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6 महीने से भी ज्यादा खिलने वाला फूल है गैलार्डिया, जाने सम्पूर्ण जानकारी

6 महीने से भी ज्यादा खिलने वाला फूल है गैलार्डिया, जाने सम्पूर्ण जानकारी

गैलार्डिया को ब्लैंकेट फ्लावर के नाम से भी जाना जाता है। यह बारहमासी पौधा है , इसकी खेती किसी भी मौसम में की जा सकती है। गैलार्डिया एस्टरेसिया परिवार का एक पौधा है।  

इस फूल का नाम फ्रांस के 18 वी सदी के मजिस्ट्रैट maitre Gaillard de Charentonneau के नाम पर रखा गया है, जो की मजिस्ट्रैट होने के साथ भी बहुत ही काबिल वानस्पातिक शास्त्री थे। 

इस पौधे की ऊंचाई 45 -60 से मी होती है। इन पौधो का ज्यादातर उपयोग घर के लॉन और बालकनी को सजाने के लिए किया जाता है। 

गैलार्डिया फूल की उन्नत किस्में

गैलार्डिया की बहुत सी किस्में ऐसी है, जिन पर सूंदर मेहरून, लाल, पीले और नारंगी रंग के मिश्रण वाले फूल खिलते है। गैलार्डियन फूल की कुछ उन्नत किस्में इस प्रकार है: गैलार्डिया एस्टिवेलिस (वॉल्टेर) एच रॉक, गैलार्डिया एमब्लिओडोन ज गेय मैरून ब्लैंकेट फ्लॉवर, गैलार्डिया अरिस्टेटा पर्श, गैलार्डिया अरिज़ोनिका ऐ ग्रे। इन किस्मो का उत्पादन कर किसान भारी मुनाफा कमा सकता है। 

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गैलार्डिया फूल के बीज कब बोये 

गैलार्डिया की खेती का सही समय फरवरी और मार्च का होता है। इस माह में इस फूल के बीजो की बुवाई की जाती है। बीजो के अंकुरण के लिए सूर्य की रोशनी का उचित तापमान होना आवश्यक है। 

इन फूलो को ज्यादा देखभाल की आवश्यकता नहीं रहती है। 30 -40 के दिन के बाद यह बीज सीडलिंग के लिए तैयार हो जाते है। इन्हे गमलों या किसी अन्य पॉट वगेरा में ट्रांसप्लांट कर सकते है। 

बीज लगाने के लगभग तीन महीने बाद इनमे फूल आना शुरू हो जाते है , साथ ही ये पौधे 6 महीने से अधिक फूल देते रहते है। यानी ठंड के आने तक इन पौधो में फूल लगते रहते है। 

गैलार्डिया फूल की उपज के लिए उपयुक्त मिट्टी कौन सी है ?

गैलार्डिया फूल को वैसे किसी भी मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन क्षारीय, दोमट और अम्लीय मिट्टी को इसकी खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है। 

बीज की बुवाई के लिए पहले खेत को अच्छे से तैयार कर ले, खेत की अच्छे से गुड़ाई करें। किसानों द्वारा खेत को तैयार करते वक्त गोबर या कम्पोस्ट खाद का भी प्रयोग किया जा सकता है। इसके लिए अच्छे जलनिकास वाली भूमि की आवश्यकता रहती है। 

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गैलार्डिया फूल के लिए उचित तापमान क्या है ? 

गैलार्डिया के फूल के लिए उचित तापमान की आवश्यकता रहती है। गैलार्डिया बीज के अच्छे अंकुरण के लिए 21 डिग्री तापमान की जरुरत रहती है। फूल की अच्छी ग्रोथ के लिए 20 -30 डिग्री के बीच के तापमान की आवश्यकता रहती है।

यह पौधे ज्यादा गर्मी के तापमान को सहन कर लेते है , लेकिन सर्दियों में 10 डिग्री टेम्परेचर से कम का तापमान इस पौधे की बढ़ोत्तरी पर बाधा डाल सकता है। 

गैलार्डिया फूल की देखभाल कैसे करें 

गैलार्डिया के फूल को ज्यादा देखभाल की जरुरत नहीं रहती है। बुवाई के बाद इसमें सिंचाई भी बहुत ही कम मात्रा में की जाती है। गैलार्डिया का पौधा सूखा सहनशील है, इसीलिए इसमें कम पानी की जरुरत पड़ती है। 

वसंत और गर्मियों में पौधे पर फूल आने लग जाते है , उस वक्त इस पौधे को पानी की जरुरत होती है।  सर्दियों में पौधे की सिंचाई की मात्रा कम कर दी जाती है। 

पौधे की अधिक उपज के लिए अन्य रासायनिक खाद की आवश्यकता नहीं रहती। खेत को तैयार करते समय कम्पोस्ट खाद का उपयोग करें, वो फसल और भूमि दोनों के लिए बेहतर होता है। 

साथ ही इस पौधे में कीट और रोग लगने की बहुत ही कम संभावनाएं रहती है। लेकिन गैलार्डिया फूल में रुट रॉट की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। 

