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फसल बीमा

हरियाणा में फसल बीमा 31 जुलाई तक

हरियाणा में फसल बीमा 31 जुलाई तक

हरियाणा सरकार द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना खरीफ 2020 की चार फसलों-धान, कपास, मक्का व बाजरे का प्रति एकड़ प्रीमियम और बीमित राशि निर्धारित की गई है। इन चारों फसलों के लिए आगामी 31 जुलाई, 2020 तक बीमा करवाया जा सकता है।
  • 26 जुलाई- हरियाणा सरकार द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना खरीफ 2020 की चार फसलों-धान, कपास, मक्का व बाजरे का प्रति एकड़ प्रीमियम और बीमित राशि निर्धारित की गई है। इन चारों फसलों के लिए आगामी 31 जुलाई, 2020 तक बीमा करवाया जा सकता है।
  • एक सरकारी प्रवक्ता ने आज जानकारी देते हुए बताया कि योजना के तहत ग्राम पंचायत को बीमित इकाई माना गया है। सभी किसानों की बीमा कवरेज केंद्र सरकार के पोर्टल gov.in पर दर्ज करवाना अनिवार्य है। प्रीमियम राशि केवल एनसीआईपी के भुगतान गेटवे पे-जीओवी द्वारा ही भेजी जानी चाहिए। इसके अलावा, सभी किसानों का आधार नंबर होना अनिवार्य है।
  • प्रवक्ता ने बताया कि इस योजना में केवल कपास, बाजरा, मक्का व धान की फसल उगाने वाले किसानों को ही शामिल किया गया है। जिन किसानों ने ऋण नहीं लिया है, वे इच्छानुसार अपनी बैंक शाखा, अधिकृत मध्यस्थ, अटल सेवा केंद्र व पोर्टल के माध्यम से 31 जुलाई, 2020 तक बीमा करवा सकते हैं।
  • उन्होंने बताया कि बड़े पैमाने पर होने वाली प्राकृतिक आपदा के कारण खड़ी फसलों की औसत पैदावार में कमी पर क्लेम अधिकृत क्षेत्र आधार पर प्रदान किया जाएगा। जल-भराव (धान की फसल को छोडकऱ), ओलावृष्टि, बादल फटना व आसमानी बिजली गिरने से प्राकृतिक आग के कारण खड़ी फसलों का नुकसान होने पर क्लेम खेत स्तर पर दिया जाएगा। इसी तरह, फसल कटाई के 14 दिनों तक सुखाने हेतु खेत में रखी कटी फसल का चक्रवात, चक्रवातीय वर्षा, बेमौसमी वर्षा तथा ओलावृष्टि से हुए नुकसान का भी क्लेम खेत स्तर पर प्रदान किया जाएगा।                                                        नि:शुल्क सहायता हेतु किसान 1800-180-2117 पर संपर्क कर सकते हैं।
भारत सरकार द्वारा लागू की गई किसानों के लिए महत्वपूर्ण योजनाएं (Important Agricultural schemes for farmers implemented by Government of India in Hindi)

भारत सरकार द्वारा लागू की गई किसानों के लिए महत्वपूर्ण योजनाएं (Important Agricultural schemes for farmers implemented by Government of India in Hindi)

हम जानते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। हमारे देश की लगभग 60% से अधिक जनसंख्या कृषि पर निर्भर है और इसी से ही उनका जीवन यापन चलता है। 

इसी को देखते हुए भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए बहुत सारी योजनाएं चलाई गई। जिससे किसानों की लागत कम लगे और किसानों की आय में वृद्धि हो सके। इन योजनाओं के माध्यम से किसानों को खेती में आने वाली समस्याएं कम होगी।

भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए जरुरी योजनाएं

भारत सरकार द्वारा चलाई गई इन योजनाओं के माध्यम से किसान खेती बहुत ही आसानी और आधुनिक ढंग से कर सकेगा। आइए हम आपको भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए लागू की गई कुछ महत्वपूर्ण योजनाओं की जानकारी देते हैं।

1. पीएम किसान सम्मान निधि योजना :-

भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए लागू की गई योजनाओं में से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM Kisan Samman Nidhi ) एक महत्वपूर्ण योजना है। 

इस योजना के तहत भारत के किसानों को साल में ₹6000 दिए जाते हैं जो कि ₹2000 की 3 किस्तों में दिए जाते हैं। योजना की शुरुआत वर्ष 2018 में की गई थी। 

इस योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा अभी तक कुल 11 किश्तें जारी हो चुकी है। इस योजना के चलते भारत के किसानों की अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने में बहुत मदद मिली है।

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2. प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना :-

इस योजना के माध्यम से भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए पेंशन की व्यवस्था की गई है। योजना में सरकार द्वारा उन किसानों के लिए पेंशन की व्यवस्था की गई है जो बुढ़ापे में असहाय हो जाते हैं और दूसरों पर निर्भर रहते हैं। 

ऐसे में जो किसान 60 वर्ष से अधिक की उम्र के हैं उन्हें सरकार न्यूनतम ₹3000 पेंशन देती है। “पीएम किसान मानधन योजना” का लाभ उठाने के लिए किसान को 60 वर्ष की आयु तक प्रतिवर्ष 55 से ₹200 तक जमा करने होते हैं। 

60 वर्ष की अवधि समाप्त होने के बाद किसान को पेंशन मिलनी शुरू हो जाती है। यदि किसी कारणवश किसान की मृत्यु हो जाती है तो किसान की पत्नी को 50% पेंशन दी जाएगी।

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3. पीएम कुसुम योजना :-

आजकल गांव में बिजली की समस्या बहुत ही गंभीर है। ऐसे में किसानों को समय पर बिजली ना मिल पाने के कारण उनकी फसलों को समय पर पानी नहीं मिल पाता जिससे फसलें में खराब हो जाती हैं। 

किसानों की इन्हीं समस्याओं को देखते हुए भारत सरकार द्वारा पीएम कुसुम योजना चलाई गई है। जिसके अंतर्गत किसानों को सोलर पैनल्स खरीदने पर सब्सिडी दी जाती है। जिससे किसान बिजली संबंधी अपनी समस्या को दूर कर सकें।

