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पशुधन

पशु प्रजनन की आधुनिक तकनीक (Modern Animal Breeding Technology in Hindi)

पशु प्रजनन की आधुनिक तकनीक (Modern Animal Breeding Technology in Hindi)

2019 में जारी की गई बीसवीं पशु जनगणना रिपोर्ट के अनुसार भारत में इस समय 535 मिलियन (53 करोड़) पशुधन है, जिनमें सर्वाधिक संख्या मवेशियों की है, जोकि 2012 की तुलना में 4.6 प्रतिशत अधिक बढ़ी है। आज भी भारत के अधिकतम किसान खेती के साथ पशुधन पालन भी करते है। इतनी अधिक संख्या में उपलब्ध पशुधन से बेहतर उत्पाद प्राप्त करने के लिए, पिछले कुछ समय से पशु वैज्ञानिकों के द्वारा कई अनुसंधान कार्य किए जा रहे है, इन्हीं नए रिसर्च में पशु प्रजनन (pashu prajanan or animal breeding) पर भी काफ़ी ध्यान दिया गया है।

क्या है पशु प्रजनन (Animal Breeding) ?

इसे एक उदाहरण से आसानी से समझा जा सकता है, जैसे कि यदि एक भैंस एक दिन में 10 लीटर दूध देती है, अब यदि पशु विज्ञान (animal science) की मदद से उसकी अनुवांशिकता (Hereditary) में कुछ ऐसे परिवर्तन किए जाए, जिससे कि उस पशु से हमारी आवश्यकता अनुसार उन्नत उत्पाद तैयार करवाने के साथ ही दूध का उत्पादन भी बढ़ जाए। इस विधि अलग-अलग जीन वाले पशुओं के अनुमानित प्रजनन मूल्य को ध्यान में रखते हुए आपस में ही एक ही नस्ल के पशुओं या फिर अलग-अलग नस्लों के पशुओं में प्रजनन प्रक्रिया करवाई जाती है, इससे प्राप्त होने वाला उत्पाद पहली दोनों नस्लों की तुलना में श्रेष्ठ मिलता है। यह नई नस्ल अधिक उत्पादन प्रदान करने के अलावा कई बीमारियों और दूसरी प्रतिरोधक क्षमताओं में भी श्रेष्ठ प्राप्त होती है।
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पशु प्रजनन की आधुनिक तकनीक :

वर्तमान में विश्व स्तर पर कई प्रकार की प्रजनन विधियों को अपनाया गया है :
  • विशुद्ध प्रजनित तकनीक (Purebred Breeding) :

इस विधि में एक ही नस्ल के दो अलग-अलग पशुओं का प्रजनन करवाया जाता है। इस प्रजनन विधि के दौरान ध्यान रखा जाता है कि इस्तेमाल में आने वाली एक ही नस्ल के दो अलग-अलग पशु जीन की गुणवत्ता स्तर पर सर्वश्रेष्ठ होते है। इन से प्राप्त होने वाली नई नस्लें बहुत ही स्थाई होती है और उसके नई नस्ल के द्वारा हासिल किए गए यह गुण अगली पीढ़ी तक भी पहुंच सकते हैं।

इस विधि को अंतः प्रजनन तकनीक के नाम से भी जाना जाता है।

शरीर की बाहरी दिखावट, आकार तथा रंग रूप में एक समान दिखने वाले दो नर एवं मादा पशुओं की जनन की प्रक्रिया के द्वारा द्वारा वैसे ही दिखने वाली नई नस्ल तैयार की जाती है। इस तकनीक का सर्वश्रेष्ठ फायदा यह होता है कि इसमें अशुद्ध हानिकारक लक्षणों के लिए जिम्मेदार जीन से छुटकारा मिलने के साथ ही शुद्ध और अच्छी गुणवत्ता की जीन का संचय होता है।

हालांकि अंतः प्रजनन तकनीक के जरिए से कुछ नुकसान भी हो सकते है। लगातार अंत: प्रजनन विधि के पश्चात पर्याप्त होने वाली संतति पहले की तुलना में कमजोर होने लगती है और उन दोनों पशुओं की जनन एवं उत्पत्ति क्षमता में भी कमी आने लगती है।

  • बैकयार्ड प्रजनित तकनीक (Backyard Breeding) :

अमेरिका और दूसरे विकसित देशों में इस्तेमाल में आने वाली यह तकनीक मुख्यतः पशुओं से प्राप्त होने वाले उत्पादन पर फोकस करती है और अच्छी सेहत वाली नई नस्ल तैयार करने के लिए एनिमल साइंस का इस्तेमाल किया जाता है।

इस तरह की ब्रीडिंग तकनीक को बिना डॉक्टर की मदद से किया जाता है और केवल मुनाफा कमाने के लिए पशुओं के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जाता है।

वर्तमान में कुत्ते और दूसरे पालतू जानवरों के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है।

  • बाह्य प्रजनन तकनीक :

अलग-अलग नस्ल के दो पशुओं के मध्य प्रजनन की क्रिया को बाह्य प्रजनन तकनीक के द्वारा संपन्न किया जाता है। इस प्रजनन प्रक्रिया के दौरान कुछ विधियों का इस्तेमाल किया जाता है :

    • बाह्यः संकरण विधि :

इस विधि के तहत किसी भी नस्ल की चार से छह पीढ़ी के बाद की नस्ल के मध्य संक्रमण की प्रक्रिया की जाती है।

इस विधि का सबसे ज्यादा फायदा यह होता है कि इसकी मदद से प्रजनन में आने वाले अवसादन को पूरी तरह से दूर किया जा सकता है और अब लगातार प्रजनन के बाद प्राप्त होने वाले संतति भी पहले किके जैसे ही है श्रेष्ठ गुणों के साथ मिल पाती है।

    • शंकर विधि :