इस रोग से पौधे की जड़े सड़ने लगती है, यह ज्यादा पानी के प्रभाव से भी हो सकता है, इसीलिए इसकी खेती के लिए  जल निकासी का प्रबंध होना आवश्यक है। साथ ही भूमि सूखी होनी चाहिए उसमे ज्यादा नमी न हो , ज्यादा नमी भी पौधे को नुक्सान पहुँचाती है। 

गैलार्डिया फूल की प्रूनिंग 

गैलार्डिया फूल में 6 महीने तक फूल खिलते है। फूल खिलने के बाद इसके पेड़ सूख और मुरझा जाते है। इन फूलो की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए इसके तनो को काट दिया जाता है। 

साथ ही बढ़ते मौसम में फूलो को डेडहेड करते रहना चाहिए ताकि यह फूलो को निरंतर खिलने के लिए बढ़ावा दे सके। गैलार्डिया फ्लॉवर की प्रूनिंग का काम पतझड़ के मौसम में किया जाता है, ऐसा करने से पौधे सूंदर और स्वस्थ बने रहते है। 

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पिकता और लोरेंजिया ये भी गैलार्डिया फूल की किस्में है। गैलार्डिया पौधे  में बड़े आयकर के फूल लगते है। बुवाई के लिए इसमें 300 ग्राम बीज की प्रति हेक्टेयर आवश्यकता रहती है। 

गैलार्डिया फूल की खेती के लिए , खेत की अच्छी से जुताई कर ले। मिट्टी के भुरभुरा होने पर बीज की बुवाई करें। बुवाई करते समय फॉस्फोरस और पोटास को भी खेत में दे देना चाहिए, इससे भूमि की उर्वरकता बनी रहती है। 

गैलार्डिया की खहेति करने के लिए, बीजो को बोने के लिए अलग से नर्सरी तैयार की जाती है। यह नर्सरी ऊंची और समतल जगहों पर बनाई जाती है, एक एकड़ खेत में लगभग चार क्यारियां बनाई जाती है 3 फ़ीट चौड़ी और 10 फ़ीट लम्बी होती है। बुवाई करने से पहले बीजउपचार कर लेना चाहिए। 

इस राज्य में कंदीय फूलों की खेती पर 50 प्रतिशत अनुदान मिलेगा, शीघ्र आवेदन करें

इस राज्य में कंदीय फूलों की खेती पर 50 प्रतिशत अनुदान मिलेगा, शीघ्र आवेदन करें

बिहार में राज्य सरकार की तरफ से कंदीय फूलों की खेती करने वाले किसानों को 50 प्रतिशत तक सबसिडी प्रदान की जा रही है। योजना का फायदा उठाने के लिए कृषक भाई आधिकारिक साइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। 

बिहार सरकार की ओर से किसानों को फूलों का उत्पादन करने के लिए निरंतर प्रोत्साहन दिया जा रहा है। राज्य सरकार ने फिलहाल एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के अंतर्गत कंदीय फूल की खेती करने के लिए किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान देने का फैसला लिया है। 

योजना का फायदा उठाने के लिए किसान आधिकारिक साइट horticulture.bihar.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।

किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जाऐगा

बतादें, कि बिहार सरकार ने प्रति हेक्टेयर कंदीय फूलों की खेती हेतु लागत 15 लाख रुपये रखी है। इस पर सरकार 50 प्रतिशत अनुदान प्रदान करेगी। इस हिसाब से किसानों को सात लाख 50 हजार रुपये मिलेंगे। 

सब्सिडी का फायदा उठाने के लिए किसान आज ही आधिकारिक वेबसाइट horticulture.bihar.gov.in पर जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त वह अपने निकटतम उद्यान कार्यालय में सम्पर्क कर सकते हैं। 

योजना के अंतर्गत फायदा लेने के लिए किसानों को अपना आधार कार्ड, बैंक पासबुक की प्रति, राशन कार्ड, वोटर कार्ड, पासपोर्ट साइज फोटो, फोन आदि अपने पास जरूर रखने होंगे। 

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बाजार में फूलों की प्रचंड मांग है

बतादें, कि कंदीय फूल को गमले व जमीन दोनों में उगाया जा सकता है। इन फूलों की सजावट के काम में जरूरत पड़ती है। साथ ही बुके में भी इन फूलों का उपयोग किया जाता है। 

बाजार में ये फूल अच्छी-खासी कीमत में बिकते हैं। किसान भाई कंदीय फूलों की खेती कर कम समय में ज्यादा मुनाफा अर्जित कर सकते हैं। जानिए किन फूलों को कंदीय फूल कहा जाता है। 

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि ऑक्जेलिक, हायसिन्थ, ट्यूलिप, लिली, नर्गिसफ्रिजिआ, डेफोडिल, आइरिस, इश्किया, आरनिथोगेलम को कंदीय फूल कहा जाता है।

गर्मियों के मौसम में लगाए जाने वाले फूल (Flowering Plants to be sown in Summer)

गर्मियों के मौसम में लगाए जाने वाले फूल (Flowering Plants to be sown in Summer)

गर्मियों का मौसम सबसे खतरनाक मौसम होता है क्योंकि इस समय बहुत ही तेज गर्म हवाएं चलती हैं। इनसे बचने के लिए हम सभी का मन करता है की ठंडी और खुसबुदार छाया में बैठ कर आराम करने का। 