4. जैविक खेती योजना :-

इस योजना के अंतर्गत किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रेरित किया गया है। क्योंकि हम सभी जानते हैं कि वर्तमान में किसान कई प्रकार के रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग कर रहे हैं। 

जिसकी वजह से किसानों को विभिन्न प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में भारत सरकार द्वारा जैविक खेती को बढ़ावा देने के कई प्रयास किए जा रहे हैं इसके लिए भारत सरकार ने जैविक खेती योजना शुरू की। इस योजना में जो कृषक जैविक खेती करते हैं उसको सरकार द्वारा इनाम दिया जाता है।

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5. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना :-

खेती करना किसानों के लिए आसान नहीं होता। खेती में किसानों को कई प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है। 

इन प्राकृतिक आपदाओं जैसे ओलावृष्टि, बाढ़, तेज आंधी के कारण किसान की फसलें नष्ट हो जाती है जिससे उन्हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है। 

इन सब समस्याओं के कारण सरकार द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana MINISTRY OF AGRICULTURE & FARMERS WELFARE) लागू की गई है जिसके माध्यम से किसान को फसलों के लिए पीना की सुरक्षा मिलती है।

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सरकार द्वारा योजना लागू करने का उद्देश्य :-

हमारे देश में विभिन्न प्रकार के किसानों रहते हैं। सभी किसानों की आर्थिक स्थिति एक जैसी नहीं है इसके चलते कुछ किसान अमीर और कुछ किसान बहुत अधिक गरीब है। 

इन्हीं समस्याओं के कारण भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए विभिन्न प्रकार की योजना चलाई गई हैं। जिसके माध्यम से सभी प्रकार के किसान अपने खेतों में अच्छी से अच्छी फसल उगा सकें और उनकी आर्थिक स्थिति सुधर सके।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों को क्या है फायदा

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों को क्या है फायदा

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का मकसद है की जो भी किसान फसल नुकसान से जूझ रहे है, उन्हें आर्थिक मदद देकर उनका हौसला कायम रखे. किसानों को आधुनिक उपकरणों के इस्तमाल के लिए प्रेरित करना. 

इस योजना के प्रचार प्रसार के लिए छत्तीसगढ़ के कृषि और जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे ने फसल बीमा जागरूकता सप्ताह कि शुरुआत की. 

जागरूकता रथों को हरी झंडी दिखाकर 15 जुलाई तक किसानों को फसल बीमा योजना के बारे में बताने के लिए और ज्यादा से ज्यादा किसानों को इस बीमा योजना से जोड़ने के लिए रवाना किया गया है. 

15 जुलाई तक जागरूकता रथ पूरे राज्य में भ्रमण कर किसानों को बीमा योजना से जुड़ने के लिए जागरूक करेगा. रविद्र चौबे जी के अनुसार 2021-22 में 1063 करोड़ बीमा दावा राशि का भुगतान राज्य के 5 लाख 66 हजार किसानों को मिला.

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किसानों को कितने प्रीमियम में कितना मिल चुका है लाभ ?

डेढ़ लाख किसानों को खरीफ सीजन शुरू होने से पहले उनके द्वारा दी गई प्रीमियम 15 करोड़ 96 लाख रुपए की एवज में 304 करोड़ 38 लाख की क्लेम राशि भुगतान की गई. 

4 लाख से अधिक किसानों को 157 करोड़ 65 लाख रुपए के प्रीमियम के एवज में 758 करोड़ 43 लाख तक का क्लेम भुगतान किया गया.

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए प्रीमियम कितना देना होगा ?

इस बीमा योजना में किसानों को बीमा प्रीमियम का सिर्फ डेढ प्रतिशत राशि देनी होती है. जबकि मौसम पर आधारित फसल जैसे की बागवानी फसलों के लिए 5 प्रतिशत प्रीमियम राशि का देना होता है और बाकी बचा हुआ सरकार देती है.

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए आवेदन कैसे करें ?

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में आवेदन करने के लिए आपके पास दो तरीके है :- 

1. ऑनलाइन आवेदन  ऑनलाइन आवेदन करने के लिए आपको pmfby.gov.in में जाकर ऑनलाइन फॉर्म भरना होगा. 

2. ऑफलाइन आवेदन ऑफलाइन आवेदन करने के लिए आपको कृषि विभाग जाकर फॉर्म लेना होगा और वही भरकर देना होगा.

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए जरूरी दस्तावेज

ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन करने के लिए आपके पास बैंक खाता, खेत का खसरा नंबर, पहचान पत्र, राशन कार्ड, आधार कार्ड, आवेदनकर्ता की पासपोर्ट साइज फोटो, आवेदनकर्ता का निवास प्रमाण पत्र, यदि खेत किराए पर है तो मालिक के साथ इकरार नामा की कॉपी, फसल बुआई शुरू किए हुए दिन की तारीख, ये सारे दस्तावेज आपके पास होने आवश्यक है.  

फसल बीमा सप्ताह के तहत जागरूकता अभियान शुरू

फसल बीमा सप्ताह के तहत जागरूकता अभियान शुरू

खरीफ सीजन की बुआई के साथ ही पुरे देश में फसलों का बीमा की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। फसलों का बीमा कराने के लिए पंजीयन करने का काम शुरू हो गया है। फसल बीमा योजना का लाभ किसानो को अधिक से अधिक मिले, इसके लिये सरकारी स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। अधिक से अधिक किसान योजना के तहत अपनी फसलों का बीमा करवाएँ, इसी को लेकर विभिन्न राज्य सरकारों के साथ ही केंद्र सरकार द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana - PMFBY) को लेकर जागरूकता अभियान के तहत ही देशभर में 7 जुलाई तक फसल बीमा सप्ताह मनाया जा रहा है।

जागरूकता अभियान के तहत फसल बीमा वाहनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया :

शुक्रवार को राजस्थान के कृषि मंत्री श्री लालचंद कटारिया ने 35 फसल बीमा वाहनों को हरी झण्ड़ी दिखाकर रवाना किया। मौके पर कृषि मंत्री श्री कटारिया नें कहा कि इस वैन केम्पेन द्वारा राज्य के दूर-दराज के गांवों एवं किसानों तक कृषक बीमा पॉलिसी का प्रचार-प्रसार किया जायेगा और जानकारी पहुंचाई जाएगी।