दो अलग-अलग नस्लों के मध्य संगम करवाने की प्रक्रिया को संकरण कहते हैं और प्राप्त हुई नई संतति को शंकर संतति कहा जाता है। जैसे बेगूस गाय ब्राह्या मेल और एवरडीन फीमेल से प्राप्त की गई एक संकर नस्ल है।

शंकर विधि के दौरान की अतिविशिष्ट संस्करण प्रक्रिया को भी अपनाया जाता है, जिसमें दो निकटतम प्रजातियों में संकरण की प्रक्रिया करवाई जाती है। हालांकि इस प्रक्रिया से प्राप्त होने वाली नई संतति बांझ होती है, जैसे कि घोड़े और गधे की अतिविशिष्ट संकरण से प्राप्त हुई नई नस्ल खच्चर आगे की पीढ़ी में रेप्रोडूस नहीं कर पाती है।



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  • कृत्रिम वीर्य सेचन विधि ( Artificial sperm Implant method ) :

कृत्रिम संसाधनों और वैज्ञानिक उपकरणों की मदद से नर पशु के वीर्य को प्राप्त करने के बाद उसे कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है और जरूरत पड़ने पर इस वीर्य को मादा के शरीर में डाला जाता है।

इस विधि का एक फायदा यह है कि यह बहुत ही सस्ती दर पर उपलब्ध हो जाती है और एक बार वीर्य प्राप्त करके कई मादाओं को गर्भित किया जा सकता है। साथ ही किसी उत्तम नस्ल की प्राप्ति के लिए पशुपालक को हर प्रकार के पशु चिकित्सालय में यह सुविधा आसानी से प्राप्त हो सकती है।



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पशु प्रजनन बढ़ाने के लिए किए जा रहे सरकारी प्रयास और स्कीम :

भारतीय पशु कल्याण बोर्ड भारत में पशु हिंसा जैसे मुद्दों को लेकर प्रयासरत है और पिछले पांच सालों से इसी बोर्ड की मदद से पशु प्रजनन बढ़ाने के लिए सरकार के द्वारा कुछ नई स्कीम लांच की गई है, जो कि निम्न प्रकार है :
  • राष्ट्रीय गोकुल मिशन :

दिसंबर 2014 में लांच की गई यह राष्ट्रीय गोकुल मिशन स्कीम (Rashtriya Gokul Mission - RGM) बेहतरीन प्रजनन तकनीक की मदद से स्थानीय प्रजातियों की नस्लों के विकास और उनकी संख्या बढ़ाने के लिए किए गए प्रयास का एक उदाहरण है। इस मिशन के तहत भारत के कई पशु चिकित्सकों को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के सहयोग से पशु प्रजनन से जुड़ी नई तकनीकों के बारे में भी जानकारियां दी जा रही है। कृषि मंत्रालय के द्वारा 2016 में लांच किया गया यह पोर्टल प्रजनन करवाने की विशेष दक्षता और उच्च गुणवत्ता वाले नर मवेशी रखने वाले किसानों को सामान्य किसान से सीधे संपर्क करवाता है
  • राष्ट्रीय पशुधन मिशन (National Livestock mission) :

2014 में कृषि मंत्रालय के द्वारा शुरू की गई राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम - NLM - National Livestock Mission) स्कीम के तहत पशुधन का पर्यावरण की हानि पहुंचाए बिना सस्टेनेबल विकास (Sustainable development) करने और नई वैज्ञानिक तकनीकों की मदद से प्रजनन की प्रक्रिया को जानवरों के लिए कम नुकसानदेह बनाते हुए गाय और भैंस की संख्या को बढ़ाकर अधिक उत्पादन प्राप्त करना है ।
  • राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम :

 2019 में 605 जिलों में शुरू हुआ यह कार्यक्रम अब तक 1500 से ज्यादा गांवों तक अपनी पहुंच बना चुका है और केवल 2 साल की अवधि में ही लगभग 50 लाख से ज्यादा मादा मवेशियों को उच्च गुणवत्ता वाले नर वीर्य से गर्भित किया जा चुका है। सन 2022 में इस प्रोग्राम के दूसरे फेज की शुरुआत करने की घोषणा भी की जा चुकी है।

पशु प्रजनन से किसान भाइयों को होने वाले फायदे :

पिछले कुछ सालों से पशु विज्ञान में हुए नए अनुसंधान की मदद से पशु प्रजनन में आयी दक्षता किसान भाइयों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है।


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बेहतरीन पशु प्रजनन की प्रक्रिया किसान भाइयों को कम लागत में अधिक उत्पादन देने वाले पशुओं की उपलब्धता करवाने के साथ ही, इस तरह तैयार पशु कई पशुजन्य रोगों (Zoonotic Diseases) के खिलाफ बेहतरीन प्रतिरोधक क्षमता भी दिखा पाते है, जैसे कि हाल ही में केन्या में प्रजनन प्रक्रिया से तैयार की गई 'गाला बकरी', पशुओं में होने वाले खुरपका और मुंहपका रोगों के खिलाफ बेहतरीन प्रतिरोधक क्षमता दिखाती है और बकरी की यह नस्ल इन रोगों से ग्रसित नहीं होती। आशा करते हैं कि पशुपालन में सक्रिय हमारे किसान भाइयों को Merikheti.com की तरफ से पशु प्रजनन से जुड़ी संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी और आने वाले समय में आप भी ऊपर बताई गई जानकारी का सही फायदा उठाकर सरकारी स्कीमों की मदद से एक बेहतरीन नस्ल वाली मवेशी का पालन कर उत्पादन बढ़ाने के साथ ही अधिक मुनाफा भी कमा पाएंगे।
पशुओं को आवारा छोड़ने वालों पर राज्य सरकार करेगी कड़ी कार्रवाही

