी से चला सकतीं हैं।
  1. कम्बाइंड हार्वेस्टर मशीन (Combined Harvester Machine)

धान फसल की कटाई के लिए कम्बाइंड हार्वेस्ट मशीन का उपयोग तेजी से होने लगा है। इस मशीन के माध्यम से खेत में खड़ी फसल की बालियों यानी अनाज की कटाई की जाती है और उसकी मढ़ाई और गहाई की जाती है। यह मशीन जमीन से 30 सेंटीमीटर ऊपर से फसल काटती है और खेत में ठूंठ छोड़ देती है इससे पुआल का नुकसान होता है। दूसरा समय पर खेत को खाली करने के लिए किसान भाइयों को जल्दी होती है और उस समय कोई दूसरा उपाय न सूझने के कारण खेत में पराली को जला दिया जाता है। इससे जानवरों के चारे का नुकसान होता है दूसरा पर्यावरण प्रदूषित होता है।

नुकसान के बावजूद है फायदे का सौदा

हालंकि मजदूरों की अपेक्षा आधी कीमत पर बहुत कम समय में अच्छी तरह से कटाई, मढ़ाई और गहाई हो जाती है। इसलिये किसान भाई इस मशीन का इस्तेमाल करते हैं। इस तरह की मशीन का इस्तेमाल बड़े किसान भाई करते हैं जिनके पास लम्बी चौडी खेती है और समय पर मजदूर नहीं मिल रहे हैं तो उनके पास इसी तरह की मशीन का ही एकमात्र विकल्प बचता है। लेकिन इस मशीन की इस कमी को देखते हुए अनेक तरह के आकर्षक रीपर मार्केट में आ गये हें। जिनसे जमीन से 5 सेंटी ऊपर की कटाई की जाती है। इससे किसान भाइयों के समक्ष ठूंठ व पराली वाली समस्या नहीं आती है।  चारे व अन्य काम के लिए बची पुआल भी काम में आ जाती है।

क्या होती है कम्बाइंड हार्वेस्टर मशीन (Combined Harvester Machine)

यह मशीन वास्तव में बड़े किसानों के इस्तेमाल के लिए होती है। यह मशीन महंगी होती है तथा इसको किराये पर चलाने के उद्देश्य से भी लिया जा सकता है। यह मशीन सूखे खेत में ही चलाई जा सकती है। जो किसान भाई कम्बाइंड हार्वेस्टर मशीन का इस्तेमाल करना चाहें तो प्रॉपलर या ट्रैक्टर में लगाकर इस मशीन को इस्तेमाल कर सकते हैं। इस तरह की मशीन बनाने वालों में दशमेशर, हिंद एग्रो, न्यू हिन्द, प्रीत, क्लास आदि ब्रांड के हार्वेस्टर कटर आते हैं। ये चौड़ाई के अनुसार दो फिल्टर्स आते हैं। इनकी चौड़ाई 1 से 10 व 11 से 20 फीट तक होती है। इसके अलावा आप अपनी जरूरत के हिसाब की चौड़ाई वाले फिल्टर्स का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  1. रीपर मशीन (Reaper Machine)

यह भी ब्रश कटर से मिलती जुलती मशीन है। इस मशीन में भी कटर का इस्तेमाल होता है। इस मशीन की खास बात यह है कि यह कई साइजों में आती है। इस मशीन को किसान भाई अपनी क्षमता व जरूरत के हिसाब से लेकर इस्तेमाल कर सकते हैं अथवा किराये पर लेकर भी इस्तेमाल कर सकते हैं। यह मशीन हाथ ठेले के रूप में इस्तेमाल की जा सकती है, इसे मिनी ट्रैक्टर या छोटी गाड़ी में भी लगाकर फसल की कटाई की जा सकती है। इसको बड़े ट्रैक्टर में भी लगाकर फसल की कटाई की जा सकती है। यह मशीन धान की फसल की कटाई के लिए तो उपयुक्त है ही। साथ ही गेहूं  सहित अनेक फसलों को भी इससे काटा जा सकता है।

क्या होती है रीपर मशीन (Reaper Machine)

आधुनिक कृषि उपकरणों में इस मशीन की गिनती होती है। यह मशीन ऐसी है जिसे हर तरह का किसान अपनी क्षमता के अनुसार खरीद कर फसल की कटाई आसानी से कर सकता है। जहां पर फसल की कटाई के लिए कम्बाइंड हावेस्टर और ट्रैक्टर नहीं पहुंच पाता है वहां पर यह मशीन काम आती है। यह मशीन छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी आती है। मुख्यत: तीन प्रकार की ये मशीन होती है।
    1. हाथ से चलने वाली मशीन हैंड रीपर (Hand Reaper Machine)
    2. छोटे वाहन वाली मशीन सेल्फ प्रॉपलर मशीन (Self Propeller Machine)
    3. ट्रैक्टर से चलने वाली मशीन ट्रैक्टर माउंटेड (Tractor Mounted Machine)
  1. हाथ से चलने वाली मशीन हैंड रीपर (Hand Reaper Machine)

यह मशीन मूलत: छोटे किसानों के लिए होती है। यह एक पॉवरफुल मशीन होती है जो हाथों से एक व्यक्ति द्वारा चलाई जाती है। इसमें एक 5 हॉर्सपॉवर का इंजन लगा होता है। पेट्रोल व डीजल से चलने वाले इंजन अलग-अलग आते हैं। इसमें आगे की तरफ रीपर में ब्लेड़स लगे रहते हैं जिससे फसल की कटाई की जाती है। इसमें पीछे एक हैंडल लगा होता है और इसमें दो मजबूत रबर के टायर भी लगे होते हैं। हैंडल में दो गियर भी लगे होते हैं। किसान भाई हैंडल को पकड़ कर इस मशीन को खेतों में धकेलते जाते हैं और गियर के इस्तेमाल से फसल की कटाई होती रहती है। यदि इस मशीन को कहीं दूर ले जाना होता है तो इसको मोटर व मशीन को आसानी से अलग-अलग भी किया जा सकता है और इस्तेमाल के समय जोड़ा भी जा सकता है।
  1. छोटे वाहन वाली मशीन यानी सेल्फ प्रॉपलर मशीन (Self Propeller Machine)

जो किसान मध्यम श्रेणी में आते हैं और जिनकी खेती का रकबा थोड़ा बड़ा होता है, जो थोड़ा ज्यादा पैसा खर्च कर सकते हैं तो वे छोटे वाहन यानी सेल्फ प्रॉपलरवाली मशीनों को खरीद कर फसल की आसान कटाई कर सकते हैं। इसमें एक सीटर वाहन होता है। उसमें रीपर में ब्लेड लगे होते हैं। इस एक सीटर वाहन में किसान भाई आराम से बैठ कर रीपर के माध्यम से फसलों की कटाई आसानी से कर सकते हैं। समय, पैसा दोनों ही बचा सकते हैं। ये भी पढ़े: कल्टीवेटर से खेती के लाभ और खास बातें