किसानों को फसल बीमा क्लेम 15 हजार 800 करोड़ रूपये का भुगतान :

कृषि मंत्री श्री कटारिया ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अन्तर्गत पिछले साढे तीन वर्षों में अनावृष्टि, अतिवृष्टि और बाढ़ के कारण फसलों को भारी नुकसान हुआ था, जिसकी भरपाई के लिए 149 लाख फसल बीमा पॉलिसी धारक किसानों को तकरीबन 15 हजार 800 करोड़ रूपये का फसल बीमा क्लेम वितरित किये गये हैं। फसल बीमा क्लेम में खरीफ 2021 में 39 लाख 56 हजार तथा रबी 2021-22 में 25 लाख कृषक बीमा पॉलिसियों का वितरण किया गया है। कृषि मंत्री श्री कटारिया ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा खरीफ 2021 में गांव-गांव में कैम्प लगाकर पॉलिसी वितरित करने के निर्णय लिया गया था।

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इसकी प्रशंसा करते हुए केन्द्र सरकार ने भी पूरे देश में फसल पॉलिसियां वितरण करने के लिये एक अभियान शुरू करने का निर्णय लिया है। इस अभियान का नाम ‘‘मेरी पॉलिसी मेरे हाथ‘‘ ('Meri Policy Mere Haath' Campaign) है। उन्होंने बताया कि 2022 खरीफ में कुल 284 वाहनों के माध्यम से राज्य के सभी गाँव और तहसीलों में किसानों को फसल बीमा की जानकारियां दी जायेंगी। इसी अभियान के तहत सभी जिलों कलेक्टरों द्वारा 204 फसल बीमा रथों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया है। बीमा रथ के माध्यम से किसानों को सरल भाषा में पॉलिसी के बारे में बताया जाएगा। वहीँ किसान पाठशाला के माध्यम से भी प्रचार-प्रसार किया जायेगा। अभियान के दौरान 1 से 31 जुलाई तक किसानों को बीमा राशि, बीमित फसलों के प्रकार तथा कुल बीमित क्षेत्र आदि की जानकारी दी जाएगी। 

ज्ञात हो कि फसल बीमा योजना को लेकर किसान भी बहुत जागरूक हैं और चाहते हैं की फसल बीमा करायें। क्योंकि जलवायु के बदलते मिजाज और बाढ़ और सुखा से फसलों को होने वाली क्षति की भरपाई के लिये फसल बीमा बहुत जरूरी है। पिछले वर्ष अतिवृष्टि और अनावृष्टि के कारण फसलों को काफी क्षति हुई थी ऐसे में फसल बीमा किसानो का सबसे बड़ा सहारा बना।

PMFBY: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसान संग बीमा कंपनियों का हुआ कितना भला?

PMFBY: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसान संग बीमा कंपनियों का हुआ कितना भला?

कृषि मंत्री तोमर ने सदन में दी जानकारी : बीमा दावे पर 1.19 करोड़ का भुगतान किया

बीमा कंपनियों को 40 हजार करोड़ की कमाईः मीडिया रिपोर्ट्स

खेती को मुनाफे का धंधा बनाने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारें विभन्न प्रोत्साहन योजनाएं संचालित कर रही हैं। कृषि फसल को प्राकृतिक आपदा या अन्य किसी वजह से हुए नुकसान आदि के कारण, किसान को हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए फसल बीमा योजना भी, इन्हीं कृषि प्रोत्साहन योजनाओं में से एक योजना है।

पीएमएफबीवाई (PMFBY)

केंद्रीय स्तर पर संचालित, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana – PMFBY) से भी देश के किसानों के आर्थिक नुकसान की भरपाई का प्रबंध करने केंद्र सरकार ने सुविधा प्रदान की है। इस योजना को लागू करने का उद्देश्य किसानों को फायदा पहुंचाना है, हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीते पांच सालों के दौरान कंपनियों से ज्यादा भला कृषि बीमा करने वाली कंपनियों का हुआ है। इन मीडिया रिपोर्ट्स को कृषि मंत्री द्वारा प्रस्तुत जानकारी के बाद बल मिला है। न्यूज रिपोर्ट्स के अनुसार, वर्ष 2016-17 से 2021-22 के कालखंड में, कृषि बीमा करने वाली विभिन्न इंश्योरेंस कंपनियों को 40,000 करोड़ रुपए की कमाई हुई है।


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इतनी कंपनियां करती हैं बीमा

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई/PMFBY) के अंतर्गत बीमा सुविधा प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार ने 18 बीमा कंपनियों को काम सौंपा है। इन कंपनियों का काम किसानों को प्राकृतिक आपदा से होने वाले फसल के नुकसान के लिए बीमा राशि के रूप में नियमानुसार जरूरी वित्तीय मदद प्रदान करना है।

केंद्रीय मंत्री ने दी जानकारी

भारत सरकार में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि बीमा के बारे में ब्यौरा प्रस्तुत किया है। केंद्रीय मंत्री के मुताबिक बीमा कंपनियों के पास प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई/PMFBY) के अंतर्गत डेढ़ लाख करोड़ (कुल 159,132) रुपए से अधिक की प्रीमियम राशि जमा की गई थी। उन्होंने बताया कि, किसानों द्वारा प्रस्तुत बीमा संबंधी दावे के लिए 119,314 करोड़ रुपए की राशि का भुगतान किया गया। आपको बता दें कि, इस योजना से जुड़े किसानों को मामूली प्रीमियम जमा करना पड़ता है।

4190 रुपए प्रति हेक्टेयर

एक समाचार माध्यम ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा राज्यसभा में दिए गए लिखित जवाब पर न्यूज रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई/PMFBY) के अंतर्गत खरीफ 2021-22 सीजन तक किसानों द्वारा प्रस्तुत बीमा के दावों के भुगतान के रुप में 4190 रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से बीमा राशि का भुगतान किया गया।