पशुओं को आवारा छोड़ने वालों पर राज्य सरकार करेगी कड़ी कार्रवाही

योगी सरकार प्रदेश में घूम रहे निराश्रित पशुओं की सुरक्षा के लिए अभियान चलाने जा रही हैं। इसके लिए समस्त जनपदों के अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। उत्तर प्रदेश में सड़कों पर विचरण कर रहे पशुओं को लेकर अक्सर राजनीति होती रहती है। ऐसी स्थिति में सड़कों पर छुट्टा घूम रहे गोवंश को लेकर राज्य सरकार काफी सख्ताई बरत रही है। उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के समस्त जिला अधिकारियों को सड़कों पर घूम रहे निराश्रित गोवंश को गौशालाओं तक पहुंचाने के निर्देश दिए हैं। उत्तर प्रदेश के पशुधन और दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने बताया है, कि राज्य में यह अभियान चलाकर हम निराश्रित गोवंश का संरक्षण करने के साथ-साथ उन्हें गौशालाओं तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं। इसके लिए अधिकारियों को दिशा-निर्देश भी दिए गए हैं। राज्य सरकार की ओर से गौ संरक्षण करने के लिए यह योजना जारी की गई है।

गोवंश संरक्षण हेतु अभियान का समय

उत्तर प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह का कहना है, कि इस योजना का प्रथम चरण बरेली, झांसी और गोरखपुर मंडल में 10 सितंबर से 25 सितंबर तक सुनिश्चित किया जाएगा। सड़कों पर विचरण कर रहे गोवंश को गोआश्रय तक पहुंचाने का कार्य किया जाएगा। वहीं, इसके साथ ही उनके खान-पान की भी समुचित व्यवस्था की जाएगी। यह भी पढ़ें: योगी सरकार ने मुख्यमंत्री खेत सुरक्षा योजना के लिए 75 से 350 करोड़ का बजट तय किया

पशुओं को छुट्टा छोड़ने वालों पर होगी कानूनी कार्रवाई

उत्तर प्रदेश के पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने इन जनपद के किसानों एवं पशुपालकों से निवेदन किया है, कि कोई भी पशुओं को सड़कों पर निराश्रित ना छोड़ें। यदि कोई भी शक्श ऐसा करता पाया गया तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। उन्होंने जनपद के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं, कि ऐसे लोगों की पहचान की जाए जो पशुओं को खाली सड़कों पर छोड़ दे रहे हैं। साथ ही, संपूर्ण राज्य में इस अभियान का चरणबद्ध ढ़ंग से प्रचार-प्रसार किया जाए। सरकार स्थानीय प्रशासन, मनरेगा एवं पंचायती राज विभाग के सहयोग से समस्त जनपदों में गोआश्रय स्थल बनवाएगी और पहले से मौजूद गौशालाओं की क्षमता का विस्तार भी किया जाऐगा। यह भी पढ़ें: योगी सरकार द्वारा जारी की गई नंदिनी कृषक बीमा योजना से देशी प्रजातियों की गायों को प्रोत्साहन मिलेगा

मवेशियों की ईयर टैगिंग की जाऐगी

पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने बताया है, कि ग्रामीण क्षेत्र के सभी पशुओं का ईयर टैगिंग किया जाएगा। इसकी सहायता से मवेशियों की देखभाल और निगरानी में काफी आसानी होगी। इसके अतिरिक्त सरकार ने बाढ़ प्रभावित जनपदों में पशुओं के लिए पर्याप्त चारा, औषधीय और संक्रामक रोगों से संरक्षण के लिए दवाईयों एवं टीकाकरण की व्यवस्था भी करेगी।
लंपी स्किन बीमारी से बचाव के लिए राजस्थान सरकार ने जारी किए 30 करोड़ रुपये

लंपी स्किन बीमारी से बचाव के लिए राजस्थान सरकार ने जारी किए 30 करोड़ रुपये

बरसात का मौसम आते ही जानवरों को तमाम तरह की बीमारियां लगने लगती हैं। आज कल देश में लम्पीस्किन बीमारी यानी ‘लम्पी स्किन डिजीज‘ या एलएसडी (LSD - Lumpy Skin Disease) ने जोर पकड़ा हुआ है। 

यह बीमारी सबसे ज्यादा कहर राजस्थान राज्य में बरपा रही है। अच्छी बात ये है कि सरकार ने बीमारी को गंभीरता से लिया है और इससे पशुपालकों को निजात दिलाने के लिए 30 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं, 

ताकि पशुपालक दवाई खरीदते हुए पशुओं का इलाज करवा सकें। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के इस कदम की सराहना हो रही है। सीएम अशोक गहलोत ने इस राशि को मुख्यमंत्री पशुधन निःशुल्क दवा योजना (Pashudhan Nishulk Dava Yojna) के अंतर्गत जारी किया है। 

यह बीमारी सबसे ज्यादा गायों को लग रही है। सरकार का मानना है कि इस फैसले का असर सकारात्मक होगा और इस बीमारी से बचाव के लिए दवाइयां पशुपालक जल्दी से जल्दी खरीद सकेंगे।

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वैसे इस बीमारी से प्रभावित राजस्थान इकलौता राज्य नहीं है, बल्कि सटे राज्य हरियाणा में भी इस रोग ने कहर बरपाया हुआ है। वैसे हरियाणा सरकार ने भी इस बीमारी को हल्के में नहीं लिया है और वैक्सिनेशन का काम शुरू करवा दिया है।

गौर करने वाली बात है कि हरियाणा देश के उन राज्यों में से एक है जहां ग्रामीण जनता अपनी आमदनी के लिए खेती किसानी और पशु धन पर निर्भर है। 

यही वजह है कि मनोहर लाल खट्टर की सरकार ने इस बीमारी के जल्दी से जल्दी रोकथाम की कोशिशें तेज कर दी हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक 3000 वैक्सीन पशुपालकों को बांटी जा चुकी हैं, 

