राजस्थान की गेहलोत सरकार ने गाय के गोबर को 2 रुपये प्रति किलो की कीमत से खरीदने का ऐलान की है। राज्य सरकार गौ पालन और गौ संरक्षण के लिए पूर्व से भी कामधेनु योजना को चलाया जा रहा है, जिसके लिए सरकार डेयरी चालकों को 90 फीसद तक का अनुदान प्रदान करती है। भारत में जहां एक तरफ गाय गौ मूत्र एवं गौ गोबर को लेकर आप विभिन्न प्रकार की समाचार को सुनते ही आए हैं। परंतु, आज हम आपको इस लेख जिस समाचार को बताने जा रहे हैं, वह आपके लाभ की बात है। दरअसल फिलहाल राजस्थान सरकार गाय के गोबर को 2 रुपये/किलो की कीमत से खरीदेगी। राज्य के मुख्य मंत्री अशोक गहलोत ने यह जानकारी पुरानी पेंशन योजना की शुरुआत करने की चल रही मीटिंग के चलते प्रदान की। राजस्थान सरकार ने यह ऐलान किसानों को आर्थिक एवं सामाजिक तौर पर सबल बनाने एवं गाय के गोबर को बेहतर ढंग से प्रयोग में लाने की दिशा में एक नया बताया है।
राजस्थान सरकार गाय पालने के लिए तथा उनका संरक्षण करने हेतु 90 प्रतिशत तक की अनुदान योजना को भी चला रही है। राज्य सरकार के मुताबिक, इससे राज्य में दुग्ध की पैदावार की मात्रा तो बढ़ेगी। इसके साथ ही गौ वंशों के संरक्षण के लिए लोगों को प्रोत्साहित भी किया जा सकेगा। सरकार इस योजना के जरिए ज्यादा दूध देने वाली गायों की प्रजनन दर को बढ़ाएगी। साथ ही, इनकी खरीद पर नियमावली के मुताबिक किसानों को 90 फीसद तक का अनुदान भी प्रदान करेगी। सरकार की इस योजना का फायदा सिर्फ डेयरी धारकों के लिए ही है। क्योंकि, यह अनुदान योजना 25 गायों के पालन पर दी जाती है, जिसके लिए प्रदेश सरकार भिन्न-भिन्न तरीकों के जरिए से लागत का 90 प्रतिशत तक की अनुदान के रूप में प्रदान करेगी।
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गौपालन को बढ़ावा देने एवं किसानों को अतिरिक्त आय का जरिया प्रदान करने के लिए कर्नाटक सरकार ने गौवंश पालकों से गौमूत्र या गोमूत्र (गाय का मूत्र) (Cow Urine) एवं गाय का गोबर (Cow Dung) खरीदने का निर्णय लिया है। आपको ज्ञात हो छत्तीसगढ़ सरकार भी किसानों से गौमूत्र खरीदकर उन्हें लाभ प्रदान कर रही है।
कर्नाटक राज्य पशुपालन विभाग किसानों की आय में बढ़ोत्तरी के लिए प्रयासरत है। किसानों की आय मेें वृद्धि हो, इसके लिए कृषि आय से जुड़े आय के तमाम विकल्पों के लिए सरकार प्रोत्साहन एवं मदद प्रदान कर रही है।
प्रदेश के गौपालक किसानों को गाय के दूध के अलावा भी अतिरिक्त आय मिल सके, इसके लिए किसानों से गोमूत्र और गोबर खरीदने की योजना कर्नाटक राज्य सरकार ने बनाई है।
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राज्य सरकार ने किसानों से गौमूत्र एवं गोबर खरीदने के लिए विशिष्ट योजना बनाई है। इस प्लान के तहत योजना की शुरुआत में प्रस्तावित गौशालाओं की मदद से किसानों से गौमूत्र एवं गाय के गोबर की खरीद की जाएगी।
कर्नाटक सरकार इस समय कुछ निजी गौशालाओं का वित्त पोषण करती है। इसके अलावा राज्य सरकार ने इस अभिनव योजना के लिए आगामी दिनों में प्रदेश में गौशालाओं (Cow Shed) के विस्तार की योजना बनाई है। इसके तहत प्रदेश में 100 गौशाला (Cow Shed) बनाने का सरकार का लक्ष्य है।
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लक्ष्य निर्धारित गौशालाओं को बनाने के लिए विभाग ने जिलों में भूमि चिह्नित की है। योजना के अनुसार चराई के लिए पृथक गौशाला बनाने का निर्णय लिया गया है।
किसानों से क्रय किए गए गोबर और गोमूत्र से राज्य में कई तरह के उपयोगी उपोत्पाद बनाए जाएंगे।
आमजन को भी गोबर-गौमूत्र निर्मित जीवन रक्षक इन उत्पादों के उपयोग के लिए मेलों, प्रदर्शनियों के जरिये जागरूक किया जाएगा। सरकार का मानना है कि, कृषि आधारित इस अभिनव पहल से प्रदेश में रोजगार के नए अवसर कृषि से इतर दूसरे लोगों को भी मिल सकेंगे।
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आपको बता दें, छत्तीसगढ़ में सरकार ने इस दिशा में पहल शुरू की थी। छत्तीसगढ़ में गौधन न्याय योजना के तहत, गोबर और गौमूत्र की खरीद कर सरकार किसानों को लाभ के अवसर प्रदान कर रही है।