रीपर बाइंडर मशीन (Reaper Binding Machine)

रीपर बाइंडिंग मशीन ऐसी मशीन होती है जो खेत में फसल की कटाई के साथ पौधों का बडल यानी पूला बना देती है। इससे किसान भाइयों को काफी सुविधा होती है।
  1. ट्रैक्टर माउंटेड मशीन (Tractor Mounted Machine)

यह मशीन बड़े किसानों के लिए होती है। यह मशीन ट्रैक्टर में लगायी जाती है। यह मशीन उन किसानों के लिए है, जिनकी बड़ी काश्तकारी है और उनके पास काम करने वाले श्रमिकों की संख्या कम होती है। ऐसे किसान अपने खेत के काम निपटा कर दूसरों के खेतों पर कटाई का व्यवसाय कर सकते हैं। इस तरह से किसान इसको किराये पर चला कर अपना व्यवसाय भी कर सकते हैं।
फसलों की कटाई और सफाई के लिए उपयोगी 4 कृषि यंत्रों की विशेषताऐं और लाभ

फसलों की कटाई और सफाई के लिए उपयोगी 4 कृषि यंत्रों की विशेषताऐं और लाभ

वर्तमान की बात करें तो किसानों के खेतों में रबी की फसलें लहला रही हैं और जल्द ही इनकी कटाई की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी। ऐसे में किसानों को राहत दिलाने के लिए हम 4 कृषि यंत्रों (4 Farm Machinery ) की जानकारी देने जा रहे हैं। इनका उपयोग करके किसान फसल अवशेषों से भूसा बनाने का कार्य सहजता से कर सकते हैं। इन यंत्रों से किसानों की लागत भी कम आएगी। साथ ही, कटाई का कार्य भी शीघ्रता से हो सकेगा।

फसलों की कटाई के लिए उपयोगी 4 कृषि यंत्र

  • स्ट्रॉ रीपर मशीन 
  • रीपर बाइंडर मशीन 
  • कंबाइन हार्वेस्टर मशीन 
  • मल्टीक्रॉप थ्रेशर मशीन 

स्ट्रॉ रीपर मशीन 

स्ट्रॉ रीपर एक ऐसी कटाई मशीन है, जो एक ही बार में पुआल को काटती है, थ्रेस करती है एवं साफ करती है। स्ट्रॉ रीपर को ट्रैक्टरों के साथ जोडक़र इस्तेमाल किया जाता है। इसके इस्तेमाल से ईंधन की खपत काफी कम होती है। इस यंत्र पर कई राज्य सरकारों की तरफ से सब्सिडी का फायदा भी किसानों को प्रदान किया जाता है।

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विशेषताएं और लाभ

स्ट्रॉ रीपर मशीन की कीमत बहुत ज्यादा नहीं होती है, इसलिए इस कृषि यंत्र को छोटे और बड़े, दोनों किसान सुगमता से इस्तेमाल कर सकते हैं। इस मशीन के उपयोग से फसल काटने पर कई तरह के फायदे किसानों को मिलते हैं, जैसे गेहूं के दानों के साथ-साथ भूसा भी मिल जाता है। यह भूसा पशुओं के चारे के काम में आता है। इसके अतिरिक्त जो दाना मशीन से खेत में रह जाता है, उसको ये मशीन सहजता से उठा लेती है। जिसको किसान अपने पशुओं के लिए दाने के रूप में प्रयोग कर लेते हैं।

रीपर बाइंडर मशीन 

रीपर बाइंडर मशीन का इस्तेमाल फसल की कटाई के लिए किया जाता है। यह मशीन फसल की कटाई करने के साथ – साथ रस्सियों से उनका बंडल भी बनाती है। रीपर बाइंडर की मदद से 5 – 7 से. मी. ऊँची फसल की कटाई आसानी से की जा सकती है। इस यंत्र की सबसे बड़ी खासियत यह है, कि इस मशीन से गेहूं, जौ, धान, जेई और अन्य फसलों की आसानी से कटाई कर बंडल बना सकते है।

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विशेषताएं और लाभ 

रीपर बाइंडर के इस्तेमाल से फसल कटाई का काम आसानी से पूरा किया जा सकता है। इसके इस्तेमाल से धन, समय और मजदूरी सभी की बचत होती है। रीपर बाइंडर मशीन एक घंटे में एक एकड़ जमीन पर खड़ी फसल को काट सकती है। इस मशीन के इस्तेमाल से फसल कटाई के अतिरिक्त उनका बंडल भी निर्मित किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त सबसे बड़ी विशेषता है, कि इसका उपयोग बारिश के मौसम में भी किया जा सकता है। फसल के अतिरिक्त खेतों में उगने वाली झाडियों की भी सहजता से कटाई की जा सकती है। रीपर बाइंडर को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लेकर जाना आसान होता है। 

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन 

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन से एक साथ कटाई तथा सफाई का कार्य किया जा सकता है। इस मशीन की सहायता से सरसों, धान, सोयाबीन, कुसुम आदि की कटाई और सफाई का कार्य कर सकते हैं। इसमें समय और लागत दोनों ही बहुत कम लगती है।

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विशेषताएं और लाभ 

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन का प्रयोग कर लागत और समय की बचत की जा सकती है। इससे फसल की कटाई से लेकर फसल के दानों की सफाई तक का काम किया जाता है। इसके उपयोग से मृदा की उर्वरक क्षमता बढ़ती है। इस मशीन के इस्तेमाल से किसान प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली हानि से बच सकते हैं और वक्त रहते फसलों की कटाई कर सकते हैं। कंबाइन हार्वेस्टर मशीन से किसान खेत में आड़ी-तिरछी पड़ी फसल को भी काट सकते हैं।

मल्टीक्रॉप थ्रेशर मशीन 

यह मशीन किसानों के लिए एक बहुत बड़ी उपयोगी मशीन मानी जाती है। मल्टीक्रॉप थ्रेशर मशीन से बाजरा, मक्का, जीरा, डालर चना, सादा चना, देशी चना, ग्वार, ज्वार मूंग, मोठ, ईसबगोल, मसूर, राई, अरहर, मूंगफली, गेहूं, सरसों, सोयाबीन और तुअर जैसी फसलों के दाने साफ-सुथरे तरीके से निकाले जाते हैं। इस मशीन के इस्तेमाल से फसल के दाने और भूसे को भिन्न-भिन्न करने के लिए उपयोग किया जाता है। 

