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कृषि यंत्र

भूमि विकास, जुताई और बीज बोने की तैयारी के लिए उपकरण

भूमि विकास, जुताई और बीज बोने की तैयारी के लिए उपकरण

आइए जानते हैं कि भूमि का विकास किस तरह से किया जाता हैं और भूमि विकास पूर्ण हो जाने के जुताई और बीज बोने के क्या तरीके हैं। 

जुताई और बीज बोने की पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारी पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहें। आइये जानें भूमि विकास, जुताई और बीज बोने की तैयारी के लिए उपकरण और आधुनिक कृषि यंत्र

बीज बोने के तरीके

बुवाई का क्या अर्थ होता है, मिट्टी की विशेष गहराई को प्राप्त करने के बाद अच्छे अंकुरण बीजों को बोने की क्रिया को बुवाई कहते हैं। कृषि क्षेत्र में बुवाई का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है। 

बीच होने से पहले भूमि को अच्छी तरह से समतल किया जाता है।ताकि बीज बोने के टाइम जमीन उथल-पुथल या उसके कण भूमि में ना रह जाए।भूमि में बीज डालने के बाद बीज की दूरी को ध्यान में रखना आवश्यक होता है इससे अंकुरण अच्छे से फूट सके।

भूमि विकास के लिए भूमि की जुताई

किसी भी फसल की बुआई के लिए जुताई सबसे पहला कदम होती है। मिट्टी को उल्टा पुल्टा कर थोड़ा ढीला करा जाता है।जिससे पौधों और पोषक तत्वों की उपलब्धता को सुनिश्चित किया जा सके। 

जुताई के द्वारा रोपाई में बहुत ही मदद मिलती है और अंकुरण आसानी से भूमि में प्रवेश कर लेते हैं।मिट्टी ढीला करने से सबसे बड़ा फायदा यह होता है।कि मिट्टी को ढीला करने से इनमें मौजूद रोगाणुओं और केंचुओं के विकास में बहुत ही आसानी होती है।

जिससे फसलों को उच्च कोटि का लाभ पहुंचता है। साथ ही साथ यह जुताई खरपतवार आदि में भी काफी सहायता देती है।जुताई के द्वारा मिट्टी पोषक तत्वों से पूरी तरह से भरपूर बनाई जाती है। 

सभी किसान, कृषि फसलों की बुवाई करने से पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई करना अनिवार्य समझते हैं।कभी-कभी जुताई  फसलों के आधार पर भी की जाती है। की फसल किस तरह की है ,और उसे कितने तरह की जताई की जरूरत है किन स्थितियों में।

किसान अपनी भूमि की जुताई के लिए कल्टीवेटर , कुदाल, हल आदि उपकरणों का प्रयोग करते हैं।कभी-कभी मिट्टी काफी कठोर हो जाती है और फसलों की जुताई करने के लिए हैरो का इस्तेमाल भी किया जाता है। जिसके बाद जुताई के बाद भी कई प्रकार के जुताई की जाती है।

बुवाई के लिए भूमि को समतल करना

किसान खेतों की जुताई के बाद जो दूसरी क्रिया करते हैं वह भूमि समतल है। समतल यानी भूमि को एक समान करना होता है हल यह किसी भी अन्य उपकरणों के द्वारा। भूमि समतल विभिन्न विभिन्न समय पर फसलों के आधार पर बदलता रहता है। 

किसान समतल के लिए खेतों में मेड, खांचे या अन्य प्रकार की क्रिया को शामिल किए रहते हैं। जो विशिष्ट फसलों के लिए बहुत ही आवश्यक होती हैं। भूमि समतल करने से फसलों में सिंचाई काफी आसानी से हो जाती हैं। 

पौधों को अच्छी तरह से पानी की प्राप्ति हो जाती है पौधों के पनपने और पूर्ण रूप से उत्पादन करने के लिए। भूमि समतल करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपकरण यानी लेवलर का इस्तेमाल किया जाता है। लेवलर उपकरण का इस्तेमाल कर भूमि को समतल किया जाता है। 

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खाद का चयन करना

बुवाई के बाद खाद के रूप में गाय की गोबर, नीम के अर्क, केचुआ सिंथेटिक उर्वरकों आदि जैसे जैविक संशोधनों का उपयोग किया जाता है। 

खेतों में मिट्टी की खाद डालने से पहले उसका अच्छी प्रकार से परीक्षण कर लेना चाहिए ,ताकि किसी भी प्रकार से फसलों को हानि ना हो, और मिट्टियों में मौजूद पोषक तत्व और खनिजों की उचित मात्रा की उपलब्धता पूर्ण रूप से सुनिश्चित हो। कुछ प्राकृतिक संशोधन के बाद हमें मिट्टी में खाद मिलानी चाहिए। 

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बीज बोने के एक प्रसारण तरीके

किसान भाई आसान तरीके से बीज बोने का प्रसारण करते हैं। खेतों में बीजों को बेहतरीन ढंग से तैयार कर लिया जाता है और अपने हाथों से भूमि पर बीजों को फेंकना शुरू कर दिया जाता हैं। 

आप हाथ या किसी अन्य उपकरण के द्वारा भी बीज को खेतों में फेंक सकते हैं।  बीज बोने से पहले बीजों का अच्छे से चयन कर लेना चाहिए। कि बीज भूमि के लिए उचित है या नहीं।बीजो को अच्छी तरह से खेतों में बिखेर देना चाहिए।

बीज बोने के लिए डिब्लिंग का इस्तेमाल

खेतों में आसानी से बीज बोने के लिए आजकल किसान भाई डिब्लिंग का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। इस उपकरण के जरिए बीजों को डिब्बलर में रखा जाता है। डिब्बलर के निचले हिस्से पर एक छेद होता है जो बीज रखने के लिए उपयोग किया जाता है। 

डिब्बलरों को कोई भी कुशल किसान या श्रमिक आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं। यह एक शंक्वाकार कहने वाला यंत्र है। यह खेतों के बीच, बीज बोने के लिए खेतों में छेद करता है और अंकुरित बीजों को विकसित करता है।

डिब्लिंग विधि का इस्तेमाल कर समय की काफी बचत होती है। डिब्लिंग विधि का इस्तेमाल किसान ज्यादातर सब्जियों की फसल बोने तथा अन्य फसलों के लिए ज्यादा इस्तेमाल किया जाता हैं।

बीज बोने के लिए उपकरण

किसान बीज बोने के लिए अपना आसान और पारंपरिक तरीके का इस्तेमाल करते हैं,जैसे कि अपने हल के पीछे बीजों को गिराते रहते हैं भूमियों पर या आसान हल उपकरण का इस्तेमाल हैं बीज बोने के लिए। 

इनका उपयोग ज्यादातर गेहूं, चना ,मक्का जौ आदि बीजों की बुवाई करने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया में किसान भूमि को हल द्वारा गहराई करता है ,और उसके पीछे दूसरा व्यक्ति बीजों को खेतों डालता रहता है। इस क्रिया से समय की बहुत हानि होती है।

भूमि विकास के लिए पशु चालित पटेला हैरो उपकरण का इस्तेमाल

पशु चालित पटेला हैरो की लंबाई लगभग 1.50 मीटर और मोटाई कम से कम 10 सेंटीमीटर होती है।पशु चालित पटेला हैरो लकड़ी का बना  हुआ उपकरण होता है। 

इस उपकरण से किसानों को बहुत ही सहायता मिलती है ,क्योंकि इसकी ऊपरी सतह पर घुमावदार हुक बंधा रहता है जो मिट्टियों को उपर नीचे करने में सहायक होता है। 

तथा इस उपकरण के जरिए मिट्टी में भुरभुरा पन आ जाता है।इसका मुख्य कार्य फसल के टूठ, वह इक्कट्ठा करना और खरपतवार को मिट्टी से अलग करना होता है।

पटेला 30 किसानों का कार्य करता है, इसके द्वारा 58 प्रतिशत संचालन में लगने वाले खर्चों की बचत होती है। तथा भूमि उपज में 3 से 4% की बढ़ोतरी होती है।

ब्लेड हैरो उपकरण का इस्तेमाल

या उपकरण स्टील का बना हुआ होता हैं, इसका मुख्य कार्य खरपतवार निकालने के लिए होता है। इस उपकरण में लगे ब्लेड के जरिए खरपतवार आसानी से निकाले जाते हैं। तथा इस उपकरण में लोहे के बड़े बड़े कांटे भी लगे होते। 

इस यंत्र को चलाने के लिए हरिस वह हत्था लगा हुआ होता है। यह यंत्र पूर्ण रूप से स्टील का बना हुआ होता है। इस उपकरण की मदद से किसान मूंगफली आलू आदि फसल की खुदाई भी कर सकते हैं। 

इस यंत्र के द्वारा किसानों को कम से कम 24 मजदूरों की बचत होती हैं और 15% जो खर्च संचालन में लगता है उसकी भी बचत होती है। 3 से  4% फसल उपजाऊ में काफी बढ़ोतरी भी होती है।

ट्रैक्टर चालित मिटटी पलट हल का इस्तेमाल

ट्रैक्टर चालित मिटटी पलट हल स्टील का बना हुआ होता है। इसका जो भाग होता है वो फार,मोल्ड बोर्ड, हरिस , भूमि पार्श्व  वह (लैंड साइड), हल मूल (फ्राग) आदि का होता है। 

