केन्द्रीय कृषि मंत्री द्वारा बातचीत के लिए आमंत्रित किए गए 40 किसान यूनियन के प्रतिनिधियों ने आज राजधानी दिल्ली के विज्ञान भवन में कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, खाद्य उपभोक्ता एवं सार्वजनिक वितरण, रेलवे और वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री श्री सोमप्रकाश के साथ बातचीत में हिस्सा लिया। इस बातचीत में कृषि मंत्रालय, खाद्य, उपभोक्ता और सार्वजनिक वितरण मामलों के मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया। यह बातचीत का चौथा दौर था जो सौहार्दपूर्ण और स्पष्ट वातावरण में आयोजित किया गया। किसान यूनियनों ने 5 दिसम्बर को अगली बैठक में भी हिस्सा लेने पर सहमति जताई है। केन्द्रीय कृषि मंत्री ने बातचीत के शुरू में ही किसानों के कल्याण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया और यूनियनों के प्रतिनिधियों से अपने दृष्टिकोण और उन मुद्दों को भी पेश करने को कहा जिन्हें वे विवादित मानते हैं। किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों ने 3 कानूनों की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाया। सरकार ने अपनी ओर से उन संवैधानिक प्रावधानों का जिक्र किया जिनके तहत केन्द्र सरकार ने इन अधिनियमों को बनाया था। बैठक में किसानों ने एपीएमसी से संबंधित मुद्दों को उठाते हुए कहा कि एपीएमसी निजी बाजारों और व्यापार केन्द्रों के बीच समान स्तर होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि एपीएमसी के दायरे से बाहर कारोबार करने के उचित पंजीकरण की आवश्यकता है। किसान यूनियनों ने अनुबंध कृषि कानून के तहत किसानों की जमीन की सुरक्षा के मुद्दे को भी उठाया और यह भी अनुरोध किया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को वैध बनाया जाए। नए कृषि अधिनियमों में विवाद निपटारा संबंधी प्रणाली के बारे में किसान यूनियनों ने कहा कि इस दिशा में एक वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली की आवश्यकता है। बातचीत के दौरान अनुबंध कृषि के पंजीकरण की आवश्यकता के मसले को भी उठाया गया। कृषि एवं किसान कल्याण सचिव श्री संजय अग्रवाल ने कृषि कानूनों के बारे में विस्तृत जानकारी दी और लॉकडाउन अवधि के दौरान कृषि मंत्रालय की ओर से किसानों के हितों के लिए उठाए गए कदमों तथा आवश्यक कृषि वस्तुओं की आपूर्ति चेन को सक्रिय बनाए रखने के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों को किसानों के कल्याण के लिए बनाया गया है। कृषि मंत्री श्री तोमर ने किसान यूनियनों को आश्वस्त किया कि न्यूनतम समर्थन प्रणाली बरकरार रहेगी और किसानों को इस बात से नहीं डरना चाहिए कि इस प्रणाली को समाप्त कर दिया जाएगा। उन्होंने किसान संगठनों को उनकी चिंताओं को चिन्हित करने के लिए धन्यवाद किया और यह भी आश्वस्त किया कि बातचीत जारी रहेगी।