साल 2020 में बदले नियम

बीते 6 साल पहले शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई/PMFBY) में वर्ष 2020 में बदलाव किया गया था। इस बदलाव के तहत अब किसान अपनी स्वैच्छिक भागीदारी से भी योजना में जुड़ सकते हैं।


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72 घंटे का समय

योजना के पात्र किसान को फसल के नुकसान की सूचना संबंधित पात्र केंद्र अथवा अधिकारी तक पहुंचाने के लिए समय निर्धारित किया गया है। नुकसान प्रभावित किसान को इस योजना के तहत फसल बीमा ऐप, सीएससी केंद्र या निकटतम कृषि अधिकारी के माध्यम से नुकसान के 72 घंटों के अंदर फसल नुकसान की सूचना प्रस्तुत करना अनिवार्य है। इस प्रक्रिया से किसानों को हुए नुकसान के बारे में फसल बीमा का दावा करने में आसानी हुई है। योजना की खास बात यह भी है कि इसमें दावा राशि का भुगतान सीधे किसानों के खाते में किया जाता है।

इतना प्रीमियम भुगतान

  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई/PMFBY) में फसल बीमा कराने के इच्छुक किसान को खरीफ फसल की बीमा राशि का दो प्रतिशत अदा करना होता है।
  • रबी फसल के लिए यह राशि और कम है। रबी की फसल के लिए किसान को 1.5 फीसदी बीमा राशि का भुगतान करना होगा।
  • बागवानी एवं वाणिज्यिक फसलों के बीमा के लिए किसान को प्रीमियम बतौर 5 प्रतिशत राशि का भुगतान करना होगा।
पीएमएफबीवाई के राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (एनसीआईपी) से कृषि बीमा कार्य को और आसान बनाने की कोशिश सरकार ने की है। फसल बीमा मोबाइल ऐप नामांकन प्रक्रिया को आसान बनाता है। एनसीआईपी इसके अलावा प्रीमियम प्रेषण, भूमि रिकॉर्ड के एकीकरण आदि में भी किसान के लिए मददगार है।
फसल बीमा योजना में कम रुचि ले रहे हैं यूपी के किसान

फसल बीमा योजना में कम रुचि ले रहे हैं यूपी के किसान

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के किसान फसल बीमा योजना में कम ही रूचि ले रहे हैं। कम्पनियां फसल नुकसान के आंकलन से किसानों को क्षतिपूर्ति देने में मनमानी करती हैं। अभी तक रबी की फसल की क्षतिपूर्ति के 4.87 करोड़ रुपए किसानों को नहीं दिए गए हैं। यही कारण है कि प्रदेश के किसानों का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर भरोसा लगातार कम होता जा रहा है। भले ही कृषि विभाग किसानों को फसल बीमा योजना के लिए प्रेरित कर रहा है। लेकिन फसल बीमा योजना से किसानों का मोहभंग हो चुका है। राज्य सरकार का मानना है कि इस बार मौसम की विपरीत परिस्थितियों के चलते, किसानों को फसल बीमा योजना में पंजीकरण कराना चाहिए। खरीफ की फसल के लिए बीमा योजना की अंतिम तिथि 31 जुलाई रखी गई है, जिसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है। उत्तर प्रदेश कृषि विभाग बीमा बढ़ाने के लिए लगातार अपील कर रही है।

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इन परिस्थितियों में किसानों को मिलता है फसल बीमा योजना का लाभ

- किसान की फसल की बुवाई 75 फीसदी से कम रह जाती है। तो किसानों को बीमा का 75 प्रतिशत भुगतान करके बीमा कवर को समाप्त कर दिया जाता है। वहीं अगर फसल समय निकलने के बाद खराब होती है तो भी बीमा का का क्लेम नहीं मिलता है। अगर बुवाई और कटाई के 15 दिन के अंदर फसल पर देवीय आपदा आ जाए, तो नियमानुसार फसल की उपज का 25 प्रतिशत लाभ तत्काल दिया जाएगा। और 15 दिनों में सर्वेक्षण पूरा किया जाएगा। और अतिरिक्त क्षतिपूर्ति का समायोजन खाते में किया जाएगा।

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72 घंटों के अंदर नुकसान की सूचना दर्ज कराएं।

- फसल बीमा कराने वाले किसान अपनी फसल में नुकसान होने के 72 घंटों के अंदर अपनी सूचना दर्ज कराएं। इसकी सूचना टोल फ्री नम्बर या लिखित रूप से कृषि विभाग, बीमा अधिकारियों अथवा राज्य सरकार को दर्ज कराएं।

जलभराव वाली धान की फसल बीमा कवर से हटाई

- धान की फसल जलभराव वाली खेती है। सरकार ने धान की फसल को बीमा कवर योजना से बाहर कर दिया है। क्योंकि धान की फसल में जलभराव के चलते नुकसान की आशंका ज्यादा रहती है।
सब कुछ जानिये किसान हितैषी एफजीआर पोर्टल (FGR Portal) के बीटा वर्जन के बारे में

सब कुछ जानिये किसान हितैषी एफजीआर पोर्टल (FGR Portal) के बीटा वर्जन के बारे में

केंद्र ने छत्तीसगढ़ में बतौर पायलट प्रोजेक्ट किया है लॉन्च

केंद्र सरकार ने राज्य की किसान हितैषी नीतियों को देखते हुए छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चुना है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय (The Union Ministry of Agriculture) ने 21 जुलाई को छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर अपने किसान शिकायत निवारण (FGR) पोर्टल के बीटा वर्जन को लॉन्च किया है। यह एफजीआर पोर्टल (FGR Portal) क्या है, इससे किसानों को क्या मदद मिलेगी, पायलट प्रोजेक्ट क्या है, इससे जुड़ी खास बातें जानिये।

एफजीआर (FGR) -

फार्मर ग्रीवेंस रिड्रेसल (Farmer Grievance Redressal (FGR)) यानी किसान शिकायत निवारण (kisaan shikaayat nivaaran) पोर्टल का बीटा वर्जन केंद्र सरकार की पहल है। छत्तीसगढ़ जनसंपर्क के अनुसार, छत्तीसगढ़ का चयन राज्य सरकार की किसान हितैषी नीतियों और कार्यक्रमों को ध्यान में रखते हुए किया गया है।