वहीं अभी 17000 वैक्सीन की जरूरत और आन पड़ी है। अगस्त महीने के अंत तक वैक्सीन के बांटने को लेकर और तेजी देखने को मिलेगी।

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एक आंकड़े के मुताबिक लंपी स्किन रोग देश के 17 राज्यों में अब तक फैल चुका है। लेकिन इस दौरान इसने सबसे ज्यादा प्रभावित राजस्थान और हरियाणा को किया है। 

अच्छी बात है कि राज्य सरकारों ने इसके लिए वैक्सिनेशन का काम शुरू कर दिया है लेकिन वैक्सिनेशन होने में समय भी लग सकता है। ऐसे में जरूरी है कि उसके पहले आप कुछ घरेलू उपचार ज़रूर कर लें। 

घरेलू उपचार क्या हो सकते हैं, इसके बारे में हिमाचल प्रदेश कृषि विश्‍वविद्यालय पालमपुर के पशु चिकित्‍सा विशेषज्ञ डॉ. ठाकुर ने बताया है।

उपचार के लिए क्या चाहिए होगा -

  • 10 ग्राम कालीमिर्च, 10 पान के पत्ते, 10 ग्राम नमक और गुड़ जरूरत के मुताबिक।
  • सभी चीज़ों को अच्छे से पीसें और तब तक पीसते रहें जब तक मिश्रित होकर पेस्ट न बन जाए और अब थोड़ा से गुड़ मिला लें। 
  • अब आपको इसे अपने पशु को थोड़ा-थोड़ा खिलाना है।
  • जब आप पहले दिन इसकी खुराक पशु को दें तो हर तीन घंटे में दें, समय के पाबंद रहें क्योंकि यह जरूरी है। - यह सिलसिला दो हफ्ते तक चलने दें और दिन में तीन खुराक ही खिलाएं।
  • हर एक खुराक ताजा ही तैयार करें, ऐसा न करें कि कल की बनाई खुराक को आज खिला दें, उसका असर नहीं होगा।

उपचार का दूसरा तरीका - इस तरीके में आपको एक मिश्रण तैयार करना होगा, जो आप घाव पर लेप के रूप में लगाएंगे। 

इसके लिए आपको लहसुन की 10 कली, मेहंदी के पत्ते कुछ, तिल का तेल करीब आधा लीटर, कुम्पी के कुछ पत्ते, हल्दी पाउडर, तुलसी के कुछ पत्ते चाहिए होंगे। 

इन सभी को मिक्सी या सिलबट्टे में पीस लें और पेस्ट बना लें । इसके बाद इसमें तिल का तेल मिलाते हुए उबाल लें, ठंडा होने के बाद लेप को आपको पशु के घाव पर लगाना है लेकिन इसके पहले पशु के घाव को अच्छी तरह साफ कर लें।

इसके बाद उसका पेस्ट आप घाव पर लगा दें, आपको हर रोज घाव पर इसे लगाना है और यह दो हफ्ते तक करना है। नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड‘ और ‘इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसडिसिप्लिनरी हेल्थ साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी’ ने प्रो. एन. पुण्यमूर्थी के मार्गदर्शन में कुछ पारंपरिक पद्दति द्वारा देशी ईलाज सुझाए हैं, 

जिन्हे आप इस लेख में पढ़ सकते हैं : लम्पी स्किन डिजीज (Lumpy Skin Disease) वैसे अगर आपको वैक्सिनेशन का लाभ मिलता है तो उसे तुरंत लें क्योंकि घरेलू उपचार की अपनी सीमाएं जबकि वैक्सीन शर्तिया काम करती है लेकिन जब तक आपको वैक्सीन न मिले, घरेलू इलाज करते रहें।

छत्तीसगढ़ सरकार ने शुरू की मुहिम, अब ऑनलाइन बेचे जा रहे उपले और गोबर से बने प्रोडक्ट

छत्तीसगढ़ सरकार ने शुरू की मुहिम, अब ऑनलाइन बेचे जा रहे उपले और गोबर से बने प्रोडक्ट

गांवों में किसान की जीविका का साधन पशु और खेती होती है। यही वजह है कि पशुओं को पशुधन बुलाया जाता है। किसान खेती से निकलने वाले भूसे से लेकर गोबर के उपले बनाने तक हर तरह से खेती और अपने पशुओं का उपयोग करता है, ताकि अपनी जीविका को चलाया जा सके। हाल फिलहाल में ऑनलाइन दुनिया के प्रसार के साथ गोबर से बनने वाली वस्तुओं की मांग बहुत तेजी से बढ़ी है।


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जिसे देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने एक कदम उठाया है ताकि गोबर के उत्पादों की बिक्री तेजी से हो, इसके लिए एक बाजार शुरू किया है। इसकी शुरुआत स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से हो रही है। मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक इस मुहिम में 354 स्वयं सहायता समूहों को जोड़ा गया है जिसमें 4,000 से ज्यादा महिलाएं शामिल हैं। ये महिलाएं जो भी गोबर से बने उत्पाद बनाएंगी उन्हें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराया जाएगा। इस तरह से, किसी भी शहर में रहने वाले लोग इन वस्तुओं को खरीद सकते हैं। तीज त्योहार में इन चीजों की जरूरत बड़े शहरों में बहुत महसूस की जाती है और यह मुहिम इसी के लिए शुरू की गई है। अब आप जानना चाहते होंगे कि ये स्वयं सहायता समूह कौन-कौन से गोबर से बने प्रोडक्ट बना रहे हैं, तो आपको बता दें कि इनमें खाद, गोबर से बने कंडे (उपले), दिये और फूलदान शामिल हैं।


