जानकारी के लिए बतादें कि उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा एथेनॉल उत्पादक प्रदेश माना जाता है। राज्य में तकरीबन 200 करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन होता है। विशेष बात यह है, कि पांच वर्ष पूर्व यूपी में मात्र 24 करोड़ लीटर ही एथेनॉल का उत्पादन हो पाता था।
पूरी दुनिया में प्राकृतिक ईंधन की खपत के साथ मांग भी तीव्रता से बढ़ती जा रही है। ऐसी स्थिति में पेट्रोल- डीजल के भंडार को अतिशीघ्र समाप्त होने का संकट मडराने लगा है।
परंतु, भारत के साथ- साथ बाकी देशों ने पेट्रोल- डीजल की खपत में गिरावट करने हेतु उत्तम विकल्प का चयन कर लिया है। वर्तमान में प्राकृतिक ईंधन के स्थान पर जैविक ईंधन के इस्तेमाल को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
विशेष रूप से भारत में गन्ने के रस द्वारा प्रति वर्ष करोड़ों लीटर एथेनॉल निर्मित किया जा रहा है, जिसका इस्तेमाल इंधन के तौर पर किया जा रहा है।
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दरअसल, भारत में एथेनॉल निर्मित करने हेतु अलग से बहुत सारे प्लांट स्थापित किए गए हैं। परंतु, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने से बड़े पैमाने पर एथेनॉल की पैदावार की जा रही है।
विशेष बात यह है, कि इस कार्य में स्वयं चीनी मिलें जुटी हुई हैं। उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों में गन्ने के माध्यम से एथेनॉल निर्मित किया जा रहा है।
दरअसल, सरकार का कहना है, कि एथेनॉल के इस्तेमाल से पेट्रोल-डीजल की खपत में गिरावट आएगी। इससे इनकी कीमतों में भी काफी कमी देखने को मिलेगी। जिसका प्रभाव प्रत्यक्ष रूप से महंगाई पर होगा।
एथेनॉल किस तरह से बनाया जाता है
एथेनॉल निर्मित करने के लिए सर्वप्रथम गन्ने की मशीन में पेराई की जाती है। इसके उपरांत गन्ने के रस को एक टैंक में कुछ घंटों तक इकट्ठा करके उसे फर्मेंटेशन के लिए छोड़ दिया जाता है। उसके बाद टैंक में बिजली द्वारा हिट देकर एथेनॉल तैयार किया जाता है। विशेष बात यह है, कि आप एक टन गन्ने द्वारा 90 लीटर तक एथेनॉल निर्मित कर सकते हैं। तो वहीं एक टन गन्ने के उपयोग से 110 से 120 किलो तक ही शक्कर की पैदावार की जा सकती है।
एथेनॉल को ईंधन के तौर पर ऐसे इस्तेमाल करें
एथेनॉल एक प्रकार का जैविक ईंधन माना जाता है। इसका पेट्रोल में मिश्रण करके ईंधन की भांति उपयोग किया जाता है। इससे संचालित होने वाली गाड़ियां काफी कम प्रदूषण करती हैं। अब हम ऐसी स्थिति में कह सकते हैं, कि एथेनॉल पर्यावरण सहित किसानों के लिए भी लाभकारी है। साथ ही, ईंधन के तौर पर एथेनॉल का इस्तेमाल बढ़ने से आम जनता को भी महंगाई से काफी सहूलियत मिलेगी।
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एथेनॉल से निर्मित ईंधन 30 से 35 रुपए की बचत कराएगा
दरअसल, फिलहाल एथेनॉल का भाव 60 से 65 रुपये लीटर है। वहीं, पेट्रोल की कीमत 100 रुपये के लगभग है। अगर आगामी समय में एथेनॉल का इस्तेमाल ईंधन के तौर पर बढ़ेगा तो आम जनता को महंगाई से सहूलियत मिलेगी। पेट्रोल-डीजल की कीमत में वृद्धि आने पर उसका प्रत्यक्ष रूप से महंगाई पर प्रभाव पड़ता है, क्योंकि माल ढुलाई का खर्चा भी बढ़ जाता है।
ऐसी स्थिति में खाद्यान वस्तुएं भी काफी महंगी हो जाती हैं। हालांकि, ईंधन के तौर पर एथेनॉल का इस्तेमाल करने पर पेट्रोल की तुलना में आम जनता को 30 से 35 रुपये प्रति लीटर की बचत होगी।
इतने लाख टन कार्बन के उत्सर्जन में भी आई कमी
वर्तमान में भारत के अंदर पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रित कर के बेची जा रही है। हालाँकि, केंद्र सरकार का लक्ष्य है, कि वर्ष 2025 तक पेट्रोल में एथेनॉल की मात्रा में वृद्धि करके 20 प्रतिशत तक कर दिया जाएगा। हालांकि, ईंधन में एथेनॉल मिश्रित करके केंद्र सरकार द्वारा अब तक 41 हजार करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत की गई है। इसी कड़ी में लगभग 27 लाख टन कार्बन का उत्सर्जन भी कम हुआ है।
कितने करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन किया जाता है
भारत का उत्तर प्रदेश राज्य सर्वोच्च एथेनॉल उत्पादक प्रदेश है। प्रदेश में तकरीबन 200 करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन होता है। विशेष बात यह है, कि पांच वर्ष पूर्व यूपी सिर्फ 24 करोड़ लीटर ही एथेनॉल की पैदावार कर पाता था।लेकिन, सर्वाधिक एथेनॉल उत्पादन करने के बावजूद भी उत्तर प्रदेश चीनी उत्पादन में भी देश में प्रथम स्थान पर है। गन्ना सीजन 2022-23 में यूपी द्वारा 150.8 लाख टन चीनी का उत्पादन किया गया है, जो कि विगत वर्ष इसी अवधि तक 150.8 लाख टन से भी ज्यादा है। ऐसी स्थिति में यह कहा जा सकता है, कि एथेनॉल उत्पादन का प्रभाव चीनी उत्पादन पर नहीं होगा।