Published on: 14-Apr-2023
दुनिया भर में मांस के कारण बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसे मीट का निर्माण किया है, जो दिखने में पूरी तरह से मीट की तरह ही है, उसका स्वाद और रंग मीट की तरह है, लेकिन उसे पेड़ों से बनाया जाता है। इसलिए उसे शाकाहारी मीट या प्लांट बेस्ड मीट कहा जाता है। यह पूरी तरह से शाकाहारी है, इसे आर्टिफियल कलर्स और एडिड प्रिजर्वेटिव डालकर तैयार किया जाता है। जिससे इसका सेवन करने से इसमें मीट जैसा स्वाद आता है, लेकिन वास्तव में यह मीट नहीं है। इसको बनाने में पेड़ों के साथ-साथ सब्जियों और अनाजों का भी बहुतायत में उपयोग किया जाता है।
अब भारत के साथ ही विश्व के कई देशों में प्लांट बेस्ड मीट की जबरदस्त मांग है, क्योंकि अब लोग इसे जमकर पसंद कर रहे हैं। मौके की नजाकत को देखते हुए टाटा और आईटीसी जैसी बड़ी कंपनियों ने भी अब प्लांट बेस्ड मीट को बाजार में उतार दिया है। इससे कंपनियां जमकर मुनाफा कमा रही हैं। इसको देखते हुए अब किसानों के पास भी यह सुनहरा मौका है कि वो एग्री बिजनेस के तहत प्लांट मीट का व्यापार कर सकते हैं।
इन चीजों से बनाया जाता है प्लांट बेस्ड मीट
यह पूरी तरह से शाकाहारी है, इसलिए इसके निर्माण में पूरी तरह से शाकाहारी चीजें उपयोग की जाती हैं। इसके निर्माण में ज्यादातर फलियां, दाल, किनोवा, नारियल का तेल, गेहूं के ग्लूटन या सीतान,
सोयाबीन, मटर, चुकंदर के रस के अर्क को उपयोग में लाया जाता है। इसमें ओट्स और बादाम के दूध का भी इस्तेमाल होता है। यह मीट पूरी तरह से वनस्पतियों से तैयार किया जाता है। आजकल देश के बड़े-बड़े होटलों और रेस्त्रां में इस मीट का प्रयोग बढ़ गया है। भारत में कई ऐसे सेलेब्रिटी हैं जो वास्तविक मीट की जगह पर प्लांट बेस्ड मीट को प्रमोट कर रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक 2030 तक प्लांट बेस्ड मीट का व्यवसाय 1 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।
इस मीट से इस प्रकार होते हैं हेल्थ बेनिफिट
जानवरों से प्राप्त मीट में कैलोरी, सैचुरेटेड और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बहुत ज्यादा होती है, जबकि प्लांट बेस्ड मीट में ज्यादातर फाइबर और हेल्दी प्रोटीन पाया जाता है। इसलिए इसमें कैलोरी, सैचुरेटेड और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा न के बराबर होती है। इसके साथ ही अगर जानवरों से प्राप्त मीट की जगह प्लांट बेस्ड मीट का सेवन किया जाता है तो इससे सेवनकर्ता को हाई बीपी, मोटापा, कैंसर और लॉन्ग टर्म क्रॉनिक डिजीज की संभावना भी बहुत कम होती है। यह मांस हृदय रोग और डायबिटीज की संभावना को भी कम कर देता है, जबकि जानवरों से प्राप्त मीट के सेवन में इन रोगों का खतरा बना रहता है।
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चूंकि यह पूरी तरह से इको फ्रेंडली होता है इसलिए इसके सेवन से कैंसर, आंत और पाचन से जुड़े रोगों का खतरा भी नहीं रहता। जो लोग भी मांसाहार छोड़ना चाहते हैं यह उनके लिए वरदान से कम नहीं है।
किसान कमा सकते हैं इससे जबरदस्त मुनाफा
आजकल सरकार एग्री बिजनेस और एग्री स्टार्ट अप स्कीम को प्रमोट कर रही है। इसके अंतर्गत यदि किसान चाहें तो प्लांट बेस्ड फूड बिजनेस के सेक्टर में कदम रख सकते हैं। साथ ही प्लांट बेस्ड मीट का उत्पादन शुरू कर सकते हैं। इसके लिए वो ऑर्गेनिक रॉ-मटेरियल खुद के खेतों पर ही उत्पादित कर सकते हैं। ऐसे बिजनेस को शुरू करने के लिए सरकार भारी अनुदान और लोन देती है। किसान भाई लोन और अनुदान प्राप्त करने के लिए अपने जिले के कृषि विभाग या खाद्य विभाग से संपर्क कर सकते हैं।