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इस मुहिम को लेकर राजनांदगांव के कलेक्टर तरण प्रकाश सिन्हा काफी उत्साहित हैं। उन्होंने आंकड़ों की जानकारी देते हुए कहा है कि जिले की महिलाओं के द्वारा बनाए गए 5 करोड़ रुपये के गोबर प्रोडक्ट बेचे जा चुके हैं। साथ ही जो ऑनलाइन माध्यम में बेचना हाल फिलहाल में शुरू हुआ, उसके जरिए 1 लाख रुपये तक के प्रोडक्ट की बिक्री हो चुकी है। साथ ही ऑनलाइन माध्यम के जरिए बिक्री में बढ़ोतरी हर गुजरते दिन के साथ हो रही है।


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छत्तीसगढ़ सरकार छोटे मझोल किसानों के लिए अक्सर ही ऐसी योजनाएं लाती रहती है ताकि उन्हें सशक्त बनाया जा सके। पिछले महीनों सरकार ने गोधन न्याय योजना शुरू की थी। इस योजना के अंतर्गत डेयरी किसानों से 2 रुपये प्रति किलो खरीदा गया था और इस तरह से सरकार ने 66,400 क्विंटल गोबर की खरीदारी की थी। बहरहाल, ऑनलाइन पहले के साथ सरकार ने एक और मील का पत्थर छूने की कवायद शुरू कर दी है। गोबर की खाद को लेकर अक्सर बातें होती रहती हैं इसलिए इसकी मांग भी खूब है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए स्वयं सहायता समूह वर्मीकंपोस्ट बनाने में जुटे हुए हैं। आलम यह है कि अब तक 53,000 क्विंटल वर्मीकंपोस्ट स्वयं सहायता समूह बेच चुके हैं। इसके पहले खाद केवल गौशालाओं और किसानों को बेची जा रही थी लेकिन अब ऑनलाइन माध्यम से इसकी पहुंच देश भर में है और इनकी वर्मीकंपोस्ट की मांग तेजी से बढ़ी है। कई राज्यों से लाखों रुपये के ऑर्डर पहले से ही मिल चुके हैं।
देश में हो रही चारे कमी की हालात को लेकर वैज्ञानिकों ने जाहिर की चिंता

देश में हो रही चारे कमी की हालात को लेकर वैज्ञानिकों ने जाहिर की चिंता

भारत के पशु पालने वाले लोगों के बीच एक नई समस्या खड़ी हो रही है। दरअसल, हाल ही में रिपोर्ट किया गया है कि देश में चारे की भारी कमी हो रही है, वहीं दूसरी ओर पशुधन में बढ़ोतरी हो रही है। इस तरह से पशु पालने वाले लोगों को सामंजस्य बिठाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आंकड़ों में बात करें तो मौजूदा समय में देश में 11 फीसदी हरे चारे, 23 फीसदी सूखे चारे और 29 फीसदी दाने की कमी है। वहीं, इसी बीच 1.23 फीसदी पशुधन की बढ़ोतरी हुई है, जिसकी वजह से सामंजस्य बिठाना मुश्किल हो रहा है। आप सोच रहे होंगे कि ऐसा तो पहले कभी नहीं सुना, इस बार ऐसा क्या हो गया। तो आपको बता दें कि साल 2022 में, मार्च के महीने से ही भीषण गर्मी पड़नी शुरू हो गई थी, जिसकी वजह से फसलों को भारी नुकसान पहुंचा था। गेहूं की फसल को इतना नुकसान पहुंचा कि आने वाले महीनों में इस फसल के दाम आसमान छूने लगे थे। अब गेहूं की फसल खराब होने का असर चारे पर भी पड़ा है और देश में चारा संकट पशुपालकों के लिए जी का जंजाल बन गया है।

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वैज्ञानिकों की मानें तो यह केवल चारा संकट की शुरुआत है, अभी आने वाले दिनों में यह संकट और भी गहरा सकता है। क्योंकि देश में पशुधन तेजी से बढ़ रहा है और डिमांड-सप्लाई के बीच अंतर को पाट पाना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में वैज्ञानिक खासे परेशान हैं और उनका मानना है कि इसका हल जल्दी से जल्दी निकाला जाना चाहिए। हाल ही में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (CHAUDHARY CHARAN SINGH HARYANA AGRICULTURAL UNIVERSITY, HISAR - HAU) में एक सेमिनार का आयोजन किया गया था। इस सेमिनार का मकसद चारे की उत्पादकता को बढ़ाना है, ताकि मौजूदा समय में जो संकट तेजी से पशुपालकों को परेशान करने आ रहा है, उससे निजात दिलाई जा सके। इसमें शामिल हुए कुलपति प्रो बीआर कांबोज ने कहा कि पशुओं को अच्छा क्वालिटी वाला चारा देना जरूरी है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो वे दूध कम देने लगेंगे। ऐसे में पशुपालकों को क्वालिटी वाले चारे के बारे में जानकारी देना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि फसल के अवशेषों (Crop Residue) को पशुओं को खिलाया जाना चाहिए। इस तरह से अवशेषों को जलाने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी जिससे वायु प्रदूषण फैलता है।

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इस सेमिनार में यूनिवर्सिटी के रिसर्च डायरेक्टर डॉ. जीत राम शर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय ने चारा की 51 किस्में तैयार की हैं, जिनकी क्वालिटी कमाल की है। नई किस्में पशुओं के लिए बढ़िया हैं, क्योंकि ये पचती जल्दी हैं और अच्छा पोषण देती हैं।
ये राज्य सरकार दे रही है पशुओं की खरीद पर भारी सब्सिडी, महिलाओं को 90% तक मिल सकता है अनुदान

ये राज्य सरकार दे रही है पशुओं की खरीद पर भारी सब्सिडी, महिलाओं को 90% तक मिल सकता है अनुदान