इस उपकरण की सहायता से मिट्टी जितने भी सख्त हो, उसको तोड़ा जा सकता है। यह हल सख्त से सख्त मिट्टी को तोड़ने में सक्षम हैं।

यह हल कम से कम 40 से लेकर 50% मजदूरों का काम अकेले करता है। इसकी सहायता से 30% संचालन का खर्चा बचता है। इस हल की सहायता से किसानों को कम से कम 4 से 5% की उच्च कोटि की खेती की प्राप्ति होती है। 

यह हल की जुताई की गहराई का नियंत्रण लगभग हाइड्रोलिक लीवर या ट्रैक्टर के थ्री प्वाइन्ट लिंकेज से किया जाता हैं। हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारी इस पोस्ट के जरिए भूमि विकास, जुताई और बीज बोने की तैयारी के लिए उपकरण व अन्य उपकरणों की पूर्ण जानकारी प्राप्त हुई होगी। 

यदि आप हमारी दी गई जानकारियों से संतुष्ट है ,तो हमारी इस पोस्ट को अपने सोशल मीडिया यह अन्य प्लेस पर शेयर करें अपने दोस्तों के साथ धन्यवाद।

भूमि की तैयारी के लिए आधुनिक कृषि यंत्र पावर हैरो (Power Harrow)

भूमि की तैयारी के लिए आधुनिक कृषि यंत्र पावर हैरो (Power Harrow)

किसान भाइयों को एक फसल पकने के बाद दूसरी फसल के लिए खेत को तैयार करना होता है। उस समय खेत की मिट्टी सख्त हो जाती है और पूर्व फसल के अंश रह जाते हैं और खरपतवार भी होता है। इन सबको कम्पोस्ट खाद बनाने और मिट्टी पलटने के लिए कृषि यंत्र हैरो(Harrow) का  इस्तेमाल किया जाता है। ट्रैक्टर चालित यंत्र हैरो खेत की मिट्टी को इस तरह से पलटता है कि खेत में मौजूद कूड़ा-कचड़ा व हरियाली जमीन में दब जाती है। जो जैविक खाद में परिवर्तित हो जाती हैं। इससे खेत को उपजाऊ बनाने में मदद मिलती है। आइये जानते हैं कि हैरो किस तरह से खेत को तैयार करने का काम करना है और खेती के लिए कितना उपयोगी है।

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नई फसल के लिए खेत को तैयार करने के लिए पहले बैलों के बीचे गहरी जुताई करने वाले हल का प्रयोग किया जाता था। इससे खेत की कई बार जुताई करनी होती थी। उसकी खरपतवार हटाने के लिए मजदूरों को लगाना होता था और उसके बाद खेत की मिट्टी को महीन करने के लिए यानी ढेले फोड़ने के लिए पाटा चलाना पड़ता था। इसमे किसान भाइयों का समय अधिक लगता था और मेहनत भी अधिक करनी होती थी। खास बात यह है कि फसल कटाई के बाद अप्रैल,मई व जून की भीषण गर्मी की प्रचण्ड धूप में किसान भाइयों को पसीना बहाना पड़ता था। लेकिन अब हैरो नामक कृषि यंत्र ने किसानों की इन सारी समस्याओं का हल निकाल लिया है। कृषि यंत्र हैरो

कहां-कहां काम कर सकता है हैरो(Harrow)

जुताई के अन्य यंत्र जहां सामान्य एवं मुलायम मिट्टी वाले खेतों को तैयार करने के काम में आते हैं, वहीं हैरो सख्त जमीन व पथरीली जमीन, अधिक खरपतवार वाली जमीन में आसानी से काम करता है। इसकी डिस्क यानी वर्टिकल टाइन आसानी से सख्त से सख्त मिट्टी को काट कर पलट देती है। साथ ही जमीन में चाहे ही कितनी भी अधिक खरपतवार हो उसे जमीन में दबा देती है। किसान भाइयों मिट्टी पलटने से जहां जैविक खाद का लाभ मिलता है वहीं इसको खुला छोड़ने से जमीन लगने वाली व्याधियां व कीट भी नष्ट हो जाते हैं। इससे अगली फसल में अच्छा उत्पादन भी मिलता है।

क्यारियां व बाग-बगीचा बनाने के काम आता है हैरो(Harrow)

खेत की जुताई के साथ नर्सरी के लिए क्यारियों या बैड बनाने के काम में हैरो का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा सख्त जमीन की जुताई में सक्षम होने के कारण हैरो का इस्तेमाल बाग-बगीचा लगाने के लिए भी जमीन को तैयार करने में किया जाता है।

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हैरों(Harrow) के खेती से जुड़े मुख्य काम

हैरो विभिन्न धारदार कटिंग पहियों, डिस्क या टाइन के सेट को कहा जाता है। अब पहियों व कांटे जैसे स्पाइक वाले हैरो(Harrow) भी आ गये हैं। इस हैरों से खेत में क्या-क्या काम होते हैं, जानिये
  1. हैरो(Harrow) मिट्टी को पलटने का काम सबसे पहले करता है।
  2. हैरो(Harrow) खेत की पूर्व फसल के अवशेष व खरपतवार को जमीन में दबा देता है, जो खाद बन जाती है
  3. यदि नई फसल को नुकसान देने वाली सामग्री खेत में होती है उसको खेत से बाहर निकालने का भी काम हैरो करता है
  4. हैरो(Harrow) मिट्टी की गहरी जुताई करने के साथ उसके ढेलों को फोड़ने का भी काम करता है।
  5. हैरो(Harrow) जमीन की ऊपरी सतह को चिकनी व उपजाऊ बनाने का काम करता है
कृषि यंत्र हैरो

चार प्रकार के हैरो(Harrow) होते हैं

खेती को कई बार जुताई करने, पाटा चलाने, खरपतवार नियंत्रण करने के अलग-अलग कामों के लिए अलग-अलग प्रकार के हैरों(Harrow) का इस्तेमाल किया जाता है। खेती की आवश्यकता को देखते हुए परम्परागत कार्यों के लिए हैरो को चार भागों में विभाजित किया गया है, जो इस प्रकार हैं:-
  1. डिस्क हैरो: हल्की जुताई, मिट्टी के ढेलों को तोड़ने तथा खेत की मिट्टी को भुरभुरी बनाने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।
  2. स्प्रिंग टूथ हैरो: यह हैरो जुताई के बाद ढेले तोड़ने तथा उनको ऊपर लाने ताकि पाटा से आसानी से टूट सकें जैसे काम के लिए उपयोगी होता है।
  3. चेन डिस्क हैरो: यह हैरो खेतों में खाद फैलाने और खरपतवार को एकत्रित करने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।
  4. लीवर हैरो या स्पाइक टूथ हैरो: बोये हुए खेत में उचित जमाव या हल्की वर्षा पड़ी हुई पपड़ी को तोड़ने के काम में आता है। इसका प्रयोग लाइन में या छिड़काव कर बोई फसल के छह-सात इंच तक बढ़ने के समय आसानी से किया जा सकता है।
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पहले ये हैरो बैलों से खिंचवा कर खेतों की तैयारी का काम कराया जाता था लेकिन अब ट्रैक्टर के पीछे हैरो को लगाकर काम किया जाता है। जो कम समय में अच्छा खेत तैयार करता है।

रोटरी पावर हैरो(Rotary Power Harrow) है सबसे अधिक लोकप्रिय

वर्तमान समय में हैरों के काफी संशोधन किये गये हैं और पारम्परिक हैरो की जगह पर रोटरी पॉवर हैरो यानी पॉवर हैरो(Power Harrow) आ गया है। यह पॉवर हैरो कम समय में बहुत अच्छा काम करता है। 50 हॉर्स पॉवर के ट्रैक्टर से चलने वाले इस हैरो से जहां मिट्टी पलटाने से लेकर खेत को बुवाई के लिए बहुत जल्दी तैयार करने में मदद मिलती है।

हैरों(Harrow) की कुछ खास जानकारियां

  1. हैरो की अनेक किस्में होतीं हैं । इन किस्मों में सिंगल टाइन सेट, डबल टाइन सेट या मल्टी टाइन सेट वाले हैरो शामिल हैं। इनके प्रयोग को देखते हुए इनकी टाइन में कटिंग वाले टाइन, सेमी कटिंग वाले टाइन, स्पाइक आदि को लगाया जाता है।
  2. हैरो का वजन 400 किलो से लेकर 2000 किलो तक होता है। ये छह ब्लेड से लेकर 28 ब्लेड वाले होते हैं। इनकी चौड़ाई एक मीटर से लेकर पांच मीटर तक की होती है। इसके अलावा ये 35 हॉर्स पावर से लेकर 100 हार्स पावर तक के होते हैं।

कृषि यंत्र हैरो

हैरो(Harrow)की कीमत

हैरो(Harrow) की कीमत उनकी लम्बाई, चौड़ाई व वजन, ब्लेडों की संख्या, व हॉर्स पॉवर आदि पर निर्भर करती है। वैसे यह अनुमान लगाया जाता है कि हैरो की कीमत उनके काम करने की क्षमता उपयोगिता के अनुसार 50,000 से लेकर 1.5 लाख रुपये तक होती है।
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हैरों(Harrow) की विशेषताएं