इस योजना के अनुसार छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश के गौपालकों से चार रुपए प्रति लीटर की दर से गोमूत्र खरीदने का निर्णय लिया है। इस पहल के अलावा छत्तीसगढ़ राज्य में पहले से ही राज्य सरकार द्वारा पशुपालकों से दो रुपए प्रति किलो की दर से गाय का गोबर (Cow Dung) खरीदा जा रहा है।
प्रदेश सरकार की इस पहल से न केवल पशु पालकों का गौपालन के प्रति रुझान बढ़ा है, बल्कि, गौपालन से पशु पालकों की कमाई में अतिरिक्त इजाफा भी देखने को मिला है।
ये भी पढ़ें: जैविक खेती में किसानों का ज्यादा रुझान : गोबर की भी होगी बुकिंगपशुपालन राज्य मंत्री प्रभु चव्हाण के हवाले से जारी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, निजी मठ और संगठन राज्य में गौशाला का संचालन कर गौसेवा करते हैं। इन संगठनों द्वारा गोमूत्र और गाय के गोबर से बायो-गैस, दीया, शैंपू, कीटनाशक, औषधि जैसे कई जीवनोपयोगी उत्पाद बनाए जाते हैं। पशुपालन राज्य मंत्री ने इस दिशा में हाथ बंटाने की बात कही।
उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा लागू की गई योजना का अध्ययन कर उससे सीख लेने की बात कही। प्रभु चव्हाण ने बताया कि, कर्नाटक में गौमूत्र एवं गाय के गोबर से जुड़ी योजना को लागू करने के पहले छत्तीसगढ़ के अनुभवों का अध्ययन किया जाएगा। मंत्री के अनुसार उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र राज्य में किए जा रहे जैव ईंधन (Bio Fuel) के प्रयोग भी काफी प्रभावकारी हैें। उन्होंने महाराष्ट्र के किन्नरी मठ में गोबर औऱ गौमूत्र से बनाए जाने वाले 35 उत्पादों से मिलने वाले लाभों का भी जिक्र मीडिया से एक चर्चा में किया। प्रभु चव्हाण ने योजना को फिलहाल शुरुआती चरण में होना बताकर, इसके विस्तार के लिए जल्द ही मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से चर्चा करने की बात कही।
डॉ. आर.के. मेहिया ने बताया कि शासन और प्रशासन की लगातार सतर्कता और ग्रामीणों को दी जा रही समझाइश से लम्पी (LSD – Lumpy Skin Disease) प्रकरणों में स्थिति नियंत्रण में है। उन्होंने कहा कि संतोष की बात है कि प्रकरण बढ़े नहीं है, कुछ हद तक घटे हैं। प्रदेश में लम्पी के विरूद्ध अब तक एक लाख 2 हजार से अधिक गौ-वंश का टीकाकरण किया जा चुका है।
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डॉ. मेहिया ने बताया कि लगातार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पशुपालन विभाग के संभागीय और जिला स्तरीय अधिकारी और लैब प्रभारी को विषय-विशेषज्ञों द्वारा मार्गदर्शन दिया जा रहा है। स्थिति की लगातार समीक्षा कर गौ-वंश में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, निदान और उपचार जारी है।
लम्पी रोग से पशुओं को शुरू में बुखार आता है और वे चारा खाना बंद कर देते हैं। इसके बाद चमड़ी पर गाँठें दिखाई देने लगती है, पशु थका हुआ और सुस्त दिखाई देता है, नाक से पानी बहना एवं लंगड़ा कर चलता है। यह लक्षण दिखाई देने पर पशुपालक तुरंत अपने नजदीकी पशु चिकित्सालय या पशु औषधालय से संपर्क कर बीमार पशुओं का उपचार कराएँ। पशु सामान्यत: 10 से 12 दिन में स्वस्थ हो जाता है।
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संक्रमित पशु को स्वस्थ पशु से तत्काल अलग करें। पशु चिकित्सक से तत्काल उपचार आरंभ कराएँ। संक्रमित क्षेत्र के बाजार में पशु बिक्री, पशु प्रदर्शनी, पशु संबंधी खेल आदि पूर्णत: प्रतिबंधित करें। संक्रमित पशु प्रक्षेत्र, घर, गौ-शाला आदि जगहों पर साफ-सफाई, जीवाणु एवं विशाणु नाशक रसायनों का प्रयोग करें। पशुओं के शरीर पर होने वाले परजीवी जैसे- किलनी, मक्खी, मच्छर आदि को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करें। स्वस्थ पशुओं का टीकाकरण कराएँ और पशु चिकित्सक को आवश्यक सहयोग भी करें।
अभी देश को कोरोना जैसे भयावह और जानलेवा बीमारी से पूर्ण रूप से निजात मिला भी नहीं था, तब तक देश के 12 राज्यों के पशुओं के ऊपर एक भयावह वायरस का प्रकोप शुरू हो गया और वह वायरस है ‘लम्पी स्किन डिजीज‘ या एलएसडी (LSD – Lumpy Skin Disease) वायरस.