सरकार के आंकड़े बताते हैं कि पशुपालन का व्यवसाय ग्रामीण क्षेत्रों में काफी फल फूल रहा है क्योंकि भारत के ग्रामीण इलाकों में पशुपालन के व्यवसाय के लिए ज्यादातर सुविधाएं प्राकृतिक रूप से मौजूद होती है। इसलिए यह व्यवसाय ग्रामीणों की दशा और दिशा दोनों को बदल रहा है। गावों में अब लोग दूध के साथ विभिन्न चीजों की प्राप्ति के लिए पशुपालन करते हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों से देखा जा रहा है कि सरकार भी अब पशुपालकों और किसानों को पशुपालन में मदद करने लगी है ताकि लोग इस व्यवसाय की तरफ ज्यादा से ज्यादा आकर्षित हों। इसके लिए केंद्र सरकार ने कई तरह की योजनाएं चलाई हैं, यह व्यवसाय छोटे और मध्यम किसानों के लिए उनकी आमदनी बढ़ाने में सहायक सिद्ध हुआ है। केंद्र सरकारों के साथ-साथ राज्य सरकारें भी अब इस दिशा में प्रयास कर रही हैं ताकि ग्रामीण किसानों और पशुपालकों को आर्थिक मजबूती प्रदान की जा सके। इसको देखते हुए झारखण्ड की सरकार ने मुख्यमंत्री पशुधन योजना (Mukhyamantri Pashudhan Yojana Jharkhand) शुरू की है, इस योजना के अंतर्गत पशुपालकों और किसानों को पशुओं की खरीद पर 75 से लेकर 90 प्रतिशत तक की सब्सिडी प्रदान की जा रही है। इस सब्सिडी से निश्चित तौर पर गावों के निचले तबके के लोगों को लाभ होने वाला है।


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गाय-भैंस की खरीद पर इस प्रकार से सब्सिडी देती है सरकार

झारखंड सरकार द्वारा चलाई जा रही मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना के अंतर्गत आपदा, आगजनी, सड़क दुर्घटना से प्रभावित परिवार की महिला, परित्यक्त और दिव्यांग महिलाओं को सरकार गाय-भैंस खरीदने में सब्सिडी प्रदान करेगी, जिससे वो कुछ कमाई कर पाएं और अपना जीवन यापन कर पाएं। इसके तहत इन लोगों को सरकार 2 गाय या 2 भैंस खरीदने के लिए 90% तक की सब्सिडी प्रदान करेगी। इसके पहले इन पात्र लोगों को मात्र 50 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाती थी, लेकिन राज्य सरकार ने अब इसे बढ़ा दिया है।

गाय-भैंस के अतिरिक्त इन पशुओं की खरीद पर भी सब्सिडी देती है सरकार

झारखंड के पशुपालन निदेशालय के अनुसार, राज्य के लोगों को सरकार बकरी पालन, सूअर पालन, बैकयार्ड लेयर कुक्कुट पालन, ब्रायलर कुक्कुट पालन (ब्रायलर मुर्गी पालन) और बत्तख चूजा पालन के लिए 75% तक की सब्सिडी प्रदान कर रही है। पहले यह सब्सिडी 50% दी जाती थी, लेकिन अब इसमें 25% की वृद्धि कर दी गई है।

मिनी डेयरी के लिए भी मिलेगा अनुदान

राज्य में कोई भी किसान या पशुपालक यदि 5 दुधारू गाय/भैंस या 10 गाय/भैंस के साथ मिनी डेयरी खोलना चाहता है, तो उसे कामधेनु डेयरी फार्मिंग की उपयोजना के तहत अनुदान प्रदान किया जाएगा। मिनी डेयरी खोलने के लिए सरकार सामान्य और पिछड़ा वर्ग के लोगों को अब 50 प्रतिशत तक का अनुदान देगी। पहले यह राशि मात्र 25 प्रतिशत थी, जिसे अब बढ़ा दिया गया है। साथ ही यदि कोई अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का किसान या पशुपालक मिनी डेयरी खोलना चाहता है, तो उसे सरकार अब 75 प्रतिशत की राशि सब्सिडी के रूप में देगी। पहले यह राशि 33.33 प्रतिशत थी।


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चैफ कटर का वितरण पर भी मिलेगा किसानों को अनुदान

पशुओं के लिए किसान अच्छे से अच्छे चारे का प्रबंध कर पाएं, इसको देखते हुए सरकार ने चारा/घास काटने वाली मशीन यानि चाफ कटर (Chaff cutter) का वितरण पर भी सब्सिडी प्रदान करने का निश्चय किया है। इसके वितरण में सरकार अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसानों को 90 प्रतिशत तक की सब्सिडी प्रदान करेगी। वहीं अन्य वर्गों के किसानों के लिए सरकार हस्तचालित चैफ कटर का वितरण योजना के अंतर्गत 75% तक की सब्सिडी प्रदान करेगी।

डेयरी प्रोसेसिंग के लिए भी अनुदान देगी झारखंड सरकार

ऐसे किसान जो पशुपालन के साथ ही डेयरी प्रोसेसिंग यानि दुग्ध प्रसंस्करण के धंधे में उतरना चाहते हैं, उनके लिए भी झारखण्ड सरकार अनुदान प्रदान करने जा रही है। यह अनुदान मिल्किंग मशीन, पनीर खोवा मशीन, बोरिंग एवं काऊ मैट आदि की खरीद पर दिया जाएगा। डेयरी प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए राज्य सरकार अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसानों और दुग्ध उत्पादक समितियों के मालिकों को 90 प्रतिशत तक सब्सिडी की सुविधा देगी। जबकि सामान्य, पिछड़ा, महिला और अन्य सभी वर्ग के पशुपालकों और दुग्ध उत्पादक समितियों के मालिकों को सरकार 75 प्रतिशत तक की सब्सिडी उपलब्ध करवाएगी।
तमिल नाडु राज्य के चेन्नई जनपद के मौसम से जुड़ी जानकारी