जो किसान भाई अपनी खेत की सेहत का ध्यान रखते हैं, अपने मन मुताबिक फसल लेना चाहते हैं, कम समय, कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली खेती करना चाहते हैं, वे कृषि यंत्रों का सहारा लेते हैं। इन कृषि यंत्रों में सबसे पहले हैरो का इस्तेमाल किया जाता है। पॉवर हैरो एक बार में ही मिट्टी जुताई, ढेले फोड़ने पाटा चलाने का काम करता है। पॉवर हैरो या अन्य हैरो में वर्टिकल टाइन के कई सेट लगे होते हैं।  पॉवर हैरो(Power Harrow) के टाइन का पहला सेट खेत की मिट्टी को पलटने का काम करता है तो दूसरा सेट उस मिट्टी के ढेले को फोड़ने और उसे महीन बनाने का करता है। हैरो(Harrow) का प्रयोग करने से खेत की जमीन समतल ही हो जाती है। गहरी जुताई के कारण खेत में नमी अधिक समय तक रहती है । इससे बीजों का अंकुरन अच्छी तरह से हो सकता है। इस तरह से हैरो(Harrow) से एक या दो बार की जुताई से खेत बुवाई के लिए तैयार हो जाता है। खेत में नर्सरी लगाने के लिए हैरो की एक ही जुताई काफी होती है। उसके बाद खाद प्रबंधन करके बुवाई शुरू कर दी जाती है।

हैरो(Harrow) की खरीद पर कितनी सब्सिडी(Subsidy) मिलती है

सरकार द्वारा कृषि यंत्रों के उपयोग करके फसल को बढ़ाने तथा किसान भाइयों की आमदनी बढ़ाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रहीं है। इन योजनाओं में कृषि यंत्रों की खरीद पर सब्सिडी(Subsidy) भी दिया जाना शामिल है।
  1. यह सब्सिडी(Subsidy) गरीब व दलित किसानों व छोटे काश्त वो किसानों को अलग-अलग तरह से दी जाती है।
  2. प्रत्येक राज्य ने अपने राज्य के किसानों की सुविधा के लिए सब्सिडी(Subsidy) के अलग-अलग नियम व कानून बना रखे हैं। इन नियमों व कानूनों के बारे में जानकार या सम्बन्धित विभाग के अधिकारियों से पूरी प्रक्रिया को जानकर आवेदन करके उसका लाभ प्राप्त करें।
  3. हैरो(Harrow) की खरीद के बारे में जानकार लोगों का अनुमान है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के किसानों और महिला किसान को हैरो की खरीद पर 63 हजार रुपये की सब्सिडी(Subsidy) मिलती है। इसके अलावा सामान्य किसानों को हैरो(Harrow) की खरीद पर 50,000 रुपये की सब्सिडी(Subsidy) मिलती है। विस्तृत जानकारी विभागीय अधिकारियों से प्राप्त करें।

किराये पर भी चलाकर उठा सकते हैं लाभ

कृषि यंत्र काफी महंगे होते हैं और हमारे देश में छोटी काश्त वाले किसानों की संख्या अधिक है, जो इन महंगे कृषि यंत्रों को आसानी से नहीं खरीद सकते हैं। इनकी खरीद के लिए सरकार द्वारा लाभ दिये जाने के लिए शर्तें  भी ऐसी होती हैं जो अधिकांश किसान पूरी नहीं कर पाते हैं। इसके बावजूद उन्हें इन कृषि यंत्रों की सेवाओं की जरूरत होती है। इसके लिए सरकार ने भी सेवा केन्द्र खोल रखे हैं जहां किराये पर कृषि यंत्रों की सेवाएं ली जा सकतीं हैं। इसके साथ ही कुछ हमारे किसान भाई भी अपनी क्षमता के अनुसार कृषि यंत्रों को खरीद कर उन्हें किराये पर चला कर लाभ कमाते हैं। जहां हैरो के मालिक को किराया मिलता है वहीं सेवाएं लेने वाले किसानों को जल्दी व बिना मेहनत के खेत तैयार करने का लाभ मिलता है।
जानिए किन राज्यों में मिल रही कृषि यंत्रों की खरीद पर छूट

जानिए किन राज्यों में मिल रही कृषि यंत्रों की खरीद पर छूट

फसल अवशेष प्रबंधन के लिए धान उत्पादक सभी राज्यों में व गैर धान उत्पादक राज्यों में कृषि यंत्रों पर छूट प्रदान की जा रही है। तकरीबन हर राज्य में इस तरह की छूट की तिथि खत्म होने की ओर है या फिर होने वाली है। हरियाणा के कृषि तथा किसान कल्याण विभाग द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन हेतु कृषि यंत्रों की खरीद के लिए 7 सितंबर 2021 तक आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। एक सरकारी प्रवक्ता ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि व्यक्तिगत श्रेणी में जहां किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा वहीं किसानों की सहकारी समिति, एफपीओ, पंजीकृत किसान समिति तथा पंचायत द्वारा कस्टम हायरिंग सैंटर स्थापित करने पर 80 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि लाभार्थियों का चयन संबंधित उपायुक्त की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय कार्यकारिणी समिति द्वारा किया जाएगा तथा चयन उपरांत किसान सूचीबद्ध कृषि यंत्र निर्माताओं से मोल-भाव कर अपने यंत्र खरीद सकते हैं।

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फसलों की कटाई और सफाई के लिए उपयोगी 4 कृषि यंत्रों की विशेषताऐं और लाभ

फसलों की कटाई और सफाई के लिए उपयोगी 4 कृषि यंत्रों की विशेषताऐं और लाभ

वर्तमान की बात करें तो किसानों के खेतों में रबी की फसलें लहला रही हैं और जल्द ही इनकी कटाई की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी। ऐसे में किसानों को राहत दिलाने के लिए हम 4 कृषि यंत्रों (4 Farm Machinery ) की जानकारी देने जा रहे हैं। इनका उपयोग करके किसान फसल अवशेषों से भूसा बनाने का कार्य सहजता से कर सकते हैं। इन यंत्रों से किसानों की लागत भी कम आएगी। साथ ही, कटाई का कार्य भी शीघ्रता से हो सकेगा।

फसलों की कटाई के लिए उपयोगी 4 कृषि यंत्र

  • स्ट्रॉ रीपर मशीन 
  • रीपर बाइंडर मशीन 
  • कंबाइन हार्वेस्टर मशीन 
  • मल्टीक्रॉप थ्रेशर मशीन 

स्ट्रॉ रीपर मशीन 

स्ट्रॉ रीपर एक ऐसी कटाई मशीन है, जो एक ही बार में पुआल को काटती है, थ्रेस करती है एवं साफ करती है। स्ट्रॉ रीपर को ट्रैक्टरों के साथ जोडक़र इस्तेमाल किया जाता है। इसके इस्तेमाल से ईंधन की खपत काफी कम होती है। इस यंत्र पर कई राज्य सरकारों की तरफ से सब्सिडी का फायदा भी किसानों को प्रदान किया जाता है।

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विशेषताएं और लाभ

स्ट्रॉ रीपर मशीन की कीमत बहुत ज्यादा नहीं होती है, इसलिए इस कृषि यंत्र को छोटे और बड़े, दोनों किसान सुगमता से इस्तेमाल कर सकते हैं। इस मशीन के उपयोग से फसल काटने पर कई तरह के फायदे किसानों को मिलते हैं, जैसे गेहूं के दानों के साथ-साथ भूसा भी मिल जाता है। यह भूसा पशुओं के चारे के काम में आता है। इसके अतिरिक्त जो दाना मशीन से खेत में रह जाता है, उसको ये मशीन सहजता से उठा लेती है। जिसको किसान अपने पशुओं के लिए दाने के रूप में प्रयोग कर लेते हैं।

रीपर बाइंडर मशीन 

रीपर बाइंडर मशीन का इस्तेमाल फसल की कटाई के लिए किया जाता है। यह मशीन फसल की कटाई करने के साथ – साथ रस्सियों से उनका बंडल भी बनाती है। रीपर बाइंडर की मदद से 5 – 7 से. मी. ऊँची फसल की कटाई आसानी से की जा सकती है। इस यंत्र की सबसे बड़ी खासियत यह है, कि इस मशीन से गेहूं, जौ, धान, जेई और अन्य फसलों की आसानी से कटाई कर बंडल बना सकते है।

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विशेषताएं और लाभ 

रीपर बाइंडर के इस्तेमाल से फसल कटाई का काम आसानी से पूरा किया जा सकता है। इसके इस्तेमाल से धन, समय और मजदूरी सभी की बचत होती है। रीपर बाइंडर मशीन एक घंटे में एक एकड़ जमीन पर खड़ी फसल को काट सकती है। इस मशीन के इस्तेमाल से फसल कटाई के अतिरिक्त उनका बंडल भी निर्मित किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त सबसे बड़ी विशेषता है, कि इसका उपयोग बारिश के मौसम में भी किया जा सकता है। फसल के अतिरिक्त खेतों में उगने वाली झाडियों की भी सहजता से कटाई की जा सकती है। रीपर बाइंडर को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लेकर जाना आसान होता है। 