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केंद्रीय मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ कृषि उत्पादन आयुक्त को इस कार्यक्रम में किसान प्रतिनिधियों, किसानों और पंचायत अधिकारियों के साथ कृषि विभाग के अधिकारियों की ऑनलाइन भागीदारी सुनिश्चित करने निर्देशित किया था।

ऑनलाइन पोर्टल सर्विस -

केंद्र सरकार के इस पायलट प्रोजेक्ट का मकसद छत्तीसगढ़ राज्य के किसानों से जुड़ी समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान करने का है। केंद्र की नई योजना के तहत गुरुवार को छत्तीसगढ़ में किसानों की समस्याएं निपटाने ऑनलाइन पोर्टल की वर्चुअल लॉन्चिंग हुई। https://twitter.com/pmfby/status/1549984032548864000

एफजीआर इसलिए तैयार -

किसानों की खेती-किसानी संबंधी समस्याओं के निदान के लिए एफजीआर (FGR) तैयार किया गया है। खास तौर पर फसल बीमा से संबंधित शिकायतों के निपटारे के लिए एफजीआर को बनाया गया है। केन्द्र सरकार द्वारा फिलहाल इस सुविधा को छत्तीसगढ़ में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया है। सकारात्मक परिणाम को देखते हुए बाद में इसे संपूर्ण देश में शुरू करने की योजना है।



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केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ के एपीसी डॉ. कमलप्रीत सिंह से एफजीआर (FGR) पोर्टल के बारे में संपर्क साधे रखा।

पीएम फसल बीमा सफल क्रियान्वन -

गौरलतब है केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ का चयन प्रधानमंत्री फसल बीमा के क्रियान्वयन में बढ़िया प्रदर्शन के लिए किया है। प्रदेश ने पीएम फसल बीमा योजना में बेहतर परफॉरमेंस दिखाई है। बीमा दावा राशि के भुगतान में देश का अग्रणी राज्य होने की वजह से छग को पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है।

बीटा वर्जन -

कृषि मंत्रालय ने राज्य में किसानों के पंजीयन, समर्थन मूल्य पर धान खरीदी, राजीव गांधी न्याय योजना, मुख्यमंत्री पौधरोपण प्रोत्साहन योजना संबंधी एकीकृत किसान पोर्टल के परिणामों को देखते हुए एफजीआर (FGR) के बीटा वर्जन की शुरूआत छत्तीसगढ़ में की है।

एफजीआर (FGR) पोर्टल कैसे करेगा काम -

वर्चुअली तरीके से 21 जुलाई शुरू एफजीआर के बीटा वर्जन के माध्यम से किसान अपनी खेती-किसानी संबंधी समस्याओं का समाधान कर सकेेंगे। विशेषकर फसल बीमा से संबंधित समस्याओं का निदान इससे हो सकेगा। किसानों द्वारा टेलीफोन अथवा मोबाइल के माध्यम से बताई गई समस्या एवं शिकायत इस पोर्टल में ऑनलाइन दर्ज की जाएगी। समस्याओं के निदान एवं मौजूदा स्थिति के बारे में किसानों को ऑनलाइन सूचित किया जाएगा।

किसान कॉल कर अपनी शिकायत टोल-फ्री नम्बर 14447 पर कराएं दर्ज :

किसान शिकायत निवारण (एफजीआर) पोर्टल में फसल बीमा से संबंधित शिकायत दर्ज कराने हेतु, किसान भाई टोल-फ्री नंबर 14447 पर कॉल करें। कॉल के पश्चात्, किसान की शिकायत कॉल सेन्टर द्वारा दर्ज की जाएगी व साथ ही साथ संबंधित बीमा कंपनी को शिकायत का विवरण प्रेषित कर, निर्धारित समय-सीमा में निराकरण करने हेतु निर्देशित किया जायेगा। किसान शिकायत निवारण पोर्टल के संचालित होने से, किसानों को अब फसल बीमा संबंधी शिकायतों के लिए कार्यालयों और अधिकारियों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेगें और लिखित आवेदन की भी आवश्यकता नहीं रहेगी। किसान के मोबाईल नंबर पर शिकायत दर्ज कराने का संदेश व शिकायत क्रमांक आयेगा, जिसके माध्यम से शिकायत पोर्टल पर शिकायत की वास्तविक स्थिति का पता ऑनलाईन लगाया जा सकता है।
अगर बरसात के कारण फसल हो गई है चौपट, तो ऐसे करें अपना बीमा क्लेम

अगर बरसात के कारण फसल हो गई है चौपट, तो ऐसे करें अपना बीमा क्लेम

बदलते हुए मौसम के कारण आजकल मानसूनी गतिविधियों में तेजी से बदलाव आ रहा है, अब कहीं जरुरत से ज्यादा बरसात हो रही है तो कहीं सूखे का सामना करना पड़ रहा है। अगर इस साल भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के आंकड़ों पर गौर करें तो उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश के कई जिलों में सामान्य से ज्यादा बरसात रिकॉर्ड की गई है, जिसके कारण आम लोगों के साथ-साथ किसानों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ा है। इस दौरान बहुत सारे किसानों की कई एकड़ फसलें पानी में डूब गईं, जिसके कारण फसलों को भारी नुकसान हुआ है। किसानों को होने वाले नुकसानों को देखते हुए भारत सरकार ने किसानों के हित में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की थी, जिसके अंतर्गत किसान अपनी फसल का मामूली प्रीमियम भरकर बीमा करवा सकते हैं। अगर उनकी फसल किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा की वजह से खराब हो जाये या पूरी तरह से नष्ट हो जाए, तो किसान संबंधित बीमा कम्पनी से अपनी फसल के बीमा का क्लेम भी मांग सकते हैं, जिसके बाद संबंधित बीमा कंपनी किसान को हुए नुकसान की भरपाई करेगी।


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क्या है कृषि बीमा करवाने की प्रक्रिया

कृषि बीमा करवाना बेहद आसान है। इसके लिए किसानों को किसी भी बैंक या बीमा कंपनी के बार-बार चक्कर लगाने की जरुरत नहीं है। यदि किसानों के पास किसान क्रेडिट कार्ड है या किसी किसान ने बैंक से पहले से ही लोन ले रखा है, तो उनके लिए यह प्रक्रिया और भी ज्यादा आसान हो जाती है। बीमा करवाने के लिए किसान को बैंक में जाकर एक फॉर्म भरना होगा, जिसके बाद फॉर्म के साथ आधार कार्ड, जमीन से संबंधित कागजात और वोटर आईडी की फोटो कॉपी लगानी होगी, इसके साथ ही पटवारी द्वारा जारी खेत में बोई गई फसल का ब्यौरा भी जमा करना होगा। यह सब बैंक में या बीमा कम्पनी में जमा करने के बाद किसान का बीमा बेहद आसानी से हो जाएगा।

कैसे क्लेम करें कृषि बीमा की राशि ?