इस बीमारी की वजह से देश में लगभग 56 हजार से अधिक मवेशी की मौत अब तक हो चुकी है. आपको बताते चले कि उत्तर प्रदेश राज्य में भी इसका प्रकोप काफी बढ़ गया है और अब तक वहां लगभग 200 पशुओं की मौत हो चुकी है.
इसको यूपी सरकार ने काफी गंभीरता से लिया है और इसके लिए काफी महत्वपूर्ण कदम भी उठाए है. आपको मालूम हो की यूपी के योगी सरकार ने वहां के गायों और अन्य मवेशियों को सुरक्षित रखने के लिए सुरक्षा कवच का निर्माण करने का निर्देश दिया है. गौरतलब है की सुरक्षा कवच के रूप 300 किमी का इम्यून बेल्ट (Immune Belt) बनाने का निर्णय लिया गया है.
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खबरों के मुताबिक
मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने इम्यून बेल्ट पर आधारित मास्टर प्लान सरकार के सामने पेश किया है, जिस पर यूपी की योगी सरकार ने सहमति भी जताई है और उस पर कार्य करने को योजना भी तैयार किया है.
योगी सरकार का मानना है कि इस सुरक्षा कवच यानी इम्यून बेल्ट के निर्माण से वायरस का प्रसार प्रतिबंधित होगा.
इम्यून बेल्ट एक सुरक्षा कवच है जो पीलीभीत और इटावा के बीच बनाई जाएगी. इस इम्यून बेल्ट का दायरा 300 किमी लंबा और 10 किमी चौड़ा होगा.
आपको मालूम हो कि लंपी स्किन डिजीज के वायरस का प्रकोप वेस्ट यूपी में सबसे ज्यादा है. यहां सबसे ज्यादा संक्रमण देखा जा रहा है. वेस्ट यूपी के कुछ जिले जैसे अलीगढ़, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर सबसे ज्यादा प्रभावित है.
वही मथुरा, बुलंदशहर, बागपत, हापुड़, मेरठ में लम्पी स्किन डिजीज के वायरस का संक्रमण काफी तेजी से फ़ैल रहा है.
संक्रमण के तेज होने के कारण ही योगी सरकार ने ये सुरक्षा कवच के रूप में 5 जिलों और 23 ब्लॉकों से होकर गुजरने वाली इम्यून बेल्ट बनाने का निर्णय किया है.
आपको यह भी जान कर हैरानी होगी कि यह इम्यून बेल्ट मलेशियाई मॉडल पर आधारित होगा.
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खबरों के अनुसार इम्यून बेल्ट वाले इलाके में निगरानी के लिए कुछ टास्क फोर्स को सुरक्षा कवच के रूप में तैनात किए जाएंगे.
यह टास्क फोर्स मवेशियों में वायरस के उपचार और उनके निगरानी पर खास ध्यान देंगे ताकि उस इम्यून बेल्ट से कोई संक्रमित मवेशी बाहर न आए और अन्य मवेशियों को संक्रमित ना करें.
गौरतलब हो की राज्य में अब तक लगभग 22000 गायों को इस लम्पी वायरस का सामना करना पड़ा है यानी वो संक्रमित हुए हैं. यह राज्य के लगभग 2331 गावों का आंकड़ा है.
असल में अब तक राज्य के 2,331 गांवों की 21,619 गायें लम्पी वायरस की चपेट में आ चुकी हैं, जिनमें से 199 की मौत हो चुकी है. जबकि 9,834 का इलाज किया जा चुका है और वे ठीक हो चुकी हैं.
जानलेवा वायरस पर काबू पाने के लिए योगी सरकार बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान चला रही है. अब तक 5,83,600 से अधिक मवेशियों का टीकाकरण किया जा चुका है.