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन 

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन से एक साथ कटाई तथा सफाई का कार्य किया जा सकता है। इस मशीन की सहायता से सरसों, धान, सोयाबीन, कुसुम आदि की कटाई और सफाई का कार्य कर सकते हैं। इसमें समय और लागत दोनों ही बहुत कम लगती है।

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विशेषताएं और लाभ 

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन का प्रयोग कर लागत और समय की बचत की जा सकती है। इससे फसल की कटाई से लेकर फसल के दानों की सफाई तक का काम किया जाता है। इसके उपयोग से मृदा की उर्वरक क्षमता बढ़ती है। इस मशीन के इस्तेमाल से किसान प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली हानि से बच सकते हैं और वक्त रहते फसलों की कटाई कर सकते हैं। कंबाइन हार्वेस्टर मशीन से किसान खेत में आड़ी-तिरछी पड़ी फसल को भी काट सकते हैं।

मल्टीक्रॉप थ्रेशर मशीन 

यह मशीन किसानों के लिए एक बहुत बड़ी उपयोगी मशीन मानी जाती है। मल्टीक्रॉप थ्रेशर मशीन से बाजरा, मक्का, जीरा, डालर चना, सादा चना, देशी चना, ग्वार, ज्वार मूंग, मोठ, ईसबगोल, मसूर, राई, अरहर, मूंगफली, गेहूं, सरसों, सोयाबीन और तुअर जैसी फसलों के दाने साफ-सुथरे तरीके से निकाले जाते हैं। इस मशीन के इस्तेमाल से फसल के दाने और भूसे को भिन्न-भिन्न करने के लिए उपयोग किया जाता है। 

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विशेषताएं और लाभ

मल्टीक्रॉप थ्रेशर मशीन की मुख्य विशेषता है, कि इसके उपयोग से फसल की कटाई कर अनाज और भूसे को अलग किया जाता है। यह मशीन फसलों के दाने को साफ-सुथरे ढ़ंग से अलग करता है। मल्टीक्रॉप थ्रेशर मशीन को एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाया जा सकता है।  खेतों में जहाँ मशीन नहीं पहुँच सकती है, वहाँ हाथ का रीपर मशीन का इस्तेमाल किया जाता है।

इस राज्य में सुपर सीडर पर 40 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा रहा है

इस राज्य में सुपर सीडर पर 40 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा रहा है

वर्तमान में संभागीय कृषि अभियांत्रिकी विभाग सतना में किसान भाइयों के लिए सुपर सीडर उपलब्ध है। विशेष बात यह है, कि यदि किसान भाई सीडर खरीदते हैं, तो इस पर उन्हें 40 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा। मध्य प्रदेश की राज्य सरकार किसान भाइयों की आमदनी में इजाफा करने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं जारी कर रही है। इन योजनाओं के अंतर्गत किसान भाइयों की खेती करने की तकनीक वैज्ञानिक रूप धारण कर गई है। इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश में कृषकों को कृषि यंत्रों पर अच्छा-खासा अनुदान भी दिया जा रहा है। परंतु, फिलहाल रीवा और सतना जनपद के किसानों के लिए काफी अच्छी खुशखबरी है। यहां के कृषकों को सुपर सीडर मशीन खरीदने के लिए अच्छा-खासा अनुदान प्रदान किया जा रहा है। 

सुपर सीडर किसानों के लिए काफी उपयोगी साबित होता है

मीडिया खबरों के अनुसार, सुपर सीडर एक ऐसा यंत्र है, जिसको ट्रैक्टर के साथ जोड़कर खेती-बाड़ी करने के कार्य में लिया जाता है। इस यंत्र का सर्वाधिक इस्तेमाल फसलों की बुवाई करने हेतु किया जाता है। इसके इस्तेमाल से नरवाई की दिक्कत परेशानी दूर हो चुकी है। अब ऐसी स्थिति में गेहूं एवं चने की खेती करने वाले कृषकों के लिए सुपर सीडर यंत्र बेहद उपयोगी साबित होता है। 

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सुपर सीडर के उपयोग से नरवाई जलाने की आवश्यकता नहीं पड़ती

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि किसी फसल के डंठल को नरवाई कहा जाता है। सुपर सीडर धान एवं गेहूं की डंठल को छोटे- छोटे भागों में विभाजित कर मृदा में मिला देता है। अब ऐसी स्थिति में सुपर सीडर मशीन से फसलों की बिजाई करने वाले कृषकों को नरवाई को आग के जरिए जलाना नहीं पड़ता है। इससे प्रदूषण पर भी रोक लगती है। 

सुपर सीडर पर 40 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जाएगा

फिलहाल, संभागीय कृषि अभियांत्रिकी विभाग सतना में किसान भाइयों के लिए सुपर सीडर उपलब्ध हैं। विशेष बात यह है, कि यदि किसान भाई सीडर खरीदेंगे तो 40 प्रतिशत तक अनुदान मिलेगा। मुख्य बात यह भी है, कि यह यंत्र एक घंटे में एक एकड़ भूमि में फैले नरवाई को चौपट कर देती है। इसके पश्चात फसलों की बिजाई करती है। धान के उपरांत गेहूं एवं गेंहू के बाग मूंग की खेती करने वाले कृषकों के लिए सुपर सीडर किसी वरदान से कम नहीं है। किसान भाई सुपर सीडर के माध्यम से वर्षभर में अच्छी-खासी आमदनी की जा सकती है। वैसे तो सुपर सीडर की कीमत लगभग 3 लाख रुपये है। परंतु, कृषि विभाग की तरफ से 40 प्रतिशत प्रतिशत अनुदान मिलने के पश्चात इसकी कीमत काफी हद तक कम हो जाती है।

यूपी में कृषि यंत्रों पर 40-50 फीसदी छूट

यूपी में कृषि यंत्रों पर 40-50 फीसदी छूट

उत्तर प्रदेश में किसानों के लिए कृषि यंत्रों पर अनुदान दिया जा रहा है। इसके लिए शासन ने पोर्टल पर आनलाइन डिमांड मांगी है। आम तौर खेती में प्रयुक्त होने वाली सभी मशीनों पर यह अनुदान दिया जा रहा है। यह अलग बात है कि यह अनुदान आवेदन करने वाले सभी किसानों को दिया जाएगा या फिर पहले आओ पहले पाओ के आधार पर चुनिंदा किसानों को दिया जाएगा। सरकार द्वारा जारी सूचना से तो यही लग रहा है कि सभी आवेदक किसानों को यह लाभ मिल सकेगा। सब मिशन आफ एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन योजनान्तर्गत कृषि यंत्रों पर अनुदान की योजना वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए खोली गयी है।

किन यंत्रों पर मिल रही छूट

किन यंत्रों पर मिल रही छूट

हस्त चालित स्प्रेयर, शक्ति चालित स्प्रेयर, एमबी प्लाउू, लेजर लेंड लेबलर, हेरो, कल्टीबेटर, रिजर, मल्टी क्रॉप थ्रेसर, पॉवर आपरेटेड चैफ कटर, स्ट्रारीपर, मिनी राइज मिल, मिनी दाल मिल, मिलेट मिल, आयल मिल विध फिल्टर प्रेस, पैकिंग मशीन, रोटाबेटर, रेज्ड बैड  प्लांटर, पावर टिलर, कम्बाइन हार्बेस्टर सुपर एसएमएस, राइज ट्रान्सप्लानटर एवं योजना के अन्तर्गन अन्य यन्त्रोें पर छूट दी जा रही है।

कितनी मिलेगी छूट

अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिला किसान, लघु एवं सीमांत किसानों को 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा। अन्य श्रेणी के कृषकों को 40 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा।

किसान को कितनी जमानत राशि जमा करनी होगी

10 हजार रुपए तक के कृषि यंत्रों पर किसानों को कोई भी जमानत राशि जमा नहीं करनी होगी। 10 हजार से अधिक और एक लाख रुपए तक अनुदान वाले यंत्रों पर 2500 रुपए की जमानत राशि जामा करनी होगी। एक लाख से अधिक अनुदान वाले यंत्रों के लिए पांच हजार रुपए जमानत राशि जमा करनी होगी। जमानत राशि का चालान जमा करने के 45 दिन के अन्दर कृषि यंत्र क्रय करके बिल एवं आवश्यक अभिलेख विभागीय पोर्टल पर अपलोड करने होंगे। इसके अलावा जनपर स्तरीय उप कृषि निदेशक कार्यालय में अपलोड करने हेतु उपलब्ध कराने होंगे। तदनुसान लाभार्थी द्वारा क्रय किए गए यंत्र का सत्यापन होने के बाद डीबीटी के माध्यम से अनुदान राशि लाभार्थी के खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी।