यही आराम हम बाहर बाग बागीचो में ढूंढतेहै ,लेकिन अगर आप थोड़ी सी मेहनत करे तो आप इन ठंडी छाया वाले फूलों का अपने घर पर भी बैठ कर आनंद ले सकते है।

गर्मियों के मौसम में लगाए जाने वाले फूल (Flowers to plant in the summer season:)

गर्मियों के मौसम की एक खास बात यह होती है को यह पौधों की रोपाई के लिए सबसे अच्छा समय होता है। तेज धूप में पौधे अच्छे से अपना भोजन बना पाते है।

साथ ही साथ उन्हें विकसित होने में भी कम समय लगता है। ऐसे में आप गेंदे का फूल , सुईमुई का फूल , बलासम का फूल और सूरज मुखी के फूल बड़ी ही आसानी से अपने घर के गार्डन में लगा सकते है। 

इससे आपको घर पर ही गर्मियों के मौसम में ठंडी और खुसबुदार छाया का आनंद मिल जायेगा।अब बात यह आती है की हम किस प्रकार इन फुलों के पौधों को अपने घर पर लगा पाएंगे। 

इसके लिए सबसे पहले आपको मिट्टी, फिर खाद और उर्वरक और अंत में अच्छी सिंचाई करनी होगी। साथ ही साथ हमे इन पौधों की कीटो और अन्य रोगों से भी रोकथाम करनी होगी। तो चलिए अब हम आपको बताते है आप प्रकार इन मौसमी फुलों के पौधों लगा सकते है।

गर्मियो में फूलों के पौधें लगाने के लिए इस प्रकार मिट्टी तैयार करें :-

mitti ke prakar

इसके लिए सबसे पहले आप जमीन की अच्छी तरह से उलट पलट यानी की पाटा अवश्य लगाएं।खेत को अच्छे से जोतें ताकि किसी भी प्रकार का खरपतवार बाद में परेशान न करे पौधों को।

मौसमी फूलों के पौधों के बीजों के अच्छे उत्पादन के लिए जो सबसे अच्छी मिट्टी होती हैं वह होते हैं चिकनी दोमट मिट्टी।इन फुलों को आप बीजो के द्वारा भी लगा सकते है और साथ ही साथ आप इनके छोटे छोटे पौधें लगाकर रोपाई भी कर सकते हैं। 

इसके अलावा बलुई दोमट मिट्टी का भी आप इस्तेमाल कर सकते है बीजों को पैदावार के लिए। इसके लिए आप 50% दोमट मिट्टी और 30% खाद और 20% रेतीली मिट्टी को आपस में अच्छे से तैयार कर ले। 

एक बार मिट्टी तैयार हो जाने के बाद आप इसमें बीजों का छिड़काव कर दे या फिर अच्छे आधा इंच अंदर तक लगा देवे। उसके बाद आप थोड़ा सा पानी जरूर देवे पौधों को।

गर्मियों में फूलों के पौधों को इस प्रकार खाद और उर्वरक डालें :-

khad evam urvarak

मौसमी फूलों के पौधों का अच्छे से उत्पादन करने के लिए आप घरेलू गोबर की खाद का इस्तमाल करे न की रासायनिक खाद का। रासायनिक खाद से पैदावार अच्छी होती है लेकिन यह खेत की जमीन को धीरे धीरे बंजर बना देती है। 

इसलिए अपनी जमीन को बंजर होने से बचाने के लिए आप घरेलू गोबर की खाद का ही इस्तमाल करे। यह फूलों के पौधों को सभी पोषक तत्व प्रोवाइड करवाती है।

100 किलो यूरिया और 100 किलो सिंगल फास्फेट और 60 किलो पोटाश को अच्छे मिक्स करके संपूर्ण बगीचे और गार्डन में मिट्टी के साथ मिला देवे। खाद और उर्वरक का इस्तेमाल सही मात्रा में ही करे । ज्यादा मात्रा में करने पर फुल के पौधों में सड़न आने लगती है।

गर्मियों में फूलों के पौधों की इस प्रकार सिंचाई करे :-

phool ki sichai

गर्मियों में पौधों को पानी की काफी आवश्यकता होती है। इसके लिए आप नियमित रूप से अपने बगीचे में सभी पौधों की समान रूप से पानी की सिंचाई अवश्य करें। 

पौधों को सिंचाई करना सबसे महत्वपूर्ण काम होता है, क्योंकि बिना सिंचाई के पौधा बहुत ही काम समय में जल कर नष्ट हो जायेगा। 

इसी के साथ यह भी ध्यान रखना चाहिए की गर्मियों के मौशम में पौधों को बहुत ज्यादा पानी की आवश्यकता होती हैं और वहीं दूसरी तरफ सर्दियों के मौसम में फूलों को काफी कम पानी की आवश्यकता होती है। 

इन फूलों के पौधों की सिंचाई के लिए सबसे अच्छा समय जल्दी सुबह और शाम को होता है।सिंचाई करते समय यह भी जरूर ध्यान रखे हैं कि खेत में लगे पौधों की मिट्टी में नमी अवश्य होनी चाहिए ताकि फूल हर समय खिले रहें। क्यारियों में किसी भी प्रकार का खरपतवार और जरूरत से ज्यादा पानी एकत्रित ना होने देवे।