यह कदम लम्पी वायरस पर नकेल कसने के दिशा में एक सफल प्रयास है और आशा है की इस तरह के योजना और सुरक्षा कवच (इम्युन बेल्ट) बनाने से जल्द ही यूपी सरकार इस वायरस को भी मात दे देगी.
यूपी सरकार की तरफ से बनाई जाने वाली 300 किमी लंबी इम्यून बेल्ट को मलेशियाई मॉडल के तौर पर जाना जाता है. जानकारी के मुताबिक पशुपालन विभाग द्वारा इम्यून बेल्ट वाले क्षेत्र में वायरस की निगरानी के लिए एक टॉस्क फोर्स का गठन किया जाएगा. यह टास्क फोर्स वायरस से संक्रमित जानवरों की ट्रैकिंग और उपचार को संभालेगी.
पशुओं की यूआईडी टैगिंग सहित वैक्सीनेशन हेतु पशुपालन विभाग की तरफ से फिलहाल पशुओं हेतु 12 नंबर के टैग निर्मित हो रहे हैं। जो कि पशुओं हेतु आधार कार्ड की भाँति कार्य करेंगे। भारत सरकार द्वारा प्रत्येक देशवासी को पहचान हेतु आधार कार्ड व पहचान पत्र अनिवार्य किए हैं।
प्रत्येक आधार कार्ड पर 12 अंक का एक नंबर लिखा होता है, जो कि व्यक्ति विशेष की पहचान प्रस्तुत करता है। इसी क्रम में पशुओं हेतु भी आधार कार्ड बांटे जा रहे हैं एवं इन पशुओं की पहचान करने हेतु 12 अंक का टैग भी निर्मित किया जा रहा है, इसके लिए पशु के मालिक से 5 रुपये का शुल्क लिया जाता है।
हम आपको बतादें, कि 12 नंबर के इस Identification tag के माध्यम से पशुओं की पहचान व उनका समयानुसार टीकाकरण करवाना बेहद सुगम हो गया है। यह पहल पशुपालन विभाग द्वारा की गयी है, जिसको राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान के तहत समस्त पशुओं की टैगिंग करने एवं उनका पहचान पत्र के निर्माण हेतु चालू किया गया है।
भारत में अधिकाँश मवेशियों को बीमारियों अथवा दुर्घटनाओं से जान-माल का खतरा होता है। बहुत बार तो पशुओं की पहचान करना बेहद कठिन होता है। इस तरह की परिस्थितियों में पशुओं की टैगिंग कर पहचान पत्र (12 अंकों का नंबर) प्रदान किया जाता है, इसकी सहायता से वर्तमान में पशुओं की पूर्ण जानकारी ऑनलाइन प्राप्त होगी।
इस अभियान के अंतर्गत मवेशियों को एफएमडी वैक्सीनेशन होगा। साथ ही, मिशन पशु आरोग्य योजना के माध्यम से पशुओं की पहचान हेतु कान में पीले रंग का 12 अंको का टैग होना भी बेहद आवश्यक है। अब हर पशुपालक को अपने पशु की यूआईडी टैगिंग करवानी होगी।
पशु चिकित्सक के पास जाके स्वयं आधार कार्ड एवं रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर दें, उसके कुछ समय बाद आपके पशु का पंजीयन कर दिया जाएगा।
सरकार के निर्देशानुसार, अब से उन्हीं पशुओं का टीकाकरण कराया जाएगा, जिनके पास आधार कार्ड (12 अंकों का यूआईडी टैग) होगा।
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राजस्थान राज्य के कोटा जनपद में पशुओं के टीकाकरण से संबंधित यह शर्त रखी गई है, कि यहां तकरीबन 2.5 लाख गौवंश एवं भैंस है, उन सबका टीकाकरण कराना अति आवश्यक है।
अभी तक 20,000 पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है। लंपी के संक्रमण की वजह से पशुओं के टीकाकरण के अधूरे लक्ष्य को जल्द पूर्ण किया जायेगा।
अब इसी तरह मवेशियों की यूआईडी टैगिंग करके 12 अंक का आधार नंबर उपलब्ध करवाया जा रहा है। आपको बतादें कि इसके आधार पर पशुपालक को खुद के पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान मतलब Artificial insemination की व्यवस्था की जाती है।
इसके अलावा इस टैगिंग के माध्यम से पशुओं के अगले-पिछले टीकाकरण की पूर्ण जानकारी पशुपालकों को फोन पर ही प्राप्त हो जाएगी एवं पशुपालन से संबंधित बहुत सारी सरकारी योजनाओं से फायदा लेना भी आसान रहेगा।