किस तरह मिलेगा योजना का लाभ

कृषि विभाग

कृषि विभाग की किसी भी योजना का लाभ लेने के लिए सबसे पहले किसानों को कृषि विभाग के पोर्टल पर पंजीकरण होना चाहिए। जिन किसानों का पंजीकरण नहीं हुआ है वह अपने जनदीकी ब्लाक स्थित कृषि रक्षा इकाई या फिर जनपद स्तरीय उप कृषि निदेशक, जिला कृषि अधिकारी कार्यालय पर संपर्क कर सकते हैं। किसान पंजीकरण कराने के लिए जनसेवा केन्द्रों पर भी संपर्क किया जा सकता है। इसके लिए किसान का आधार कार्ड, खेत की खतौनी, बैंक की पासबुक की छाया प्रति एवं मोबाइल नंबर होना चाहिए। किसी भी यंत्र को लेने के लिए पोर्टल पर उस यंत्र के बारे में जानकारी देनी होगी। इसके बाद ओटीपी जारी होगा और इस ओटीपी के आधार पर ही चालना जैनरेट होगा। इस चालान को बैंक में जमा करना पड़ेगा। चालान फार्म में दी गई अवधि के अन्दर जमानत राशि अपनी नजदीकी यूनियन बैंक में जमा करनी होगी। 15 जुलाई तक जनपदवार यंत्रों के लक्ष्यों के अनुरूप टोकन जैनरेट होंगे। इसके बाद एक प्रतीक्षा सूची बनाई जाएगी जिसका उपयोग यंत्र न खरीदने वाले किसानों के एवज में दूसरे प्रतीक्षारत किसानों को योजना का लाभ देने के लिए होगी।

उत्तर प्रदेश में किसानों को कृषि यंत्रों पर अनुदान की योजना

उत्तर प्रदेश में किसानों को कृषि यंत्रों पर अनुदान की योजना

किसान आंदोलन को चलते चलते लगभग एक साल होने को है लेकिन अभी तक सरकार और किसानों के बीच कोई कहानी बनती नजर नहीं आ रही है. सरकार का अपना रवैया है और किसानों का अपना. धीरे धीरे सरकार अपनी योजनाएं लाकर किसानों को आकर्षित करने की कोशिश कराती नजर आ रही है. वैसे तो कृषि यंत्रों पर अनुदान की योजना साल दर साल आती ही है लेकिन इसका फायदा भोलेभाले किसानों को कितना मिलता है ये तो सबको पता है.सरकार से मेरीखेती टीम की तरफ से एक अनुरोध करना चाहूंगा की कम से कम सरकार ये पता करे की कितने किसान ऑनलाइन आवेदन करने की स्थिति में होते हैं? आज भी किसान अपना रजिस्ट्रेशन नहीं कर सकता. वो दूसरों पर इसके लिए आश्रित होता है. कई बार इसकी वजह से किसान का रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाता है और वो योजना से वंचित रह जाता है. और उस योजना का लाभ किसान नेता ज्यादा ले जाते हैं.



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उत्तर प्रदेश में किसानों को कृषि यन्त्र अनुदान योजना का शुभारम्भ आज यानि शुक्रवार से शुरू हो रही है. कृषि विभाग के पोर्टल पर किसान ऑनलाइन बुकिंग करा सकते हैं. पोर्टल पर बुकिंग मंडल के हिसाब से होगी जिसे दिनांक के हिसाब से नीचे दिया गया है. 12 नवंबर : गोरखपुर मंडल 13 नवंबर : अयोध्या मंडल 15 नवंबर : कानपुर एवं विंध्याचल मंडल 16 नवंबर : अलीगढ़ एवं लखनऊ मंडल 17 नवंबर : चित्रकूटधाम एवं मुरादाबाद मंडल 18 नवंबर : मेरठ मंडल



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कृषि यंत्रों पर छूट पहले आओ पहले पाओ के हिसाब से मिलेगी. मंडलवार तारीख के हिसाब से आप जिस मंडल में आते हो उसी हिसाब से समय से अपना रजिस्ट्रेशन कराएं तथा इस योजना का लाभ उठायें. योजना का लाभ उठाने के लिए आप इस लिंक पर क्लिक करें : http://upagriculture.com/ आजकल किसान जोरशोर से रबी की फसल की बुवाई में व्यस्त है. सरकार की मंशा भी किसानों को कृषि यन्त्र पर अनुदान देने की थी लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री श्री कल्याण सिंह जी के आकस्मिक निधन तथा वेबसाइट हैक हो जाने के कारण यह योजना अक्टूबर में नहीं क्रियान्वय हो सकी. गोरखपुर मंडल के किसानों को पोर्टल पर रजिस्टर करने में समस्या होने पर उच्च अधिकारीयों से इसकी शिकायत की गई. शिकायत की जाँच करने पर पाया गया की तय समय से पहले ही इसमें अनुदान के लिए आवेदन हो चुके थे. उच्च अधिकारीयों की संतुति पर इसकी जाँच साइबर सेल को सौंप दी गई है जो की अभी प्रक्रिया चल रही है. संयुक्त निदेशक अभियंत्रण नीरज श्रीवास्तव जी के अनुसार अभी 9 मंडलों के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू इस शुक्रवार से शुरू कर दी गई है, जिससे की किसानों को इसका फायदा मिल सके. कृषि यंत्रों की बुकिंग 12 नवंबर शुक्रवार 11 बजे से 18 नवंबर तक चलेगी. अनुदान में आने वाले यंत्रों की संख्या लगभग 30000 है.10 हजार रुपये तक के अनुदान पर कोई जमानत राशि नहीं लगेगी. कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं छोटे गोदाम, थ्रेसिंग फ्लोर, कस्टम हायरिंग सेंटर आदि के लिए यंत्र बुक होंगे. इसमें जिन यंत्रों पर दस हजार रुपये तक का अनुदान मिलना है, उसके लिए किसान को जमानत राशि नहीं देनी होगी. दस हजार से एक लाख रुपये तक अनुदान वाले कृषियंत्र के लिए 2500 और एक लाख रुपये से अधिक अनुदान वाले कृषि यंत्र के लिए 5000 रुपये जमानत राशि देनी होगी. अनुदान 40 से 50 प्रतिशत तक का मिलेगा.
२०२२-२३ के लिए कृषि यंत्रों पर अनुदान प्राप्त करने के लिए आवेदन की प्रकिया जारी : डा. कर्मचंद, हरियाणा

२०२२-२३ के लिए कृषि यंत्रों पर अनुदान प्राप्त करने के लिए आवेदन की प्रकिया जारी : डा. कर्मचंद, हरियाणा

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक डा. कर्मचंद ने बताया कि किसानों के लिए 2022-23 स्कीम के तहत अनुदान देने के लिए विभिन्न कृषि यंत्रों पर विभाग के द्वारा आवेदन स्वीकार किए जा रहे हैं। कृषि यंत्रों में इच्छुक किसान इस योजना का लाभ लेने के विभागीय पोर्टल पर 27 मई तक आनलाइन आवेदन कर सकते हैं। 

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२०२२-२३ के लिए कृषि यंत्रों पर अनुदान के तहत, श्री डॉ कर्म चंद बताया कि विभाग द्वारा कृषि यंत्रों जैसे- काटन सीड ड्रिल, ट्रैक्टर माउंटेड स्प्रे पंप, डायरेक्ट सीडेड राइस मशीन, ट्रैक्टर माउंटेड रोटरी वीडर (दो से तीन रो), पावर टीलर (12 एचपी से अधिक), ब्रिक्वेट मेकिग मशीन, रीपर बाइंडर स्वचालित, मेज प्लांटर, मेज थ्रेसर, न्यूमेटिक प्लांटर पर आवेदन स्वीकार किए जा रहे हैं। इसमें व्यक्तिगत व सामान्य श्रेणी में अधिकतम 40 प्रतिशत व अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, छोटे व सीमांत किसान और महिला किसान के लिए 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। 

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डा. कर्मचंद ने बताया कि २०२२-२३ के लिए कृषि यंत्रों पर अनुदान के लाभ लेने के इच्छुक किसान को मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर अपना पंजीकरण कराना होगा, जिसके लिए किसान को एक शपथ पत्र व एक स्वयं घोषणा पत्र जमा करवाना होगा। वहीं आनलाइन आवेदन के लिए किसान के नाम जिला में पंजीकृत ट्रैक्टर की वैध आरसी (केवल ट्रैक्टर चालित यंत्रों के लिए) परिवार पहचान पत्र, बैंक खाता तथा आधार कार्ड की आवश्यकता होगी। 

इसके अलावा, एक किसान किसी भी तरह के अधिकतम तीन कृषि यंत्र ही ले सकता है और जिन किसानों ने पिछले पांच वर्षों में इन कृषि यंत्रों पर अनुदान लिया है वे इस स्कीम में उस कृषि यंत्र पर आवेदन करने के पात्र नहीं होंगे। आनलाइन आवेदन करने के लिए किसान को ढाई लाख से कम कीमत के यंत्रों के लिए 2500 रूपए एवं ढाई लाख या उससे अधिक कीमत के यंत्रों के लिए 5000 रुपये टोकन राशि अलग-अलग आनलाइन ही जमा करवानी होगी, जो कि चयन प्रक्रिया के पश्चात किसान के खाते में वापिस जमा करवा दी जाएगी। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए उप निदेशक, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग में संपर्क किया जा सकता है।  

किसानों को सब्सिडी पर कृषि यंत्र दे रही MP सरकार

किसानों को सब्सिडी पर कृषि यंत्र दे रही MP सरकार

पाईप लाइन सेट, स्प्रिंकलर सेट एवं डीजल/विद्युत पम्पसेट देने का प्रावधन

भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार अपने राज्य के किसानों के लिए सब्सिडी पर कृषि यंत्र दे रही है। किसानों को सिंचाई एवं खेती में सरलता लाने के उद्देश्य से शिवराज सरकार ने योजना बनाई है। 

