नई दिल्ली। भारत सरकार ने हाल ही में चावल के निर्यात (rice export) पर 20 फीसदी निर्यात शुल्क लगाने का फैसला लिया था, लेकिन विदेशी खरीददारों ने अतिरिक्त निर्यात शुल्क देने से मना कर दिया है, जिस कारण भारत का 10 लाख टन चावल बंदरगाहों पर अटका हुआ है। घरेलू बाजार में चावल की कीमतों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से सरकार ने बीते 9 सितंबर से चावल के निर्यात पर प्रतिबंध के साथ-साथ 20 फीसदी अतिरिक्त शुल्क लागू कर दिया था। उधर निर्यातक संगठन का कहना है कि सरकार ने अचानक व तत्काल प्रभाव से अतिरिक्त शुल्क लागू कर दिया है। लेकिन खरीददार इसके लिए तैयार नहीं हैं। यही कारण है कि चावल का लदान बंद कर दिया गया है, और 10 लाख टन से ज्यादा चावल बंदरगाहों पर फंस गया है। ये भी पढ़ें – असम के चावल की विदेशों में भारी मांग, 84 प्रतिशत बढ़ी डिमांड दुनियां के सबसे बड़े चावल निर्यातक भारत द्वारा चावल पर रोक लगाने के बाद अब भारत के पड़ोसी देशों सहित दुनियाभर में चावल के लिए मारामारी होना तय है, इससे कई देशों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी।