प्याज की खेती देश के कई राज्यों में प्रमुखता से की जाती है। इनमें यूपी, हरियाणा, महाराष्ट्र, उडीसा, गुजरात, महाराष्ट्र एवं कर्नाटक प्रमुख हैं। इसकी कीमतें कई दफा आसमान छू जाती हैं। इसका लाभ वही किसान ले पाते हैं जो अपने माल को रोकने की क्षमता रखते हैं। प्याज महत्वपूर्ण सब्जी एवं मसाला फसल है इसमें प्रोटीन एवं कुछ बिटामिन भी अल्प मात्रा में रहते हैं। प्याज में बहुत से औसधीय गुण पाये जाते हैं। इसका सूप, अचार एवं सलाद के रूप में उपयोग किया जाता है। मध्य प्रदेश भारत का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक प्रदेश है। प्याज की खपत महानगरीय क्षेत्रों से लेकर ग्रामीणों क्षेत्रों तक है। प्याज की खेती साल में दो बार रबी एवं खरीफ सीजन में करी जा सकती है। प्याज की फसल हल्की दोमट से लकर भारी दोमट मृदा में उगाई जा सकती है। उचित जलनिकास एवं जीवांशयुक्त उपजाऊ दोमट तथा वलूई दोमट भूमि जिसका पी.एच. मान 6.5-7.5 के मध्य हो सर्वोत्तम होती है।
एग्री फाउण्ड डार्क रेड किस्म भारत में सभी क्षैत्रों में उगाने को उपयुक्त हैं। इसके कन्द गोलाकार होते हैं। यह 95-110 दिन में तैयार हो जाती है। इसकी औसत उपज 300 क्विंटल प्रति हैक्टेयर मिलती है। एन-53 किस्म को भी सभी क्षेत्रों में उगाया जा सकता है। यह 140 दिन में तैयार होकर250-300 क्विंटल प्रति हैक्टेयर उपज देती है। बसवन्त 780 किस्म भी अच्छे उत्पाद वाली किस्म है। भीमा सुपर किस्म पिछेती खरीफ के लिये उपयुक्त है। यह किस्म 110-115 दिन में तैयार हो जाती है तथा प्रति हेक्टेयर 250-300 किवंटल तक उपज देती है। इसकी नर्सरी जून में डाली जाती है और अगस्त तक पौध रोपदी जाती है।
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रबी
सीजन के लिए एग्रीफाउन्ड लाइट रेड, कल्यानपुर रेड, पूसा रेड एवं नासिक रेड किस्में उपयुक्त हैं। इसकी पौध मध्य अक्टूबर से नवंबर तक डाली जा सकती है। उपज 300 से 350 कुंतल तक मिलती है। एक हैक्टेयर के लिए 8 से 10 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है।
प्याज के सफल उत्पादन में भूमि की तैयारी का विशेष महत्व हैं। हैरों एवं कल्टीबेटर से बारी बारी से जुताई करें। एक से दो जोताई के बाद पाटा लगाएं ताकि ढ़ेल फूटकर मिट्रटी भुरभुरी हो जाए। भूमि को सतह से 15 से.मी. उंचाई पर 1.2 मीटर चैड़ी पट्टी पर रोपाई की जाती है अतः खेत को रेज्ड-बेड सिस्टम से तैयार किया जाना चाहिए।
प्याज की खेती के लिए पर्याप्त पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। गोबर की सड़ी खाद 25 टन प्रति हैक्टेयर रोपाई से एक-दो माह पूर्व खेत में डालना चाहिए। इसके अतिरिक्त नत्रजन 100 कि.ग्रा., फास्फोरस 50 तथा पोटाश 50 कि.ग्रा. प्रति हैक्टेयर आखिरी जोत में मिलाएं। इसके अतिरिक्त सल्फर 25 एवं जिंक 5 कि.ग्रा. प्रति हैक्टेयर प्याज की गुणवत्ता सुधारने के लिए आवश्य डालेें।