इसमें किसानों को सब्सिडी पर पाईप लाइन सेट, स्प्रिंकलर सेट एवं डीजल/विद्युत पम्पसेट देने का प्रावधन रखा गया है। साथ विभिन्न जिलों के किसानों को सिंचाई के लिए अनुदान पर सिंचाई यंत्र भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। 

मध्यप्रदेश के कृषि विभाग ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (National Food Security Mission (NFSM)) योजना के अंतर्गत किसानों के लिए जिलेवार लक्ष्य निर्धारित किया है।

इच्छुक किसान आवश्यकता अनुसार सिंचाई यंत्र के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। ऑनलाइन आवेदन के बाद चयनित किसानों को कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जाएंगे।

सिंचाई के लिए सब्सिडी पर मिलेंगे यह यंत्र :

- स्प्रिंकलर - डीजल/विद्युत पम्पसेट - पाइप लाइन सेट - रेनगन सिस्टम 

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* योजनाएं जिनके अंतर्गत किसान कर सकते हैं आवेदन

  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (गेहूं) योजना के अंतर्गत छतरपुर, पन्ना, कटनी, सागर, शिवनी, सीधी, सतना, टीकमगढ़, रीवा, राजगढ़, रायसेन, अशोकनगर, गुना, विदिशा, शिवपुरी, खंडवा व निवाड़ी जिलों के किसानों को स्प्रिंकलर सेट, डीजल/विद्युत पम्पसेट, पाइप लाइन सेट, रेनगन सिस्टम देने का प्रावधान रखा गया है।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (दलहन) के तहत राज्य के सभी जिलों के किसानों को पाइप लाइन सेट, डीजल/विद्युत पम्पसेट व स्प्रिंकलर सेट दिए जाएंगे। इसके लिए किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा (टरफा) योजना के अंतर्गत छिंदवाड़ा, सिवनी, कटनी, बालाघाट, मंडला, डिंडोरी, नरसिंहपुर, दमोह, रायसेन, होंशगाबाद, शहडोल, उमरिया, पन्ना, रीवा, सीधी, सिंगरौली, बेतुल, अनूपपुर जिलों के किसानों को स्प्रिंकलर सेट, पाइप लाइन सेट के उपकरण दिए जाएंगे।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (बुंदेलखंड विशेष पैकेज) योजना में राज्य के सागर, दमोह, पन्ना, टीकमगढ़, दतिया, निवाड़ी, छतरपुर जिलों के किसानों को स्प्रिंकलर सेट, डीजल-विधुत सेट, पाइप लाइन सेट दिए जाएंगे।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा (धान) के अंतर्गत राज्य के सीधी, अनूपपुर, रीवा, दमोह, रीवा, डिंडोरी, मंडला, कटनी जिलों के किसानों को डीजल/विधुत पम्पसेट देने का प्रावधान किया गया है।
  • कृषि यंत्रों पर कितना अनुदान मिलेगा।
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मध्यप्रदेश सरकार अपने राज्य के विभिन्न वर्ग के किसानों को तरह-तरह की योजनाओं के अंतर्गत सब्सिडी देकर उपकरण उपलब्ध कराएगी। योजना के अंतर्गत किसानों को 50 से 55 फीसदी तक अनुदान देने का प्रावधान है।

हरियाणा फसल विविधीकरण योजना के लिए लक्ष्य निर्धारित

हरियाणा फसल विविधीकरण योजना के लिए लक्ष्य निर्धारित

भूजल स्तर में गिरावट का निदान

धान छोड़ने वाले किसान का सम्मान

फसल विविधता के लिए लक्ष्य निर्धारित

हरियाणा प्रदेश सरकार ने राज्य में क्रॉप डायवर्सिफिकेशन (Crop Diversification) यानी फसल विविधीकरण के लिए हरियाणा फसल विविधीकरण योजना (मेरा पानी मेरी विरासत - Mera Pani Meri Virasat) शुरू की है। हरियाणा क्रॉप डायवर्सिफिकेशन स्कीम (Haryana Crop Diversification Scheme) अर्थात हरियाणा फसल विविधीकरण योजना के तहत, धान की पारंपरिक फसल छोड़ने वाले किसानों को सरकार द्वारा प्रोत्साहित किया जाएगा।
हरियाणा फसल विविधीकरण योजना के सरकारी दस्तावेज (अंग्रेजी में) पढ़ने या पीडीऍफ़ डाउनलोड के लिए, यहां क्लिक करें
इस स्कीम के तहत धान जैसी पारंपरिक फसल त्यागने का निर्णय लेने वाले किसानों को प्रति एकड़ 7 हजार रुपये की राशि बतौर प्रोत्साहन प्रदान की जाती है। राज्य सरकार मक्का उगाने वाले किसानों को 2400 रुपये प्रति एकड़ और दलहन (मूंग, उड़द, अरहर) की पैदावार करने वाले कृषकों को 3600 रुपये प्रति एकड़ के मान से अनुदान राशि प्रदान करती है।


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आपको बता दें हरियाणा सरकार की ओर से फसल विविधीकरण स्कीम (Haryana Crop Diversification Scheme) के तहत यह प्रोत्साहन राशि किसान को सिर्फ 5 एकड़ की कृषि भूमि के लिए ही प्रदान की जाती है। राज्य सरकार द्वारा साल 2022 के लिए निर्धारित लक्ष्य के अनुसार प्रदेश की 50 हज़ार एकड़ कृषि भूम पर योजना का लाभ प्रदान किया जाएगा।

स्कीम का कारण

हरियाणा प्रदेश में किसानों द्वारा एक सी फसल उगाने के कारण खेतों की पैदावार क्षमता प्रभावित हो रही है। एक जैसे रसायनों एवं कीटनाशकों के सालों से हो रहे प्रयोग के कारण कृषि भूमि की उर्वरता भी खतरे में है। साथ ही राज्य में भूजल स्तर में भी गिरावट देखी जा रही है।


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इन सभी समस्याओं के मूलभूत उपचार फसल विविधीकरण के तरीके को अपनाते हुए सरकार ने हरियाणा फसल विविधीकरण स्कीम को बतौर प्रोत्साहन राज्य में लागू किया है।

फसल बदलने प्रोत्साहन

फसल विविधीकरण स्कीम में सालों से चली आ रही एक सी फसल उगाने की परंपरा के बजाए किसानों को बदल-बदल कर कृषि भूमि, पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ्य उपयोगी फसल उगाने के लिए प्रेरित किया जाता है। इस योजना के जरिए प्रदेश में धान की खेती के बजाए दूसरी खेती फसल अपनाने वाले किसानों को प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है।

अनुदान का प्रबंध

अन्य फसलों जैसे कपास, मक्का, दलहन, ज्वार, अरंडी, मूंगफली, सब्जी एवं फल आदि की किसानी करने वाले किसानों को अनुदान राशि भी प्रदेश में प्रदान की जा रही है।

योजना का उद्देश्य

हरियाणा प्रदेश सरकार ने हरियाणा फसल विविधीकरण योजना को लागू करने का निर्णय, राज्य में भूजल की बढ़ती परेशानी के निदान के लिए लिया है। धान की खेती में बहुत मात्रा में पानी की जरूरत होती है। मूल तौर पर धान की किसानी की वजह से प्रदेश के भूजल स्तर में चिंतनीय गिरावट देखी गई है।


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इस समस्या के प्राकृतिक समाधान के तहत प्रदेश में फसल विविधीकरण के लक्ष्य को निर्धारित किया गया है। क्रॉप डायवर्सिफिकेशन स्कीम से प्रदेश में अन्य फसलों की खेती तरीकों में भी वृद्धि होगी। इससे भूजल गिरावट की समस्या का भी समाधान हो सकेगा

चावल पीता है पानी

कृषि अनुसंधान के अनुसार 1 किलोग्राम चावल की पैदावार के लिए औसतन 300 लीटर पानी लगता है। इस खपत को नियंत्रित करने के लिए हरियाणा सरकार ने फसल विविधीकरण के लक्ष्य पर काम करना शुरू किया है, ताकि घट रहे भूजलस्तर की समस्या का समय रहते प्राकृतिक तरीके से समाधान किया जा सके।

अंतिम तारीख 31 अगस्त

हरियाणा फसल विविधीकरण योजना 2022 के तहत योजना संबंधी आवेदन जमा करने की प्रदेश सरकार ने अंतिम समय सीमा 31 अगस्त 2022 तय की है। इसके लिए आवेदक को आधार कार्ड क्रमांक से संबद्ध बैंक खाता संबंधी जानकारी आवेदन पत्र में दर्शानी होगी। योजना के पात्र हितग्राही आवेदक को राज्य सरकार की ओर से दी जाने वाली प्रोत्साहन धन राशि उसके बैंक खाते में जमा की जाएगी।

कृषि यंत्र अनुदान

हरियाणा फसल विविधीकरण योजना (Haryana Crop Diversification Scheme) के जरिये सरकार द्वारा किसानों को कृषि यंत्र खरीदने के लिए अनुदान भी प्रदान किया जाएगा।

