पशुओं की यूआईडी टैगिंग सहित वैक्सीनेशन हेतु पशुपालन विभाग की तरफ से फिलहाल पशुओं हेतु 12 नंबर के टैग निर्मित हो रहे हैं। जो कि पशुओं हेतु आधार कार्ड की भाँति कार्य करेंगे। भारत सरकार द्वारा प्रत्येक देशवासी को पहचान हेतु आधार कार्ड व पहचान पत्र अनिवार्य किए हैं।
प्रत्येक आधार कार्ड पर 12 अंक का एक नंबर लिखा होता है, जो कि व्यक्ति विशेष की पहचान प्रस्तुत करता है। इसी क्रम में पशुओं हेतु भी आधार कार्ड बांटे जा रहे हैं एवं इन पशुओं की पहचान करने हेतु 12 अंक का टैग भी निर्मित किया जा रहा है, इसके लिए पशु के मालिक से 5 रुपये का शुल्क लिया जाता है।
हम आपको बतादें, कि 12 नंबर के इस Identification tag के माध्यम से पशुओं की पहचान व उनका समयानुसार टीकाकरण करवाना बेहद सुगम हो गया है। यह पहल पशुपालन विभाग द्वारा की गयी है, जिसको राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान के तहत समस्त पशुओं की टैगिंग करने एवं उनका पहचान पत्र के निर्माण हेतु चालू किया गया है।
भारत में अधिकाँश मवेशियों को बीमारियों अथवा दुर्घटनाओं से जान-माल का खतरा होता है। बहुत बार तो पशुओं की पहचान करना बेहद कठिन होता है। इस तरह की परिस्थितियों में पशुओं की टैगिंग कर पहचान पत्र (12 अंकों का नंबर) प्रदान किया जाता है, इसकी सहायता से वर्तमान में पशुओं की पूर्ण जानकारी ऑनलाइन प्राप्त होगी।
इस अभियान के अंतर्गत मवेशियों को एफएमडी वैक्सीनेशन होगा। साथ ही, मिशन पशु आरोग्य योजना के माध्यम से पशुओं की पहचान हेतु कान में पीले रंग का 12 अंको का टैग होना भी बेहद आवश्यक है। अब हर पशुपालक को अपने पशु की यूआईडी टैगिंग करवानी होगी।
पशु चिकित्सक के पास जाके स्वयं आधार कार्ड एवं रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर दें, उसके कुछ समय बाद आपके पशु का पंजीयन कर दिया जाएगा।
सरकार के निर्देशानुसार, अब से उन्हीं पशुओं का टीकाकरण कराया जाएगा, जिनके पास आधार कार्ड (12 अंकों का यूआईडी टैग) होगा।
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राजस्थान राज्य के कोटा जनपद में पशुओं के टीकाकरण से संबंधित यह शर्त रखी गई है, कि यहां तकरीबन 2.5 लाख गौवंश एवं भैंस है, उन सबका टीकाकरण कराना अति आवश्यक है।
अभी तक 20,000 पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है। लंपी के संक्रमण की वजह से पशुओं के टीकाकरण के अधूरे लक्ष्य को जल्द पूर्ण किया जायेगा।
अब इसी तरह मवेशियों की यूआईडी टैगिंग करके 12 अंक का आधार नंबर उपलब्ध करवाया जा रहा है। आपको बतादें कि इसके आधार पर पशुपालक को खुद के पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान मतलब Artificial insemination की व्यवस्था की जाती है।
इसके अलावा इस टैगिंग के माध्यम से पशुओं के अगले-पिछले टीकाकरण की पूर्ण जानकारी पशुपालकों को फोन पर ही प्राप्त हो जाएगी एवं पशुपालन से संबंधित बहुत सारी सरकारी योजनाओं से फायदा लेना भी आसान रहेगा।