किसान भाइयो यूरिया का प्रयोग नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए आप सभी करते हैं। आज-कल इसका उपयोग बहुत ज्यादा हो रहा है। यूरिया में 46 प्रतिशन नाइट्रोजन होती है। इसका ज्यादा उपयोग किसानों को तो आर्थिक नुकसान पहुंचाता ही है साथ ही जमीन की उपज क्षमता को भी प्रभावित करता है। आप एक बोरा का काम महज दो किलोग्राम यूरिया से कर सकते हैं। आइये बताते हैं वह तरीका कौनसा है।
यूरिया में नाइट्रोजन होती है। यह एक तरह की गैस है जिसे विशेष तत्वों के साथ मिश्रण बनकार दाने का रूप प्रदान किया जाता है। किसान इसेे आसान होने के कारण खेत में बुरकते हैं। इसका 30 से 40 प्रतिशत अंश ही पौधों द्वारा उपयोग में लिया जाता है। बाकी यतो पानी के साथ घुलकर जमीन के अंदर चला जाता है या फिर वास्प बनकर हवा में उड़ जाता है। इसे रोकन के लिए मोटे दाने वाला यूरिया बाजार में उतारा गया है ताकि वह धीमे धीमे गल कर पौधों को ज्यादा मिले लेकिन यह तरीका भी कारगर नहीं सिद्ध हो सका है।
एक बोरा यूरिया काम दो किलोग्राम यूरिया से करने के लिए 100 लीटर पानी में दो किलोग्राम यूरिया का घोल बनाएं। जब भी यूरिया बुरकना हो तब उसे बुरकने के बजाय खड़ी फसल पर छिड़काव करें। उक्त घोल आधा एकड़ से ज्यादा फसल पर छिड़कने के लिए पर्याप्त है। ध्यान यह रहे कि पानी की मात्रा कम न रह जाए अन्यथा फसल के पत्ते जल सकते हैं। छिडकाव में दिए गए यूरिया की खुुराक 90 प्रतिशत से ज्यादा केवल पौधे को मिलेगी। वह जमीन पर नहीं गिरेगी। इससे जमीन की उपज क्षमता भी बनी रहेगी। आपको धन कम खर्चना होगा और पर्णीय छिडकाव वाली खुराक तत्काल पौधे द्वारा ग्रहण कर ली जाएगी।