तमिल नाडु राज्य के चेन्नई जनपद के मौसम से जुड़ी जानकारी

भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा चेन्नई के लिए जारी जिला पूर्वानुमान के अनुसार जिले में आसमान साफ ​​रहेगा। अधिकतम तापमान लगभग 28.0-29.0 डिग्री सेल्सियस रहने की उम्मीद है। न्यूनतम तापमान लगभग 19.0-20.0 डिग्री सेल्सियस रहने की उम्मीद है। सुबह सापेक्षिक आर्द्रता के आसपास रहने की उम्मीद है। 80-90 प्रतिशत और शाम को सापेक्षिक आर्द्रता 50 प्रतिशत के आसपास रहने की उम्मीद है। पवन की गति लगभग 04-12 किमी प्रति घंटा रहने की उम्मीद है और हवा की दिशा पूर्व से होगी।

एसएमएस सलाह:

  1. पहले दिन से तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल क्षेत्र में तक शुष्क मौसम रहने की संभावना है।
  2. पशु औषधालयों में सभी शनिवारों को कुक्कुट के लिए नियमित टीकाकरण (आरडीवीके) किया जाता है। इसलिए किसानों को तदनुसार सलाह दी जाती है।
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पशुधन संबंधित सलाह

  1. खराब मौसम तक पशुओं को सुबह जल्दी चरने नहीं देना चाहिए।
  2. पीने के पानी को शरीर के तापमान तक गर्म करना चाहिए। ताकि शरीर के तापमान में गिरावट से बचा जा सके।
  3. खलिहान के फर्श को गर्माहट देने के लिए पुआल/लकड़ी की छीलन/सूखी सामग्री से बिछाना चाहिए और जानवरों को आराम।
  4. प्रसव के करीब आने वाले गर्भवती पशुओं को अलग से साफ सूखे आश्रय में रखा जाना चाहिए और जरूरी भी है। साइड की दीवारों को कवर करके क्लोड स्ट्रेस से सुरक्षित रहें।
  5. युवा बछड़े के शेड में पर्याप्त बिस्तर होना चाहिए। ताकि क्लोड तनाव को रोका जा सके जो बहुत हानिकारक है। युवा स्टॉक कुल।
  6. नवजात बच्चों/मेमनों को किड कम्फर्ट क्रेट जैसे माध्यमों से गर्माहट प्रदान की जानी चाहिए। बल्बों के प्रावधान के साथ ताकि वे ठंडे तनाव के शिकार न हों।
  7. पशुधन के स्वास्थ्य को ठंड में अच्छा बनाए रखने के लिए विटामिन और खनिज पूरक प्रदान किया जाना चाहिए।
  8. संक्रमण से बचने के लिए पशुधन आश्रय और खलिहान के आस-पास के क्षेत्रों को कीटाणुरहित किया जाना चाहिए।
  9. हताहतों/मृत्युओं के मामले में शवों को सुरक्षित प्रोटोकॉल का पालन करते हुए दफनाया जाना चाहिए। शवों को जलाशयों में नहीं फेंकना चाहिए।
  10. एंटीबायोटिक्स, मौखिक पुनर्जलीकरण समाधान, अंतः शिरा तरल पदार्थ के दौरान काम में संग्रहित किया जाना चाहिए।
जानें इन सरकारी योजनाओं के बारे में जिनसे आप अच्छा खासा लाभ उठा सकते हैं

जानें इन सरकारी योजनाओं के बारे में जिनसे आप अच्छा खासा लाभ उठा सकते हैं

प्रधानमंत्री कुसुम योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार सिंचाई करने हेतु सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से किसान भाइयों को अनुदान पर सोलर पंप मुहैया कराती है। भारत में किसान कृषि के साथ-साथ पशुपालन किया करते हैं। दूध उत्पाद बेचकर उनकी अच्छी आय हो सकती है। राज्य सरकारें भी पशुपालन को प्रोत्साहन देने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं जारी की जा रही हैं। साथ ही, विभिन्न राज्यों में तो दुधारू पशु पालने के लिए सीमांत किसानों को बेहतरीन पैदावार भी दी जा रही है। इस लेख में आज हम किसान भाइयों को उन मुख्य योजनाओं के विषय में बताने जा रहे हैं। जिनकी जानकारी लेकर वह सरकारी योजनाओं का खूब फायदा ले सकते हैं।

राष्ट्रीय बागवानी मिशन

राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत सरकार सब्जी की खेती, फल- फूल की खेती एवं औषधीय फसलों की खेती को प्रोत्साहन दे रही है। इसके लिए सरकार बंपर अनुदान दे रही है। वास्तविकता में सरकार यह मानती है, कि कम भूमि रखने वाले किसान भूमि के छोटे से हिस्से में ही सब्जी एवं फलों का उत्पादन करके बेहतरीन आय कर सकते हैं। विशेष बात यह है, कि इस मिशन के अंतर्गत किसानों को बागवानी करने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इस मिशन के चलते किसान सब्सिड़ी पाने के लिए आवेदन कर ग्रीनहाउस, पॉलीहॉउस एवं लो टनल जैसे ढांचे लगा सकते हैं। जिसमें सब्जियों की पैदावार बेहतरीन होती है और जलवायु परिवर्तन का भी प्रभाव नहीं पड़ता है। ये भी देखें: बागवानी के साथ-साथ फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर हर किसान कर सकता है अपनी कमाई दोगुनी

राष्ट्रीय पशुधन मिशन

राष्ट्रीय पशुधन मिशन केंद्र द्वारा जारी की गई एक योजना है। इस योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार सीमांत किसानों की आय को बढ़ाना चाहती है। इसके लिए सरकार की ओर से मछली पालन, बकरी पालन, भेड़ पालन एवं गाय- भैंस पालन करने वाले किसानों की आर्थिक सहायता करी जाती है। इसके अतिरिक्त किसान भाइयों को अनुदान भी दिया जाता है। ऐसी स्थिति में किसान भाई इस योजना से फायदा उठाकर अपनी कमाई में बढ़ोत्तरी कर सकते हैं। खबरों के अनुसार, इस राष्ट्रीय पशुधन मिशन के अंतर्गत गांव में पोल्ट्री फॉर्म एवं गोशाला शुरू करने के लिए 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है। इस योजना से जुड़ी विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए आप https://dahd.nic.in/national_livestock_miss पर जा सकते हैं।