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विशेषताएं और लाभ

मल्टीक्रॉप थ्रेशर मशीन की मुख्य विशेषता है, कि इसके उपयोग से फसल की कटाई कर अनाज और भूसे को अलग किया जाता है। यह मशीन फसलों के दाने को साफ-सुथरे ढ़ंग से अलग करता है। मल्टीक्रॉप थ्रेशर मशीन को एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाया जा सकता है।  खेतों में जहाँ मशीन नहीं पहुँच सकती है, वहाँ हाथ का रीपर मशीन का इस्तेमाल किया जाता है।

महिंद्रा ने 6 आरओ धान ट्रांसप्लांटर को लॉन्च किया, जानिए इससे होने वाले लाभ

महिंद्रा ने 6 आरओ धान ट्रांसप्लांटर को लॉन्च किया, जानिए इससे होने वाले लाभ

जब कभी कृषि से संबंधित किसी उपकरण या ट्रैक्टर का जिक्र होता है, तो सबसे पहले किसानों के मन में महिंद्रा की छवि आती है। ऐसा इसलिए क्योंकि महिंद्रा के सभी उपकरण और कृषि यंत्र वर्षों से अच्छा प्रदर्शन और विश्वसनीयता बनाए हुए हैं। 

विश्व की सबसे बड़ी ट्रैक्टर निर्माता कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड के फार्म इक्विपमेंट सेक्टर (एफईएस) ने महिंद्रा 6आरओ पैडी वॉकर नाम से एक नया 6 पंक्ति वाला धान ट्रांसप्लांटर अनावरित किया है। 

धान की रोपाई में नए मानक स्थापित करते हुए, महिंद्रा की नवीन उन्नत धान रोपाई मशीन उत्कृष्ट ऑपरेटर दक्षता प्रदान करती है और इसे एक ही पास में एक साथ छह पंक्तियों में सटीक और कुशल रोपाई के लिए विकसित किया गया है।

परिचालन क्षेत्र में एक समान प्रत्यारोपण सुनिश्चित करने के लिए, महिंद्रा 6आरओ पैडी वॉकर मैन्युअल रूप से संचालित होता है। डिजाइन में कॉम्पैक्ट है और इसे सीमित जगहों में भी चलाना सुगम है। वर्ना श्रम-केंद्रित प्रक्रिया के मुकाबले में श्रम लागत काफी कम हो जाती है।

नया धान ट्रांसप्लांटर कम खर्चा में ज्यादा उपज दिलाने में मददगार 

नया धान ट्रांसप्लांटर शक्ति, विश्वसनीयता और प्रदर्शन पर ध्यान देने के साथ अत्यधिक टिकाऊ गियरबॉक्स और इंजन का दावा करता है, जो उच्च उत्पादन और कम ईंधन खपत की गारंटी प्रदान करता है। 

धान की खेती में उत्पादकता को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाता है। साथ ही, विस्तारित सेवा अंतराल भी देता है। नया समाधान जल संरक्षण को सामर्थ बनाएगा। 

चावल की खेती से जुड़े पर्यावरणीय प्रभाव को कम करेगा। वहीं, फसल की समग्र लाभप्रदता में भी सुधार करेगा। 

नया महिंद्रा 6आरओ पैडी वॉकर तमिलनाडु में महिंद्रा के व्यापक डीलर नेटवर्क के माध्यम से सीमित समय के विशेष ऑफर मूल्य 2, 49 999 रुपये के साथ उपलब्ध होगा। 

नए महिंद्रा 6आरओ पैडी वॉकर को महिंद्रा फाइनेंस और श्रीराम फाइनेंस से सर्वोत्तम श्रेणी के वित्तपोषण विकल्पों के साथ भी प्रस्तुत किया जाएगा।

महिंद्रा कृषि प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी स्थान पर बना हुआ है। साथ ही, विश्व भर के किसानों को ज्यादा सफलता और स्थिरता हांसिल करने में सहयोग कर रहा है। 

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महिंद्रा पैडी वॉकर 6आरओ का अनावरण नवीन अत्याधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी समाधानों के जरिए से खेती में परिवर्तन और किसानों के जीवन को समृद्ध और सशक्त बनाने के लिए कंपनी के समर्पण को रेखांकित करता है।

महिंद्रा पैडी वॉकर 6आरओ की प्रमुख विशेषताएं क्या-क्या हैं ?

इससे उच्च सटीकता और सटीक रोपण में मदद मिलती है। 

  • स्थिर अंकुर प्रत्यारोपण तंत्र: समायोज्य रोपण अंतर के साथ, तैरते हुए अंकुरों और गलत रोपण को रोकता है। 
  • स्थिर बीजारोपण फीड: उचित अंकुरण पोषण के लिए रबर स्पाइक्स की सुविधा। 
  • क्षैतिज नियंत्रण: असमान खेत की सतहों पर भी स्थिर रोपण गहराई बनाए रखता है।

सुविधाजनक एवं कुशल धान रोपाई इस प्रकार करता है

  • बड़े व्यास वाला पहिया: क्षेत्र संचालन और गतिशीलता के लिए अनुकूलन क्षमता को बढ़ाता है।
  • समायोजन: फसल की विविधता और रोपण के मौसम के आधार पर अंकुर फीड और रोपण की गहराई के आसान समायोजन की अनुमति देता है।
  • हल्का वजन: क्षेत्र में कॉम्पैक्ट और सुचारू रूप से काम करने में सक्षम बनाता है।

कम खर्चा में ज्यादा कमाई

अत्यधिक टिकाऊ गियरबॉक्स: गुणवत्ता और विश्वसनीयता के प्रति प्रतिबद्धता के साथ, नया महिंद्रा पैडी वॉकर 6आरओ एक उच्च गुणवत्ता और टिकाऊ गियरबॉक्स का उपयोग करता है जो लंबे समय तक चलने वाले प्रदर्शन के लिए जलरोधक है।

उच्च आउटपुट ओएचवी पेट्रोल विश्वसनीय इंजन: हल्का, कॉम्पैक्ट, कम शोर, कंपन और ईंधन-कुशल के साथ, नया महिंद्रा पैडी वॉकर 6आरओ लंबे समय तक चलने के लिए विकसित किया गया है।

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बड़ा ईंधन टैंक: कुशल और निरंतर काम के लिए नया धान ट्रांसप्लांटर चार लीटर की बड़ी क्षमता वाले ईंधन टैंक से सुसज्जित है।

व्यापक बिक्री के पश्चात सेवा के साथ मन की शांति।

महिंद्रा सेवा: अनुभवी महिंद्रा सेवा कर्मियों द्वारा महिंद्रा डीलरों पर गुणवत्तापूर्ण सेवाएं।