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में कृषि बीमा दो प्रकार से क्लेम किया जा सकता है, पहले में यदि फसल पूरी तरह से खराब हो जाये या नष्ट हो जाये तो किसान फसल बीमा का क्लेम कर सकता है। और दूसरे में यदि किसान की फसल आंशिक रूप से खराब हो जाये या कम मात्रा में खराब हो तो भी किसान फसल बीमा का क्लेम कर सकता है। यदि फसल किसी प्राकृतिक आपदा से नष्ट होती है, जैसे - बाढ़, भीषण बरसात, ओले गिरना इत्यादि तो किसान को यह क्लेम लेने के लिए संबंधित बैंक या बीमा कंपनी में आवेदन करना पड़ता है। इसके साथ ही किसान को 72 घंटों के भीतर प्राकृतिक आपदा की वजह से नष्ट हुई फसल की जानकारी कृषि विभाग को देना अनिवार्य होता है। इस जानकारी में बीमा की फोटो कॉपी के साथ ही फसल का पूरा ब्योरा फॉर्म में भरना पड़ता है। वहीं यदि किसान की फसल आंशिक रूप से खराब हुई तो किसान को इसकी जानकारी कहीं देने की जरुरत नहीं है। बीमा कम्पनी या बैंक से सिर्फ क्लेम करने पर, सम्बंधित बैंक या बीमा कम्पनी नुकसान की राशि किसान के बैंक खाते में जमा कर देती हैं।


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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अन्तर्गत सभी फसलों के नष्ट होने पर अलग-अलग बीमा राशि सम्बंधित बैंक या बीमा कम्पनी के द्वारा किसानों को दी जाती है। उदाहरण के लिए - यदि किसान की कपास की फसल पूरी तरह से नष्ट हो गई है, तो किसान को 36,282 रुपये प्रति एकड़ की दर से बीमा राशि मिलेगी। वहीं अगर किसान ने अपने खेत में धान बोया है और धान की खेती प्राकृतिक आपदा की वजह से नष्ट हो गई है, तो किसान को 37,484 रुपये प्रति एकड़ की दर से बीमा राशि मिलेगी। इसी तरह से बाजरा, मक्का और मूंग की फसल के लिए क्रमशः 17,639 रुपये, 18,742 रुपये और 16,497 रुपये प्रति एकड़ की दर से किसानों को बीमा राशि प्रदान की जाएगी।
इन राज्यों में हुई भयंकर तबाही, किसान सरकार से लगा रहे हैं गुहार

इन राज्यों में हुई भयंकर तबाही, किसान सरकार से लगा रहे हैं गुहार

पहले सूखा पड़ जाना, फिर बाढ़ का आ जाना और फिर बेमौसम बारिश ने किसानों का ऐसा हाल कर दिया है कि किसान अब सरकार से गुहार लगाते फिर रहे हैं। जिस तरह से किसानों का फसल बर्बाद हुआ है, उससे किसान काफी चिंतित नजर आ रहे हैं। बात उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के राज्यों की करें, तो यहां सूखा बाढ़ और बेमौसम बारिश के कारण फसलों का भयंकर नुकसान हुआ है। अब किसान सरकार से लगातार गुहार कर रहे हैं कि उन्हें सरकार के द्वारा मदद दी जाए, गौरतलब यह है कि सरकार भी मदद करने से पीछे नहीं हट रही है। इन राज्यों की सरकार ने फसल के नुकसान होने पर कंपनसेशन यानी मुआवज़ा देने का ऐलान किया है। किसानों की स्थिति को देखते हुए सरकार ने बीमा कंपनियों को भी निर्देश दिया है की सर्वे करके किसानों को बीमा की धनराशि जल्द से जल्द मुहैया कराई जाए। सरकार भी किसानों के फसल के नुकसान हो जाने के बाद काफी चिंतित नजर आ रही है और हर संभव प्रयास कर रही है, जिससे किसानों को आर्थिक सहयोग मिल सके। बात अगर राजस्थान की करें तो वहां लगभग 3 लाख किसानों ने सरकार से फसल बीमा मांगा है, राजस्थान में बेमौसम बारिश के कारण किसानों के फसल का भयंकर नुकसान हुआ है। किसान बीमा की राशि प्राप्त करने के लिए सरकार से लगातार गुहार लगा रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत खरीफ फसलों का बीमा करवाने के लिए करीब 300000 किसानों ने अपनी फसलों के नुकसान की सूचना कृषि विभाग के कार्यालय के साथ-साथ बीमा कंपनियों को दी है। यह एक बड़ा आंकड़ा है 3 लाख किसानों की फसल का बर्बाद हो जाना, इसका असर सोचिए व्यापक पैमाने पर क्या होगा?