गर्मियों के फुलों के पौधों में लगने वाले रोगों से बचाव इस प्रकार करे :-

phoolon ke rogo se bachav

गर्मियों के समय में ना  केवल पौधों को गर्मी से बचाना होता है बल्कि रोगों और कीटों से भी बचाना पड़ता है।

  1. पतियों पर लगने वाले दाग :-

इस रोग में पौधों पर बहुत सारे काले और हल्के भूरे रंग के दाग लग जाते है। इस से बचने के लिए ड्यूथन एम 45 को 3 ग्राम प्रति लिटर में अच्छे से घोल बना कर 8 दिनों के अंतराल में छिड़काव करे। इस से सभी काले और भूरे दाग हट जाएंगे।
  1. पतियों का मुर्झा रोग :-

इस रोग में पौधों की पत्तियां धीरे धीरे मुरझाने लगती है और बाद में संपूर्ण पौधा मरने लग जाता है।इस से बचाव के लिए आप पौधों के बीजों को उगाने से पहले ट्राइको टर्म और जिनॉय के घोल में अच्छे से मिक्स करके उसके बाद लगाए। इस से पोधे में मुर्झा रोग नहीं होगा।
  1. कीटों से सुरक्षा :-

जितना पसंद फूल हमे आते है उतना ही कीटो को भी। इस में इन फूलों पर कीट अपना घर बना लेते है और भोजन भी। वो धीरे धीरे सभी पतियों और फुलों को खाना शुरू कर देते है। इस कारण फूल मुरझा जाते है और पोधा भी। इस बचाव के लिए आप कीटनाशक का प्रति सप्ताह 3 से 4 बार याद से छिड़काव करे।इससे कीट जल्दी से फूलों और पोधें से दूर चले जायेंगे।

गर्मियों में मौसम में इन फुलों के पौधों को अवश्य लगाएं अपने बगीचे में :-

गर्मियों के मौसम में लगाए जाने वाले फूल - सूरजमुखी (sunflower)
  1. सुरजमुखी के फुल का पौधा :-

सूरजमुखी का फूल बहुत ही आसानी से काफी कम समय में बड़ा हो जाता है। ऐसे में गर्मियों के समय में सुरज मुखी के फूल का पौधा लगाना एक बहुत ही अच्छी सोच हो सकती है। 

आप बिना किसी चिंता के आराम से सुरज मुखी के पौधे को लगा सकते हैं। गर्मियों के मौसम में तेज धूप पहले से ही बहुत होती है और सूरज मुखी को हमेशा तेज धूप की ही जरूरत होती हैं।

  1. गुड़हल के फूल का पौधा :-

गर्मियों के मौसम में खिलने वाला फूल गुड़हल बहुत ही सुंदर दिखता है घर के बगीचे में।गुड़हल का फूल बहुत सारे भिन्न भिन्न रंगो में पाया जाता हैं। 

गुड़हल का सबसे ज्यादा लगने वाला लाल फूल का पौधा होता है। यह न केवल खूबसूरती के लिए लगाया जाता है बल्कि इस से बहुत अच्छी महक भी आती है।

  1. गेंदे के फूल का पौधा :-

गेंदे का फूल बहुत ही खुसबूदार होता है और साथ ही साथ सुंदर भी। गेंदे के फूल का पौधा बड़ी ही आसानी से लग जाता है और इसे आप अपने घर के गार्डन में आराम से लगाकर सम्पूर्ण घर को महका सकते है।।

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  1. बालासम के फूल का पौधा :-

बालासाम का पौधा काफी सुंदर होता है और इसमें लगने वाले रंग बिरंगे फूल इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं। यह फूल बहुत ही कम समय में खेलना शुरू हो जाते हैं यानी की रोपाई के बाद 30 से 40 दिनों के अंदर ही यह पौधा विकसित हो जाता है और फूल खिला लेता है।

बाजारी गुलाल को टक्कर देंगे हर्बल गुलाल, घर बैठे आसानी से करें तैयार

बाजारी गुलाल को टक्कर देंगे हर्बल गुलाल, घर बैठे आसानी से करें तैयार

होली के त्यौहार की रौनक बाजारों में दिखने लगी हैं. हर तरफ जश्न का मौहाल और खुशियों के रंग में डूब जाने की हर किसी की तैयारी है. तो ऐसे में बाजारी गुलाल रंग में भंग न डालें, इसलिये हर्बल गुलाल की डिमांड बाजार में सबसे ज्यादा देखने को मिल रही है. हालांकि पिछले साल की तरह इस साल भी होली के सीजन में हर्बल गुलाल तेजी से तैयार किये जा रहे  हैं. को पालक, लाल सब्जियों, हल्दी, फूलों और कई तरह की जड़ी बूटियों से तैयार किये जा रहे हैं. ये हर्बल गुलाल बाजारी गुलाल को मात देने के लिए काफी हैं. विहान यानि की राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की महिलाएं होली के त्यौहार को देखते हुए हर्ब गुलाल बनाने में जुट चुकी हैं. हर्बल गुलाल लगाने से स्किन में किसी तरह का कोई भी इन्फेक्शन या साइड इफेक्ट होने का डर नहीं होता. क्योनी ये गुलाल पूरी तरह से केमिकल फ्री होते हैं.