असली हिस्से: असली महिंद्रा हिस्से महिंद्रा डीलरशिप पर उपलब्ध हैं।

गेहूं कटाई के बाद खेत की जुताई के लिए आधुनिक कृषि यंत्र

गेहूं कटाई के बाद खेत की जुताई के लिए आधुनिक कृषि यंत्र

आधुनिकता के चलते भारतीय कृषि क्षेत्र में बैलों की जगह कई प्रकार के कृषि यंत्रो और मशीनों ने ले ली है। उपकरण खेती के बहुत सारे बड़े से बड़े कार्यों को आसान बनाते हैं। 

साथ ही, लागत को भी कम करने का कार्य करते हैं। बुवाई से लगाकर कटाई तक के कार्यों को सुगम बनाने में कृषि यंत्र अपनी अहम भूमिका निभाते हैं। बुवाई के लिए खेत को तैयार करने के लिए किसान ट्रैक्टर द्वारा रोटावेटर या कल्टीवेटरका इस्तेमाल करते हैं। 

ये उपकरण मिट्टी की उपरी परत की हल्की जुताई करते हैं, जिससे बुवाई करना काफी सरल हो जाता है। आइए जानते हैं जुताई के लिए कुछ महत्वपूर्ण और लाभदायक कृषि यंत्रों के बारे में। 

मोल्ड बोर्ड हल 

मोल्ड बोर्ड हल को किसानों के बीच मिट्टी पलट हल के नाम से भी जाना व पहचाना जाता है। मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बनाये रखने के लिए जरूरी है कि इसे पलटा जाये। 

मिट्टी पलटने तथा खरपतवार को नीचे दबाने के लिए मोल्ड बोर्ड हल (Mould Board Plough) ज्यादा गहरी जुताई करते हैं। मिट्टी को भी पलटते हैं, जिससे सतह पर मौजूद खर-पतवार और अन्य फसल अवशेष बेहतर तरीके से दब जाते हैं। 

बतादें, कि 2 फाल वाले प्लाऊ को संचालित करने के लिए ट्रैक्टर की हॉर्स पावर 35 से 45 हॉर्स पॉवर होनी चाहिए। इस प्लाऊ की कार्य क्षमता 1.5 हेक्टेयर तक प्रति दिन होती है। 

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साथ ही, 3 फाल वाले प्लाऊ को चलाने के लिए ट्रैक्टर की हॉर्स पावर 40 से 50 एचपी होनी चाहिए। इस हल के साथ किसान 2 हेक्टेयर तक प्रति दिन कार्य कर सकते हैं। 

इस कृषि उपकरण का इस्तेमाल गर्मी के मौसम में खेत की गहरी जुताई के लिए, ढैचा/सनई आदि हरी खाद वाली फसल को मिट्टी में पलटकर मिलाने के लिए भी किया जाता है। 

डिस्क प्लाऊ

डिस्क प्लाऊ  (Disc Plough) भी एक मिट्टी पलटने वाला हल है और यह मोल्ड बोर्ड हल की अपेक्षा ज्यादा गहराई तक जुताई करने में सक्षम होता है। किसान इस यंत्र का इस्तेमाल भारी मृदा को पलटने के लिए करते हैं। इसमें आपको दो या तीन फाल देखने को मिल सकते हैं।

खेतों में ज्यादा खरपतवार और गहरे फसल अवशेष को काटने तथा पलटने में इस यंत्र का इस्तेमाल किया जाता है। ट्रैक्टर की क्षमता के अनुसार इस यंत्र से 40 से 50 सेंटीमीटर की गहराई तक जुताई की जा सकती है। इस कृषि यंत्र की कार्य क्षमता प्रतिदिन 1.5 से 2 हेक्टेयर है। 

चिसेल प्लाऊ 

चिसेल हल (Chisel Plough) बिना सतह वाली मृदा को अस्त व्यस्त किये और सतह पर मौजूद फसल अवशेषों को यथावत रखते हुए बहुत गहरी चीरे लगाई जा सकती हैं। इस यंत्र के साथ 1 मीटर की गहराई तक जुताई कर सकते हैं। 

ऐसा करने से स्थाई तौर पर सतह के नीचे की जल निकासी सुनिश्चित की जा सकती है। मिट्टी पलट हलों के मुकाबले में चिजेल हल के इस्तेमाल से मिट्टी की सतह पर किसी तरह का कार्य नहीं किया जाता है, जिससे हवा या पानी की वजह मिट्टी के कटाव को रोका जा सकता है। 

लेजर लैंड लेवलर 

खेत की जुताई और सिंचाई करने से जमीन असमतल हो जाती है, जिससे मृदा के पोषक तत्व का असामान्य वितरण और सिंचाई जल में वृद्धि जैसी दिक्कतें खड़ी होने लग जाती हैं। 

समय-समय पर खेत के समतलीकरण की आवश्यकता को सटीक और कम में वक्त में पूरा करने के लिये लेजर लैंड लेवलर (Laser Land Leveler) का इस्तेमाल किया जाता है। इस मशीन में लेजर किरणों की सहायता से पीछे लगे बकेट को काबू करके जमीन को एकसार किया जा सकता है। 

कल्टीवेटर(Cultivator) से खेती के लाभ और खास बातें

कल्टीवेटर(Cultivator) से खेती के लाभ और खास बातें

कल्टीवेटर(Cultivator) को वैसे तो साधारण कृषि यंत्र बताया जाता है लेकिन यदि हम पारंपरिक खेती के तौर-तरीकों को याद करें तो किसान भाइयों को इस बात का अहसास हो जायेगा कि यह कल्टीवेटर खेती-किसानी के लिए बहुत ही लाभकारी यंत्र है। 

किसान भाई जो काम हफ्तों में अपना पसीना बहाकर कर पाते थे वो काम कल्टीवेटर चंद घंटों में ही कर देता है। कल्टीवेटर से किसानों की जहां अनेक परेशानियां कम हुई हैं, वहीं खेती के उत्पादन में लाभ हुआ है और खेतों को बुवाई के लिए तैयार करना आसान हो गया है।

कल्टीवेटर(Cultivator) क्या है

खेती के आधुनिक तरीके आने के बाद खेती करने का स्वरूप ही बदल गया है और खेती करना अब बहुत आसान हो गया है। जब से बैलों की जगह ट्रैक्टर आ गये हैं तब से प्राचीन कृषि यंत्रों की जगह नये कृषि यंत्रों ने जगह ले ली है, इसमें कल्टीवेटर सबसे प्रमुख है। 

जो खेतों की जुताई बैलों व हल से की जाती थी, वो काम इस कल्टीवेटर से किये जाते हैं । साथ ही अनेक अन्य ऐसे काम भी किये जाते हैं जो पैदावार को बढ़ाने में सहायक हैं। 

कल्टीवेटर बैल को जोत कर भी चलाये जा सकते हैं और ट्रैक्टर के पीछे लगाकर खेत की जुताई की जा सकती है। यह कल्टीवेटर 6HP से लेकर 15HP तक आता है।

पशू चालित कल्टीवेटर(Cultivator):