पीएम कुसुम योजना

प्रधानमंत्री कुसुम योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार सिंचाई करने हेतु किसान भाइयों के हित में सोलर पंप उपलब्ध कराती है। इसके लिए केंद्र सरकार किसानों को 60 प्रतिशत तक अनुदान दे रही है। देश में लाखों किसानों ने इस योजना का फायदा उठाया है। अब इन किसानों को फसलों को सिंचित करने के लिए वर्षा पर आश्रित नहीं रहना पड़ रहा है। साथ ही, यह डीजल भी नहीं खरीद रहे हैं। फिलहाल, किसान सौर उर्जा के जरिए से सिंचाई कर रहे हैं। इससे किसानों को कृषि पर किए जाने वाले व्यय से राहत मिली है। विशेष बात यह है, कि सरकार अनुदान के अतिरिक्त सोलर पंप स्थापित करने के लिए समकुल व्यय का 30 प्रतिशत कर्ज भी मुहैय्या करा रही है। यदि देखा जाए तो किसान भाइयों को केवल सोलर पंप स्थापित करने में अपनी जेब से 10 फीसद ही कुल लागत का खर्च करना होगा।
गाय खरीदने पर 90 फीसदी सब्सिडी दे रही है सरकार, यहां करें आवेदन

गाय खरीदने पर 90 फीसदी सब्सिडी दे रही है सरकार, यहां करें आवेदन

केंद्र सरकार के साथ-साथ देश की राज्य सरकारें भी अपने प्रदेश के किसानों की आय बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। जिसको देखते हुए सरकारें किसानों को कई तरह की सुविधाएं उपलब्ध करवाती हैं ताकि किसान भाई कम समय और कम मेहनत में अपनी आय को जल्द से जल्द दोगुना कर पाएं। इसी कड़ी में सरकार ने किसानों को पशुपालन के प्रति जागरुख करना शुरू कर दिया है, जिससे किसान खेती बाड़ी के साथ-साथ पशुपालन करके कुछ अतिरिक्त पैसे कमा सकें। अब झारखंड राज्य की सरकार अपने किसानों को दुधारू पशुओं की खरीद के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए सरकार ने किसानों को आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है। झारखंड सरकार की तरफ से कहा गया है कि मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना के अंतर्गत राज्य के किसानों को दुधारू गाय की खरीद पर 90 फीसदी की सब्सिडी दी जाएगी। इसका मतलब है कि किसान को दुधारू गाय की खरीद पर मात्र 10 फीसदी रकम ही भुगतान करनी होगी। झारखंड सरकार के अधिकारियों ने बताया है कि प्रारम्भिक तौर पर यह सब्सिडी महिला किसानों को दी जाएगी। अन्य किसानों को दुधारू गाय की खरीद पर मात्र 75 फीसदी की सब्सिडी प्रदान की जाएगी।

सब्सिडी प्राप्त करने के लिए यहां करें आवेदन

जो भी किसान मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना के अंतर्गत लाभ लेकर दुधारू गाय खरीदना चाहते हैं, वो योजना की अधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। इसके साथ ही किसान गव्य विकास अधिकारी के कार्यालय पर भी जाकर आवेदन कर सकते हैं। यह योजना राज्य के सभी जिलों में लागू कर दी गई है, इसलिए राज्य के सभी किसान इस योजना के अंतर्गत लाभ लेने के लिए पात्र हैं। सरकार का मानना है कि इस योजना से किसान पशुपालन के लिए प्रोत्साहित होंगे, जिससे राज्य में दूध उत्पादन बढ़ेगा और दूध की मांग की पूर्ति की जा सकेगी। साथ ही पशुओं से गोबर भी प्राप्त होगा, जिससे राज्य में प्राकृतिक और जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा।

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ये किसान कर सकतें है आवेदन

मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना के अंतर्गत लाभ लेने के लिए किसान को झारखंड का मूल निवासी होना अनिवार्य है। इसके साथ ही किसान के पास पशुपालन के लिए आधारभूत संरचनाएं होनी चाहिए। साथ ही पानी की व्ययस्थाऔर चारागाह होना चाहिए, जिससे पशु बिना किसी परेशानी के रह सकें। इसके साथ आवेदनकर्ता के पास आधार कार्ड, पेन कार्ड, जमीन के कागजात, बैंक खाता, मोबाईल नंबर और पासपोर्ट साइज़ की फोटो होना चाहिए। आवेदन करते वक्त किसान को ये सभी जानकारियां संलग्न करनी होंगी।

अन्य राज्यों में भी शुरू हो चुकी है ऐसी योजना

पशुपालन में सब्सिडी प्रदान करने की योजना अभी तक देश के कई राज्यों में शुरू हो चुकी है। हाल ही में इस प्रकार की योजना को मध्य प्रदेश की सरकार ने हरी झंडी दिखाई थी। इस तरह की योजना के अंतर्गत मध्य प्रदेश की सरकार राज्य के बैगा, भारिया और सहरिया समाज के लोगों को पशुपालन से जोड़ने की कोशिश कर रही है। इन सामाज के लोगों को मध्य प्रदेश की सरकार 2 दुधारू पशु मुफ़्त में दे रही है। जिनमें गाय या भैंस हो सकती है। इसके साथ ही मध्य प्रदेश की सरकार पशुओं पर होने वाले सभी प्रकार के खर्चों की 90 फीसदी राशि भी देती है। इस राशि में पशु चारे का खर्च भी शामिल किया गया है।