प्रदेश में बढ़ रही हर्बल गुलाल की डिमांड

अच्छे गुणों की वजह से हर्बल गुलाल की डिमांड पूरे प्रदेश के साथ साथ स्थानीय बाजारों में बढ़ रही है. जिसे देखते हुए विहान की महिलाओं को घर बैठे बैठे ही रोजगार मिल रहा है और अच्छी कमाई हो रही है. इसके अलावा महासमुंद के फ्राम पंचायत डोगरीपाली की जय माता दी स्वयं सहायता समूह की महिलाएं भी तैयारियों में जुट गयी हैं और हर्बल गुलाल बना रही गौब. समूह की सदस्यों की मानें तो पिछले साल की होली में लगभग 50 किलो तक हर्बल गुलाल के पैकेट तैयार किये थे. जिसकी डिमांड ज्यादा रही. महिलाओं ने बताया कि, हर्बल गुलाल के पैकेट 10 रुपये से लेकर 20 और 50 रुपये के हर्बल गुलाल के पैकेट बनाए गये थे. इस बार ज्यादा मात्रा में गर्ब्ल और गुलाल तैयार किया जा रहा है. बात इस हर्बल गुलाल की तैयारी की करें तो इसे पालक, लाल सब्जी, हल्दी, जड़ी-बूटी, फूल और पत्तियों को सुखाकर प्रोसेसिंग यूनिट में पीसकर तैयार किया जाता है. ये भी देखें: बागवानी के साथ-साथ फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर हर किसान कर सकता है अपनी कमाई दोगुनी

हरी पत्तियां भी होती हैं प्रोसेस

हरी पत्तियों में गुलाब, चुकंदर, अमरूद, आम और स्याही फूल की पत्तियों को प्रोसेस किया जाता है. करीब 150 रुपये तक का खर्च एक किलो गुलाल बनाने में आता है. सिंदूर के अलावा पालक और चुकंदर का इस्तेमाल गुलाल बनाने में किया जाता है. बाजार में हर्बल गुलाल की कीमत बेहद कम होती है. गर्ब्ल गुलाल बनाने से न सिर्फ महिलाओं को घर बोथे रोजगार मिल रहा है, बल्कि अच्छी कमाई भी हो रही है. जिले की ग्राम पंचायत मामा भाचा महिला स्व सहायता समूह की महिलाएं इस साल पालक, लाल सब्जी, फूलों और हल्दी से हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं. जिससे पीला, नारंगी, लाल और चंदन के कलर के गुलाल बनाए जा रहे हैं. जिसे स्व सहायता समूह की महिलाएं गौठान परिसर और दुकानों के जरिये बेच रही हैं. इतना ही नहीं समूह को हर्बल गुलाल के ऑर्डर भी मिलने लगे हैं. हर्बल गुलाल बनाने में हल्दी, इत्र, पाल्स का फूल समेत कई तरह की साग सब्जियों और खाने वाले चूने का इस्तेमाल किया जाता है.
बोगेनवेलिया फूल की खेती से किसान जल्द ही हो सकते हैं मालामाल, ऐसे लगाएं पौधे

बोगेनवेलिया फूल की खेती से किसान जल्द ही हो सकते हैं मालामाल, ऐसे लगाएं पौधे

देश में पारंपरिक खेती के इतर अब किसान बागवानी की तरफ रुख कर रहे हैं। इसका कारण है कि बागवानी में पारंपरिक खेती की अपेक्षा ज्यादा आमदनी होने की संभावनाएं ज्यादा हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं बोगेनवेलिया फूल की खेती के बारे में। यह बेहद सुंदर और रंगीन फूल होता है, जिसे कागज फूल के नाम से भी जाना जाता है। यह मूलतः दक्षिण अमेरिका में पाया जाने वाला फूल है, जिसे विभिन्न देशों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इस फूल की खोज सर्वप्रथम फिलबरट कॉमर्रसन और लुई एंटोनी डी बोगनविले नाम के दो वैज्ञानिकों ने की थी। दूसरे वैज्ञानिक के नाम पर ही इस फूल का नाम बोगेनवेलिया पड़ा है। इस फूल का पौधा कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसलिए इसके पौधे का उपयोग खांसी, दमा, पेचिश, पेट या फेफड़ों की तकलीफ जैसे रोगों में किया जाता है।

बोगेनवेलिया के पौधों के लिए उपयुक्त जलवायु

इन पौधों में उच्च तापमान की जरूरत होती है। बोगेनवेलिया के लिए आदर्श स्थिति होती है कि वातावरण का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस के ऊपर होना चाहिए। जिन जगहों पर ठंड होती हैं वहां इन पौधों को प्लास्टिक की शीट से संरक्षित किया जाता है। इन पौधों के लिए उच्च आर्द्रता की आवश्यकता नहीं होती है। इनके लिए वातावरण में मौजूद आर्द्रता पर्याप्त होती है, इसलिए इन पौधों के लिए पत्तियों पर स्प्रे करना या वातावरण को बनाए रखना आवश्यक नहीं है। यह भी पढ़ें: अद्भुत खूबियों वाले गुलनार फूल की खेती से किसान हो रहे मालामाल

