खल रही किसान नेतृत्व की कमी, सरकार कर रही खेल
देश में नेतृत्व विहीन किसान एक माह से ज्यादा समय से सड़क पर हैं। कोई एक सर्वमान्य किसान नेता न होने का फायदा उठाने की कोशिश भी सरकार कुछ संगठनों को कानूनों के समर्थन में खड़ा करके कर चुकी है। सरकार द्वारा बनाए गए कानून को लेकर दिल्ली जाने वाले कई मार्गों को किसानों द्वारा बंद किए जाने के बाद कोर्ट ने भी सादगी से एक अपील सरकार से की, कि क्या इन कानूनों को होल्ड किया जा सकता है लेकिन कोर्ट ने भी बेहद मर्यादित टिपण्णी कर चुप्पी साध ली। बात साफ है सरकार बनाम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार जो भी करती है दृढ़ संकल्प के साथ करती है।आज हम कृषि, कृषि कानून और उस पर किसान और सरकार के बीच चल रहे दांव पेच के बीच हालात को बारीकी से समझने का प्रयास करेंगे।सरकार पर भरोसे में आई कमी
जिस दौर में अर्थव्यवस्था परवान चढ़ रही थी उस दौर में नोट बंदी कर बेड़ा गर्क करा दिया। जिन लोगों की सलाह पर मोदी सरकार में यह फैसला लिया गया उस दौर की तकलीफें किसी से छिपी नहीं। घर परिवार की जरूरतों की चिंता में लोग दिन निकलने से लेकर सायं तक बैंक, एटीएम की लाइन और न जाने कहां-कहां भटकते नजर आए। इन कष्टों को भी लोगों ने सरकार पर भरोसा होने के कारण खुशी-खुशी सह लिया। सरकार की अपील लोगों ने कोरोना जैसी महामारी पर विजय पाने के लिए उत्साह वर्धन हेतु जमकर ताली और थाली बजाई। एक अपील पर 18 दिन घरों में कैद तक रहे। महीनों अन्य तरह की बंदिशों के शिकार रहे। कोरोना काल में अच्छे-अच्छे उद्योग और उद्योगपति हांफ गए लेकिन कृषि ने जीडीपी में 4 प्रतिशत की ग्रोथ दी लेकिन उस कृषि के उभरते हुए क्षेत्र को भी नोटबंदी की तरह छेड़ दिया। वहां अर्थव्यवस्था का बेडा गर्क हुआ वहीं यहां कृषि क्षेत्र का बेड़ा गर्क होने की आशंका से किसान सड़कों पर हैं।खत्म हो जाएगी कृषि विविधता
कंपनी यानी लाभकारी सोच वाले लोगों का समूह। जो लोग सिर्फ लाभ कमाने में भरोसा रखते हैं वह केवल लाभ वाली चीजों पर ही फोकस करते हैं। नए कृषि कानूनों के बाद कान्ट्रेक्ट फार्मिंग के फार्मूले में भी यहीं होगा। कारोबारी या बड़ी कंपनी किसानों से वही फसलें लगवाएंगी जिनसे उन्हें ज्यादा लाभ मिलने की उम्मीद होगी। बात साफ है वैश्विक उत्पादन का एनालसिस करने वाले एक्सपर्ट कंपनियों के मालिकों को जो राय देंगे उसी के अनुरूप खेती का रूप स्वरूप निर्धारित होगा। कई तरह की फसलें खत्म हो जाएंगी तो कई का क्षेत्र व्यापक होगा। निश्चय ही इससे कृषि विविधता खतरे में पड़ेगी।ये भी पढ़ें: तीनों कृषि कानून वापस लेने का ऐलान,पीएम ने किसानों को दिया बड़ा तोहफा