पशु चालित कल्टीवेटर भी होता है। इस कल्टीवेटर को पशु बैल के पीछे जोत कर चलाया जा सकता है। किन्तु वर्तमान समय में ट्रैक्टर की लोकप्रियता के कारण पशुओं वाले कल्टीवेटर का चलन नहीं देखा जाता है।

ट्रैक्टर चालित कल्टीवेटर(Cultivator):

टैक्टर के पीछे हाइड्रोलिक के माध्यम से कल्टीवेटर चलाया जाता है। ये कल्टीवेटर जमीन की जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल किये जाते हैं। कंकरीली जमीन के लिए अलग कल्टीवेटर होता है और सामान्य जमीन के लिए अलग कल्टीवेटर होता है। इसके साथ गहरी जुताई करने के लिए अलग कल्टीवेटर होता है और उथली जुताई के लिए अलग कल्टीवेटर होता है। 

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इनमें से प्रमुख कल्टीवेटर(Cultivator) इस प्रकार हैं:-

  1. स्प्रिंग युक्त कल्टीवेटर(Cultivator): पथरीली मिट्टी व या फसलों की ठूंठ वाले खेतों उपयोग किया जाता है। ट्रैक्टर से चलने वाले इस कल्टीवेटर में कई स्प्रिंग लगी होती है। स्प्रिंग की वजह से जुताई करते समय फार पर पड़ने वाले दबाव को कल्टीवेटर सहन कर लेता है और टाइन नहीं टूटने से बच जाता है। इस कारण यह कल्टीवेटर बिना किसी नुकसान के आसानी से मनचाही जुताई कर देता है।
  2. स्प्रिंग रहित कल्टीवेटर (रिजिड लाइन कल्टीवेटर): बिना स्प्रिंग वाले कल्टीवेटर का इस्तेमाल कंकरीली या पथरीली भूमि में नहीं किया जाता है। इसका प्रयोग साधारण भूमि में किया जाता है। इसमें टाइन मजबूती के साथ फ्रेंम से इस प्रकार से लगाये जाते हैं कि जुताई करते समय दबाव पड़ने पर ये टाइन अपने स्थान से हटे नहीं। इस कल्टीवेटर की एक और खास बात यह है कि टाइन की दूरी को अपने  हिसाब से दूर या पास किया जा सकता है। यह कल्टीवेटर खेत में खरपतवार को नियंत्रित करने में भी सहायक होता है।
  3. डक फुट कल्टीवेटर(Cultivator): इन दोनों कल्टीवेटरों की अपेक्षा डक फुट कल्टीवेटर हल्का होता है। इसका मुख्य रूप से इस्तेमाल उथली जुताई करने और खरपतवारों को नष्ट करने के लिए किया जाता है। इसकी बनावट बिना स्प्रिंग वाले कल्टीवेटर की तरह होती है। इसमें फारों की संख्या जरूरत और आवश्यकता के अनुसार कम या ज्यादा की जा सकती है। इसमें टाइन का आकार बत्तख के पैर जैसा होता है इसलिये इस कल्टीवेटर को डक फूट कल्टीवेटर कहा जाता है।

कल्टीवेटर(Cultivator) से जुताई के फायदे

कल्टीवेटर से अनेक तरह की जुताई की जा सकती है। सबसे पहले हम यह जानने की कोशिश करते हैं कि जुताई कितने प्रकार की होती है और कल्टीवेटर(Cultivator) किस जुताई में कितना मददगार साबित हो सकता है। 

खेत को तैयार करने के लिए हमें वि•िान्न प्रकार की जुताई करनी होती है । इसमें ग्रीष्म ऋतु की जुताई, गहरी जुताई, छिछली जुताई, अधिक समय तक जुताई, हराई या हलाई की जुताई की जाती है।

  1. कठोर जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए गहरी जुताई की जाती है। इस काम में कल्टीवेटर(Cultivator) बहुत काम आता है। इस तरह से खेत की तैयारी गहरी जड़ों वाली फसलों के लिए की जाती है।
  2. इसी तरह जिन फसलों की जड़े अधिक गहराई में नहीं जातीं हैं उनके लिए छिछली जुताई की जाती है। उसमें भी कल्टीवेटर(Cultivator) काम में आता है।
  3. ग्रीष्म ऋतु में अधिक जुताई इसलिये की जाती है ताकि उस मिट्टी में मौजूद हानिकारक कीट और उनके अंडे नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा मृदा में अनेक रोग भी दूर हो जाते हैं। ग्रीष्म ऋतु में अधिक समयतक जुताई करने में कल्टीवेटर बहुत लाभकारी साबित होता है।
  4. एक फसल लिये जाने के बाद नई फसल की तैयारी के लिए कल्टीवेटर(Cultivator) बहुत काम आता है। पहले तो वह खेत की मिट्टी को ढीला करता है और फसल के अवशेष को खेत से बाहर करता है। उसे बुवाई के लिए तैयार करता है।
  5. बुवाई से पहले खेत में यदि नर्सरी लगाने की क्यारियां बनानी होतीं हैं तो कल्टीवेटर(Cultivator) उसमें कभी काम आता है।
  6. हैरों, पॉवर टिलर, रोटावेटर की अपेक्षा कल्टीवेटर सस्ता व हल्का होता है, जिससे कम एचपी वाले ट्रैक्टरों में लगाकर जुताई की जा सकती है।
  7. पारंपरिक तरीके से खेती करने वाले किसानों को कल्टीवेटर(Cultivator) से जुताई करने वा करवाने से पैसा और समय तो बचता ही है । साथ मजदूरों की समस्या से भी छुटकारा मिल जाता है।
  8. छिटकवां विधि से बोई गई बीजों की मिट्टी में एक समान रूप से मिलाने तथा ढकने के लिए इस यंत्र का प्रयोग किया जाता है।
  9. पंक्तियों में बोई फसलों में निराई-गुड़ाई का कार्य भी कल्टीवेटर(Cultivator) से किया जाता है।
  10. इसकी सहायता से फसल की जड़ो पर मिट्टी चढ़ाने का काय किया जा सकता ह।
  11. बुआई से पहले खेत में खाद को मिट्टी में मिलाने में भी कल्टीवेटर(Cultivator) काम करता है।

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कल्टीवेटर

कल्टीवेटर(Cultivator) से मिलने वाले खेती के अन्य लाभ

1.बुआई से पहले कल्टीवेटर के माध्यम से खरपतवार हटाने और गुड़ाई का काम किया जा सकता है। जो काम पहले मजदूर काफी समय में करते थे वो काम कल्टीवेटर अकेला ही चंद घंटों में कर देता है। इससे कृषि लागत में कमी आती है और किसान भाइयों को लाभ मिलता है। 