बोगेनवेलिया के पौधों की बुवाई

इनके पौधों की बुवाई आमतौर पर दो प्रकार से की जाती है। पहला कटिंग के माध्यम से और दूसरा बीजों के माध्यम से। दोनों ही माध्यमों में अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी और पर्याप्त धूप की जरूरत होती है। बीजों के अंकुरण के 30 दिन बाद पौधे को गमले में स्थानांतरित कर सकते हैं।

सिंचाई और उर्वरक

इन पौधों के लिए ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती। ज्यादा पानी देने के कारण इस पौधे की जड़ें सड़ सकती हैं। इसलिए सतर्क रहने की जरूरत है। हालंकी गर्मियों के तापमान में पौधों को पानी की ज्यादा जरूरत महसूस होती है, इसलिए तब नियमित रूप से पानी देना चाहिए। हालांकि ध्यान रहे कि पौधे में पानी तभी डालें जब मिट्टी पूरी तरह से सूख जाए। यह भी पढ़ें: जरबेरा के फूलों की खेती से किसानों की बदल सकती है किस्मत, होगी जबरदस्त कमाई बोगेनवेलिया के पौधों में फास्फोरस और पोटेशियम से भरपूर खाद डाली जा सकती है, इससे पौधों का विकास तेजी के साथ होगा और ज्यादा मात्रा में फूल आएंगे।

पौधों का रखरखाव

बोगेनविलिया के पौधों को रखरखाव की बेहद आवश्यकता होती है। नहीं तो यह पौधा जल्द ही सूख जाएगा। पौधे की समय-समय पर कटिंग करते रहें जिससे उनकी शाखाएं परिपक्व होंगी ताकि वो ज्यादा से ज्यादा फूलों का उत्पादन कर सकें। हमेशा ऐसे पत्तों की कटिंग करनी चाहिए जिसमें मुकुट के बाहर या वांछित दिशा में एक कली हो। इसकी छंटाई ज्यादातर वसंत और सर्दियों के बीच वाले समय में की जाती है।
इस औषधीय गुणों वाले बोगनविलिया फूल की खेती से होगी अच्छी-खासी कमाई

इस औषधीय गुणों वाले बोगनविलिया फूल की खेती से होगी अच्छी-खासी कमाई

भारतीय किसानों को पारंपरिक खेती से घाटा होने के चलते उनको अन्य फसलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया है। फिलहाल, औषधीय पौधों एवं फूलों की खेती की जा रही है। ऐसी स्थिति में आपको बोगेनवेलिया फूल की जानकारी प्रदान की जा रही हैं। जो केवल दिखने में अच्छी लगने के साथ-साथ विभिन्न एलोपैथिक व आयुर्वेदिक इलाज के लिए गुणकारी मानी जाती है। भारत में बागवानी की तरफ किसान फिलहाल ज्यादा रुची रखने लगे हैं। इस वजह से किसानों को खेती करने हेतु बोगेनवेलिया फूल के संबंध में बताया जा रहा है। माना जा रहा है, कि जैसा नाम वैसा बहार क्योंकि इसको कागजी फूल के नाम से जाना जाता है। जो कि काफी कम देखभाल करने से भी रंगीन एवं सुंदर बनता जा रहा है। बतादें, कि विभिन्न देशों में इसको विभिन्न नामों से जाना जाता है। मुख्य तौर पर यह दक्षिण अमेरिका के देशों में पाया जाता है। इसकी खोज फिलबरट कॉमर्रसन एवं लुई एंटोनी डी बोगनविले नाम के दो वैज्ञानिकों द्वारा की गई थी। इनमें से एक वैज्ञानिक के नाम पर इस पौधे का नामकरण किया गया है। यह पौधा आयुर्वेद में पेचिश, पेट, फेफड़ों, खांसी और दमा की तकलीफ से राहत दिलाने का कार्य करती है।

बोगनविलिया की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

इन पौधों को अधिक तापमान की आवश्यकता होती है। आदर्श रूप से 20 डिग्री से ऊपर तापमान होना चाहिए। अगर उस जगह पर जहां पौधों में सामान्य तौर पर ठंड होती है, तो उन्हें प्लास्टिक से अच्छी तरह से संरक्षित करना चाहिए अथवा उनको अंदर रखना चाहिए। यह भी पढ़ें: इन फूलों का होता है औषधियां बनाने में इस्तेमाल, किसान ऐसे कर सकते हैं मोटी कमाई

बोगनविलिया कटिंग के द्वारा इस प्रकार लगाएं

सर्वप्रथम एक विकसित पौधे से 5-6 इंच की कटिंग निकाल लें, उसके बाद एक पारदर्शी जार में जल भरें पानी में बिल्कुल थोड़ी मात्रा में रूटिंग हॉर्मोन डालें। अब जल में कटिंग को डालकर ऐसे स्थान पर रखें जहां छनकर हल्की धूप आती हो। लगभग 5-6 दिनों में जल परिवर्तित कर दें। लगभग 10 दिन के उपरांत कटिंग से छोटी-छोटी जड़ें निकलने लगती हैं। तब इस कटिंग को गमले में लगाया जा सकता है।