योजना इनके लिए है

हरियाणा फसल विविधीकरण योजना का लाभ प्रदेश के निवासी को ही प्रदान किया जाएगा। योजना के अनुसार कृषक को पिछले वर्ष की तुलना में धान के रकबे के कम से कम 50% हिस्से में दूसरी फसलों की पैदावार करना होगी।


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इसके अलावा बैंक खाता, आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, कृषि योग्य भूमि संबंधी दस्तावेज, पहचान पत्र, मोबाइल नंबर, बैंक खाता विवरण,

पासपोर्ट साइज फोटो भी आवेदक को योजना के लिए दर्शाना होगी।

हरियाणा फसल विविधीकरण योजना के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन कराने के लिए कृषक मित्र, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग हरियाणा की आधिकारिक वेबसाइट पर पंजीकरण करा सकते हैं।
कृषि सब्सिडी : किसानों को दी जाने वाली विभिन्न प्रकार की वित्तीय सहायता के बारे में जानें

कृषि सब्सिडी : किसानों को दी जाने वाली विभिन्न प्रकार की वित्तीय सहायता के बारे में जानें

भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान आज भी बहुत बड़ा है और भारत की ग्रामीण जनसंख्या का लगभग 55 प्रतिशत हिस्सा, मुख्यतया कृषि पर ही निर्भर है। 2021 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार कृषि और उससे जुड़े हुए सेक्टर, भारत के कुल सकल घरेलू उत्पाद यानी की जीडीपी (GDP - Gross Domestic Product) में 18% योगदान देते है। आजादी के समय यह अनुपात 70 प्रतिशत से 80 प्रतिशत के बीच में था। विभिन्न वैज्ञानिक अनुसंधानों और नई तकनीकों की मदद तथा भारत सरकार के सकारात्मक अप्रोच और कृषि क्षेत्र में युवा किसानों की बढ़ती भागीदारी की वजह से, आने वाले समय में यह सेक्टर अच्छी उत्पादकता की ओर अग्रसर होता नजर आ रहा है। इसी उत्पादकता को सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार और कुछ राज्य सरकारें किसानों को सब्सिडी के रूप में कुछ सहायता प्रदान करती है

क्या है कृषि सब्सिडी (Agricultural Subsidy) ?

किसी भी निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार के द्वारा किसानों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता सब्सिडी के अंतर्गत आती है।यह वित्तीय सहायता प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से किसानों तक पहुंचाई जाती है। वित्त आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के किसानों के द्वारा प्रति हेक्टेयर जमीन से प्राप्त होने वाली आय में 21 प्रतिशत योगदान सरकार के द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी का होता है।

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कौन देता है भारत में कृषि सब्सिडी ?

भारतीय किसानों को स्थानीय राज्य सरकारों के अलावा मुख्यतः भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के द्वारा सब्सिडी प्रदान की जाती है, लेकिन अप्रत्यक्ष सब्सिडी के तौर पर केमिकल और फर्टिलाइजर मंत्रालय तथा कॉमर्स मंत्रालय के द्वारा भी सहायता दी जाती है। भारत में दी जाने वाली सब्सिडी पूर्णतया सरकार के द्वारा ही तय होती है, यदि बात करें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दी जाने वाली सब्सिडी की तो इन्हें मुख्यतः विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation) के द्वारा नियंत्रित किया जाता है और अलग-अलग देशों को उनकी आर्थिक स्थिति के आधार पर सब्सिडी देने में छूट प्रदान की गई है। वर्तमान में भारत विश्व व्यापार संगठन में एक विकासशील देश की श्रेणी में सम्मिलित किया गया है, इसी वजह से भारत को विकसित देशों की तुलना में अधिक सब्सिडी देने के लिए छूट दी गई है।

भारत सरकार के द्वारा दी जाने वाली अलग-अलग प्रकार की सब्सिडी :

हरित क्रांति के समय से ही भारत सरकार के द्वारा किसानों को आर्थिक सहयोग के तौर पर सब्सिडी दी जा रही है और इस क्रांति के दौरान बुवाई किए गए उच्च उत्पादकता वाले बीजों के बेहतर उत्पादन के लिए पानी और उर्वरकों के रूप में भारतीय किसानों को सब्सिडी देने की शुरुआत की गई थी। वित्त आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी को निम्न प्रकार से विभाजितकिया जा सकता है :-

  • उर्वरक पर दी जाने वाली सब्सिडी (Fertilizer Subsidy) :

भारतीय कृषि को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने लायक बनाने के लिए किसानों को सस्ती दर पर रासायनिक उर्वरकों को उपलब्ध करवाने के लिए सरकार के द्वारा फर्टिलाइजर सब्सिडी की शुरुआत की गई थी। यह सब्सिडी मुख्यत: उर्वरक उत्पादक कंपनियों को प्रदान की जाती है, जो कि किसानों को सस्ते दामों पर यूरिया और डीएपी उपलब्ध करवाती है। इस सब्सिडी की मदद से कृषि में कच्चे माल के रूप में होने वाले खर्चे कम हो जाते है और पूरे भारत में उर्वरकों की एक समान कीमत बनी रहती है।

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सरकार के द्वारा किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी में फर्टिलाइजर सब्सिडी का योगदान सर्वाधिक है। वर्तमान में भारत सरकार कुछ सूक्ष्म उर्वरक जैसे कि नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम के अलावा जिंक तथा आयरन जैसे रासायनिक उर्वरकों पर भी फर्टिलाइजर सब्सिडी उपलब्ध करवा रही है।

  • सीधे हस्तांतरण के तहत दी जाने वाली सब्सिडी (Direct Benefit transfer subsidy) :

 2019 में शुरू की गई है प्रत्यक्ष स्थानांतरण सब्सिडी वर्तमान में भारत के सभी किसानों को सीधे नकद राशि उपलब्ध करवाकर प्रदान की जाती है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि स्कीम (PM-KISAN) के तहत हर किसान भाई को 6000 रुपए सालाना उपलब्ध करवाए जाते है। केंद्र सरकार के द्वारा प्रायोजित इस स्कीम में शुरुआत में लघु और सीमांत किसानों को ही शामिल किया गया था। खेती की सामान्य जरूरतमंद आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए शुरू की गई यह स्कीम भारत की किसानों के लिए एक बेहतर विकल्प के रूप में उपलब्ध हुई है।

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  • बिजली पर दी जाने वाली सब्सिडी ( Power Subsidy) :

आधुनिक कृषि के दौर में मशीनीकरण की वजह से इस्तेमाल होने वाले पावर पंप और दूसरी इलेक्ट्रिक मशीनों के लिए सरकार के द्वारा किसानों को सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध करवाई जाती है।

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 मुख्यतः बिजली का इस्तेमाल सिंचाई की प्रक्रिया के दौरान होता है। यह सब्सिडी बिजली उत्पादक डिस्कोम कंपनियों को दी जाती है, जोकि बिजली की सामान्य रेट की तुलना में किसानों को सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध करवाती है। स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड और भारत की कई बड़ी सरकारी कंपनी के द्वारा किसानों को इस तरह की सब्सिडी उपलब्ध करवाई जा रही है।

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कृषि अनुसंधान कार्यों में तेजी लाने के लिए सरकार के द्वारा कृषि वैज्ञानिकों को प्रत्यक्ष सहायता प्रदान करने के अलावा, किसान भाइयों के लिए उच्च उत्पादकता प्रदान करने वाले बीजों (High yielding seed) की व्यवस्था भी सरकार के द्वारा सीड सब्सिडी के तहत ही की जाती है। इन बीजों को बहुत ही कम दर पर उपलब्ध करवाने पर किसान भाई आसानी से अपने खेत में होने वाले लागत को कम कर पाते है। एक अप्रत्यक्ष सब्सिडी के तौर पर सरकार के द्वारा बीज उत्पादन करने वाली कंपनियों को प्रदान की जाने वाली यह सब्सिडी कम्पनियों  की बीज विनिर्माण लागत को कम करती है और स्वतः ही बाजार में सस्ते बीज उपलब्ध हो पाते हैं।

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  • निर्यात पर दी जाने वाली सब्सिडी (Export Subsidy) :

भारत शुरुआत से ही एक कृषि प्रधान देश रहा है और इसी वजह से भारत में तैयार कृषि को अंतरराष्ट्रीय मार्केट में शुरुआत से ही एक अलग पहचान मिली हुई है, परंतु पिछले कुछ समय से कई देशों में कृषि क्षेत्र में बढ़ते अनुसंधान कार्यों और नई खोजों के बाद भी भारतीय कृषि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाए रखने के लिए सरकार के द्वारा निर्यात पर सब्सिडी दी जाती है। यह सब्सिडी किसी किसान या फिर कृषि उत्पादों से जुड़ी निर्यात कंपनी को दी जाती है। इस सब्सिडी का फायदा यह होता है कि इससे भारत में विदेशी धन आने के अलावा स्थानीय स्तर पर किसानों के द्वारा मुनाफा कमाया जा सकता है, हालांकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निर्यात में दी जाने वाली सब्सिडी को विश्व व्यापार संघ के द्वारा जारी की गई गाइडलाइन के तहत ही दिया जा सकता है।

  • लोन पर दी जाने वाली सब्सिडी (Credit Subsidy ) :