 2.फसल के बीच में निराई-गुड़ाई कल्टीवेटर(Cultivator) से किये जाने के लिए फसलों को कतार में बोया जाता है। इससे किसान भाइयों को यह लाभ होता है कि कतार में बीज बोने से बीज की बर्बादी नहीं होती है और फसल भी अधिक होती है।

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 3.कल्टीवेटर का प्रयोग मिट्टी की जुताई के लिये किया जाता है। इसके प्रयोग से खेत के खरपतवार व घास जड़ सहित उखड़ कर नष्ट हो जाती है या मिट्टी से अलग होकर जमीन के ऊपर आ जाती है जो बाद में सूर्य की गर्मी से सूख कर नष्ट हो जाती है।

कौन सी फसल के लिए कौन सा कल्टीवेटर(Cultivator) है उपयोगी

  1. स्प्रिंग युक्त कल्टीवेटर मुख्यत: दलहनी व जड़वाली सब्जियों की फसलों के लिए उपयोगी होता है। क्योंकि इससे गहरी जुताई की जा सकती है। स्प्रिंग युक्त कल्टीवेटर से गहरी जुताई से मूंग, मोठ, बरसीम, उड़द, सोयाबीन, मूंगफली, आलू, मूली, गाजर, शकरकद, चना आदि मे अधिक लाभ मिलता है।
  2. डक फुट कल्टीवेटर से उथली जुताई से गेहूं, जौ, ज्वार, जई, सरसों, आदि फसलों में अधिक लाभ मिलता है।

इस राज्य में सुपर सीडर पर 40 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा रहा है

इस राज्य में सुपर सीडर पर 40 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा रहा है

वर्तमान में संभागीय कृषि अभियांत्रिकी विभाग सतना में किसान भाइयों के लिए सुपर सीडर उपलब्ध है। विशेष बात यह है, कि यदि किसान भाई सीडर खरीदते हैं, तो इस पर उन्हें 40 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा। मध्य प्रदेश की राज्य सरकार किसान भाइयों की आमदनी में इजाफा करने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं जारी कर रही है। इन योजनाओं के अंतर्गत किसान भाइयों की खेती करने की तकनीक वैज्ञानिक रूप धारण कर गई है। इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश में कृषकों को कृषि यंत्रों पर अच्छा-खासा अनुदान भी दिया जा रहा है। परंतु, फिलहाल रीवा और सतना जनपद के किसानों के लिए काफी अच्छी खुशखबरी है। यहां के कृषकों को सुपर सीडर मशीन खरीदने के लिए अच्छा-खासा अनुदान प्रदान किया जा रहा है। 

सुपर सीडर किसानों के लिए काफी उपयोगी साबित होता है

मीडिया खबरों के अनुसार, सुपर सीडर एक ऐसा यंत्र है, जिसको ट्रैक्टर के साथ जोड़कर खेती-बाड़ी करने के कार्य में लिया जाता है। इस यंत्र का सर्वाधिक इस्तेमाल फसलों की बुवाई करने हेतु किया जाता है। इसके इस्तेमाल से नरवाई की दिक्कत परेशानी दूर हो चुकी है। अब ऐसी स्थिति में गेहूं एवं चने की खेती करने वाले कृषकों के लिए सुपर सीडर यंत्र बेहद उपयोगी साबित होता है। 

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सुपर सीडर के उपयोग से नरवाई जलाने की आवश्यकता नहीं पड़ती

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि किसी फसल के डंठल को नरवाई कहा जाता है। सुपर सीडर धान एवं गेहूं की डंठल को छोटे- छोटे भागों में विभाजित कर मृदा में मिला देता है। अब ऐसी स्थिति में सुपर सीडर मशीन से फसलों की बिजाई करने वाले कृषकों को नरवाई को आग के जरिए जलाना नहीं पड़ता है। इससे प्रदूषण पर भी रोक लगती है। 

सुपर सीडर पर 40 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जाएगा

फिलहाल, संभागीय कृषि अभियांत्रिकी विभाग सतना में किसान भाइयों के लिए सुपर सीडर उपलब्ध हैं। विशेष बात यह है, कि यदि किसान भाई सीडर खरीदेंगे तो 40 प्रतिशत तक अनुदान मिलेगा। मुख्य बात यह भी है, कि यह यंत्र एक घंटे में एक एकड़ भूमि में फैले नरवाई को चौपट कर देती है। इसके पश्चात फसलों की बिजाई करती है। धान के उपरांत गेहूं एवं गेंहू के बाग मूंग की खेती करने वाले कृषकों के लिए सुपर सीडर किसी वरदान से कम नहीं है। किसान भाई सुपर सीडर के माध्यम से वर्षभर में अच्छी-खासी आमदनी की जा सकती है। वैसे तो सुपर सीडर की कीमत लगभग 3 लाख रुपये है। परंतु, कृषि विभाग की तरफ से 40 प्रतिशत प्रतिशत अनुदान मिलने के पश्चात इसकी कीमत काफी हद तक कम हो जाती है।

जानें किसानों को बिजाई में मदद करने वाले 5 कृषि उपकरणों के बारे में

जानें किसानों को बिजाई में मदद करने वाले 5 कृषि उपकरणों के बारे में

कृषक भाई भारत के अंदर बुवाई के लिए विभिन्न फर्टिलाइजर मशीनों का इस्तेमाल करते हैं। इन उपकरणों के साथ किसान कम वक्त में खेतों में बिजाई का कार्य पूर्ण कर पाते हैं। कृषि उपकरणों की सहायता से किसान खेती में वक्त और मजदूरी की बचत कर सकते हैं। कृषि करने के लिए कृषकों को कई तरह के कृषि उपकरणों और यंत्रों की जरूरत पड़ती है। खेती-किसानी में हर एक कृषि यंत्र का भिन्न-भिन्न कार्यों में इस्तेमाल किया जाता है। भारत में बिजाई के लिए किसान बहुत सारे फर्टिलाइजर मशीनों का इस्तेमाल करते हैं। इन उपकरणों के इस्तेमाल से कृषक कम वक्त में खेतों में बुवाई का कार्य निपटा लेते हैं। 

बिजाई में मदद करने वाले 5 कृषि उपकरण

न्यूमेटिक मल्टी क्रॉप प्लांटर

Pneumatic Multi Crop Planter का उपयोग केवल बीज को पूर्व-निर्धारित बीज से बीज की दूरी एवं पंक्तियों की दूरी में बीजाई करने के लिए किया जाता है। बतादें, यह कृषि यंत्र ट्रैक्टर द्वारा संचालित है और इसमें सेंट्रीफ्यूगल ब्लोअर लगा हुआ होता है। इसका इस्तेमाल वायुदाब ग्रहण करके मीटरिंग मेकेनिज्म में बीज रोपण के लिए किया जाता है। इस उपकरण के अंदर आपको मेन फ्रेम, एस्पिरेटर ब्लोअर, सैल टाइप मीटरिंग प्लेट वाली डिस्क, अलग अलग हॉपर, फरो ओपनर, पी.टी.ओ. द्वारा चालित शाफ्ट, ग्राउंड ड्राइव व्हील इत्यादि लगे होते हैं। यह सोयाबीन, कपास, मटर, मक्का, मूँगफली, भिंडी, सरसों और ज्वार आदि के बीज के रोपण हेतु उपयुक्त है। भारत में Pneumatic Multi Crop Planter की कीमत लगभग 50 हजार रुपये हो सकती है।