बीज से बोगनविलिया इस तरह लगाई जाती है

बोगनविलिया बीज से उगाने हेतु एक परिपक्व पौधे के बराबर आवश्यकता होती है। यह बेहतरीन जल निकासी वाली मृदा, पर्याप्त धूप एवं अनुकूल बढ़ती परिस्थितियों की जरूर मांग करता है। सर्व प्रथम बीज की मोटाई के 2-3 गुना की गहराई तक उनको रेक करके बोए बीजों को नियमित तौर पर पानी दें। मिट्टी को नम रखें जिससे कि अंकुरण में सहायता मिल सके। अंकुरित होने में लगभग 30 दिन लगेंगे। जब बीज अंकुरित हो जाएं तब उन्हें गमले में स्थापित कर सकते हैं। यह भी पढ़ें: ऐसे करें रजनीगंधा और आर्किड फूलों की खेती, बदल जाएगी किसानों की किस्मत

सिंचाई कब और कैसे करें

जड़ सड़न बोगनविलिया की मृत्यु का सबसे आम वजह होती है। इसलिए सतर्क रहने एवं अत्यधिक सिंचाई करने से बचने की आवश्यकता होती है। विशेषकर जब पौधे गमलों में तैयार होते हैं। अधिक सिंचाई करने से फूलों की कीमत पर अस्थायी रूप से अंकुर, पत्तियों के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, परंतु, आखिर में जड़-सड़न और पौधे की मृत्यु जैसे असर देखने को मिलेंगे। हालांकि, गर्मियों के कड़े तापमान में पौधे को प्रति दिन सिंचाई की आवश्यकता होगी। परंतु, सिंचाई केवल गमले की मिट्टी सूखने की स्थिति में करें।
जानिए बारिश के दिनों में उगाए जाने वाले इन 10 फूलों के बारे में

जानिए बारिश के दिनों में उगाए जाने वाले इन 10 फूलों के बारे में

बारिश का मौसम आने पर हमारे आसपास के परिवेश में हरियाली छा जाती है। साथ ही, बहुत सारे लोग अपने घर एवं बगीचे में पौधे लगाते हैं। फूलों के पौधे घरों में हरियाली के लिए एवं ताजगी के लिए लगाए जाते हैं। वर्षा के दिनों पेड़ और पौधों में रौनक सी आ जाती है। बारिश का मौसम पेड़ और पौधों के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद भी होता है। इस लेख में हम आपको ऐसे 10 फूलों के पौधों के विषय में बताएंगे, जिनको हम आसानी से अपने घर में लगा सकते हैं।

गुल मेहँदी

गुल मेहँदी के पौधे खुशबूदार एवं सदाबहार होते हैं। इसकी लम्बाई 20-60 सेंटीमीटर तक ऊंची होती है। साथ ही, गुलमेहंदी के पत्ते सुई के आकार के होते हैं। इसके फूल सर्दी अथवा वर्षा ऋतु में खिलते हैं, जिनका रंग बैंगनी, गुलाबी, नीला अथवा सफेद होता है।

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गेंदे का फूल

बाजार में रंग-बिरंगे तथा छोटे-बड़े समस्त प्रकार के फूलों के पौधे उपलब्ध हैं। इनमें गेंदे का पौधा काफी ज्यादा आकर्षक एवं खूबसूरत होता है। भारत में गेंदे का पौधा सर्वाधिक लगाए जाने वाले पौधों में से एक है। गेंदे के फूल 50 तरह से भी ज्यादा होते हैं, जिसमें सबसे ज्यादा पाए जाने वाले गेंदे के फूल सिग्नेट मेरीगोल्ड‌, इंग्लिश मेरीगोल्ड, अमेरिकन मेरीगोल्ड और फ्रेंच मेरीगोल्ड के होते हैं. इनमें से अमेरिकन और फ्रेंच मेरीगोल्ड की सुगंध बहुत लुभावन होती है.

कॉसमॉस

कॉसमॉस का पौधा हल्का सा नाजुक होता है। यह गेंदे के फूल जैसा ही नजर आता है। इसमें गुलाबी, बैंगनी एवं सफेद आदि रंग के फूल लगते हैं। इसका पौधा 6-7 फिट लम्बा होता है।

सूरजमुखी

सूरजमुखी फूल की सबसे बड़ी खासियत यह है, कि यह फूल सूरज के चारो तरफ घुमता है। यानि जिस-जिस ओर सूर्य घुमता है, इसलिए इसका नाम सूरजमुखी है. सुरजमुखी का फूल देखने में बहुत आकर्षक होता है।

जिन्निया

एक खूबसूरत फूल है जो अक्सर बाग बगीचों में देखा जा सकता है। यह एक तेजी से बढ़ने वाला फूल है, जिसकी बागवानी बहुतायत से की जाती है। जिन्निया के फूलों का रंग उसकी किस्म के अनुरूप भिन्न भिन्न होता है। जिन्निया फूल बेंगनी, नारंगी, पीले, सफेद और लाल आदि रंग में होते हैं। कुछ जिन्निया किस्म के पौधों पर बहुरंगी फूल भी आते हैं।

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क्लियोम

विभिन्न स्थानों पर क्लियोम पौधे को मकड़ी के फूल, मकड़ी के पौधे अथवा मधुमक्खी के पौधे के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि यह फूलों के गुच्छों वाला एक लंबा कांटेदार पौधा है। इस पौधे पर गुलाबी एवं हल्के बैंगनी रंग के सुगंधित फूल खिलते हैं। इसके अतिरिक्त इसे सब्जी के बगीचे में लगाने के बेहद फायदे हैं, क्योंकि यह फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले खराब कीड़ों को दूर भगाने में सहायक है।