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स्टेट गवर्नमेंट ने भी फसल नुकसान का सर्वे कराना और मुआवजा देने की प्रक्रिया को शुरू कर दिया है, जिससे किसान को राहत मिली है। राज्य के जिन क्षेत्रों में अधिक बारिश के कारण फसल का नुकसान हुआ है और वहां जलभराव अभी भी है, वहां मीड-सीजन एडवर्सिटी प्रक्रिया के तहत सरकार किसानों को कंपनसेशन दे रही है। राजस्थान में फसल बुवाई के समय बारिश हुई थी, उस वक्त 164 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में खड़ी फसलों की बुवाई की गई थी। जिसमें लगभग 4500000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिर्फ बाजरा बोया गया, साथ ही फसल तैयार भी हो चुका था, किसान फसल काटने ही वाले थे लेकिन बेमौसम बारिश ने किसानों के साथ इतनी नाइंसाफी की कि सभी उपजे हुए फसल बर्बाद हो गए, जिसके कारण भयंकर नुकसान कृषि के क्षेत्र में हुआ है। आज राजस्थान सरकार किसानों के फसल नुकसान होने के बाद उन्हें बीमा राशि का लाभ देने के लिए लगातार कार्य कर रही है कुछ किसानों को बीमा राशि प्राप्त भी हो चुका है।


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विभागीय स्तर पर काफी सख्त निर्देश दिए गए है जिला स्तर पर डीएम की अगुवाई में कमेटी का गठन भी कर दिया गया है। कमेटी फसल नुकसान का सर्वे कर रही है सर्वे करने के बाद जो रिपोर्ट सबमिट किया जा रहा है उसी हिसाब से किसानों को बीमा राशि का लाभ मिल रहा है। राजस्थान के साथ-साथ इस बार बेमौसम बारिश के कारण अमूमन हर राज्यों की यही स्थिति है फसल का बर्बाद हो जाना किसानों के लिए निराशाजनक है। साथ ही आमजन के लिए भी बहुत चिंता का विषय बना हुआ है क्योंकि इस बार उत्पादन पूर्ण रूप से नहीं हुए है।
खुशखबरी: इस राज्य के लाखों किसानों को मिलेगी आर्थिक सहायता

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महाराष्ट्र राज्य के कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार ने प्रदेश में करीब १६ लाख से ज्यादा किसानों को ६२५५ करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करने की घोषणा की है। उन्होंने बताया कि पांच दिनों के अंतराल में किसानों के लिए सहायक धनराशि उनके बैंक खातों में भेज दिया जायेगा। बतादें कि मूसलाधार बारिश एवं बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं की वजह से प्रदेश के किसानों की फसल में बेहद नुक़सान हुआ है। प्रदेश के कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार का कहना है, कि १६ लाख ८६ हजार ७८६ किसानों को ६२५५ करोड़ रुपये का मुआवजा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा कंपनियों ने हाल में की, बची हानि से आहत किसानों को १६४४ करोड़ रुपये की सहायक धनराशि अतिशीघ्र जमा की जाएगी। सरकार ने कहा है कि जो भी किसान फसल बीमा का भुगतान करेगा उसको हर कीमत पे इसका लाभ मिलेगा। कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार ने बताया कि खरीफ सीजन २०२२ में अप्रत्याशित बरसात व असमय बाढ़ से फसल बुरी तरह बर्बाद हुई है, बीमा कंपनी द्वारा तय की गयी आर्थिक सहायता के अनुरूप कार्य पूर्ण हो। कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार ने बताया कि भारतीय कृषि बीमा कंपनी के माध्यम से 1.२४० करोड़ रुपये, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड से २१३ करोड़ ७८ लाख रुपये, एचडीएफसी से ६ करोड़ ९८ लाख रुपये, यूनाइटेड इंडिया से १६६ करोड़ ५२ लाख रुपये एवं बजाज आलियांज से १६ करोड़ २४ लाख की धनराशि दी गयी है। किसानों के बैंक खाते में शेष धनराशि का भुगतान अतिशीघ्र शुरू किया जाए। हाल ही में बीमा कंपनियों द्वारा अभी तक १६ लाख ८६ हजार ७८६ किसानों को ६२५५ करोड़ रुपये वितरित किये हैं।

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कृषि मंत्री ने किसानों को पूर्ण आश्वस्त करते हुए बताया है कि जिन किसानों की फसल अतिवृष्टि एवं प्राकृतिक आपदाओं के चलते प्रभावित हुई है, सरकार उनको जल्द ही सहायता राशि प्रदान करेगी, जिससे उनको किसी आर्थिक तंगी का सामना न करना पड़े। बतादें कि कुछ किसानों ने ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों प्रकार से फसलों में हुई हानि को सूचित किया है। जिसका सर्वेक्षण किया जा रहा है, उन्होंने यह भी बताया कि जो भी किसान यदि दो बार पंजीयन करेगा तो उसको किसी भी कीमत पर कोई पुनः राशि अदा नहीं की जाएगी। कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार द्वारा बीमा कंपनियों को भी इस मामले में सतर्कता बरतने को कहा है। कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार ने कहा कि आगामी 5 दिनों के अंतराल में जिन किसानों को हानि हुई जिनके खाते में बीमा की धनराशि भेज दी जाएगी।

ये कुछ लोग रहे उपस्थित

कृषि मंत्री ने इस सन्दर्भ में एक बैठक की, जिसमें भारतीय कृषि बीमा कंपनी समेत यूनाइटेड इंडिया कंपनी और बजाज आलियांज एचडीएफसी एरगो, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड के प्रतिनिधि शामिल रहे। बैठक के दौरान कृषि विभाग के उद्यानिकी निदेशक डॉ. केपी मोते, आईसीआईसीआई के पराग शाह, एचडीएफसी इरगो के सुभाशीष रावत, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के पराग मसले, मुख्य सचिव एकनाथ डावले, संयुक्त सचिव सरिता देशमुख बांडेकर सहित अन्य लोग भी उपस्थित रहे।
खुशखबरी: २०० करोड़ के निवेश से इस राज्य में बनने जा रहा है अनुसंधान केंद्र

खुशखबरी: २०० करोड़ के निवेश से इस राज्य में बनने जा रहा है अनुसंधान केंद्र

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आयुष मंत्रालय बदरवाह में अनुसंधान केंद्र निर्माण हेतु २०० करोड़ रुपये स्वीकृत हो चुके हैं। यह जम्मू-कश्मीर के कृषकों के लिए हर्ष की बात है। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया है, कि जम्मू-कश्मीर में कृषि-प्रौद्योगिकी स्टार्टअप का केंद्र बनने के असीमित अवसर हैं। इसी संबंध में उनका यह भी कहना है, कि जम्मू में उत्पादित होने वाले बांसों का प्रयोग अगरबत्ती समेत विभिन्न प्रकार के आवश्यक उत्पादों के निर्माण हेतु हो सकता है। इस वजह से बांस की खेती के क्षेत्रफल में बढ़ोत्तरी तो होगी ही साथ में किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्ट्रॉबेरी व सेब एवं ऐसे अन्य फलों की जीवनावधि को कोल्ड-चेन की उत्तम व्यवस्था के जरिये बढ़ाया जाना संभव है।