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सीड एंड फर्टिलाइजर ड्रिल

Seed And Fertilizer Drill का उपयोग खेती के लिए पहले से तैयार क्षेत्र में गेहूं और अन्य अनाज की फसलों की बीजाई के लिए किया जाता है। इस यंत्र में एक सीड बॉक्स, फर्टिलाइजर बॉक्स, सीड व फर्टिलाईजर मिटरिंग मेकनिज्म, सीड ट्यूब, फरो ओपनर तथा सीड एवं फर्टिलाईजर रेट एडजस्टिंग लीवर और ट्रांसपोर्ट सब पावर ट्रांसमीटिंग व्हील लगे होते हैं। फ्लूटेड रोलर सीड बॉक्स मे लगे होते हैं, जो नली मे बीज प्राप्त करते है और फरो ओपनर से जुड़ी सीड ट्यूब मे डालते है। रोलर को खिसकाने पर बीज प्राप्त करने वाली नली की लंबाई बढ़ाई या घटाई जा सकती है। इससे बुवाई के समय बीज की मात्रा कम या ज्यादा हो सकती है। भारत में सीड एंड फर्टिलाइजर ड्रिल की कीमत करीब 35 हजार रुपये हो सकती है। 

जीरो टिल ड्रिल

Zero Till Drill एक कृषि उपकरण है, जिसका इस्तेमाल ट्रैक्टर के माध्यम से किया जाता है। जीरो टिल ड्रिल का उपयोग धान कटाई के उपरांत खेत को बिना जुताई किए गेहूं की बीजाई के लिए किया जाता है। इस यंत्र में फ्रेम, सीड बॉक्स, फर्टिलाइजर बॉक्स, सीड व फर्टिलाईजर मिटरिंग मेकनिज़्म, सीड ट्यूब, फरो ओपनर तथा सीड एवं फर्टिलाईजर रेट एडजस्टिंग लीवर और ट्रांसपोर्ट तथा पावर ट्रांसमीटिंग व्हील लगे होते हैं। यह कृषि उपकरण समुचित गहराई और उचित दूरी पर बीजों की बिजाई कर सकती है। भारत में जीरो टिल ड्रिल की कीमत करीब 35 हजार रुपये हो सकती है। 

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स्ट्रिप टिल ड्रिल

Strip Till Drill का इस्तेमाल धान की कटाई के बाद बिना भूमि तैयार किए गेहूं की बिजाई के लिए किया जाता है। इस यंत्र से पारंपरिक पद्धति के मुकाबले 50 से 60 प्रतिशत ईंधन और 65 से 75 प्रतिशत समय की बचत की जा सकती है। इस यंत्र की सहायता से फसल की बुवाई समय पर करने से और भी ज्यादा उत्पादन हांसिल किया जा सकता है। इसके रोटरी सिस्टम में C टाइप ब्लेड लगे होते हैं, जो खेत में प्रत्येक फरो ओपनर के आगे 75 MM चौड़ी पट्टी कि जुताई कर सकते है। भारत में स्ट्रिप टिल ड्रिल की कीमत तकरीबन 50 हजार रुपये हो सकती है।

फर्टिलाइजर ब्रॉडकास्टर

Fertilizer Broadcaster का उपयोग फसल में दानेदार खाद और बीज के छिड़काव के लिए किया जाता है। यह कृषि यंत्र आपको हस्तचालित और ट्रैक्टर चालित दोने रूप में देखने को मिल जाता है। फर्टिलाइजर ब्रॉडकास्टर को ट्रैक्टर के पीछे लगा कर संचालित किया जाता है। यह इसकी पीटीओ पावर से चलता है। इस यंत्र पर एक हॉपर और एक घूमने वाली डिस्क लगी होती है। हापर में से बीज या खाद को तेजी से घूमने वाली डिस्क पर गिरने दिया जाता है। इसमें बीज/खाद की मात्रा स्पीनिंग डिस्क तक पहुंचने वाली गति शटर प्लेट द्वारा नियंत्रित की जा सकती है। भारत में फर्टिलाइजर ब्रॉडकास्टर की कीमत करीब 12 हजार हो सकती है। 

स्वराज 735 एफई ट्रैक्टर की विशेषताएँ, फीचर्स और कीमत क्या है ?

स्वराज 735 एफई ट्रैक्टर की विशेषताएँ, फीचर्स और कीमत क्या है ?

ट्रैक्टर को किसान का मित्र कहा जाता है। यदि आप कृषि कार्यों के लिए सस्ता एवं मजबूत ट्रैक्टर खरीदने का विचार बना रहे हैं। ऐसे में आपके लिए स्वराज 735 एफई ट्रैक्टर शानदार विकल्प हो सकता है। इस ट्रैक्टर को कंपनी ने कृषकों की जरूरतों के अनुरूप तैयार किया है। इस ट्रैक्टर में 1800 आरपीएम के साथ 40 HP पावर उत्पन्न करने वाला 2734 CC इंजन आता है। कृषि क्षेत्र में किसानों की मदद में ट्रैक्टर की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। किसान ट्रैक्टर के सहयोग से खेती के बहुत से बड़े कार्यों को पूर्ण कर सकता है। खेतीबाड़ी के लिए सस्ता और मजबूत का बेजोड़ संगम स्वराज 735 एफई ट्रैक्टर एक शानदार विकल्प हो सकता है।

स्वराज 735 एफई ट्रैक्टर की क्या-क्या विशेषताऐं हैं ?

Swaraj 735 FE ट्रैक्टर में आपको 2734 सीसी क्षमता वाला 3 सिलेंडर में Water Cooled इंजन देखने को मिल जाता है, जो 40 HP पावर जनरेट करता है. इस ट्रैक्टर में 3- Stage Oil Bath Type एयर फिल्टर दिया गया है. इस स्वराज ट्रैक्टर की मैक्स पीटीओ पावर 32.6 HP है. इस ट्रैक्टर के इंजन से 1800 आरपीएम उत्पन्न होता है. स्वराज 735 एफई की वजन उठाने की क्षमता 1000 किलोग्राम रखी गई है. कंपनी का यह ट्रैक्टर 1845 किलोग्राम कुल वजन के साथ आता है. स्वराज कंपनी ने अपने इस ट्रैक्टर को 1930 MM व्हीलबेस में निर्मित किया है. इस ट्रैक्टर में आपको 48 लीटर क्षमता वाला फ्यूल टैंक देखने को मिल जाता है.