यह बात तो हम जानते ही है कि भारतीय कृषि क्षेत्र में लघु और सीमांत किसान बहुत ही अधिक संख्या में है। ऐसे किसानों के पास बुवाई और खेती की शुरुआत करने के लिए छोटे क्षेत्र की जमीन तो होती है, परंतु शुरुआत में आने वाली लागत के लिए आर्थिक व्यवस्था नहीं होती है, इसी समस्या को दूर करने के लिए सरकार के द्वारा किसान भाइयों को ऋण पर सब्सिडी प्रदान की जाती है, जिसे क्रेडिट सब्सिडी भी कहा जाता है।

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बैंक के द्वारा एक सामान्य ग्राहक के तौर पर लगायी जाने वाली ब्याज दर पर सरकार के द्वारा कुछ प्रतिशत ब्याज दर स्वयं के द्वारा जमा करवायी जाती है, इसे इंटरेस्ट सब्वेंशन (Interest subvention)  के नाम से भी जाना जाता है। हाल ही में आत्मनिर्भर भारत स्कीम के तहत किसान भाइयों को ब्याज ऋण अदायगी में सरकार के द्वारा अच्छी सब्सिडी उपलब्ध करवाई गई है। इस प्रकार की ऋण व्यवस्था में किसान भाइयों को किसी भी प्रकार की संपार्श्विक (collateral) जमा करवाने की आवश्यकता नहीं होती है और बड़ी ही आसानी से ग्रामीण क्षेत्रों के किसान भी कृषि कार्यों में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों तथा बीज और दूसरे कच्चे माल के लिए कम ब्याज दर पर ऋण प्राप्त कर सकते है।

  • कृषि उपकरणों पर दी जाने वाली सब्सिडी (Agriculture Equipment Subsidy) :

भारत सरकार के द्वारा अलग-अलग स्कीम के तहत किसान भाइयों को कृषि में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों की खरीद के लिए सब्सिडी प्रदान की जाती है। यह सब्सिडी मुख्यतः उपकरण की खरीद के बाद किसान भाइयों को उनके बैंक खाते में सीधे हस्तांतरण के माध्यम से उपलब्ध करवाई जाती है।

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 अलग-अलग राज्य सरकारें अपना योगदान मिलाकर भारत सरकार के द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी में सहयोग प्रदान कर सकती है। इसके अलावा कृषि क्षेत्र में विनिर्माण (Infrastructure) से जुड़े कार्यों को पूर्ण करने के लिए भारत सरकार के द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर सब्सिडी भी उपलब्ध करवाई जाती है। इस तरह की सब्सिडी की मदद से किसान भाइयों को तैयार कृषि उत्पादों को एक जगह से दूसरी जगह पर स्थानांतरित करने के लिए इस्तेमाल में होने वाले वाहन तथा कोल्ड स्टोरेज हाउस बनाने के लिए राशि उपलब्ध करवाई जाती है। 

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कैसे प्राप्त करें कृषि सब्सिडी और आवश्यक योग्यताएं ?

यदि किसी सब्सिडी के लिए लघु, सीमांत और बड़े किसानों के लिए आवश्यक योग्यताएं अलग-अलग है तो इसके लिए आपको अलग से कृषि मंत्रालय या फिर दूसरे मंत्रालय (जो कि सब्सिडी को उपलब्ध करवा रहा है) कि वेबसाइट पर जाकर अपना निशुल्क पंजीकरण करवाना होगा। यदि बात करें इन सब्सिडी में अलग-अलग योग्यताओं की तो कई प्रकार की सब्सिडी केवल लघु और सीमांत किसानों के लिए ही उपलब्ध है, ऐसी सब्सिडी प्राप्त के लिए स्थानीय प्रशासन के द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के साथ किसान सेवा केंद्र में जाकर पंजीकरण करवाना होगा।आय और दूसरे कई आधारों पर दी जाने वाली सब्सिडी के तहत भी अलग से रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता होगी। मुख्यतः खाते में सीधे हस्तांतरण (Direct Benefit Transfer) के तहत मिलने वाली सब्सिडी के दौरान ही इस तरह के पंजीकरण की आवश्यकता होती है, अप्रत्यक्ष रूप से मिलने वाली सब्सिडी सभी किसान भाइयों के लिए उपलब्ध होती है।

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कृषि सब्सिडी की मदद से किसान भाइयों को होने वाले फायदे :

वर्तमान समय की प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था में भारतीय कृषि को संपन्न बनाने के पीछे कृषि क्षेत्र में दी जाने वाली सब्सिडी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, इन्हीं सब्सिडी की मदद से भारतीय किसान स्वयं की जरूरतें तो पूरी करता ही है, साथ ही तैयार कृषि उत्पादों को आसानी से बेचकर मुनाफा भी कमा सकता है। इन कृषि सब्सिडी की मदद से खेती की शुरुआत में आने वाली प्रारंभिक लागत में काफी कमी हो जाती है। वित्त आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार यदि भारतीय किसान को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सब्सिडी उपलब्ध ना करवाई जाए तो उनके खेत से प्राप्त होने वाला मुनाफा 50 प्रतिशत तक कम हो सकता है। किसान क्रेडिट कार्ड स्कीम की मदद से उपलब्ध करवाए जाने वाले सस्ते लोन किसानों की खेती में इस्तेमाल होने वाली आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति के अलावा एक बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण में भी सहायक साबित हुए है।

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आशा करते है कि हमारे किसान भाइयों को Merikheti.com के माध्यम से भारत सरकार और राज्य सरकारों के द्वारा कृषि से जुड़ी हुई सब्सिडी के बारे में संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी, साथ ही इन सब्सिडी के लिए योग्यता तथा इनके लिए पंजीकरण कराने की प्रक्रिया का भी पता चल गया होगा। यही उम्मीद है कि भविष्य में आप भी सरकार के द्वारा उपलब्ध करवाई जा रही सब्सिडी का इस्तेमाल कर अपने खेत की उत्पादकता को बढ़ाने के साथ ही मुनाफे में भी बढ़ोतरी कर पाएंगे।

कृषि मशीनों पर सब्सिडी दे रही बिहार सरकार, 31 दिसंबर तक करें आवेदन

कृषि मशीनों पर सब्सिडी दे रही बिहार सरकार, 31 दिसंबर तक करें आवेदन

जब से बिहार में सरकार बदली है, उसके बाद से नीतिश कुमार छात्रों ही नहीं, किसानों पर भी बड़े मेहरबान नजर आ रहे हैं। खेती में मशीनों का इस्तेमाल आज कल बेहद जरूरी हो गया है, क्योंकि इनके उपयोग से ही किसान अपना ज्यादा काम कम समय में कर पाते हैं। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार ने कृषि मशीनों पर सब्सिडी देने का ऐलान किया है। इस सब्सिडी का असर ये होगा कि जो किसान ज्यादा लागत की मशीन खरीदने में सक्षम नहीं हैं, वे भी इन्हें खरीद पाएंगे। गौर करने वाली बात है कि सरकार यह सब्सिडी 90 प्रकार की कृषि में इस्तेमाल होने वाली मशीनों पर दे रही है। सब्सिडी वाली मशीनों के लिए एप्लिकेशन प्रोसेस भी शुरू हो गया है। इच्छुक किसान इसके लिए 31 दिसंबर तक एप्लिकेशन दे सकते हैं


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इस योजना की शुरुआत बिहार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने की है। इस योजना का नाम कृषि यंत्रीकरण है। इसी योजना के अंतर्गत सरकार ने कृषि मशीनों पर सब्सिडी देने का ऐलान किया है। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर वे किस तरह की मशीनें हैं जिन पर सब्सिडी दी जा रही है, तो आपको बता दें कि इसके लिए कटाई, सिंचाई, गुडाई, निराई गन्ना और बागवानी से जुड़ी मशीनें शामिल हैं। अगर आपको इन सारी मशीनों की लिस्ट चाहिए और सब्सिडी के बारे में विस्तार से जानना है, तो आपको OFMAS पोर्टल (OFMAS - Online Farm Mechanization Application Software) पर जाना होगा। यहां आपका पूरा ब्योरा मिल जाएगा।

इस योजना को लेकर बिहार के कृषि विभाग ने ट्वीट किया था, जिसमें पूरा ब्योरा बताया गया था

लेकिन इस बीच गौर करने वाली बात है कि जो लोग पहले अप्लाई करेंगे तो उन्हें लाभ पहले मिलेगा, क्योंकि यह पूरा प्रक्रिया पहले आओ पहले पाओ के तहत है। चूंकि बिहार सरकार ने आवेदन आमंत्रित कर दिए हैं, इसलिए जरूरी है कि आप फौरन कृषि विभाग की वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर दें ताकि आपका नंबर पहले लग सके। लेकिन आवेदन के पहले आपको पंजीकरण करना होगा, जो अनिवार्य है। बिहार सरकार ने इस योजना के लिए अच्छा खासा बजट जारी किया है। इसी बजट के अंर्तगत किसानों को कृषि मशीनों पर सब्सिडी दी जाएगी। बिहार में किसान अक्सर की मौसम की मार झेलते रहे हैं। ऐसे में सरकार का यह कदम कई मायनों में शानदार है। इस योजना से छोटे व मझोल किसानों को मदद मिलेगी।