साल्विया

इस फूल के पौधे लम्बे, बौने एवं झाड़ीदार होते हैं। छोटे आकार के इस पौधे में कटीले पर हर तरफ ढेर सारे फूल निकलते हैं, जो कई दिन तक बने रहते हैं।

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पोर्टूलाका

उत्तर भारत मे इसे लक्ष्मण बूटी भी कहा जाता है। यह प्रातः काल धूप निकलने के साथ खिलता है एवं शाम को सूर्यास्त के लगभग मुरझा जाता है। इस पौधे के फूल के रंग शानदार होते हैं। साथ ही, यह सफेद, बैंगनी, पीले, लाल और नारंगी रंगों में मौजूद होते हैं।

एग्रेटम

एग्रेटम हौस्टोनियानम, मेक्सिको में सबसे ज्यादा लगाए जाने वाले एग्रेटम किस्मों में से एक है। एग्रेटम नीले, गुलाबी अथवा सफेद रंग के विभिन्न रंगों में नरम, गोल फूल पेश करते हैं। नीले एग्रेटम फूल की 60 से ज्यादा किस्में उपलब्ध हैं, जो अक्सर पूर्णतय विकसित होने पर केवल 6 से 8 इंच तक ही पहुंचती हैं।
ब्लूकॉन फूल की खेती से बुंदेलखंड के किसानों को अच्छा-खासा लाभ हो रहा है

ब्लूकॉन फूल की खेती से बुंदेलखंड के किसानों को अच्छा-खासा लाभ हो रहा है

आपकी जानकारी के लिए बतादें कि कृषि विभाग के उपनिदेशक विनय कुमार यादव के अनुसार ब्लूकॉन की नर्सरी नवंबर महीने में तैयार की जाती है। साथ ही, रोपाई करने के तीन माह के पश्चात पौधों पर फूल आने लगते हैं। ब्लूकॉन के फूल से आयुर्वेदिक औषधियां निर्मित की जाती हैं। यही कारण है, कि ब्लूकॉन के फूल को दवा कंपनियां हाथों-हाथ खरीद लेती हैं। बुंदेलखंड का नाम कान में पड़ते ही लोगों के दिमाग में सबसे पहले सूखाग्रस्त क्षेत्रों की तस्वीर उभरकर सामने आती है। क्योंकि बुदेलखंड क्षेत्रों में पानी की काफी ज्यादा परेशानी है। बारिश भी उत्तर प्रदेश के बाकी जिलों की अपेक्षा यहां पर बेहद कम होती है। ऐसी स्थिति में यहां के किसान अधिकांश मक्का एवं बाजरा जैसे मोटे अनाज की ही खेती करते हैं। इससे किसानों की काफी कम आमदनी होती है। परंतु, अब यहां के किसान भी अन्य दूसरे राज्यों के किसानों की भांति ही आधुनिक फसलों की खेती कर रहे हैं। यहां के कृषक अब बागवानी में जरूरत से कुछ ज्यादा ही रूचि ले रहे हैं। इससे किसान भाइयों की आमदनी बढ़ गई है।

बुंदेलखंड के किसान कर रहे ब्लूकॉन फूल की खेती

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि बुदेलखंड इलाकों के कृषक अब ब्लूकॉन फूल की खेती कर रहे हैं। यह एक प्रकार का विदेशी फूल होता है। इसकी खेती केवल जर्मनी में की जाती है। परंतु, अब बुंदेलखंड इलाकों में भी कृषकों ने ब्लूकॉन की खेती चालू कर दी है। इस फूल की सबसे बड़ी विशेषता यह है, कि इसे सिंचाई की बहुत कम जरूरत पड़ती है। मतलब कि इसे सूखाग्रस्त क्षेत्र में भी उगाया जा सकता है। यही कारण है, कि जर्मनी के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में ब्लूकॉन को उगाया जाता है।

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ब्लूकॉन के फूल बेचकर 9 लाख रुपये तक की आय कर सकते हैं

विशेष बात यह है, कि यदि आप एक बीघे में इसकी खेती करते हैं, तो आप प्रतिदिन 15 किलो तक आसानी से फूल तोड़ सकते हैं। मतलब कि आप एक बीघे भूमि से प्रतिदिन 30 हजार रुपये की आमदनी कर सकते हैं। इस प्रकार किसान भाई फूल बेचकर प्रति माह 9 लाख रुपये कमा सकते हैं।

ब्लूकॉन का फूल 2000 रुपए प्रति किलो मिलता है

दरअसल, फिलहाल बुंदेलखंड और झांसी में भी इसकी खेती को प्रोत्साहन देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार प्रयास कर रही है। विशेषज्ञों की मानें तो यहां की जलवायु ब्लूकॉन फूल की खेती के लिए अनुकूल है। साथ ही, कृषि विभाग इन फूलों की नर्सरी तैयार कर रहा है। सरकार किसानों को इसकी खेती करने के लिए वितरित कर रही है। बाजार के अंदर ब्लूकॉन का फूल 2000 रुपए प्रति किलो मिलता है।