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स्वराज 735 एफई के क्या-क्या फीचर्स होते हैं ?

स्वराज के इस ट्रैक्टर्स में आपको Mechanical/Power (optional) टाइप स्टीयरिंग प्रदान की जाती है। Swaraj 735 FE ट्रैक्टर में 8 Forward + 2 Reverse गियर वाला गियरबॉक्स आता है। कंपनी के इस ट्रैक्टर में Dual क्लच प्रदान किया गया है और यह ट्रैक्टर Single Dry Disc Friction Plate टाइप ट्रांसमिशन के साथ आता है। स्वराज कंपनी ने अपने इस ट्रैक्टर की 27.80 kmph फॉरवर्ड स्पीड और 10.74 kmph रिवर्स स्पीड रखी है। इस स्वराज ट्रैक्टर में आपको Oil immersed / Dry Disc ब्रेक्स प्रदान किए जाते हैं। कंपनी के इस ट्रैक्टर में Multi Speed PTO टाइप पावर टेकऑफ आती है, जो 540/1000 आरपीएम उत्पन्न करती है। Swaraj 735 FE ट्रैक्टर 2WD ड्राइव में आता है, इसमें आपको 6.00 x 16 फ्रंट टायर और 12.4 x 28 / 13.6 x 28 रियर टायर देखने को मिल जाते हैं।

स्वराज 735 एफई की कितनी कीमत है ?

भारत में स्वराज 735 एफई ट्रैक्टर की एक्स शोरूम कीमत 5.85 लाख से 6.20 लाख रुपये निर्धारित की गई है। Swaraj 735 FE ट्रैक्टर का ऑन रोड प्राइस समस्त राज्यों में आरटीओ रजिस्ट्रेशन और रोड टैक्स के चलते भिन्न हो सकता है। स्वराज कंपनी अपने इस Swaraj 735 FE  ट्रैक्टर के साथ 2 साल की वारंटी प्रदान करती है।

Flaming Tractor: जानिए फ्लेमिंग सर्च ट्रैक्टर की अद्भुत विशेषता के बारे में

Flaming Tractor: जानिए फ्लेमिंग सर्च ट्रैक्टर की अद्भुत विशेषता के बारे में

हम आपको इस लेख में भारत के किसान भाइयों के लिए एक खास तकनीक का सर्च ट्रैक्टर के बारे बताने जा रहे हैं। दरअसल, यह खेत की फसल के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद हैं। किसान भाइयों आज हम आपके लिए ऐसा उत्तम सर्च ट्रैक्टर लेकर आए हैं, जो कि शायद ही आपने कभी देखा होगा। बतादें कि हम जिस ट्रैक्टर के विषय में चर्चा कर रहे हैं, वह दिखने में जितना भिन्न है, उतने ही उसके अलग हटकर फायदे हैं।

फ्लेमिंग ट्रैक्टर को आज के समय का बेहतरीन उपकरण माना जाता है

किसानों के लिए ट्रैक्टर एक अहम भूमिका निभाता है। दरअसल, इस अद्भुत और शानदार ट्रैक्टर का नाम फ्लेमिंग ट्रैक्टर है, जो आज के आधुनिक दौर का सबसे अच्छा कृषि उपकरण माना जा रहा है। वैसे देखा जाए तो कृषि क्षेत्र में इस ट्रैक्टर का काम बेहद ही ज्यादा विशेष होता है। आइए इस अद्भुत ट्रैक्टर के विषय में जानने का प्रयास करते हैं, कि यह कैसे काम करता है। साथ ही, बाजार में फ्लेमिंग सर्च ट्रैक्टर की कीमत कितनी होती है।

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फ्लेमिंग ट्रैक्टर आखिर होता क्या है

यह ट्रैक्टर अन्य समस्त ट्रैक्टरों से बिल्कुल अलग होता है। क्योंकि, जब आप इसको खेत में काम करते हुए देखेंगे, तो इसमें आपको आग निकलती हुई दिखाई पड़ेगी, जो खेत को फसल हेतु तैयार कर रही होती है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि फ्लेमिंग सर्च ट्रैक्टर में से निकलने वाली अग्नि खेत को नवीन फसल रोपने के लिए तैयार करने में किसानों की सहायता करती है। इसके उपयोग से खेत की मृदा में उपस्थित गंदगी और फसल को हानि पहुंचाने वाले रोग आदि बीमारियों का उपचार किया जाता है।

फ्लेमिंग ट्रैक्टर चलाने से पहले किस बात का ख्याल रखें

यदि आप भी अपने खेत में नवीन फसल लगाने के लिए इस सर्च ट्रैक्टर का उपयोग करने जा रहे हैं, तो आपको कुछ महत्वपूर्ण बातों का भी विशेष ख्याल रखना पड़ेगा। जैसे कि सर्वप्रथम आपको अपने खेत को इसके लिए तैयार करना पड़ेगा। अगर हम आसान और सरल भाषा में कहें तो पहले आपको खेत को कल्टीवेशन या जुताई के लिए बेहतरीन ढ़ंग से तैयार करना होगा। उसके उपरांत खेत में स्थित पुरानी फसल के अवशेषों को भी हटाना पड़ता है। उसके बाद उनको खेत के अंदर ही नष्ट करना होता है। जिससे कि जब आप अपने खेत में फ्लेमिंग सर्च ट्रैक्टर को चलाएं, तो प्रदूषण बिल्कुल ना के बराबर हो और खेत भी सुरक्षित रह पाऐ। 

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फ्लेमिंग ट्रैक्टर से क्या-क्या फायदे होते हैं

बतादें, कि फ्लेमिंग सर्च ट्रैक्टर में बहुत सारी नोजिश लगी होती है, जिसमें से एक साथ आग निकलती है, जो कि खेत की मृदा को नई फसल के लिए कुछ ही मिनटों में तैयार करने के लिए बना देती है। इस फ्लेमिंग सर्च ट्रैक्टर में आप देखेंगे की इसके पीछे एक बहुत बड़ा CNG गैस सिलेंडर दिया गया है। उसकी सहायता से इनके नोजिश से आग बाहर निकलती है।

फ्लेमिंग ट्रैक्टर की कीमत कितनी है

भारतीय बाजार में इस फ्लेमिंग सर्च ट्रैक्टर की कीमत किसान भाइयों के लिए अत्यंत किफायती होती है। बाजार में इसकी कीमत 10 लाख से चालू होकर 15 लाख रुपए तक बताई जा रही है। इसकी कीमत की बात की जाए तो अलग-अलग राज्यों में इसकी कीमतों में थोड़ा बहुत अंतराल देखने को मिल सकता है।