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उन्होंने कहा कि जम्मू और कश्मीर में गैर-इमारती वन उत्पाद (NTFP) में आने वाले पौधे जिनमें मशरूम, गुच्ची एवं अन्य औषधीय पौधे काफी संख्या में मिल जाते हैं। चिनाब घाटी अथवा पीर पंजाल क्षेत्र (राजौरी, पुंछ) उच्च गुणवत्ता वाले शहद एवं एनटीएफपी का केंद्र है। दरअसल, इनकी उचित तरीके से विपणन नहीं हो पाती है। केंद्रीय मंत्री ने बताया है, कि प्रदेश के जम्मू-कश्मीर औषधीय पादप बोर्ड एवं वन विभाग को साम्मिलित किया, क्योंकि एक सहायक पद्धति के जरिये से उत्पादन, बिक्री और विपणन की आवश्यकता है। 

कृषि संबंधित औघोगिक क्रांति से बेहद मुनाफा हो सकता है

उपरोक्त में जैसा बताया गया है, कि डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आयुष मंत्रालय बदरवाह में अनुसंधान केंद्र निर्माण हेतु २०० करोड़ रुपये स्वीकृत हो चुके हैं।. इसी दौरान मंत्री का कहना है, कि कृषि, बागवानी एवं ग्रामीण विकास की भाँति अनेकों प्रगतिशील क्षेत्रों में कार्यरत सरकारी संगठनों हेतु निरंतर सहायता की आवश्यकता है। साथ ही उनका कहना है, कि शेर-ए-कश्मीर कृषि विश्वविद्यालय (SKUAST) कश्मीर, को उद्यमिता विकास संस्थान (EDI) के साथ मिलकर भेड़पालन व पशुपालन विभागों को सहायता प्रदान करनी चाहिए। 

किसानों को (एफपीओ) व सहकारी समितियों के जरिये संस्थागत होना चाहिए

बतादें कि, मंत्री जितेंद्र सिंह का कहना है, कि किसानों को सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के माध्यम से संस्थागत होना महत्वपूर्ण है। कृषि एवं बागवानी क्षेत्रों में स्थानीय मांगो पर ध्यान केंद्रित हो, एवं ऐैसे नौजवानों को तैयार करना होगा जिनकी इस क्षेत्र में कार्य करने की रूचि हो। साथ ही, एनजीओ किसानों को फसल बीमा अर्जन हेतु संवेदनशील बनाना अति आवश्यक है, क्योंकि इसकी जम्मू और कश्मीर में बेहद जरूरत है। केंद्रीय मंत्री के अनुसार, इस प्रकार के सरकारी संगठनों द्वारा समर्थन हेतु कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में कार्यशील प्रमुख गैर सरकारी संगठनों व अनुसंधान संस्थानों का सम्मिलित होना अति आवश्यक है। बाजार में अच्छी पकड़ हेतु, अधिकारियों द्वारा कोई ऐसी नीति जारी होनी जरूरी है, जो स्थानीय कृषि और बागवानी उत्पादों जैसे अखरोट, सेब व राजमा आदि के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की जिम्मेदारी उठा सके।

किसानों की संकट की घड़ी में सरकारें क्यों फासला बना रही हैं

किसानों की संकट की घड़ी में सरकारें क्यों फासला बना रही हैं

बतादें कि मौसमिक बदहाली के कारण किसानों की फसल चौपट हो गयी हैं, इस वजह से उनको फिलहाल सर्वाधिक फसल बीमा की आवश्यकता है। लेकिन सरकारों द्वारा ऐसी योजनाओं को समाप्त किया जा रहा है। निरंतर दो सीजन फसलों पर मोसमिक प्रभाव पड़ने की वजह से पैदावार में कमी आयी है। बीते खरीफ सीजन में बदहाल मौसम ने फसल को चौपट किया है और पिछले साल गेंहू की पैदावार में भी कमी आयी थी। ऐसे मोके पर सरकारों का दायित्व बनता है कि वह किसानों की इस संकट की घड़ी में भरपूर सहयोग करें। लेकिन सरकारें किसानों के हित में जारी की गयी बीमा योजनाओं को नकारते हुए उनके प्रति विपरीत भूमिका निभा रही हैं। [embed]https://www.youtube.com/watch?v=7Sqo7C2ljF4&t=1s[/embed]

कितने राज्य इससे जुड़े हैं ?

२०१६ में जारी के उपरांत २०१८ के खरीफ सीजन में प्रधानमंत्री किसान फसल बीमा योजना यानी पीएमएफबीवाई(PMFBY) के साथ २२ राज्य जुड़ गए थे। लेकिन बीते खरीफ सीजन में योजना के साथ जुड़े रहने वाले राज्य की संख्या घटकर १९ पर आ चुकी है। रबी सीजन के दौरान उसमें अब तक केवल १४ राज्य ही इस योजना के साथ जुड़े हैं। लघु , सीमांत व ऐसे किसानों के मध्य यह योजना काफी पसंद की जा रही थी, जिन्हें कर्ज मुहैय्या करने में बैंक बहुत परेशान करते हैं। इस योजना के २०१६ में लागू होने के उपरांत इस योजना के साथ जुड़ने वाले ऐसे किसानों का आंकड़ा २८२ प्रतिशत बढ़ा था। लेकिन जैसे-जैसे राज्य सरकारें इस बीमा योजना से बचना चालू कर रही हैं, इसकी वजह से योजना के साथ जुड़े हुए कृषकों की तादात में भी गिरावट आयी है। २०१८ के खरीफ सीजन में प्रधानमंत्री किसान फसल बीमा योजना के साथ भारत के २.१६ करोड़ किसान सम्मिलित हुए थे। लेकिन बीते खरीफ सीजन के दौरान किसानों की संख्या घटकर १.५३ करोड़ हो चुकी थी।


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